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Storybook paragraphs containing word (32)
"चीजें इकट्ठी करना टूका और पोई को बहुत पसंद है। नदी के किनारे बीने गए चिकने कंकड़, फ़र्न के घुमावदार और गुदगुदे पत्ते, सुर्ख़ लाल रंग के बटन जो उनकी स्कूल यूनिफॉर्म से गिरे हों - टूका और पोई सब बटोर लेते हैं। रोज़ ही, स्कूल के बाद, वे नदी के किनारे झुके हुए नारियल के पेड़ के पास मिलते हैं और अपने सबसे प्यारे दोस्त का इंतज़ार करते हैं।"
आओ, बीज बटोरें!
"एक दिन टूका, पोई और इंजी, रोज़ की तरह, इमली के पेड़ के नीचे बैठे हुए थे। टूका का पसंदीदा बीज, इसी पेड़ से मिलता था।"
आओ, बीज बटोरें!
"उस पेड़ पर लगी हुई इमली का खट्टा-मीठा स्वाद टूका को बेहद पसंद था। वह उसे चूसते हुए मज़ेदार चेहरे बनाता था और उसके बाद उसमें अंदर से भूरे रंग के चमकदार बीज निकालता था। इमली के चटपटे स्वाद से टूका की गर्दन के रौंगटे खड़े हो जाते थे।"
आओ, बीज बटोरें!
"यह कहकर पोई इमली के पेड़ से गले लग गई। पच्चा खिलखिलाया, ”आज से पहले मुझे कभी किसी छोटी लड़की ने गले नहीं लगाया है। मुझे गुदगुदी हो रही है!”"
आओ, बीज बटोरें!
"”और हम भी इससे पहले कभी किसी बोलने वाले पेड़ से नहीं मिले!” टूका ने चहकते हुए कहा। ”इसलिए, हम सभी के लिए कुछ न कुछ नया है।” इतना सुनकर, पच्चा जोर से हँसा, और उसके हँसते ही, उसके डालों की सारी पत्तियाँ सुर्ख़ हरी हो गई।"
आओ, बीज बटोरें!
"“क्या सारे बीज इमली के पेड़ ही बनते हैं?“ पोई ने पूछा और याद करने की कोशिश की कि घर में उसके पास कितने तरीके के बीज थे।“अरे नहीं! बीजों से तो कई प्रकार की जीवंत चीज़ें विकसित होती हैं,“ पच्चा ने उत्तर देते हुए कहा।"
आओ, बीज बटोरें!
"“हैं न प्यारे? वैसे ये बीज ही बड़े होकर सेब का पेड़ बनते हैं,“ पच्चा बोला।"
आओ, बीज बटोरें!
"नारियल के पेड़ की पत्तियां कितनी सुडौल थीं, ऐसा लग रहा था कि हवा में नाच रही हों। नीले-नीले आसमान में लाल गुलमोहर के फूल कितने निराले लग रहे थे। सुंदर सी खुरदुरी छाल वाला आम का पेड़ कितना अच्छा लग रहा था।"
आओ, बीज बटोरें!
"और कभी-कभार वे पच्चा पेड़ से बातें करने भी रुक जाते हैं।"
आओ, बीज बटोरें!
"हैलो! मेरा नाम पच्चा है, मैं एक इमली का पेड़ हूँ। लेकिन मेरे और भी कई नाम हैं। हिंदी में मुझे इमली, तमिल में पुली और बंगाली में तेंतुल कहा जाता है। वैज्ञानिक मुझे, टैमरिंडस इंडिका कहते हैं। चलिए मैं आपको अपने कुछ अन्य बीज मित्रों से मिलवाता हूँ। शायद उनमें से कईयों को आपने अपने भोजन की थाली में ज़रूर देखा होगा।"
आओ, बीज बटोरें!
"“हमारे स्कूल के बाहर खड़ा वो लंबा पेड़ तुम्हें याद है? "
तारा की गगनचुंबी यात्रा
"लेकिन पेड़ से उतरना मैं जानती ही नहीं थी।”"
तारा की गगनचुंबी यात्रा
"अगली सुबह, बंटी सभी पक्षियों को अपने घर के पेड़ के पास खुशी से गाते हुए सुनता है।"
बंटी और उसके गाते हुए पक्षी
"संख्या नौ से पेड़ पर बैठी गिलहरी बनती है।"
कितनी मज़ेदार है बांग्ला संख्याएं
"इमली के आठ पेड़ कस्बे की सड़क के किनारे,"
हर पेड़ ज़रूरी है!
"एक लंबे अंतराल के बाद पेड़ पौधों में नयी पत्तियाँ आ रहीं हैं।"
बारिश हो रही छमा छम
"यह हैं जादव। जादव को पेड़ लगाने का जुनून है।"
जादव का जँगल
"“बेचारे साँप गर्मी से बेहाल हैं! काश, इन्हें यहाँ थोड़ी सी छाया मिल जाती! काश, इस उजाड़ जगह पर कुछ पेड़ होते!”"
