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Storybook paragraphs containing word (78)

"मैंने पापा से पूछा, “क्या मैं उस सुंदर से डिब्बे को खोल लूँ?”"
अभी नहीं, अभी नहीं!

"कुत्ते ने एक चिड़िया को देखा। वह कुत्ता उस चिड़िया के पीछे दौड़ा।"
एक था मोटा राजा

"हँसते हुए वह औरत बोली, “जादू!”
 उस लड़के ने हामी भरते हुए उत्साह से सिर हिलाया। अर्जुन को लगा मानो उसका सिर बस अभी गिरा।"
उड़ने वाला ऑटो

"“हम सबको और क्या चाहिए? थोड़ा-सा ज़ादू,” उस औरत ने कहा। बच्चे को कुछ रुपये देकर उसने दो बोतलें खरीद लीं। उसने एक बोतल शिरीष जी को दे दी।"
उड़ने वाला ऑटो

"अब उस औरत की साड़ी चमक रही थी, जिस पर सोने के धागों से कढ़ाई की गई थी। उसने हँस कर कहा, “जादू!”"
उड़ने वाला ऑटो

"अर्जुन की हेड लाइट मद्धिम पड़ रही थी। उसे अब सब कुछ बेकार लग रहा था। वह शिरीष जी की बातें भाँप रहा था। अब वह उस औरत के भावों को भी समझ सकता था।"
उड़ने वाला ऑटो

"शिरीष जी फिर से काम में जुट गए थे। उस शहर के जाने पहचाने जादू 
के नशे में हर सिग्नल, हर साईन बोर्ड, हर मोड़ उनसे कुछ कह रहा था। 
बहुत जल्द उनका पुराना जाना पहचाना चेहरा फिर शीशे में दिखने लगा था। वह जानते थे कि उन्हें कहाँ जाना है। वह तो वहाँ पहुँच ही गये थे।
 उस औरत की साड़ी फिर से फीकी पड़ गई थी लेकिन उसका चेहरा चमक रहा था।
 वे ज़मीन पर पहुँच गए थे। अर्जुन के पहियों ने गर्म सड़क को छुआ। इंजन ने राहत की साँस ली..."
उड़ने वाला ऑटो

"ऊपर की एक खिड़की से उस औरत के नाती-नातिन ने हाथ हिलाया। ऑटो से नीचे उतर कर उसने शिरीष जी को किराया दिया।"
उड़ने वाला ऑटो

"उसे पता था उसे क्या करना चाहिए। पिशि ने होश सँभाले। वह अपने दोस्तों के बीच वापस जाना चाहती थी। पर उस से पहले घाव का ठीक होना ज़रूरी था। वह तेज़ी से तट की ओर तैरने लगी।"
पिशि फँसी तूफ़ान में

"मकान बनाने से पहले आपको पता होना चाहिए कि आप को उस में क्या खूबी चाहिए।"
सबसे अच्छा घर

"हमारी थालियों और हमारे दिमाग में हलवा-पूरी, खीर-पूरी और श्रीखंड-पूरी की एक ख़ास जगह होती है। छुट्टियों में तो छोले-पूरी या आलू-पूरी सबसे ज़्यादा पसंद किये जाते हैं। पूरी तलने की ख़ुशबू सब को अपनी ओर खींचती है। कढ़ाई में तैरती पूरी को देखना भी बहुत दिलचस्प होता है। ज़रा उस सुनहरे रंग की करारी, गर्मागर्म फूली-फूली पूरी को तो देखिये। थाली में रखते ही सबसे गोल और सबसे फूली पूरी को लेने की हम कोशिश करते हैं।"
पूरी क्यों फूलती है?

"अम्मा और बाबा दोनों तैयार हैं। अम्मा ने कढ़ाई चढ़ा (फ्राई पैन चढ़ा) कर उस में थोड़ा तेल डाल दिया है। वह गूँधे हुये आटे से थोड़ा सा आटा लेती हैं। अब वह एक पूरी बेल रही हैं। गर्म तेल में पूरी को डालते हैं। थोड़ी देर में पूरी फूल जाती है।"
पूरी क्यों फूलती है?

"कभी-कभी पूरी को बेलने के बाद उस में जानबूझ कर एक कांटे से छोटे-छोटे छेद किये जाते हैं ताकि तलते समय जो भाप बने वह छेद से बाहर निकल जाये। इसी वजह से पूरी फूल नहीं सकती।"
पूरी क्यों फूलती है?

