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Revision #2 (2022-03-14 10:38)
Nya Ξlimu
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Storybook paragraphs containing word (100)

"शिरीष जी ने शीशे में खुद को देखा तो उन्हें एक हीरो जैसा चेहरा दिखाई दिया। उनके दाँत बिलकुल स़फेद और शरीर चमक रहा था। जोश में चिल्लाकर उन्होंने कहा, “हमें और पानी पीना चाहिए!”"
उड़ने वाला ऑटो

"शिरीष जी फिर से काम में जुट गए थे। उस शहर के जाने पहचाने जादू 
के नशे में हर सिग्नल, हर साईन बोर्ड, हर मोड़ उनसे कुछ कह रहा था। 
बहुत जल्द उनका पुराना जाना पहचाना चेहरा फिर शीशे में दिखने लगा था। वह जानते थे कि उन्हें कहाँ जाना है। वह तो वहाँ पहुँच ही गये थे।
 उस औरत की साड़ी फिर से फीकी पड़ गई थी लेकिन उसका चेहरा चमक रहा था।
 वे ज़मीन पर पहुँच गए थे। अर्जुन के पहियों ने गर्म सड़क को छुआ। इंजन ने राहत की साँस ली..."
उड़ने वाला ऑटो

"बिलकुल मेरी तरह उन्हें भी इमारतें और मकान बनाना अच्छा लगता है।"
सबसे अच्छा घर

"मधुमक्खियाँ, ख़ासकर भौंरे, उड़ते हुए भन-भन की ज़ोरदार आवाज़ करते हैं। यह आवाज़ उनके पंखों के ऊपर-नीचे हिलने से होती है। जितने छोटे पंख होते हैं, उन्हें उतनी ही तेज़ी से हिलाना पड़ता है। और जितनी तेज़ी से पंख हिलते हैं, उतनी ही ज़ोर से आवाज़ होती है।"
मधुमक्खियाँ क्यों भन-भन करती हैं?

"हवाई जहाज़ बहुत बड़े और बहुत भारी होते हैं। उसके दोनों किनारे पर पक्षी की तरह ही पंख बने होते हैं, जो उन्हें उड़ने में मदद करते हैं। इन जहाजों के पंखों की बनावट ठीक पक्षियों के पंखों जैसी होती हैं। नीचे से सपाट और ऊपर से मुड़े हुए, जो उन्हें आसमान में बहुत ऊँचे तक उड़ने में मदद करते हैं।"
हवाई जहाज़ कैसे उड़ते हैं?

"इंजिन बहुत ही मज़बूत यंत्र है जो हवाई जहाज़ के दिमाग की तरह (तेज़) काम करती है। जिस तरह पक्षी अपना दिमाग लगाते हैं और सीखते हैं कि कैसे उड़ा जाय,वैसे ही इंजिन विमान को ज़मीन से ऊपर की ओर धकेलती है और उन्हें आगे बढ़ने में मदद करती है।"
हवाई जहाज़ कैसे उड़ते हैं?

"कार एवं अन्य वाहन भी इंजिन की सहायता से ही चलते हैं, मगर वे विमान की तरह आसमान में उड़ नहीं सकते। हवा विमान के उन पंखों के ऊपर और अंदर बहती है जो पक्षी के पंख जैसे होते है, इन्हीं के दबाव से विमान ऊपर उठते हैं और टिके रहते हैं। विमान की भी पूँछ होती हैं - बिलकुल चिड़िया की तरह, जो उन्हें हवा में टिकने और दिशा बदलने में मदद करती है।"
हवाई जहाज़ कैसे उड़ते हैं?

"विमान जानते हैं कि उन्हें कहाँ जाना है, क्योंकि विमानचालक उन्हें चलाते हैं। ये चालक विमान के अंदर, सामने की एक जगह, जिसे चालक स्थल (कॉकपिट) कहते हैं, से उन्हें नियंत्रित (कंट्रोल) करते हैं। वे बहुत ही सटीक और आधुनिक डिवाइसों के द्वारा हवाई अड्डों (एक जगह जहाँ हवाई जहाज़ उड़ान भरते और उतरते हैं) के संपर्क में रहते हैं। जिस तरह हमारी मदद के लिए सड़क पर सिग्नल और पुलिस होती है, वैसे ही वायु यातायात नियंत्रक (एयर ट्रैफिक कंट्रोलर) होते हैं जो विमान चालक को बताते हैं कि कब और किस ओर उड़ान भरनी है और कब उड़ान भरना या उतरना सुरक्षित रहेगा।"
हवाई जहाज़ कैसे उड़ते हैं?

"दोनों ने हैरानी से उन्हें देखा। भला रेलगाड़ी में सफर करके कोई गंदा होता है क्या?"
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?

