Resources
Labeled content
EmojisImages
Videos
Storybook paragraphs containing word (113)
"उस मोटे राजा के पास एक पतला कुत्ता था। एक दिन मोटा राजा और उसका पतला कुत्ता सैर करने गए।"
एक था मोटा राजा
"मैं नाचती वो भी मेरे साथ नाचती| मैं खेलती वो भी खेलती| मैं हँसती तो वो भी मेरे साथ हँसती| पर मुझ से बात नहीं करती| कभी मेरे पास नहीँ आती|"
मैं और मेरी दोस्त टीना|
"हम बगीचे में भी गए |पेड़ के पास छिप कर हमने लुका –छिपी खेला |हमने मेमने को भी खेलाया |"
मैं और मेरी दोस्त टीना|
"“वह रोशनी कैसी?” वह चकित हुआ। एक छोटी सी रोशनी उड़ती हुई उसके पास आई।"
सो जाओ टिंकु!
"अलग-अलग परिवारों को लाजपत नगर के बाज़ार ले जाना, अर्जुन को बहुत पसंद था। सैलानी जब चार पहियों की जगह तीन पहियों की सवारी चुनते तो उसका मन खुशी से झूम उठता। शिरीष जी के साथ कुतुब मीनार के पास पेड़ की छाँव में आराम करना उसे बहुत अच्छा लगता।"
उड़ने वाला ऑटो
"आटे में जैसे ही पानी डाला जाता है, यह अणु उसे पी लेते हैं। वे पानी पीने के बाद बड़े और मोटे हो जाते हैं। वे फैल जाते हैं। ज़ाहिर है कि उनके पास आराम से बैठने के लिये जगह नहीं होती है – इसलिए वह एक दूसरे को छूते हैं और धक्कामुक्की करते हैं। वे एक दूसरे से चिपक जाते हैं।"
पूरी क्यों फूलती है?
"सीरिया मे दमसकस के पास की गई खुदाई से पता चलता है कि गेहूँ का इतिहास करीब 9000 साल पुराना है इसी जगह पर, गेहूं को बोने और उसकी फसल को काटने और साथ ही उसे पीसने के लिए जरूरी औज़ार भी मिले है।"
पूरी क्यों फूलती है?
"फिर जब वही मधुमक्खियाँ किसी और फूल के पास जा कर भन-भन करते हुए ज़ोर-शोर से नाचती हैं, तो इस धमा-चौकड़ी में दाने दूसरे फूलों पर गिर जाते हैं। फिर मधुमक्खियाँ और फूलों तक उड़ती हुई जाती हैं, कुछ दाने उठाती हैं व कुछ गिराती चलती हैं। यह कार्यक्रम इसी तरह चलता रहता है।"
मधुमक्खियाँ क्यों भन-भन करती हैं?
"बड़े दुख से मुत्तज्जी ने कहा, "हाँ, उस साल दशहरे के त्यौहार के समय, हमारे महाराजा ने एक बड़े बांध और उसके पास कई सुंदर बागों का उद्घाटन किया था। लेकिन मै वह सब नहीं देख सकी थी क्योंकि मैं बम्बई में थी।""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
""शायद इससे तुम्हें कुछ मदद मिले, बच्चों," अज्जी बोलीं। वह सब के लिए मुत्तज्जी की मनपसंद सेवईं की खीर से भरी कटोरियाँ लेकर आईं थीं। "के आर एस का मतलब है कृष्ण राजा सागर बांध, और उसके पास में ही हैं वृन्दावन गार्डन्स। याद है न, हम पिछले साल वहाँ संगीत की धुन के साथ चलने वाले फव्वारे देखने गए थे?""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
""यह देखो!" उसने फुसफुसा कर कहा, " 'मैसूर की 2 सबसे मशहूर जगहों, के आर एस बांध और उसके पास बने वृन्दावन गार्डन्स, को 1932 में जनता के लिए खोला गया था।' ""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
"दोनों भाग कर अज्जा के पास पहुँचे।"
