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Storybook paragraphs containing word (13)
"शिरीष जी खुश होकर मुस्कराने लगे। मुस्कराते ही पान से रंगे उनके दाँत दिखने लगे। उन्होंने जल्दी से पानी पिया, फिर भीड़ छटने लगी। “लो जादू तो अभी हो गया,” शिरीष जी ने मज़ाक में कहा।"
उड़ने वाला ऑटो
"शिरीष जी ने शीशे में खुद को देखा तो उन्हें एक हीरो जैसा चेहरा दिखाई दिया। उनके दाँत बिलकुल स़फेद और शरीर चमक रहा था। जोश में चिल्लाकर उन्होंने कहा, “हमें और पानी पीना चाहिए!”"
उड़ने वाला ऑटो
"साल 1870 का था। स्थान न्यू लंदन, कनेक्टिकट, यूनाइटेड स्टेट्स; सुबह सात बजे बच्चे बिस्तर से कूदे, उनकी माँओं ने उन्हें दाँत साफ़ करने की जल्दी मचाई, उनके हाथ में दातुन (टूथस्टिक) और टूथपेस्ट के मर्तबान दिए।"
टूथपेस्ट ट्यूब के अंदर कैसे आया?
"क्या? क्या मैंने अभी कहा - 'दातुन'? हाँ, बिलकुल सही! 1870 ई. में वे अपने दाँत साफ़ करने के लिए दातुन का उपयोग करते थे। दातुन एक पतली टहनी को तोड़कर बनाया गया टुकड़ा था जिसका अंतिम सिरा अस्त-व्यस्त सा था। कुछ भाग्यशाली बच्चों के पास दातुन के एक सिरे पर जंगली सूअर के बाल लगे होते थे, जिससे उसमें अलग चमक आती थी।"
टूथपेस्ट ट्यूब के अंदर कैसे आया?
"दरअसल, टूथपेस्ट भरे उसी चीनी मिट्टी के मर्तबान में घर के सभी सदस्य अपना दातुन डुबाते थे। यहाँ तक कि उनकी बूढ़ी चाची भी, जिनके पीले और काले दाँत उनके दातुन से मेल खाते थे।"
टूथपेस्ट ट्यूब के अंदर कैसे आया?
"स्वस्थ दाँत के लिए प्राचीन भारतीय नुस्खे:"
टूथपेस्ट ट्यूब के अंदर कैसे आया?
"● पुदीना, लौंग, दालचीनी, काली मिर्च और तुलसी सहित अन्य जड़ी- बूटियाँ और मसाले दाँत के लिए अच्छे होते हैं।"
टूथपेस्ट ट्यूब के अंदर कैसे आया?
"● रेशे वाले फल और सब्जियाँ खाने से दाँत मज़बूत होते हैं, जैसे कि सेब, गाजर, दाँत साफ़ रखने में सहायक हैं।"
टूथपेस्ट ट्यूब के अंदर कैसे आया?
"क्या हो अगर मेरे दाँत सबसे मज़बूत हों?"
क्या होता अगर?
"“तुम्हें इसमें हँसी-ठठ्ठा नज़र आता है?” उसने अपने दाँत पीसे और मुड़ कर चली गयी।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी
"ठंड में कल्लू दाँत किटकिटाता हुआ उठा, “सूरज? कहाँ है सूरज?”"
कल्लू कहानीबाज़
"“हाँ, और एक अच्छी खासी कहानी भी बरबाद हो गई,” मास्टर जी ने हमदर्दी जताई “चलो, अब अन्दर तो आ ही जाओ।” “शब्बो को भुगतना पड़ेगा,” कल्लू ने दाँत पीसे, “छोड़ूँगा नहीं उसे।” “क्या करोगे?” “दूसरी टाँग तोड़ दूँगा!” कल्लू ने बिफ़र कर कहा।"
कल्लू कहानीबाज़
"जादव ने अपनी कोशिशों से जिस बिना-पेड़ों-वाली-जगह को पेड़ों से भर दिया था, वहाँ अब जिधर देखो पँख, चोंच, डैने, पँजे, पूँछ और ज़हरीले दाँत नज़र आते थे!"
जादव का जँगल