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Storybook paragraphs containing word (54)

"मैं और मेरी दोस्त टीना दोनों साथ-साथ रहतीं| मैं खिड़की से देखती और वो भी मेरे साथ-साथ देखती| जहाँ जातीं हरदम साथ रहतीं|"
मैं और मेरी दोस्त टीना|

"टीना मेरी सबसे अच्छी दोस्त है | मैं उससे बहुत प्यार करती हूँ और हरदम साथ रहूँगी|"
मैं और मेरी दोस्त टीना|

"हम सब दोस्त !"
रिमझिम बरसे बादल

"“क्या तुम मेरे दोस्त बनोगे?” टिंकु ने पूछा।"
सो जाओ टिंकु!

"“क्या तुम मेरे दोस्त बनोगे? टिंकु ने पूछा।"
सो जाओ टिंकु!

"“क्या तुम मेरी दोस्त बनोगी?” टिंकु ने पूछा।"
सो जाओ टिंकु!

"“क्या तुम मेरे दोस्त बनोगे?” टिंकु ने पूछा।"
सो जाओ टिंकु!

"“क्या तुम मेरे दोस्त बनोगे?” टिंकु ने पूछा।"
सो जाओ टिंकु!

"टिंकु और उसके दोस्त हँसे और उछले-कूदे। वे इधर से उधर लुढ़के, जब तक कि टिंकु को उबासी आने लगी। हा! वह बहुत थक गया था। “मुझे नींद आ रही है अब घर जाना है,” टिंकु बोला।"
सो जाओ टिंकु!

"वह घर लौटते समय बहुत ख़ुश था कि उसने आज बहुत से नए दोस्त बनाए थे। वह अपनी अम्मा से कसकर लिपट गया। उसने फुसफुसाते हुए कहा, “रात अकेली नहीं होती अम्मा! रात में तो बहुत से अद्भुत जीव मिलते हैं।”"
सो जाओ टिंकु!

"“हाँ!” अम्मा बोली, “तुम्हारे रात के दोस्त रात को ही अपना काम करते हैं। वे रात को ही खाते और खेलते हैं। वे दिन में आराम करते हैं। तुम अब सो जाओ। नींद तुम्हें ताकत देगी, ताकि कल तुम अपने दिन के दोस्तों के साथ खेल सको। सो जाओ मेरे प्यारे बच्चे!”"
सो जाओ टिंकु!

"जब उसे एक बड़ा सा जहाज़ दिखाई दिया पिशि ने गोता लगाया। उसके दोस्त तितर बितर हो गए।"
पिशि फँसी तूफ़ान में

"1. मधुमक्खी नाच कर, छत्ते में रहने वाली बाकी मधुमक्खीयों को यह बताती है कि शहद कहाँ मिलेगा तो आप भी कोशिश कीजिये नाच कर कुछ बताने की और देखिये कि क्या आपके दोस्त आपकी बातों को समझ पाते है या नहीं!"
मधुमक्खियाँ क्यों भन-भन करती हैं?

"साबरमति में सबको कोई न कोई काम करना होता-खाना पकाना, बर्तन धोना, कपड़े धोना, कुएँ से पानी लाना, गाय और बकरियों का दूध दुहना और सब्ज़ी उगाना। धनी का काम था-बिन्नी की देखभाल करना। बिन्नी, आश्रम की एक बकरी थी। धनी को अपना काम पसन्द था क्योंकि बिन्नी उसकी सबसे अच्छी दोस्त थी। धनी को उससे बातें करना अच्छा लगता था।"
स्वतंत्रता की ओर

"”जी हाँ, गाँधी जी! मेरी दोस्त बिन्नी, जिसका दूध आप रोज़ सुबह पीते हैं,“ धनी गर्व से मुस्कराया, ”मैं इसकी देखभाल करता हूँ।“"
स्वतंत्रता की ओर

"चीजें इकट्ठी करना टूका और पोई को बहुत पसंद है। नदी के किनारे  बीने गए चिकने कंकड़, फ़र्न के घुमावदार और गुदगुदे पत्ते, सुर्ख़ लाल रंग के बटन जो उनकी स्कूल यूनिफॉर्म से गिरे हों - टूका और पोई सब बटोर लेते हैं। रोज़ ही, स्कूल के बाद, वे नदी के किनारे झुके हुए नारियल के पेड़ के पास मिलते हैं और अपने सबसे प्यारे दोस्त का इंतज़ार करते हैं।"
आओ, बीज बटोरें!