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
"”समुद्र के पास कहीं। अब सवाल पूछना बन्द करो और जाओ यहाँ से धनी!“ अम्मा ज़रा गुस्से से बोलीं, ”पहले मुझे खाना पकाने दो।“"
स्वतंत्रता की ओर
"”बिन्दा चाचा,“ धनी उनके पास बैठ गया, ”आप भी यात्रा पर जा रहे हैं क्या?“"
स्वतंत्रता की ओर
"धनी बिन्नी को खींच कर ले गया और पास के नीबू के पेड़ से बाँध दिया। फिर बिन्दा ने उसे यात्रा के बारे में बताया। गाँधी जी और उनके कुछ साथी गुजरात में पैदल चलते हुए, दाँडी नाम की जगह पर समुद्र के पास पहुँचेंगे। गाँवों और शहरों से होते हुए पूरा महीना चलेंगे। दाँडी पहुँच कर वे नमक बनायेंगे।"
स्वतंत्रता की ओर
"धनी उस झोंपड़ी के पास पहुँचा जहाँ गाँधी जी ठहरे थे। उसने खिड़की से झाँक कर देखा। आश्रम के कई लोग गाँधी जी से बात कर रहे थे। धनी को सुनाई दिया कि वे दाँडी पहुँचने का रास्ता तय कर रहे थे, जिस पर वे पैदल चलेंगे। अपने पिता को भी इनके बीच देखकर धनी खुश हो गया।"
स्वतंत्रता की ओर
"अन्त में, गाँधी जी अपनी झोंपड़ी की ओर चले। बरामदे में चरखे के पास बैठ कर उन्होंने धनी को पुकारा, ”यहाँ आओ, बेटा!“ धनी दौड़कर उनके पास पहुँचा। बिन्नी भी साथ में कूदती हुई आई।"
स्वतंत्रता की ओर
"क्या? क्या मैंने अभी कहा - 'दातुन'? हाँ, बिलकुल सही! 1870 ई. में वे अपने दाँत साफ़ करने के लिए दातुन का उपयोग करते थे। दातुन एक पतली टहनी को तोड़कर बनाया गया टुकड़ा था जिसका अंतिम सिरा अस्त-व्यस्त सा था। कुछ भाग्यशाली बच्चों के पास दातुन के एक सिरे पर जंगली सूअर के बाल लगे होते थे, जिससे उसमें अलग चमक आती थी।"
टूथपेस्ट ट्यूब के अंदर कैसे आया?
"हाँ, बिलकुल सही! उन्होंने ढक्कन को पेंच से कसा और ट्यूब के दूसरे हिस्से को पूरी तरह खुला छोड़ा। ट्यूब के बड़े पिछले हिस्से को भरना सचमुच आसान था! ख़ासकर जब तुम्हारे पास पेस्ट के साथ पंप के लिए कुछ हो, जैसे कि पिचकारी। इसके बाद यही करना बाकी रहा कि ट्यूब के उस खुले सिरे को कसकर बंद किया जाए ताकि पेस्ट बाहर न निकले।"
टूथपेस्ट ट्यूब के अंदर कैसे आया?
"चीजें इकट्ठी करना टूका और पोई को बहुत पसंद है। नदी के किनारे बीने गए चिकने कंकड़, फ़र्न के घुमावदार और गुदगुदे पत्ते, सुर्ख़ लाल रंग के बटन जो उनकी स्कूल यूनिफॉर्म से गिरे हों - टूका और पोई सब बटोर लेते हैं। रोज़ ही, स्कूल के बाद, वे नदी के किनारे झुके हुए नारियल के पेड़ के पास मिलते हैं और अपने सबसे प्यारे दोस्त का इंतज़ार करते हैं।"
आओ, बीज बटोरें!
"“क्या सारे बीज इमली के पेड़ ही बनते हैं?“ पोई ने पूछा और याद करने की कोशिश की कि घर में उसके पास कितने तरीके के बीज थे।“अरे नहीं! बीजों से तो कई प्रकार की जीवंत चीज़ें विकसित होती हैं,“ पच्चा ने उत्तर देते हुए कहा।"
आओ, बीज बटोरें!
"“क्या तुम्हारे पास बैग में कोई फल है?“ पच्चा ने पूछा। टूका ने अपने बैग से एक छोटा, लाल सेब और एक नरम केला निकाला।"
आओ, बीज बटोरें!
