Edit word

ह ै ं

Add letter-sound correspondence launch
Peer-review 🕵🏽‍♀📖️️️️

Do you approve the quality of this word?



Contributions 👩🏽‍💻
Revision #3 (2021-05-11 17:54)
Jo G.
APPROVED
2021-06-26 13:28
Resources
Hindi resources:
  1. Forvo
  2. Google Translate
Labeled content
Emojis
None

Images
None

Videos
// TODO

Storybook paragraphs containing word (103)

"पर हैं ये सब बनबिलाव ही!"
बनबिलाव! बनबिलाव!

"लेकिन कोमल मैम जानती हैं कि क्या करना है। "
गप्पू नाच नहीं सकती

"प्रिय पाठक, क्या आपको मालूम है कि प्राचीन काल के संस्कृत साहित्य में हिन्द महासागर को ‘रत्नाकर’ कहा जाता था? रत्नाकर यानि हीरे जवाहरात की खान। मैंटा रे मछलियाँ अक्सर सफ़ाई के ठिकानों पर जाया करती हैं। सफ़ाई के ठिकानों को कुदरत का अस्पताल कहा जा सकता है। यहीं एंजेल फ़िश जैसी छोटी मछलियाँ मैंटा रे के गलफड़ों के अन्दर और खाल के ऊपर तैरती हैं। वे क्लीनर फ़िश कहलाती हैं क्योंकि वे मैंटा रे के ऊपर मौजूद परजीवियों व मृत खाल को खा कर उसकी सफ़ाई करती हैं। मैंटा रे मछलियाँ विशाल होने के बावजूद बहुत कोमल स्वभाव की होती हैं। बड़ी शार्क, व्हेल मछलियाँ व मनुष्य उनका शिकार करते हैं।"
पिशि फँसी तूफ़ान में

"इग्लू: क्या आप सोच सकते हैं कि बर्फ़ की बड़ी-बड़ी ईंटों से बने इग्लू बाहर बर्फ़ जमी होने पर भी अंदर से गर्म रहते हैं? जब बाहर का तापमान -40 डिग्री सेंटिग्रेड होता है तो लोग इग्लू के अंदर आराम से रहते हैं। इन्हें आप कनाडा के ध्रुवीय इलाकों और ग्रीनलैंड के थूले द्वीप में देख सकते हैं।"
सबसे अच्छा घर

"पर्व-त्योहार हमसब को अच्छे लगते हैं। तब ख़ूब मस्ती और शरारत करते हैं साथ ही ढेर सारा लज़ीज़ खाना भी खाते हैं।"
पूरी क्यों फूलती है?

"हम अक्सर सोचते हैं कि पूरी फूलती क्यों है?"
पूरी क्यों फूलती है?

"आटे में दो तरह के प्रोटीन होते हैं - ग्लाइडीन और ग्लोटेनिन। इन दोनों प्रोटीन के अणुओं को बहुत प्यास लगती है।"
पूरी क्यों फूलती है?

"आटे में जैसे ही पानी डाला जाता है, यह अणु उसे पी लेते हैं। वे पानी पीने के बाद बड़े और मोटे हो जाते हैं। वे फैल जाते हैं। ज़ाहिर है कि उनके पास आराम से बैठने के लिये जगह नहीं होती है – इसलिए वह एक दूसरे को छूते हैं और धक्कामुक्की करते हैं। वे एक दूसरे से चिपक जाते हैं।"
पूरी क्यों फूलती है?

"कभी-कभी खेलते समय आप भी एक दूसरे का हाथ पकड़ कर एक क़तार बनाते हैं और फिर वह पूरी क़तार ही एक साथ चलती है। उसी तरह कण भी एक दूसरे के साथ चिपक कर एक नेटवर्क सा बना लेते हैं।"
पूरी क्यों फूलती है?

"जब हम आटे को गूँधते हैं तो एक दूसरे से चिपके कण, फैलने लगते हैं और फिर इस तरह फैलने के बाद एक नया प्रोटीन बन जाता है, जिसे कहते हैं ग्लूटेन। ग्लूटेन, रबर की तरह लचीला होता है, इसलिए गूँधे हुये आटे को हम कोई भी आकार दे सकते हैं।"
पूरी क्यों फूलती है?

"इस गूँधे हुये आटे को अम्मा थोड़ी देर के लिये एक तरफ़ रख देती हैं। अब वह खीर बना रही हैं जैसे ही वह पूरियाँ बेलना शुरू करेंगी, हम वापिस आ जायेंगे।"
पूरी क्यों फूलती है?

