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Storybook paragraphs containing word (59)
"दादी ने कहा,“शाबाश मालू! जाओ थोड़े आलू भी ले आओ।”"
आलू-मालू-कालू
"घर जाते समय ज़ोर की हवा चली। वह मेरी टोपी उड़ा ले गई।"
चाँद का तोहफ़ा
"अलग-अलग परिवारों को लाजपत नगर के बाज़ार ले जाना, अर्जुन को बहुत पसंद था। सैलानी जब चार पहियों की जगह तीन पहियों की सवारी चुनते तो उसका मन खुशी से झूम उठता। शिरीष जी के साथ कुतुब मीनार के पास पेड़ की छाँव में आराम करना उसे बहुत अच्छा लगता।"
उड़ने वाला ऑटो
"जानवरों की खालों और छड़ियों से बनी आदिवासी अमेरिकनों की टीपी ठंड से बचाती है। इन्हें लपेट कर कहीं ले जाना भी आसान होता है।"
सबसे अच्छा घर
"खेमा: मंगोलिया के लोग लकड़ी के ढाँचे और मोटे ऊनी नमदे के कालीनों से ख़ूब गर्म और हल्के घर बनाते हैं। जब कहीं और जाना हो तो लोग लकड़ी की पट्टियों और नमदों को घोड़ों और याकों पर लाद कर मकान को भी साथ ले जाते हैं।"
सबसे अच्छा घर
"टीपी: अमेरिका के मैदानी इलाकों के आदिवासी छड़ियों और जानवरों की खालों से बहुत हल्के घर बनाते हैं। खेमे की तरह इन्हें भी खोल कर कहीं और ले जा सकते हैं।"
सबसे अच्छा घर
"मधुमक्खियाँ एक बहुत फायदे के काम के लिए भी भन-भन करती हैं; वे पराग यानि छोटे-छोटे भुरभुरे दानों को एक फूल से दूसरे तक ले जाती हैं, जैसे कोई डाकिया चिट्ठियाँ पहुँचा रहा हो।"
मधुमक्खियाँ क्यों भन-भन करती हैं?
"इस महान यंत्र की सहायता से हम हवा में उड़ने का मज़ा ले सकते हैं। पक्षी हवाई जीव होते हैं जिन्हें उड़ने के लिए बाहरी यंत्र की ज़रूरत नहीं होती। आमतौर पर, एक पक्षी के पंख उसके शरीर से बड़े होते हैं। पंख बड़े हल्के होते हैं और इसलिए वे उड़ पाते हैं।"
हवाई जहाज़ कैसे उड़ते हैं?
"धनी बिन्नी को खींच कर ले गया और पास के नीबू के पेड़ से बाँध दिया। फिर बिन्दा ने उसे यात्रा के बारे में बताया। गाँधी जी और उनके कुछ साथी गुजरात में पैदल चलते हुए, दाँडी नाम की जगह पर समुद्र के पास पहुँचेंगे। गाँवों और शहरों से होते हुए पूरा महीना चलेंगे। दाँडी पहुँच कर वे नमक बनायेंगे।"
स्वतंत्रता की ओर
"“हाँ ज़रूर, ले लो,” पापा ने कहा।"
मलार का बड़ा सा घर
"हर दिन, उसके पिता अन्य पक्षियों को पकड़ने में मदद करने के लिए एक पक्षी को जंगल में ले जाते हैं।"
बंटी और उसके गाते हुए पक्षी
"वे पक्षियों को पकड़ लेते हैं और एक-एक करके अपने घर ले आते हैं।"
बंटी और उसके गाते हुए पक्षी
"बंटी और उसके पिता पक्षियों को जंगल में ले जाते हैं और उन्हें मुक्त करते हैं।"
बंटी और उसके गाते हुए पक्षी
"राजू पहली बार हवाई-अड्डे के अंदर आया था। उस चौड़े-बड़े से पट्टे पर रखने में अम्मा की मदद की जो सामान को एक मशीन के अंदर ले जा रहा था।"
