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Storybook paragraphs containing word (72)
"घर जाते समय ज़ोर की हवा चली। वह मेरी टोपी उड़ा ले गई।"
चाँद का तोहफ़ा
"देर रात में, चाँद निकला। उसने पुराने पीपल पर मेरी टोपी देखी।"
चाँद का तोहफ़ा
"चाँद ने मेरी टोपी पहनी और खुशी से मुस्कराया। मैं भी मुस्कराया।"
चाँद का तोहफ़ा
"मैं और मेरी दोस्त टीना दोनों साथ-साथ रहतीं| मैं खिड़की से देखती और वो भी मेरे साथ-साथ देखती| जहाँ जातीं हरदम साथ रहतीं|"
मैं और मेरी दोस्त टीना|
"टीना मेरी सबसे अच्छी दोस्त है | मैं उससे बहुत प्यार करती हूँ और हरदम साथ रहूँगी|"
मैं और मेरी दोस्त टीना|
"अरे वह तो मेरी बहन कुएं से पानी निकाल रही है! मैं नहीं डरती।"
मैं नहीं डरती !
"अरे यह तो मेरी माँ हैं। वह खेत से काम कर के घर आई हैं।"
मैं नहीं डरती !
"“क्या तुम मेरी दोस्त बनोगी?” टिंकु ने पूछा।"
सो जाओ टिंकु!
"मैं बहुत कुछ बना सकता हूँ ! मेरी बहन नहीं बना पाती!"
मैं बहुत कुछ बना सकता हूँ!
"बिलकुल मेरी तरह उन्हें भी इमारतें और मकान बनाना अच्छा लगता है।"
सबसे अच्छा घर
""फिर कुछ साल बाद," मुत्तज्जी ने बात आगे बढ़ाते हुए कहा, "मेरी शादी हो गयी। उस समय कानून था कि शादी के लिए लड़की की उम्र कम से कम 15 साल होनी चाहिए, और मेरे पिता कानून कभी नहीं तोड़ते थे। तो उस समय मेरी उम्र करीब 16 साल की रही होगी। और मेरी शादी के बाद जल्द ही तुम्हारे मुत्तज्जा को बम्बई में नौकरी मिल गयी और हम मैसूर छोड़कर वहाँ चले गए।""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
""हाँ, के आर एस।" मुत्तज्जी ने बड़े प्यार से अज्जी को देखा और कहा, "तुम्हारी अज्जी मेरी पाँचवी संतान थी, सबसे छोटी, लेकिन सबसे ज़्यादा समझदार। तुम जानते हो बच्चों, मेरे बच्चे ख़ास समय के अंतर पर हुए। हर दूसरे मानसून के बाद एक, और जिस दिन तुम्हारी अज्जी को पैदा होना था, उस दिन तुम्हारे मुत्तज्जा का कहीं अता-पता ही नहीं था। बाद मेँ उन्होंने बताया कि वो उस दिन ग्वालिया टैंक मैदान में गांधीजी का भाषण सुनने चले गए थे। और उस दिन उन्हें ऐसा जोश आ गया था कि वह सारे दिन बस "भारत छोड़ो” के नारे लगाते रहे। बुद्धू कहीं के... नन्हीं सी बच्ची को दिन भर परेशान करते रहे।""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
""इस उम्र में भी मेरी याददाशत काफी अच्छी ।""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
"”जी हाँ, गाँधी जी! मेरी दोस्त बिन्नी, जिसका दूध आप रोज़ सुबह पीते हैं,“ धनी गर्व से मुस्कराया, ”मैं इसकी देखभाल करता हूँ।“"
स्वतंत्रता की ओर
"”हाँ, ठीक बात है,“ कुछ सोचकर गाँधी जी बोले, ”मगर एक समस्या है। अगर तुम मेरे साथ जाओगे तो बिन्नी को कौन देखेगा? इतना चलने के बाद, मैं तो कमज़ोर हो जाऊँगा। इसलिये, जब मैं वापस आऊँगा तो मुझे खूब सारा दूध पीना पड़ेगा, जिससे कि मेरी ताकत लौट आये।“"
स्वतंत्रता की ओर
"“अरे वाह, तुम लोगों ने तो बहुत सारे बीज इकट्ठे कर लिए हैं", बैग देखकर पच्चा ने कहा। "वैसे क्या तुम लोग यह जानते हो कि ऐसे ही इमली के एक छोटे बीज से मैं बना हूँ? और अब मुझे देखो, कितना बड़ा हो गया हूँ। मेरी ढेर सारी शाखाएँ हैं जिन पर बहुत सारी गौरेया, गिलहरियाँ और कौए रहते हैं।“"
आओ, बीज बटोरें!