"और जब पूरी को गर्म तेल में डालते हैं तो उसकी निचली सतह तेल की वजह से बहुत गर्म हो जाती है।"
पूरी क्यों फूलती है?

"बाबा अब पूरी को पलट देते हैं ताकि वह दूसरी तरफ़ से भी सुनहरी हो जाये। उन्होंने कढ़ाई से पूरी निकाल ली है और उसे एक बर्तन में रख दिया है।"
पूरी क्यों फूलती है?

"इसकी तीन वजहें हो सकती हैं -"
पूरी क्यों फूलती है?

"कभी-कभी पूरी को बेलने के बाद उस में जानबूझ कर एक कांटे से छोटे-छोटे छेद किये जाते हैं ताकि तलते समय जो भाप बने वह छेद से बाहर निकल जाये। इसी वजह से पूरी फूल नहीं सकती।"
पूरी क्यों फूलती है?

"क्या ज्वार, बाजरे या चावल के आटे से पूरियाँ बन सकती है, अगर नहीं तो क्यों? गेहूँ के आटे से पूरियों के अलावा हम और क्या चीज़ें बना सकते हैं? अगर आटे में ज़्यादा पानी डाल दिया जाये तो क्या होगा? अगर हम आटे को खाना पकाने के दूसरे तरीकों, जैसे तंदूर या तवा पर पकाते हैं तो क्या होता है?"
पूरी क्यों फूलती है?

"फिर जब वही मधुमक्खियाँ किसी और फूल के पास जा कर भन-भन करते हुए ज़ोर-शोर से नाचती हैं, तो इस धमा-चौकड़ी में दाने दूसरे फूलों पर गिर जाते हैं। फिर मधुमक्खियाँ और फूलों तक उड़ती हुई जाती हैं, कुछ दाने उठाती हैं व कुछ गिराती चलती हैं। यह कार्यक्रम इसी तरह चलता रहता है।"
मधुमक्खियाँ क्यों भन-भन करती हैं?

"काफी मज़ेदार लगता है ना? मधुमक्खियाँ भी सच में कमाल की हैं, हैं ना?"
मधुमक्खियाँ क्यों भन-भन करती हैं?

"इस महान यंत्र की सहायता से हम हवा में उड़ने का मज़ा ले सकते हैं। पक्षी हवाई जीव होते हैं जिन्हें उड़ने के लिए बाहरी यंत्र की ज़रूरत नहीं होती। आमतौर पर, एक पक्षी के पंख उसके शरीर से बड़े होते हैं। पंख बड़े हल्के होते हैं और इसलिए वे उड़ पाते हैं।"
हवाई जहाज़ कैसे उड़ते हैं?

"पक्षी उड़ने के समय अपने पंख फड़फड़ाते हैं, लेकिन हमने हवाई जहाज़ के पंखों को फड़फड़ाते हुए कभी नहीं देखा! पक्षी अपने पंख फड़फड़ाते हैं ताकि वे अपने शरीर को ऊपर धकेलने में हवा का उपयोग कर सकें।"
हवाई जहाज़ कैसे उड़ते हैं?

"इंजिन बहुत ही मज़बूत यंत्र है जो हवाई जहाज़ के दिमाग की तरह (तेज़) काम करती है। जिस तरह पक्षी अपना दिमाग लगाते हैं और सीखते हैं कि कैसे उड़ा जाय,वैसे ही इंजिन विमान को ज़मीन से ऊपर की ओर धकेलती है और उन्हें आगे बढ़ने में मदद करती है।"
हवाई जहाज़ कैसे उड़ते हैं?

"कार एवं अन्य वाहन भी इंजिन की सहायता से ही चलते हैं, मगर वे विमान की तरह आसमान में उड़ नहीं सकते। हवा विमान के उन पंखों के ऊपर और अंदर बहती है जो पक्षी के पंख जैसे होते है, इन्हीं के दबाव से विमान ऊपर उठते हैं और टिके रहते हैं। विमान की भी पूँछ होती हैं - बिलकुल चिड़िया की तरह, जो उन्हें हवा में टिकने और दिशा बदलने में मदद करती है।"
हवाई जहाज़ कैसे उड़ते हैं?

