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Revision #2 (2022-01-20 21:24)
Nya Ξlimu
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Storybook paragraphs containing word (95)

"उस मोटे राजा के पास एक पतला कुत्ता था। एक दिन मोटा राजा और उसका पतला कुत्ता  सैर करने गए।"
एक था मोटा राजा

"एक दिन टीना मेरे सपने में आई |उसने मुझे जगाया |"
मैं और मेरी दोस्त टीना|

"“हाँ!” अम्मा बोली, “तुम्हारे रात के दोस्त रात को ही अपना काम करते हैं। वे रात को ही खाते और खेलते हैं। वे दिन में आराम करते हैं। तुम अब सो जाओ। नींद तुम्हें ताकत देगी, ताकि कल तुम अपने दिन के दोस्तों के साथ खेल सको। सो जाओ मेरे प्यारे बच्चे!”"
सो जाओ टिंकु!

"अर्जुन दिन रात बहुत मेहनत करता।"
उड़ने वाला ऑटो

"गर्मी के दिन थे, भीड़-भाड़ वाले एक चौराहे पर अर्जुन खड़ा इंतज़ार कर रहा था। शिरीष जी के पीछे अधेड़ उम्र की सुरमई बालों वाली, पुरानी सी साड़ी पहने एक औरत बैठी थी।"
उड़ने वाला ऑटो

"मुत्तज्जी इन जुड़वां भाई-बहन की माँ की माँ की माँ थीं! ओर वह मैसूर में अज्जी के साथ रहती थीं, जो इन दोनों की माँ की माँ, यानी नानी, थीं। किसी को पता नहीं था कि मुत्तज्जी का जन्मदिन असल में कब होता है, लेकिन अज्जी हमेशा से मकर सक्रांति की छुट्टी के दिन उनका जन्मदिन मनाती थीं।"
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?

""हाँ, के आर एस।" मुत्तज्जी ने बड़े प्यार से अज्जी को देखा और कहा, "तुम्हारी अज्जी मेरी पाँचवी संतान थी, सबसे छोटी, लेकिन सबसे ज़्यादा समझदार। तुम जानते हो बच्चों, मेरे बच्चे ख़ास समय के अंतर पर हुए। हर दूसरे मानसून के बाद एक, और जिस दिन तुम्हारी अज्जी को पैदा होना था, उस दिन तुम्हारे मुत्तज्जा का कहीं अता-पता ही नहीं था। बाद मेँ उन्होंने बताया कि वो उस दिन ग्वालिया टैंक मैदान में गांधीजी का भाषण सुनने चले गए थे। और उस दिन उन्हें ऐसा जोश आ गया था कि वह सारे दिन बस "भारत छोड़ो” के नारे लगाते रहे। बुद्धू कहीं के... नन्हीं सी बच्ची को दिन भर परेशान करते रहे।""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?

"महाराजा महारानी की शानदार दावत (1911) – 1911 में ब्रिटेन के महाराजा जॉर्ज (पंचम) और उनकी पत्नी क्वीन मैरी, भारत में पहली बार आए थे, तब उन्होने 400 से ज्यादा भारतीय महाराजा और महारानियों के लिए एक शाही दावत दी थी, जिसे कहा गया था दिल्ली दरबार। इसमे आए 200,000 मेहमानों की दावत के लिए कई बेकरियों में हर दिन 20000 से ज्यादा ब्रैड बनाई गयी थी और 1000 से ज़्यादा कैटल और बकरों को काटा गया था! बादशाह ने कई भारतीय राजाओं को सोने के मेडल (तमगे) भी दिये थे, जिनमे मैसूर के महाराजा कृष्णराजा वाडियार (चतुर्थ) भी शामिल थे!"
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?

"क्लीन ट्रेन (1925) – 3 फ़रवरी, 1925 के दिन भारत की पहली इलैक्ट्रिक ट्रेन ने बंबई के विक्टोरिया टर्मिनस से कुर्ला स्टेशन तक की यात्रा की। और इसी के साथ, भारत एशिया का तीसरा और दुनिया का 24बीसवाँ ऐसा देश बन गया जहां इलैक्ट्रिक ट्रेन की शुरुआत हुई।"
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?

