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Storybook paragraphs containing word (182)

"दौड़ दौड़ कर मोटा राजा भी कुत्ते की तरह पतला हो गया।"
एक था मोटा राजा

"मैं  बड़ी हो गई हूँ । मैं घर के बाहर अकेली जाती हूँ ।"
मैं नहीं डरती !

"मैं बड़ी हो गई हूँ।"
मैं नहीं डरती !

"जैसा मन हो वैसे कूद झट पट।"
गप्पू नाच नहीं सकती

"बस हो जाओ शामिल सोचे बिन!"
गप्पू नाच नहीं सकती

"“तुम कौन हो भाई?” टिंकु ने पूछा।"
सो जाओ टिंकु!

"“जब अँधेरा हो जाता है, मैं झीं... झीं... झनकार सी आवाज़ निकालता हूँ।”"
सो जाओ टिंकु!

"वह कभी शिकायत नहीं करता। क्योंकि ऑटो वाले शिरीष जी भी बहुत मेहनत करते थे। शिरीष जी की बूढ़ी हड्डियों में बहुत दर्द रहता था फिर भी वह अर्जुन के डैशबोर्ड को प्लास्टिक के फूलों और हीरो-हेरोइन की तस्वीरों से सजाये रखते। कतार चाहे कितनी ही लंबी क्यों न हो वह अर्जुन में हमेशा साफ़ गैस ही भरवाते। और जैसे ही अर्जुन की कैनोपी फट जाती वह बिना समय गँवाए उसे झटपट ही ठीक कर लेते।"
उड़ने वाला ऑटो

"शिरीष जी खुश होकर मुस्कराने लगे। मुस्कराते ही पान से रंगे उनके दाँत दिखने लगे। उन्होंने जल्दी से पानी पिया, फिर भीड़ छटने लगी। “लो जादू तो अभी हो गया,” शिरीष जी ने मज़ाक में कहा।"
उड़ने वाला ऑटो

"चिड़ियों का झुण्ड उसे देख तितर-बितर हो गया। अर्जुन की हेड लाइट जगमगा उठी।"
उड़ने वाला ऑटो

"मैं बड़ा हो गया हूँ। मैं बहुत कुछ बना सकता हूँ।"
मैं बहुत कुछ बना सकता हूँ!

"जब उसे एक बड़ा सा जहाज़ दिखाई दिया पिशि ने गोता लगाया। उसके दोस्त तितर बितर हो गए।"
पिशि फँसी तूफ़ान में

"बादल गरजे और बिजली कड़की। पिशि ने सुध बुध खो दी। सागर बिलकुल काला पड़ गया। एक बड़ी सी लहर ने पिशि को जहाज़ के नीचे धकेल दिया। आह! उसके पेट पर घाव हो गया।"
पिशि फँसी तूफ़ान में

"आप का मकान कहीं भी हो सकता है, पेड़ों से भरे जंगल में,"
सबसे अच्छा घर

"यह कोई बहुत ही ऊँची और दूर तक फैली शहरी इमारत भी हो सकता है।"
सबसे अच्छा घर

"मकान के अंदर भी मकान हो सकता है।"
सबसे अच्छा घर

"आपके मकान की बनावट और आकार कैसे भी हो सकते हैं।"
सबसे अच्छा घर

"खेमा: मंगोलिया के लोग लकड़ी के ढाँचे और मोटे ऊनी नमदे के कालीनों से ख़ूब गर्म और हल्के घर बनाते हैं। जब कहीं और जाना हो तो लोग लकड़ी की पट्टियों और नमदों को घोड़ों और याकों पर लाद कर मकान को भी साथ ले जाते हैं।"
सबसे अच्छा घर

"आटे में जैसे ही पानी डाला जाता है, यह अणु उसे पी लेते हैं। वे पानी पीने के बाद बड़े और मोटे हो जाते हैं। वे फैल जाते हैं। ज़ाहिर है कि उनके पास आराम से बैठने के लिये जगह नहीं होती है – इसलिए वह एक दूसरे को छूते हैं और धक्कामुक्की करते हैं। वे एक दूसरे से चिपक जाते हैं।"
पूरी क्यों फूलती है?

"और जब पूरी को गर्म तेल में डालते हैं तो उसकी निचली सतह तेल की वजह से बहुत गर्म हो जाती है।"
पूरी क्यों फूलती है?

"बाबा अब पूरी को पलट देते हैं ताकि वह दूसरी तरफ़ से भी सुनहरी हो जाये। उन्होंने कढ़ाई से पूरी निकाल ली है और उसे एक बर्तन में रख दिया है।"
पूरी क्यों फूलती है?

"इसकी तीन वजहें हो सकती हैं -"
पूरी क्यों फूलती है?

"पानी की मदद से आटा गूँध लेते है। आटे को गूँधते समय बस इतना ही पानी डाले कि आटा न बहुत कड़ा हो और ना ही बहुत मुलायम। हथेली के निचले हिस्से की मदद से कुछ मिनट तक इसे थोड़ा और गूँधते है। चाहें तो, थोड़ा सा तेल भी इस्तेमाल कर सकते है जिससे गुँधा आटा आपके हाथ में चिपके नहीं। गुँधे आटे को करीब 10 मिनट तक ढ़क कर रख देते है। अब इस गुँधे आटे को, कुछ मिनट के लिए दोबारा गूँधते है।"
पूरी क्यों फूलती है?

"अब फिर इसे एक बड़े बर्तन में रख देते है अब बर्तन के अंदर रखे गूँधे आटे पर इतना पानी डालते है जिससे वो उसमे डूब जाए। पानी के अंदर डूबे आटे को गूँधते रहते है जब तक पानी का रंग सफ़ेद नहीं हो जाता। इस पानी को फैक कर बर्तन में थोड़ा और ताजा पानी लेते है इसे तब तक करते रहे जब तक गुँधे आटे को और गूंधने से पानी सफ़ेद नहीं होता। इसका मतलब यह है कि आटे का सारा स्टार्च खत्म हो गया है और उसमें बस ग्लूटेन ही बचा है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि स्टार्च पानी में घुल जाता है लेकिन ग्लूटेन नहीं घुलता। अब इस बचे हुए आटे यानि ग्लूटेन से थोड़ा सा आटा लेते है इसे हम एक रबड़बैंड कि तरह खीच सकते है। अगर इसे खीच कर छोड़ते है तो यह वापस पहले जैसा हो जाता है। इससे इसके लचीलेपन का पता चलता है आप इसे चोड़ाई में फैला सकते है इससे पता चलता है कि इसमें कितनी प्लाटीसिटी है।"
पूरी क्यों फूलती है?

