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Storybook paragraphs containing word (20)
"जीवन में सब कुछ ठीक-ठाक था, अर्जुन को इस से ज़्यादा कुछ नहीं चाहिए था।"
उड़ने वाला ऑटो
"“क्या फ़ायदा इसका?,” वह सोचने लगे। जीवन में ऐसा कुछ बहुत पहले कभी उन्होंने चाहा था। लेकिन अब वह जान गए थे कि जो सच है वह सच ही रहेगा। शिरीष जी को अब अपना ही चेहरा चाहिए था।"
उड़ने वाला ऑटो
"मकान बनाने के लिए सब से पहले तो जगह चाहिए होती है।"
सबसे अच्छा घर
"मकान बनाने के लिए, कई सामान चाहिए होते हैं। जहाँ आप को मकान बनाना हो, वहीं उसे बनाने के सामान भी मिल जाते हैं।"
सबसे अच्छा घर
"मकान बनाने से पहले आपको पता होना चाहिए कि आप को उस में क्या खूबी चाहिए।"
सबसे अच्छा घर
""तुम दोनों तो बहुत बड़े जासूस हो गए हो!" अम्मा मुस्कायीं। "और मुझे लगता है तुम दोनों और मुत्तज्जी की ख़ास दावत होनी चाहिए - यानि एक बड़ा सा केक, गुलाबी आइसिंग और जिसके ऊपर लगा हो एक गुलाब!""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
"“यह देख गिलहरियाँ मदद के लिए चिल्लाने लगीं। तुम्हें उन्हें सुनना चाहिए था! "
तारा की गगनचुंबी यात्रा
"पापा ने पूछा, “तुम्हें कुछ चाहिए मलार बेटा?”"
मलार का बड़ा सा घर
""माफ़ करना, पर आराम करने के लिए सपाट चट्टान चाहिए तो मैं बता दूँ!" घोंघे ने कहा।"
घूम-घूम घड़ियाल का अनोखा सफ़र
"तुम्हें इस तरह चलना चाहिए - धी... रे... धी... रे...।”"
एक सौ सैंतीसवाँ पैर
"“चिंता मत कीजिए अप्पा हमें बस कचरा चाहिए कम्पोस्ट बनाने के लिए।”"
रोज़ और रॉकी चले कम्पोस्ट बनाने
"“हमें चाहिए ढेरों छिलके फलों के, सब्जियों के! देखा, अब हम कुछ भी बर्बाद नहीं किया करेंगे।”"
रोज़ और रॉकी चले कम्पोस्ट बनाने
"“हमें चाहिए ढेरों अखबार!”"
रोज़ और रॉकी चले कम्पोस्ट बनाने
"“हमें चाहिए सूखे पत्ते!”"
रोज़ और रॉकी चले कम्पोस्ट बनाने
"“और चाहिए पानी!”"
रोज़ और रॉकी चले कम्पोस्ट बनाने
"क्या हमें ऐसी किताब खरीदनी चाहिए जिसमें ढेर सारे चित्र हों?"
चलो किताबें खरीदने
"क्या हमें वह किताब खरीदनी चाहिए जिसमें खूब कहानियाँ हों?"
चलो किताबें खरीदने
"चीकू जानती थी कि उसे अम्मा का कहना मानना चाहिए था।"
कचरे का बादल
"फ़सल तैयार हो गई और उसे बेचा गया। ओम ने कहा, “मुझे धनराशि का ज़्यादा भाग मिलना चाहिए क्योंकि मैंने खेत में ज़्यादा मेहनत की है।” दूसरी ओर घनश्याम ने कहा, “मैंने भी दिन-रात भगवान की पूजा की जिससे अच्छी फ़सल तैयार हुई है।”"
मेहनत का फल
"मुझे लगता है कि मुझे यह बात पहले ही तुम्हें बता देनी चाहिए थी- जब भी वार्षिकोत्सव आने वाला होता है, प्रिंसिपल साहब कुछ सनक से जाते हैं। वे तुम पर चिल्ला सकते हैं - वे किसी को भी फटकार सकते हैं। अगर ऐसा हो, तो बुरा न मानना। मेरी माँ कहती है कि वे बहुत ज़्यादा तनाव में आ जाते हैं, क्योंकि वार्षिकोत्सव कैसा रहा इससे पता चलता है कि उन्होंने काम कैसा किया है।"
थोड़ी सी मदद