"मेरे सारे दोस्त उस पर उछलते-कूदते रहते!"
क्या होता अगर?

"“मेरे नौ दोस्त मेरी मदद करने के लिए यहाँ हैं। नौ एक विषम संख्या है।”"
एक, तीन, पाँच, मदद! मदद!

"“एक विषम संख्या!” सभी पच्चीस दोस्त हँसते-चिल्लाते हुए बोले।"
एक, तीन, पाँच, मदद! मदद!

"इस प्रकार मुनिया की दोस्ती गजपक्षी से हो गई। अन्ततः जब उसे एक दोस्त मिला भी तो नटखट घोड़ा ग़ायब हो गया!"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"“यही कि वह राक्षस मेरा दोस्त है, यह काम उसका नहीं है!” “इस लड़की का तो दिमाग़ फिर गया है!” पीछे से कोई आदमी चिल्लाया। बाकी सारे बच्चों ने मुँह बिचका दिये। “वह तो सिर्फ पत्तियाँ खाता है! तो फिर वह घोड़ा कैसे खा सकता है?” अपनी जगह से हिले-डुले बिना ही मुनिया चिल्लाकर बोली।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"“एक वही राक्षस तो बस मेरा दोस्त है।” उसके पिताजी ने उसकी तरफ़ गुस्से से देखा। लेकिन वह रोयी नहीं और वहीं पर गाँव वालों के सामने खड़ी रही। “अरे लड़की को छोड़ो, हम लोग उस राक्षस को सवेरे-सवेरे धर लेंगे,” एक हट्टा-कट्टा आदमी बोला। “तो फिर कल सुबह की बात पक्की,” मुखिया ने कहा और सभा विसर्जित हो गयी।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"लेकिन गाँव वाले सारथी को क्या जवाब देते? उनके सिर शर्म से झुके हुए थे। मुनिया के पिताजी अपनी बेटी के पास गये, और उसे अपनी गोद में उठाकर उसे वापस गाँव ले आये। बस फिर क्या था, उस दिन के बाद से कोई भी बच्चा मुनिया के लँगड़ाने पर नहीं हँसा। वे सब अब उसके दोस्त होना चाहते थे। लेकिन केवल भीमकाय ही मुनिया का अकेला सच्चा मित्र बना रहा। मुनिया की कहानी तमाम गाँवों में फैली, और दूरदराज़ के ग्रामीण फुसफुसाकर एक-दूसरे से कहते, “देखा, मुनिया जानती थी कि उस विशालकाय एक-पंख गजपक्षी ने घोड़े को नहीं डकारा!”"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"मैं टिमी हूँ। यह मेरा दोस्त पेपे है।"
टिमी और पेपे

"हैरान-परेशान, सृंगेरी श्रीनिवास अपने दूसरे दोस्त बढ़ई के पास गया।"
सालाना बाल-कटाई दिवस

"मेरे बहुत सारे दोस्त हैं।"
मेरे दोस्त

"मेरे कुछ दोस्त बड़े-बड़े हैं। और..."
मेरे दोस्त

"कुछ दोस्त छोटे हैं।"
मेरे दोस्त

"मेरे कई दोस्त बूढ़े भी हैं।"
मेरे दोस्त

"मेरे कुछ दोस्त ऐसे भी हैं जिनकी... पूँछ भी है।"
मेरे दोस्त

"मेरे कुछ दोस्त उड़ते हैं। और कुछ दोस्त तैरते भी हैं।"
मेरे दोस्त

"ओह! हो! किताबें भी तो मेरी दोस्त हैं।"
मेरे दोस्त

"लेकिन, मेरा सबसे अच्छा दोस्त कौन है?"
मेरे दोस्त

"जल्दी ही सब दोस्त वहाँ इकट्ठा हो गए।"
जंगल का स्कूल

"सच बात तो यह है कि अनु को सारे मूँछ वाले आदमी अच्छे लगते हैं। जैसे कि उसकी दोस्त तुती यानि स्मृति के पापा।"
पापा की मूँछें

