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Storybook paragraphs containing word (78)
"पापा ने चिन्टू के लिए फ़ैंसी चश्मे खरीदे। माँ ने मेरे लिए एक चमकती नीली टोपी खरीदी और मुन्नी को मिली टॉफ़ी।"
चाँद का तोहफ़ा
"अगले दिन, स्कूल के बाद, माँ ने मुझे एक नई चमकती लाल टोपी दी।"
चाँद का तोहफ़ा
"“चाँद ने भेजी है”, माँ ने कहा।"
चाँद का तोहफ़ा
"अरे यह तो मेरी माँ हैं। वह खेत से काम कर के घर आई हैं।"
मैं नहीं डरती !
"मैं माँ की तस्वीर बनाता हूँ। वह बिना हिले बैठी रहती हैं।"
मैं बहुत कुछ बना सकता हूँ!
"इसलिए माँ मुझे नन्हा वास्तुकार बुलाती हैं।"
सबसे अच्छा घर
"लेकिन माँ अपनी पूरी को फूलाने के लिये ऐसे किसी भी तरीके का इस्तेमाल नहीं करती है – कमाल की बात है!"
पूरी क्यों फूलती है?
"मुत्तज्जी इन जुड़वां भाई-बहन की माँ की माँ की माँ थीं! ओर वह मैसूर में अज्जी के साथ रहती थीं, जो इन दोनों की माँ की माँ, यानी नानी, थीं। किसी को पता नहीं था कि मुत्तज्जी का जन्मदिन असल में कब होता है, लेकिन अज्जी हमेशा से मकर सक्रांति की छुट्टी के दिन उनका जन्मदिन मनाती थीं।"
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
"बिन्नी ने घास चबाते हुए सर हिलाया, जैसे कि वह धनी की बात समझ रही थी। धनी को भूख लगी। कूदती-फाँदती बिन्नी को लेकर वह रसोईघर की तरफ़ चला। उसकी माँ चूल्हा फूँक रही थीं और कमरे में धुआँ भर रहा था।"
स्वतंत्रता की ओर
"”अम्मा, क्या गाँधी जी कहीं जा रहे हैं?“ उसने पूछा। खाँसते हुए माँ बोलीं, ”वे सब यात्रा पर जा रहे हैं।“"
स्वतंत्रता की ओर
"क्या तुमने कभी बुरी सुबह बिताई है, जब तुमने आधी नींद में बहुत सारा पेस्ट फैला दिया हो और अचानक से जगे, क्योंकि पूरा सिंक पेस्ट से भरा था और माँ याद दिला रही थी कि 20 मिनट में स्कूल बस दरवाज़े पर आ जाएगी। उस समय तुम यही चाह रहे होगे कि माँ वह सब साफ़ कर दे जो तुमने गंदा किया।"
टूथपेस्ट ट्यूब के अंदर कैसे आया?
"रसोई से माँ के तले पकौड़ों की सुगन्ध आ रही है।"
गरजे बादल नाचे मोर
"माँ हमें पीने को गर्म दूध देती हैं। कल उन्होंने मसालेदार मुरमुरे बनाए थे। और माँ ने कहा है कि कल वे पूड़ियाँ बनाने वाली हैं!"
गरजे बादल नाचे मोर
"“तारा! बातें बनाना बंद करो,” माँ ने कहा।"
तारा की गगनचुंबी यात्रा
""यह एक फिसलपट्टी है," माँ कहती हैं।"
टुमी के पार्क का दिन
""ज़रूर!" माँ कहती हैं।"
टुमी के पार्क का दिन
""समझदार लड़की! माँ कहती हैं। "आपको गिनती आती है!""
टुमी के पार्क का दिन
""मैं गोगो के लिए एक फोटो लेती हूँ" माँ ने कहा."
