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Storybook paragraphs containing word (57)
"कुछ के हाथ नीचे कुछ ऊपर रखो भई।"
गप्पू नाच नहीं सकती
"अर्जुन जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम और इंडिया गेट के ऊपर से उड़ रहा था। उसे नीचे दिखाई दिए हुमायूँ का मकबरा, यमुना नदी और अक्षरधाम का भव्य मंदिर।"
उड़ने वाला ऑटो
"शोरोगुल भरे रास्तों से कहीं ऊपर इस शांत माहौल में अर्जुन को याद
आ रही थी मोटर कारें, साइकिलें और बसों से पटी सड़कें। उसने नीचे देखा। काम में जुटे उसके परिवार के सदस्यों की छोटी-छोटी कैनोपी पीले बिन्दुओं की तरह चमक रही थीं।
अर्जुन को उन लोगों की भी याद आई जो हमेशा कहीं न कहीं जाने के लिए तैयार रहते थे।
एक नई मंज़िल, एक नई जगह... “फट, फट, टूका, टूका, टुक।”"
उड़ने वाला ऑटो
"उस औरत ने नीचे देखते हुए वहाँ की ढेर सारी खुशियों के बारे में सोचा। साड़ी की चमक उसे याद नहीं रही।"
उड़ने वाला ऑटो
"वह नीचे और नीचे आया, उसे शहर की गर्माहट महसूस होने लगी थी। जितना करीब वह पहुँच रहा था उतनी ही ऊर्जा उसे मिल रही थी।"
उड़ने वाला ऑटो
"ऊपर की एक खिड़की से उस औरत के नाती-नातिन ने हाथ हिलाया। ऑटो से नीचे उतर कर उसने शिरीष जी को किराया दिया।"
उड़ने वाला ऑटो
"बादल गरजे और बिजली कड़की। पिशि ने सुध बुध खो दी। सागर बिलकुल काला पड़ गया। एक बड़ी सी लहर ने पिशि को जहाज़ के नीचे धकेल दिया। आह! उसके पेट पर घाव हो गया।"
पिशि फँसी तूफ़ान में
"2. मधुमक्खी की तरह भिनभिनाने कि कोशिश कीजिये अपनी बाहों को उपर और नीचे (फ्लेप) कीजिये और देखिये कि क्या भिनभिनाट होती है!"
मधुमक्खियाँ क्यों भन-भन करती हैं?
"हवाई जहाज़ बहुत बड़े और बहुत भारी होते हैं। उसके दोनों किनारे पर पक्षी की तरह ही पंख बने होते हैं, जो उन्हें उड़ने में मदद करते हैं। इन जहाजों के पंखों की बनावट ठीक पक्षियों के पंखों जैसी होती हैं। नीचे से सपाट और ऊपर से मुड़े हुए, जो उन्हें आसमान में बहुत ऊँचे तक उड़ने में मदद करते हैं।"
हवाई जहाज़ कैसे उड़ते हैं?
"हवाई जहाज़ भी हवा के दवाब की मदद से ही उड़ते हैं। यह यंत्र अपने अंदर लगी इंजिन के सहारे विमान के नीचे हवा का दवाब बनाता है।"
हवाई जहाज़ कैसे उड़ते हैं?
"आज टूथपेस्ट मशीन से भरी जाती है। सभी ढक्कन लगे खाली ट्यूब नीचे सिरे से क़तार में कन्वेयर बेल्ट से लगे आगे बढ़ते हैं जिनका दूसरा सिरा ऊपर की तरफ़ खुला होता है। एक बड़े बर्तन में टूथपेस्ट भरा होता है जो कन्वेयर बेल्ट के साथ लगा होता है।"
टूथपेस्ट ट्यूब के अंदर कैसे आया?
"एक दिन टूका, पोई और इंजी, रोज़ की तरह, इमली के पेड़ के नीचे बैठे हुए थे। टूका का पसंदीदा बीज, इसी पेड़ से मिलता था।"
आओ, बीज बटोरें!