"उस दिन सुबह, धनी बिन्नी को हरी घास खिला कर, उसके बर्तन में पानी डालते हुए बोला, “कोई बात ज़रूर है बिन्नी! वे सब गाँधी जी के कमरे में बैठकर बातें करते हैं। कोई योजना बनाई जा रही है। मैं सब समझता हूँ।“"
स्वतंत्रता की ओर

"अगले दिन जैसे सूरज निकला, धनी बिस्तर छोड़ कर गाँधी जी को ढूँढने निकला। वे गौशाला में गायों को देख रहे थे। फिर वह सब्ज़ी के बगीचे में मटर और बन्दगोभी देखते हुए बिन्दा से बात करने लगे। धनी और बिन्नी लगातार उनके पीछे-पीछे चल रहे थे।"
स्वतंत्रता की ओर

"1. मार्च 1930 में महात्मा गाँधी ने ब्रिटिश सरकार द्वारा लगाये नमक कर के विरोध में दाँडी तक की यात्रा का नेतृत्व किया। गाँधी जी और उनके अनुयायी, गुजरात में 24 दिन तक पैदल चले। पूरे रास्ते उनका स्वागत फूलों और गीतों से हुआ। विश्‍व भर के अखबारों ने यात्रा पर खबरें छापीं।"
स्वतंत्रता की ओर

"और दूसरी चीज़ मैंने क्या कही थी? 'टूथपेस्ट के मर्तबान?' बिलकुल सही! टूथपेस्ट के लिए ट्यूब नहीं बना था। वे केवल मर्तबान में मिलते थे। और खुमारी भरी आँख लिए बच्चे अपने दिन की शुरुआत टूथपेस्ट से भरे चीनी मिट्टी के मर्तबान में दातुन डुबाकर करते थे।"
टूथपेस्ट ट्यूब के अंदर कैसे आया?

"एक दिन एक दाँत के डॉक्टर के घर भयंकर हंगामा हुआ। छी...!"
टूथपेस्ट ट्यूब के अंदर कैसे आया?

"एक दिन टूका, पोई और इंजी, रोज़ की तरह, इमली के पेड़ के नीचे बैठे हुए थे। टूका का पसंदीदा बीज, इसी पेड़ से मिलता था।"
आओ, बीज बटोरें!

"क्योंकि आज का दिन है बहुत ही ख़ास।"
राजू की पहली हवाई-यात्रा

"सोमवार, धूप से भरा चमकीला दिन था।"
लाल बरसाती

"जून के महीने का सुहाना सा दिन है।"
कोयल का गला हुआ खराब

"घूम-घूम गंगा नदी में अपने बड़े से घड़ियाल परिवार के साथ रहती है जो दिन भर पानी में छपाके मार-मार कर शोर मचाता रहता है। वह रोज़ खाने के लिए मछलियों और कीड़े-मकोड़ों की तलाश में निकल जाती है। रोज़ ही घूम-घूम की मुलाकात तरह-तरह के जीवों से होती है। घोंघे, ऊदबिलाव, डॉल्फ़िन, मछुआरे, माँझी, बगुले, सारस, भैंस, साँप और कई दूसरे जीव उसे मिलते हैं।"
घूम-घूम घड़ियाल का अनोखा सफ़र

"यह एक नए दिन की शुरुआत थी।"
एक सौ सैंतीसवाँ पैर

"इस तरह काफ़ी दिन बीत गए।"
कुत्ते के अंडे

"वे बच्चे स्कूल नहीं जाते थे। पूरा दिन मैदान में घूमते थे।"
दीदी का रंग बिरंगा खज़ाना

"एक दिन दीदी कचरे के मैदान में आई। गले में लाल दुपट्टा ओढ़े हुए थी।"
दीदी का रंग बिरंगा खज़ाना

"एक दिन दीदी नहीं आई। अगले दिन भी नहीं आई। परेशान बच्चे इंतज़ार करते रहे।"
दीदी का रंग बिरंगा खज़ाना

"एक दिन उन्हें दीदी का पता किताब में मिल गया। बच्चे तुरंत दीदी की खोज में निकल पड़े। साथ में किताबों का थैला उठाना नहीं भूले। खोजते खोजते बच्चों ने एक बस का नंबर पढ़ लिया। चलते चलते उस सड़क का नाम समझ लिया। क्योंकि दीदी ने उन्हें सब सिखाया था।"
दीदी का रंग बिरंगा खज़ाना