टुमी के पार्क का दिन
"“नहीं मनु, आज नहीं। आज बरसाती मत पहनना नहीं तो तुम अजीब लगोगे,” माँ बोलीं।"
लाल बरसाती
"“आज नहीं बेटा! आज तो आसमान मे स़िर्फ एक नन्हा सफ़ेद बादल है,” माँ बोलीं।"
लाल बरसाती
"“बेटे, मुझे लगता है बारिश जल्दी होगी शायद आज दोपहर तक हो जाये।” माँ बोलीं।"
लाल बरसाती
"“नहीं, प्यारे बेटे! आज बारिश नहीं होगी। नन्हे सफ़ेद बादल आसमान में बहुत ऊँचाई पर हैं,” माँ बोलीं।"
लाल बरसाती
"“मनु! तुम अपनी बरसाती भूल गए।” माँ उसके पीछे दौड़ती हुई बोलीं।"
लाल बरसाती
"सत्यम को रविवार का इंतज़ार रहता है क्योंकि हर रविवार वह माँ के साथ खेत पर जाता है।"
सत्यम, ज़रा संभल के!
"सत्यम ख़रगोश की तरह फुदका, उसने हिरण की तरह कुलाँचें भरीं... "अरे! संभल कर! कीचड़ में फिसल मत जाना," माँ ने कहा।"
सत्यम, ज़रा संभल के!
""ज़रा काँटों से बचना," माँ ने ज़ोर से कहा।"
सत्यम, ज़रा संभल के!
""अरे बंदर, ज़रा मज़बूत डाल पकड़," माँ ने डर कर कहा।"
सत्यम, ज़रा संभल के!
""गहरे पानी में मत जाना बेटा," माँ ने होशियार किया।"
सत्यम, ज़रा संभल के!
""ज़रा पैर जमा कर!" माँ ने घबरा कर कहा।"
सत्यम, ज़रा संभल के!
"थक कर सत्यम माँ की पीठ पर लद गया। दोनों ऊँची-नीची पगडंडियों पर चढ़ते उतरते, खेत-जंगल-झरने पार करते घर लौटे।"
सत्यम, ज़रा संभल के!
"लेकिन नीना कुछ भी सुनने को तैयार ही नहीं है। रेलगाड़ी में माँ और बाबा ने उसे मनाने की बहुत कोशिश की।"
एक सफ़र, एक खेल
"‘‘ओह! मेरा पसंदीदा खेल,’’ माँ बोली।"
एक सफ़र, एक खेल
"‘‘मेरे जूते? पहाड़ियाँ? सूटकेस?’’ माँ ने पूछा।"
एक सफ़र, एक खेल
"‘‘अब मेरी बारी है,’’ माँ ने कहा।"
एक सफ़र, एक खेल
"‘‘ठीक बताया,’’ माँ ने नीना के लिए तालियाँ बजायीं।"
एक सफ़र, एक खेल
"‘‘आसमान!” माँ ने कहा।"
एक सफ़र, एक खेल
"‘‘कुछ भूरे रंग का देख रही हूँ मैं,’’ माँ ने कहा।"
एक सफ़र, एक खेल
"‘‘घास!’’ माँ और बाबा एक साथ बोले।"
एक सफ़र, एक खेल
"‘‘मुझे कुछ काले रंग का दिखाई दे रहा है,’’ माँ ने कहा।"
एक सफ़र, एक खेल
"‘‘क्या तुम्हें तेंदुआ दिखाई दिया?’’ माँ ने पूछा।"
एक सफ़र, एक खेल
"बाबा और माँ ने एक कंबल सीट पर बिछाया। फिर हवा वाले एक तकिये को फूंक कर फुलाया।"
एक सफ़र, एक खेल
"स्कूल में आज मेरा पहला दिन है। माँ मेरा हाथ पकड़े हुए हैं और मेरे साथ चल रही हैं।"
स्कूल का पहला दिन
"जैसे मैं आगे बढ़ती जाती हूँ, माँ छोटी दिखती जाती हैं।"
स्कूल का पहला दिन
