Edit word

ह म

Add letter-sound correspondence launch
Peer-review 🕵🏽‍♀📖️️️️

Do you approve the quality of this word?



Contributions 👩🏽‍💻
Revision #2 (2022-01-21 13:57)
Nya Ξlimu
Resources
Hindi resources:
  1. Forvo
  2. Google Translate
Labeled content
Emojis
None

Images
None

Videos
// TODO

Storybook paragraphs containing word (61)

"अज्जा ने कहा, “अब हम क्रिकेट खेल सकते हैं।”"
अभी नहीं, अभी नहीं!

"“लेकिन हम क्या कर रहे हैं?” अर्जुन ने सोचा। “हम कहाँ जा रहे हैं? अगर मुझे चलाया नहीं गया तो मेरा क्या होगा?” अर्जुन ने अब से पहले कभी इतना आज़ाद महसूस नहीं किया था, और न ही इतना परेशान।"
उड़ने वाला ऑटो

"जगह और सामान मिल जाने पर हम मकान बनाना शुरू करते हैं।"
सबसे अच्छा घर

"हमारी थालियों और हमारे दिमाग में हलवा-पूरी, खीर-पूरी और श्रीखंड-पूरी की एक ख़ास जगह होती है। छुट्टियों में तो छोले-पूरी या आलू-पूरी सबसे ज़्यादा पसंद किये जाते हैं। पूरी तलने की ख़ुशबू सब को अपनी ओर खींचती है। कढ़ाई में तैरती पूरी को देखना भी बहुत दिलचस्प होता है। ज़रा उस सुनहरे रंग की करारी, गर्मागर्म फूली-फूली पूरी को तो देखिये। थाली में रखते ही सबसे गोल और सबसे फूली पूरी को लेने की हम कोशिश करते हैं।"
पूरी क्यों फूलती है?

"तो चलो आज जब अम्मा पूरी तल रही होंगी तब हम इसी के बारे में देखेंगे, जानेंगे, पूछेंगे और पता लगायेंगे।"
पूरी क्यों फूलती है?

"जब हम आटे को गूँधते हैं तो एक दूसरे से चिपके कण, फैलने लगते हैं और फिर इस तरह फैलने के बाद एक नया प्रोटीन बन जाता है, जिसे कहते हैं ग्लूटेन। ग्लूटेन, रबर की तरह लचीला होता है, इसलिए गूँधे हुये आटे को हम कोई भी आकार दे सकते हैं।"
पूरी क्यों फूलती है?

"इस गूँधे हुये आटे को अम्मा थोड़ी देर के लिये एक तरफ़ रख देती हैं। अब वह खीर बना रही हैं जैसे ही वह पूरियाँ बेलना शुरू करेंगी, हम वापिस आ जायेंगे।"
पूरी क्यों फूलती है?

"अब फिर इसे एक बड़े बर्तन में रख देते है अब बर्तन के अंदर रखे गूँधे आटे पर इतना पानी डालते है जिससे वो उसमे डूब जाए। पानी के अंदर डूबे आटे को गूँधते रहते है जब तक पानी का रंग सफ़ेद नहीं हो जाता। इस पानी को फैक कर बर्तन में थोड़ा और ताजा पानी लेते है इसे तब तक करते रहे जब तक गुँधे आटे को और गूंधने से पानी सफ़ेद नहीं होता। इसका मतलब यह है कि आटे का सारा स्टार्च खत्म हो गया है और उसमें बस ग्लूटेन ही बचा है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि स्टार्च पानी में घुल जाता है लेकिन ग्लूटेन नहीं घुलता। अब इस बचे हुए आटे यानि ग्लूटेन से थोड़ा सा आटा लेते है इसे हम एक रबड़बैंड कि तरह खीच सकते है। अगर इसे खीच कर छोड़ते है तो यह वापस पहले जैसा हो जाता है। इससे इसके लचीलेपन का पता चलता है आप इसे चोड़ाई में फैला सकते है इससे पता चलता है कि इसमें कितनी प्लाटीसिटी है।"
पूरी क्यों फूलती है?