राजू की पहली हवाई-यात्रा
""वह महिला अफ़सर सुरक्षा जाँच टीम की सदस्य है। उन्हें इस बात का ध्यान रखना होता है कि कोई भी यात्री अपने सामान में विस्फोटक या चाक़ू जैसी ख़तरनाक चीज़ें न ले जा पाए। हमें उनके काम में बाधा नहीं डालनी चाहिए।""
राजू की पहली हवाई-यात्रा
"“माँ, अगर बारिश हुई तो? क्या मैं अपने साथ बरसाती ले जाऊँ?” मनु ने पूछा।"
लाल बरसाती
"- परवेज़ जब सिर्फ पांच महीने का था तब उसके माता-पिता ने देखा कि वो ज़ोर की आवाजें बिलकुल भी नहीं सुन पाता था। वे उसे डॉक्टर के पास ले गए जिन्होंने बताया कि परवेज़ ने सुनने की शक्ति खो दी है। डॉक्टर ने समझाया कि परवेज़ की मदद कैसे की जा सकती है ताकि वो हर वो चीज़ सीख सके जो आम बच्चा सुन सकता है।"
कोयल का गला हुआ खराब
"चलो दीदी की जगह को ख़ूबसूरत बनाएं। बच्चे कचरे से एक कुर्सी-टेबल ले आए।"
दीदी का रंग बिरंगा खज़ाना
"मुनिया को यह अहसास हमेशा सताता रहता कि गजपक्षी को पता है कि मुनिया कहीं आसपास है, क्योंकि वह अक्सर उस पेड़ की दिशा में देखता जिसके पीछे वह छुपी होती। हर सुबह मुनिया गाँव के कुएँ से तीन मटके पानी भर लाती और लकड़ियाँ ले आती ताकि उसकी अम्मा चूल्हा फूँक सकें। इसके बाद वह हँसते-खेलते अपनी झोंपड़ी से बाहर चली जाती। अम्मा समझतीं कि वह गाँव के बच्चों के साथ खेलने जा रही है। उन्हें यह पता न था कि मुनिया जंगल में उस झील पर जाती है जहाँ वह विशालकाय एक-पंख गजपक्षी रहता था।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी
"लेकिन गाँव वाले सारथी को क्या जवाब देते? उनके सिर शर्म से झुके हुए थे। मुनिया के पिताजी अपनी बेटी के पास गये, और उसे अपनी गोद में उठाकर उसे वापस गाँव ले आये। बस फिर क्या था, उस दिन के बाद से कोई भी बच्चा मुनिया के लँगड़ाने पर नहीं हँसा। वे सब अब उसके दोस्त होना चाहते थे। लेकिन केवल भीमकाय ही मुनिया का अकेला सच्चा मित्र बना रहा। मुनिया की कहानी तमाम गाँवों में फैली, और दूरदराज़ के ग्रामीण फुसफुसाकर एक-दूसरे से कहते, “देखा, मुनिया जानती थी कि उस विशालकाय एक-पंख गजपक्षी ने घोड़े को नहीं डकारा!”"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी
"कुछ ले आओ।”"
सैर सपाटा
"सब फटाफट कुछ न कुछ ले आये।"
सैर सपाटा
"खरगोश गाजर ले आया।"
सैर सपाटा
"कुछ ले आओ।”"
सैर सपाटा
"सब फटाफट कुछ न कुछ ले आये।"
सैर सपाटा
"खरगोश गाजर ले आया।"
सैर सपाटा
"एक रोज़ ले पोथी संग"
सबरंग
"माँ की प्रिय सहेली, राधिका मौसी कार्यक्रम में हिस्सा ले रहीं थीं।"
संगीत की दुनिया
"जहाँ चाहो इसे साथ ले जाना।""
संगीत की दुनिया