"तभी मेरी नज़र सहमती-मुस्कराती गिलहरियों पर पड़ी, जो पत्तियों के बीच छिप रही थीं।”"
तारा की गगनचुंबी यात्रा
"ब्रश करते हुए भी मेरी आँखें नहीं खुल रहीं।"
क्या होता अगर?
"क्या होता अगर मेरी गर्दन दस गुना लंबी होती?"
क्या होता अगर?
"क्या होता अगर मेरी बाँहे बहुत मज़बूत होतीं?"
क्या होता अगर?
"तितलियाँ! मुझे दिख रही हैं लाल,हरी और पीली तितलियाँ! अरे एक छोटी तितली मेरी अंगुली पर बैठी है! क्या आप को वह दिख रही है?"
तितलियां
""आ गई मेरी बच्ची! कहाँ चली गई थी तू?""
घूम-घूम घड़ियाल का अनोखा सफ़र
"“क्या तुम मेरी मदद कर सकोगी?” गोजर ने पूछा।"
एक सौ सैंतीसवाँ पैर
"“उहूँ! उहूँ! कोई मेरी मदद करना नहीं चाहता!"
एक सौ सैंतीसवाँ पैर
"“ओ मेरी नन्ही दोस्त! तुम्हें क्या हुआ,"
एक सौ सैंतीसवाँ पैर
"क्या तुम मेरी मदद कर सकोगे?” गोजर ने पूछा।"
एक सौ सैंतीसवाँ पैर
"“मेरे नौ दोस्त मेरी मदद करने के लिए यहाँ हैं। नौ एक विषम संख्या है।”"
एक, तीन, पाँच, मदद! मदद!
"ज़रा मेरी पूँछ को पकड़ कर तो देखो।"
अरे...नहीं!
"देखो, मेरी पत्तियों को मत छूना।"
अरे...नहीं!
"‘‘मेरे सारे दोस्तों-सहेलियों को मेरी याद ज़रूर आयेगी।"
एक सफ़र, एक खेल
"‘‘अब मेरी बारी है,’’ माँ ने कहा।"
एक सफ़र, एक खेल
"कुछ पैदल आते हैं, मेरी तरह।"
स्कूल का पहला दिन
"कुछ पैदल आते हैं, मेरी तरह।"
स्कूल का पहला दिन
"“सच सोना! तुमने मेरी बहुत मदद की,” पापा ने सोना को प्यार से कहा।"
सोना सयानी
"मैं उसे कहती हूँ, “देखो, मेरी नाक है।”"
टिमी और पेपे
"मैं बोलती हूँ, “देखो, मेरी आँखें हैं।”"
टिमी और पेपे
"मैं कहती हूँ, “देखो, मेरी जीभ है।”"
टिमी और पेपे
"“मोती, मेरी नींद नहीं खुलती। तू मुझे जगा देगा?”"
भीमा गधा
"मैं उसे कहती हूँ, “देखो, मेरी नाक है।”"
टिमी और पेपे
"मैं बोलती हूँ, “देखो, मेरी आँखें हैं।”"
टिमी और पेपे
"मैं कहती हूँ, “देखो, मेरी जीभ है।”"
टिमी और पेपे
"माँ ने कहा, “सोना तुम बाहर बैठ कर छपाई कर लो। मेरी छपाई की आवाज़ ध्यान से सुनना।”"
सोना बड़ी सयानी
"थोड़ी देर बाद माँ ने आवाज़ दी, “सोना तुमने मेरी चाभियाँ देखी हैं? मुझे कहीं मिल ही नहीं रहीं।”"
सोना बड़ी सयानी
"“शाम भी हो गई। अब मैं अपने बाल काटने का वादा कैसे पूरा करूँगा? हे भगवान, मेरी मदद करो!”"
सालाना बाल-कटाई दिवस
"मेरी दादी, मेरी दादी"
सबरंग
""मैं कहाँ ढूँढू, मैंने उसे कहाँ रख दिया?" वह हमेशा कहती रहतीं। अपनी ऐनक के बिना, वह ऐनक नहीं ढूँढ़ सकतीं। इसलिए उन्हें मेरी ज़रूरत है, उनकी आँखें बनकर उनकी आँखें ढूँढ़ने के लिए!"
