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Storybook paragraphs containing word (14)
"पापा ने कहा, “तुम ये डिब्बा खोल सकते हो!”
और उन सभी ने कहा, “जन्मदिन मुबारक हो!”"
अभी नहीं, अभी नहीं!
"शोरोगुल भरे रास्तों से कहीं ऊपर इस शांत माहौल में अर्जुन को याद
आ रही थी मोटर कारें, साइकिलें और बसों से पटी सड़कें। उसने नीचे देखा। काम में जुटे उसके परिवार के सदस्यों की छोटी-छोटी कैनोपी पीले बिन्दुओं की तरह चमक रही थीं।
अर्जुन को उन लोगों की भी याद आई जो हमेशा कहीं न कहीं जाने के लिए तैयार रहते थे।
एक नई मंज़िल, एक नई जगह... “फट, फट, टूका, टूका, टुक।”"
उड़ने वाला ऑटो
"कार एवं अन्य वाहन भी इंजिन की सहायता से ही चलते हैं, मगर वे विमान की तरह आसमान में उड़ नहीं सकते। हवा विमान के उन पंखों के ऊपर और अंदर बहती है जो पक्षी के पंख जैसे होते है, इन्हीं के दबाव से विमान ऊपर उठते हैं और टिके रहते हैं। विमान की भी पूँछ होती हैं - बिलकुल चिड़िया की तरह, जो उन्हें हवा में टिकने और दिशा बदलने में मदद करती है।"
हवाई जहाज़ कैसे उड़ते हैं?
"वह आज बहुत खुश थे! आज तो मुत्तज्जी जी का जन्मदिन था और उन दोनों को रेलगाड़ी से उनसे मिलने जाना था।"
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
"अब भी टूका, पोई और इंजी हर शाम स्कूल के बाद मिलते हैं। लेकिन अब, टूका और पोई, उन चीजों को इक्ट्ठा करते हैं जिनमें वे पौधे उगा सकें। पुराने जूते, नारियल का कवच, यहां तक कि पानी की पुरानी बोतलें – सब कुछ, जिन्हें गमले के रूप में इस्तेमाल किया जा सके।"
आओ, बीज बटोरें!
"चिड़िया उन सभी पिस्सूओं को खा जाती है।"
हमारे मित्र कौन है?
"हमारी ही तरह वह भी ज़्यादातर बढ़िया खाने और रहने की आरामदेह जगह या प्यार करने वाले परिवार की तलाश में एक से दूसरी जगह घूमते-फिरते हैं। कभी-कभी वे अपने उन दुश्मनों से बचने के लिए भी घूमते-फिरते हैं जो उन्हें पकड़ कर खा सकते हैं।"
सत्यम, ज़रा संभल के!
"चुंबक सभी चीज़ों से नहीं चिपकता। यह सिर्फ उन कुछ चीज़ों से चिपकता है जिनमें कुछ ख़ास तत्व होते हैं। किसी वस्तु को चुंबक से चिपकाने वाले यह ख़ास तत्व हैं लोहा, निकिल, स्टील और कोबाल्ट।"
जादुर्इ गुटका
"“अरे कोई उन जालीदार पंखों वाले पतंगों को बुलाओ,” गुबरैला ने ज़ोर से कहा। नौ जालीदार पंखों वाले पतंगे मदद के लिए आगे आए।"
एक, तीन, पाँच, मदद! मदद!
"आख़िरकार, उन सब ने मिलकर उस मुटल्ले नारियल पेड़ के भँवरे को पलट ही दिया!"
एक, तीन, पाँच, मदद! मदद!
"वह रोज़ उन पर बैठती।"
कुत्ते के अंडे
"कुछ रंग ज़मीन पर छलका। कुछ रंग दीवार पर गिरा। और बहुत सारा उन दोनों पर!"
नन्हे मददगार
"लेकिन सबसे बढ़िया मूँछें तो, पास वाले मकान में रहने वाले उन दादाजी की हैं! ऐसा लगता है मानो एक बड़ा-सा स़फेद बादल आसमान से उतर कर उनकी नाक के नीचे रहने चला आया है! अब उनका मुँह जो है, उस बादल के पीछे छिपा रहता है।"
पापा की मूँछें
"जब भी हम केले के छिलके या पेंसिल की छीलन सड़क पर फेंकते है, तो यह कचरा सड़क के किनारे इकठ्ठा हो जाता है। कुछ उन नालियों के अंदर चला जाता है और उन में जमा हो जाता है। रूकी हुई नालियों में मक्खी-मच्छर पैदा होते हैं जो बीमारियाँ फैलाते हैं! इससे हमारा पर्यावरण गन्दा होता है और अपने आसपास कूड़ा- कचरा तो किसी को भी अच्छा नहीं लगता। चीकू के दिल से पूछिये।"
कचरे का बादल