"अधिकांश हवाई जहाज़ तभी उड़ पाते हैं जब वे बहुत ही तेज़ी से दौड़ते हैं। रनवे हवाई अड्डा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो हवाई जहाज़ों को अपनी गति बढ़ाने के लिए पर्याप्त समय देता है। और अंत में वे उड़ान भरते हैं।"
हवाई जहाज़ कैसे उड़ते हैं?

"विमान जानते हैं कि उन्हें कहाँ जाना है, क्योंकि विमानचालक उन्हें चलाते हैं। ये चालक विमान के अंदर, सामने की एक जगह, जिसे चालक स्थल (कॉकपिट) कहते हैं, से उन्हें नियंत्रित (कंट्रोल) करते हैं। वे बहुत ही सटीक और आधुनिक डिवाइसों के द्वारा हवाई अड्डों (एक जगह जहाँ हवाई जहाज़ उड़ान भरते और उतरते हैं) के संपर्क में रहते हैं। जिस तरह हमारी मदद के लिए सड़क पर सिग्नल और पुलिस होती है, वैसे ही वायु यातायात नियंत्रक (एयर ट्रैफिक कंट्रोलर) होते हैं जो विमान चालक को बताते हैं कि कब और किस ओर उड़ान भरनी है और कब उड़ान भरना या उतरना सुरक्षित रहेगा।"
हवाई जहाज़ कैसे उड़ते हैं?

"अज्जी ने दरवाजे से अंदर झाँकते हुए कहा, "अम्मा, आप के आर एस की बात कर रही हैं क्या?""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?

""शायद इससे तुम्हें कुछ मदद मिले, बच्चों," अज्जी बोलीं। वह सब के लिए मुत्तज्जी की मनपसंद सेवईं की खीर से भरी कटोरियाँ लेकर आईं थीं। "के आर एस का मतलब है कृष्ण राजा सागर बांध, और उसके पास में ही हैं वृन्दावन गार्डन्स। याद है न, हम पिछले साल वहाँ संगीत की धुन के साथ चलने वाले फव्वारे देखने गए थे?""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?

""अज्जी, क्या आप जानती हैं कि के आर एस कब बनाया गया था?""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?

"धनी को पता था कि आश्रम में कोई बड़ी योजना बन रही है, पर उसे कोई कुछ न बताता। “वे सब समझते हैं कि मैं नौ साल का हूँ इसलिए मैं बुद्धू हूँ। पर मैं बुद्धू नहीं हूँ!” धनी मन-ही-मन बड़बड़ाया।"
स्वतंत्रता की ओर

"”बिन्दा चाचा,“ धनी उनके पास बैठ गया, ”आप भी यात्रा पर जा रहे हैं क्या?“"
स्वतंत्रता की ओर

"”नमक?“ धनी चौंक कर उठ बैठा, ”नमक क्यों बनायेंगे? वह तो किसी भी दुकान से खरीदा जा सकता है।“
 ”हाँ, मुझे मालूम है।“ बिन्दा हँसा, ”पर महात्मा जी की एक योजना है। यह तो तुम्हें पता ही है कि वह किसी बात के विरोध में ही यात्रा करते हैं या जुलूस निकालते हैं, है न?“"
स्वतंत्रता की ओर

"”हाँ, बिल्कुल। मैं जानता हूँ वे ब्रिटिश सरकार के खिलाफ़ सत्याग्रह के जुलूस निकालते हैं जिससे कि उनके खिलाफ़ लड़ सकें और भारत स्वतंत्र हो जाये। पर नमक को लेकर विरोध क्यों कर रहे हैं? यह तो बेवकूफ़ी की बात हुई!“"
स्वतंत्रता की ओर

"”गाँधी जी, बड़े ही अक्लमन्द हैं, हैं न?“ धनी की आँखें चमकीं।"
स्वतंत्रता की ओर

"”हाँ, वो तो हैं ही!“ बिन्दा की आँखों के आस-पास हँसी की लकीरें खिंच गईं, ”उन्होंने वायसरॉय को चिट्ठी भी लिखी है कि वे ऐसा करने जा रहे हैं! ब्रिटिश सरकार को तो पता ही नहीं कि उसकी क्या गत बनने वाली है!“"
स्वतंत्रता की ओर

"आज टूथपेस्ट मशीन से भरी जाती है। सभी ढक्कन लगे खाली ट्यूब नीचे सिरे से क़तार में कन्वेयर बेल्ट से लगे आगे बढ़ते हैं जिनका दूसरा सिरा ऊपर की तरफ़ खुला होता है। एक बड़े बर्तन में टूथपेस्ट भरा होता है जो कन्वेयर बेल्ट के साथ लगा होता है।"
टूथपेस्ट ट्यूब के अंदर कैसे आया?

