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Storybook paragraphs containing word (66)
"झीं... झीं! वहाँ झीं... झीं की आवाज़ गूँजी।"
सो जाओ टिंकु!
"उस औरत ने नीचे देखते हुए वहाँ की ढेर सारी खुशियों के बारे में सोचा। साड़ी की चमक उसे याद नहीं रही।"
उड़ने वाला ऑटो
"शिरीष जी फिर से काम में जुट गए थे। उस शहर के जाने पहचाने जादू
के नशे में हर सिग्नल, हर साईन बोर्ड, हर मोड़ उनसे कुछ कह रहा था।
बहुत जल्द उनका पुराना जाना पहचाना चेहरा फिर शीशे में दिखने लगा था। वह जानते थे कि उन्हें कहाँ जाना है। वह तो वहाँ पहुँच ही गये थे।
उस औरत की साड़ी फिर से फीकी पड़ गई थी लेकिन उसका चेहरा चमक रहा था।
वे ज़मीन पर पहुँच गए थे। अर्जुन के पहियों ने गर्म सड़क को छुआ। इंजन ने राहत की साँस ली..."
उड़ने वाला ऑटो
"4. केफीन – नाम के केमिकल को इस्तेमाल करते हुये पोंधे हानिकारक कीड़े मकोड़ों को दूर रखते है और इसी की मदद से यह जान जाती है कि कोई फूल कहाँ पर है और इसी तरह से वो बार बार वहाँ पहुचती है!"
मधुमक्खियाँ क्यों भन-भन करती हैं?
""सरला! तुम्हें कुछ समय पुस्तकालय में बिताना चाहिए। वहाँ पक्षियों और विमानों के बारे में बहुत -सी किताबें हैं, और यंत्रों के बारे में भी, जैसे कि हवाई जहाज़।"
हवाई जहाज़ कैसे उड़ते हैं?
"1. दोस्तों के साथ इन खेलों के मज़े लें काग़ज़ के हवाई जहाज़ बनाओ और देखो कि किसका जहाज़ सबसे दूर जाता है। ज़रा सोचो, क्यों? क्या यह कमाल काग़ज़ का है या उसके बनाने के तरीक़े का? ग़ौर करो, क्या होता है जब कोई जहाज़ छोड़ा जाता है? जब तुम जहाज़ को छोड़ने के पहले उसके ऊपर फूँक मारते हो या उसके अंदर या कि उसके नीचे, तब क्या वहाँ कोई अंतर दिखता है?"
हवाई जहाज़ कैसे उड़ते हैं?
""ओह! दावत! फिर तो वहाँ बहुत सारे केक रहे होंगे!" पुट्टी बोली। "वह कौन से राजा थे, मुत्तज्जी? अगर आप को यह पता हो तो हम जान सकते है कि वह यहाँ कब आए थे। फिर उसमे 5 जोड़ देने से पता चल जाएगा कि आप कब पैदा हुईं थीं।""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
""फिर कुछ साल बाद," मुत्तज्जी ने बात आगे बढ़ाते हुए कहा, "मेरी शादी हो गयी। उस समय कानून था कि शादी के लिए लड़की की उम्र कम से कम 15 साल होनी चाहिए, और मेरे पिता कानून कभी नहीं तोड़ते थे। तो उस समय मेरी उम्र करीब 16 साल की रही होगी। और मेरी शादी के बाद जल्द ही तुम्हारे मुत्तज्जा को बम्बई में नौकरी मिल गयी और हम मैसूर छोड़कर वहाँ चले गए।""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