""अरे वाह! क्या तुम जानती हो कि भारत की पहली महिला विमान चालक (पायलॉट) का नाम भी सरला था? मेरा नाम हंसा है, मतलब 'हंस'। क्या तुम जानती हो कि हंस भी उड़ने वाले बड़े पक्षियों में से एक हैं? अध्यापिका ने कहा।"
हवाई जहाज़ कैसे उड़ते हैं?

"1. दोस्तों के साथ इन खेलों के मज़े लें काग़ज़ के हवाई जहाज़ बनाओ और देखो कि किसका जहाज़ सबसे दूर जाता है। ज़रा सोचो, क्यों? क्या यह कमाल काग़ज़ का है या उसके बनाने के तरीक़े का? ग़ौर करो, क्या होता है जब कोई जहाज़ छोड़ा जाता है? जब तुम जहाज़ को छोड़ने के पहले उसके ऊपर फूँक मारते हो या उसके अंदर या कि उसके नीचे, तब क्या वहाँ कोई अंतर दिखता है?"
हवाई जहाज़ कैसे उड़ते हैं?

""आपको जन्मदिन मुबारक हो मुत्तज्जी! आज आप कितने साल की हो गयीं?""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?

""ओह! दावत! फिर तो वहाँ बहुत सारे केक रहे होंगे!" पुट्टी बोली। "वह कौन से राजा थे, मुत्तज्जी? अगर आप को यह पता हो तो हम जान सकते है कि वह यहाँ कब आए थे। फिर उसमे 5 जोड़ देने से पता चल जाएगा कि आप कब पैदा हुईं थीं।""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?

""फिर कुछ साल बाद," मुत्तज्जी ने बात आगे बढ़ाते हुए कहा, "मेरी शादी हो गयी। उस समय कानून था कि शादी के लिए लड़की की उम्र कम से कम 15 साल होनी चाहिए, और मेरे पिता कानून कभी नहीं तोड़ते थे। तो उस समय मेरी उम्र करीब 16 साल की रही होगी। और मेरी शादी के बाद जल्द ही तुम्हारे मुत्तज्जा को बम्बई में नौकरी मिल गयी और हम मैसूर छोड़कर वहाँ चले गए।""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?

""हाँ, के आर एस।" मुत्तज्जी ने बड़े प्यार से अज्जी को देखा और कहा, "तुम्हारी अज्जी मेरी पाँचवी संतान थी, सबसे छोटी, लेकिन सबसे ज़्यादा समझदार। तुम जानते हो बच्चों, मेरे बच्चे ख़ास समय के अंतर पर हुए। हर दूसरे मानसून के बाद एक, और जिस दिन तुम्हारी अज्जी को पैदा होना था, उस दिन तुम्हारे मुत्तज्जा का कहीं अता-पता ही नहीं था। बाद मेँ उन्होंने बताया कि वो उस दिन ग्वालिया टैंक मैदान में गांधीजी का भाषण सुनने चले गए थे। और उस दिन उन्हें ऐसा जोश आ गया था कि वह सारे दिन बस "भारत छोड़ो” के नारे लगाते रहे। बुद्धू कहीं के... नन्हीं सी बच्ची को दिन भर परेशान करते रहे।""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?

""इस साल मै 74 साल की हो जाऊँगी," अज्जी ने कहा। "तो मैं पैदा हुई थी...?""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?

""मुत्तज्जी को लगता है की वह 16 साल की थीं जब उनकी शादी हुई थी," पुट्टी ने कहा,"लेकिन वह 15 या 17 या 18 साल की भी हो सकती थीं।""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?

"अज्जा अपने रीडिंग रूम में थे। पुट्टी ने धीमे से कहा, "अज्जा, क्या पहले लोग रेल में सफर करते हुए गंदे हो जाते थे?""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?

"अज्जा ने सिर हिला कर कहा, "हाँ, क्योंकि तब स्टीम इंजन होते थे जो कोयले से चलते थे, बिजली से नहीं।" उन्होंने कहा, "उसकी चिमनी से कोयले की काली राख निकल कर हर चीज़ पर चिपक जाती थी। बड़ी गंदगी हो जाती थी!""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?

""तुम दोनों तो बहुत बड़े जासूस हो गए हो!" अम्मा मुस्कायीं। "और मुझे लगता है तुम दोनों और मुत्तज्जी की ख़ास दावत होनी चाहिए - यानि एक बड़ा सा केक, गुलाबी आइसिंग और जिसके ऊपर लगा हो एक गुलाब!""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?

"बिन्दा ने सर हिला कर मना किया। उसके कुछ बोलने से पहले धनी ने उतावला होकर पूछा, ”कौन जा रहे हैं? कहाँ जा रहे हैं? क्या हो रहा है?“"
स्वतंत्रता की ओर

"”हाँ, बिल्कुल। मैं जानता हूँ वे ब्रिटिश सरकार के खिलाफ़ सत्याग्रह के जुलूस निकालते हैं जिससे कि उनके खिलाफ़ लड़ सकें और भारत स्वतंत्र हो जाये। पर नमक को लेकर विरोध क्यों कर रहे हैं? यह तो बेवकूफ़ी की बात हुई!“"
स्वतंत्रता की ओर

"”एक महीने तक पैदल चलेंगे!“ धनी सोच कर परेशान हो रहा था।"
स्वतंत्रता की ओर

"धनी उस झोंपड़ी के पास पहुँचा जहाँ गाँधी जी ठहरे थे। उसने खिड़की से झाँक कर देखा। आश्रम के कई लोग गाँधी जी से बात कर रहे थे। धनी को सुनाई दिया कि वे दाँडी पहुँचने का रास्ता तय कर रहे थे, जिस पर वे पैदल चलेंगे। अपने पिता को भी इनके बीच देखकर धनी खुश हो गया।"
स्वतंत्रता की ओर

"”मैं आपसे कुछ पूछना चाहता था,“ धनी थोड़ा घबराया। ”क्या मैं आपके साथ दाँडी आ सकता हूँ?“ हिम्मत करके उसने कह डाला। गाँधी जी मुस्कराये, ”तुम अभी छोटे हो बेटा! दाँडी तो 385 किलोमीटर दूर है! स़िर्फ तुम्हारे पिता जैसे नौजवान ही मेरे साथ चल पायेंगे।“"
स्वतंत्रता की ओर