"दोस्त? चीकू का अब कोई दोस्त नहीं था।"
कचरे का बादल

"एक गाँव में दो दोस्त घनश्याम और ओम रहते थे। घनश्याम बहुत पूजा-पाठ करता था और भगवान को बहुत मानता था, जबकि ओम अपने काम पर ध्यान देता था। एक बार दोनों ने मिलकर एक बीघा खेत खरीदा और सोचा कि मिलकर खेती करेंगे। जो फ़सल तैयार होगी, उसको बेचकर जो रुपए मिलेंगे, उसमें घर बनवाया जाएगा। ओम खेत में दिन-रात खूब मेहनत करता, जबकि घनश्याम भगवान की पूजा प्रार्थना में व्यस्त रहता।"
मेहनत का फल

"मुखिया और दादा मछली अच्छे दोस्त थे। दादा ने उस लड़की से मुखिया को वहाँ आने का सन्देश भिजवाया।"
मछली ने समाचार सुने

"लखनऊ आकर मुमताज़ को एक और दोस्त मिला-पड़ोस के सब्ज़ी वाले का आठ साल का बेटा, मुन्नु! मुन्नु हर रोज़ अपने पिता के साथ सब्ज़ी-भाजी लिए जगह-जगह फेरी लगाता और अपने ख़ास अंदाज़ में गुहार लगाता, “सब्ज़ी ले लो...ओ...ओ।” हाल ही में उसकी दोस्ती मुमताज़ के साथ हुई थी। हर रोज़ मुमताज़ अपना नाश्ता उसके साथ बाँटती और खाते-खाते दोनों बच्चे लक्का और लोटन के खेल देखा करते।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने

"ईद के दिन भी दोनों दोस्त अपने पंछियों की उछल-कूद देख रहे थे। मुन्नु को लगा मुमताज़ आज बहुत उदास है, इतनी उदास कि कहीं वह रो ही न दे। “क्या बात है, आपा, आज इतनी गुमसुम क्यों हो? क्या हरदोई की याद आ रही है? क्या वहाँ तुम्हारे और भी पालतू पंछी हैं?”"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने

"“अच्छा आपा, रात में सपने देखती हो?” मुन्नु ने अपने दोस्त को बहलाने के लिए एकदम बात बदली।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने

"जानती हो कल क्या हुआ? गौरव, अली और सातवीं कक्षा के उनके दो और दोस्त स्कूल की छुट्टी के बाद मेरे पीछे पड़ गए। तुम समझ ही गई होगी कि वह क्या जानना चाहते होंगे! उन्होंने मेरा बस्ता छीन लिया और वापस नहीं दे रहे थे। बाद में उन्होंने उसे सड़क किनारे झाड़ियों में फेंक दिया। उसे लाने के लिए मुझे घिसटते हुए ढलान पर जाना पड़ा। मेरी कमीज़ फट गई और माँ ने मुझे डाँटा।"
थोड़ी सी मदद

"तुम जानती हो न कि सँयोग क्या होता है? यह ऐसी बात है कि जैसे तुम कुछ कहो और थोड़ी देर में वही बात कुछ अलग तरीके से सच हो जाए। पिछले पत्र में मैंने तुम्हें सुमी और जूतों के फीतों के बारे में बताया था। और उसके बाद, आज, मैंने तुम्हें जूतों के फीते बाँधते हुए देखा। वाह, यह अद्भुत था! मैं सोचता हूँ कि तुमने यह काम मुझसे ज़्यादा जल्दी किया जबकि मैं दोनों हाथों से काम करता हूँ। अगर तुम मेरी दोस्त न होतीं तो मैं तुम्हारे साथ जूते के फीते बाँधने की रेस लगाता। नहीं, नहीं, शायद मैं तुम्हें कहता कि मुझे भी एक हाथ से फीते बाँधना सिखाओ।"
थोड़ी सी मदद