"किनारे पर एक नाव बाँस से बँधी हुई थी। वे दोनों उसकी रस्सी खोलने भागे। नौका पर सवार होकर, वे सैर का मज़ा ले रहे थे।"
नौका की सैर
"चींटी दाने को खींचकर अपने घर की ओर ले जाने लगी।"
दाल का दाना
"उन्होंने बाल्टी का चक्कर लगाया और दाने को खींचकर घर ले चलीं।"
दाल का दाना
"दुकानदार हमें देखकर मुस्कराया।
“बच्चों, आओ मेरे साथ,” उसने कहा।
“यह किताबें जानवरों के बारे में हैं। वे परियों के बारे में हैं।
ऊपर वाली लड़ाइयों के बारे में हैं। तुम्हें जो चाहिए, ले लो।”"
चलो किताबें खरीदने
"गुल्ली झट से ले आया अपना छोटा, भूरा बक्सा।"
गुल्ली का गज़ब पिटारा
""आप यहाँ आराम से कुर्सी पर बैठें, और मैं ले आता हूँ अपने छोटे, भूरे बक्से में से कुछ ख़ास चीज़।""
गुल्ली का गज़ब पिटारा
"चीनू दौड़ कर ठेले से एक और खाली बोरी ले आया। वे लिफ्ट में ऊपर जाने वाले थे! चीनू की आँखें बड़ी-बड़ी और गोल हो गईं।"
कबाड़ी वाला
"- छिलका रखने के लिए माँ या पापा से एक छोटा लिफ़ाफ़ा ले जाईये, स्कूल पहुँचने के बाद याद से छिलके को कूड़ेदान में डाल दीजिये।"
कचरे का बादल
"- केले वाले लिफ़ाफ़े की तरह कई चीज़ें आपको बेकार लगती होंगी, लेकिन सब चीज़ें बेकार नहीं होतीं। छिलके के साथ लिफ़ाफ़े को बिल्कुल नहीं फेंकना, उसे वापस घर ले जाकर दोबारा इस्तेमाल कीजिये।"
कचरे का बादल
"काका खुद को बहुत बाँका समझता था। उसे यह बात अच्छी नहीं लगी कि वह सा़फ -सुथरा नहीं दिख रहा। वह झटपट पानी की धारा के पास पहुँचा। वह धारा में अपनी चोंच डुबो ही रहा था कि धारा ज़ोर से चिल्लाई, “काका! रुको! अगर तुमने अपनी गन्दी चोंच मुझ में डुबोई तो मेरा सारा पानी गन्दा हो जायेगा। तुम एक कसोरा ले आओ। उस में पानी भरकर अपनी चोंच उसी में धो लो।”"
काका और मुन्नी
"कुम्हार बोला, “मैं तो बड़ी खुशी से तुम्हारे लिए कसोरा बनाऊँ, लेकिन मुझे उसके लिए मिट्टी की ज़रूरत है। तुम ज़रा फटाफट मिट्टी ले आओ।”"
काका और मुन्नी
"थोड़ी मिट्टी मैं ले लूँ"
काका और मुन्नी
"“बरसात अभी हुई नहीं है। मैं अभी सूखा सख्त हूँ, मुझे खोदने के लिए फ़ौरन कोई नुकीली चीज़ ले आओ,” खेत बोला।"
काका और मुन्नी
"हिरन चिढ़ कर बोला “अरे अकलमन्द की पूँछ, ज़रा यह बता तो सही कि जब तक मैं ज़िन्दा हूँ तू मेरा सींग कैसे ले सकता है?”"
काका और मुन्नी
"“अजी ओ भैया कुत्ते प्यारे, काका आया पास तुम्हारे आज तुम्हें दावत खिलवाऊँ मोटा-ताज़ा हिरन दिखाऊँ, बस सींग उसका मैं ले लूँगा उससे थोड़ी मिट्टी खोदूँगा मिट्टी कुम्हार को दे दूँगा जिससे बनाये वो एक कसोरा जिसमें मैं पानी भर लाऊँ अपनी गन्दी चोंच धुलाऊँ फिर खा लूँ मुन्नी के अंडे और काँव-काँव चिल्लाऊँ ताकि सभी सुनें और जान जायें मैं हूँ सबसे बाँका सबसे छैला कौवा!”"