"”हाँ, ठीक बात है,“ कुछ सोचकर गाँधी जी बोले, ”मगर एक समस्या है। अगर तुम मेरे साथ जाओगे तो बिन्नी को कौन देखेगा? इतना चलने के बाद, मैं तो कमज़ोर हो जाऊँगा। इसलिये, जब मैं वापस आऊँगा तो मुझे खूब सारा दूध पीना पड़ेगा, जिससे कि मेरी ताकत लौट आये।“"
स्वतंत्रता की ओर

"● कारखाने में ब्रश तैयार होने के बावजूद बहुत से लोग नीम या बबूल की पतली टहनी से दातुन करते हैं। दातुन हमारे दाँतों और मसूड़ों को स्वस्थ रखते हैं, मगर क्या तुम जानते हो कि विश्व में सबसे अच्छा ब्रश कौन सा है? तुम्हारी उंगली! दंत-चिकित्सक मानते हैं कि यह दाँतों और मसूड़ों के लिए सबसे बेहतर है।"
टूथपेस्ट ट्यूब के अंदर कैसे आया?

"उस पेड़ पर लगी हुई इमली का खट्टा-मीठा स्वाद टूका को बेहद पसंद था। वह उसे चूसते हुए मज़ेदार चेहरे बनाता था और उसके बाद उसमें अंदर से भूरे रंग के चमकदार बीज निकालता था। इमली के चटपटे स्वाद से टूका की गर्दन के रौंगटे खड़े हो जाते थे।"
आओ, बीज बटोरें!

"यह कहकर पोई इमली के पेड़ से गले लग गई। पच्चा खिलखिलाया, ”आज से पहले मुझे कभी किसी छोटी लड़की ने गले नहीं लगाया है।  मुझे गुदगुदी हो रही है!”"
आओ, बीज बटोरें!

"”और हम भी इससे पहले कभी किसी बोलने वाले पेड़ से नहीं मिले!” टूका ने चहकते हुए कहा। ”इसलिए, हम सभी के लिए कुछ न कुछ नया है।” इतना सुनकर, पच्चा जोर से हँसा, और उसके हँसते ही, उसके डालों की सारी पत्तियाँ सुर्ख़ हरी हो गई।"
आओ, बीज बटोरें!

"“अरे वाह, तुम लोगों ने त‍ो बहुत सारे बीज इकट्ठे कर लिए हैं", बैग देखकर पच्चा ने कहा। "वैसे क्या तुम लोग यह जानते हो कि ऐसे ही इमली के एक छोटे बीज से मैं बना हूँ? और अब मुझे देखो, कितना बड़ा हो गया हूँ। मेरी ढेर सारी शाखाएँ हैं जिन पर बहुत सारी गौरेया, गिलहरियाँ और कौए रहते हैं।“"
आओ, बीज बटोरें!

"कर उत्सुकता से भौंक रहा था जैसे मानो वह भी जानना चाहता हो कि पच्चा क्या कह रहा है।"
आओ, बीज बटोरें!

"सभी पेड़-पौधे हरे-भरे हो जाएँगे और खुश दिखाई देंगे। ठीक उस हरे दुपट्टे की तरह जिसे हरी भैया ने जयपुर से भेजा है। वो बता रहे थे कि उसे धानी चुनरिया कहते हैं। धानी जैसे धान के नन्हे पौधों का रंग। दादा कह रहे थे कि अच्छी बारिश होने से किसानों को अच्छी फसल मिलेगी।"
गरजे बादल नाचे मोर

"हम सभी वर्षा की प्रतीक्षा करते हैं पर किसान तो वर्षा के देवताओं की पूजा करते हैं।
 मानसून में मेरा आम का पौधा काफी लम्बा हो गया है। अब मुझे उसे सींचने की ज़रूरत नहीं पड़ती! पिछले महीने जब बड़ी तेज़ आँधी चली थी, मेरा पौधा मज़बूती से खड़ा रहा। क्या मेरा आम का पेड़ इस पेड़ के जितना बड़ा हो जायेगा?"
गरजे बादल नाचे मोर

"“तारा, सोने का समय हो गया! तुम कहाँ हो?” "
तारा की गगनचुंबी यात्रा

"अब गेंदबाज़ी की बारी मेरी। और यह हो गए आप... आउट!"
आज, मैं हूँ...

"क्या हो अगर मेरे पैर पेड़ों जितने लंबे हों?"
क्या होता अगर?

"क्या हो अगर मेरे दाँत सबसे मज़बूत हों?"
क्या होता अगर?

"क्या हो अगर मेरे कान बड़े-बड़े हों?"
क्या होता अगर?

""श्याम! देर हो जाएगी, क्या सोच रहे हो?""
क्या होता अगर?

"सब कुछ साफ हो जाता है।"
अरे, यह सब कौन खा गया?

"जब हवा धुएँ से गंदी हो जाती है,"
अरे, यह सब कौन खा गया?

"क्या आप अनुमान लगा सकते हो कि हमारा सबसे अच्छा मित्र कौन है?"
हमारे मित्र कौन है?

"पक्षी (चिड़िया) अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन यह कोई समस्या नहीं है..."
हमारे मित्र कौन है?

""अरे वाह! आज तो तुम बिना जगाए उठ गए बेटा। अब जल्दी से तैयार हो जाओ। इतने महीनों बाद आज आर्या से मिलेंगे।""
राजू की पहली हवाई-यात्रा

"तभी राजू ने देखा कि लोग गेट नंबर 8 के पास एक कतार में खड़े हो रहे हैं। "वह हमारा गेट है अम्मा। जहाज़ पर चढ़ने का समय हो गया।""
राजू की पहली हवाई-यात्रा

"दस मिनट बाद वह अपनी सीट पर ठीक तरह से कुर्सी की पेटी बाँध कर बैठ गए। जहाज़ चलने पर राजू खिड़की से बाहर देखने लगा। जहाज़ पहले धीरे-धीरे आगे बढ़ा फिर देखते ही देखते उसकी रफ़्तार काफ़ी तेज़ हो गई। राजू को लगा कि उसकी कुर्सी थरथरा रही है।"
राजू की पहली हवाई-यात्रा