"● कारखाने में ब्रश तैयार होने के बावजूद बहुत से लोग नीम या बबूल की पतली टहनी से दातुन करते हैं। दातुन हमारे दाँतों और मसूड़ों को स्वस्थ रखते हैं, मगर क्या तुम जानते हो कि विश्व में सबसे अच्छा ब्रश कौन सा है? तुम्हारी उंगली! दंत-चिकित्सक मानते हैं कि यह दाँतों और मसूड़ों के लिए सबसे बेहतर है।"
टूथपेस्ट ट्यूब के अंदर कैसे आया?

"चीजें इकट्ठी करना टूका और पोई को बहुत पसंद है। नदी के किनारे  बीने गए चिकने कंकड़, फ़र्न के घुमावदार और गुदगुदे पत्ते, सुर्ख़ लाल रंग के बटन जो उनकी स्कूल यूनिफॉर्म से गिरे हों - टूका और पोई सब बटोर लेते हैं। रोज़ ही, स्कूल के बाद, वे नदी के किनारे झुके हुए नारियल के पेड़ के पास मिलते हैं और अपने सबसे प्यारे दोस्त का इंतज़ार करते हैं।"
आओ, बीज बटोरें!

"“अरे वाह, तुम लोगों ने त‍ो बहुत सारे बीज इकट्ठे कर लिए हैं", बैग देखकर पच्चा ने कहा। "वैसे क्या तुम लोग यह जानते हो कि ऐसे ही इमली के एक छोटे बीज से मैं बना हूँ? और अब मुझे देखो, कितना बड़ा हो गया हूँ। मेरी ढेर सारी शाखाएँ हैं जिन पर बहुत सारी गौरेया, गिलहरियाँ और कौए रहते हैं।“"
आओ, बीज बटोरें!

"मिर्च हर आकार, रूप और रंग की होती हैं और पूरे विश्व में इनका उत्पादन होता है। इसके बीज छोटे, गोल और चपटे होते हैं और इनका इस्तेमाल दाल या भाजी में चटपटापन लाने के लिए किया जाता है। जब आप इन्हें छुएं तो सावधान रहें, ये आपकी उंगलियों में जलन पैदा कर सकतीं हैं।"
आओ, बीज बटोरें!

"बैरीज़, सेब, केला, तरबूज और कटहल - इन सभी फलों में बीज होता है। कुछ बीजों को हम खा नहीं सकते हैं जैसे कि आम की गुठली। लेकिन कई बीज; जैसे कटहल के बीज; इन्हें पानी में भिगोने के बाद सब्ज़ी बनाकर खाए जा सकते हैं।"
आओ, बीज बटोरें!

"सामान्य नाम: चॉकलेट। वैज्ञानिक मुझे कहते हैं: थियोब्रोमा ककाओ (जिसका अर्थ होता है - देवताओं का भोजन) इसमें कोई संदेह नहीं है कि चावल सबसे लोकप्रिय अनाज है लेकिन ककाओ भी लोगों की खास पसंद है – खासकर टूका और पोई की। चॉकलेट ककाओ के बीजों से बनती है। हर ककाओ फल में 30-50 बीज होते हैं जिन्हें भूना जाता है और फिर पीसकर, चीनी व दूध में मिलाकर स्वादिष्ट चॉकलेट बार बनाया जाता है।"
आओ, बीज बटोरें!

"आकाश में बड़े-बड़े काले बादल घिर आए हैं और मुझे उनकी गड़गड़ाहट भी सुनाई दे रही है। शीघ्र ही मानसून आने वाला है। इसे वर्षा ॠतु कहते हैं। मुझे बारिश से भीगी मिट्टी की सौंधी महक बहुत अच्छी लगती है। लम्बी गर्मियों के बाद मिट्टी भी बारिश की बूँदों की राह देखती है। मुझे ऐसा ही लगता है।"
गरजे बादल नाचे मोर

"हम सभी वर्षा की प्रतीक्षा करते हैं पर किसान तो वर्षा के देवताओं की पूजा करते हैं।
 मानसून में मेरा आम का पौधा काफी लम्बा हो गया है। अब मुझे उसे सींचने की ज़रूरत नहीं पड़ती! पिछले महीने जब बड़ी तेज़ आँधी चली थी, मेरा पौधा मज़बूती से खड़ा रहा। क्या मेरा आम का पेड़ इस पेड़ के जितना बड़ा हो जायेगा?"
गरजे बादल नाचे मोर

"ढश टश ढश... मेरे नगाड़े की छड़ें इतनी तेज़ी से चल रही हैं कि आप इन्हें देख भी नहीं सकते!"
आज, मैं हूँ...