""हाँ, के आर एस।" मुत्तज्जी ने बड़े प्यार से अज्जी को देखा और कहा, "तुम्हारी अज्जी मेरी पाँचवी संतान थी, सबसे छोटी, लेकिन सबसे ज़्यादा समझदार। तुम जानते हो बच्चों, मेरे बच्चे ख़ास समय के अंतर पर हुए। हर दूसरे मानसून के बाद एक, और जिस दिन तुम्हारी अज्जी को पैदा होना था, उस दिन तुम्हारे मुत्तज्जा का कहीं अता-पता ही नहीं था। बाद मेँ उन्होंने बताया कि वो उस दिन ग्वालिया टैंक मैदान में गांधीजी का भाषण सुनने चले गए थे। और उस दिन उन्हें ऐसा जोश आ गया था कि वह सारे दिन बस "भारत छोड़ो” के नारे लगाते रहे। बुद्धू कहीं के... नन्हीं सी बच्ची को दिन भर परेशान करते रहे।""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?

"गाँधी जी बड़े व्यस्त रहते थे। उन्हें अकेले पकड़ पाना आसान नहीं था। पर धनी को वह समय मालूम था जब उन्हें बात सुनने का समय होगा-रोज़ सुबह, वह आश्रम में पैदल घूमते थे।"
स्वतंत्रता की ओर

"2. दाँडी में गाँधी जी और उनके साथियों ने समुद्र तट से नमक उठाया और उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया। उनकी गिरफ़्तारी के बाद असहयोग आन्दोलन शुरू हुआ और पूरे भारत में लोगों ने स्कूल, कॉलेज व दफ़्तरों का बायकॉट किया।"
स्वतंत्रता की ओर

"साल 1870 का था। स्थान न्यू लंदन, कनेक्टिकट, यूनाइटेड स्टेट्स; सुबह सात बजे बच्चे बिस्तर से कूदे, उनकी माँओं ने उन्हें दाँत साफ़ करने की जल्दी मचाई, उनके हाथ में दातुन (टूथस्टिक) और टूथपेस्ट के मर्तबान दिए।"
टूथपेस्ट ट्यूब के अंदर कैसे आया?

"कुछ साल बाद, ल्यूसियस दंत विज्ञान की पढ़ाई के लिए पेरिस गया। वहाँ उन्होने कलाकार (पेंटर) को धातु की ट्यूब दबाकर उससे पेंट की थोड़ी मात्रा निकाल, पेंट-ब्रश पर लगाते देखा। क्यों न हम इसी तरह के ट्यूब का उपयोग टूथपेस्ट रखने के लिए करें! वह घर आया और अपना सुझाव पिता के सामने रखा। उन्हें भी यह सुझाव बहुत पसंद आया।"
टूथपेस्ट ट्यूब के अंदर कैसे आया?

"टूका, पोई और इंजी, एक साथ टहलते हुए, सिर झुकाए, चमकती सड़क और उसके किनारों में, घास में और काई से ढकी चट्टानों पर कुछ मज़ेदार चीजों को ढूंढने में लगे रहते हैं। लेकिन उन्हें सबसे ज़्यादा मज़ा बीजों को इकट्ठा करने में आता है।"
आओ, बीज बटोरें!

"तभी अचानक उन्हें एक धीमी सी, किकियाती आवाज़ सुनाई द‍ी – “हैलो....!”"
आओ, बीज बटोरें!

"टूका और पोई ने एक-दूसरे को हैरानी से देखा। उन्हें आस-पास कोई नहीं दिखाई दे रहा था। तभी उन्हें दुबारा वह आवाज सुनाई दी, "यहां ऊपर देखो, ऊपर.....।” टूका और पोई ने ऊपर-नीचे, अपने आस-पास, चारों ओर देखा, लेकिन उन्हें कोई भी नहीं दिखा।"
आओ, बीज बटोरें!

"“यह देख गिलहरियाँ मदद के लिए चिल्लाने लगीं। तुम्हें उन्हें सुनना चाहिए था! "
तारा की गगनचुंबी यात्रा

"वह उन्हें खुश करने और वो फिर से गाने लगें उसका तरीका ढूँढने की कोशिश करता है।"
बंटी और उसके गाते हुए पक्षी

"बंटी और उसके पिता पक्षियों को जंगल में ले जाते हैं और उन्हें मुक्त करते हैं।"
बंटी और उसके गाते हुए पक्षी

""वह महिला अफ़सर सुरक्षा जाँच टीम की सदस्य है। उन्हें इस बात का ध्यान रखना होता है कि कोई भी यात्री अपने सामान में विस्फोटक या चाक़ू जैसी ख़तरनाक चीज़ें न ले जा पाए। हमें उनके काम में बाधा नहीं डालनी चाहिए।""
राजू की पहली हवाई-यात्रा

"पशु मुझे उन्हें सजाने के लिए चाहते हैं।"
ग़ोलू एक ग़ोल कि कहानी

"- जो लोग परवेज़ से धीरे से बात करते हैं, वह उन्हें बेहतर समझ पाता है, और ख़ास तौर से जब वे उसकी तरफ देखकर बात कर रहे हों। परवेज़ ठीक से सुन नहीं सकता है, पर वो देख, सूँघ, समझ और सीख सकता है, वह महसूस कर सकता है, और पकड़म-पकड़ाई खेल सकता है।"
कोयल का गला हुआ खराब

"हमारी ही तरह वह भी ज़्यादातर बढ़िया खाने और रहने की आरामदेह जगह या प्यार करने वाले परिवार की तलाश में एक से दूसरी जगह घूमते-फिरते हैं। कभी-कभी वे अपने उन दुश्मनों से बचने के लिए भी घूमते-फिरते हैं जो उन्हें पकड़ कर खा सकते हैं।"
सत्यम, ज़रा संभल के!