""शायद इससे तुम्हें कुछ मदद मिले, बच्चों," अज्जी बोलीं। वह सब के लिए मुत्तज्जी की मनपसंद सेवईं की खीर से भरी कटोरियाँ लेकर आईं थीं। "के आर एस का मतलब है कृष्ण राजा सागर बांध, और उसके पास में ही हैं वृन्दावन गार्डन्स। याद है न, हम पिछले साल वहाँ संगीत की धुन के साथ चलने वाले फव्वारे देखने गए थे?""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
"अज्जी ने ज़रा सोच कर जवाब दिया, "पक्का तो नहीं, लेकिन तुम दोनों दोपहर के खाने के बाद अपने अज्जा के साथ लाइब्रेरी जाकर वहाँ पता कर सकते हो।""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
"”ठीक है! मैं उन्हीं से बात करूँगा। वह ज़रूर हाँ कहेंगे!“ धनी दृढ़ होकर बोला और वहाँ से चल दिया।"
स्वतंत्रता की ओर
"कुछ साल बाद, ल्यूसियस दंत विज्ञान की पढ़ाई के लिए पेरिस गया। वहाँ उन्होने कलाकार (पेंटर) को धातु की ट्यूब दबाकर उससे पेंट की थोड़ी मात्रा निकाल, पेंट-ब्रश पर लगाते देखा। क्यों न हम इसी तरह के ट्यूब का उपयोग टूथपेस्ट रखने के लिए करें! वह घर आया और अपना सुझाव पिता के सामने रखा। उन्हें भी यह सुझाव बहुत पसंद आया।"
टूथपेस्ट ट्यूब के अंदर कैसे आया?
"और जब ऊपर देखा तो वहाँ हँसती हुई पत्तियाँ थीं।”"
तारा की गगनचुंबी यात्रा
"“संयोग से वहाँ आकाश में एक बैंगनी विमान उड़ता दिखाई दिया।"
तारा की गगनचुंबी यात्रा
"गौरैया बोली और वहाँ से फुर्र हो गई।"
एक सौ सैंतीसवाँ पैर
"थोड़ी ही देर में वहाँ बहुत सारा खाना था।"
मेंढक की तरकीब
"इसी बीच कुत्ता भी जाग गया। और फिर वहाँ से जाने लगा।"
कुत्ते के अंडे
"मैदान अजीब क़िस्म का था। वहाँ ना पेड़ थे, ना पौधे, बस कचरा ही कचरा था।"
दीदी का रंग बिरंगा खज़ाना
"बच्चे दौड़ कर वहाँ पहुंच गए। दीदी को एक दम गले लगाया।"
दीदी का रंग बिरंगा खज़ाना
"शाम को भीमा घाट से लौटा। मोती कुत्ता वहाँ आया।"
भीमा गधा
"यहाँ नहीं, वहाँ भी नहीं"
खोया पाया
"हम सब वहाँ चलते हैं।”"
जंगल का स्कूल
"जल्दी ही सब दोस्त वहाँ इकट्ठा हो गए।"
जंगल का स्कूल
"उसका घर वहाँ से बहुत दूर था।"
दाल का दाना
""चूहा, वहाँ तुम्हारी बाईं तरफ!"पापा ख़िड़की पर और ऊँचे चढ़ते हुए चिल्लाये।"
चूहा सिकंदर, घर के अंदर
"स्कूल की छुट्टी होने में पाँच मिनट रह गये थे पर चीनू और इन्तज़ार नहीं कर सकता था। उसने बाहर देखा। वहाँ कोई नहीं था। तभी कहीं पास से घंटी की टनटनाहट सुनाई दी।"
कबाड़ी वाला
"रीमा आंटी थैलियाँ उठाकर वहाँ से चली गई! अगले दिन जब चीकू सो कर उठी, तो बादल और भी छोटा हो गया था।चीकू मुस्कराई, वह समझ गई थी कि उसे क्या करना है।"
कचरे का बादल
"एक छोटा-सा गाँव था। वहाँ एक नदी थी।"
मछली ने समाचार सुने
"उसी समय उस शहर के मुखिया की बेटी गगरी उठाए पानी भरने वहाँ आई।"
मछली ने समाचार सुने
