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Storybook paragraphs containing word (45)
"मालू आज पहली बार बगीचे से सब्ज़ी तोड़ने गया।"
आलू-मालू-कालू
"ज़रा ढूँढिये आज मैंने कौन सी टोपी पहनी है?"
चाँद का तोहफ़ा
"वह घर लौटते समय बहुत ख़ुश था कि उसने आज बहुत से नए दोस्त बनाए थे। वह अपनी अम्मा से कसकर लिपट गया। उसने फुसफुसाते हुए कहा, “रात अकेली नहीं होती अम्मा! रात में तो बहुत से अद्भुत जीव मिलते हैं।”"
सो जाओ टिंकु!
"तो चलो आज जब अम्मा पूरी तल रही होंगी तब हम इसी के बारे में देखेंगे, जानेंगे, पूछेंगे और पता लगायेंगे।"
पूरी क्यों फूलती है?
"वह आज बहुत खुश थे! आज तो मुत्तज्जी जी का जन्मदिन था और उन दोनों को रेलगाड़ी से उनसे मिलने जाना था।"
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
""आपको जन्मदिन मुबारक हो मुत्तज्जी! आज आप कितने साल की हो गयीं?""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
"गांधीजी का भाषण (1 942 ) - 8 अगस्त 1942 के दिन, बंबई के ग्वालिया टँक मैदान में गांधीजी ने 'भारत छोड़ो भाषण' दिया था। गांधीजी ने लोगों से कहा कि उन्हे अंग्रेज़ी शासन के ख़िलाफ लड़ना होगा। इसके लिए उन्हे हिंसा नहीं, बल्कि उनके साथ असहयोग करना होगा। इसके 5 साल बाद, 15 अगस्त, 1947 को अंग्रेज़ो का शासन खत्म हुआ और भारत आज़ाद हुआ। आज उसी शांत क्रांति की स्मृति में ग्वालिया टैंक मैदान को अगस्त क्रांति मैदान कहा जाता है !"
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
"पच्चा ने पूछा,”वैसे, तुम दोनों आज यहां क्या कर रहे हो?” टूका और पोई ने कहा, ”हम चीज़ें इकट्ठी कर रहे हैं!”"
आओ, बीज बटोरें!
"मलार आज एक बहुत-बड़ा सा घर बनाने वाली है!"
मलार का बड़ा सा घर
"अलार्म की आवाज़ से राजू की नींद टूटी। "ओह, मेरा इतना बढ़िया सपना टूट गया!" पर आज सपना टूटने पर राजू उदास नहीं हुआ।"
राजू की पहली हवाई-यात्रा
"क्योंकि आज का दिन है बहुत ही ख़ास।"
राजू की पहली हवाई-यात्रा
""अरे वाह! आज तो तुम बिना जगाए उठ गए बेटा। अब जल्दी से तैयार हो जाओ। इतने महीनों बाद आज आर्या से मिलेंगे।""
राजू की पहली हवाई-यात्रा
"“माँ, क्या आज बारिश होगी?” मनु ने पूछा।"
लाल बरसाती
"“नहीं मनु, आज नहीं। आज बरसाती मत पहनना नहीं तो तुम अजीब लगोगे,” माँ बोलीं।"
लाल बरसाती
"“आज नहीं बेटा! आज तो आसमान मे स़िर्फ एक नन्हा सफ़ेद बादल है,” माँ बोलीं।"
लाल बरसाती
"“बेटे, मुझे लगता है बारिश जल्दी होगी शायद आज दोपहर तक हो जाये।” माँ बोलीं।"
लाल बरसाती