"स्कूल से घर लौटते हुए रास्ते में, मैं वर्षा से भीग गई, पर बड़ा मज़ा आया। हमारे घर के पास वाले खेत में मोर नाच रहे थे। लेकिन वो
तो भीग नहीं रहे थे!"
गरजे बादल नाचे मोर
"मच्छर कान के पास में, बोलो एक साँस में।"
बोलो एक साँस में
"मैं दूर और पास की सभी आवाज़ें सुन पाऊँ!"
क्या होता अगर?
"अगली सुबह, बंटी सभी पक्षियों को अपने घर के पेड़ के पास खुशी से गाते हुए सुनता है।"
बंटी और उसके गाते हुए पक्षी
"तभी राजू ने देखा कि लोग गेट नंबर 8 के पास एक कतार में खड़े हो रहे हैं। "वह हमारा गेट है अम्मा। जहाज़ पर चढ़ने का समय हो गया।""
राजू की पहली हवाई-यात्रा
""मैं दस बार तुम्हारे पास से गुजर चुकी हूँ!" टुमी ने कहा।"
टुमी के पार्क का दिन
"पर परवेज़ तो पहले ही उस पार कूद चुका था। फिर वापस फांद कर स्टेल्ला के पास आ जाता है।"
कोयल का गला हुआ खराब
"परवेज़ अपना बैग उठाकर अमीना दादी की ओर भागा। वो रोज़ की तरह आज भी स्कूल के फाटक के पास खड़ी उसका इंतज़ार कर रही थीं।"
कोयल का गला हुआ खराब
"शाम को अपने घर के पास उसे स्टेल्ला मिल गयी।"
कोयल का गला हुआ खराब
"- परवेज़ जब सिर्फ पांच महीने का था तब उसके माता-पिता ने देखा कि वो ज़ोर की आवाजें बिलकुल भी नहीं सुन पाता था। वे उसे डॉक्टर के पास ले गए जिन्होंने बताया कि परवेज़ ने सुनने की शक्ति खो दी है। डॉक्टर ने समझाया कि परवेज़ की मदद कैसे की जा सकती है ताकि वो हर वो चीज़ सीख सके जो आम बच्चा सुन सकता है।"
कोयल का गला हुआ खराब
"एक ऊदबिलाव पास से गुज़रा। घूम-घूम ने उससे पूछा - "ऊद भाई, क्या आपने मेरे परिवार को देखा है?""
घूम-घूम घड़ियाल का अनोखा सफ़र
"उसे किनारे के पास पत्थर पर एक घोंघा दिखाई दिया।"
घूम-घूम घड़ियाल का अनोखा सफ़र
""चोट लगे तो फिर रोते हुए मेरे पास मत आना," दीदी कहती।"
सत्यम, ज़रा संभल के!
"“अरे तुमने एक पैर तोड़ लिया? अगर मेरे पास इतने पैर होते तो मैं भी एक तोड़ लेती! देखो! देखो मुझे!! मेरे दो पैर हैं। एक दूसरे के साथ चलते है। कोई परेशानी नहीं! आसान!”"
एक सौ सैंतीसवाँ पैर
"“तुम्हारे पास बहुत सारे पैर हैं,” तितली बोली।"
एक सौ सैंतीसवाँ पैर
"मकड़ा जाले से झूलता हुआ नीचे गोजर के पास उतरा।"
एक सौ सैंतीसवाँ पैर
"बलखाती धारा के पास जमे जामुन पाँच,"
हर पेड़ ज़रूरी है!