"अधनिया एक छोटा, अलग-थलग गाँव था जिसमें हर कोई हर किसी को जानता था। गाँव में तो कोई चोर हो नहीं सकता था। दूधवाले ने कसम खाकर कहा था कि उसने नटखट को झील की ओर चौकड़ी भरकर जाते हुए देखा है। लेकिन वह इस बात का खुलासा न कर पाया कि आखिर नटखट बाड़े से कैसे छूट कर निकल भागा था। दिन में बारिश होने के चलते नटखट के खुरों के सारे निशान भी मिट चले थे और उन्हें देख पाना मुमकिन न था।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"लेकिन गाँव वाले सारथी को क्या जवाब देते? उनके सिर शर्म से झुके हुए थे। मुनिया के पिताजी अपनी बेटी के पास गये, और उसे अपनी गोद में उठाकर उसे वापस गाँव ले आये। बस फिर क्या था, उस दिन के बाद से कोई भी बच्चा मुनिया के लँगड़ाने पर नहीं हँसा। वे सब अब उसके दोस्त होना चाहते थे। लेकिन केवल भीमकाय ही मुनिया का अकेला सच्चा मित्र बना रहा। मुनिया की कहानी तमाम गाँवों में फैली, और दूरदराज़ के ग्रामीण फुसफुसाकर एक-दूसरे से कहते, “देखा, मुनिया जानती थी कि उस विशालकाय एक-पंख गजपक्षी ने घोड़े को नहीं डकारा!”"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"स्कूल में आज मेरा पहला दिन है। माँ मेरा हाथ पकड़े हुए हैं और मेरे साथ चल रही हैं।"
स्कूल का पहला दिन

"एक दिन पड़ोस की गाय गौरी ने पूछा, “भीमा तू उदास क्यों है?”"
भीमा गधा

"दूसरे दिन गौरी “माँ...माँ...” रंभाती रही पर भीमा नहीं जागा।"
भीमा गधा

"“हाँ... हाँ...” मोती बोला। अगले दिन मोती “भौं... भौं...” भौंकता रहा पर भीमा की नींद नहीं खुली।"
भीमा गधा

"“हाँ... हाँ... जरूर।” कालू बोला। अगले दिन कालू
 “काँव... काँव” करता रहा पर भीमा नहीं जागा।"
भीमा गधा

"अगले दिन सुबह-सुबह एक मक्खी उसकी नाक में जा बैठी।"
भीमा गधा

"एक दिन सब पिकनिक मनाने गये।"
सैर सपाटा

"छुट्टियों के दिन थे।"
नन्हे मददगार

"एक दिन गप्पू ने कहा,"
पहलवान जी और केला

"एक दिन सोना चाचा"
सोना की नाक बड़ी तेज

"सृंगेरी श्रीनिवास के लिए वह बहुत ख़ास दिन था - उसका सालाना बाल-कटाई दिवस।"
सालाना बाल-कटाई दिवस

"किसी तरह दिन काटा सारा।"
सबरंग

"जब नौका किनारे पर पहुँची, काटो जल्दी से जल्दी सबको अपने कारनामे के बारे में बता देना चाहता था। दिन की सारी घटनाओं के बाद, काटो का सिर नौका की तरह चक्कर खा रहा था। खाने की मेज़ पर जैसे ही उसने सिर रखा, उसकी आँखें बंद होने लगीं और वह गहरी नींद में डूब गया।"
नौका की सैर

"मैंने जानना चाहा कि नानी ने दिन भर में क्या-क्या किया?"
नानी की ऐनक

"एक दिन सारे जानवर एक साथ इकट्ठा हुए।"
जंगल का स्कूल

"एक दिन एक पेड़ की डाल पर बैठी वह अखरोट खा रही थी। अचानक उसकी निगाह अपनी ही पूँछ पर पड़ी।"
चुलबुल की पूँछ

"एक दिन दादाजी ने मेरे भाई और मुझे कुछ पैसे दिये।"
चलो किताबें खरीदने

"एक दिन वो सोना से बोली, "हम साथ-साथ स्कूल चलते हैं।" सोना तो फ़ौरन दूर भाग गई।"
कचरे का बादल