"मुखिया और दादा मछली अच्छे दोस्त थे। दादा ने उस लड़की से मुखिया को वहाँ आने का सन्देश भिजवाया।"
मछली ने समाचार सुने
"बाज़ार में यहाँ से वहाँ, वहाँ से यहाँ आते-जाते लोग नए-नए जोड़े पहने इतराते घूमते थे। दुकानों में मिठाइयों के ढेर मुँह में पानी भरते-इमरती, लड्डू, दिलबहार और चमचम, ज़ायकेदार गुनगुने बड़े कबाब, गर्मागर्म छुनछुन करती आलू की टिक्कियाँ...हर तरह का खाने का सामान, कपड़ा-लत्ता, चमचम करते चाँदी के ज़ेवरात-बाज़ार के चौक की दुकानें दुल्हन जैसी सजी थीं।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"ईद के दिन भी दोनों दोस्त अपने पंछियों की उछल-कूद देख रहे थे। मुन्नु को लगा मुमताज़ आज बहुत उदास है, इतनी उदास कि कहीं वह रो ही न दे। “क्या बात है, आपा, आज इतनी गुमसुम क्यों हो? क्या हरदोई की याद आ रही है? क्या वहाँ तुम्हारे और भी पालतू पंछी हैं?”"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"वे सब किसी दूर, अनजाने शहर में पहुँच गए थे। वहाँ पहाड़ नीले थे, और नीले-नीले आसमान में तरह-तरह के रंगों वाले पंछी उड़ रहे थे। नीचे वादी में फलों से लदे पेड़ और फूलों से महकते बग़ीचे थे। लोटन और लक्का मुमताज़ को लेकर एक फ़िरोज़ी रंग के तालाब के किनारे उतरे।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"कुछ देर बाद खुरशीद ने मुमताज़ को कहवा-कश्मीरी चाय और ताज़े सिके गर्मागर्म नान पेश किए। उसने बताया कि कई साल पहले कश्मीर के कशीदाकारों ने लखनऊ के नवाब के यहाँ जाकर वहाँ के चिकनकारों के साथ काम किया था।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"कुछ देर बाद लोटन और लक्का ज़मीन पर लौटे। मुमताज़ अपने नए दोस्तों को अलविदा कह कर लखनऊ की तरफ़ उड़ने लगी और चुटकी बजाते ही उसने देखा कि वह आबिदा ख़ाला के घर पर थी। वहाँ मुन्नु वैसे ही बैठा था जहाँ वह उसे छोड़ आई थी। मुमताज़ ने उसे अपनी कश्मीर-यात्रा के बारे में बताना शुरू ही किया था कि मुन्नु अपने पिता की आवाज़ सुनकर घर भागा।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"और जानते हो इस बार मुमताज़ उड़ कर कहाँ पहुँची? वह पहुँची एक बहुत ही प्राचीन नगरी में-जहाँ कोई रंग नहीं था! वहाँ उसने कितने ही लोग देखे-कुछ पैदल थे और कुछ बहुत ही बढ़िया, चमकदार गाड़ियों पर सवार थे। लेकिन हैरत की बात यह थी कि सब लोगों ने सफ़ेद कपड़े पहन रखे थे-सुंदर, महीन कढ़ाई वाले चाँदनी से रौशन, चमकते सफ़ेद कपड़े!"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"शहर से मुमताज़ को न्यौता आया कि वह वहाँ आकर अपना ईनाम ले।