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Storybook paragraphs containing word (19)
"पानी की मदद से आटा गूँध लेते है। आटे को गूँधते समय बस इतना ही पानी डाले कि आटा न बहुत कड़ा हो और ना ही बहुत मुलायम। हथेली के निचले हिस्से की मदद से कुछ मिनट तक इसे थोड़ा और गूँधते है। चाहें तो, थोड़ा सा तेल भी इस्तेमाल कर सकते है जिससे गुँधा आटा आपके हाथ में चिपके नहीं। गुँधे आटे को करीब 10 मिनट तक ढ़क कर रख देते है। अब इस गुँधे आटे को, कुछ मिनट के लिए दोबारा गूँधते है।"
पूरी क्यों फूलती है?
"अब फिर इसे एक बड़े बर्तन में रख देते है अब बर्तन के अंदर रखे गूँधे आटे पर इतना पानी डालते है जिससे वो उसमे डूब जाए। पानी के अंदर डूबे आटे को गूँधते रहते है जब तक पानी का रंग सफ़ेद नहीं हो जाता। इस पानी को फैक कर बर्तन में थोड़ा और ताजा पानी लेते है इसे तब तक करते रहे जब तक गुँधे आटे को और गूंधने से पानी सफ़ेद नहीं होता। इसका मतलब यह है कि आटे का सारा स्टार्च खत्म हो गया है और उसमें बस ग्लूटेन ही बचा है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि स्टार्च पानी में घुल जाता है लेकिन ग्लूटेन नहीं घुलता। अब इस बचे हुए आटे यानि ग्लूटेन से थोड़ा सा आटा लेते है इसे हम एक रबड़बैंड कि तरह खीच सकते है। अगर इसे खीच कर छोड़ते है तो यह वापस पहले जैसा हो जाता है। इससे इसके लचीलेपन का पता चलता है आप इसे चोड़ाई में फैला सकते है इससे पता चलता है कि इसमें कितनी प्लाटीसिटी है।"
पूरी क्यों फूलती है?
"”हूँ... यह बात तो ठीक है, गाँधी जी! बिन्नी तभी खाती है, जब मैं उसे खिलाता हूँ,“ धनी ने प्यार से बिन्नी का सर सहलाया, ”और स़िर्फ मैं जानता हूँ कि इसे क्या पसन्द है।“"
स्वतंत्रता की ओर
"● क्या तुमने कभी दंत मंजन का उपयोग किया है? इसमें कितने तरह की खुशबू आ सकती है? क्या तुमने इसे खोजा है?"
टूथपेस्ट ट्यूब के अंदर कैसे आया?
""इंजी हमारा दुलारा है, मेंढक इसे लगता प्यारा है, बीज, चींटी, पक्षी, घोंघे - इसे भाएँ खूब, पर सबसे प्यारी लगे इसे अपनी पूँछ!""
आओ, बीज बटोरें!
"आकाश में बड़े-बड़े काले बादल घिर आए हैं और मुझे उनकी गड़गड़ाहट भी सुनाई दे रही है। शीघ्र ही मानसून आने वाला है। इसे वर्षा ॠतु कहते हैं। मुझे बारिश से भीगी मिट्टी की सौंधी महक बहुत अच्छी लगती है। लम्बी गर्मियों के बाद मिट्टी भी बारिश की बूँदों की राह देखती है। मुझे ऐसा ही लगता है।"
गरजे बादल नाचे मोर
"तो कौन इसे खा जाता है?"
अरे, यह सब कौन खा गया?
"तो इसे कौन सोख लेता है?"
अरे, यह सब कौन खा गया?
"जब ऐसा होता है तो मुझे भी दुखी लगता है आपको इसे बदलने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी!"
ग़ोलू एक ग़ोल कि कहानी
"“माँ, क्या मैं इसे अभी पहन सकता हूँ?”"
लाल बरसाती
"“ओहो! तुमने तो फाटक को दो रंगों में रंग डाला!” पुताई वाला भैया भन्नाया। “चलो अब इसे ऐसे ही रहने देते हैं!” माँ ने कहा।"
नन्हे मददगार
"पोंछो, इसे साफ़ करो।"
क्यों भई क्यों?
""और इसे कहते हैं तबला,"
संगीत की दुनिया
"जहाँ चाहो इसे साथ ले जाना।""
संगीत की दुनिया
"“क्या तुम इसे पढ़ सकते हो?”"
जंगल का स्कूल
"सो अनु भी तन जाती है, “लो, हो गया पापा! अब आप इसे बिगाड़ेंगे नहीं, ठीक है?”"
पापा की मूँछें
""नहीं, यह पूँछ ठीक नहीं है। इसे बदलना पड़ेगा," यह कहते हुए उसने अपनी लम्बी पूँछ को हाथ से उठाने की कोशिश की। किसी तरह लड़खड़ाते हुए वह दोबारा डॉक्टर बोम्बो के अस्पताल में पहुँची।"
चुलबुल की पूँछ
""अब मैं इसे ज़मीन पर घुमाऊँगा और जल्द ही सुई मिल जाएगी।" गुल्ली बोला।"
गुल्ली का गज़ब पिटारा
"खुरशीद ने मुमताज़ को वह दुशाला दिखाया जो वे काढ़ रहे थे, “देखो बेटी, मैंने कश्मीर के पंछी और फूल अपने शॉल में उतार लिए हैं। यह है गुलिस्तान, फूलों से भरा बग़ीचा और ये रहीं बुलबुल। यह जो देख रही हो, इसे हम चश्म-ए-बुलबुल कहते हैं यानि बुलबुल की आँख। जिस तरह बुलबुल अपने चारों ओर देख सकती है, वैसे ही यह टाँका हर तरफ़ से एक जैसा दिखाई देता है!” कह कर खुरशीद ने मुमताज़ को वह टाँका काढ़ना सिखाया।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने