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Chapter 1/19

editहा.....आआआउउउउममम!
editकोट्टवी राजा👑🤴 को नींद आ रही थी। उनका मंत्रीमंडल किसी जटिल समस्या पर चर्चा कर रहा था और राजा👑🤴 ऊब गए थे।
editकल रात🌃 उन्हें नींद नहीं आई थी और न उसकी पिछली रात।🌃 न ही उससे पहले कुछ तीस रात।🌃 उन्होंने ध्यान लगाने की कोशिश की। मगर वाक्य अस्पष्ट हो रहे थे!
Chapter 2/19

edit“जहाँ तक पट्टेदार की बात👄 है, ज़मीन जोतने का अधिकार र र र र... और उसका कर तो उसको ओ ओ ओ... उउउउउउ अम्म्मम्म्म्म्म”
editउनका सर फिर छाती पर आ लटका।
editराजा👑🤴 नल्लन अच्छे राजा👑🤴 थे। मगर हाल में, दिन🌤️ के समय📅 जागे रहना उनके लिए बड़ा मुश्किल हो रहा था। दिन🌤️ भर राजदरबार में जम्हाईयाँ लेते रहते थे। इसीलिए लोगों ने उन्हें कोट्टवी राजा👑🤴 बुलाना शुरू किया, क्योंकि तमिल भाषा में जम्हाई को कोट्टवी कहते हैं।
Chapter 3/19
edit“सुजाता,” एक रात🌃 अपनी रानी को धीरे से जगाते हुए उन्होंने पूछा, “तुम दिन🌤️ भर इतनी फुर्तीली और चौकन्ना कैसे रहती हो?”
edit“क्योंकि मैं रात🌃 को सोती हूँ,” उन्होंने झुंझलाकर बोला, “और आप को भी वही करना चाहिए।”
edit“हाँ, रात🌃 को सोना😴 चाहिए, सही बात।”👄 मगर कैसे? दिन🌤️ भर उन्हें नींद आती रहती थी, शाम को सबसे ज़्यादा। मगर रात🌃 तक, वो एकदम चुस्त हो जाते थे, कोई सुस्ती नहीं!
editअगले दिन🌤️ सभा में, कोट्टवी राजा👑🤴 ने पूछा, “मुख्य मंत्रीजी, आप क्या करते हैं जब आपको रात🌃 में नींद नहीं आती?”
edit“मैं नींद की देवी, निद्रा माँ👩 से प्रार्थना करता हूँ कि मुझ पर कृपा दृष्टि रखें।”
edit“मेरी माँ👩 कहा करती थीं देवी भरे पेट को इंकार नहीं कर सकती। सो मैं अपने रसोइए से कहता हूँ कि मुझे शानदार भोजन बनाकर दे, गरम, मीठे पकवानों से भरा। बस,🚌🚍🚏 खाने🍴 के दो मिनट के अंदर, मैं पूरी🥞 नींद में होता हूँ।”
editराजा👑🤴 की नज़र मुख्य मंत्रीजी की तोंद पर पड़ी। उन्हें पूरा यकीन आ गया।
Chapter 4/19

editवित्त मंत्रीजी भी पीछे नहीं रहना चाहते थे। सो उन्होंने कहा, “मैं हर रात🌃 शहद मिलाकर गरम दूध पीता हूँ। बिलकुल सहज, कोई तामझाम नहीं। रसोइए को परेशान करने की भी ज़रुरत नहीं। और मैं हमेशा पूरे नौ घंटे सोता हूँ।”
editराज संगीतकार को यह खाने🍴 की कहानियाँ बिलकुल नहीं भा रही थीं। भरा पेट हो, तो वो गा ही नहीं सकते! मगर वो भी कुछ मदद करना चाहते थे। सो उन्होंने कहा, “हमारे वंश में, महाराज, हम निद्रा देवी का स्वागत हमेशा संगीत से ही करते हैं। नीलाम्बरी राग में गाई हुई कोई सुन्दर रचना, वीणा की संगत में... आ हा, परमानन्द!”
Chapter 5/19

editराजकवि ने कहा, “महल के बगीचे में एक हल्की सी सैर, मंद मंद हवा🌬️🍃💨 के बीच, पारिजात पर चांदनी बिखरती हुई.... आह! उस क्षण की मधुरता और सुंदरता आपकी सारी थकान को मिटा देगी महाराज। निद्रा देवी को शांत मन से बड़़ा लगाव है।”
editराज विदूषक ने और जोड़़ा, “अगर और किसी से काम न बने महाराज, तो एक अच्छी कहानी तो निश्चित रूप से आपको सुला देगी।”
Chapter 6/19