"“जब उस पर चढ़कर मैंने नीचे देखा तो बादलों के टुकड़े तैर रहे थे।"
तारा की गगनचुंबी यात्रा
"“तब उस विमान-चालक ने विमान को थोड़ा नीचे उतारा, "
तारा की गगनचुंबी यात्रा
"“हाँ, हो सकती है, मेरे प्यारे बेटे! आज आसमान में कुछ काले बादल नीचे उतर आए हैं।”"
लाल बरसाती
"मकड़ा जाले से झूलता हुआ नीचे गोजर के पास उतरा।"
एक सौ सैंतीसवाँ पैर
"पैन उसके हाथ से उछला और पलंग के नीचे ग़ायब हो गया।"
जादुर्इ गुटका
"वह अपनी बांह पलंग के नीचे डालती है।"
जादुर्इ गुटका
"फिर वह फुट्टे को पलंग के नीचे सरकाती है"
जादुर्इ गुटका
"वह एक पौधे के नीचे ठहरती है मगर उसके पतले से पत्ते मुड़ जाते हैं!"
द्रुवी की छतरी
"वह एक पत्ते के नीचे छिप जाती है।"
द्रुवी की छतरी
"‘‘सही जवाब है सूटकेस!’’ बाबा तालियाँ बजाते हुए बोले। नीना ने किताब नीचे रख दी और उनकी बातें सुनने लगी।"
एक सफ़र, एक खेल
"बिस्तर के नीचे भी नहीं।"
खोया पाया
"मेरी बहन की फ्रॉक के नीचे नहीं।"
खोया पाया
"मेरे तकिये के नीचे नहीं,"
खोया पाया
"मैंनें हर एक किताब के नीचे देखा।"
खोया पाया
"मैंने कुर्सी के नीचे तलाश किया।"
खोया पाया
"मैंने स्टूल के नीचे भी देखा।"
खोया पाया
"बिस्तर के नीचे भी नहीं।"
खोया पाया
"मेरी बहन की फ्रॉक के नीचे नहीं।"
खोया पाया
"मेरे तकिये के नीचे नहीं,"
खोया पाया
"मैंनें हर एक किताब के नीचे देखा।"
खोया पाया
"मैंने कुर्सी के नीचे तलाश किया।"
खोया पाया
"मैंने स्टूल के नीचे भी देखा।"
खोया पाया
"बिस्तर के नीचे भी नहीं।"
खोया पाया
"मेरी बहन की फ्रॉक के नीचे नहीं।"
खोया पाया
"मेरे तकिये के नीचे नहीं,"
खोया पाया
"मैंनें हर एक किताब के नीचे देखा।"
खोया पाया
"मैंने कुर्सी के नीचे तलाश किया।"
खोया पाया
"मैंने स्टूल के नीचे भी देखा।"
खोया पाया
"एक भी चीज़ न नीचे गिरती।"
निराली दादी
"उनके माथे पर, बाथरूम में, उनकी अलमारी में, पूजा की जगह उनकी पसंदीदा कुर्सी के नीचे और खाने की मेज़ पर।"
नानी की ऐनक
"लेकिन सबसे बढ़िया मूँछें तो, पास वाले मकान में रहने वाले उन दादाजी की हैं! ऐसा लगता है मानो एक बड़ा-सा स़फेद बादल आसमान से उतर कर उनकी नाक के नीचे रहने चला आया है! अब उनका मुँह जो है, उस बादल के पीछे छिपा रहता है।"
पापा की मूँछें
"अनु सोचती है कि उसकी नाक के नीचे क्यों कोई मूँछ नहीं उगती?"