"“माँ, बारिश क्यों नहीं हो रही?” मनु ने पूछा।"
लाल बरसाती

"“बेटे, मुझे लगता है बारिश जल्दी होगी शायद आज दोपहर तक हो जाये।” माँ बोलीं।"
लाल बरसाती

"“हाँ, हो सकती है, मेरे प्यारे बेटे! आज आसमान में कुछ काले बादल नीचे उतर आए हैं।”"
लाल बरसाती

"“अरे! बारिश हो रही है, बारिश हो रही है,” मनु ने गाना गाया और बाहर भागा।"
लाल बरसाती

"खाने का समय ख़त्म हो गया।"
कोयल का गला हुआ खराब

"“परवेज़, तुमने आज सुनने की मशीन नहीं लगायी है! तुम जानते हो ठीक से सुनने के लिए तुम्हें उसकी ज़रूरत पड़ती है न,”"
कोयल का गला हुआ खराब

"शीला मिस कहतीं हैं कि उसकी आवाज़ भी ठीक हो जाएगी। समय लग सकता है, मगर ठीक ज़रूर होगी।"
कोयल का गला हुआ खराब

"घूम-घूम ने ख़ुश हो कर पुकारा, "पापा!""
घूम-घूम घड़ियाल का अनोखा सफ़र

"सूरज डूबने के बाद देर शाम को जब झींगुरों ने अपना राग अलापना शुरू किया, तब घर जाने का समय हो गया।"
सत्यम, ज़रा संभल के!

"“मैं जानती हूँ, सुबह हो चुकी है।"
एक सौ सैंतीसवाँ पैर

"गौरैया बोली और वहाँ से फुर्र हो गई।"
एक सौ सैंतीसवाँ पैर

"इन बातों से गोजर अब बहुत दुखी हो गई।"
एक सौ सैंतीसवाँ पैर

"“मेरा एक पैर टूट गया और मुझे तकलीफ़ हो रही है।"
एक सौ सैंतीसवाँ पैर

"ऊँट धन्य हो जाएँ इनकी कोंपल खाकर।"
हर पेड़ ज़रूरी है!

"पैन उसके हाथ से उछला और पलंग के नीचे ग़ायब हो गया।"
जादुर्इ गुटका

"घोड़े की नाल के आकार के हो सकते हैं।"
जादुर्इ गुटका

"“ओहो, यह तो कुल मिलाकर पूरे पच्चीस हो गये! थके-हारे नारियल वाले भँवरे ने कहा कि पच्चीस होती है...”"
एक, तीन, पाँच, मदद! मदद!

"सब कितने तेज हो गए हैं।"
मेंढक की तरकीब

"जब मैं देर करता हूँ, श्रीमती मेसक्रेनास बहुत गुस्सा हो जाती हैं।"
आनंद

"जल्दी ही जाने का समय हो गया।"
आनंद

"खोज खोज कर बच्चे परेशान हो गए। थक कर वापस जा ही रहे थे कि किसी ने एक लाल दुपट्टा देखा।"
दीदी का रंग बिरंगा खज़ाना