"एक बड़ा घर। कुछ जीव हमारे समीप रहते हैं और कुछ हमसे बहुत दूर।"
जीव-जन्तुओं के घर

"लेकिन क्या आप जानते हैं कि पूरी दुनिया के जीव-जंतुओं और हममें क्या समानता है?"
जीव-जन्तुओं के घर

"उसके आसपास पक्षी हैं जो सुंदर गीत गाते हैं।"
बंटी और उसके गाते हुए पक्षी

"वे पक्षियों को पकड़ लेते हैं और एक-एक करके अपने घर ले आते हैं।"
बंटी और उसके गाते हुए पक्षी

"बंटी और उसके पिता पक्षियों को जंगल में ले जाते हैं और उन्हें मुक्त करते हैं।"
बंटी और उसके गाते हुए पक्षी

"तारे गये हैं मुझसे रूठ।"
सूरज का दोस्त कौन ?

"तितलियाँ! मुझे दिख रही हैं तितलियाँ! मुझे दिख रहीं हैं चार तितलियाँ! क्या आप को भी दिख रही हैं?"
तितलियां

"तितलियाँ! मुझे दिख रही हैं लाल,हरी और पीली तितलियाँ! अरे एक छोटी तितली मेरी अंगुली पर बैठी है! क्‍या आप को वह दिख रही है?"
तितलियां

"यहां तक ​​कि छोटे नींबू - मेरे जैसे सभी लग रहे हैं - और मिठाई भी!"
ग़ोलू एक ग़ोल कि कहानी

"“हाँ, मगर लगता है उसका गला खराब है! मैंने न, पहले कभी भी खराब गले वाली कोयल नहीं देखी। चलो, चलकर ढूँढते हैं उसे!” स्टेल्ला ने सुझाया।"
कोयल का गला हुआ खराब

"जल्दी ही सारे सहपाठी भी जुट जाते हैं गले में खिचखिच वाली कोयल को ढूँढने में।"
कोयल का गला हुआ खराब

"“कू-ऊऊऊऊह-ऊऊऊऊह। परवेज़ दादी को उस गला खराब वाली कोयल के बारे में बताता है। दोनों चलकर सुकर्ण स्कूल पहुँचते हैं जहाँ बधिर बच्चे पढ़ते हैं।"
कोयल का गला हुआ खराब

"शीला मिस कहतीं हैं कि उसकी आवाज़ भी ठीक हो जाएगी। समय लग सकता है, मगर ठीक ज़रूर होगी।"
कोयल का गला हुआ खराब

"- जब आप ठीक से सुन सकते हैं तो, बोलना आसानी से सीख सकते हैं। ज़्यादातर बधिर लोग ठीक से नहीं बोल पाते क्योंकि वो दूसरों का बोलना नहीं सुन सकते हैं।"
कोयल का गला हुआ खराब

"- कुछ बच्चे चश्मा लगाते हैं ताकि वे अच्छी तरह से देख सकें, ठीक वैसे ही परवेज़ सुनने की मशीन लगाता है ताकि उसे सुनने में आसानी हो। उसे अपनी मशीन को लेकर थोड़ा सचेत रहने की ज़रूरत है।"
कोयल का गला हुआ खराब

""क्या आप मेरे परिवार को ढूँढने में मदद कर सकते हैं घोंघा मामा?" घूम-घूम ने पूछा।"
घूम-घूम घड़ियाल का अनोखा सफ़र

"खेत घर से बहुत दूर है। रास्ते में पड़ते हैं खेत, टेढ़ी–मेढ़ी पगडंडियाँ, घना जंगल और कलकल-छलछल बहते झरने भी।"
सत्यम, ज़रा संभल के!

"हमारी ही तरह वह भी ज़्यादातर बढ़िया खाने और रहने की आरामदेह जगह या प्यार करने वाले परिवार की तलाश में एक से दूसरी जगह घूमते-फिरते हैं। कभी-कभी वे अपने उन दुश्मनों से बचने के लिए भी घूमते-फिरते हैं जो उन्हें पकड़ कर खा सकते हैं।"
सत्यम, ज़रा संभल के!