"विश्व के सबसे पहले एनसाइक्लोपीडिया, “अभिलाषितार्थ चिंतामणि” या मनासोललास जिसे राजा सोमेश्वर ने 12 सदी में लिखा था, के अनुसार उस समय में पूरी जैसी कोई चीज बनाई जाती थी जिसे पहालिका कहा जाता था तो पूरी कम से कम 800 साल पुरानी है।"
पूरी क्यों फूलती है?

"मैसूर में हरे रंग के उस पुराने मकान में पहुँचते ही दोनों दौड़ते हुए सीधे मुत्तज्जी के कमरे मे घुस गए!"
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?

""फिर कुछ साल बाद," मुत्तज्जी ने बात आगे बढ़ाते हुए कहा, "मेरी शादी हो गयी। उस समय कानून था कि शादी के लिए लड़की की उम्र कम से कम 15 साल होनी चाहिए, और मेरे पिता कानून कभी नहीं तोड़ते थे। तो उस समय मेरी उम्र करीब 16 साल की रही होगी। और मेरी शादी के बाद जल्द ही तुम्हारे मुत्तज्जा को बम्बई में नौकरी मिल गयी और हम मैसूर छोड़कर वहाँ चले गए।""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?

""जिस साल आपकी शादी हुई थी, उस साल क्या कोई ख़ास बात हुई थी?" पुट्टा ने पूछा।"
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?

"बड़े दुख से मुत्तज्जी ने कहा, "हाँ, उस साल दशहरे के त्यौहार के समय, हमारे महाराजा ने एक बड़े बांध और उसके पास कई सुंदर बागों का उद्घाटन किया था। लेकिन मै वह सब नहीं देख सकी थी क्योंकि मैं बम्बई में थी।""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?

""हाँ, के आर एस।" मुत्तज्जी ने बड़े प्यार से अज्जी को देखा और कहा, "तुम्हारी अज्जी मेरी पाँचवी संतान थी, सबसे छोटी, लेकिन सबसे ज़्यादा समझदार। तुम जानते हो बच्चों, मेरे बच्चे ख़ास समय के अंतर पर हुए। हर दूसरे मानसून के बाद एक, और जिस दिन तुम्हारी अज्जी को पैदा होना था, उस दिन तुम्हारे मुत्तज्जा का कहीं अता-पता ही नहीं था। बाद मेँ उन्होंने बताया कि वो उस दिन ग्वालिया टैंक मैदान में गांधीजी का भाषण सुनने चले गए थे। और उस दिन उन्हें ऐसा जोश आ गया था कि वह सारे दिन बस "भारत छोड़ो” के नारे लगाते रहे। बुद्धू कहीं के... नन्हीं सी बच्ची को दिन भर परेशान करते रहे।""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?

"धनी उस झोंपड़ी के पास पहुँचा जहाँ गाँधी जी ठहरे थे। उसने खिड़की से झाँक कर देखा। आश्रम के कई लोग गाँधी जी से बात कर रहे थे। धनी को सुनाई दिया कि वे दाँडी पहुँचने का रास्ता तय कर रहे थे, जिस पर वे पैदल चलेंगे। अपने पिता को भी इनके बीच देखकर धनी खुश हो गया।"
स्वतंत्रता की ओर

"क्या तुमने कभी बुरी सुबह बिताई है, जब तुमने आधी नींद में बहुत सारा पेस्ट फैला दिया हो और अचानक से जगे, क्योंकि पूरा सिंक पेस्ट से भरा था और माँ याद दिला रही थी कि 20 मिनट में स्कूल बस दरवाज़े पर आ जाएगी। उस समय तुम यही चाह रहे होगे कि माँ वह सब साफ़ कर दे जो तुमने गंदा किया।"
टूथपेस्ट ट्यूब के अंदर कैसे आया?

"हाँ, बिलकुल सही! उन्होंने ढक्कन को पेंच से कसा और ट्यूब के दूसरे हिस्से को पूरी तरह खुला छोड़ा। ट्यूब के बड़े पिछले हिस्से को भरना सचमुच आसान था! ख़ासकर जब तुम्हारे पास पेस्ट के साथ पंप के लिए कुछ हो, जैसे कि पिचकारी। इसके बाद यही करना बाकी रहा कि ट्यूब के उस खुले सिरे को कसकर बंद किया जाए ताकि पेस्ट बाहर न निकले।"
टूथपेस्ट ट्यूब के अंदर कैसे आया?