"पर दीदी ठीक नहीं हो रही थी।"
दीदी का रंग बिरंगा खज़ाना

"नीना हंस पड़ी और उनके साथ शामिल हो गयी।"
एक सफ़र, एक खेल

"इस प्रकार मुनिया की दोस्ती गजपक्षी से हो गई। अन्ततः जब उसे एक दोस्त मिला भी तो नटखट घोड़ा ग़ायब हो गया!"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"अधनिया एक छोटा, अलग-थलग गाँव था जिसमें हर कोई हर किसी को जानता था। गाँव में तो कोई चोर हो नहीं सकता था। दूधवाले ने कसम खाकर कहा था कि उसने नटखट को झील की ओर चौकड़ी भरकर जाते हुए देखा है। लेकिन वह इस बात का खुलासा न कर पाया कि आखिर नटखट बाड़े से कैसे छूट कर निकल भागा था। दिन में बारिश होने के चलते नटखट के खुरों के सारे निशान भी मिट चले थे और उन्हें देख पाना मुमकिन न था।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"“नटखट का कहीं कोई नामोनिशान नहीं। हो सकता है बाड़े का दरवाज़ा ठीक से बंद न किया गया हो और वह भाग निकला हो।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"“उस विशालकाय एक-पंख गजपक्षी के अलावा और कौन हो सकता है भला? उसे तो ख़त्म कर देना चाहिए!” दूधवाले ने कहा, “बरसों से यूँ चुपचाप पड़े-पड़े वह दुष्ट अपनी योजनाएँ बनाता रहा है!”"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"“सही है, इधर बरसों की आराम की ज़िन्दगी ने उसे ख़तरनाक बना दिया है,” मुनिया के पिताजी ज़ोर देकर बोले। “आज एक घोड़ा गया है, कल को हमारे बच्चों की बारी हो सकती है...”"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"इस पर मुखिया गाँव वालों की गुस्सैल आवाज़ों से भी ऊँची आवाज़ में बोला, “भाइयों, यह बात सही है कि हमारा सामना एक राक्षस से है, लेकिन हमारे पास संख्या की शक्ति है। इसलिए आइये इकट्ठे हो अपनी हिम्मत बाँध उसे ख़त्म करें!” बदले में एक सहमति भरी हुंकार गूँज उठी।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"“अपनी चुटिया तो बना नहीं सकती और चली हो हमें सलाह देने?” मुनिया के बाबूजी आँखें तरेरते हुए उसकी तरफ़ बढ़े। “जाओ, जाकर अपने दोस्तों के साथ खेलो!”"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"“एक वही राक्षस तो बस मेरा दोस्त है।” उसके पिताजी ने उसकी तरफ़ गुस्से से देखा। लेकिन वह रोयी नहीं और वहीं पर गाँव वालों के सामने खड़ी रही। “अरे लड़की को छोड़ो, हम लोग उस राक्षस को सवेरे-सवेरे धर लेंगे,” एक हट्टा-कट्टा आदमी बोला। “तो फिर कल सुबह की बात पक्की,” मुखिया ने कहा और सभा विसर्जित हो गयी।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"मुनिया के पास सिर्फ एक रात थी। सवाल ये था कि वह उसकी बेगुनाही भला कैसे साबित करे? “सोचो मुनिया, सोचो!” फुसफुसाकर उसने खुद से कहा। “दूधवाले ने नटखट को झील की ओर जाने वाली सड़क पर तेज़ी से भागते हुए देखा था...लेकिन झील तक पहुँचने से पहले वह सड़क एक मोड़ लेती है और चन्देसरा की ओर जाती है। क्या पता नटखट अगर वहीं गया हो तो?”"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"चन्देसरा कुछ ही दूर एक गाँव था। मुनिया इस सम्भावना को लेकर आशान्वित थी, लेकिन यह बात वह अपने पिताजी को नहीं कह सकती थी। उसके माँ-बाप उससे बहुत नाराज़ थे और रात को सोने के पहले भी वे उससे कुछ नहीं बोले थे। उनके सोते ही वह अपने बिस्तर से बाहर निकली, और दरवाज़े पर लटकी लालटेन लेकर वह घर के बाहर हो ली। गाँव पार करने के बाद वह चन्देसरा जाने वाले जंगल के रास्ते पर चल दी।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"अगली सुबह सारे गाँव वाले लाठियाँ, भाले, नुकीले पत्थर, और बड़े-बड़े चाकू लेकर जंगल झील पर इकट्ठे हुए। विशालकाय एक-पंख गजपक्षी उस वक्त झील के समीप आराम फ़रमा रहा था जब गाँव वालों की भीड़ उसकी ओर बढ़ी। पक्षी की पंखहीन पीठ धूप में चमक रही थी। वह धीरे से उठा और अपनी तरफ़ आती भीड़ को ताकने लगा। उसके विराट आकार को देख गाँव वाले थोड़ी दूर पर आकर रुक गये और आगे बढ़ने को लेकर दुविधा में पड़ गये। पल भर की ठिठक के बाद मुखिया चिल्लाया, “तैयार हो जाओ!” भीड़ गरजी, अपने-अपने हथियारों पर उनके हाथों की पकड़ और मज़बूत हुई और वे तैयार हो चले उस भीमकाय को रौंदने के लिए।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"“ठहरो!” सारे शोर-शराबे को चीर कर मुनिया की पतली सी आवाज़ आयी। भीड़ और उस महाकाय के बीच से लँगड़ाती हुई वह आगे बढ़ी। “मुनिया! तुरन्त वापस आ जाओ!” मुनिया के बाबूजी का आदेश था। “उसे पकड़ो तो!” मुनिया के बाबूजी और एक ग्रामीण उसकी ओर दौड़ पड़े। महाकाय को दो कदम आगे बढ़ता देख वे लोग रुक गये। “कोई बात नहीं... अगर तुम लोग यही चाहते हो तो हम लोग तुम दोनों से इकट्ठे ही निपटेंगे!” अपने हाथ में भाला उठाये वह हट्टा-कट्टा आदमी चीखा।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"“क्या हो रहा है?” भीड़ में पीछे से कोई चिल्लाया।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"लम्बी दाढ़ी और हल्के कूबड़ वाला एक आदमी अपने हाथ में नटखट की लगाम थामे नज़र आया। “क्या हो रहा है?” उसने अपना सवाल दोहराया।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"यह कहानी एक वास्तविक गजपक्षी से प्रेरित है। इस विशाल पक्षी, एलिफेंट बर्ड, को वैज्ञानिकों ने एपियोरनिस मेक्सिमस का नाम दिया। यह दुनिया का सबसे बड़ा पक्षी था और मेडागास्कर के द्वीपों में पाया जाता था। वनों के नष्ट होने और आबादी बढ़ने से ये विशाल पक्षी 1700 ई. के आस-पास लुप्त हो गए।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"कान हो गए पीले।"
रंग

"पेट हो गया भूरा।"
रंग

"मुँह हो गया लाल।"
रंग

"हाथ हो गए नीले।"
रंग

"पीठ हो गई हरी।"
रंग

"पैर हो गए गुलाबी।"
रंग

"भालू हो गया रंगीन।"
रंग

"“मैं अब बड़ी हो गई हूँ,” मैं कहती हूँ।"
स्कूल का पहला दिन

"क्या वह गायब हो जाएँगी? मैं दौड़कर उनके पास जाती हूँ।"
स्कूल का पहला दिन

"मुझे नहीं लगता कि मैं बड़ी हो चुकी हूँ। मैं उनका हाथ पकड़ती हूँ और कहती हूँ, “मत जाओ!”"
स्कूल का पहला दिन

"“मैं अब बड़ी हो गई हूँ,” मैं कहती हूँ।"
स्कूल का पहला दिन

"क्या वह गायब हो जायेंगी? मैं दौड़कर उनके पास जाती हूँ।"
स्कूल का पहला दिन

"मुझे नहीं लगता कि मैं बड़ी हो चुकी हूँ। मैं उनका हाथ पकड़ती हूँ और कहती हूँ, "मत जाओ!""
स्कूल का पहला दिन

"गाड़ी तैयार हो गई। पापा धागा लगाने लगे।"
सोना सयानी

"अब तो भीमा निराश हो गया।"
भीमा गधा

"फिर उसकी चॉक खतम हो गई।"
छुक-छुक-छक

"वीना और विनय ने रंग के दो डिब्बे उठाए और हो गए काम के लिए तैयार।"
नन्हे मददगार

"गाल गर्म हो गए हैं।"
क्यों भई क्यों?

"मुँह गोल हो रहा है।"
क्यों भई क्यों?

"वह गंजा हो गया."
कहानी- गजानन गंजे

"“यह क्या सोना?” माँ और परेशान हो गईं।"
सोना बड़ी सयानी

"“अरे! तुमने कैसे जाना?” माँ हैरान हो गईं।"
सोना बड़ी सयानी

"“शाम भी हो गई। अब मैं अपने बाल काटने का वादा कैसे पूरा करूँगा? हे भगवान, मेरी मदद करो!”"
सालाना बाल-कटाई दिवस

"जीत हमारी हो गई!"
सबरंग

"जैसे पंडित हो विद्वान।"
सबरंग

"साथ उसी के तब हो ली।"
सबरंग

"नानी की ऐनक हमेशा गुम हो जाती है।"
नानी की ऐनक

"लम्बू जिराफ़ खुश हो गया।"
जंगल का स्कूल

"जल्दी ही सब दोस्त वहाँ इकट्ठा हो गए।"
जंगल का स्कूल

"पुराखा और मिंकू परेशान हो गये।
धीमे डर गया।"
जंगल का स्कूल

"सुखिया काका उसे देख कर खुश हो गए।"
बारिश में क्या गाएँ ?

