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Revision #2 (2021-01-18 13:52)
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Storybook paragraphs containing word (33)

"मैंने अज्जी से पूछा, “क्या मैं कुछ लड्डू खा लूँ?”"
अभी नहीं, अभी नहीं!

"“अभी नहीं बेटा, कल खा लेना।”"
अभी नहीं, अभी नहीं!

"अगले दिन, मैं जल्दी उठा और रसोई में गया। अज्जी ने कहा, “तुम ये लड्डू खा सकते हो।”"
अभी नहीं, अभी नहीं!

"क्लीनर फ़िश नाम की मछलियों ने फटी खाल के टुकड़े खा लिए। पिशि को आराम महसूस हुआ। हिन्द महासागर में रहने वाली ५००० किस्म की मछलियाँ उसे पहले से भी ज़्यादा अच्छी लगने लगीं।"
पिशि फँसी तूफ़ान में

"प्रिय पाठक, क्या आपको मालूम है कि प्राचीन काल के संस्कृत साहित्य में हिन्द महासागर को ‘रत्नाकर’ कहा जाता था? रत्नाकर यानि हीरे जवाहरात की खान। मैंटा रे मछलियाँ अक्सर सफ़ाई के ठिकानों पर जाया करती हैं। सफ़ाई के ठिकानों को कुदरत का अस्पताल कहा जा सकता है। यहीं एंजेल फ़िश जैसी छोटी मछलियाँ मैंटा रे के गलफड़ों के अन्दर और खाल के ऊपर तैरती हैं। वे क्लीनर फ़िश कहलाती हैं क्योंकि वे मैंटा रे के ऊपर मौजूद परजीवियों व मृत खाल को खा कर उसकी सफ़ाई करती हैं। मैंटा रे मछलियाँ विशाल होने के बावजूद बहुत कोमल स्वभाव की होती हैं। बड़ी शार्क, व्हेल मछलियाँ व मनुष्य उनका शिकार करते हैं।"
पिशि फँसी तूफ़ान में

"बैरीज़, सेब, केला, तरबूज और कटहल - इन सभी फलों में बीज होता है। कुछ बीजों को हम खा नहीं सकते हैं जैसे कि आम की गुठली। लेकिन कई बीज; जैसे कटहल के बीज; इन्हें पानी में भिगोने के बाद सब्ज़ी बनाकर खाए जा सकते हैं।"
आओ, बीज बटोरें!

"क्या मैं थोड़ा लालच कर के एक-दो भुट्टे भी खा लूँ?"
गरजे बादल नाचे मोर

"तो कौन इसे खा जाता है?"
अरे, यह सब कौन खा गया?

"चिड़िया उन सभी पिस्सूओं को खा जाती है।"
हमारे मित्र कौन है?

"हमारी ही तरह वह भी ज़्यादातर बढ़िया खाने और रहने की आरामदेह जगह या प्यार करने वाले परिवार की तलाश में एक से दूसरी जगह घूमते-फिरते हैं। कभी-कभी वे अपने उन दुश्मनों से बचने के लिए भी घूमते-फिरते हैं जो उन्हें पकड़ कर खा सकते हैं।"
सत्यम, ज़रा संभल के!

"“तो... फिर जंगल ही में किसी ने उसे खा लिया होगा,” गाँव के मुखिया को सम्बोधित करते हुए एक हट्टा-कट्टा नौजवान बोला।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"“यही कि वह राक्षस मेरा दोस्त है, यह काम उसका नहीं है!” “इस लड़की का तो दिमाग़ फिर गया है!” पीछे से कोई आदमी चिल्लाया। बाकी सारे बच्चों ने मुँह बिचका दिये। “वह तो सिर्फ पत्तियाँ खाता है! तो फिर वह घोड़ा कैसे खा सकता है?” अपनी जगह से हिले-डुले बिना ही मुनिया चिल्लाकर बोली।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"“छिलके भी खा लो। इनमें बहुत ताकत होती है।”"
पहलवान जी और केला

"जब नौका किनारे पर पहुँची, काटो जल्दी से जल्दी सबको अपने कारनामे के बारे में बता देना चाहता था। दिन की सारी घटनाओं के बाद, काटो का सिर नौका की तरह चक्कर खा रहा था। खाने की मेज़ पर जैसे ही उसने सिर रखा, उसकी आँखें बंद होने लगीं और वह गहरी नींद में डूब गया।"
नौका की सैर

"तुम्हें तो पता ही है कि वह कितनी गप्पी है! हम दोनों ने कई बार चाय पी और वे सारे लड्‌डू खा गई जो तुम्हारी माँ ने बनाए थे।" नानी बोलीं।"
नानी की ऐनक

"अनु को दादाजी की चिन्ता होने लगी है... उस बादल के रहते वे खाना कैसे खा पाते होंगे भला?"
पापा की मूँछें

"एक दिन एक पेड़ की डाल पर बैठी वह अखरोट खा रही थी। अचानक उसकी निगाह अपनी ही पूँछ पर पड़ी।"
चुलबुल की पूँछ