"कठोर भूरे रंग के नारियल का हर हिस्सा हमारे लिए उपयोगी होता है। उसके बाहर वाले बालों के हिस्से से रस्सी बनाई जाती है, वहीं अंदर का नरम सफेद हिस्सा कई प्रकार के भोजन में इस्तेमाल किया जाता है और नारियल पानी मज़ेदार पेय होता है, विशेषरूप से उस समय, जब बाहर बहुत गर्मी होती है। क्या आपको मालूम है कि आप अपने बालों में जो तेल लगाते हैं, वो कहां से आता है? वह तेल भी नारियल से ही निकाला जाता है।"
आओ, बीज बटोरें!

"सभी पेड़-पौधे हरे-भरे हो जाएँगे और खुश दिखाई देंगे। ठीक उस हरे दुपट्टे की तरह जिसे हरी भैया ने जयपुर से भेजा है। वो बता रहे थे कि उसे धानी चुनरिया कहते हैं। धानी जैसे धान के नन्हे पौधों का रंग। दादा कह रहे थे कि अच्छी बारिश होने से किसानों को अच्छी फसल मिलेगी।"
गरजे बादल नाचे मोर

"मैं उस पर चढ़ी थी। "
तारा की गगनचुंबी यात्रा

"“जब उस पर चढ़कर मैंने नीचे देखा तो बादलों के टुकड़े तैर रहे थे।"
तारा की गगनचुंबी यात्रा

"क्या तुम विश्वास करोगी कि उस विमान के चालक ने गिलहरियों की पुकार सुनी?”"
तारा की गगनचुंबी यात्रा

"“तब उस विमान-चालक ने विमान को थोड़ा नीचे उतारा, "
तारा की गगनचुंबी यात्रा

"मुझे उस पर बिठाया और फिर घर तक लेकर आए।”"
तारा की गगनचुंबी यात्रा

"मेरे सारे दोस्त उस पर उछलते-कूदते रहते!"
क्या होता अगर?

"राजू पहली बार हवाई-अड्डे के अंदर आया था। उस चौड़े-बड़े से पट्टे पर रखने में अम्मा की मदद की जो सामान को एक मशीन के अंदर ले जा रहा था।"
राजू की पहली हवाई-यात्रा

"राजू ने उस महिला अफ़सर से कुछ पूछने के लिए अपना मुँह खोला पर अम्मा ने उसे रोक दिया।"
राजू की पहली हवाई-यात्रा

"पर परवेज़ तो पहले ही उस पार कूद चुका था। फिर वापस फांद कर स्टेल्ला के पास आ जाता है।"
कोयल का गला हुआ खराब

"“मुझे तो एक कोयल उस डाल पर बैठी दिख रही है!” उमा ने इशारा किया।"
कोयल का गला हुआ खराब

"“परवेज़, जल्दी ऊपर देखो... उस पेड़ पर!” करन ने कहा।"
कोयल का गला हुआ खराब

"“कू-ऊऊऊऊह-ऊऊऊऊह। परवेज़ दादी को उस गला खराब वाली कोयल के बारे में बताता है। दोनों चलकर सुकर्ण स्कूल पहुँचते हैं जहाँ बधिर बच्चे पढ़ते हैं।"
कोयल का गला हुआ खराब

"उसके परिवार वाले! घूम-घूम ख़ुशी से खिलखिलाती हुई उस आवाज़ की ओर तैर चली।"
घूम-घूम घड़ियाल का अनोखा सफ़र

"अरे मिल गए घर वाले! वह खिलखिला कर हँसी और उस आवाज़ की ओर बढ़ चली।"
घूम-घूम घड़ियाल का अनोखा सफ़र

"दूर खेतों के उस पार लहराते नीम चार,"
हर पेड़ ज़रूरी है!

"गुबरैला ने ज़ोर से धक्का दिया, और ज़ोर से, बहुत ज़ोर से! लेकिन वह उस नारियल के पेड़ वाले हट्टे-कट्टे भँवरे को पलट नहीं सकी।"
एक, तीन, पाँच, मदद! मदद!