नानी की ऐनक
"ओह! हो! किताबें भी तो मेरी दोस्त हैं।"
मेरे दोस्त
"वे हमे ढूँढ रहे हैं।
उनके पीछे पीछे मेरी दादीजी आ रही हैं।"
चाचा की शादी
"मेरे पापा उन्हें ढूँढने लगते हैं। मेरे दादाजी भी ढूँढने लगते हैं। मेरी मम्मी परेशान लग रही हैं। लेकिन दादीजी मुस्करा रही हैं। “वह देखो,” दादी कहती हैं। छोटे चाचा दौड़ते हुए हमारी ओर आ रहे हैं।"
चाचा की शादी
""मुझे कुछ नहीं सुनना है। बस आप मेरी पूँछ बदल दो," चुलबुल ने ज़िद की।"
चुलबुल की पूँछ
""ओफ़! इस पूँछ के साथ तो मैं भाग भी नहीं पा रही हूँ। मेरी अपनी पूँछ कितनी हल्की थी। मैं कितने आराम से भाग सकती थी," चुलबुल अपनी गलती पर पछताने लगी। किसी तरह गिरते पड़ते वह फिर से डॉक्टर बोम्बो के अस्पताल पहुँची।"
चुलबुल की पूँछ
""वह कुत्ता मेरे पीछे पड़ गया है। मुझे किसी की पूँछ नहीं चाहिए। आप बस मेरी पूँछ लगा दो!" चुलबुल ने ज़ोर से सिर हिलाते हुए कहा।"
चुलबुल की पूँछ
"“क्या तुम मेरी मदद कर सकोगी?” गोजर ने पूछा।"
एक सौ सैंतीसवाँ पैर
"“उहूँ! उहूँ! कोई मेरी मदद करना नहीं चाहता!"
एक सौ सैंतीसवाँ पैर
"“ओ मेरी नन्ही दोस्त! तुम्हें क्या हुआ,"
एक सौ सैंतीसवाँ पैर
"क्या तुम मेरी मदद कर सकोगे?” गोजर ने पूछा।"
एक सौ सैंतीसवाँ पैर
""मुझे इस पैकेट से तेल निकाल कर बोतल में डालना है, और देखो ना, बोतल का मुंह कितना छोटा है!मुझे यकीन है कि आज मेरी रसोई ज़रूर गंदी हो जाएगी।" मंगल चाचा ने कहा।"
गुल्ली का गज़ब पिटारा
"“ए मुन्नी! परे हट, मैं तेरे अंडे खाने आया हूँ,” वह चहक कर बोला। मुन्नी समझदार गौरैया थी। वह झटपट बोली, “काका किसी की क्या मजाल कि तुम्हारी बात न माने? लेकिन मेरी एक विनती है। मेरे अंडों को खाने से पहले तुम ज़रा अपनी चोंच धो आओ। यह तो बहुत गन्दी लग रही है।”"
काका और मुन्नी
"“बहना मेरी ओ घास प्यारी,"
काका और मुन्नी
"“हाय रे मेरी पूँछ जल गयी!”"
काका और मुन्नी
"पेंसिल मेरी दिखला सकती है कई कमाल"
ऊँट चला, भई! ऊँट चला
"“नहीं, नहीं, पंछी तो नहीं लेकिन हाँ मेरी अम्मी और मेरी बहनें, रेहाना और सलमा वहीं रहते हैं,” कह कर मुमताज़ कढ़ाई शुरू करने लगी।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"“नहीं, जाती थीं लेकिन कभी-कभी, सब्ज़ी-भाजी लेने या रिश्ते वालों के यहाँ। रेहाना और सलमा भी घर से बहुत कम ही निकलती हैं, और जब जाती हैं तो हमेशा सिर पर ओढ़नी लेकर। मेरी अम्मी बुरका पहनती हैं। मेरी बहनें तो कभी भी पढ़ने नहीं गईं लेकिन मैं आठवीं जमात तक पढ़ी हूँ। उसके बाद फिर मैं भी घर पर रह कर अम्मी और अपनी बहनों से कशीदाकारी सीखती रही हूँ,” मुमताज़ ने अपनी कहानी मुन्नु को सुनाई।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"नानी ने मुमताज़ के माथे को बड़े प्यार से चूमा और बोली, “क्यों मेरी बच्ची, तू इतनी उदास क्यों है? तुझे शायद पता नहीं कि असली चिकनकारी रंगीन कपड़े पर तो होती ही नहीं। उसे तो सदियों से सफ़ेद मलमल पर ही काढ़ते थे क्योंकि यह कुरते आदमी ही पहना करते थे।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"मुमताज़ कुछ पल तो ख़ामोश रही। फिर उसने अपना जादू अपनी बहनों को बताने का फ़ैसला कर लिया। मुस्करा कर, वह कमरु से बोली, “चलो, तुम भी मेरी नानी की चादर का एक कोना पकड़ो और ख़ूब ध्यान लगा कर सोचो।”"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"स्कूल से घर लौटते हुए अली, गौरव, सुमी और रानी, मुझसे बार-बार मेरी इस नई ज़िम्मेदारी के बारे में पूछते रहे। मैंने बात टालने की कोशिश की, लेकिन मुझे तो मालूम था कि मुझे क्या काम सौंपा गया है। मैंने उनसे कहा कि पता नहीं तुम लोग किस चीज़ के बारे में बात कर रहे हो। लेकिन यह बात सच नहीं थी। मुझे अच्छी तरह पता था कि वे किस के बारे में पूछ रहे हैं?"
