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Storybook paragraphs containing word (30)
"मैं खूब रोया। और रात का खाना भी नहीं खाया।"
चाँद का तोहफ़ा
"पिशि दुखी थी। कल तक वह अंडमान निकोबार के तट से दूर, मैंटा रे मछलियों के समूह का हिस्सा थी। वह हिन्द महासागर की सुन्दर लहरों के बीच भर पेट खाना खाती और मज़े से रहती थी।"
पिशि फँसी तूफ़ान में
"पर्व-त्योहार हमसब को अच्छे लगते हैं। तब ख़ूब मस्ती और शरारत करते हैं साथ ही ढेर सारा लज़ीज़ खाना भी खाते हैं।"
पूरी क्यों फूलती है?
"क्या ज्वार, बाजरे या चावल के आटे से पूरियाँ बन सकती है, अगर नहीं तो क्यों? गेहूँ के आटे से पूरियों के अलावा हम और क्या चीज़ें बना सकते हैं? अगर आटे में ज़्यादा पानी डाल दिया जाये तो क्या होगा? अगर हम आटे को खाना पकाने के दूसरे तरीकों, जैसे तंदूर या तवा पर पकाते हैं तो क्या होता है?"
पूरी क्यों फूलती है?
"”समुद्र के पास कहीं। अब सवाल पूछना बन्द करो और जाओ यहाँ से धनी!“ अम्मा ज़रा गुस्से से बोलीं, ”पहले मुझे खाना पकाने दो।“"
स्वतंत्रता की ओर
"पच्चा ने समझाया, “तुम इस सेब को खाना शुरू करो जब तक कि इसके बीच वाले हिस्से तक न पहुँच जाओ। सेब के बीच में तुम्हे छोटे-छोटे भूरे रंग के बीज दिखेंगे।“"
आओ, बीज बटोरें!
"जब तेंदुए अपना खाना खत्म नहीं करते,"
अरे, यह सब कौन खा गया?
"तो बाकी खाना कौन खाता है?"
अरे, यह सब कौन खा गया?
"जब गिद्ध और लकड़बग्घों का खाना बेकार जाता है,"
अरे, यह सब कौन खा गया?
"डाॅल्फ़िन बोली, "नहीं, लेकिन मुझे यह मालूम है कि सबसे मज़ेदार मछलियाँ कहाँ मिल सकती हैं। क्या तुम खाना चाहोगी?""
घूम-घूम घड़ियाल का अनोखा सफ़र
"बाबा ने बढ़िया खाना पकाया।"
सत्यम, ज़रा संभल के!
"थोड़ी ही देर में वहाँ बहुत सारा खाना था।"
मेंढक की तरकीब
"वह मजे से खाना खाने लगा।"
मेंढक की तरकीब
"बिल्ली के बच्चों ने खाना खाया,"
और चीकू भी
"स्वादिष्ट खाना रसोईघर में पकता है।"
मेरा घर
"फिर पेट भर खाना खाना।"
चुन्नु-मुन्नु का नहाना
"बंदर बोला, “अब खाना चाहिए।"
सैर सपाटा
"मेरे भाई को भूख लगी है।
वह चिप्स खाना चाहता है।"
चाचा की शादी
"अनु को दादाजी की चिन्ता होने लगी है... उस बादल के रहते वे खाना कैसे खा पाते होंगे भला?"
पापा की मूँछें
"खाना दो... खाना दो..."
चुप! मेरी नाक कुछ कह रही है...
""यह लीजिये मंगल चाचा, इसके इस्तेमाल से आपकी रसोई रहेगी एकदम साफ़ और खाना बनाना होगा आसान।""
गुल्ली का गज़ब पिटारा
"चीकू को खाना भी अकेले खाना पड़ा।"
कचरे का बादल
"कभी ना खाना जल्दी-जल्दी"
ऊँट चला, भई! ऊँट चला
"चाय के दौर चलते तो साथ ही चटपटी इधर-उधर की खूब गपशप भी होती लेकिन काम बराबर चलता रहता। शाम होती तो सब औरतें अपना काम समेटतीं और घर को रवाना होतीं। उन्हें अपने-अपने परिवार का खाना भी तो तैयार करना होता था।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"6. मुग़लों के महलों में कई रसोईघर थे। हर रसोईघर से बादशाह के लिये खाना भेजा जाता। ज़ाहिर है कि जब बादशाह सलामत खाने बैठते तो वे तीस किस्म की लज़ीज़ चीज़ों में से अपनी पसन्द की चीज़ खाते। ओहो! मुँह में पानी भर आता है मुग़लई खाने का नाम आने पर- बिरयानी, पुलाओ, कलिया, कोर्मा-यह सब पकवान मुग़लई रसोईघरों से ही निकल कर आये हैं।"
रज़ा और बादशाह
"“ठीक है। स्कूल में मिलते हैं” दामू ने कंधे उचका दिये और खाना खाने लगा।"
कल्लू कहानीबाज़
"जब तक उन्होंने खाना ख़त्म किया, ग्यारह बजने वाले थे। मगर, पुरानी आदतों को तोड़़ना आसान नहीं होता - उन्हें अब भी नींद नहीं आ रही थी।"
कोट्टवी राजा और उनींदा देश
"झटपट अमरूद खाने के इरादे से एक जगह जाकर बैठ गई। अमरूद पर एक चोंच ही मारी थी कि उसे सिर पर भारी चोट महसूस हुई। आँखों के आगे अँधेरा छा गया और वह गिर पड़ी। यह कैसे हुआ? जब उसने अमरूद खाना शुरू कि या था उसी समय एक कौआ एक लकड़ी के टुकड़े करे चोंच में दबाकर उड़ रहा था। वह लकड़ी का टुकड़ा उसकी चोंच से निकलकर गौरैया की खोपड़ी पर गिर पड़ा। बस, यहीं पर कहानी खतम!"
गौरैया और अमरूद
"कुछ साल में, जब आप पहले से लंबे हो जाएँगे, तब आपका आम का पेड़ भी आपके साथ बढ़ रहा होगा। बढ़ते-बढ़ते वह एक बड़े पेड़ में बदल जाएगा जिस पर आप चाहें तो चढ़ सकेंगे, या फिर उसके साये में पिकनिक कर सकेंगे। तब शुरू होगा असली मज़ा! तब आपका पेड़ आम देने लगेगा, जिन्हें आप और आपके दोस्त खा सकेंगे। इससे भी ज़्यादा बढ़िया बात यह होगी कि आम खाना पसंद करने वाले तमाम दूसरे जीव भी आपके पेड़ की ओर खिंचे चले आएंगे - पक्षी, चींटियाँ, गिलहरियाँ, चमगादड़, बन्दर और मकड़ियाँ।"
जादव का जँगल
"होटल में खाना मिलना बंद हो गया, भेल वाले ने भेलपुरी नहीं बनाई। मछुआरे मछली पकड़ने नहीं गये। कोई कुछ करना ही नहीं चाहता था, बस कहानियाँ सुनाना और सुनना!"
कहानियों का शहर