Edit word

ल ग

Add letter-sound correspondence launch
Peer-review 🕵🏽‍♀📖️️️️

Do you approve the quality of this word?



Contributions 👩🏽‍💻
Revision #2 (2021-06-19 13:26)
ANURADHA JAIN
APPROVED
2021-06-19 17:03
Revision #1 (2021-06-18 13:15)
ANURADHA JAIN
NOT_APPROVED
2021-06-19 13:12
I cannot hear any vowel at the end, so should it be "ग" --> /g/ instead of "ग" --> /gə/?
NOT_APPROVED
2021-06-19 13:04
Should be "ग" --> /g/ instead of "ग" --> /gə/? And is it a verb (word type)?
Resources
Hindi resources:
  1. Forvo
  2. Google Translate
Labeled content
Emojis
None

Images
None

Videos
// TODO

Storybook paragraphs containing word (29)

"जब मैं रोती तो वो भी मेरे साथ रोने लग जाती| मैं क्या करूँ?"
मैं और मेरी दोस्त टीना|

"अर्जुन की हेड लाइट मद्धिम पड़ रही थी। उसे अब सब कुछ बेकार लग रहा था। वह शिरीष जी की बातें भाँप रहा था। अब वह उस औरत के भावों को भी समझ सकता था।"
उड़ने वाला ऑटो

"अज्जा सोचने लगे, "1911... यह तारीख़ इतनी जानी-पहचानी सी क्यो लग रही है? आह! हाँ, उसी साल तो बम्बई में गेटवे ऑफ़ इंडिया बनाया गया था। और वह तो भारत पर राज करने वाले ब्रिटिश राजा, जॉर्ज (पंचम) के स्वागत में बनवाया गया था। और तब एक नहीं, बल्कि कई बड़ी-बड़ी दावत हुई होंगी!" अज्जा ने ख़ुश होते हुए कहा।"
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?

"यह कहकर पोई इमली के पेड़ से गले लग गई। पच्चा खिलखिलाया, ”आज से पहले मुझे कभी किसी छोटी लड़की ने गले नहीं लगाया है।  मुझे गुदगुदी हो रही है!”"
आओ, बीज बटोरें!

"नारियल के पेड़ की पत्तियां कितनी सुडौल थीं, ऐसा लग रहा था कि हवा में नाच रही हों। नीले-नीले आसमान में लाल गुलमोहर के फूल कितने निराले लग रहे थे। सुंदर सी खुरदुरी छाल वाला आम का पेड़ कितना अच्छा लग रहा था।"
आओ, बीज बटोरें!

"यहां तक ​​कि छोटे नींबू - मेरे जैसे सभी लग रहे हैं - और मिठाई भी!"
ग़ोलू एक ग़ोल कि कहानी

"शीला मिस कहतीं हैं कि उसकी आवाज़ भी ठीक हो जाएगी। समय लग सकता है, मगर ठीक ज़रूर होगी।"
कोयल का गला हुआ खराब

"गुरूजी बोले, " गजानन! तुम गंजे ही अच्छे लग रहे हो.""
कहानी- गजानन गंजे

"काटो ठंड से काँपते हुए धूप में अपने को सुखाने की कोशिश कर रहा था। पास में विक्की चुपचाप बैठा हुआ था। जब काटो के बाल थोड़ा सूख गये और शरीर में थोड़ी गर्मी आ गयी, वह बोल उठा, “कितना मज़ा आया! जब मेरे साथी इस किस्से को सुनेंगे तो उन्हें विश्‍वास ही नहीं होगा।” काटो को लग रहा था मानो वह एक बहुत बड़ा हीरो और जहाज़ का जाँबाज़ कप्तान बन गया हो!"
नौका की सैर

"अचानक मेरे सिर पर बारिश क़ी एक बूंद गिरती है,जब मैं आसमान की ओर देखता हूँ बूँदों क़ी झड़ी लग जाती है।"
बारिश हो रही छमा छम

"मेरे पापा उन्हें ढूँढने लगते हैं। मेरे दादाजी भी ढूँढने लगते हैं। मेरी मम्मी परेशान लग रही हैं। लेकिन दादीजी मुस्करा रही हैं। “वह देखो,” दादी कहती हैं। छोटे चाचा दौड़ते हुए हमारी ओर आ रहे हैं।"
चाचा की शादी

"बूँदों की झड़ी लग गयी।"
बारिश में क्या गाएँ ?