पापा की मूँछें
"तब तक चूज़े की माँ पपीते के पेड़ के नीचे से चिल्लाई-कुड़ कुड़ कुड़ कुड़।"
दाल का दाना
"मकड़ा जाले से झूलता हुआ नीचे गोजर के पास उतरा।"
एक सौ सैंतीसवाँ पैर
"बिल्ली ने चूहे को देखा और बिस्तर के नीचे दुबक गई!"
चूहा सिकंदर, घर के अंदर
"चूहा दिखते ही माँ बिस्तर के नीचे छुप गईं!"
चूहा सिकंदर, घर के अंदर
"दादी सोफ़े से नीचे उतरी और बोलीं,"मैं जानती हूँ कि क्या करना है!""
चूहा सिकंदर, घर के अंदर
"दादी ने चूहे को देखा और बिस्तर के नीचे जा छुपीं। पापा ने धीमे से कहा,"अब क्या करूँ?""
चूहा सिकंदर, घर के अंदर
"वो खिड़की पर और ऊपर नहीं चढ़ सकते थे। वो ख़िड़की से नीचे उतरे और इससे पहले कि चूहा उनको देखता, वह बिस्तर के नीचे घुस गये।"
चूहा सिकंदर, घर के अंदर
""अरे बेटा! मैं दादाजी की ऊनी टोपी की सिलाई कर रही थी, और मेरे हाथ से सुई नीचे गिर गई," दादी माँ बोलीं।"
गुल्ली का गज़ब पिटारा
"जब एक चौकीदार ने उन्हें रोका, चीनू नीचे कूदा। एक खाली बोरी लेकर वह अपने पिता जी के साथ गया। आज उन्हें जो भी सामान मिलेगा वह इस बोरी में भरा जायेगा।"
कबाड़ी वाला
"भागती जा रही है, तेज़, तेज़...और तेज़। लोटन ने अपनी चोंच में चादर का तीसरा कोना और लक्का ने चौथा कोना पकड़ा और वे सब उड़ने लगे, ज़मीन नीचे छूटती जा रही थी और आसमान नज़दीक आ रहा था।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"वे सब किसी दूर, अनजाने शहर में पहुँच गए थे। वहाँ पहाड़ नीले थे, और नीले-नीले आसमान में तरह-तरह के रंगों वाले पंछी उड़ रहे थे। नीचे वादी में फलों से लदे पेड़ और फूलों से महकते बग़ीचे थे। लोटन और लक्का मुमताज़ को लेकर एक फ़िरोज़ी रंग के तालाब के किनारे उतरे।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"साँझी की प्राचीन कला आज भी भारत के उत्तर प्रदेश में स्थित मथुरा और वृंदावन में प्रचलित है। एक ज़माने में कलाकार पेड़ की पतली छाल का प्रयोग करते थे लेकिन अब तो तरह-तरह के कागज़ भी इस्तेमाल किये जाते हैं। नमूने बहुत विस्तृत होते हैं और अधिकतर धार्मिक दृश्य, फूल-पत्ते, वयन और रेखागणित संरचनाएँ दर्शाते हैं। इस जटिल कला का उपयोग मंदिरों में प्रतिमाएँ सजाने के लिए, कपड़े पर देवी-देवताओं के स्टैंसिल या बच्चों के लिए स्टैंसिल काटने के लिए किया जाता है। तस्वीर में रंग या चमक देने के लिए स्टैंसिल के नीचे रंगीन या धात्विक कागज़ का इस्तेमाल किया जाता है।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"रज़ा ने झुक कर सलाम किया और फिर अपने बादशाह की तरफ़ देखा। एक खिदमतगार हाथ में डिब्बा लिये खड़ा था और अकबर उसमें से गहने चुन रहे थे। कद में बहुत लम्बे नहीं थे पर उनके एक तलवारबाज़ के जैसे चौड़े कन्धे थे। बड़ी बड़ी, थोड़ी तिरछी आँखें, नीचे की ओर मुड़ी मूँछें और ओठों के ऊपर एक छोटा सा तिल था।"
रज़ा और बादशाह