editकोट्टवी राजा👑🤴 ने सोचा, इतनी सारी चीज़ें हैं करके देखने को।
editइनमें से कोई तो कारगर होगी ही।
Chapter 7/19

editघी के साथ गरम चावल, गरमा गरम साम्बर, तले हुए आलू,🥔 जिमीकंद और खसखस की खीर। और इस सब को ढंग से पचाने के लिए, ठंडी छाछ। इस आशा में कि वो रात🌃 को अच्छी नींद सो पाएंगे, राजा👑🤴 ने हर चीज़ को दो - दो बार खाया।
editजब तक उन्होंने खाना🍲 ख़त्म किया, ग्यारह बजने वाले थे। मगर, पुरानी आदतों को तोड़़ना आसान नहीं होता - उन्हें अब भी नींद नहीं आ रही थी।
Chapter 8/19

editबिस्तर पर करवट बदलते बदलते वो परेशान हो गए और मुख्य मंत्री पर उन्हें बड़़ा ही गुस्सा आया। निद्रा देवी अब भी लापता थीं! उन्हें लगा, शायद उन्होंने भरपेट न खाया हो।
edit“रसोइया!” उन्होंने चिल्ला कर बुलाया।
editआधा सोया हुआ रसोइया जल्दी से तैयार होकर राजा👑🤴 के पास दौड़़ा।
Chapter 9/19

editकोट्टवी राजा👑🤴 ने एक ही सांस में उसे पी लिया। ओह! पेट कितना भर गया! उठना नामुमकिन, हिलना नामुमकिन और लेट कर सो जाना🚶 तो बिलकुल ही नामुमकिन।
edit“शायद संगीत सुन लूँ तो नींद आ जाए,” उन्होंने सोचा।
editराज संगीतकारों को बुलावा भेजा गया। वो भागे भागे आए, पगड़़ियाँ टेढ़़ी-मेढ़़ी बंधी हुईं, जल्दी में पहनी हुई धोतियाँ खुली-बंधी सी। रात🌃 आधी गुज़र चुकी थी।
Chapter 10/19

edit“हमारे लिए नीलाम्बरी बजाई जाए!” हुकम दिया राजा👑🤴 ने।
editरात🌃 की शान्ति में उस मधुर धुन को सुनने में क्या आनंद आ रहा था। कोट्टवी राजा👑🤴 को चैन मिला। आहा परमानंद!
editबीस मिनट बाद, वो बस🚌🚍🚏 सोने ही वाले थे कि - झंग! झणार! झप! वीणा वादक अपनी वीणा पर सो गया था।
Chapter 11/19

editदोबारा संगीत शुरू हुआ। मगर एक के बाद एक, सभी उनिंदा कलाकार स्वर से हटते गए और गलत धुन बजाते रहे। बेसुरों की भरमार थी। निद्रा देवी उन्हें सुनते ही वहाँ से भाग निकलीं! और राजा👑🤴 फिर पूरी🥞 तरह जागे हुए, बहुत नाराज़ हुए।
Chapter 12/19

editविदूषक ने एक लम्बी, उब्काऊ सी कहानी शुरू की, इस उम्मीद से कि राजा👑🤴 उसे सुनते ही सो जायेंगे। आह, मगर हमारे राजा👑🤴 को चैन कहाँ था। बेचैन होकर पूछते रहे, “हाँ हाँ, वो तो ठीक है, मगर कहानी ख़तम कैसे होती है?”
editनिद्रा देवी को यह बेचैनी पसंद नहीं आई। सो वो दूर ही रहीं। एक घंटे बाद, थकी हुई आवाज़🔊 लेकर विदूषक थका हारा सा अपने घर🏠 लौट गया। और राजा?👑🤴 वो तो अब भी जाग रहे थे।
editउन्होंने रानी को जगाया और टहलने की ठान ली। रानीजी बहुत ही अनमने तरीके से तैयार हुईं।
Chapter 13/19

edit“बस,🚌🚍🚏 मोगरे के बगीचे तक ही, ठीक है? उसके बाद हम लौटकर सो जायेंगे!”
editवो चांदनी में चलते रहे, और पंछियों की धीमी चहक में राज महल के बड़े से बगीचे की परिक्रमा करते रहे। राजा👑🤴 को बड़ी शांति की अनुभूति हुई और उन्होंने सोचा, “आहा! यही समय📅 है लौट कर सोने का।”
editराजा👑🤴 लौट कर लेट गए, चारों और एक स्वप्निल चुप्पी छाई हुई थी। अचानक उन्हें एक गड़़गड़़ाहट सी सुनाई दी।💗 उनके पेट से।
editसंगीत, कहानी, मंद हवा🌬️🍃💨 और सैर-इन सबके चलते उन्हें भूख लग गई थी!
Chapter 14/19

