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Storybook paragraphs containing word (39)
"लेकिन मैं अभी सोना नहीं चाहता।"
अभी नहीं, अभी नहीं!
"“अभी नहीं, अभी नहीं। तुम्हें थोड़ा रुकना पड़ेगा!”
लेकिन मैं रुकना नहीं चाहता।"
अभी नहीं, अभी नहीं!
"“बड़े हमेशा क्यों कहते रहते हैं, अभी नहीं, अभी नहीं?”"
अभी नहीं, अभी नहीं!
"“दादी, आलू अभी उगे नहीं।” मालू ने खाली टोकरी रख दी।"
आलू-मालू-कालू
"हँसते हुए वह औरत बोली, “जादू!”
उस लड़के ने हामी भरते हुए उत्साह से सिर हिलाया। अर्जुन को लगा मानो उसका सिर बस अभी गिरा।"
उड़ने वाला ऑटो
"शिरीष जी खुश होकर मुस्कराने लगे। मुस्कराते ही पान से रंगे उनके दाँत दिखने लगे। उन्होंने जल्दी से पानी पिया, फिर भीड़ छटने लगी। “लो जादू तो अभी हो गया,” शिरीष जी ने मज़ाक में कहा।"
उड़ने वाला ऑटो
""बात अभी शुरू हुई है," पुट्टी ने कहा। "अज्जी, आप किस साल में पैदा हुई थीं?""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
"”मैं आपसे कुछ पूछना चाहता था,“ धनी थोड़ा घबराया। ”क्या मैं आपके साथ दाँडी आ सकता हूँ?“ हिम्मत करके उसने कह डाला। गाँधी जी मुस्कराये, ”तुम अभी छोटे हो बेटा! दाँडी तो 385 किलोमीटर दूर है! स़िर्फ तुम्हारे पिता जैसे नौजवान ही मेरे साथ चल पायेंगे।“"
स्वतंत्रता की ओर
"क्या? क्या मैंने अभी कहा - 'दातुन'? हाँ, बिलकुल सही! 1870 ई. में वे अपने दाँत साफ़ करने के लिए दातुन का उपयोग करते थे। दातुन एक पतली टहनी को तोड़कर बनाया गया टुकड़ा था जिसका अंतिम सिरा अस्त-व्यस्त सा था। कुछ भाग्यशाली बच्चों के पास दातुन के एक सिरे पर जंगली सूअर के बाल लगे होते थे, जिससे उसमें अलग चमक आती थी।"
टूथपेस्ट ट्यूब के अंदर कैसे आया?
"मनु ने बड़े वाले पेड़ से एक झूला बाँधा है और मैं अभी झूलना चाहती हूँ। झूलते हुए बारिश की ठंडी फुहार मेरे मुँह पर पड़ेगी।"
गरजे बादल नाचे मोर
"में घूमी है। पर तुम अभी सिर्फ नौ वर्ष के हो। बहुत समय है तुम्हारे पास, राजू।""
राजू की पहली हवाई-यात्रा
"“माँ, क्या मैं इसे अभी पहन सकता हूँ?”"
लाल बरसाती
"“नहीं, बेटे! केवल तभी, जब बारिश होगी। और अभी तो आसमान साफ़ है।”"
लाल बरसाती
"“माँ, क्या यह बिजली के कड़कने की आवाज़ है, क्या अभी बारिश होगी?” मनु ने पूछा।"
लाल बरसाती
""धन्यवाद, भाई! अभी नहीं, फिर कभी!" घूम-घूम बोली।"
घूम-घूम घड़ियाल का अनोखा सफ़र
""धन्यवाद दीदी! अभी नहीं, अगली बार सही!" घूम-घूम ने कहा।"
घूम-घूम घड़ियाल का अनोखा सफ़र
""धन्यवाद मामा! अभी नहीं, फिर कभी!" घूम-घूम ने कहा।"
घूम-घूम घड़ियाल का अनोखा सफ़र
"मुझे अभी काम करने हैं।”"
एक सौ सैंतीसवाँ पैर
"व्याध पतंगे द्रुवी ने अभी अभी उड़ना सीखा है।"
द्रुवी की छतरी
"कार्यक्रम शुरू होने में अभी समय है, क्या तुम अंदर आना चाहोगे? मैं तुम्हें कुछ दिखाना चाहती हूँ।""
संगीत की दुनिया
"माँ कहती हैं, “ज़रा रुको अभी तो हम ट्रेन में बैठे भी नहीं।
भूख लगी है, तो मेरे पास मिठाइयाँ हैं।
प्यास लगी है, तो मेरे पास पानी है।
लेकिन जब तक ट्रेन न आये, तब तक इन्तज़ार करो।”"
चाचा की शादी
"उसका घर अभी बहुत दूर था।"
दाल का दाना
"उसका घर अभी भी बहुत दूर था।"
दाल का दाना
"क्या हम अभी जायें?
क्या हम बाद में जायें?"