"कई-कई घंटे उन्हें सेंकती रहती।"
कुत्ते के अंडे

"एक दिन उन्हें दीदी का पता किताब में मिल गया। बच्चे तुरंत दीदी की खोज में निकल पड़े। साथ में किताबों का थैला उठाना नहीं भूले। खोजते खोजते बच्चों ने एक बस का नंबर पढ़ लिया। चलते चलते उस सड़क का नाम समझ लिया। क्योंकि दीदी ने उन्हें सब सिखाया था।"
दीदी का रंग बिरंगा खज़ाना

"किताबों का थैला उन्हें दिखाया। बच्चो ने कुछ पढ़ कर सुनाया।"
दीदी का रंग बिरंगा खज़ाना

"लेकिन वह ज़रा भी ख़ुश नहीं है। उसका परिवार कोलकाता से दिल्ली जा रहा है, क्योंकि उन्हें अब वहीं रहना है।"
एक सफ़र, एक खेल

"मुनिया को यह अहसास हमेशा सताता रहता कि गजपक्षी को पता है कि मुनिया कहीं आसपास है, क्योंकि वह अक्सर उस पेड़ की दिशा में देखता जिसके पीछे वह छुपी होती। हर सुबह मुनिया गाँव के कुएँ से तीन मटके पानी भर लाती और लकड़ियाँ ले आती ताकि उसकी अम्मा चूल्हा फूँक सकें। इसके बाद वह हँसते-खेलते अपनी झोंपड़ी से बाहर चली जाती। अम्मा समझतीं कि वह गाँव के बच्चों के साथ खेलने जा रही है। उन्हें यह पता न था कि मुनिया जंगल में उस झील पर जाती है जहाँ वह विशालकाय एक-पंख गजपक्षी रहता था।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"अधनिया एक छोटा, अलग-थलग गाँव था जिसमें हर कोई हर किसी को जानता था। गाँव में तो कोई चोर हो नहीं सकता था। दूधवाले ने कसम खाकर कहा था कि उसने नटखट को झील की ओर चौकड़ी भरकर जाते हुए देखा है। लेकिन वह इस बात का खुलासा न कर पाया कि आखिर नटखट बाड़े से कैसे छूट कर निकल भागा था। दिन में बारिश होने के चलते नटखट के खुरों के सारे निशान भी मिट चले थे और उन्हें देख पाना मुमकिन न था।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"गजानन ने कहा, " गुरूजी! मेरे बाल उड़ गए हैं. उन्हें उगाने का उपाए बताइए.""
कहानी- गजानन गंजे

"अंदर उन्हें बुलाओ ना"
सबरंग

"हाल के बाहर मौसी उन्हें मिलने आयीं।"
संगीत की दुनिया

"काटो का मन हुआ, वह उचककर उन्हें छू ले। और इस चक्कर में वह पानी में जा गिरा। गिरते-गिरते काटो ने कुछ मछलियों को उसका रास्ता काटते हुए देखा। “मुझे बचाओ, बचाओ मुझे,” पानी की लम्बी घूँटें लेते हुए उसने उन्हें पुकारा।"
नौका की सैर

"काटो ठंड से काँपते हुए धूप में अपने को सुखाने की कोशिश कर रहा था। पास में विक्की चुपचाप बैठा हुआ था। जब काटो के बाल थोड़ा सूख गये और शरीर में थोड़ी गर्मी आ गयी, वह बोल उठा, “कितना मज़ा आया! जब मेरे साथी इस किस्से को सुनेंगे तो उन्हें विश्‍वास ही नहीं होगा।” काटो को लग रहा था मानो वह एक बहुत बड़ा हीरो और जहाज़ का जाँबाज़ कप्तान बन गया हो!"
नौका की सैर

""मैं कहाँ ढूँढू, मैंने उसे कहाँ रख दिया?" वह हमेशा कहती रहतीं। अपनी ऐनक के बिना, वह ऐनक नहीं ढूँढ़ सकतीं। इसलिए उन्हें मेरी ज़रूरत है, उनकी आँखें बनकर उनकी आँखें ढूँढ़ने के लिए!"
नानी की ऐनक

"पशु पक्षी भी बारिश में आनंदित होते हैं क्योंकि उन्हें पीने और बढ़ने को बहुत पानी मिल जाता है।"
बारिश हो रही छमा छम

"तभी उन्हें एक दहाड़ सुनाई दी।"
जंगल का स्कूल

"मेरे पापा उन्हें ढूँढने लगते हैं। मेरे दादाजी भी ढूँढने लगते हैं। मेरी मम्मी परेशान लग रही हैं। लेकिन दादीजी मुस्करा रही हैं। “वह देखो,” दादी कहती हैं। छोटे चाचा दौड़ते हुए हमारी ओर आ रहे हैं।"
चाचा की शादी