editरानी ने मामले को अपने हाथों में लिया। उन्होंने दूध का एक छोटा गिलास मंगवाया, और मालिश वाले से राजा👑🤴 के पाँव भी दबवाए। कुछ ही देर में निद्रा देवी ने आकर आशीर्वाद दिया। आख़िरकार राजमहल में उस रात🌃 को शांति छा गई।
Chapter 15/19

editहर दिन🌤️ इसी तरह कार्यक्रम चलता रहा। वक़्त के साथ, कोट्टवी राजा👑🤴 थोड़़ा और जल्दी सोने लगे। दो हफ्ते में, उन्होंने देखा कि दूसरे गिलास दूध के साथ ही उन्हें नींद आ जाती थी। उसके कुछ हफ्ते बाद, सैर के तुरंत बाद सोने लगे वो। एक महीने बाद, विदूषक की कहानी ने सुला दिया राजा👑🤴 को।
editऔर फिर, अंत में, वो रात🌃 के भोजन के बाद ही सो गए। प्रायः हर सुबह वो चुस्ती से जागते! उनकी चाल में उचक आ गई और वो सभी की ओर देखकर मुस्कुराने लगे।
Chapter 16/19
editमगर इधर रसोईए, संगीतकार, विदूषक, मालिश वाले और रानी का क्या हाल हुआ? वो रात🌃 भर सेवा में तत्पर रहे, उन्हें कभी यह नहीं पता होता था कि कब राजा👑🤴 जाग जाएँ और उन्हें बुला बैठें। और अब ये सब लोग दिन🌤️ भर थके और चिड़़चिड़़े रहने लगे। वही हाल उनका भी था जो उनका इंतज़ार करते थे- रसोइए की बीवी, संगीतकार का बेटा,👦 विदूषक का भाई, मालिश वाले के पिताजी, रानी की परिचारिका, परिचारिका का पति, पति का भाई, भाई का दोस्त, दोस्त के माँ👩 - बाप... सारा शहर।
editराजा👑🤴 अपनी निद्राहीन प्रजा के लिए बहुत ही चिंतित हो उठे। अपने इस विस्तृत कार्यक्रम की सलाह तो हर किसी को वो दे नहीं सकते थे। उन्होंने अपने राजपुरोहित से सुझाव माँगा। उस बुद्दिमान इंसान को पता था कि यह एक जटिल समस्या है। “सभी से कहिए आज से पंद्रह दिन🌤️ बाद नगर सभा में एकत्रित हों। सभी लोग गरम पानी🌊🌧️💦💧🚰 से नहा कर, भोजन करके, सूर्यास्त पर हाज़िर हों। मैं सभी को आशीर्वाद देने के लिए निद्रा देवी को वहाँ बुलाऊँगा।”
Chapter 17/19
Chapter 18/19

editउनकी मिनमिनाहट के कुछ ही क्षण बाद, एक नई माँ👩 ने, जिसे सबसे ज़्यादा नींद आई हुई थी, एक जम्हाई ली। उसे देखकर उसके बच्चे🚸 ने भी जम्हाई ली। बच्चे🚸 के पिता ने यह देखा और... हाँ, जम्हाई ली।
editएक संगीतकार ने धुन के बीच में ही जम्हाई ली और उसकी देखा देखी आस पास के बीस और जनों ने भी। फिर उनके पड़ोसियों ने जम्हाई ली और पूरी🥞 सभा में जम्हाइयों की लहर सी दौड़़ पड़़ी।
Chapter 19/19

editनिद्रा देवी इतनी सारी जम्हाइयों की पुकार को कैसे अनसुना कर देतीं? वो शहर में भागी भागी आईं, और सभी को नींद के एक ठंड़े झोंके से छू गईं।
editऔर उस दिन🌤️ के बाद से, वो हर रात🌃 कोट्टवी राजा👑🤴 के देश में हर एक को अपना आशीर्वाद देती रहीं। सभी लोग चैन से रात🌃 में सोते रहे।
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र | 355 |
े | 343 |
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द | 145 |
ि | 136 |
ल | 116 |
ज | 101 |
ग | 100 |
ु | 92 |
प | 89 |
ब | 88 |
व | 87 |
उ | 72 |
य | 69 |
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आ | 50 |
थ | 44 |
ई | 40 |
ू | 37 |
औ | 36 |
श | 36 |
ै | 36 |
अ | 29 |
ँ | 27 |
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ख | 22 |
छ | 21 |
ध | 19 |
ड़ | 19 |
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