"लेकिन यह क्या, चला क्यों नहीं जा रहा है, शरीर इतना भारी क्यों लग रहा है? चुलबुल थोड़ी सी परेशान हो गई।बड़ी मुश्किल से दरवाज़े के बाहर निकली।"
चुलबुल की पूँछ

"अपनी भारी पूँछ के साथ चलना उसे बहुत मुश्किल लग रहा था। किसी तरह पूँछ खींच-खींच कर वह पेड़ के पास पहुँची।"
चुलबुल की पूँछ

""क्या हुआ मंगल चाचा?" गुल्ली ने पूछा। वे परेशान लग रहे थे।"
गुल्ली का गज़ब पिटारा

"तितली ने पूछा, “क्यूँ भाई कैसा लग रहा है?”"
उड़ते उड़ते

"गौरैया ने पूछा, “क्यूँ बड़े भाई, कैसा लग रहा है?”"
उड़ते उड़ते

"गरूड़ ने पूछा, “क्यूँ सेठ, कैसा लग रहा है?”"
उड़ते उड़ते

"हवाई जहाज़ ने पूछा, “क्यूँ साहब, कैसा लग रहा है?”"
उड़ते उड़ते

"रॉकेट ने पूछा, “क्यूँ सर, कैसा लग रहा है?”"
उड़ते उड़ते

"मगर चन्दू ने अपने आप उन्हें बता दिया, “अब तो बहुत ही अच्छा लग रहा है।”"
उड़ते उड़ते

"चन्दू ने माँ को प्यार किया और बोला, “सबसे अच्छा तो अब लग रहा है।”"
उड़ते उड़ते

"“ए मुन्नी! परे हट, मैं तेरे अंडे खाने आया हूँ,” वह चहक कर बोला। मुन्नी समझदार गौरैया थी। वह झटपट बोली, “काका किसी की क्या मजाल कि तुम्हारी बात न माने? लेकिन मेरी एक विनती है। मेरे अंडों को खाने से पहले तुम ज़रा अपनी चोंच धो आओ। यह तो बहुत गन्दी लग रही है।”"
काका और मुन्नी

"अब तक काका को बहुत ज़ोर की भूख लग चुकी थी,"
काका और मुन्नी

"मीठी ईद क्या आई कि लखनऊ में एक मेला-सा लग गया था।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने

"तीनों पंछी बहुत ही प्रतिभाशाली थे। लक्का कितनी ऊँची उड़ान भर लेता था। और लोटन मियाँ डाल-डाल, पात-पात, कभी कलैया तो कभी कलाबाज़ी, और कभी तो नाचने लग जाते! मुनिया भी कम निराली नहीं थी। किसी भी इंसान की बोली बोलना उसके बाएँ पंख का खेल था। मुमताज़ हमेशा मुनिया से उसकी नक्ल उतारने को कहती रहती। जब"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने

"और फिर मुमताज़ ने अपनी नानी को देखा! एक चौड़ी सड़क के किनारे नीम के पेड़ तले बैठी थीं! मुमताज़ खुशी के मारे चिल्लाई और “नानी, नानी” करती उनके गले से लग गई।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने

"सच कहूँ तो ख़ुद मैं भी यह बात जानना चाहता हूँ और मेरे मन में भी वही सवाल हैं जो लोग तुम्हारे बारे में मुझसे पूछते हैं। हाँ, मैंने पहले दिन ही, जब तुम कक्षा में आई थीं, गौर किया था कि तुम एक ही हाथ से सारे काम करती हो और तुम्हारा बायाँ हाथ कभी हिलता भी नहीं। पहले-पहल मुझे समझ में नहीं आया कि इसकी वजह क्या है। फिर, जब मैं और नजदीक आया, तब देखा कि कुछ है जो ठीक सा नहीं है। वह अजीब लग रहा था, जैसे तुम्हारे हाथ पर प्लास्टिक की परत चढ़ी हो। मैं समझा कि यह किसी किस्म का खिलौना हाथ होगा। मुझे बात समझने में कुछ समय लगा। इसके अलावा, खाने की छुट्टी के दौरान जो हुआ वह मुझसे छुपा नहीं था।"
थोड़ी सी मदद

"सुमी अपने जूते के फीते नहीं बाँध सकी। और खेलने के बाद भी उसे जूते के फीते बाँधने का ध्यान नहीं रहा, और वह उलझ कर गिर पड़ी। उसकी ठोड़ी में चोट लग गई। जब मैडम ने उसकी ठोड़ी की चोट देखी तो उस पर ऐंटीसेप्टिक क्रीम तो लगा दी, लेकिन उसे लापरवाही बरतने के लिए डाँट भी पड़ी। “जूतों के फीते बाँधे बिना पहाड़ों में दौड़ लगाई जाती है? घर जाते समय गिर पड़तीं या और कुछ हो जाता तो क्या होता?“"
थोड़ी सी मदद