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Storybook paragraphs containing word (64)
"पापा ने कहा, “तुम ये डिब्बा खोल सकते हो!”
और उन सभी ने कहा, “जन्मदिन मुबारक हो!”"
अभी नहीं, अभी नहीं!
"अर्जुन के तीन पहिये थे, एक हेड लाइट थी और एक हरे-पीले रंग का
कोट भी था।
दिल्ली के बहुत बड़े परिवार का वह एक हिस्सा था। जहाँ-जहाँ अर्जुन जाता, उसको हर जगह मिलते उसके रिश्तेदार, भाई-बहन, चाचा-चाची, मौसा-मौसी, वे सभी हॉर्न बजा बजाकर कहते, “आराम से जाना।”"
उड़ने वाला ऑटो
""अज्जी मुत्तज्जी की पाँचवी संतान हैं, और उनके सभी बच्चों के बीच 2 - 2 साल का अंतर है..." पुट्टा ने कहा "अगर अज्जी 1942 में पैदा हुईं...""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
"”नमक की ज़रूरत सभी को है...इसका मतलब है कि हर भारतवासी, गरीब से गरीब भी, यह कर देता है,“ बिन्दा चाचा ने आगे समझाया।"
स्वतंत्रता की ओर
"दरअसल, टूथपेस्ट भरे उसी चीनी मिट्टी के मर्तबान में घर के सभी सदस्य अपना दातुन डुबाते थे। यहाँ तक कि उनकी बूढ़ी चाची भी, जिनके पीले और काले दाँत उनके दातुन से मेल खाते थे।"
टूथपेस्ट ट्यूब के अंदर कैसे आया?
"आज टूथपेस्ट मशीन से भरी जाती है। सभी ढक्कन लगे खाली ट्यूब नीचे सिरे से क़तार में कन्वेयर बेल्ट से लगे आगे बढ़ते हैं जिनका दूसरा सिरा ऊपर की तरफ़ खुला होता है। एक बड़े बर्तन में टूथपेस्ट भरा होता है जो कन्वेयर बेल्ट के साथ लगा होता है।"
टूथपेस्ट ट्यूब के अंदर कैसे आया?
"”और हम भी इससे पहले कभी किसी बोलने वाले पेड़ से नहीं मिले!” टूका ने चहकते हुए कहा। ”इसलिए, हम सभी के लिए कुछ न कुछ नया है।” इतना सुनकर, पच्चा जोर से हँसा, और उसके हँसते ही, उसके डालों की सारी पत्तियाँ सुर्ख़ हरी हो गई।"
आओ, बीज बटोरें!
"पच्चा ने सभी को समझाया कि,“तुम लोगों ने जिन बीजों को इक्ट्ठा किया है, ये सभी पेड़ों के बच्चे हैं।“"
आओ, बीज बटोरें!
"पच्चा ने समझाते हुए बताया, “बीज सभी आकृति और आकार के होते हैं।“ इंजी सेब का बचा हुआ हिस्सा खाने में जुटा था। “क्या ये सभी पेड़ों के बच्चे हैं?" पोई ने पूछा।"
आओ, बीज बटोरें!
"शाम को टूका, पोई और इंजी घर वापस जाते हुए सड़क के किनारे के सभी पेड़ों को बड़े ध्यान से देखते हुए चल रहे थे।"
आओ, बीज बटोरें!
"कॉफी के बारे में तो आप सभी जानते होंगे, जिसे आपके मम्मी-पापा हर सुबह पीते हैं? ये कॉफी बैरीज़ से बनती है। बैरीज़ से मिलने वाले दानों को सुखाकर, भूनकर और पीसकर पाउडर बना दिया जाता है। दक्षिण भारत के पहाड़ी क्षेत्रों में कॉफी के बागान हैं।"
आओ, बीज बटोरें!
"बैरीज़, सेब, केला, तरबूज और कटहल - इन सभी फलों में बीज होता है। कुछ बीजों को हम खा नहीं सकते हैं जैसे कि आम की गुठली। लेकिन कई बीज; जैसे कटहल के बीज; इन्हें पानी में भिगोने के बाद सब्ज़ी बनाकर खाए जा सकते हैं।"
आओ, बीज बटोरें!
"हम सभी वर्षा की प्रतीक्षा करते हैं पर किसान तो वर्षा के देवताओं की पूजा करते हैं।
मानसून में मेरा आम का पौधा काफी लम्बा हो गया है। अब मुझे उसे सींचने की ज़रूरत नहीं पड़ती! पिछले महीने जब बड़ी तेज़ आँधी चली थी, मेरा पौधा मज़बूती से खड़ा रहा। क्या मेरा आम का पेड़ इस पेड़ के जितना बड़ा हो जायेगा?"
गरजे बादल नाचे मोर
"मलार रसोई घर की तरफ दौड़ी। सभी व्यस्त हैं।"
मलार का बड़ा सा घर
"मैं दूर और पास की सभी आवाज़ें सुन पाऊँ!"