"बस किसी तरह कलम को पास लाने का कोर्इ तरीका मिल जाए।"
जादुर्इ गुटका
"रिंकी काले गुटके को फुट्टे के पास लार्इ।"
जादुर्इ गुटका
"वह अपनी सखियों के साथ तालाब के पास उड़ती है।"
द्रुवी की छतरी
"शाम को द्रुवी पास के जंगल में जाती है।"
द्रुवी की छतरी
"बच्चे टिटहरी के पास आ गए।"
कुत्ते के अंडे
"दीदी के पास खूब सारी किताबें थीं। मोटी, पतली, रंग बिरंगी, कहानियों से भरी हुई किताबें।"
दीदी का रंग बिरंगा खज़ाना
"बच्चे और पास पास आते गए।"
दीदी का रंग बिरंगा खज़ाना
"दीदी रोज आने लगी। बच्चे भी दीदी के पास आने लगे।"
दीदी का रंग बिरंगा खज़ाना
"मुनिया जानती थी कि एक पंख वाले उस विशालकाय गजपक्षी ने घोड़े को नहीं निगला है। हाँ, वह इतना बड़ा तो था कि एक घोड़े को निगल जाता, लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं कि उसने उसे निगल ही लिया था! नटखट झील के पास वाले उस जंगल से ग़ायब हुआ था जहाँ वह गजपक्षी रहता था। अधनिया गाँव में दो घोड़ों - नटखट और सरपट द्वारा खींचे जाने वाली केवल एक ही घोड़ागाड़ी थी। जंगल के अंदर बसे इस छोटे से गाँव में पीढ़ियों से लोगों को इस विशालकाय एक-पंख गजपक्षी के बारे में मालूम था। चूँकि वह किसी के भी मामले में अपनी टाँग नहीं अड़ाता था, इसलिए गाँव का कोई भी बंदा उसे छेड़ता न था।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी
"दिन के समय वह गजपक्षी झील के पास आया करता या तो धूप तापने या फिर झील में पानी छपछपाते हुए अकेला खुद से ही खेलने। कभी-कभी वह पानी में आधा-डूब बैठा रहता और बाकी समय उसका कोई सुराग़ ही न मिलता। तब शायद वह घने जंगल के किसी बीहड़ कोने में बैठा आराम कर रहा होता। विशालकाय एक-पंख गजपक्षी एक पेड़ जितना ऊँचा था। उसकी एक लम्बी और मज़बूत गर्दन थी, पंजों वाली हाथी समान लम्बी टाँगें थीं और भाले जैसा एक भारी-भरकम भाल था। उसके लम्बे-लम्बे पंजे और नाखून डरावने लगते थे।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी
"इस पर मुखिया गाँव वालों की गुस्सैल आवाज़ों से भी ऊँची आवाज़ में बोला, “भाइयों, यह बात सही है कि हमारा सामना एक राक्षस से है, लेकिन हमारे पास संख्या की शक्ति है। इसलिए आइये इकट्ठे हो अपनी हिम्मत बाँध उसे ख़त्म करें!” बदले में एक सहमति भरी हुंकार गूँज उठी।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी
"मुनिया के पास सिर्फ एक रात थी। सवाल ये था कि वह उसकी बेगुनाही भला कैसे साबित करे? “सोचो मुनिया, सोचो!” फुसफुसाकर उसने खुद से कहा। “दूधवाले ने नटखट को झील की ओर जाने वाली सड़क पर तेज़ी से भागते हुए देखा था...लेकिन झील तक पहुँचने से पहले वह सड़क एक मोड़ लेती है और चन्देसरा की ओर जाती है। क्या पता नटखट अगर वहीं गया हो तो?”"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी
"लेकिन गाँव वाले सारथी को क्या जवाब देते? उनके सिर शर्म से झुके हुए थे। मुनिया के पिताजी अपनी बेटी के पास गये, और उसे अपनी गोद में उठाकर उसे वापस गाँव ले आये। बस फिर क्या था, उस दिन के बाद से कोई भी बच्चा मुनिया के लँगड़ाने पर नहीं हँसा। वे सब अब उसके दोस्त होना चाहते थे। लेकिन केवल भीमकाय ही मुनिया का अकेला सच्चा मित्र बना रहा। मुनिया की कहानी तमाम गाँवों में फैली, और दूरदराज़ के ग्रामीण फुसफुसाकर एक-दूसरे से कहते, “देखा, मुनिया जानती थी कि उस विशालकाय एक-पंख गजपक्षी ने घोड़े को नहीं डकारा!”"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी
"स्कूल के पास बहुत सारे बच्चे हैं।"
स्कूल का पहला दिन
"क्या वह गायब हो जाएँगी? मैं दौड़कर उनके पास जाती हूँ।"
स्कूल का पहला दिन
"स्कूल के पास बहुत सारे बच्चे हैं।"
स्कूल का पहला दिन
"क्या वह गायब हो जायेंगी? मैं दौड़कर उनके पास जाती हूँ।"
स्कूल का पहला दिन
"जवाब में वह कहता है, “गुर्रर्रर्र...,” और मुड़कर अपनी छोटी सी पूँछ दिखाता है। इसका मतलब उसके पास पूँछ है और मेरे पास नहीं!"