"लेकिन फिर भी वो उस भँवरे को पलट नहीं पाए!"
एक, तीन, पाँच, मदद! मदद!

"आख़िरकार, उन सब ने मिलकर उस मुटल्ले नारियल पेड़ के भँवरे को पलट ही दिया!"
एक, तीन, पाँच, मदद! मदद!

"एक दिन उन्हें दीदी का पता किताब में मिल गया। बच्चे तुरंत दीदी की खोज में निकल पड़े। साथ में किताबों का थैला उठाना नहीं भूले। खोजते खोजते बच्चों ने एक बस का नंबर पढ़ लिया। चलते चलते उस सड़क का नाम समझ लिया। क्योंकि दीदी ने उन्हें सब सिखाया था।"
दीदी का रंग बिरंगा खज़ाना

"मुनिया जानती थी कि एक पंख वाले उस विशालकाय गजपक्षी ने घोड़े को नहीं निगला है। हाँ, वह इतना बड़ा तो था कि एक घोड़े को निगल जाता, लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं कि उसने उसे निगल ही लिया था! नटखट झील के पास वाले उस जंगल से ग़ायब हुआ था जहाँ वह गजपक्षी रहता था। अधनिया गाँव में दो घोड़ों - नटखट और सरपट द्वारा खींचे जाने वाली केवल एक ही घोड़ागाड़ी थी। जंगल के अंदर बसे इस छोटे से गाँव में पीढ़ियों से लोगों को इस विशालकाय एक-पंख गजपक्षी के बारे में मालूम था। चूँकि वह किसी के भी मामले में अपनी टाँग नहीं अड़ाता था, इसलिए गाँव का कोई भी बंदा उसे छेड़ता न था।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"अपनी प्रजाति का वह आखिरी जीव था और सैकड़ों वर्षों से यह प्रजाति विलुप्त मान ली गयी थी। लोग नहीं जानते थे कि उस प्रजाति का जीवित अवशेष, जो एक को छोड़ अपने बाकी सारे पंख गँवा चुका था, अब भी अधनिया के जंगलों में विचरता था। गजपक्षी और गाँव वाले एक दूसरे से एक सुरक्षित दूरी बनाये रखते थे। पर मुनिया नहीं। हालाँकि चलते समय वह लँगड़ाती थी, लेकिन थी बड़ी हिम्मत वाली। अक्सर वह जंगल में घुस जाती और एक पंख वाले उस विशालकाय गजपक्षी को देखने के लिए झील पर जाया करती थी।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"पर मुनिया जल्द ही यह जान गयी कि वह शर्मीला और घासफूस खाने वाला एक शान्त पक्षी है। वह बस झील के किनारे लगे पौधे और पत्तियाँ चबाता रहता। मुनिया को महसूस हुआ कि उसमें और उस गजपक्षी में कुछ समानता है। सही तो है, विशालकाय एक-पंख गजपक्षी उड़ नहीं सकता था और मुनिया दौड़ नहीं सकती थी! गाँव के बाकी सारे बच्चे उसके लँगड़ाने का मज़ाक उड़ाते और अपने खेलों में उसे शामिल न करते। इसलिए उसे अकेले रहना ही अच्छा लगता।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"मुनिया को यह अहसास हमेशा सताता रहता कि गजपक्षी को पता है कि मुनिया कहीं आसपास है, क्योंकि वह अक्सर उस पेड़ की दिशा में देखता जिसके पीछे वह छुपी होती। हर सुबह मुनिया गाँव के कुएँ से तीन मटके पानी भर लाती और लकड़ियाँ ले आती ताकि उसकी अम्मा चूल्हा फूँक सकें। इसके बाद वह हँसते-खेलते अपनी झोंपड़ी से बाहर चली जाती। अम्मा समझतीं कि वह गाँव के बच्चों के साथ खेलने जा रही है। उन्हें यह पता न था कि मुनिया जंगल में उस झील पर जाती है जहाँ वह विशालकाय एक-पंख गजपक्षी रहता था।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"एक दिन, मुनिया ने बाहर खुले में आने की हिम्मत बटोरी। अपना सिर घुमाये बिना उस विशालकाय ने पहले तो अपनी आँखें घुमाकर मुनिया को देखा और फिर उन्हे बंद कर उसने मुनिया के आगे बढ़ने की कोई परवाह नहीं की। उसके सिर पर भनभनातीं मक्खियों से ज़्यादा ध्यान न खींच पाने के चलते मुनिया धम्म से अपने पैर पटक उसकी ओर बढ़ी। अचानक उस विशालकाय ने अपना एक पंजा उठाया। मुनिया चीखी और झील के उथले पानी में सिर के बल गिर पड़ी। पानी में भीगी-भीगी जब वह झील से बाहर आयी तो क्या देखती है कि गजपक्षी का समूचा बदन हिलडुल रहा है। वह समझ गयी कि वह हँस रहा था!"