क्या होता अगर?
"बंदर और सभी प्रकार के वानर पेड़ो को ही अपना घर बनाते हैं।"
जीव-जन्तुओं के घर
"चिड़िया उन सभी पिस्सूओं को खा जाती है।"
हमारे मित्र कौन है?
"अगली सुबह, बंटी सभी पक्षियों को अपने घर के पेड़ के पास खुशी से गाते हुए सुनता है।"
बंटी और उसके गाते हुए पक्षी
"यहां तक कि छोटे नींबू - मेरे जैसे सभी लग रहे हैं - और मिठाई भी!"
ग़ोलू एक ग़ोल कि कहानी
"चुंबक सभी चीज़ों से नहीं चिपकता। यह सिर्फ उन कुछ चीज़ों से चिपकता है जिनमें कुछ ख़ास तत्व होते हैं। किसी वस्तु को चुंबक से चिपकाने वाले यह ख़ास तत्व हैं लोहा, निकिल, स्टील और कोबाल्ट।"
जादुर्इ गुटका
"“एक विषम संख्या!” सभी पच्चीस दोस्त हँसते-चिल्लाते हुए बोले।"
एक, तीन, पाँच, मदद! मदद!
"मैं इन सभी घरों से कचरा इकट्ठा करता हूँ।"
आनंद
"अब दीदी फिर से आने लगी है। सभी बच्चे इकट्ठे होने लगे हैं।"
दीदी का रंग बिरंगा खज़ाना
"और हर कोई उस विशालकाय एक-पंख गजपक्षी पर शक करने लगा। नटखट को सर्वत्र ढूँढ चुकने के बाद, मुनिया समेत गाँव के सभी छोटे-बड़े पुराने बरगद की छाँव तले गाँव की चौपाल पर इकट्ठा हुए।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी
""चीनू, तुम्हारी आवाज़ से तो सभी हर सुबह जाग जाते हैं।
क्या तुम मुझे भी जगा दोगे?""
भीमा गधा
"स़फेद रंग और लाल रंग, हरा रंग और पीला रंग, और नीला रंग। सभी तरह के रंग थे वहाँ।"
नन्हे मददगार
"मंच पर सभी संगीतकारों ने अपने-अपने वाद्य-यंत्र बजाये।"
संगीत की दुनिया
"“भागो,” सभी जानवर चिल्लाए।"
जंगल का स्कूल
"एक खिलाड़ी की आँखों पर पट्टी बाँधिए। उसे दानों को छू कर पहचानना पड़ेगा। देखिये वह कितने दाने सही पहचान पाता है। यह खेल एक और तरह से भी खेला जा सकता है। सभी खिलाड़ी आँखें बंद करके दानों को अलग करने की कोशिश करें और देखें कि इसमें कितने सफल हो पाते हैं।"
दाल का दाना
"“अजी ओ कुम्हार प्यारे, काका आया पास तुम्हारे एक कसोरा तुम बनाओ जिसमें मैं पानी भर लाऊँ अपनी गन्दी चोंच धुलाऊँ फिर खा लूँ मुन्नी के अंडे और काँव-काँव चिल्लाऊँ ताकि सभी सुनें और जान जायें मैं हूँ सबसे बाँका सबसे छैला कौवा!”"
काका और मुन्नी
"ताकि सभी सुनें"
काका और मुन्नी
"ताकि सभी सुनें"
काका और मुन्नी
"“अजी ओ भैया कुत्ते प्यारे, काका आया पास तुम्हारे आज तुम्हें दावत खिलवाऊँ मोटा-ताज़ा हिरन दिखाऊँ, बस सींग उसका मैं ले लूँगा उससे थोड़ी मिट्टी खोदूँगा मिट्टी कुम्हार को दे दूँगा जिससे बनाये वो एक कसोरा जिसमें मैं पानी भर लाऊँ अपनी गन्दी चोंच धुलाऊँ फिर खा लूँ मुन्नी के अंडे और काँव-काँव चिल्लाऊँ ताकि सभी सुनें और जान जायें मैं हूँ सबसे बाँका सबसे छैला कौवा!”"
काका और मुन्नी
"ताकि सभी सुनें"
काका और मुन्नी
"ताकि सभी सुनें और जान जायें मैं हूँ सबसे बाँका सबसे छैला कौवा!”"