"कल्लू और उसका दोस्त दामू, सपने में नदी में एक विशाल मछली पकड़ रहे थे और आप सच मानें, मछली"
कल्लू कहानीबाज़

"दामू के घर से गुज़रते उसने देखा उसका सबसे प्यारा दोस्त और उसकी बहन सरु, आँगन में चारपाई पर बैठे नाश्ता खा रहे थे। हा! उन्हें भी देर हो गई थी, कल्लू ने विजयी भाव से सोचा और अभी तो वे खा रहे थे इसलिये मेरे बाद ही पहुँचेंगे। शायद मास्टर जी उन पर गुस्सा दिखाने में मुझे भूल ही जायें?"
कल्लू कहानीबाज़

"युवा ध्यान चंद को हॉकी से बहुत प्रेम था। लड़कपन में वे और उनके दोस्त ताड़ के पेड़ से टहनियों को काट कर उनका उपयोग हॉकी स्टिक के रूप में किया करते थे।"
ध्यान सिंह  'चंद'  : हॉकी के जादूगर

"मोरू को स्कूल जाना अच्छा लगता क्योंकि उसके कई दोस्त भी स्कूल जाते थे। सवेरे उठ कर बाहर जाना उसे अच्छा लगता था। स्कूल के अहाते के अन्दर खेल का मैदान उसे अच्छा लगता था। पर उसे कक्षा में जाना अच्छा नहीं लगता था।"
मोरू एक पहेली

"मगर इधर रसोईए, संगीतकार, विदूषक, मालिश वाले और रानी का क्या हाल हुआ? वो रात भर सेवा में तत्पर रहे, उन्हें कभी यह नहीं पता होता था कि कब राजा जाग जाएँ और उन्हें बुला बैठें। और अब ये सब लोग दिन भर थके और चिड़़चिड़़े रहने लगे। वही हाल उनका भी था जो उनका इंतज़ार करते थे- रसोइए की बीवी, संगीतकार का बेटा, विदूषक का भाई, मालिश वाले के पिताजी, रानी की परिचारिका, परिचारिका का पति, पति का भाई, भाई का दोस्त, दोस्त के माँ - बाप... सारा शहर।"
कोट्टवी राजा और उनींदा देश

"बड़ी दुखी हुई कि किसी ने भी उसकी मदद नहीं की। तब उसे अपनी दोस्त चींटी की याद आई।"
गौरैया और अमरूद

"उसने अपनी दोस्त चींटी को धन्यवाद कहा।"
गौरैया और अमरूद

"कुछ साल में, जब आप पहले से लंबे हो जाएँगे, तब आपका आम का पेड़ भी आपके साथ बढ़ रहा होगा। बढ़ते-बढ़ते वह एक बड़े पेड़ में बदल जाएगा जिस पर आप चाहें तो चढ़ सकेंगे, या फिर उसके साये में पिकनिक कर सकेंगे। तब शुरू होगा असली मज़ा! तब आपका पेड़ आम देने लगेगा, जिन्हें आप और आपके दोस्त खा सकेंगे। इससे भी ज़्यादा बढ़िया बात यह होगी कि आम खाना पसंद करने वाले तमाम दूसरे जीव भी आपके पेड़ की ओर खिंचे चले आएंगे - पक्षी, चींटियाँ, गिलहरियाँ, चमगादड़, बन्दर और मकड़ियाँ।"
जादव का जँगल

"दीदी रोज़ स्कूल आने लगीं और बच्चों की दोस्त बन गयीं और टीचर की भी।"
कहानियों का शहर

"मीमी के दोस्त आस-पास खेल रहे थे। दीदी क्या कह रही हैं?"
कहानियों का शहर

"हर रोज़ मीमी और उसके दोस्त दीदी के पास बैठ जाते।"
कहानियों का शहर