"स्कूल में आज मेरा पहला दिन है। माँ मेरा हाथ पकड़े हुए हैं और मेरे साथ चल रही हैं।"
स्कूल का पहला दिन
"जैसे मैं आगे बढ़ती जाती हूँ, माँ छोटी दिखती जाती हैं।"
स्कूल का पहला दिन
"मेरी माँ और दादी अपनी साड़ियाँ बक्से में रखती हैं।"
मेरा घर
"साथ में आज माँ का एक नया गाना।"
चुन्नु-मुन्नु का नहाना
"तौलिया लेके माँ का पास आना।"
चुन्नु-मुन्नु का नहाना
"साथ में आज माँ का एक नया गाना।"
चुन्नु-मुन्नु का नहाना
"तौलिया लेके माँ का पास आना।"
चुन्नु-मुन्नु का नहाना
"“ओहो! तुमने तो फाटक को दो रंगों में रंग डाला!” पुताई वाला भैया भन्नाया। “चलो अब इसे ऐसे ही रहने देते हैं!” माँ ने कहा।"
नन्हे मददगार
"सोना की माँ साड़ी पर ठप्पे से छपाई कर रही थीं।"
सोना बड़ी सयानी
"कमरा माँ के छपाई के सामान से भरा था।"
सोना बड़ी सयानी
"जब माँ के कमरे से चुप्पी हो, तो सोना जान जाती माँ ठप्पे पर अच्छे से रंग लगा रही होंगी। तब वह भी रंग लगाती। जब आवाज़ आती ठप्प तो सोना भी अपना ठप्पा कपड़े पर दबा देती।"
सोना बड़ी सयानी
"थोड़ी देर बाद माँ ने आवाज़ दी, “सोना तुमने मेरी चाभियाँ देखी हैं? मुझे कहीं मिल ही नहीं रहीं।”"
सोना बड़ी सयानी
"सोना माँ के पास गई।"
सोना बड़ी सयानी
"उसने माँ को कमर से पकड़ लिया।"
सोना बड़ी सयानी
"“यह क्या सोना?” माँ और परेशान हो गईं।"
सोना बड़ी सयानी
"सोना ने माँ की कमर में दबा ओढ़नी का सिरा निकाला।"
सोना बड़ी सयानी
"“अरे! तुमने कैसे जाना?” माँ हैरान हो गईं।"
सोना बड़ी सयानी
"मीठी झिड़की दे माँ कहती"
सबरंग
"वह अपनी माँ के साथ एक शास्त्रीय संगीत के कार्यक्रम में जा रहा था।"
संगीत की दुनिया
"उसने एक सुन्दर नीला कुर्ता पहना। माँ ने भी नीले रंग की साड़ी पहनी।"
संगीत की दुनिया
"मौसी ने विवान से कहा, "चलो अब कार्यक्रम शुरू होने वाला है। तुम माँ के साथ हाल में जाकर बैठो।""
संगीत की दुनिया
"विवान और माँ हाल में जाकर अपनी अपनी कुर्सी पर बेठे।"
संगीत की दुनिया
"तुम्हें तो पता ही है कि वह कितनी गप्पी है! हम दोनों ने कई बार चाय पी और वे सारे लड्डू खा गई जो तुम्हारी माँ ने बनाए थे।" नानी बोलीं।"
नानी की ऐनक
"तब तक चूज़े की माँ पपीते के पेड़ के नीचे से चिल्लाई-कुड़ कुड़ कुड़ कुड़।"
दाल का दाना
"मेरी नाक सुन सकती है कि माँ रसोई में जलेबियाँ तल रही हैं
।"
चुप! मेरी नाक कुछ कह रही है...
"और अपने पेट को, माँ की स्वादिष्ट, गरम-गरम जलेबियाँ हड़पते!"