"फिर एक दिन अम्मा को बहुत गुस्सा आ गया, उसने कहा, "देखना अब यह कूड़ा हमेशा तुम्हारे साथ ही रहेगा!" चीकू हँसती रही।"
कचरे का बादल

"अगले दिन जब चीकू सो कर उठी तो चारों तरफ मक्खियाँ भिनभिना रही थी, हर तरफ बदबू ही बदबू थी।"
कचरे का बादल

"रीमा आंटी थैलियाँ उठाकर वहाँ से चली गई! अगले दिन जब चीकू सो कर उठी, तो बादल और भी छोटा हो गया था।चीकू मुस्कराई, वह समझ गई थी कि उसे क्या करना है।"
कचरे का बादल

"फिर एक दिन वो गायब हो गया।"
कचरे का बादल

"उस दिन भी यही सिलसिला चल रहा था। पर वह समाचार का आखिरी हिस्सा सुन पाई। उसे बहुत खुशी हुई कि कम से कम इतना तो सुनने को मिला।"
मछली ने समाचार सुने

"सभी को लगा कि दादा मछली ने अगर उस दिन वह समाचार न सुना होता तो यह दुर्घटना घट ही जाती।"
मछली ने समाचार सुने

"मुमताज़ के अब्बू के गुज़र जाने के बाद घर में पैसे की किल्लत रहने लगी थी। एक दिन आबिदा ख़ाला उसकी अम्मी से कहने लगीं कि मुहल्ले की औरतों को इकट्ठा करके कढ़ाई का काम शुरू करें।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने

"ईद के दिन भी दोनों दोस्त अपने पंछियों की उछल-कूद देख रहे थे। मुन्नु को लगा मुमताज़ आज बहुत उदास है, इतनी उदास कि कहीं वह रो ही न दे। “क्या बात है, आपा, आज इतनी गुमसुम क्यों हो? क्या हरदोई की याद आ रही है? क्या वहाँ तुम्हारे और भी पालतू पंछी हैं?”"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने

"“चिकनकारी तो हम पिछली तीन पुश्तों से करते आ रहे हैं। मैंने अपनी अम्मी से और अम्मी ने नानी से यह हुनर सीखा,” मुमताज़ बोली, “मेरी नानी लखनऊ के फ़तेहगंज इलाके की थीं। लखनऊ कटाव के काम और चिकनकारी के लिए मशहूर था। वे मुझे नवाबों और बेग़मों के किस्से, बारादरी (बारह दरवाज़ों वाला महल) की कहानियाँ, ग़ज़ल और शायरी की महफ़िलों के बारे में कितनी ही बातें सुनाया करतीं। और नानी के हाथ की बिरयानी, कबाब और सेवैंयाँ इतनी लज़ीज़ होती थीं कि सोचते ही मुँह में पानी आता है! मैंने उन्हें हमेशा चिकन की स़फेद चादर ओढ़े हुए देखा, और जानते हो, वह चादर अब भी मेरे पास है।” नानी के बारे में बात करते-करते मुमताज़ की आँखों में अजीब-सी चमक आ गई, “मैंने अपनी माँ को भी सबुह-शाम कढ़ाई करते ही देखा है, दिन भर सुई-तागे से कपड़ों पर तरह-तरह की कशीदाकारी बनाते।”"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने

"आज का दिन बड़ा ख़ास था। रज़ा ने अपने सबसे बढ़िया कपड़े पहने हुए थे। आज उसकी मुलाकात एक बड़ी आला हस्ती से होने वाली थी-बादशाह जलालुद्दीन अकबर से! मुग़ल सल्तनत के महान सम्राट!"
रज़ा और बादशाह

"सच कहूँ तो ख़ुद मैं भी यह बात जानना चाहता हूँ और मेरे मन में भी वही सवाल हैं जो लोग तुम्हारे बारे में मुझसे पूछते हैं। हाँ, मैंने पहले दिन ही, जब तुम कक्षा में आई थीं, गौर किया था कि तुम एक ही हाथ से सारे काम करती हो और तुम्हारा बायाँ हाथ कभी हिलता भी नहीं। पहले-पहल मुझे समझ में नहीं आया कि इसकी वजह क्या है। फिर, जब मैं और नजदीक आया, तब देखा कि कुछ है जो ठीक सा नहीं है। वह अजीब लग रहा था, जैसे तुम्हारे हाथ पर प्लास्टिक की परत चढ़ी हो। मैं समझा कि यह किसी किस्म का खिलौना हाथ होगा। मुझे बात समझने में कुछ समय लगा। इसके अलावा, खाने की छुट्टी के दौरान जो हुआ वह मुझसे छुपा नहीं था।"
थोड़ी सी मदद