"हर सुबह, जैसे ही उसके पापा दाढ़ी बनाना शुरू करते हैं, अनु भी उनके पास आकर बैठ जाती है। बड़े ध्यान से उन्हें दाढ़ी बनाते हुए देखती है। उसके पापा अपनी दो उँगलियों में एक छुटकू-सी कैंची पकड़े, कच-कच-कच... अपनी मूँछों को तराशने में जुट जाते हैं।
 और अनु है कि कहती जाती है, “थोड़ा बाएँ... अब थोड़ा-सा दाएँ... पापा नहीं ना! आप अपनी मूँछों को और छोटा मत कीजिए!
 आप ऐसा करेंगे तो मैं आपसे कट्टी हो जाऊँगी!”"
पापा की मूँछें

"सो अनु भी तन जाती है, “लो, हो गया पापा! अब आप इसे बिगाड़ेंगे नहीं, ठीक है?”"
पापा की मूँछें

"अनु हमेशा सोचा करती है, पापा अगर एक अच्छा कुरता पहन लें, सिर पर एक पगड़ी रख अपनी कमर पर एक तलवार लटका लें और एक घोड़े पर सवार हो जायें, तो कितने शानदार लगेंगे पापा!"
पापा की मूँछें

"एक खिलाड़ी की आँखों पर पट्टी बाँधिए। उसे दानों को छू कर पहचानना पड़ेगा। देखिये वह कितने दाने सही पहचान पाता है। यह खेल एक और तरह से भी खेला जा सकता है। सभी खिलाड़ी आँखें बंद करके दानों को अलग करने की कोशिश करें और देखें कि इसमें कितने सफल हो पाते हैं।"
दाल का दाना

""ठीक है, अगर तुम नहीं मानती हो तो मैं तुम्हारी पूँछ बदल देता हूँ," डॉक्टर बोम्बो ने नाक पर चश्मा ऊपर खिसकाया।"
चुलबुल की पूँछ

"चुलबुल खुश हो गई। डॉक्टर बोम्बो ने उसकी पूँछ निकाल कर उसकी जगह बन्दर की पूँछ लगा दी।"
चुलबुल की पूँछ

"लेकिन यह क्या, चला क्यों नहीं जा रहा है, शरीर इतना भारी क्यों लग रहा है? चुलबुल थोड़ी सी परेशान हो गई।बड़ी मुश्किल से दरवाज़े के बाहर निकली।"
चुलबुल की पूँछ

""गलती हो गई डॉक्टर दादा। आप मुझे बिल्ली की पूँछ लगा दो," चुलबुल ने अपनी गलती मानते हुए सलाह दी।"
चुलबुल की पूँछ

"देखा? अब मेरे दिल की धड़कन तेज़ हो गई
।"
चुप! मेरी नाक कुछ कह रही है...

"“मैं जानती हूँ, सुबह हो चुकी है।"
एक सौ सैंतीसवाँ पैर

"गौरैया बोली और वहाँ से फुर्र हो गई।"
एक सौ सैंतीसवाँ पैर

"इन बातों से गोजर अब बहुत दुखी हो गई।"
एक सौ सैंतीसवाँ पैर

"“मेरा एक पैर टूट गया और मुझे तकली़फ़ हो रही है।"
एक सौ सैंतीसवाँ पैर

""मुझे इस पैकेट से तेल निकाल कर बोतल में डालना है, और देखो ना, बोतल का मुंह कितना छोटा है!मुझे यकीन है कि आज मेरी रसोई ज़रूर गंदी हो जाएगी।" मंगल चाचा ने कहा।"
गुल्ली का गज़ब पिटारा

"“चीनू क्या हो रहा है?” टीचर ने कहा"
कबाड़ी वाला

"चीनू दौड़ कर ठेले से एक और खाली बोरी ले आया। वे लिफ्ट में ऊपर जाने वाले थे! चीनू की आँखें बड़ी-बड़ी और गोल हो गईं।"
कबाड़ी वाला

"तब चीकू हो गयी बहुत दुखी।"
कचरे का बादल

"अगले दिन, कचरे का वह बादल थोड़ा सा छोटा हो गया!"
कचरे का बादल

"रीमा आंटी थैलियाँ उठाकर वहाँ से चली गई! अगले दिन जब चीकू सो कर उठी, तो बादल और भी छोटा हो गया था।चीकू मुस्कराई, वह समझ गई थी कि उसे क्या करना है।"
कचरे का बादल

"फिर एक दिन वो गायब हो गया।"
कचरे का बादल

"और चीकू शायद दुनिया की सबसे ख़ुश लड़की हो गई।"
कचरे का बादल

"कभी सोचा है कि जो कचरा हम कूड़ेदान में फेंक देते है उसका क्या होता होगा? नहीं, वह हमारे सिर पर बादल बन कर नहीं मँडराता लेकिन जो भी कचरा हम फेंकते है वो हमारे घर के पास बने बड़े से कचराघर में जमा हो जाता है। सब कुछ एक साथ, सड़ती सब्जियाँ, टॉफ़ी के रैपर, किताबों-कापियों के फटे पन्ने।"
कचरे का बादल

"जब भी हम केले के छिलके या पेंसिल की छीलन सड़क पर फेंकते है, तो यह कचरा सड़क के किनारे इकठ्ठा हो जाता है। कुछ उन नालियों के अंदर चला जाता है और उन में जमा हो जाता है। रूकी हुई नालियों में मक्खी-मच्छर पैदा होते हैं जो बीमारियाँ फैलाते हैं! इससे हमारा पर्यावरण गन्दा होता है और अपने आसपास कूड़ा- कचरा तो किसी को भी अच्छा नहीं लगता। चीकू के दिल से पूछिये।"
कचरे का बादल

"पंजाब के किसी गाँव में गेहूँ के खेतों के पास एक गुलमोहर के पेड़ पर मुन्नी गौरैया अपने घोंसले के पास बैठी थी। अपने तीन अनमोल छोटे-छोटे अंडों की निगरानी करती वह उनसे चूज़ों के निकलने का इंतज़ार कर रही थी। मुन्नी सुर्ख लाल फूलों को देखती खुश हो रही थी कि तभी ऊपर की डाल पर एक काला साया दिखा। वह गाँव का लफंगा, काका कौवा था। मुन्नी घबराकर चीं-चीं करने लगी।"
काका और मुन्नी