"अनु को अपने पापा की बहुत सी चीज़ें अच्छी लगती हैं। उनकी लटकने वाली चमचम चमकतीं लालटेनें, उनके तले प्याज़ के करारे-करारे पकौड़े, काग़ज़ से जो प्यारे-प्यारे कछुए वे बनाते हैं, अनु को सब अच्छे लगते हैं। यही नहीं, सीढ़ियाँ भी वे उचक-उचक कर चढ़ते हैं। और फिर मामा से उनकी वे कुश्तियाँ, जो वे मज़े लेने के लिए आपस में लड़ते हैं। मेहमानों के आने पर, वे हमेशा उन्हें हँसाते रहते हैं!"
पापा की मूँछें

"हर सुबह, जैसे ही उसके पापा दाढ़ी बनाना शुरू करते हैं, अनु भी उनके पास आकर बैठ जाती है। बड़े ध्यान से उन्हें दाढ़ी बनाते हुए देखती है। उसके पापा अपनी दो उँगलियों में एक छुटकू-सी कैंची पकड़े, कच-कच-कच... अपनी मूँछों को तराशने में जुट जाते हैं।
 और अनु है कि कहती जाती है, “थोड़ा बाएँ... अब थोड़ा-सा दाएँ... पापा नहीं ना! आप अपनी मूँछों को और छोटा मत कीजिए!
 आप ऐसा करेंगे तो मैं आपसे कट्टी हो जाऊँगी!”"
पापा की मूँछें

"ये मोटी-मोटी मूँछ है उनकी! मूँछें काढ़ने के लिए उन्हें एक अच्छे-खासे मोटे कंघे की ज़रूरत पड़ती है।"
पापा की मूँछें

"तुती के पापा टेनिस बहुत अच्छी खेलते हैं। लेकिन सच में, उन्हें तो एक पहलवान होना चाहिये था।"
पापा की मूँछें

"जब एक चौकीदार ने उन्हें रोका, चीनू नीचे कूदा। एक खाली बोरी लेकर वह अपने पिता जी के साथ गया। आज उन्हें जो भी सामान मिलेगा वह इस बोरी में भरा जायेगा।"
कबाड़ी वाला

"जहाँ वह उन्हें देख सकता था।"
कबाड़ी वाला

"“शुक्रिया पिता जी!” चीनू बोला उसके बाद, रात को खाने के लिए उन्हें उसे तीन बार बुलाना पड़ा!"
कबाड़ी वाला

"मगर चन्दू ने अपने आप उन्हें बता दिया, “अब तो बहुत ही अच्छा लग रहा है।”"
उड़ते उड़ते

"‘कोलाज’ शब्द फ़्रेंच शब्द ‘कोले’ से बना है जिसका अर्थ है- चिपकाना। एक कोलाज बनाने के लिए अलग-अलग चीज़ों, उन्हें काटने के लिए कैंची और फिर उन्हें चिपकाने के लिए ढेर सारे गोंद की ज़रूरत होती है।"
काका और मुन्नी

"खुद बारिश में भीगा करता, पर, यह उन्हें बचाता।"
ऊँट चला, भई! ऊँट चला

"उनके अब्बू ठेकेदारी करते थे। चौक के थोक का सामान रखने वाले दुकानदार उन्हें कपड़ा देते थे और अब्बू घर पर ही कढ़ाई का काम करने वाली औरतों से उस कपड़े पर चिकनकारी करवाते थे। दुकानदार हर औरत को कढ़ाई के हर कपड़े का पैसा देता था। अब्बू भी कपड़े के हिसाब से आढ़त पाते थे।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने

"चाय के दौर चलते तो साथ ही चटपटी इधर-उधर की खूब गपशप भी होती लेकिन काम बराबर चलता रहता। शाम होती तो सब औरतें अपना काम समेटतीं और घर को रवाना होतीं। उन्हें अपने-अपने परिवार का खाना भी तो तैयार करना होता था।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने

"“चिकनकारी तो हम पिछली तीन पुश्तों से करते आ रहे हैं। मैंने अपनी अम्मी से और अम्मी ने नानी से यह हुनर सीखा,” मुमताज़ बोली, “मेरी नानी लखनऊ के फ़तेहगंज इलाके की थीं। लखनऊ कटाव के काम और चिकनकारी के लिए मशहूर था। वे मुझे नवाबों और बेग़मों के किस्से, बारादरी (बारह दरवाज़ों वाला महल) की कहानियाँ, ग़ज़ल और शायरी की महफ़िलों के बारे में कितनी ही बातें सुनाया करतीं। और नानी के हाथ की बिरयानी, कबाब और सेवैंयाँ इतनी लज़ीज़ होती थीं कि सोचते ही मुँह में पानी आता है! मैंने उन्हें हमेशा चिकन की स़फेद चादर ओढ़े हुए देखा, और जानते हो, वह चादर अब भी मेरे पास है।” नानी के बारे में बात करते-करते मुमताज़ की आँखों में अजीब-सी चमक आ गई, “मैंने अपनी माँ को भी सबुह-शाम कढ़ाई करते ही देखा है, दिन भर सुई-तागे से कपड़ों पर तरह-तरह की कशीदाकारी बनाते।”"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने

"अम्मी को पढ़ना-लिखना नहीं आता। वह तो यह भी नहीं जानती थीं कि व्यापारी को उनके काम का मेहनताना कितना देना चाहिए। पहले तो मैंने उन्हें थोड़ा हिसाब करना, गिनना सिखाया। लेकिन फिर हमें रुपयों की ज़रूरत पड़ने लगी। तब मैंने भी यही काम पकड़ लिया।” मुमताज़ बहुत हौले से, कुछ रुक कर बोली, “कभी-कभी तो अम्मी की इतनी याद आती है कि मैं रात-रात भर रोया करती हूँ।”"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने

"ईनाम के जलसे में कमरु और मेहरु ने देखा कि सब मुमताज़ को कितनी इज़्जत दे रहे थे। कुछ-एक ने तो उन्हें भी ऐसी हुनर वाली लड़की की बहनें होने की बधाई दी।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने

"आज सुबह रज़ा और उसके अब्बा, फ़तेहपुर सीकरी के महल जा रहे थे। बादशाह के गर्मी के मौसम के अंगरखे उन्हें दिखलाने थे। कपड़ों के मामले में राजा साहब काफ़ी नखरैले थे। रहमत खान ने बड़ी मेहनत से अंगरखे बनाये थे-देर रात तक कटाई और सिलाई करी थी। रज़ा ने भी उनका हाथ बँटाया था-सबसे बारीक सुईं और बेहतरीन रेशम के धागे से महीन टाँके लगाये थे।"
रज़ा और बादशाह

"वह साँस रोके खड़ा रहा। उसने देखा कि धनी सिंह मुस्करा रहे हैं-शायद उन्हें यह देख कर हँसी आ रही थी कि राजा साहब ने उनकी पगड़ी का पटका बना दिया था!"
रज़ा और बादशाह

"आज मेरी बड़ी दीदी का फोन आया। वह दिल्ली में इँजीनियरिंग की पढ़ाई कर रही हैं। मैंने उन्हें बताया कि हमारी कक्षा में एक लड़की है और उसका एक हाथ नकली है। दीदी ने बताया कि उसे 'प्रॉस्थेटिक हैंड’ कहते हैं।"
थोड़ी सी मदद

"पता नहीं इसका क्या मतलब है, लेकिन वे बहुत परेशान दिखते हैं। तुमने उनके बाल देखे हैं? वह ऐसे लगते हैं जैसे उन्होंने बिजली का नँगा तार छू लिया हो और उन्हें करारा झटका लगा हो! वैसे, मुझे लगता है कि रानी ने उनकी कुर्सी पर मेंढक रख कर अच्छा नहीं किया।"
थोड़ी सी मदद

"आप ज़रा शर्मीले लेकिन दयालु हैं। आप दूसरों की मदद करने और उन्हें सहज अनुभव करवाने के लिए जो भी कर सकते हैं जरूर करेंगे। लेकिन बिना किसी तरह का दिखावा किए।"
थोड़ी सी मदद

"पिछले महीने वे पास के शहर में कल्लू की कक्षा को कमप्यूटर की प्रदर्शनी में ले गये थे। क्या मशीनें थीं! वाह! वहाँ के दुकानदार ने उन्हें सही तरह से "‘माउस"’ का इस्तेमाल सिखाया था और इन्टरनेट पर जाने का तरीका भी। वह तो बिल्कुल जादू के जैसा था। अब कल्लू और दामू भी माउस की जादूगरी सीखना चाहते थे कि वे भी कमप्यूटर की स्क्रीन पर ’ "ज़िप-ज़ैप’" दौड़ सकें।"
कल्लू कहानीबाज़

"भागते कल्लू के पास जवाब देने की फुर्सत कहाँ थी? धरमपाल चाचा को मज़ाक सूझता रहता है, बड़बड़ाते कल्लू ने कदम ताल न तोड़ी। यहाँ कल्लू की जान पर बन आई थी और उन्हें अपने पकोड़ों से फुर्सत नहीं। और कल्लू की स्कूल की देरी में हँसने वाली कौन सी बात थी? वह तो हर हफ़्ते की कहानी थी!"
कल्लू कहानीबाज़

"कल्लू भागता रहा। मन ही मन उसने सोचा, पूरा गाँव मेरे खिलाफ़ है, दिमाग का पेंच ढीला बदरी भी। मुझ गरीब का मज़ाक बनाने में उन्हें मज़ा आता है। फिर उसे झटके से याद आया कहानी-बहाने की समस्या तो अभी वैसी ही बनी हुई थी। विकराल और हल-विहीन। अम्मी बीमार थी और उसे नाश्ता बनाना था। नहीं। दो बार इस्तेमाल कर चुका था। इस बार नहीं चलेगा।"
कल्लू कहानीबाज़

"दामू के घर से गुज़रते उसने देखा उसका सबसे प्यारा दोस्त और उसकी बहन सरु, आँगन में चारपाई पर बैठे नाश्ता खा रहे थे। हा! उन्हें भी देर हो गई थी, कल्लू ने विजयी भाव से सोचा और अभी तो वे खा रहे थे इसलिये मेरे बाद ही पहुँचेंगे। शायद मास्टर जी उन पर गुस्सा दिखाने में मुझे भूल ही जायें?"
कल्लू कहानीबाज़

"फिर उन्होंने पूछा कि पॉलिथीन से और क्या होता है। तब हमने उन्हें बताया कि पॉलिथीन अगर उपजाऊ जगह पर प्रयोग किया जाए तो वह खराब हो सकती है, जैसे गेहूँ के पौधे के ऊपर यदि पॉलिथीन रखते हैं तो पौधा ठीक से नहीं उगेगा।"
पॉलिथीन बंद करो