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"और हर कोई उस विशालकाय एक-पंख गजपक्षी पर शक करने लगा। नटखट को सर्वत्र ढूँढ चुकने के बाद, मुनिया समेत गाँव के सभी छोटे-बड़े पुराने बरगद की छाँव तले गाँव की चौपाल पर इकट्ठा हुए।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"“लेकिन उस विशालकाय एक-पंख गजपक्षी ने घोड़ा नहीं खाया,” मुनिया ने लँगड़ाते हुए आगे बढ़कर बहुत धीमे स्वर में कहा। “जिस वक्त घोड़ा ग़ायब हुआ, उस वक्त मैं उसके साथ वहीं पर थी!” समूची सभा में एक गहरा सन्नाटा सा छा गया।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"“एक वही राक्षस तो बस मेरा दोस्त है।” उसके पिताजी ने उसकी तरफ़ गुस्से से देखा। लेकिन वह रोयी नहीं और वहीं पर गाँव वालों के सामने खड़ी रही। “अरे लड़की को छोड़ो, हम लोग उस राक्षस को सवेरे-सवेरे धर लेंगे,” एक हट्टा-कट्टा आदमी बोला। “तो फिर कल सुबह की बात पक्की,” मुखिया ने कहा और सभा विसर्जित हो गयी।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"मुनिया एक पल को तो ठिठकी पर अगले ही पल उसे जंगल में आराम से सोते उस महाकाय का ख़याल आया। वह अगर नहीं गयी तो वह शायद अगली रात भी न देख पाये। एक गहरी साँस लेकर उस आधी रात को ही जंगल से होकर चन्देसरा जाने वाले रास्ते पर लँगड़ाते-लँगड़ाते चल पड़ी।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"अगली सुबह सारे गाँव वाले लाठियाँ, भाले, नुकीले पत्थर, और बड़े-बड़े चाकू लेकर जंगल झील पर इकट्ठे हुए। विशालकाय एक-पंख गजपक्षी उस वक्त झील के समीप आराम फ़रमा रहा था जब गाँव वालों की भीड़ उसकी ओर बढ़ी। पक्षी की पंखहीन पीठ धूप में चमक रही थी। वह धीरे से उठा और अपनी तरफ़ आती भीड़ को ताकने लगा। उसके विराट आकार को देख गाँव वाले थोड़ी दूर पर आकर रुक गये और आगे बढ़ने को लेकर दुविधा में पड़ गये। पल भर की ठिठक के बाद मुखिया चिल्लाया, “तैयार हो जाओ!” भीड़ गरजी, अपने-अपने हथियारों पर उनके हाथों की पकड़ और मज़बूत हुई और वे तैयार हो चले उस भीमकाय को रौंदने के लिए।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"“ठहरो!” सारे शोर-शराबे को चीर कर मुनिया की पतली सी आवाज़ आयी। भीड़ और उस महाकाय के बीच से लँगड़ाती हुई वह आगे बढ़ी। “मुनिया! तुरन्त वापस आ जाओ!” मुनिया के बाबूजी का आदेश था। “उसे पकड़ो तो!” मुनिया के बाबूजी और एक ग्रामीण उसकी ओर दौड़ पड़े। महाकाय को दो कदम आगे बढ़ता देख वे लोग रुक गये। “कोई बात नहीं... अगर तुम लोग यही चाहते हो तो हम लोग तुम दोनों से इकट्ठे ही निपटेंगे!” अपने हाथ में भाला उठाये वह हट्टा-कट्टा आदमी चीखा।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"लेकिन गाँव वाले सारथी को क्या जवाब देते? उनके सिर शर्म से झुके हुए थे। मुनिया के पिताजी अपनी बेटी के पास गये, और उसे अपनी गोद में उठाकर उसे वापस गाँव ले आये। बस फिर क्या था, उस दिन के बाद से कोई भी बच्चा मुनिया के लँगड़ाने पर नहीं हँसा। वे सब अब उसके दोस्त होना चाहते थे। लेकिन केवल भीमकाय ही मुनिया का अकेला सच्चा मित्र बना रहा। मुनिया की कहानी तमाम गाँवों में फैली, और दूरदराज़ के ग्रामीण फुसफुसाकर एक-दूसरे से कहते, “देखा, मुनिया जानती थी कि उस विशालकाय एक-पंख गजपक्षी ने घोड़े को नहीं डकारा!”"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"शहर के एक छोटे से बगीचे में पीपल का एक बड़ा सा पेड़ है। उस पेड़ पर गिलहरियों का एक परिवार रहता है। विक्की उस कुनबे का बड़ा ही शेखीमार सदस्य है। उसका चचेरा भाई काटो, दूर जंगल से उससे मिलने आया है।"
नौका की सैर