"उस दिन खाने की छुट्टी के दौरान जो कुछ हुआ, मैं देख रहा था। आख़िर मैं भी सब कुछ जानना चाहता हूँ। क्या किसी का एक ही हाथ होना कोई अजीब बात है? सिर्फ़ तुम्हारा हाथ ही ऐसा है या फिर तुम्हारी पूरी बाँह ही नकली... माफ़ करना, प्रॉस्थेटिक है?"
थोड़ी सी मदद

"तुम्हारी बात सुनने के बाद, मैंने एक हाथ से बहुत सी चीजें करने की कोशिश की। लेकिन यह बहुत ही मुश्किल है! मुझे अभी तक यह समझ नहीं आया कि तुम नहाना, कपड़े पहनना, बैग संभालना जैसे काम ख़ुद ही कैसे कर लेती हो। उस दिन खाने की छुट्टी के बाद की बातचीत के बाद से मैंने महसूस किया कि तुम भले ही कुछ कामों को थोड़ा अलग ढँग से करती हो, लेकिन तुम भी वह सारे काम कर लेती हो जो बाकी सब लोग करते हैं।"
थोड़ी सी मदद

"फ़िल्म सच में बहुत ही बढ़िया थी, है न? मैं इतना हँसा कि मेरा पेट दुखने लगा और मेरे आँसू निकल आए। जब भी स्कूल में फ़िल्म दिखाई जाती है मुझे बहुत अच्छा लगता है। क्योंकि उस दिन पढ़ाई की छुट्टी।"
थोड़ी सी मदद

"रज़ाई फेंक के कल्लू ने बिस्तर छोड़ा। स्कूल देर से नहीं पहुँच सकता था वह! किसी हालत में नहीं। परसों मास्टर जी ने ऐसा धमकाया था कि एक दिन भी वह फिर देर से आया तो सज़ा ऐसी होगी कि वह याद रखेगा।उन्होंने तो यह भी कह डाला कि अगली कक्षा में नहीं चढ़ायेंगे। और इसके ऊपर से घंटों तक उसे कोने में कान पकड़ के खड़ा रहना पड़ा था।"
कल्लू कहानीबाज़

"अपने छोटे भाई की ओर देख के हाँफते हुए बोला, “शब्बो, सच तू कितना भाग्यवान है। पूरे महीने स्कूल से छुट्टी!”
 खिड़की के पास बैठा शब्बो अपने पलस्तर चढ़े पैर को देख के चिहुँका, “हाँ, बिल्कुल ठीक कहा भाईजान। पैर तोड़ने में बहुत ही मज़ा आता है। सारे दिन यहाँ बैठ के इतना बोर हो जाता हूँ सोचता हूँ अपने बाल नोच डालूँ जब आप दामू के साथ फ़ुटबॉल खेलते हो। ज़रूर, बहुत ही भाग्यवान हूँ मैं?”"
कल्लू कहानीबाज़

"तब हमने एक तरकीब अपनाई। हम दो दिन यहीं रुक कर लोगों से इसी बात पर चर्चा करने का सोच ही रहे थे कि तभी एक औरत पॉलिथीन में सब्ज़ी और फल के छिलके फेंकते हुए दिखी। हमने अपनी माँ से कहा कि वह उस औरत से बात करें जिस पर हमारी माँ ने सहमति दिखाते हुए कहा कि हम सब लोगों से बात करेंगे।"
पॉलिथीन बंद करो

"एक बार महान धावक मिल्खा सिंह ने ध्यान चंद से पूछा कि वे अपने खेल में इतने निपुण कैसे हैं। ध्यान चंद ने जवाब दिया कि वे एक खाली टायर को गोल से बाँध देते और पूरे दिन गेंद को उस टायर में से निकालते रहते। ध्यान चंद बहुत सारे गोल किया करते थे और आने वाले वर्षों में उन्होंने भारत के लिए बहुत से मैच और पदक जीते।"
ध्यान सिंह  'चंद'  : हॉकी के जादूगर