"“नहीं, प्यारे बेटे! आज बारिश नहीं होगी। नन्हे सफ़ेद बादल आसमान में बहुत ऊँचाई पर हैं,” माँ बोलीं।"
लाल बरसाती
"“माँ, आज ज़रूर बारिश होगी, है ना!” मनु ज़ोर से बोला।"
लाल बरसाती
"“हाँ, हो सकती है, मेरे प्यारे बेटे! आज आसमान में कुछ काले बादल नीचे उतर आए हैं।”"
लाल बरसाती
"परवेज़ अपना बैग उठाकर अमीना दादी की ओर भागा। वो रोज़ की तरह आज भी स्कूल के फाटक के पास खड़ी उसका इंतज़ार कर रही थीं।"
कोयल का गला हुआ खराब
"“परवेज़, तुमने आज सुनने की मशीन नहीं लगायी है! तुम जानते हो ठीक से सुनने के लिए तुम्हें उसकी ज़रूरत पड़ती है न,”"
कोयल का गला हुआ खराब
"इधर-उधर बहुत से कीट-पतंगे थे। सोचा, आज पेट भर खाऊँगा।"
मेंढक की तरकीब
"“जैसा कि आप जानते हैं, कुछ साल पहले मैंने नटखट को बेच दिया था। कल मैं नटखट के भाइयों - बाँका और बलवान के द्वारा खींची जाने वाली बग्घी में सवार आपके गाँव से गुज़र रहा था। मुझे नहीं मालूम कि किस तरह से नटखट अपने आपको छुड़ा हमारे पीछे-पीछे भागकर चन्देसरा चला आया। मैं उसे पहचान न सका और यह समझ न पाया कि इसका करूँ तो करूँ क्या। फिर आज सुबह मैंने इस नन्ही-सी बच्ची को एक झोंपड़ी से दूसरी झोंपड़ी जाते और एक गुमशुदा घोड़े के बारे में पूछते हुए देखा। लेकिन या इलाही ये माजरा क्या है?” तीसरी बार उसने अपना वही सवाल किया।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी
"स्कूल में आज मेरा पहला दिन है। माँ मेरा हाथ पकड़े हुए हैं और मेरे साथ चल रही हैं।"
स्कूल का पहला दिन
"स्कूल में आज मेरा पहला दिन है। माँ मेरा हाथ पकड़े हुए हैं और मेरे साथ चल रही हैं।"
स्कूल का पहला दिन
"साथ में आज माँ का एक नया गाना।"
चुन्नु-मुन्नु का नहाना
"साथ में आज माँ का एक नया गाना।"
चुन्नु-मुन्नु का नहाना
"परन्तु नाई ने कहा,
“माफ़ करना, इतने लम्बे बाल काटने के लिए आज बिलकुल समय नहीं है!”"
सालाना बाल-कटाई दिवस
"परन्तु बीवी ने कहा,
“इतने लम्बे बाल काटने के लिए आज मेरे पास बिलकुल वक़्त नहीं है!”"
सालाना बाल-कटाई दिवस
"परन्तु दर्ज़ी ने कहा,
“इतने लम्बे बाल काटने के लिए आज मुझे फुर्सत नहीं!”"
सालाना बाल-कटाई दिवस
"परन्तु बढ़ई ने भी वही कहा,
“भई, इतने लम्बे बाल काटने के लिए आज मेरे पास समय नहीं है!”"
सालाना बाल-कटाई दिवस
"नन्हा विवान आज बहुत खुश था।"
संगीत की दुनिया
""मैंने आज कुछ ख़ास नहीं किया, सिवाय वीणा की सास से बातें करने के।"
नानी की ऐनक
"राजू ने कहा,"नानी आज बहुत व्यस्त रहीं। वह अपनी पेन्शन के लिए मुख्यमंत्री को पत्र भी लिख रही थीं।""
नानी की ऐनक
"क्या हम आज चलें?
क्या हम कल जायें?"