"क्या ज्वार, बाजरे या चावल के आटे से पूरियाँ बन सकती है, अगर नहीं तो क्यों? गेहूँ के आटे से पूरियों के अलावा हम और क्या चीज़ें बना सकते हैं? अगर आटे में ज़्यादा पानी डाल दिया जाये तो क्या होगा? अगर हम आटे को खाना पकाने के दूसरे तरीकों, जैसे तंदूर या तवा पर पकाते हैं तो क्या होता है?"
पूरी क्यों फूलती है?

"सरला हड़बड़ा कर खड़ी हुई और बोली, "सॉरी मैडम!" मैं चील को देख रही थी। काश! हम भी चिड़िया की तरह उड़ पाते या फिर एक हवाई जहाज़ की तरह..."
हवाई जहाज़ कैसे उड़ते हैं?

"कुछ ही दिनों में वह पशु-पक्षियों के बारे में बहुत कुछ जान गई और यह भी कि हम हवाई जहाज़ की तरह क्यों नहीं उड़ सकते!"
हवाई जहाज़ कैसे उड़ते हैं?

"सरला ने सीखा कि मानव भी उड़ सकते हैं, पर पक्षियों की तरह नहीं। हम मनुष्य के एक महान आविष्कार, हवाई जहाज़ में बैठकर विश्व के किसी भी नगर से उड़ान भर सकते हैं।"
हवाई जहाज़ कैसे उड़ते हैं?

"इस महान यंत्र की सहायता से हम हवा में उड़ने का मज़ा ले सकते हैं। पक्षी हवाई जीव होते हैं जिन्हें उड़ने के लिए बाहरी यंत्र की ज़रूरत नहीं होती। आमतौर पर, एक पक्षी के पंख उसके शरीर से बड़े होते हैं। पंख बड़े हल्के होते हैं और इसलिए वे उड़ पाते हैं।"
हवाई जहाज़ कैसे उड़ते हैं?

""ओह! दावत! फिर तो वहाँ बहुत सारे केक रहे होंगे!" पुट्टी बोली। "वह कौन से राजा थे, मुत्तज्जी? अगर आप को यह पता हो तो हम जान सकते है कि वह यहाँ कब आए थे। फिर उसमे 5 जोड़ देने से पता चल जाएगा कि आप कब पैदा हुईं थीं।""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?

""फिर कुछ साल बाद," मुत्तज्जी ने बात आगे बढ़ाते हुए कहा, "मेरी शादी हो गयी। उस समय कानून था कि शादी के लिए लड़की की उम्र कम से कम 15 साल होनी चाहिए, और मेरे पिता कानून कभी नहीं तोड़ते थे। तो उस समय मेरी उम्र करीब 16 साल की रही होगी। और मेरी शादी के बाद जल्द ही तुम्हारे मुत्तज्जा को बम्बई में नौकरी मिल गयी और हम मैसूर छोड़कर वहाँ चले गए।""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?

"”क्योंकि, यदि वे इस लम्बी यात्रा पर दाँडी तक पैदल जायेंगे तो यह खबर फैलेगी। अखबारों में फ़ोटो छपेंगी, रेडियो पर रिपोर्ट जायेगी!
और पूरी दुनिया के लोग यह जान जायेंगे कि हम अपनी स्वतंत्रता के लिये लड़ रहे हैं। और ब्रिटिश सरकार के लिये यह बड़ी शर्म की बात होगी।“"
स्वतंत्रता की ओर

"कुछ साल बाद, ल्यूसियस दंत विज्ञान की पढ़ाई के लिए पेरिस गया। वहाँ उन्होने कलाकार (पेंटर) को धातु की ट्यूब दबाकर उससे पेंट की थोड़ी मात्रा निकाल, पेंट-ब्रश पर लगाते देखा। क्यों न हम इसी तरह के ट्यूब का उपयोग टूथपेस्ट रखने के लिए करें! वह घर आया और अपना सुझाव पिता के सामने रखा। उन्हें भी यह सुझाव बहुत पसंद आया।"
टूथपेस्ट ट्यूब के अंदर कैसे आया?