"दुर्भाग्य से तब तक भारत हॉकी की एक शक्ति से पतन की ओर अग्रसर था। वो विश् व कप शायद अंतिम महत्वपूर्ण टूर्नामेंट था जिसे भारत जीत पाया था। रिटायर्ड मेजर, जिसके पास इस खेल में विजय की इतनी गौरवशाली यादें थीं कभी इस बात को स्वीकार नहीं कर पाए कि जो खेल उनके दिल के इतने करीब था, उसमें उनकी टीम इतना संघर्ष कर रही थी। जब १९७६ के मांट्रियल ओलंपिक में भारतीय टीम छठे स्थान पर रही तब ध्यान चंद ने दर्द बयान करते हुए कहा, “कभी नहीं सोचा था कि ऐसा दिन भी देखना पड़ेगा।”"
ध्यान सिंह  'चंद'  : हॉकी के जादूगर

"एक दिन शिक्षक ने कुछ सवाल बोर्ड पर लिखे। सवाल आसान थे पर उबाऊ थे। बड़े सारे और सब एक जैसे। मोरू ने सवाल नहीं किये। उसका सवाल करने का मन नहीं कर रहा था और उसके पास स्लेट भी नहीं थी।"
मोरू एक पहेली

"अगले दिन सुबह माँ ने उसे स्कूल के समय पर जगाया। पर मोरू नहीं उठा। वह पतली सी चारपाई पर कस के आँखें मूँदे पड़ा रहा। अगले दिन भी वही किस्सा था और उससे अगले दिन और उससे भी अगले दिन। कोई भी मोरू को वापस स्कूल आने के लिये मना नहीं पाया। एक हफ़्ता गुज़रा और फिर एक महीना। मोरू अपने घर के बाहर दीवार पर बैठा रहता।"
मोरू एक पहेली

"एक दिन मोरू दीवार पर बैठा बच्चों को स्कूल जाते देख रहा था। अब उससे कोई नहीं पूछता था कि वह उनके साथ क्यों नहीं आता। बल्कि अब तो बच्चे उससे बचते थे क्योंकि वह डरते थे कि मोरू उन्हें परेशान करेगा। शिक्षक भी वहाँ से गुज़र रहे थे। मोरू ने उन्हें देखा। उन्होंने मोरू को देखा। न कोई मुस्कराया और न किसी ने भवें सिकोड़ीं।"
मोरू एक पहेली

"अगले दिन उसी समय और उसी जगह मोरू दीवार से नीचे देख रहा था। शिक्षक ने ऊपर देखा और हल्के से मुस्कराये। मोरू झट दीवार से नीचे कूद कर भाग गया।"
मोरू एक पहेली

"अगले दिन मोरू ने स्कूल छूटने का इन्तज़ार किया। जब सब बच्चे जा चुके थे और शिक्षक अकेले थे, मोरू चुपचाप अन्दर आया और दरवाज़े पर आ कर खड़ा हो गया। शोरोगुल और हँसी मज़ाक के बगैर स्कूल कुछ भुतहा सा लग रहा था। शिक्षक ने नज़र उठाई और बोले, “अच्छा हुआ जो तुम आ गये। मुझे तुम्हारी मदद चाहिये।” मोरू को अचरज हुआ। शिक्षक क्या मदद चाहते होंगे? उनके पास तो मदद के लिये स्कूल में बहुत से बच्चे थे। वे धीरे से बोले, “क्या तुम किताबों को छाँटने में मेरी मदद कर सकते हो?”"
मोरू एक पहेली

"अँधेरा हो चला था और स्कूल में बिजली नहीं थी। “अब तुम्हें घर जाना चाहिये मोरू, पर कल फिर आ सकते हो?” शिक्षक ने पूछा, “पर क्या उस समय आओगे जब बच्चे यहाँ हों?” अगले दिन स्कूल शुरू होने के कुछ देर बाद मोरू आया। बच्चे उसे देख कर हैरान थे और कुछ डरे भी। अब तक मोरू का मौहल्ले के अकड़ू दादाओं में शुमार होने लगा था। “अब मेरी मदद करने वाला कोई है,” शिक्षक ने कहा।"
मोरू एक पहेली