"अम्मा बोली,"वह बहुत देर तक तुम्हारी मौसी से बात भी करती रही थीं। उन्होंने उस स्वेटर को भी पूरा किया, जो वह राजू के लिए बुन रही थीं। फिर वह टहलने निकल गई थीं।"अब मुझे खोज के लिए कई सूत्र मिल गए। मैंने घर में तुरंत ही नई जगहों पर ढूँढ़ना शुरू किया।"
नानी की ऐनक

"अगर वे एक काला टोप और एक लम्बा काला ओवरकोट पहन लें... अपनी आँखों पर एक काला चश्मा लगा लें, तो वे एकदम उस टीवी वाले जासूस की तरह लगेंगे जो सब चोरों को पकड़ लेता है!"
पापा की मूँछें

"लेकिन सबसे बढ़िया मूँछें तो, पास वाले मकान में रहने वाले उन दादाजी की हैं! ऐसा लगता है मानो एक बड़ा-सा स़फेद बादल आसमान से उतर कर उनकी नाक के नीचे रहने चला आया है! अब उनका मुँह जो है, उस बादल के पीछे छिपा रहता है।"
पापा की मूँछें

"अनु को दादाजी की चिन्ता होने लगी है... उस बादल के रहते वे खाना कैसे खा पाते होंगे भला?"
पापा की मूँछें

"चींटी ने किसी तरह उस नदी को पार किया।"
दाल का दाना

"जब तक उसके पिता जी उस महिला से बात कर रहे थे, चीनू ने सब सामान ऐसे समेटा कि किताबें सबसे ऊपर थीं।"
कबाड़ी वाला

"- कूड़ेदान को ढक दीजिये जिससे उस में मक्खियाँ बिलकुल न पहुँच पाएँ।"
कचरे का बादल

"काका खुद को बहुत बाँका समझता था। उसे यह बात अच्छी नहीं लगी कि वह सा़फ -सुथरा नहीं दिख रहा। वह झटपट पानी की धारा के पास पहुँचा। वह धारा में अपनी चोंच डुबो ही रहा था कि धारा ज़ोर से चिल्लाई, “काका! रुको! अगर तुमने अपनी गन्दी चोंच मुझ में डुबोई तो मेरा सारा पानी गन्दा हो जायेगा। तुम एक कसोरा ले आओ। उस में पानी भरकर अपनी चोंच उसी में धो लो।”"
काका और मुन्नी

"घमंडी काका नहीं चाहता था कि लोग जान जाएँ कि उस की पूँछ जल गई है।"
काका और मुन्नी

"वह उस गाँव से बहुत दूर उ़ड गया और फिर कभी वापस नहीं आया।"
काका और मुन्नी

"उसी समय उस शहर के मुखिया की बेटी गगरी उठाए पानी भरने वहाँ आई।"
मछली ने समाचार सुने

"मुखिया और दादा मछली अच्छे दोस्त थे। दादा ने उस लड़की से मुखिया को वहाँ आने का सन्देश भिजवाया।"
मछली ने समाचार सुने

"सभी को लगा कि दादा मछली ने अगर उस दिन वह समाचार न सुना होता तो यह दुर्घटना घट ही जाती।"
मछली ने समाचार सुने