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"कमरु ने कोना पकड़ तो लिया लेकिन वह कुछ पशोपेश में भी थी। आखिर मुमताज़ कह क्या रही थी! उसे तो वहाँ नाचती मुनिया और गुटरगूँ करते, खेलते हुए लक्का-लोटन के इलावा और कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"3. दो मुग़ल बादशाहों ने नये शहर बनवाये। अकबर ने आगरा के पास, फ़तेहपुर सीकरी बनवाया और शाहजहाँ ने दिल्ली में, शाहजहाँनाबाद। फ़तेहपुर सीकरी, आज वीरान पड़ा है पर शाहजहाँनाबाद (आज पुरानी दिल्ली कहलाता है) में आज भी लोग रहते हैं और वहाँ ज़िन्दगी की चहल-पहल बरक़रार है।"
रज़ा और बादशाह
"पिछले महीने वे पास के शहर में कल्लू की कक्षा को कमप्यूटर की प्रदर्शनी में ले गये थे। क्या मशीनें थीं! वाह! वहाँ के दुकानदार ने उन्हें सही तरह से "माउस" का इस्तेमाल सिखाया था और इन्टरनेट पर जाने का तरीका भी। वह तो बिल्कुल जादू के जैसा था। अब कल्लू और दामू भी माउस की जादूगरी सीखना चाहते थे कि वे भी कमप्यूटर की स्क्रीन पर "ज़िप-ज़ैप" दौड़ सकें।"
कल्लू कहानीबाज़
"जब वे बस में लौट रहे थे तो दामू और उसने मिल के एक कमाल की योजना बनाई थी। नया राजमार्ग खजूरिया गाँव के बगल से निकलता था। दामू और कल्लन मिल के वहाँ एक ढाबा, एस टी डी फ़ोन बूथ, कमप्यूटर सेन्टर खोल सकते थे। दामू, जिसे सपने में भी खाने के ख़याल आते थे, ढाबा चला सकता था और कल्लू एस टी डी बूथ। बूथ से लोग घर को फ़ोन लगायेंगे और आस-पास के सभी गाँवों के लोग मण्डी में सब्ज़ी, गेहूँ और गन्ना भेजने से पहले इन्टरनेट पर आज के भाव देख सकते थे।"
कल्लू कहानीबाज़
"हाँ, सबसे बुरा तो तब हुआ था जब वह परसों देर से पहुँचा था। 26 जनवरी के कार्यक्रम का रिहर्सल था और जब वह स्कूल के अहाते में पहुँचा तो राष्ट्रगान की “जय जय जय जय हे” वाली पंक्ति गाई जा रही थी। और कल्लू को वहाँ सामने होना चाहिये था। दामू, मुनिया, और सरू के साथ गाने की अगुआई करते हुए।"
कल्लू कहानीबाज़
"हाय मेरी किस्मत, अपने पर कुढ़ता हुआ रंभाती भैसों से बच के निकला। यहाँ जान के लाले पड़े हैं और मैं पहुँचा भी तो कहाँ? बदरी और उसकी मोटी भैसों के पास घास चरने। हाँफता, मिट्टी में फिसलता वह किसी तरह से वहाँ से भागा। बदरी, भैसों का अजीबोग़रीब मालिक अपनी मन भर की पगड़ी पहने डंडा लहरा रहा था और मोटी मूछों के पीछे मुस्करा रहा था।"
कल्लू कहानीबाज़
"दामू और सरु के लिये कितना आसान है, कल्लू मन ही मन बुदबुदाया। स्कूल के बगल में रहते हैं। स्कूल की घंटी बजने पर भी घर छोड़ेंगे तो देर नहीं होगी। स्कूल के फाटक पर पहुँचते-पहुँचते कल्लू का दिल तेज़ी से धड़कने लगा। मुँह में पान की गिलौरी दबाते वहाँ कौन खड़ा था भला? मास्टर जी। हाय री किस्मत!"