"काका खुद को बहुत बाँका समझता था। उसे यह बात अच्छी नहीं लगी कि वह सा़फ -सुथरा नहीं दिख रहा। वह झटपट पानी की धारा के पास पहुँचा। वह धारा में अपनी चोंच डुबो ही रहा था कि धारा ज़ोर से चिल्लाई, “काका! रुको! अगर तुमने अपनी गन्दी चोंच मुझ में डुबोई तो मेरा सारा पानी गन्दा हो जायेगा। तुम एक कसोरा ले आओ। उस में पानी भरकर अपनी चोंच उसी में धो लो।”"
काका और मुन्नी

"(Collage) हैं। कोलाज, अलग-अलग चीज़ों के टुकड़ों को जोड़कर एक नयी तस्वीर को बनाने का एक तरीका होता है। यह चीज़ें हाथों से बनी या इस किताब की तरह छपा हुआ काग़ज, अखबार और मैगज़ीन की कतरनें, पुराने कार्ड, छायाचित्र, कपड़ा, रिबन, सूखे फूल या पत्ते, या आसानी से मिल जानेवाली कोई भी चीज़ हो सकती है!"
काका और मुन्नी

"फ़सल तैयार हो गई और उसे बेचा गया। ओम ने कहा, “मुझे धनराशि का ज़्यादा भाग मिलना चाहिए क्योंकि मैंने खेत में ज़्यादा मेहनत की है।” दूसरी ओर घनश्याम ने कहा, “मैंने भी दिन-रात भगवान की पूजा की जिससे अच्छी फ़सल तैयार हुई है।”"
मेहनत का फल

"सुबह मुखिया ने दोनों को चावल दिखाने को कहा। ओम ने आधे से ज़्यादा चावल साफ़ कर दिए थे। घनश्याम से बोला गया तो उसने कहा, “मैंने भगवान से प्रार्थना की है, चावल साफ़ हो गए होंगे।""
मेहनत का फल

"कई तरह से बच्चों को पटा कर, मिन्नतें कर, जब वह बच्चों से रेडियो लेती तब तक समाचार खतम ही हो जाते थे। “अब समाचार समाप्त हुए,” बस कभी कभार यही सुनने को मिलता।"
मछली ने समाचार सुने

"“आपको कोई तकलीफ़ न हो इसकी व्यवस्था मैं करूँगा।” सभी की मानो जान में जान आई। कॉफ़ी पीकर मुखिया उनको निश्‍चित रहने का ढाँढस बँधा कर घर गया।"
मछली ने समाचार सुने

"मुमताज़ काम करती तो लक्का और लोटन दाना चुग कर बादलों में गुम हो जाते लेकिन कुछ ही देर बाद थोड़ा और दाना चुगने लौट आते।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने

"“देखती हूँ न! देखती हूँ कि मैं भी लोटन और लक्का की तरह नीले आसमान में उड़ रही हूँ और न जाने कहाँ-कहाँ जाती हूँ सपनों में,” मुमताज़ बोली, “शायद उड़ते-उड़ते किसी रोज़ कहीं नानी से मुलाकात ही हो जाए...।”"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने

"अगले रोज़ मुन्नु ने देखा कि मुमताज़ अपने कबूतरों के पास उदास बैठी है। पूछने पर वह बोली “सफ़ेद कपड़े पर कढ़ाई करना बहुत मुश्किल होता है क्योंकि वह बहुत जल्दी गंदा हो जाता है। और अपने रंगीन धागों के बिना मैं काढ़ूँगी भी कैसे?” मुमताज़ मायूस थी।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने

"और जानते हो इस बार मुमताज़ उड़ कर कहाँ पहुँची? वह पहुँची एक बहुत ही प्राचीन नगरी में-जहाँ कोई रंग नहीं था! वहाँ उसने कितने ही लोग देखे-कुछ पैदल थे और कुछ बहुत ही बढ़िया, चमकदार गाड़ियों पर सवार थे। लेकिन हैरत की बात यह थी कि सब लोगों ने सफ़ेद कपड़े पहन रखे थे-सुंदर, महीन कढ़ाई वाले चाँदनी से रौशन, चमकते सफ़ेद कपड़े!"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने

"अब तो कमरु और मेहरु की जलन का ठिकाना ही नहीं रहा। मुमताज़ का कहीं और नाम न हो जाए, इसके लिए उन्होंने एक और योजना बनाई। काढ़ने से पहले कपड़े पर कच्चे रंग से नमूने की छपाई होती थी। कढ़ाई होने के बाद कपड़े को धोया जाता था जिससे वे सब रंग निकल जाते थे।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने

"”सीख रहा हूँ, हुज़ूर,“रज़ा ने घबराया-सा जवाब दिया,”पर कपड़ा काटने में अभी भी गलती हो जाती हैं।“"
रज़ा और बादशाह

"रहमत ने अकबर को एक स़फेद अंगरखा पहनने में मदद करी। धनी सिंह एक बड़ा-सा आईना ले आये और राजा के सामने लेकर खड़े हो गये।"
रज़ा और बादशाह

"प्रिय... जो भी हो, तुम जानती ही हो कि तुम कौन हो। और यूँ भी तुम यह पत्र कभी नहीं देख पाओगी।"
थोड़ी सी मदद

"जानती हो कल क्या हुआ? गौरव, अली और सातवीं कक्षा के उनके दो और दोस्त स्कूल की छुट्टी के बाद मेरे पीछे पड़ गए। तुम समझ ही गई होगी कि वह क्या जानना चाहते होंगे! उन्होंने मेरा बस्ता छीन लिया और वापस नहीं दे रहे थे। बाद में उन्होंने उसे सड़क किनारे झाड़ियों में फेंक दिया। उसे लाने के लिए मुझे घिसटते हुए ढलान पर जाना पड़ा। मेरी कमीज़ फट गई और माँ ने मुझे डाँटा।"
थोड़ी सी मदद

"मैं सबसे कहता हूँ कि वे जो कुछ भी जानना चाहते हैं ख़ुद तुमसे ही पूछ लें। मुझसे पूछने का क्या मतलब? मुझे कैसे पता हो सकता है कि तुम्हारे पास वह चीज क्यों है और वह कैसे काम करती है?"
थोड़ी सी मदद