"कुछ न कुछ देते हैं पेड़,"
हर पेड़ ज़रूरी है!

"बचाते हैं हमें कुदरत की मार से,"
हर पेड़ ज़रूरी है!

"चुंबक सभी चीज़ों से नहीं चिपकता। यह सिर्फ उन कुछ चीज़ों से चिपकता है जिनमें कुछ ख़ास तत्व होते हैं। किसी वस्तु को चुंबक से चिपकाने वाले यह ख़ास तत्व हैं लोहा, निकिल, स्टील और कोबाल्ट।"
जादुर्इ गुटका

"जब हम इनको जोड़ते हैं तब क्या होता है?"
एक, तीन, पाँच, मदद! मदद!

"पतले पत्ते हैं और मोटे भी, बड़े हैं और छोटे भी।"
द्रुवी की छतरी

"ये पत्ते न तो बहुत बड़े हैं और न ही बहुत छोटे।"
द्रुवी की छतरी

"अक्तूबर में शुरू करते हैं और विदेशों में, जैसे कि तंज़ानिया"
द्रुवी की छतरी

"स्कूल में आज मेरा पहला दिन है। माँ मेरा हाथ पकड़े हुए हैं और मेरे साथ चल रही हैं।"
स्कूल का पहला दिन

"स्कूल में आज मेरा पहला दिन है। माँ मेरा हाथ पकड़े हुए हैं और मेरे साथ चल रही हैं।"
स्कूल का पहला दिन

"जब हमारे यहाँ ख़ास मेहमान आते हैं तो हम कुर्सियाँ निकालते हैं।"
मेरा घर

"बंदर ने कहा, “इसे कहते हैं सलाद।"
सैर सपाटा

"बंदर ने कहा, “इसे कहते हैं सलाद।"
सैर सपाटा

"मौसी ने कहा, "विवान, यह हैं विभिन्न प्रकार के वाद्य-यंत्र।""
संगीत की दुनिया

""और इसे कहते हैं तबला,"
संगीत की दुनिया

"मेरे कुछ दोस्त ऐसे भी हैं जिनकी... पूँछ भी है।"
मेरे दोस्त

"मैं सोचता हूँ कि बारिश का मौसम सबको अच्छा लगता है। यह चारों मौसमों में सबसे अच्छा मौसम है। यह गर्मी के मौसम के तुरंत बाद आता है। बारिश के साथ कभी कभी आँधी आती है,बादल गरजते हैं और बिजली भी चमकती है।"
बारिश हो रही छमा छम

"बारिश के मौसम में बच्चे गीली मिट्टी में खेलते हैं,नाचते हैं और मजे करते हैं,मीठे आम खाते हैं और कागज की छोटी छोटी नावें बनाते हैं।"
बारिश हो रही छमा छम

"पशु पक्षी भी बारिश में आनंदित होते हैं क्योंकि उन्हें पीने और बढ़ने को बहुत पानी मिल जाता है।"
बारिश हो रही छमा छम

"लेकिन क्या आप जानते हैं कि अनु को अपने पापा की कौन सी चीज़ सबसे ज़्यादा अच्छी लगती है?"
पापा की मूँछें

"पापा जब नहा कर बाहर निकलते हैं तो अनु एक छोटी कंघी से बड़ी सफ़ाई से उनकी मूँछों के बाल काढ़ती है।"
पापा की मूँछें

"बस फिर क्या, पापा की मूँछें दिखने लगती हैं - रौबीली और तन-तना-तन।"
पापा की मूँछें

"इस पुस्तक में चींटी को एक हरा अंकुरित मूँग का दाना मिला। अंकुरित दालें स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छी होती हैं। हम किसी भी दाल को भिगो कर अंकुरित बना सकते हैं जैसे राजमा, सफ़ेद चना, काला चना, मटर आदि।"
दाल का दाना

"उनके अस्पताल में विभिन्न जानवरों की पूँछ, टाँग, कान अलमारी में सजे हुए थे। जब तक डॉक्टर बोम्बो भालू आते हैं तब तक मैं अपने लिए एक पूँछ ही चुन लेती हूँ।"
चुलबुल की पूँछ