चलो किताबें खरीदने
"हमने तय कर लिया कि अभी जाते हैं।"
चलो किताबें खरीदने
""ओह, परेशान न हों दादाजी, मैं अभी जाता हूँ और अपना बक्सा लेकर आता हूँ।""
गुल्ली का गज़ब पिटारा
"“बरसात अभी हुई नहीं है। मैं अभी सूखा सख्त हूँ, मुझे खोदने के लिए फ़ौरन कोई नुकीली चीज़ ले आओ,” खेत बोला।"
काका और मुन्नी
"”अच्छा! आओ मेरे साथ। महाराज अभी सोने के कमरे में हैं। शाही दरबार में जाने से पहले तुमसे मिलेंगे।“"
रज़ा और बादशाह
"”सीख रहा हूँ, हुज़ूर,“रज़ा ने घबराया-सा जवाब दिया,”पर कपड़ा काटने में अभी भी गलती हो जाती हैं।“"
रज़ा और बादशाह
"तुम्हारी बात सुनने के बाद, मैंने एक हाथ से बहुत सी चीजें करने की कोशिश की। लेकिन यह बहुत ही मुश्किल है! मुझे अभी तक यह समझ नहीं आया कि तुम नहाना, कपड़े पहनना, बैग संभालना जैसे काम ख़ुद ही कैसे कर लेती हो। उस दिन खाने की छुट्टी के बाद की बातचीत के बाद से मैंने महसूस किया कि तुम भले ही कुछ कामों को थोड़ा अलग ढँग से करती हो, लेकिन तुम भी वह सारे काम कर लेती हो जो बाकी सब लोग करते हैं।"
थोड़ी सी मदद
"ओह! मुझे अभी अहसास हुआ है कि मैंने तुम्हें जो दो आखीरी पत्र लिखे हैं, उनमें मैंने तुम्हारे प्रॉस्थेटिक हाथ के बारे में बात ही नहीं की। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि मैं इसके बारे में बिल्कुल ही भूल गया था और मेरे पास तुम्हें बताने के लिए और भी बातें थीं। मज़ेदार बात यह है कि तुम्हारे हाथ को लेकर अब मेरे मन में कोई सवाल नहीं उठते। न जाने क्यों!"
थोड़ी सी मदद
"मुस्करा रही थी! अब ऐसे सपने में यह बेसुरी आवाज़! उफ़! कल्लू ने रज़ाई में से मुचड़ा मुँह बाहर निकाल के मिनमिनी आवाज़ में कहा, “शब्बो, अभी कैसे? मैं अभी तो सोया था!”"
कल्लू कहानीबाज़
"“नहीं। पाँच रुपये दूँगा। अभी तो समय है। तुम जल्दी आये हो।” “हाँ, मैं जल्दी आया हूँ,” कल्लू भुनभुनाया, “इतनी जल्दी आया हूँ कि आज, आज नहीं कल है। कहो तो भैंसों की सानी भी कर दूँ और थोड़ा नाच भी...” “हा हा हैं हैं,” बदरी ने भैंस पर हाथ मारा, “तुम तो बड़ी ठिठोली करते हो कल्लन भाई।”"
कल्लू कहानीबाज़
"कल्लू भागता रहा। मन ही मन उसने सोचा, पूरा गाँव मेरे खिलाफ़ है, दिमाग का पेंच ढीला बदरी भी। मुझ गरीब का मज़ाक बनाने में उन्हें मज़ा आता है। फिर उसे झटके से याद आया कहानी-बहाने की समस्या तो अभी वैसी ही बनी हुई थी। विकराल और हल-विहीन। अम्मी बीमार थी और उसे नाश्ता बनाना था। नहीं। दो बार इस्तेमाल कर चुका था। इस बार नहीं चलेगा।"
कल्लू कहानीबाज़
"दामू के घर से गुज़रते उसने देखा उसका सबसे प्यारा दोस्त और उसकी बहन सरु, आँगन में चारपाई पर बैठे नाश्ता खा रहे थे। हा! उन्हें भी देर हो गई थी, कल्लू ने विजयी भाव से सोचा और अभी तो वे खा रहे थे इसलिये मेरे बाद ही पहुँचेंगे। शायद मास्टर जी उन पर गुस्सा दिखाने में मुझे भूल ही जायें?"
कल्लू कहानीबाज़
"“मुनिया अभी नहीं पहुँची?”"
कल्लू कहानीबाज़
"तब तक ध्यान चंद के छोटे भार्इ रूप भी टीम में आ चुके थे और दोनों भार्इयों ने मिल कर ३५ में से २५ गोल किये थे। एक अमेरिकी पत्रकार ने लिखा कि यह भारतीय टीम “पूर्व का एक तूफ़ान है।” और यह तूफ़ान अभी शुरु ही हो रहा था। १९३२ के अपने विजयी दौरे में भारतीय टीम ने ३७ मैचे खेले और इनमें ३३८ गोल किये। इनमें से १३३ ध्यान ने किये थे। १९३४ में ४८ मैचों में भारतीय टीम ने ५८४ गोल किये, जिसमें से ध्यान चंद ने २०१ गोल किये।"
ध्यान सिंह 'चंद' : हॉकी के जादूगर
"जो अभी बहुत छोटे थे और स्कूल जाने लायक नहीं थे, वे भी आते।"
कहानियों का शहर
"जो अभी ज़रा छोटे थे, वे पेट के बल लेट जाते,"
कहानियों का शहर