"“अजी ओ कुम्हार प्यारे, काका आया पास तुम्हारे एक कसोरा तुम बनाओ जिसमें मैं पानी भर लाऊँ अपनी गन्दी चोंच धुलाऊँ फिर खा लूँ मुन्नी के अंडे और काँव-काँव चिल्लाऊँ ताकि सभी सुनें और जान जायें मैं हूँ सबसे बाँका सबसे छैला कौवा!”"
काका और मुन्नी

"फिर खा लूँ मुन्नी के अंडे"
काका और मुन्नी

"फिर खा लूँ मुन्नी के अंडे"
काका और मुन्नी

"“अजी ओ भैया कुत्ते प्यारे, काका आया पास तुम्हारे आज तुम्हें दावत खिलवाऊँ मोटा-ताज़ा हिरन दिखाऊँ, बस सींग उसका मैं ले लूँगा उससे थोड़ी मिट्टी खोदूँगा मिट्टी कुम्हार को दे दूँगा जिससे बनाये वो एक कसोरा जिसमें मैं पानी भर लाऊँ अपनी गन्दी चोंच धुलाऊँ फिर खा लूँ मुन्नी के अंडे और काँव-काँव चिल्लाऊँ ताकि सभी सुनें और जान जायें मैं हूँ सबसे बाँका सबसे छैला कौवा!”"
काका और मुन्नी

"अब काका भूसा खा कर जुगाली कर रही भैंस के पास पहुँचा और बोला,"
काका और मुन्नी

"फिर खा लूँ मुन्नी के अंडे"
काका और मुन्नी

"“सूखा पुआल खा कर दूध कहाँ से दूँ? हाँ थोड़ी रसीली घास खाने को मिल जाए तो मैं ज़रूर तुम्हें दूध दे दूँ,” भैंस ने रम्भा कर जवाब दिया।"
काका और मुन्नी

"फिर खा लूँ मुन्नी के अंडे और काँव-काँव चिल्लाऊँ"
काका और मुन्नी

"फिर खा लूँ मुन्नी के अंडे"
काका और मुन्नी

"दामू के घर से गुज़रते उसने देखा उसका सबसे प्यारा दोस्त और उसकी बहन सरु, आँगन में चारपाई पर बैठे नाश्ता खा रहे थे। हा! उन्हें भी देर हो गई थी, कल्लू ने विजयी भाव से सोचा और अभी तो वे खा रहे थे इसलिये मेरे बाद ही पहुँचेंगे। शायद मास्टर जी उन पर गुस्सा दिखाने में मुझे भूल ही जायें?"
कल्लू कहानीबाज़

"कल्लू हिला नहीं, “यानि मैं और सो सकता था? नाश्ता खा सकता था?” उसने साँस भरी।"
कल्लू कहानीबाज़

"पैरेटफ़िश के दांत तोते की चोंच जैसे नज़र आते हैं। अपने बड़े और मज़बूत दांतों से ये मछलियां सख़्त प्रवाल पर जमी काई खुरच कर खाती हैं। कुछ किस्म की पैरेटफ़िश तो हरियाली के साथ थोड़ा बहुत प्रवाल भी खुरंच कर खा जाती हैं। खुरंच कर खाया हुआ प्रवाल इनकी आंतों से बाहर आते-आते बारीक पिस चुका होता है, और लहरों के साथ किनारे आकर ख़ूबसूरत 'बीच’ यानी समुद्रतट की सफ़ेद रेत का हिस्सा बन जाता है।"
गहरे सागर के अंदर!

"आपकी बोई हुई गुठली में से अंकुर फूटने के बाद वह आम के स्वस्थ पौधे के रूप में पनप जाए, तो तैयार रहें उसकी सिंचाई, देखभाल और पहले से भी ज़्यादा इंतज़ार के लिए! ध्यान रखें कि कहीं आपके पोधे को कीड़े-मकोड़े या कोई जानवर न खा जाएँ या फिर कोई उसे अपने पैरों तले न रौंद जाएँ। अगर इंतज़ार करते-करते आप ऊबने लगें तो कुछ किताबें पढ़ डालें, कुछ गीत गुनगुना लें, और कुछ और पौधे लगा दें!"
जादव का जँगल

"कुछ साल में, जब आप पहले से लंबे हो जाएँगे, तब आपका आम का पेड़ भी आपके साथ बढ़ रहा होगा। बढ़ते-बढ़ते वह एक बड़े पेड़ में बदल जाएगा जिस पर आप चाहें तो चढ़ सकेंगे, या फिर उसके साये में पिकनिक कर सकेंगे। तब शुरू होगा असली मज़ा! तब आपका पेड़ आम देने लगेगा, जिन्हें आप और आपके दोस्त खा सकेंगे। इससे भी ज़्यादा बढ़िया बात यह होगी कि आम खाना पसंद करने वाले तमाम दूसरे जीव भी आपके पेड़ की ओर खिंचे चले आएंगे - पक्षी, चींटियाँ, गिलहरियाँ, चमगादड़, बन्दर और मकड़ियाँ।"
जादव का जँगल

"“क्योंकि वह जो साँप चिड़ियाघर से ले कर आया था, उसने उसके पालतू चूहे को खा डाला था! और तब दीदी चिल्लायीं और दरबान दौड़ते हुए अन्दर आया।”"
अम्मा जब स्कूल गयीं

"वह आराम से बैठ कर केले खा रहा था।"
कहाँ गया गोगो?