"राजा नल्लन अच्छे राजा थे। मगर हाल में, दिन के समय जागे रहना उनके लिए बड़ा मुश्किल हो रहा था। दिन भर राजदरबार में जम्हाईयाँ लेते रहते थे। इसीलिए लोगों ने उन्हें कोट्टवी राजा बुलाना शुरू किया, क्योंकि तमिल भाषा में जम्हाई को कोट्टवी कहते हैं।"
कोट्टवी राजा और उनींदा देश

"“सुजाता,” एक रात अपनी रानी को धीरे से जगाते हुए उन्होंने पूछा, “तुम दिन भर इतनी फुर्तीली और चौकन्ना कैसे रहती हो?”"
कोट्टवी राजा और उनींदा देश

"“हाँ, रात को सोना चाहिए, सही बात।” मगर कैसे? दिन भर उन्हें नींद आती रहती थी, शाम को सबसे ज़्यादा। मगर रात तक, वो एकदम चुस्त हो जाते थे, कोई सुस्ती नहीं!"
कोट्टवी राजा और उनींदा देश

"अगले दिन सभा में, कोट्टवी राजा ने पूछा, “मुख्य मंत्रीजी, आप क्या करते हैं जब आपको रात में नींद नहीं आती?”"
कोट्टवी राजा और उनींदा देश

"हर दिन इसी तरह कार्यक्रम चलता रहा। वक़्त के साथ, कोट्टवी राजा थोड़़ा और जल्दी सोने लगे। दो हफ्ते में, उन्होंने देखा कि दूसरे गिलास दूध के साथ ही उन्हें नींद आ जाती थी। उसके कुछ हफ्ते बाद, सैर के तुरंत बाद सोने लगे वो। एक महीने बाद, विदूषक की कहानी ने सुला दिया राजा को।"
कोट्टवी राजा और उनींदा देश

"मगर इधर रसोईए, संगीतकार, विदूषक, मालिश वाले और रानी का क्या हाल हुआ? वो रात भर सेवा में तत्पर रहे, उन्हें कभी यह नहीं पता होता था कि कब राजा जाग जाएँ और उन्हें बुला बैठें। और अब ये सब लोग दिन भर थके और चिड़़चिड़़े रहने लगे। वही हाल उनका भी था जो उनका इंतज़ार करते थे- रसोइए की बीवी, संगीतकार का बेटा, विदूषक का भाई, मालिश वाले के पिताजी, रानी की परिचारिका, परिचारिका का पति, पति का भाई, भाई का दोस्त, दोस्त के माँ - बाप... सारा शहर।"
कोट्टवी राजा और उनींदा देश

"राजा अपनी निद्राहीन प्रजा के लिए बहुत ही चिंतित हो उठे। अपने इस विस्तृत कार्यक्रम की सलाह तो हर किसी को वो दे नहीं सकते थे। उन्होंने अपने राजपुरोहित से सुझाव माँगा। उस बुद्दिमान इंसान को पता था कि यह एक जटिल समस्या है। “सभी से कहिए आज से पंद्रह दिन बाद नगर सभा में एकत्रित हों। सभी लोग गरम पानी से नहा कर, भोजन करके, सूर्यास्त पर हाज़िर हों। मैं सभी को आशीर्वाद देने के लिए निद्रा देवी को वहाँ बुलाऊँगा।”"
कोट्टवी राजा और उनींदा देश

"और उस दिन के बाद से, वो हर रात कोट्टवी राजा के देश में हर एक को अपना आशीर्वाद देती रहीं। सभी लोग चैन से रात में सोते रहे।"
कोट्टवी राजा और उनींदा देश

"ऊपर नीला आसमान और दूर तक सागर ठहरा - ठहरा, शांत... सुनसान! यही है गोताखोरी के लिए बेहतरीन दिन की पहचान! समुद्र की तली की अजब - गज़ब दुनिया की सैर को निकले छोड़ा किनारा! 'बोट' छोटी सही... साहसिक अभियान हमारा!"
गहरे सागर के अंदर!