"”और हम भी इससे पहले कभी किसी बोलने वाले पेड़ से नहीं मिले!” टूका ने चहकते हुए कहा। ”इसलिए, हम सभी के लिए कुछ न कुछ नया है।” इतना सुनकर, पच्चा जोर से हँसा, और उसके हँसते ही, उसके डालों की सारी पत्तियाँ सुर्ख़ हरी हो गई।"
आओ, बीज बटोरें!

"बैरीज़, सेब, केला, तरबूज और कटहल - इन सभी फलों में बीज होता है। कुछ बीजों को हम खा नहीं सकते हैं जैसे कि आम की गुठली। लेकिन कई बीज; जैसे कटहल के बीज; इन्हें पानी में भिगोने के बाद सब्ज़ी बनाकर खाए जा सकते हैं।"
आओ, बीज बटोरें!

""अम्मा, हम उड़ रहे हैं!""
राजू की पहली हवाई-यात्रा

"“अरे नहीं, अब हम यह कैसे पता लगाएंगे कि खराब गले वाली कोयल कौन सी है?” ज़ेबा ने मुँह लटकाकर पूछा।"
कोयल का गला हुआ खराब

"जब हम इनको जोड़ते हैं तब क्या होता है?"
एक, तीन, पाँच, मदद! मदद!

"“अप्पा हम कम्पोस्ट बनायेंगे!”"
रोज़ और रॉकी चले कम्पोस्ट बनाने

"“हमें चाहिए ढेरों छिलके फलों के, सब्जियों के! देखा, अब हम कुछ भी बर्बाद नहीं किया करेंगे।”"
रोज़ और रॉकी चले कम्पोस्ट बनाने

"जिन्हें हम अपने मैदानों और बगीचों में पाते हैं, खुला समुद्र पार करके"
द्रुवी की छतरी

"‘‘क्या यह खेल हम दिल्ली पहुँच कर भी खेल सकते हैं?’’ नीना ने मुस्कुराते हुए पूछा।"
एक सफ़र, एक खेल

"“एक वही राक्षस तो बस मेरा दोस्त है।” उसके पिताजी ने उसकी तरफ़ गुस्से से देखा। लेकिन वह रोयी नहीं और वहीं पर गाँव वालों के सामने खड़ी रही। “अरे लड़की को छोड़ो, हम लोग उस राक्षस को सवेरे-सवेरे धर लेंगे,” एक हट्टा-कट्टा आदमी बोला। “तो फिर कल सुबह की बात पक्की,” मुखिया ने कहा और सभा विसर्जित हो गयी।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"“ठहरो!” सारे शोर-शराबे को चीर कर मुनिया की पतली सी आवाज़ आयी। भीड़ और उस महाकाय के बीच से लँगड़ाती हुई वह आगे बढ़ी। “मुनिया! तुरन्त वापस आ जाओ!” मुनिया के बाबूजी का आदेश था। “उसे पकड़ो तो!” मुनिया के बाबूजी और एक ग्रामीण उसकी ओर दौड़ पड़े। महाकाय को दो कदम आगे बढ़ता देख वे लोग रुक गये। “कोई बात नहीं... अगर तुम लोग यही चाहते हो तो हम लोग तुम दोनों से इकट्ठे ही निपटेंगे!” अपने हाथ में भाला उठाये वह हट्टा-कट्टा आदमी चीखा।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"यहाँ हम अपने हाथ-मुँह धोते हैं।"
मेरा घर

"जब ठंड पड़ती है तो हम रज़ाइयाँ निकाल लेते हैं।"
मेरा घर

"जब गर्मी पड़ती है तो हम एक पंखा चला लेते हैं।"
मेरा घर

"जब हमारे यहाँ ख़ास मेहमान आते हैं तो हम कुर्सियाँ निकालते हैं।"
मेरा घर

"“क्या हम आपकी कुछ मदद कर सकते हैं?” वीना और विनय ने पूछा।"
नन्हे मददगार

"अब, हम क्या करें?"
क्यों भई क्यों?