जादव का जँगल
"जो कभी एक बिना-पेड़ों-वाली-जगह हुआ करती थी, ऐसी बँजर और बेकार जगह अब एक शानदार, हरियाली से भरी कई-पेड़ों-वाली-जगह बन गई थी।अब यहाँ हरे-भरे पेड़ लहलहा रहे थे।"
जादव का जँगल
"लेकिन जहाँ बहुत सारे पेड़ हों, वहाँ पेड़ों पर रहने वाले जीव-जंतु न हों, ऐसा कैसे हो सकता था? एक जीव से शुरू हुआ यह सिलसिला आगे बढ़ता चला गया।"
जादव का जँगल
"वह निकल पड़े दुनिया भर में पेड़ लगाने।"
जादव का जँगल
"वह पेड़ लगाते रहे।"
जादव का जँगल
"लेकिन अब भी उन्होंने पेड़ लगाना बंद नहीं किया है।"
जादव का जँगल
"वह पेड़ लगाते जा रहे हैं।"
जादव का जँगल
"जादव तब तक पेड़ लगाते रहेंगे जब तक कि सारी दुनिया,"
जादव का जँगल
"सोलह साल की उम्र में ब्रह्मपुत्र के रेतीले किनारे पर साँपों को गर्मी में तड़प-तड़प कर मरते देख जादव बेहद दुःखी हुए, और उन्होंने वहाँकुछ छायादार पेड़ लगाने का फ़ैसला किया। सबसे पहले उन्होंने आसानी से पनपने वाले बाँस लगाए। बड़ी मेहनत से एक-एक करके लगातार पेड़ लगाते-लगाते उन्होंने पूरा जँगल ही खड़ा कर दिया। यह 1979 की बात है।"
जादव का जँगल
"अगले तीन दशकों में जादव ने पेड़ लगा-लगा कर बंजर ज़मीन की सूरत और सीरत बदल डाली। नदी की धारा में साढ़े पाँच सौ हैक्टेयर का रेतीला टापू अब घने जँगल में बदल चुका है जिसमें किस्म-किस्म के पेड़-पौधे और जीव-जंतु पाए जाते हैं। इनमें हाथी, बाघ, कपि, हिरन और कई किस्म के स्थानीय और प्रवासी पक्षी शामिल हैं। जादव ने हर रोज़ ख़ुद जाकर अपने जँगल की देखरेख का सिलसिला जारी रखा है। आज भी उन्हें जहाँ कहीं थोड़ी सी ख़ाली जगह दिखाई देती है, वह वहाँ पेड़-पौधे लगा देते हैं।"
जादव का जँगल
"आम खाएँ और पेड़ लगाएँ, पेड़ के साथ बड़े हो जाएँ!"
जादव का जँगल
"कुछ साल में, जब आप पहले से लंबे हो जाएँगे, तब आपका आम का पेड़ भी आपके साथ बढ़ रहा होगा। बढ़ते-बढ़ते वह एक बड़े पेड़ में बदल जाएगा जिस पर आप चाहें तो चढ़ सकेंगे, या फिर उसके साये में पिकनिक कर सकेंगे। तब शुरू होगा असली मज़ा! तब आपका पेड़ आम देने लगेगा, जिन्हें आप और आपके दोस्त खा सकेंगे। इससे भी ज़्यादा बढ़िया बात यह होगी कि आम खाना पसंद करने वाले तमाम दूसरे जीव भी आपके पेड़ की ओर खिंचे चले आएंगे - पक्षी, चींटियाँ, गिलहरियाँ, चमगादड़, बन्दर और मकड़ियाँ।"
जादव का जँगल
"इनमें से कुछ फल खाने आएँगे, कुछ पेड़ का रस पीने आएँगे, कुछ इसके फूलों का रस पीने आएँगे और कुछ जीव इस पेड़ पर जमघट लगाये जीवों को चट करने के चक्कर में होंगे! सभी पेट भरने के चक्कर में रहेंगे, ऐसा भी नहीं है। कुछ ऐसे भी जीव होंगे जो आपके पेड़ की छाँव में आराम करने, उसकी डालों में कुछ देर चैन की नींद लेने आएँगे। आपका पेड़ अलग-अलग जीवों के लिए अलग काम का होगा!"
जादव का जँगल
"तब आप रोज़ाना कुछ समय यह देखने में बिता सकते हैं कि आपके आम के पेड़ पर कौन आता है, कब आता है, और क्या करता है। आप जो कुछ देखें उसे एक जगह लिख कर रखें। इसके अलावा, आप जो कुछ देखें उसके चित्र भी बना कर रखें।"
जादव का जँगल
"अपना पारिवारिक पेड़ बनाना जैसा कि आपको अब तक जान ही गए होंगे की लांगलेन की इम्मा (मम्मी) मणिपुर से हैं और अप्पा (पापा) तमिलनाडु से। क्या आप भी लांगलेन की तरह (पेज 7 और पेज 8) अपना पारिवारिक पेड़ बनाना चाहेंगे? एक कागज़ और पेन उठाइये और इसे तुरंत ही बनाइये। यदि आप कहीं भी अटक जाएं, तो अपने परिवार वालों की मदद लें।"
कहाँ गये गालों के गड्ढे?