चलो किताबें खरीदने
""क्या हुआ दादाजी, आज आप अख़बार क्यों नहीं पढ़ रहे हैं?" एक सुबह गुल्ली ने दादाजी से पूछा।"
गुल्ली का गज़ब पिटारा
""मुझे इस पैकेट से तेल निकाल कर बोतल में डालना है, और देखो ना, बोतल का मुंह कितना छोटा है!मुझे यकीन है कि आज मेरी रसोई ज़रूर गंदी हो जाएगी।" मंगल चाचा ने कहा।"
गुल्ली का गज़ब पिटारा
"जब एक चौकीदार ने उन्हें रोका, चीनू नीचे कूदा। एक खाली बोरी लेकर वह अपने पिता जी के साथ गया। आज उन्हें जो भी सामान मिलेगा वह इस बोरी में भरा जायेगा।"
कबाड़ी वाला
"“अजी ओ भैया कुत्ते प्यारे, काका आया पास तुम्हारे आज तुम्हें दावत खिलवाऊँ मोटा-ताज़ा हिरन दिखाऊँ, बस सींग उसका मैं ले लूँगा उससे थोड़ी मिट्टी खोदूँगा मिट्टी कुम्हार को दे दूँगा जिससे बनाये वो एक कसोरा जिसमें मैं पानी भर लाऊँ अपनी गन्दी चोंच धुलाऊँ फिर खा लूँ मुन्नी के अंडे और काँव-काँव चिल्लाऊँ ताकि सभी सुनें और जान जायें मैं हूँ सबसे बाँका सबसे छैला कौवा!”"
काका और मुन्नी
"एकाएक अज़हर मियाँ रुक गए, “घर पर बैठी हमारी एक और बहन भी तो है जिसने आज नए कपड़े नहीं पहने हैं। हम में से किसी ने भी उसके बारे में सोचा तक नहीं।”"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"ईद के दिन भी दोनों दोस्त अपने पंछियों की उछल-कूद देख रहे थे। मुन्नु को लगा मुमताज़ आज बहुत उदास है, इतनी उदास कि कहीं वह रो ही न दे। “क्या बात है, आपा, आज इतनी गुमसुम क्यों हो? क्या हरदोई की याद आ रही है? क्या वहाँ तुम्हारे और भी पालतू पंछी हैं?”"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"“उदास न हो, आपा,” मुन्नु बोला, “नानी की चादर कब काम आएगी! जाओ, उसे ले आओ और खूब ध्यान लगाकर सोचो। कौन जाने आज तुम किस जादुई नगरी में पहुँच जाओ!”"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"साँझी की प्राचीन कला आज भी भारत के उत्तर प्रदेश में स्थित मथुरा और वृंदावन में प्रचलित है। एक ज़माने में कलाकार पेड़ की पतली छाल का प्रयोग करते थे लेकिन अब तो तरह-तरह के कागज़ भी इस्तेमाल किये जाते हैं। नमूने बहुत विस्तृत होते हैं और अधिकतर धार्मिक दृश्य, फूल-पत्ते, वयन और रेखागणित संरचनाएँ दर्शाते हैं। इस जटिल कला का उपयोग मंदिरों में प्रतिमाएँ सजाने के लिए, कपड़े पर देवी-देवताओं के स्टैंसिल या बच्चों के लिए स्टैंसिल काटने के लिए किया जाता है। तस्वीर में रंग या चमक देने के लिए स्टैंसिल के नीचे रंगीन या धात्विक कागज़ का इस्तेमाल किया जाता है।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"आज का दिन बड़ा ख़ास था। रज़ा ने अपने सबसे बढ़िया कपड़े पहने हुए थे। आज उसकी मुलाकात एक बड़ी आला हस्ती से होने वाली थी-बादशाह जलालुद्दीन अकबर से! मुग़ल सल्तनत के महान सम्राट!"
रज़ा और बादशाह
"3. दो मुग़ल बादशाहों ने नये शहर बनवाये। अकबर ने आगरा के पास, फ़तेहपुर सीकरी बनवाया और शाहजहाँ ने दिल्ली में, शाहजहाँनाबाद। फ़तेहपुर सीकरी, आज वीरान पड़ा है पर शाहजहाँनाबाद (आज पुरानी दिल्ली कहलाता है) में आज भी लोग रहते हैं और वहाँ ज़िन्दगी की चहल-पहल बरक़रार है।"
रज़ा और बादशाह