""आप क्या ढूंढ रही हैं दादी माँ?" गुल्ली ने पूछा।"
गुल्ली का गज़ब पिटारा

"जब भी हम केले के छिलके या पेंसिल की छीलन सड़क पर फेंकते है, तो यह कचरा सड़क के किनारे इकठ्ठा हो जाता है। कुछ उन नालियों के अंदर चला जाता है और उन में जमा हो जाता है। रूकी हुई नालियों में मक्खी-मच्छर पैदा होते हैं जो बीमारियाँ फैलाते हैं! इससे हमारा पर्यावरण गन्दा होता है और अपने आसपास कूड़ा- कचरा तो किसी को भी अच्छा नहीं लगता। चीकू के दिल से पूछिये।"
कचरे का बादल

"खोल दिए हैं सारे पंख"
ऊँट चला, भई! ऊँट चला

"झर-झर बरस रही हैं बूँदें।"
ऊँट चला, भई! ऊँट चला

"बूँदें बरस रही हैं झर-झर।"
ऊँट चला, भई! ऊँट चला

"देख रहे हैं बन्दर मामा,"
ऊँट चला, भई! ऊँट चला

"“नहीं, जाती थीं लेकिन कभी-कभी, सब्ज़ी-भाजी लेने या रिश्ते वालों के यहाँ। रेहाना और सलमा भी घर से बहुत कम ही निकलती हैं, और जब जाती हैं तो हमेशा सिर पर ओढ़नी लेकर। मेरी अम्मी बुरका पहनती हैं। मेरी बहनें तो कभी भी पढ़ने नहीं गईं लेकिन मैं आठवीं जमात तक पढ़ी हूँ। उसके बाद फिर मैं भी घर पर रह कर अम्मी और अपनी बहनों से कशीदाकारी सीखती रही हूँ,” मुमताज़ ने अपनी कहानी मुन्नु को सुनाई।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने

"खुरशीद ने मुमताज़ को वह दुशाला दिखाया जो वे काढ़ रहे थे, “देखो बेटी, मैंने कश्मीर के पंछी और फूल अपने शॉल में उतार लिए हैं। यह है गुलिस्तान, फूलों से भरा बग़ीचा और ये रहीं बुलबुल। यह जो देख रही हो, इसे हम चश्म-ए-बुलबुल कहते हैं यानि बुलबुल की आँख। जिस तरह बुलबुल अपने चारों ओर देख सकती है, वैसे ही यह टाँका हर तरफ़ से एक जैसा दिखाई देता है!” कह कर खुरशीद ने मुमताज़ को वह टाँका काढ़ना सिखाया।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने

"साँझी की प्राचीन कला आज भी भारत के उत्तर प्रदेश में स्थित मथुरा और वृंदावन में प्रचलित है। एक ज़माने में कलाकार पेड़ की पतली छाल का प्रयोग करते थे लेकिन अब तो तरह-तरह के कागज़ भी इस्तेमाल किये जाते हैं। नमूने बहुत विस्तृत होते हैं और अधिकतर धार्मिक दृश्य, फूल-पत्ते, वयन और रेखागणित संरचनाएँ दर्शाते हैं। इस जटिल कला का उपयोग मंदिरों में प्रतिमाएँ सजाने के लिए, कपड़े पर देवी-देवताओं के स्टैंसिल या बच्चों के लिए स्टैंसिल काटने के लिए किया जाता है। तस्वीर में रंग या चमक देने के लिए स्टैंसिल के नीचे रंगीन या धात्विक कागज़ का इस्तेमाल किया जाता है।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने

"दस्तकार हाट समिति भारतीय शिल्पकारों की एक विशाल संस्था है जो कि इस देश की पारंपरिक दस्तकारी से जुड़े लोगों के सामाजिक और आर्थिक उत्थान के लिए कार्यरत है। चार कहानियों की इस शृंखला को चित्रित करने के लिए प्रांतीय कला और शिल्प के नमूनों का इस्तेमाल किया गया है जिससे भारत की भिन्न-भिन्न सांस्कृतिक संवेदनाओं को साझा किया जा सके। हम युनेस्को, नई दिल्ली, के आभारी हैं जिनके योगदान से यह कार्य पूरा हुआ।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने

"3. दो मुग़ल बादशाहों ने नये शहर बनवाये। अकबर ने आगरा के पास, फ़तेहपुर सीकरी बनवाया और शाहजहाँ ने दिल्ली में, शाहजहाँनाबाद। फ़तेहपुर सीकरी, आज वीरान पड़ा है पर शाहजहाँनाबाद (आज पुरानी दिल्ली कहलाता है) में आज भी लोग रहते हैं और वहाँ ज़िन्दगी की चहल-पहल बरक़रार है।"
रज़ा और बादशाह