"सच कहूँ तो ख़ुद मैं भी यह बात जानना चाहता हूँ और मेरे मन में भी वही सवाल हैं जो लोग तुम्हारे बारे में मुझसे पूछते हैं। हाँ, मैंने पहले दिन ही, जब तुम कक्षा में आई थीं, गौर किया था कि तुम एक ही हाथ से सारे काम करती हो और तुम्हारा बायाँ हाथ कभी हिलता भी नहीं। पहले-पहल मुझे समझ में नहीं आया कि इसकी वजह क्या है। फिर, जब मैं और नजदीक आया, तब देखा कि कुछ है जो ठीक सा नहीं है। वह अजीब लग रहा था, जैसे तुम्हारे हाथ पर प्लास्टिक की परत चढ़ी हो। मैं समझा कि यह किसी किस्म का खिलौना हाथ होगा। मुझे बात समझने में कुछ समय लगा। इसके अलावा, खाने की छुट्टी के दौरान जो हुआ वह मुझसे छुपा नहीं था।"
थोड़ी सी मदद

"सुनो, मैं तुम्हें एक सलाह देना चाहता हूँ। यह ठीक है कि तुम हमारे स्कूल में नई हो। लेकिन अगर तुम चाहती हो कि कोई तुम्हें घूर-घूर कर न देखे, और तुम्हारे बारे में बातें न करें, तो तुम्हें भी हर समय सबसे अलग-थलग खड़े रहना बंद करना होगा। तुम हमारे साथ खेलती क्यों नहीं? तुम झूला झूलने क्यों नहीं आतीं? झूला झूलना तो सब को अच्छा लगता है। तुम्हें स्कूल में दो हफ्ते हो चुके हैं, अब तो तुम खुद भी आ सकती हो। मैं हमेशा तो तुम्हारा ध्यान नहीं रख सकता न।"
थोड़ी सी मदद

"सुमी अपने जूते के फीते नहीं बाँध सकी। और खेलने के बाद भी उसे जूते के फीते बाँधने का ध्यान नहीं रहा, और वह उलझ कर गिर पड़ी। उसकी ठोड़ी में चोट लग गई। जब मैडम ने उसकी ठोड़ी की चोट देखी तो उस पर ऐंटीसेप्टिक क्रीम तो लगा दी, लेकिन उसे लापरवाही बरतने के लिए डाँट भी पड़ी। “जूतों के फीते बाँधे बिना पहाड़ों में दौड़ लगाई जाती है? घर जाते समय गिर पड़तीं या और कुछ हो जाता तो क्या होता?“"
थोड़ी सी मदद

"तुम जानती हो न कि सँयोग क्या होता है? यह ऐसी बात है कि जैसे तुम कुछ कहो और थोड़ी देर में वही बात कुछ अलग तरीके से सच हो जाए। पिछले पत्र में मैंने तुम्हें सुमी और जूतों के फीतों के बारे में बताया था। और उसके बाद, आज, मैंने तुम्हें जूतों के फीते बाँधते हुए देखा। वाह, यह अद्भुत था! मैं सोचता हूँ कि तुमने यह काम मुझसे ज़्यादा जल्दी किया जबकि मैं दोनों हाथों से काम करता हूँ। अगर तुम मेरी दोस्त न होतीं तो मैं तुम्हारे साथ जूते के फीते बाँधने की रेस लगाता। नहीं, नहीं, शायद मैं तुम्हें कहता कि मुझे भी एक हाथ से फीते बाँधना सिखाओ।"
थोड़ी सी मदद

"तुम्हारी बात सुनने के बाद, मैंने एक हाथ से बहुत सी चीजें करने की कोशिश की। लेकिन यह बहुत ही मुश्किल है! मुझे अभी तक यह समझ नहीं आया कि तुम नहाना, कपड़े पहनना, बैग संभालना जैसे काम ख़ुद ही कैसे कर लेती हो। उस दिन खाने की छुट्टी के बाद की बातचीत के बाद से मैंने महसूस किया कि तुम भले ही कुछ कामों को थोड़ा अलग ढँग से करती हो, लेकिन तुम भी वह सारे काम कर लेती हो जो बाकी सब लोग करते हैं।"
थोड़ी सी मदद

"पिछली बार, हमारे स्कूल में तुम्हारे आने से पहले, हमें एक बाघ के बच्चे की फ़िल्म दिखाई गयी थी जो जँगल में भटक गया था। हम भी उसे लेकर चिंता में पड़ गए थे क्योंकि वह एक सच्ची कहानी थी। बाद में वह बाघ का बच्चा किसी को मिल जाता है और वह उसे उसके परिवार से मिला देता है। जानती हो ऐसी सच्ची कहानियों को डॉक्यूमेंट्री कहा जाता है। बाघ के बच्चे बड़े प्यारे होते हैं, हैं न?"
थोड़ी सी मदद

"पिछले बरस, हमारे घर के पास एक पिल्ला रहता था। वह भी बहुत प्यारा था, लेकिन फिर वह बड़ा हो गया और पहले जैसा प्यारा नहीं रह गया। अच्छा, अब चलता हूँ! मैं"
थोड़ी सी मदद

"पता नहीं इसका क्या मतलब है, लेकिन वे बहुत परेशान दिखते हैं। तुमने उनके बाल देखे हैं? वह ऐसे लगते हैं जैसे उन्होंने बिजली का नँगा तार छू लिया हो और उन्हें करारा झटका लगा हो! वैसे, मुझे लगता है कि रानी ने उनकी कुर्सी पर मेंढक रख कर अच्छा नहीं किया।"
थोड़ी सी मदद

"तुम्हारा नया हाथ तो बहुत ही बढ़िया है! बुरा न मानना, लेकिन पुराना वाला हाथ कुछ उबाऊ था। बस था... नाम को। जबकि नया वाला तो बिल्कुल जादू जैसा है, और तुम उँगलियाँ भी चला सकती हो और उनसे चीजें भी पकड़ सकती हो! मुझे उम्मीद है कि अगर मैं तुमसे हाथ मिलाने के लिए कहूँ तो तुम बुरा नहीं मानोगी। अरे यह बात बस मेरे मुँह से यूँ ही निकल गई। कल देखेंगे कि क्या तुम इस से कुछ सामान भी उठा सकती हो।"
थोड़ी सी मदद

"यह प्रश्नोत्तरी हल करके पता लगाएँ कि नए लोगों के बीच जगह बनाने की कोशिश कर रहे लोगों की मदद करने में आप कितने कारगर साबित हो सकते हैं!"
थोड़ी सी मदद

"3. आपके नए सहपाठी को पहले पढ़ाए गये पाठ समझने में दिक्कत हो रही है। आप क्या करेंगे?"
थोड़ी सी मदद