"उनके अब्बू ठेकेदारी करते थे। चौक के थोक का सामान रखने वाले दुकानदार उन्हें कपड़ा देते थे और अब्बू घर पर ही कढ़ाई का काम करने वाली औरतों से उस कपड़े पर चिकनकारी करवाते थे। दुकानदार हर औरत को कढ़ाई के हर कपड़े का पैसा देता था। अब्बू भी कपड़े के हिसाब से आढ़त पाते थे।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने

"जब मुमताज़ इस विस्मय-नगरी से लौटी तो उसने एक बड़ा सफ़ेद कपड़ा लिया और उस पर सफ़ेद धागे से फूल काढ़ने बैठ गई। उसने हरदोई के आमों और कश्मीर के बादाम के जैसे पत्ते काढ़े और फूलों के गुच्छों से लदी झाड़ियों के बीचोंबीच एक बहुत ही खूबसूरत मोर भी! वह किसी जादुई चादर से कम नहीं लगती थी।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने

"फिर एक रोज़ ख़बर आई कि मुमताज़ की कढ़ी हुई उस सफ़ेद चादर को ईनाम मिला है।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने

"मुमताज़ इतनी खुश थी कि पूछो मत! और वह चाहती थी कि उसकी इस खुशी में उसकी दोनों बहनें भी शरीक हों। उसने कमरु और मेहरु से कहा कि वे भी उसके साथ उस आयोजन में चलें। मुमताज़ की सच्ची खुशी देखकर और अपनी ईर्ष्या सोचकर दोनों को बहुत मलाल हुआ।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने

"सुमी अपने जूते के फीते नहीं बाँध सकी। और खेलने के बाद भी उसे जूते के फीते बाँधने का ध्यान नहीं रहा, और वह उलझ कर गिर पड़ी। उसकी ठोड़ी में चोट लग गई। जब मैडम ने उसकी ठोड़ी की चोट देखी तो उस पर ऐंटीसेप्टिक क्रीम तो लगा दी, लेकिन उसे लापरवाही बरतने के लिए डाँट भी पड़ी। “जूतों के फीते बाँधे बिना पहाड़ों में दौड़ लगाई जाती है? घर जाते समय गिर पड़तीं या और कुछ हो जाता तो क्या होता?“"
थोड़ी सी मदद

"तुम्हारी बात सुनने के बाद, मैंने एक हाथ से बहुत सी चीजें करने की कोशिश की। लेकिन यह बहुत ही मुश्किल है! मुझे अभी तक यह समझ नहीं आया कि तुम नहाना, कपड़े पहनना, बैग संभालना जैसे काम ख़ुद ही कैसे कर लेती हो। उस दिन खाने की छुट्टी के बाद की बातचीत के बाद से मैंने महसूस किया कि तुम भले ही कुछ कामों को थोड़ा अलग ढँग से करती हो, लेकिन तुम भी वह सारे काम कर लेती हो जो बाकी सब लोग करते हैं।"
थोड़ी सी मदद

"फ़िल्म सच में बहुत ही बढ़िया थी, है न? मैं इतना हँसा कि मेरा पेट दुखने लगा और मेरे आँसू निकल आए। जब भी स्कूल में फ़िल्म दिखाई जाती है मुझे बहुत अच्छा लगता है। क्योंकि उस दिन पढ़ाई की छुट्टी।"
थोड़ी सी मदद

"2. आपकी कक्षा की एक लड़की लँगड़ाते हुए चलती है। बाकी बच्चे उस पर हँसते हैं। आप क्या करेंगे?"
थोड़ी सी मदद

"अ. कक्षा की सबसे होशियार छात्रा से कहेंगे कि वह अपने नोट्स उसे पढ़ने के लिए दे दे। ब. अध्यापिका से कहेंगे कि उसकी मदद करना उनका काम है। स. उससे पूछेंगे कि क्या उसे आपकी मदद चाहिए। 4. आपकी कक्षा की नई छात्रा जरा शर्मीली है। वह किसी के साथ नहीं खेलती। आप क्या करेंगे? अ. उससे कुछ नहीं कहेंगे। जब उसकी झिझक मिट जाएगी तब खेलने लगेगी। ब. उसे बुला कर खेल में शामिल होने को कहेंगे। स. उस के पास जा बैठेंगे। शायद वह बातें करने लगे।"
थोड़ी सी मदद