थोड़ी सी मदद
"जानती हो कल क्या हुआ? गौरव, अली और सातवीं कक्षा के उनके दो और दोस्त स्कूल की छुट्टी के बाद मेरे पीछे पड़ गए। तुम समझ ही गई होगी कि वह क्या जानना चाहते होंगे! उन्होंने मेरा बस्ता छीन लिया और वापस नहीं दे रहे थे। बाद में उन्होंने उसे सड़क किनारे झाड़ियों में फेंक दिया। उसे लाने के लिए मुझे घिसटते हुए ढलान पर जाना पड़ा। मेरी कमीज़ फट गई और माँ ने मुझे डाँटा।"
थोड़ी सी मदद
"आज मेरी बड़ी दीदी का फोन आया। वह दिल्ली में इँजीनियरिंग की पढ़ाई कर रही हैं। मैंने उन्हें बताया कि हमारी कक्षा में एक लड़की है और उसका एक हाथ नकली है। दीदी ने बताया कि उसे 'प्रॉस्थेटिक हैंड’ कहते हैं।"
थोड़ी सी मदद
"कभी-कभी, मेरी समझ में नहीं आता कि तुम्हें कैसे समझाऊँ। मैं"
थोड़ी सी मदद
"तुम जानती हो न कि सँयोग क्या होता है? यह ऐसी बात है कि जैसे तुम कुछ कहो और थोड़ी देर में वही बात कुछ अलग तरीके से सच हो जाए। पिछले पत्र में मैंने तुम्हें सुमी और जूतों के फीतों के बारे में बताया था। और उसके बाद, आज, मैंने तुम्हें जूतों के फीते बाँधते हुए देखा। वाह, यह अद्भुत था! मैं सोचता हूँ कि तुमने यह काम मुझसे ज़्यादा जल्दी किया जबकि मैं दोनों हाथों से काम करता हूँ। अगर तुम मेरी दोस्त न होतीं तो मैं तुम्हारे साथ जूते के फीते बाँधने की रेस लगाता। नहीं, नहीं, शायद मैं तुम्हें कहता कि मुझे भी एक हाथ से फीते बाँधना सिखाओ।"
थोड़ी सी मदद
"पता है जब मैंने तुम्हें बस में देखा तो मैं बहुत हैरान हुआ था। मुझे इस बात का अंदाज़ा नहीं था कि मेरे पिता और तुम्हारे पिता एक ही जगह काम करते हैं! लेकिन मैं बहुत खुश हूँ कि तुम दफ़्तर की पिकनिक में आईं, क्योंकि पिछले साल जब हम दफ़्तर की पिकनिक पर गए थे तब उसमें मेरी उम्र का कोई भी बच्चा नहीं था और बड़ों के बीच अकेले-अकेले मुझे ज़रा भी अच्छा नहीं लगा था। मैं बहुत ऊब गया था।"
थोड़ी सी मदद
"मुझे लगता है कि मुझे यह बात पहले ही तुम्हें बता देनी चाहिए थी- जब भी वार्षिकोत्सव आने वाला होता है, प्रिंसिपल साहब कुछ सनक से जाते हैं। वे तुम पर चिल्ला सकते हैं - वे किसी को भी फटकार सकते हैं। अगर ऐसा हो, तो बुरा न मानना। मेरी माँ कहती है कि वे बहुत ज़्यादा तनाव में आ जाते हैं, क्योंकि वार्षिकोत्सव कैसा रहा इससे पता चलता है कि उन्होंने काम कैसा किया है।"
थोड़ी सी मदद