"यह सब मैंने अपने गाँव में सीखा था। आज मेरे गाँव में किसी को न टी बी है न ही साँस लेने में दिक्कत क्योंकि मेरा गाँव एक पॉलिथीन मुक्त गाँव है। हम सब अन्य गाँव में उन्हें भी पॉलिथीन मुक्त बनाने के लिए एक ही नारा लगाते हैं – "पॉलिथीन बंद करो जीवन की शुरुआत करो।""
पॉलिथीन बंद करो

"यह सुनकर पास बैठे एक अंग्रेज़ अधिकारी ने उनको डाँट दिया और कहा कि गप्प नहीं हाँकनी चाहिये, लेकिन साथ ही उन्हें खेलने का एक अवसर भी दिया। अपनी कही बात का पालन करते हुए उन्होंने चार गोल किये।"
ध्यान सिंह  'चंद'  : हॉकी के जादूगर

"क्योंकि वे अपना खेल शुरु करने से पहले चाँद उगने का इंतजार किया करते थे, सेना में उनके साथी उन्हें चाँद कहा करते थे और यह नाम उनके साथ बरकरार रह गया। वो ध्यान चंद थे, जो चाँदनी रात में अपने हुनर को निखारते रहते थे।"
ध्यान सिंह  'चंद'  : हॉकी के जादूगर

"सेना में अपनी सेवा के दौरान समे वर का हमेशा स्थानांतरण होता रहा, इसलिए समे वर दत्त कभी भी अपने बच्चों के लिए निर्बाध शिक्षा को सुनिश्चत नहीं कर सके। अंत में जब सरकार ने उन्हें झाँसी में अपना मकान बनाने के लिए कुछ ज़मीन दी, तभी उनके जीवन में कुछ ठहराव आया। लेकिन तब तक ध्यान छह साल तक पढ़ कर स्कूल छोड़ चुके थे।"
ध्यान सिंह  'चंद'  : हॉकी के जादूगर

"१९२० के दशक के मध्य में वे एक उभरते हुए हॉकी खिलाड़ी थे। उस दौरान उन्होंने सेना की टीम के साथ न्यूज़ीलैंड का दौरा भी किया, और अपनी टीम को २१ में से १८ मैच जीतने में सहयोग किया। स्वाभाविक रूप से उन्हें १९२८ में भारतीय टीम में चुन लिया गया जो एम्सटर्डम ओलंपिक जाने वाली थी।"
ध्यान सिंह  'चंद'  : हॉकी के जादूगर

"ध्यान चंद १९५६ में सेना से मेजर के पद से रिटायर हुए। उस साल उन्हें पद्‌म भूषण के सम्मान से नवाज़ा गया। इसके बाद उनको पटियाला में नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ स्पोर्ट्स में चीफ़ हॉकी कोच के पद पर नियुक्त किया गया।"
ध्यान सिंह  'चंद'  : हॉकी के जादूगर

"मोरू को लगता था कि शिक्षक को बच्चे बिलकुल अच्छे नहीं लगते थे। शायद उन्हें शिक्षक होना भी पसंद नहीं था और स्कूल आना भी अच्छा नहीं लगता था। यूँ बच्चे भी शिक्षक को पसंद नहीं करते थे।"
मोरू एक पहेली

"रोज़ सुबह शिक्षक बोर्ड पर कुछ लिख देते थे। उसके बाद ऊँची आवाज़ में सब बच्चों को अपनी स्लेटों पर उसे उतारने का आदेश देते। फिर वह बाहर चले जाते। अगर लड़के बोर्ड पर लिखी चीज़ों की नकल अच्छे से करते तो वह उन पर नज़र डाल लेते। अगर वह ऐसा नहीं कर पाते तो वह नाराज़ हो जाते। जब वह गुस्से में होते तो बच्चों को बुरा भला कहते। और जब गुस्सा और बढ़ जाता तो वह उन्हें मारते थे।"
मोरू एक पहेली

"एक दिन मोरू दीवार पर बैठा बच्चों को स्कूल जाते देख रहा था। अब उससे कोई नहीं पूछता था कि वह उनके साथ क्यों नहीं आता। बल्कि अब तो बच्चे उससे बचते थे क्योंकि वह डरते थे कि मोरू उन्हें परेशान करेगा। शिक्षक भी वहाँ से गुज़र रहे थे। मोरू ने उन्हें देखा। उन्होंने मोरू को देखा। न कोई मुस्कराया और न किसी ने भवें सिकोड़ीं।"
मोरू एक पहेली

"“क्या तुम इन्हें बाहर निकालने में मेरी मदद करोगे?” शिक्षक ने पूछा। मोरू ने किताबें बाहर निकालना शुरू किया। कुछ कहानियों की किताबें थीं जिनके आवरण पर तस्वीरें बनी थीं। कुछ में बड़े अक्षर थे। कुछ में इतने शब्द थे कि मालूम होता था उन्हें पन्नों में दबा के बैठाया गया हो। मोरू रोमांचित हो उठा। उसने दो साल से किसी किताब को हाथ नहीं लगाया था।"
मोरू एक पहेली

