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Storybook paragraphs containing word (14)
"जब मधुमक्खियाँ शहद चूसने के लिए फूलों पर बैठती हैं, तभी पराग के दाने उनके पाँवों व शरीर पर चिपक जाते हैं।"
मधुमक्खियाँ क्यों भन-भन करती हैं?
"अधिकांश हवाई जहाज़ तभी उड़ पाते हैं जब वे बहुत ही तेज़ी से दौड़ते हैं। रनवे हवाई अड्डा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो हवाई जहाज़ों को अपनी गति बढ़ाने के लिए पर्याप्त समय देता है। और अंत में वे उड़ान भरते हैं।"
हवाई जहाज़ कैसे उड़ते हैं?
"”हूँ... यह बात तो ठीक है, गाँधी जी! बिन्नी तभी खाती है, जब मैं उसे खिलाता हूँ,“ धनी ने प्यार से बिन्नी का सर सहलाया, ”और स़िर्फ मैं जानता हूँ कि इसे क्या पसन्द है।“"
स्वतंत्रता की ओर
"टूका और पोई ने एक-दूसरे को हैरानी से देखा। उन्हें आस-पास कोई नहीं दिखाई दे रहा था। तभी उन्हें दुबारा वह आवाज सुनाई दी, "यहां ऊपर देखो, ऊपर.....।” टूका और पोई ने ऊपर-नीचे, अपने आस-पास, चारों ओर देखा, लेकिन उन्हें कोई भी नहीं दिखा।"
आओ, बीज बटोरें!
"क्या होता अगर... तभी अम्मा ने डाँटा,"
क्या होता अगर?
"बस तभी! तभी दरवाज़ा खुलने की आवाज़ सुनाई दी और भैया कमरे में आए।"
जादुर्इ गुटका
"स्कूल की छुट्टी होने में पाँच मिनट रह गये थे पर चीनू और इन्तज़ार नहीं कर सकता था। उसने बाहर देखा। वहाँ कोई नहीं था। तभी कहीं पास से घंटी की टनटनाहट सुनाई दी।"
कबाड़ी वाला
"पंजाब के किसी गाँव में गेहूँ के खेतों के पास एक गुलमोहर के पेड़ पर मुन्नी गौरैया अपने घोंसले के पास बैठी थी। अपने तीन अनमोल छोटे-छोटे अंडों की निगरानी करती वह उनसे चूज़ों के निकलने का इंतज़ार कर रही थी। मुन्नी सुर्ख लाल फूलों को देखती खुश हो रही थी कि तभी ऊपर की डाल पर एक काला साया दिखा। वह गाँव का लफंगा, काका कौवा था। मुन्नी घबराकर चीं-चीं करने लगी।"
काका और मुन्नी
"काका ने खुशी-खुशी भट्ठी का दरवाज़ा खोला। तभी हवा का तेज़ झोंका आया और काका भट्ठी के कोयलों पर उलटा जा गिरा। उसकी पूँछ जल गयी। पूँछ की आग बुझाता काका चीखा,"
काका और मुन्नी
"तब हमने एक तरकीब अपनाई। हम दो दिन यहीं रुक कर लोगों से इसी बात पर चर्चा करने का सोच ही रहे थे कि तभी एक औरत पॉलिथीन में सब्ज़ी और फल के छिलके फेंकते हुए दिखी। हमने अपनी माँ से कहा कि वह उस औरत से बात करें जिस पर हमारी माँ ने सहमति दिखाते हुए कहा कि हम सब लोगों से बात करेंगे।"
पॉलिथीन बंद करो
"खेल के दौरान कर्इ अवसरों पर वे पूरे मैदान को दौड़ कर पार कर लिया करते थे और इस दौरान गेंद उनकी स्टिक से ऐसे चिपकी रहती थी मानो उसे गोंद से चिपका दिया गया हो, और गेंद तभी उनकी स्टिक से अलग होती जब वो गेंद को गोल पोस्ट के अंदर दाग दिया करते। पूरे समय के दौरान सभी खिलाड़ी और गोलकीपर असहाय नज़र आते।"
ध्यान सिंह 'चंद' : हॉकी के जादूगर
"सेना में अपनी सेवा के दौरान समे वर का हमेशा स्थानांतरण होता रहा, इसलिए समे वर दत्त कभी भी अपने बच्चों के लिए निर्बाध शिक्षा को सुनिश्चत नहीं कर सके। अंत में जब सरकार ने उन्हें झाँसी में अपना मकान बनाने के लिए कुछ ज़मीन दी, तभी उनके जीवन में कुछ ठहराव आया। लेकिन तब तक ध्यान छह साल तक पढ़ कर स्कूल छोड़ चुके थे।"
ध्यान सिंह 'चंद' : हॉकी के जादूगर
"मेरे हिसाब से तो बादल तभी गरजते हैं,"
दीदी, दीदी, बादल क्यों गरजते हैं?
"और जब समुद्र के अंदर सैर करते - करते हमारा मन गया भर, तभी हमें यह ड्यूगॉन्ग समुद्री घास चरती आयी नज़र।"
गहरे सागर के अंदर!