टिमी और पेपे
"तौलिया लेके माँ का पास आना।"
चुन्नु-मुन्नु का नहाना
"तौलिया लेके माँ का पास आना।"
चुन्नु-मुन्नु का नहाना
"जवाब में वह कहता है, “गुर्रर्रर्र...,” और मुड़कर अपनी छोटी सी पूँछ दिखाता है। इसका मतलब उसके पास पूँछ है और मेरे पास नहीं!"
टिमी और पेपे
"वह गुरूजी के पास गया. गुरूजी हिरण को घुमा रहे थे."
कहानी- गजानन गंजे
"सोना माँ के पास गई।"
सोना बड़ी सयानी
"हमेशा की तरह, वह गाँव के नाई के पास जाने के लिए घर से निकल पड़ा।"
सालाना बाल-कटाई दिवस
"परन्तु बीवी ने कहा,
“इतने लम्बे बाल काटने के लिए आज मेरे पास बिलकुल वक़्त नहीं है!”"
सालाना बाल-कटाई दिवस
"गुस्से में, सृंगेरी श्रीनिवास अपने दोस्त, दर्ज़ी के पास पहुँचा।"
सालाना बाल-कटाई दिवस
"हैरान-परेशान, सृंगेरी श्रीनिवास अपने दूसरे दोस्त बढ़ई के पास गया।"
सालाना बाल-कटाई दिवस
"परन्तु बढ़ई ने भी वही कहा,
“भई, इतने लम्बे बाल काटने के लिए आज मेरे पास समय नहीं है!”"
सालाना बाल-कटाई दिवस
"और गुफ़ा के पास बैठ कर ज़ोर-ज़ोर से रोने लगा।"
सालाना बाल-कटाई दिवस
"मेरे पास न आना अब फिर।"
सबरंग
"अपने पास बुलाते थे।"
सबरंग
"कुछ ही देर में, नौका नदी में हिचकोले खाती, पेड़ों के बगल से हिलती डुलती आगे बढ़ी। काटो ने बहुत सारी बत्तखों को तैरते हुए देखा। मछलियाँ भी पानी से सिर निकालकर होंठ गोल करके “हैलो” बोलतीं। हंसों का एक जोड़ा भी अपनी लम्बी ख़ूबसूरत गर्दन मटकाते हुए पास से गुज़रा।"
नौका की सैर
"काटो ठंड से काँपते हुए धूप में अपने को सुखाने की कोशिश कर रहा था। पास में विक्की चुपचाप बैठा हुआ था। जब काटो के बाल थोड़ा सूख गये और शरीर में थोड़ी गर्मी आ गयी, वह बोल उठा, “कितना मज़ा आया! जब मेरे साथी इस किस्से को सुनेंगे तो उन्हें विश्वास ही नहीं होगा।” काटो को लग रहा था मानो वह एक बहुत बड़ा हीरो और जहाज़ का जाँबाज़ कप्तान बन गया हो!"
नौका की सैर
"माँ कहती हैं, “ज़रा रुको अभी तो हम ट्रेन में बैठे भी नहीं।
भूख लगी है, तो मेरे पास मिठाइयाँ हैं।
प्यास लगी है, तो मेरे पास पानी है।
लेकिन जब तक ट्रेन न आये, तब तक इन्तज़ार करो।”"
चाचा की शादी
"मेरे दादाजी के पास एक छोटा सा थैला है।
उनके पास एक छड़ी भी है।"
चाचा की शादी
"हर सुबह, जैसे ही उसके पापा दाढ़ी बनाना शुरू करते हैं, अनु भी उनके पास आकर बैठ जाती है। बड़े ध्यान से उन्हें दाढ़ी बनाते हुए देखती है। उसके पापा अपनी दो उँगलियों में एक छुटकू-सी कैंची पकड़े, कच-कच-कच... अपनी मूँछों को तराशने में जुट जाते हैं।
और अनु है कि कहती जाती है, “थोड़ा बाएँ... अब थोड़ा-सा दाएँ... पापा नहीं ना! आप अपनी मूँछों को और छोटा मत कीजिए!