"मोरू ज़मीन पर बैठ गया। किताबें उसके चारों तरफ़ फैली थीं। इतनी सारी कहानी की किताबें थीं। उसने जानवरों की कहानियों वाली एक साथ रखीं। तेंदुए की कहानी हाथी और ऊँटों वाली कहानी के साथ ज़्यादा अच्छी रहेगी। परी कथाएँ देवी-देवताओं की कहानियों के साथ रह सकती हैं। रहस्य कथाएँ अकेली रहेंगी। या शायद उन्हें नायकों और मशहूर व्यक्तियों की कहानियों के साथ रखना चाहिये?"
मोरू एक पहेली

"उन्होंने मोरू को छोटे बच्चों के साथ लगाया। कुछ किताबें थीं जिनमें बच्चों को लिखना था। वे बोले, “इन अंकों को आरोही और अवरोही क्रम में लगाने के लिये इन बच्चों की मदद करो।” छोटे बच्चे मोरू के आसपास जमघट लगाने लगे। उन्हें आश्‍चर्य हो रहा था कि मोरू जैसे अक्खड़ को इतना कुछ आता था।"
मोरू एक पहेली

"मोरू ने उन्हें कतार में खड़ा करवाया - सबसे छोटे बच्चे एक छोर पर और लम्बे वाले दूसरे छोर पर। उसने उन्हें हाथों में अंक पकड़ाए। अब सब आसान हो गया। जैसे छोटे और लम्बे बच्चों के साथ हुआ कि किसे कहाँ खड़ा होना था वैसे ही अंकों के साथ करना था।"
मोरू एक पहेली

"वह बाज़ार तक गईं पर सभी सब्ज़ीवाले आराम से अपनी सब्ज़ियाँ बेच रहे थे। आज उन्हें सताने वाला लड़कों का गुट कहीं नहीं था। अन्त में वह गली पार कर रही थीं तो उनकी नज़र अनायास ही स्कूल की खिड़की पर टिक गई।"
मोरू एक पहेली

"कल रात उन्हें नींद नहीं आई थी और न उसकी पिछली रात। न ही उससे पहले कुछ तीस रात। उन्होंने ध्यान लगाने की कोशिश की। मगर वाक्य अस्पष्ट हो रहे थे!"
कोट्टवी राजा और उनींदा देश

"राजा नल्लन अच्छे राजा थे। मगर हाल में, दिन के समय जागे रहना उनके लिए बड़ा मुश्किल हो रहा था। दिन भर राजदरबार में जम्हाईयाँ लेते रहते थे। इसीलिए लोगों ने उन्हें कोट्टवी राजा बुलाना शुरू किया, क्योंकि तमिल भाषा में जम्हाई को कोट्टवी कहते हैं।"
कोट्टवी राजा और उनींदा देश

"“हाँ, रात को सोना चाहिए, सही बात।” मगर कैसे? दिन भर उन्हें नींद आती रहती थी, शाम को सबसे ज़्यादा। मगर रात तक, वो एकदम चुस्त हो जाते थे, कोई सुस्ती नहीं!"
कोट्टवी राजा और उनींदा देश

"राजा की नज़र मुख्य मंत्रीजी की तोंद पर पड़ी। उन्हें पूरा यकीन आ गया।"
कोट्टवी राजा और उनींदा देश

"जब तक उन्होंने खाना ख़त्म किया, ग्यारह बजने वाले थे। मगर, पुरानी आदतों को तोड़़ना आसान नहीं होता - उन्हें अब भी नींद नहीं आ रही थी।"
कोट्टवी राजा और उनींदा देश

"बिस्तर पर करवट बदलते बदलते वो परेशान हो गए और मुख्य मंत्री पर उन्हें बड़़ा ही गुस्सा आया। निद्रा देवी अब भी लापता थीं! उन्हें लगा, शायद उन्होंने भरपेट न खाया हो।"
कोट्टवी राजा और उनींदा देश

"दोबारा संगीत शुरू हुआ। मगर एक के बाद एक, सभी उनिंदा कलाकार स्वर से हटते गए और गलत धुन बजाते रहे। बेसुरों की भरमार थी। निद्रा देवी उन्हें सुनते ही वहाँ से भाग निकलीं! और राजा फिर पूरी तरह जागे हुए, बहुत नाराज़ हुए।"
कोट्टवी राजा और उनींदा देश

"राजा लौट कर लेट गए, चारों और एक स्वप्निल चुप्पी छाई हुई थी। अचानक उन्हें एक गड़़गड़़ाहट सी सुनाई दी। उनके पेट से।"
कोट्टवी राजा और उनींदा देश

"संगीत, कहानी, मंद हवा और सैर-इन सबके चलते उन्हें भूख लग गई थी!"
कोट्टवी राजा और उनींदा देश

"हर दिन इसी तरह कार्यक्रम चलता रहा। वक़्त के साथ, कोट्टवी राजा थोड़़ा और जल्दी सोने लगे। दो हफ्ते में, उन्होंने देखा कि दूसरे गिलास दूध के साथ ही उन्हें नींद आ जाती थी। उसके कुछ हफ्ते बाद, सैर के तुरंत बाद सोने लगे वो। एक महीने बाद, विदूषक की कहानी ने सुला दिया राजा को।"
कोट्टवी राजा और उनींदा देश