कल्लू कहानीबाज़
"ध्यान चंद ने अपने अंतिम वर्ष अपने प्रिय स्थान झाँसी में बिताए। वहाँ रहने वाले लोग इस महान पुरूष को देखा करते थे, जो कभी बाज़ार जा रहे होते तो कभी अपने मित्रों से मिलने अथवा कभी घर के काम निपटाने के लिए सार्इकिल पर जाते हुए दिखार्इ दे जाते थे। उनका निधन ३ दिसम्बर १९७९ को नर्इ दिल्ली के एक अस्पताल में हुआ। उनका पूर्ण सैन्य सम्मान के साथ झाँसी हीरोज़ ग्राउंड पर अंतिम संस्कार किया गया।"
ध्यान सिंह 'चंद' : हॉकी के जादूगर
"उसे शिक्षक अच्छे नहीं लगते थे। कक्षा में वह अपने को कैद महसूस करता था। वहाँ कई चीज़ें करने की मनाही थी। बच्चे सवाल नहीं पूछ सकते थे, वे इधर-उधर घूम नहीं सकते थे और बोल भी नहीं सकते थे। शिक्षक के तेवर चढ़े रहते थे।"
मोरू एक पहेली
"एक दिन मोरू दीवार पर बैठा बच्चों को स्कूल जाते देख रहा था। अब उससे कोई नहीं पूछता था कि वह उनके साथ क्यों नहीं आता। बल्कि अब तो बच्चे उससे बचते थे क्योंकि वह डरते थे कि मोरू उन्हें परेशान करेगा। शिक्षक भी वहाँ से गुज़र रहे थे। मोरू ने उन्हें देखा। उन्होंने मोरू को देखा। न कोई मुस्कराया और न किसी ने भवें सिकोड़ीं।"
मोरू एक पहेली
"कुछ दिनों बाद शिक्षक फिर वहाँ से जा रहे थे। वह एक बहुत बड़ा थैला उठाये हुए थे। थैला बहुत भारी था। शिक्षक काफ़ी मुश्किल में थे। मोरू ने सर खुजलाया। शिक्षक धीरे-धीरे वहाँ से निकले। मोरू ने कुछ सोचा और फिर शिक्षक के पीछे भागा। बिना कुछ बोले उसने थैले को एक तरफ़ से थामा। शिक्षक को कुछ राहत मिली और दोनों मिल कर उस भारी बोझ को स्कूल तक ले गये।"
मोरू एक पहेली
"दोबारा संगीत शुरू हुआ। मगर एक के बाद एक, सभी उनिंदा कलाकार स्वर से हटते गए और गलत धुन बजाते रहे। बेसुरों की भरमार थी। निद्रा देवी उन्हें सुनते ही वहाँ से भाग निकलीं! और राजा फिर पूरी तरह जागे हुए, बहुत नाराज़ हुए।"
कोट्टवी राजा और उनींदा देश
"राजा अपनी निद्राहीन प्रजा के लिए बहुत ही चिंतित हो उठे। अपने इस विस्तृत कार्यक्रम की सलाह तो हर किसी को वो दे नहीं सकते थे। उन्होंने अपने राजपुरोहित से सुझाव माँगा। उस बुद्दिमान इंसान को पता था कि यह एक जटिल समस्या है। “सभी से कहिए आज से पंद्रह दिन बाद नगर सभा में एकत्रित हों। सभी लोग गरम पानी से नहा कर, भोजन करके, सूर्यास्त पर हाज़िर हों। मैं सभी को आशीर्वाद देने के लिए निद्रा देवी को वहाँ बुलाऊँगा।”"
कोट्टवी राजा और उनींदा देश
"पेड़-पौधों और जानवरों को देख इन्हें ख़ुशी मिलती है। बिना-पेड़ों-वाली-जगहें देख जादव बहुत उदास हो जाते हैं क्योंकि वहाँ सब कुछ बेजान होता है।"
जादव का जँगल
"वह तेज़ी से अपने गाँव की ओर दौड़े और वहाँ पहुँच कर बाँस के अँखुए एक थैले में ठूँस-ठूँस कर भरने लगे।“दूसरे पेड़-पौधे गर्म रेत में नहीं पनप पाएँगे, लेकिन बाँस लग जाएगा। बाँस बहुत कुछ सह सकता है!”"