"व्हाइटटिप रीफ़ शार्क का शरीर पतला और सिर चैड़ा होता है। पीठ और पूंछ वाले पंखों के सफ़ेद सिरे इनकी पहचान हैं। यह मछलियां रात को शिकार करती हैं और दिन भर सोती हैं।"
गहरे सागर के अंदर!

"एक गौरैया थी। एक दिन वह बाज़ार गई।"
गौरैया और अमरूद

"एक साल महानद सूखकर एक पतली सी धारा भर रह जाता तो दूसरे साल उसमें बाढ़ आ जाती। कभी उसके सैलाब में काफ़ी सारी रेत बह कर आ जाती, तो कभी उसकी धारा में तमाम रेत बह जाती। ज़ोरदार बारिश के दिन आए और चले गए। लेकिन जादव ने बाँस की रोपाई जारी रखी।"
जादव का जँगल

"सुबह नारँगी और दिन में नीला नज़र आने वाला आसमान कभी बैंगनी तो कभी गुलाबी नज़र आने लगा।"
जादव का जँगल

""तुम दोनों में से किसी एक को पड़ोसी राज्य जाना पड़ेगा। मेरा संदेश उन्हें देकर उनका जवाब लेकर एक दिन के अन्दर वापस आना होगा।""
कछुआ और खरगोश

"पड़ोसी राज्य पहुँचने का रास्ता बहुत कठिन था। काँटों और पत्थरों से भरा था। बीच में दो नदियाँ भी पड़ती थीं। चाहे कछुआ हो या खरगोश रास्ता आसानी से तय होने वाला नहीं था। और एक ही दिन में तो वह रास्ता तय करना असंभव ही था।"
कछुआ और खरगोश

"अगले दिन तड़के दोनों तैयार हो गये। राजा का संदेश लेकर दोनों निकल पड़े। खरगोश अपनी पीठ पर कछुए को बिठाकर तेज़ी से दौड़ा।"
कछुआ और खरगोश

"एक दिन दीदी मीमी के स्कूल आयीं।"
कहानियों का शहर

"एक दिन शर्माते हुए वह दीदी के पास गई और बोली, "क्या आपके पास थोड़ा सा समय है? क्या आप मुझे कहानी सुनायेंगी?""
कहानियों का शहर

"उसी दिन से मीमी और दीदी का वह भीड़ भरा शहर 'कहानियों का शहर’ कहलाता है।"
कहानियों का शहर

"एक दिन उसकी माँ ने काम के बीच उसकी बहन को घर पर रुकने के लिए बोला। तब लड़का बोला, "माँ, आज दीदी स्कूल क्यों नहीं जा रही है?" माँ ने जवाब दिया, "आज घर पर बहुत काम है इसलिए दीदी स्कूल नहीं जाएगी।" इस तरह कुछ दिन बीत गए।"
और दीदी स्कूल जाने लगी

"एक दिन फिर उस लड़के ने माँ से पूछा, "माँ, दीदी स्कूल क्यों नहीं जाती?" तब माँ ने कहा, "बेटा, तुम स्कूल जाओ, दीदी पढ़ कर क्या करेगी?" लड़का दुखी होकर स्कूल चला गया।"
और दीदी स्कूल जाने लगी

"एक दिन स्कूल में उसकी टीचर बोली, "बेटा, तुम रोज़ स्कूल आते हो लेकिन तुम्हारी दीदी क्यों नहीं आती?" उस लड़के ने टीचर को बताया कि माँ बोलती है कि दीदी पढ़ कर क्या करेगी? यह सुनकर उसकी टीचर बोली, “बेटा, अपनी माँ से कहना कि वह कल आकर मुझसे बात करें।”"
और दीदी स्कूल जाने लगी

"जब उस लड़के ने अपनी माँ को टीचर की बात बताई तब उसकी माँ ने कहा कि उनके पास स्कूल जाने का समय नहीं है। अगले दिन उस लड़के ने मैडम को सारी बात बताई। फिर उसकी टीचर उसके घर गई।"
और दीदी स्कूल जाने लगी

"“मीरा, मैं आज तुम्हारे स्कूल गयी थी!” अम्मा ने एक दिन कहा।"
अम्मा जब स्कूल गयीं

"एक दिन उसने देखा कि गोगो गोरिल्ला का पिंजड़ा खाली पड़ा था।"
कहाँ गया गोगो?