"मगर इधर रसोईए, संगीतकार, विदूषक, मालिश वाले और रानी का क्या हाल हुआ? वो रात भर सेवा में तत्पर रहे, उन्हें कभी यह नहीं पता होता था कि कब राजा जाग जाएँ और उन्हें बुला बैठें। और अब ये सब लोग दिन भर थके और चिड़़चिड़़े रहने लगे। वही हाल उनका भी था जो उनका इंतज़ार करते थे- रसोइए की बीवी, संगीतकार का बेटा, विदूषक का भाई, मालिश वाले के पिताजी, रानी की परिचारिका, परिचारिका का पति, पति का भाई, भाई का दोस्त, दोस्त के माँ - बाप... सारा शहर।"
कोट्टवी राजा और उनींदा देश

"समुद्र की तली में हमें व्हाइटटिप रीफ़ शार्क का जोड़ा भी आराम करते हुए मिला। ये मछलियां बड़ी ज़रूर होती हैं, लेकिन ख़तरनाक नहीं, इसलिए हम उन्हें ठीक से देखने के लिए उनके काफ़ी पास तक जा पहुंचे।"
गहरे सागर के अंदर!

"प्लैंक्टन अनेक समुद्री जीवों के लिए भोजन का मुख्य स्रोत है। कई किस्म की काई जैसी वनस्पतियां, जीवाणु, दूसरे सूक्ष्म जीव और बड़े समुद्री जीवों के अंडे - लार्वे जो पानी की धाराओं में बहते रहते हैं, उन्हें ही प्लैंक्टन कहते हैं।"
गहरे सागर के अंदर!

"हमेशा साथ रहते हैं - जैसे बने हों एक दूजे के लिए! क्लाउनफ़िश सी अनैमॉनी के लहराते हुए डंक साफ़ रखने का काम करने के साथ दूसरी मछलियों को उनकी ओर खदेड़ने की कोशिश करती रहती हैं, ताकि अनैमॉनी उन मछलियों का शिकार कर सकें। सी अनैमॉनी भी क्लाउनफ़िश से बख़ूबी दोस्ती निभाते हैं... उन्हें डंक नहीं मारते, और छुपने की जगह देकर दुश्मन से बचाते हैं।"
गहरे सागर के अंदर!

"यह साँप सामान्य, स्वस्थ साँपों की तरह सरसरा और लहरा नहीं रहे थे। जादव उनके बीच पहुँचे तो भी न तो उन्होंने फुफकारा, न वहां से भागे और न ही उन्हें काटने की कोशिश की। वह तो बस रस्सियों की तरह थके-हारे, अलसाये से पड़े रहे।"
जादव का जँगल

"बाँस के अँखुए लेकर जादव उस बँजर रेतीली जगह पर पहुँचे और उन्हें जगह-जगह रोपने लगे। गर्म मौसम में यह बहुत कठिन काम था और उन्हें इसमें कई बरस लग गये।"
जादव का जँगल

"जब जादव ने देखा कि साँप आ गए हैं, तो उनका जी भर आया। वह धम्म से ज़मीन पर बैठ गए और ख़ुशी के आँसू उनकी आँखों से बह निकले। ख़ुशी के मारे उन्हें साँपों के काटने का भी डर नहीं रहा।"
जादव का जँगल

"चलते-चलते उन्हें जहाँ कहीं बिना-पेड़ों-वाली-जगह मिलती, वह वहाँ बीज बोते जाते।"
जादव का जँगल

"अगले तीन दशकों में जादव ने पेड़ लगा-लगा कर बंजर ज़मीन की सूरत और सीरत बदल डाली। नदी की धारा में साढ़े पाँच सौ हैक्टेयर का रेतीला टापू अब घने जँगल में बदल चुका है जिसमें किस्म-किस्म के पेड़-पौधे और जीव-जंतु पाए जाते हैं। इनमें हाथी, बाघ, कपि, हिरन और कई किस्म के स्थानीय और प्रवासी पक्षी शामिल हैं। जादव ने हर रोज़ ख़ुद जाकर अपने जँगल की देखरेख का सिलसिला जारी रखा है। आज भी उन्हें जहाँ कहीं थोड़ी सी ख़ाली जगह दिखाई देती है, वह वहाँ पेड़-पौधे लगा देते हैं।"
जादव का जँगल

""तुम दोनों में से किसी एक को पड़ोसी राज्य जाना पड़ेगा। मेरा संदेश उन्हें देकर उनका जवाब लेकर एक दिन के अन्दर वापस आना होगा।""
कछुआ और खरगोश

"कहानियाँ सुन सुन कर उन्हें पता चला, एक दूसरे को कहानियाँ कैसे सुनाई जाती हैं।"
कहानियों का शहर

"बस ड्राइवर अपनी सीट पर से कूदकर आ गया और सुनने लगा। बस के सारे यात्रियों के साथ बैठकर उन्हें अपनी कहानियाँ सुनाने की ऐसी जल्दी मची थी, कंडक्टर अपना बैग, टिकट और पैसा बस में भूल आया।"
कहानियों का शहर