काका और मुन्नी
"कुत्ते बड़बड़ाए, “हिरन मारने के लिए हमें ताकत चाहिए। जाओ थोड़ा दूध ले आओ, फिर सोचते हैं।”"
काका और मुन्नी
"जिसके सींग मैं ले लूँगा"
काका और मुन्नी
"उसके सींग मैं ले लूँगा"
काका और मुन्नी
"“लेकिन तुम मुझे काटोगे कैसे?” घास फुसफुसाई, “पहले लुहार से हँसिया तो ले आओ।”"
काका और मुन्नी
"उसको अपने साथ ले जाऊँ"
काका और मुन्नी
"उसके सींग मैं ले लूँगा"
काका और मुन्नी
"यह झगड़ा बढ़ गया तो दोनों मुखिया के पास गए। मुखिया ने दोनों की बात सुनकर दोनों को एक-एक बोरी कंकड़ मिला चावल दिया और बोला, “कल साफ़ करके ले आना। फिर मैं फ़ैसला सुनाऊँगा।""
मेहनत का फल
"लेकिन वह समाचार तो खुश करने वाला नहीं था, "नदी में दवाई छिड़क कर मछलियों को पकड़ने वाले आ रहे हैं। अनेकों नदियों से ऐसे ही वे लोग मछलियाँ पकड़ कर ले गये हैं।" यह सुनकर उसे गहरा धक्का लगा। बाकी मछलियों को भी यह समाचार पता चला।"
मछली ने समाचार सुने
"“मुमताज़ हमारी मौसेरी बहन ही तो है। और वह घर पर इसलिए है क्योंकि वह चल नहीं सकती,” कमरु और मेहरु इकट्ठा चिहुंकीं, “लेकिन हाँ, हमें उसके लिए भी कुछ मिठाई-पकवान तो ले ही लेना चाहिए।”"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"लखनऊ आकर मुमताज़ को एक और दोस्त मिला-पड़ोस के सब्ज़ी वाले का आठ साल का बेटा, मुन्नु! मुन्नु हर रोज़ अपने पिता के साथ सब्ज़ी-भाजी लिए जगह-जगह फेरी लगाता और अपने ख़ास अंदाज़ में गुहार लगाता, “सब्ज़ी ले लो...ओ...ओ।” हाल ही में उसकी दोस्ती मुमताज़ के साथ हुई थी। हर रोज़ मुमताज़ अपना नाश्ता उसके साथ बाँटती और खाते-खाते दोनों बच्चे लक्का और लोटन के खेल देखा करते।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"“ऐसा है तो जल्दी से जाओ और अपनी नानी की चादर ले आओ, मैं तुम्हें एक खेल दिखाता हूँ,” मुन्नु रुआब से बोला। उसने मुमताज़ को चाँद पाशा के बारे में बताया। चाँद पाशा एक बीमार, बूढ़ा जादूगर था जिससे मुन्नु की मुलाकात अपने पिता के साथ फेरी लगाते हुई थी। उसने मुन्नु को एक बहुत ही मज़ेदार जादू सिखाया था। मुन्नु चाहता था कि मुमताज़ वह जादू देखकर अपना दुःख भूल जाए।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"मुमताज़ अंदर से चादर ले आई। यह चादर नानी ने अपने हाथों से काढ़ी थी, उनका अपनी दोहती के लिए आखिरी तोहफा। इतना सुंदर काम था-किनारी की बखिया भी, एक-एक टाँका मोती जैसा पिरोया हुआ।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"“उदास न हो, आपा,” मुन्नु बोला, “नानी की चादर कब काम आएगी! जाओ, उसे ले आओ और खूब ध्यान लगाकर सोचो। कौन जाने आज तुम किस जादुई नगरी में पहुँच जाओ!”"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"रहमत ने अकबर को एक स़फेद अंगरखा पहनने में मदद करी। धनी सिंह एक बड़ा-सा आईना ले आये और राजा के सामने लेकर खड़े हो गये।"
रज़ा और बादशाह
"”हुज़ूर,“रज़ा सँभल कर बोला,”धनी जी को पगड़ी की ज़रूरत पड़ेगी। हमने उनकी वाली तो ले ली है।“"
रज़ा और बादशाह