""आओ अब देखें हम सितार,"
संगीत की दुनिया

"“आज हम एक बड़ी नौका में घूमने जायेंगे,” विक्की ने काटो से कहा। काटो घबराया और"
नौका की सैर

"आँखें फाड़े देखें हम सब!"
निराली दादी

"तुम्हें तो पता ही है कि वह कितनी गप्पी है! हम दोनों ने कई बार चाय पी और वे सारे लड्‌डू खा गई जो तुम्हारी माँ ने बनाए थे।" नानी बोलीं।"
नानी की ऐनक

"सबसे पहले हम स्टेशन पहुँच गये।"
चाचा की शादी

"माँ कहती हैं, “ज़रा रुको अभी तो हम ट्रेन में बैठे भी नहीं।
 भूख लगी है, तो मेरे पास मिठाइयाँ हैं।
 प्यास लगी है, तो मेरे पास पानी है।
 लेकिन जब तक ट्रेन न आये, तब तक इन्तज़ार करो।”"
चाचा की शादी

"शोर मचने लगा। ट्रेन आ रही है! ट्रेन आ रही है!
 सब ट्रेन में चढ़ने की कोशिश में थे। पर वह कहाँ हैं, जिनकी शादी में हम सब जा रहे हैं?"
चाचा की शादी

"इस पुस्तक में चींटी को एक हरा अंकुरित मूँग का दाना मिला। अंकुरित दालें स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छी होती हैं। हम किसी भी दाल को भिगो कर अंकुरित बना सकते हैं जैसे राजमा, सफ़ेद चना, काला चना, मटर आदि।"
दाल का दाना

"क्या हम अभी जायें?
 क्या हम बाद में जायें?"
चलो किताबें खरीदने

"क्या हम आज चलें?
 क्या हम कल जायें?"
चलो किताबें खरीदने

"हमने तय किया कि केवल हम दोनों छोटी दुकान में जायेंगे।"
चलो किताबें खरीदने

"क्या हम पतली सी किताब खरीदें?"
चलो किताबें खरीदने

"और हम दोनों पढ़ते गये, पढ़ते गये और पढ़ते गये।"
चलो किताबें खरीदने

"आखिर में, हम जान गये कि कौन सी किताबें खरीदनी हैं।"
चलो किताबें खरीदने

"उन्होंने अपने पास बैठा लिया।
 हम पढ़ते रहे, पढ़ते रहे, पढ़ते रहे..."
चलो किताबें खरीदने

"चलो अब हम कचरे की बात करें!"
कचरे का बादल

"कभी सोचा है कि जो कचरा हम कूड़ेदान में फेंक देते है उसका क्या होता होगा? नहीं, वह हमारे सिर पर बादल बन कर नहीं मँडराता लेकिन जो भी कचरा हम फेंकते है वो हमारे घर के पास बने बड़े से कचराघर में जमा हो जाता है। सब कुछ एक साथ, सड़ती सब्जियाँ, टॉफ़ी के रैपर, किताबों-कापियों के फटे पन्ने।"
कचरे का बादल

"जब भी हम केले के छिलके या पेंसिल की छीलन सड़क पर फेंकते है, तो यह कचरा सड़क के किनारे इकठ्ठा हो जाता है। कुछ उन नालियों के अंदर चला जाता है और उन में जमा हो जाता है। रूकी हुई नालियों में मक्खी-मच्छर पैदा होते हैं जो बीमारियाँ फैलाते हैं! इससे हमारा पर्यावरण गन्दा होता है और अपने आसपास कूड़ा- कचरा तो किसी को भी अच्छा नहीं लगता। चीकू के दिल से पूछिये।"
कचरे का बादल

"रहें खड़े हम आँखें मीचे।"
ऊँट चला, भई! ऊँट चला

"लेकिन हम क्यों मूँदें आँखें?"
ऊँट चला, भई! ऊँट चला

"नहीं पलटकर हम तक आए।"
ऊँट चला, भई! ऊँट चला

"एकाएक अज़हर मियाँ रुक गए, “घर पर बैठी हमारी एक और बहन भी तो है जिसने आज नए कपड़े नहीं पहने हैं। हम में से किसी ने भी उसके बारे में सोचा तक नहीं।”"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने

"“चिकनकारी तो हम पिछली तीन पुश्तों से करते आ रहे हैं। मैंने अपनी अम्मी से और अम्मी ने नानी से यह हुनर सीखा,” मुमताज़ बोली, “मेरी नानी लखनऊ के फ़तेहगंज इलाके की थीं। लखनऊ कटाव के काम और चिकनकारी के लिए मशहूर था। वे मुझे नवाबों और बेग़मों के किस्से, बारादरी (बारह दरवाज़ों वाला महल) की कहानियाँ, ग़ज़ल और शायरी की महफ़िलों के बारे में कितनी ही बातें सुनाया करतीं। और नानी के हाथ की बिरयानी, कबाब और सेवैंयाँ इतनी लज़ीज़ होती थीं कि सोचते ही मुँह में पानी आता है! मैंने उन्हें हमेशा चिकन की स़फेद चादर ओढ़े हुए देखा, और जानते हो, वह चादर अब भी मेरे पास है।” नानी के बारे में बात करते-करते मुमताज़ की आँखों में अजीब-सी चमक आ गई, “मैंने अपनी माँ को भी सबुह-शाम कढ़ाई करते ही देखा है, दिन भर सुई-तागे से कपड़ों पर तरह-तरह की कशीदाकारी बनाते।”"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने

"खुरशीद ने मुमताज़ को वह दुशाला दिखाया जो वे काढ़ रहे थे, “देखो बेटी, मैंने कश्मीर के पंछी और फूल अपने शॉल में उतार लिए हैं। यह है गुलिस्तान, फूलों से भरा बग़ीचा और ये रहीं बुलबुल। यह जो देख रही हो, इसे हम चश्म-ए-बुलबुल कहते हैं यानि बुलबुल की आँख। जिस तरह बुलबुल अपने चारों ओर देख सकती है, वैसे ही यह टाँका हर तरफ़ से एक जैसा दिखाई देता है!” कह कर खुरशीद ने मुमताज़ को वह टाँका काढ़ना सिखाया।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने

"दस्तकार हाट समिति भारतीय शिल्पकारों की एक विशाल संस्था है जो कि इस देश की पारंपरिक दस्तकारी से जुड़े लोगों के सामाजिक और आर्थिक उत्थान के लिए कार्यरत है। चार कहानियों की इस शृंखला को चित्रित करने के लिए प्रांतीय कला और शिल्प के नमूनों का इस्तेमाल किया गया है जिससे भारत की भिन्न-भिन्न सांस्कृतिक संवेदनाओं को साझा किया जा सके। हम युनेस्को, नई दिल्ली, के आभारी हैं जिनके योगदान से यह कार्य पूरा हुआ।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने

"पिछली बार, हमारे स्कूल में तुम्हारे आने से पहले, हमें एक बाघ के बच्चे की फ़िल्म दिखाई गयी थी जो जँगल में भटक गया था। हम भी उसे लेकर चिंता में पड़ गए थे क्योंकि वह एक सच्ची कहानी थी। बाद में वह बाघ का बच्चा किसी को मिल जाता है और वह उसे उसके परिवार से मिला देता है। जानती हो ऐसी सच्ची कहानियों को डॉक्यूमेंट्री कहा जाता है। बाघ के बच्चे बड़े प्यारे होते हैं, हैं न?"
थोड़ी सी मदद

"पता है जब मैंने तुम्हें बस में देखा तो मैं बहुत हैरान हुआ था। मुझे इस बात का अंदाज़ा नहीं था कि मेरे पिता और तुम्हारे पिता एक ही जगह काम करते हैं! लेकिन मैं बहुत खुश हूँ कि तुम दफ़्तर की पिकनिक में आईं, क्योंकि पिछले साल जब हम दफ़्तर की पिकनिक पर गए थे तब उसमें मेरी उम्र का कोई भी बच्चा नहीं था और बड़ों के बीच अकेले-अकेले मुझे ज़रा भी अच्छा नहीं लगा था। मैं बहुत ऊब गया था।"
थोड़ी सी मदद