"माँ कहती है कि लोगों को घूरना अच्छी बात नहीं है। लेकिन मैं तो देखता हूँ कि सभी तुम्हें घूरते हैं। वे मुझे भी घूरते हैं क्योंकि मुझे तुम्हारे साथ रहना होता है, तुम्हारा ध्यान रखने के लिए। तुम हमारे स्कूल में क्यों आइं? तुमने अपनी पढ़ाई उसी स्कूल में जारी क्यों नहीं रखी जहाँ तुम पहले पढ़ती थीं?"
थोड़ी सी मदद

"मैं सबसे कहता हूँ कि वे जो कुछ भी जानना चाहते हैं ख़ुद तुमसे ही पूछ लें। मुझसे पूछने का क्या मतलब? मुझे कैसे पता हो सकता है कि तुम्हारे पास वह चीज क्यों है और वह कैसे काम करती है?"
थोड़ी सी मदद

"सच कहूँ तो ख़ुद मैं भी यह बात जानना चाहता हूँ और मेरे मन में भी वही सवाल हैं जो लोग तुम्हारे बारे में मुझसे पूछते हैं। हाँ, मैंने पहले दिन ही, जब तुम कक्षा में आई थीं, गौर किया था कि तुम एक ही हाथ से सारे काम करती हो और तुम्हारा बायाँ हाथ कभी हिलता भी नहीं। पहले-पहल मुझे समझ में नहीं आया कि इसकी वजह क्या है। फिर, जब मैं और नजदीक आया, तब देखा कि कुछ है जो ठीक सा नहीं है। वह अजीब लग रहा था, जैसे तुम्हारे हाथ पर प्लास्टिक की परत चढ़ी हो। मैं समझा कि यह किसी किस्म का खिलौना हाथ होगा। मुझे बात समझने में कुछ समय लगा। इसके अलावा, खाने की छुट्टी के दौरान जो हुआ वह मुझसे छुपा नहीं था।"
थोड़ी सी मदद

"पिछली बार, हमारे स्कूल में तुम्हारे आने से पहले, हमें एक बाघ के बच्चे की फ़िल्म दिखाई गयी थी जो जँगल में भटक गया था। हम भी उसे लेकर चिंता में पड़ गए थे क्योंकि वह एक सच्ची कहानी थी। बाद में वह बाघ का बच्चा किसी को मिल जाता है और वह उसे उसके परिवार से मिला देता है। जानती हो ऐसी सच्ची कहानियों को डॉक्यूमेंट्री कहा जाता है। बाघ के बच्चे बड़े प्यारे होते हैं, हैं न?"
थोड़ी सी मदद

"मुझे लगता है कि मुझे यह बात पहले ही तुम्हें बता देनी चाहिए थी- जब भी वार्षिकोत्सव आने वाला होता है, प्रिंसिपल साहब कुछ सनक से जाते हैं। वे तुम पर चिल्ला सकते हैं - वे किसी को भी फटकार सकते हैं। अगर ऐसा हो, तो बुरा न मानना। मेरी माँ कहती है कि वे बहुत ज़्यादा तनाव में आ जाते हैं, क्योंकि वार्षिकोत्सव कैसा रहा इससे पता चलता है कि उन्होंने काम कैसा किया है।"
थोड़ी सी मदद

"पता नहीं इसका क्या मतलब है, लेकिन वे बहुत परेशान दिखते हैं। तुमने उनके बाल देखे हैं? वह ऐसे लगते हैं जैसे उन्होंने बिजली का नँगा तार छू लिया हो और उन्हें करारा झटका लगा हो! वैसे, मुझे लगता है कि रानी ने उनकी कुर्सी पर मेंढक रख कर अच्छा नहीं किया।"
थोड़ी सी मदद

"आप स्वतन्त्र किस्म के व्यक्ति हैं और मानते हैं कि सभी को ऐसा ही होना चाहिए। लेकिन इसका यह मतलब बिल्कुल नहीं है कि आप को किसी की चिन्ता नहीं होती। बस आप दूसरों पर दबाव नहीं बनाना चाहते।"
थोड़ी सी मदद

"आप ज़रा शर्मीले लेकिन दयालु हैं। आप दूसरों की मदद करने और उन्हें सहज अनुभव करवाने के लिए जो भी कर सकते हैं जरूर करेंगे। लेकिन बिना किसी तरह का दिखावा किए।"
थोड़ी सी मदद