चुप! मेरी नाक कुछ कह रही है...
""मैं भगाती हूँ इसे," माँ ने बहादुरी दिखाते हुए कहा।"
चूहा सिकंदर, घर के अंदर
"चूहा दिखते ही माँ बिस्तर के नीचे छुप गईं!"
चूहा सिकंदर, घर के अंदर
""अरे बेटा! मैं दादाजी की ऊनी टोपी की सिलाई कर रही थी, और मेरे हाथ से सुई नीचे गिर गई," दादी माँ बोलीं।"
गुल्ली का गज़ब पिटारा
""धन्यवाद गुल्ली बेटा, तुम तो बहुत सयाने हो। और तुम्हारा यह छोटा, भूरा बक्सा सचमुच गज़ब का है," दादी माँ मुस्कुराते हुए बोलीं।"
गुल्ली का गज़ब पिटारा
"चन्दू ने माँ को प्यार किया और बोला, “सबसे अच्छा तो अब लग रहा है।”"
उड़ते उड़ते
"- छिलका रखने के लिए माँ या पापा से एक छोटा लिफ़ाफ़ा ले जाईये, स्कूल पहुँचने के बाद याद से छिलके को कूड़ेदान में डाल दीजिये।"
कचरे का बादल
"“चिकनकारी तो हम पिछली तीन पुश्तों से करते आ रहे हैं। मैंने अपनी अम्मी से और अम्मी ने नानी से यह हुनर सीखा,” मुमताज़ बोली, “मेरी नानी लखनऊ के फ़तेहगंज इलाके की थीं। लखनऊ कटाव के काम और चिकनकारी के लिए मशहूर था। वे मुझे नवाबों और बेग़मों के किस्से, बारादरी (बारह दरवाज़ों वाला महल) की कहानियाँ, ग़ज़ल और शायरी की महफ़िलों के बारे में कितनी ही बातें सुनाया करतीं। और नानी के हाथ की बिरयानी, कबाब और सेवैंयाँ इतनी लज़ीज़ होती थीं कि सोचते ही मुँह में पानी आता है! मैंने उन्हें हमेशा चिकन की स़फेद चादर ओढ़े हुए देखा, और जानते हो, वह चादर अब भी मेरे पास है।” नानी के बारे में बात करते-करते मुमताज़ की आँखों में अजीब-सी चमक आ गई, “मैंने अपनी माँ को भी सबुह-शाम कढ़ाई करते ही देखा है, दिन भर सुई-तागे से कपड़ों पर तरह-तरह की कशीदाकारी बनाते।”"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"जानती हो कल क्या हुआ? गौरव, अली और सातवीं कक्षा के उनके दो और दोस्त स्कूल की छुट्टी के बाद मेरे पीछे पड़ गए। तुम समझ ही गई होगी कि वह क्या जानना चाहते होंगे! उन्होंने मेरा बस्ता छीन लिया और वापस नहीं दे रहे थे। बाद में उन्होंने उसे सड़क किनारे झाड़ियों में फेंक दिया। उसे लाने के लिए मुझे घिसटते हुए ढलान पर जाना पड़ा। मेरी कमीज़ फट गई और माँ ने मुझे डाँटा।"
थोड़ी सी मदद
"मुझे लगता है कि मुझे यह बात पहले ही तुम्हें बता देनी चाहिए थी- जब भी वार्षिकोत्सव आने वाला होता है, प्रिंसिपल साहब कुछ सनक से जाते हैं। वे तुम पर चिल्ला सकते हैं - वे किसी को भी फटकार सकते हैं। अगर ऐसा हो, तो बुरा न मानना। मेरी माँ कहती है कि वे बहुत ज़्यादा तनाव में आ जाते हैं, क्योंकि वार्षिकोत्सव कैसा रहा इससे पता चलता है कि उन्होंने काम कैसा किया है।"
थोड़ी सी मदद