आप ऐसा करेंगे तो मैं आपसे कट्टी हो जाऊँगी!”"
पापा की मूँछें
"लेकिन सबसे बढ़िया मूँछें तो, पास वाले मकान में रहने वाले उन दादाजी की हैं! ऐसा लगता है मानो एक बड़ा-सा स़फेद बादल आसमान से उतर कर उनकी नाक के नीचे रहने चला आया है! अब उनका मुँह जो है, उस बादल के पीछे छिपा रहता है।"
पापा की मूँछें
"दरवाज़े के पास एक कुत्ता सो रहा था।"
दाल का दाना
"जब चींटी उसके मुँह के पास से गुज़री तो कुत्ते को ज़ोर से छींक आ गयी। चींटी उछलकर दूर जा गिरी। दाना कुत्ते के मुँह के पास जा गिरा।"
दाल का दाना
"चींटी सँभलकर कुत्ते की नाक के पास पहुँची।"
दाल का दाना
"बाहर बरामदे के पास एक चूज़ा घूम रहा था।"
दाल का दाना
""क्या किया जाए," चुलबुल सोच में पड़ गई। बहुत सोच-विचार के बाद उसके दिमाग में एक बात आई। क्यों न डॉक्टर बोम्बो भालू के पास चला जाये।"
चुलबुल की पूँछ
"अपनी भारी पूँछ के साथ चलना उसे बहुत मुश्किल लग रहा था। किसी तरह पूँछ खींच-खींच कर वह पेड़ के पास पहुँची।"
चुलबुल की पूँछ
"डॉक्टर बोम्बो ने बन्दर की पूँछ हटा कर बिल्ली की पूँछ लगा दी। "यह पूँछ बन्दर की पूँछ से तो हल्की है," सोचते हुए चुलबुल चल पड़ी। पूँछ की अदला-बदली में वह अब तक बहुत थक गई थी। वह पास के एक पेड़ के पीछे लेट कर आराम करने लगी।"
चुलबुल की पूँछ
"हम दौड़कर दादाजी के पास घर आये। उनके बिस्तर पर चढ़कर बैठ गये।"
चलो किताबें खरीदने
"उन्होंने अपने पास बैठा लिया।
हम पढ़ते रहे, पढ़ते रहे, पढ़ते रहे..."
चलो किताबें खरीदने
"“अरे तुमने एक पैर तोड़ लिया? अगर मेरे पास इतने पैर होते तो मैं भी एक तोड़ लेती! देखो! देखो मुझे!! मेरे दो पैर हैं। एक दूसरे के साथ चलता है। कोई परेशानी नहीं! आसान!”"
