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Storybook paragraphs containing word (23)
"“अभी नहीं बेटा, पहले सो लो।”"
अभी नहीं, अभी नहीं!
"उस रात मैं ग़ुस्से में सो गया।"
अभी नहीं, अभी नहीं!
"ख़ूबसूरत चाँदनी रात थी, सारे पशु सो रहे थे।"
सो जाओ टिंकु!
"वह दाएँ मुड़ा फिर बाएँ मुड़ा। उसने कंबल ओढ़ा, फिर उतार फेंका। वह पेट के बल लेटा, फिर चित हुआ, इधर-उधर करवट बदली, पर नहीं! वह सो ही नहीं पाया!"
सो जाओ टिंकु!
"“हाँ!” अम्मा बोली, “तुम्हारे रात के दोस्त रात को ही अपना काम करते हैं। वे रात को ही खाते और खेलते हैं। वे दिन में आराम करते हैं। तुम अब सो जाओ। नींद तुम्हें ताकत देगी, ताकि कल तुम अपने दिन के दोस्तों के साथ खेल सको। सो जाओ मेरे प्यारे बच्चे!”"
सो जाओ टिंकु!
"अब नींद आयी, सब सो जाना।"
चुन्नु-मुन्नु का नहाना
"और शेर अपनी गुफ़ा में दोबारा चैन से सो गया।"
सालाना बाल-कटाई दिवस
"रात पड़ी, सो जाओ ना।"
सबरंग
"दरवाज़े के पास एक कुत्ता सो रहा था।"
दाल का दाना
"अगले दिन जब चीकू सो कर उठी तो चारों तरफ मक्खियाँ भिनभिना रही थी, हर तरफ बदबू ही बदबू थी।"
कचरे का बादल
"रीमा आंटी थैलियाँ उठाकर वहाँ से चली गई! अगले दिन जब चीकू सो कर उठी, तो बादल और भी छोटा हो गया था।चीकू मुस्कराई, वह समझ गई थी कि उसे क्या करना है।"
कचरे का बादल
"गणित के सवाल, विज्ञान,फुटबॉल खेलना और स्कूल के कार्यक्रमों में गाना - यह सब उसे पसंद था। पर फिर क्यों, क्यों वह कभी भी समय से स्कूल नहीं पहुँच पाता था? मास्टर जी भी यह समझ नहीं पाते थे। अब परसों की बात थी कि कल्लू की खिल्ली उड़ाते हुए बोले थे कि बेहतर होगा कि कल्लू रात को स्कूल के बरामदे में ही सो रहे और यह सुन के सब बच्चे कल्लू पर हँसे थे।"
कल्लू कहानीबाज़
"कल्लू हिला नहीं, “यानि मैं और सो सकता था? नाश्ता खा सकता था?” उसने साँस भरी।"
कल्लू कहानीबाज़
"“मेरी माँ कहा करती थीं देवी भरे पेट को इंकार नहीं कर सकती। सो मैं अपने रसोइए से कहता हूँ कि मुझे शानदार भोजन बनाकर दे, गरम, मीठे पकवानों से भरा। बस, खाने के दो मिनट के अंदर, मैं पूरी नींद में होता हूँ।”"
कोट्टवी राजा और उनींदा देश
"वित्त मंत्रीजी भी पीछे नहीं रहना चाहते थे। सो उन्होंने कहा, “मैं हर रात शहद मिलाकर गरम दूध पीता हूँ। बिलकुल सहज, कोई तामझाम नहीं। रसोइए को परेशान करने की भी ज़रुरत नहीं। और मैं हमेशा पूरे नौ घंटे सोता हूँ।”"
कोट्टवी राजा और उनींदा देश
"राज संगीतकार को यह खाने की कहानियाँ बिलकुल नहीं भा रही थीं। भरा पेट हो, तो वो गा ही नहीं सकते! मगर वो भी कुछ मदद करना चाहते थे। सो उन्होंने कहा, “हमारे वंश में, महाराज, हम निद्रा देवी का स्वागत हमेशा संगीत से ही करते हैं। नीलाम्बरी राग में गाई हुई कोई सुन्दर रचना, वीणा की संगत में... आ हा, परमानन्द!”"
कोट्टवी राजा और उनींदा देश
"घी के साथ गरम चावल, गरमा गरम साम्बर, तले हुए आलू, जिमीकंद और खसखस की खीर। और इस सब को ढंग से पचाने के लिए, ठंडी छाछ। इस आशा में कि वो रात को अच्छी नींद सो पाएंगे, राजा ने हर चीज़ को दो - दो बार खाया।"
कोट्टवी राजा और उनींदा देश
"कोट्टवी राजा ने एक ही सांस में उसे पी लिया। ओह! पेट कितना भर गया! उठना नामुमकिन, हिलना नामुमकिन और लेट कर सो जाना तो बिलकुल ही नामुमकिन।"
कोट्टवी राजा और उनींदा देश
"बीस मिनट बाद, वो बस सोने ही वाले थे कि - झंग! झणार! झप! वीणा वादक अपनी वीणा पर सो गया था।"
कोट्टवी राजा और उनींदा देश
"विदूषक ने एक लम्बी, उब्काऊ सी कहानी शुरू की, इस उम्मीद से कि राजा उसे सुनते ही सो जायेंगे। आह, मगर हमारे राजा को चैन कहाँ था। बेचैन होकर पूछते रहे, “हाँ हाँ, वो तो ठीक है, मगर कहानी ख़तम कैसे होती है?”"
कोट्टवी राजा और उनींदा देश
"निद्रा देवी को यह बेचैनी पसंद नहीं आई। सो वो दूर ही रहीं। एक घंटे बाद, थकी हुई आवाज़ लेकर विदूषक थका हारा सा अपने घर लौट गया। और राजा? वो तो अब भी जाग रहे थे।"
कोट्टवी राजा और उनींदा देश
"“बस, मोगरे के बगीचे तक ही, ठीक है? उसके बाद हम लौटकर सो जायेंगे!”"
कोट्टवी राजा और उनींदा देश
"और फिर, अंत में, वो रात के भोजन के बाद ही सो गए। प्रायः हर सुबह वो चुस्ती से जागते! उनकी चाल में उचक आ गई और वो सभी की ओर देखकर मुस्कुराने लगे।"
कोट्टवी राजा और उनींदा देश