जादव का जँगल
"जादव अपने गाँव लौटे, और वहाँ पहुँच कर तरह-तरह के"
जादव का जँगल
"वहां कम से कम कुछ हरियाली है, और वहाँ सूखी रेत नहीं, भूरी मिट्टी है।"
जादव का जँगल
"अब हम वहाँ इनमें से कोई भी पौध रोप सकते, बहुत कुछ उगा सकते हैं!”"
जादव का जँगल
"ख़ूब सारे पौधे और बीज लेकर जादव एक कुछ-पेड़ों-वाली-जगह जा पहुँचे, और इस तरह वह खाली जगह देख कर वहाँ पौधे रोपने लगे और बीज बोने लगे।"
जादव का जँगल
"लेकिन जहाँ बहुत सारे पेड़ हों, वहाँ पेड़ों पर रहने वाले जीव-जंतु न हों, ऐसा कैसे हो सकता था? एक जीव से शुरू हुआ यह सिलसिला आगे बढ़ता चला गया।"
जादव का जँगल
"वहाँपेड़ों की कमी नहीं थी, इसलिए वहाँ आ बसने के लिए जानवरों का ताँता लग गया। कोई कूद-फाँद कर आया, कोई डाल-डाल पर छलाँगे मारते हुए, तो कोई मटक-मटक कर चलते हुए। गौर, हिरन, खरगोश और गिब्बन आए। हाथी आये, बाघ आए और गैंडे भी आकर बस गए।"
जादव का जँगल
"जादव ने अपनी कोशिशों से जिस बिना-पेड़ों-वाली-जगह को पेड़ों से भर दिया था, वहाँ अब जिधर देखो पँख, चोंच, डैने, पँजे, पूँछ और ज़हरीले दाँत नज़र आते थे!"
जादव का जँगल
"चलते-चलते उन्हें जहाँ कहीं बिना-पेड़ों-वाली-जगह मिलती, वह वहाँ बीज बोते जाते।"
जादव का जँगल
"अगले तीन दशकों में जादव ने पेड़ लगा-लगा कर बंजर ज़मीन की सूरत और सीरत बदल डाली। नदी की धारा में साढ़े पाँच सौ हैक्टेयर का रेतीला टापू अब घने जँगल में बदल चुका है जिसमें किस्म-किस्म के पेड़-पौधे और जीव-जंतु पाए जाते हैं। इनमें हाथी, बाघ, कपि, हिरन और कई किस्म के स्थानीय और प्रवासी पक्षी शामिल हैं। जादव ने हर रोज़ ख़ुद जाकर अपने जँगल की देखरेख का सिलसिला जारी रखा है। आज भी उन्हें जहाँ कहीं थोड़ी सी ख़ाली जगह दिखाई देती है, वह वहाँ पेड़-पौधे लगा देते हैं।"
जादव का जँगल
"अतः राजा ने खरगोश और कछुए को अपना प्रतिनिधि बनाकर वहाँ भेजने की सोची।"
कछुआ और खरगोश
"खिड़की के बाहर हल्की सी आवाज़ तैर रही थी। वहाँ मेयर का माली उनके अंगरक्षकों को कहानी सुना रहा था।"
कहानियों का शहर
"“लेकिन मैं तुम्हारी कक्षा में गयी थी, वहाँ तो कोई भी नहीं था!” अम्मा बोलीं।"
अम्मा जब स्कूल गयीं
"“पर मीरा जब मैं शिक्षकों के कमरे में गयी, मुझे तो वहाँ कोई नहीं दिखा!”"
अम्मा जब स्कूल गयीं
"“हम वहाँ रुक नहीं पाए,” मीरा ने कहा। “क्योंकि रोहन का साँप उसे ढूँढ रहा था। इसलिए हम लोग छत पर चढ़ गए और घंटी बजने तक वहीं रुके रहे!”"
अम्मा जब स्कूल गयीं