एक सौ सैंतीसवाँ पैर
"“तुम्हारे पास बहुत सारे पैर हैं,” तितली बोली।"
एक सौ सैंतीसवाँ पैर
"मकड़ा जाले से झूलता हुआ नीचे गोजर के पास उतरा।"
एक सौ सैंतीसवाँ पैर
"स्कूल की छुट्टी होने में पाँच मिनट रह गये थे पर चीनू और इन्तज़ार नहीं कर सकता था। उसने बाहर देखा। वहाँ कोई नहीं था। तभी कहीं पास से घंटी की टनटनाहट सुनाई दी।"
कबाड़ी वाला
"स्कूल की घंटी बजी। चीनू पिता जी के पास दौड़ कर पहुँचा। चेहरे पर बड़ी सी
मुस्कान खेल रही थी। स्कूल में वह अकेला बच्चा था जिसके पिता जी उसे लेने आते थे।"
कबाड़ी वाला
"स्वीटी मुँह चिढ़ाते हुए अपनी जगह बदल कर आशा के पास बैठ गई।"
कचरे का बादल
"कभी सोचा है कि जो कचरा हम कूड़ेदान में फेंक देते है उसका क्या होता होगा? नहीं, वह हमारे सिर पर बादल बन कर नहीं मँडराता लेकिन जो भी कचरा हम फेंकते है वो हमारे घर के पास बने बड़े से कचराघर में जमा हो जाता है। सब कुछ एक साथ, सड़ती सब्जियाँ, टॉफ़ी के रैपर, किताबों-कापियों के फटे पन्ने।"
कचरे का बादल
"पंजाब के किसी गाँव में गेहूँ के खेतों के पास एक गुलमोहर के पेड़ पर मुन्नी गौरैया अपने घोंसले के पास बैठी थी। अपने तीन अनमोल छोटे-छोटे अंडों की निगरानी करती वह उनसे चूज़ों के निकलने का इंतज़ार कर रही थी। मुन्नी सुर्ख लाल फूलों को देखती खुश हो रही थी कि तभी ऊपर की डाल पर एक काला साया दिखा। वह गाँव का लफंगा, काका कौवा था। मुन्नी घबराकर चीं-चीं करने लगी।"
काका और मुन्नी
"काका खुद को बहुत बाँका समझता था। उसे यह बात अच्छी नहीं लगी कि वह सा़फ -सुथरा नहीं दिख रहा। वह झटपट पानी की धारा के पास पहुँचा। वह धारा में अपनी चोंच डुबो ही रहा था कि धारा ज़ोर से चिल्लाई, “काका! रुको! अगर तुमने अपनी गन्दी चोंच मुझ में डुबोई तो मेरा सारा पानी गन्दा हो जायेगा। तुम एक कसोरा ले आओ। उस में पानी भरकर अपनी चोंच उसी में धो लो।”"
काका और मुन्नी
"धारा की बात सुनकर काका गाँव के कुम्हार के पास गया और बोला,"
काका और मुन्नी
"“अजी ओ कुम्हार प्यारे, काका आया पास तुम्हारे एक कसोरा तुम बनाओ जिसमें मैं पानी भर लाऊँ अपनी गन्दी चोंच धुलाऊँ फिर खा लूँ मुन्नी के अंडे और काँव-काँव चिल्लाऊँ ताकि सभी सुनें और जान जायें मैं हूँ सबसे बाँका सबसे छैला कौवा!”"
काका और मुन्नी
"अब काका उड़कर पास के खेत पर गया और खेत से बोला,"
काका और मुन्नी
"काका आया पास तुम्हारे"
काका और मुन्नी
"काका आया पास तुम्हारे"
काका और मुन्नी
"उसे दो ख़तरनाक से कुत्ते दिखे। काका फ़ौरन उनके पास जा पहुँचा और उनकी खुशामद करने लगा,"
काका और मुन्नी
"“अजी ओ भैया कुत्ते प्यारे, काका आया पास तुम्हारे आज तुम्हें दावत खिलवाऊँ मोटा-ताज़ा हिरन दिखाऊँ, बस सींग उसका मैं ले लूँगा उससे थोड़ी मिट्टी खोदूँगा मिट्टी कुम्हार को दे दूँगा जिससे बनाये वो एक कसोरा जिसमें मैं पानी भर लाऊँ अपनी गन्दी चोंच धुलाऊँ फिर खा लूँ मुन्नी के अंडे और काँव-काँव चिल्लाऊँ ताकि सभी सुनें और जान जायें मैं हूँ सबसे बाँका सबसे छैला कौवा!”"
काका और मुन्नी
"अब काका भूसा खा कर जुगाली कर रही भैंस के पास पहुँचा और बोला,"
काका और मुन्नी
"वह झपटता हुआ लुहार के पास पहुँचा और बोला,"
काका और मुन्नी
"काका आया पास तुम्हारे"
काका और मुन्नी
"यह झगड़ा बढ़ गया तो दोनों मुखिया के पास गए। मुखिया ने दोनों की बात सुनकर दोनों को एक-एक बोरी कंकड़ मिला चावल दिया और बोला, “कल साफ़ करके ले आना। फिर मैं फ़ैसला सुनाऊँगा।""
मेहनत का फल
"मुमताज़ आबिदा ख़ाला, जो कि बच्चों की मौसी थीं, के घर अकेली ही बैठी थी। पास ही कोने में उसकी बैसाखियाँ रखी थीं। उसके हाथ तो"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"मुमताज़ अपने घर से दूर तो थी लेकिन परिवार का एक प्यारा-सा हिस्सा उसके पास भी तो था! उसकी प्यारी तोती मुनिया और दो कबूतर-लक्का और लोटन! ये तीनों उसका दिल बहलाते थे।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"“चिकनकारी तो हम पिछली तीन पुश्तों से करते आ रहे हैं। मैंने अपनी अम्मी से और अम्मी ने नानी से यह हुनर सीखा,” मुमताज़ बोली, “मेरी नानी लखनऊ के फ़तेहगंज इलाके की थीं। लखनऊ कटाव के काम और चिकनकारी के लिए मशहूर था। वे मुझे नवाबों और बेग़मों के किस्से, बारादरी (बारह दरवाज़ों वाला महल) की कहानियाँ, ग़ज़ल और शायरी की महफ़िलों के बारे में कितनी ही बातें सुनाया करतीं। और नानी के हाथ की बिरयानी, कबाब और सेवैंयाँ इतनी लज़ीज़ होती थीं कि सोचते ही मुँह में पानी आता है! मैंने उन्हें हमेशा चिकन की स़फेद चादर ओढ़े हुए देखा, और जानते हो, वह चादर अब भी मेरे पास है।” नानी के बारे में बात करते-करते मुमताज़ की आँखों में अजीब-सी चमक आ गई, “मैंने अपनी माँ को भी सबुह-शाम कढ़ाई करते ही देखा है, दिन भर सुई-तागे से कपड़ों पर तरह-तरह की कशीदाकारी बनाते।”"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"अगले रोज़ मुन्नु ने देखा कि मुमताज़ अपने कबूतरों के पास उदास बैठी है। पूछने पर वह बोली “सफ़ेद कपड़े पर कढ़ाई करना बहुत मुश्किल होता है क्योंकि वह बहुत जल्दी गंदा हो जाता है। और अपने रंगीन धागों के बिना मैं काढ़ूँगी भी कैसे?” मुमताज़ मायूस थी।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"मैं सबसे कहता हूँ कि वे जो कुछ भी जानना चाहते हैं ख़ुद तुमसे ही पूछ लें। मुझसे पूछने का क्या मतलब? मुझे कैसे पता हो सकता है कि तुम्हारे पास वह चीज क्यों है और वह कैसे काम करती है?"
थोड़ी सी मदद
"पिछले बरस, हमारे घर के पास एक पिल्ला रहता था। वह भी बहुत प्यारा था, लेकिन फिर वह बड़ा हो गया और पहले जैसा प्यारा नहीं रह गया। अच्छा, अब चलता हूँ! मैं"
थोड़ी सी मदद
"ओह! मुझे अभी अहसास हुआ है कि मैंने तुम्हें जो दो आखीरी पत्र लिखे हैं, उनमें मैंने तुम्हारे प्रॉस्थेटिक हाथ के बारे में बात ही नहीं की। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि मैं इसके बारे में बिल्कुल ही भूल गया था और मेरे पास तुम्हें बताने के लिए और भी बातें थीं। मज़ेदार बात यह है कि तुम्हारे हाथ को लेकर अब मेरे मन में कोई सवाल नहीं उठते। न जाने क्यों!"
थोड़ी सी मदद
"अ. कक्षा की सबसे होशियार छात्रा से कहेंगे कि वह अपने नोट्स उसे पढ़ने के लिए दे दे। ब. अध्यापिका से कहेंगे कि उसकी मदद करना उनका काम है। स. उससे पूछेंगे कि क्या उसे आपकी मदद चाहिए। 4. आपकी कक्षा की नई छात्रा जरा शर्मीली है। वह किसी के साथ नहीं खेलती। आप क्या करेंगे? अ. उससे कुछ नहीं कहेंगे। जब उसकी झिझक मिट जाएगी तब खेलने लगेगी। ब. उसे बुला कर खेल में शामिल होने को कहेंगे। स. उस के पास जा बैठेंगे। शायद वह बातें करने लगे।"
थोड़ी सी मदद