काका और मुन्नी
"ताकि सभी सुनें और जान जायें"
काका और मुन्नी
"बाकी सभी की तरह लुहार भी मुन्नी के अंडों को बचाना चाहता था। उसने कहा, “अभी बनाता हूँ हँसिया। तुम ज़रा पीछे जाकर भट्ठी का दरवाज़ा खोलो और इस लोहे के टुकड़े को उसमें रख दो”"
काका और मुन्नी
"फ़िल्मी गीत सुनना सभी को बहुत पसंद था। छोटी-छोटी मछलियाँ, मेंढक और कछुए हमेशा रेडियो से चिपके रहते।"
मछली ने समाचार सुने
"मेंढक और कछुए भी बहुत डर गए। क्या करें कुछ समझ में नहीं आ रहा था। सब निराश होकर बैठ गये। रोज़ की तरह दादा से रेडियो छीनने कोई नहीं आया। आगे की चिन्ता सभी को सता रही थी।"
मछली ने समाचार सुने
"“आपको कोई तकलीफ़ न हो इसकी व्यवस्था मैं करूँगा।” सभी की मानो जान में जान आई। कॉफ़ी पीकर मुखिया उनको निश्चित रहने का ढाँढस बँधा कर घर गया।"
मछली ने समाचार सुने
"अब्बू अच्छा-ख़ासा कमा लेते थे। इसलिए अम्मी को कढ़ाई का काम नहीं करना पड़ता था। कमरु और मेहरु पढ़ने के लिए मस्ज़िद के मदरसे जाती थीं जबकि अज़हर लड़कों के स्कूल जाते थे। कमरु और मेहरु थोड़ी-बहुत कढ़ाई कर लेती थीं लेकिन उनके काम की तारीफ़ कुछ ज़्यादा ही होती थी। उनके अब्बू ठेकेदार जो थे। आसपास रहने वाली सभी औरतों को काम मिलता रहे, उनके चार पैसे बन जाएँ-यह सब अब्बू ही तो करते थे।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"मुमताज़ के काम ने तो सभी का मन मोह लिया था। थोक के व्यापारी और चिकनदार-सबकी ज़ुबाँ पर हरदोई से आई एक छोटी-सी चिकनकारिन का ही नाम था! अपनी नुमाइशों में दिखाने के लिए कुछ आला, अमीर औरतें आबिदा खाला से मुमताज़ का काम माँगने आईं।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"रहमत ने पोटली खोली और अंगरखे पलंग पर सजा दिये। बेहतरीन मलमल से बने हुए थे और बड़ी बारीक कढ़ाई थी। सभी गर्मी के हल्के रंगों में थे, नींबुई, आसमानी, धानी, हल्का जामनी और झकाझक स़फेद। रज़ा जानता था कि बादशाह का पसंदीदा रंग स़फेद था।"
रज़ा और बादशाह
"माँ कहती है कि लोगों को घूरना अच्छी बात नहीं है। लेकिन मैं तो देखता हूँ कि सभी तुम्हें घूरते हैं। वे मुझे भी घूरते हैं क्योंकि मुझे तुम्हारे साथ रहना होता है, तुम्हारा ध्यान रखने के लिए। तुम हमारे स्कूल में क्यों आइं? तुमने अपनी पढ़ाई उसी स्कूल में जारी क्यों नहीं रखी जहाँ तुम पहले पढ़ती थीं?"
थोड़ी सी मदद
"आप स्वतन्त्र किस्म के व्यक्ति हैं और मानते हैं कि सभी को ऐसा ही होना चाहिए। लेकिन इसका यह मतलब बिल्कुल नहीं है कि आप को किसी की चिन्ता नहीं होती। बस आप दूसरों पर दबाव नहीं बनाना चाहते।"
थोड़ी सी मदद
"जब वे बस में लौट रहे थे तो दामू और उसने मिल के एक कमाल की योजना बनाई थी। नया राजमार्ग खजूरिया गाँव के बगल से निकलता था। दामू और कल्लन मिल के वहाँ एक ढाबा, एस टी डी फ़ोन बूथ, कमप्यूटर सेन्टर खोल सकते थे। दामू, जिसे सपने में भी खाने के ख़याल आते थे, ढाबा चला सकता था और कल्लू एस टी डी बूथ। बूथ से लोग घर को फ़ोन लगायेंगे और आस-पास के सभी गाँवों के लोग मण्डी में सब्ज़ी, गेहूँ और गन्ना भेजने से पहले इन्टरनेट पर आज के भाव देख सकते थे।"
कल्लू कहानीबाज़
"खेल के दौरान कर्इ अवसरों पर वे पूरे मैदान को दौड़ कर पार कर लिया करते थे और इस दौरान गेंद उनकी स्टिक से ऐसे चिपकी रहती थी मानो उसे गोंद से चिपका दिया गया हो, और गेंद तभी उनकी स्टिक से अलग होती जब वो गेंद को गोल पोस्ट के अंदर दाग दिया करते। पूरे समय के दौरान सभी खिलाड़ी और गोलकीपर असहाय नज़र आते।"
ध्यान सिंह 'चंद' : हॉकी के जादूगर
"इसके बाद आया बर्लिन ओलंपिक। उस समय जर्मनी, एडोल्फ़ हिटलर के नेतृत्व में नाज़ी शासन के अपने प्रारंभिक काल में था। हिटलर का यह मानना था कि जर्मन दुनिया के दूसरे लोगों की तुलना में जीवन के सभी क्षेत्रों में सर्वश्रेष्ठ हैं।"
ध्यान सिंह 'चंद' : हॉकी के जादूगर
"भारत के लिए एक और स्वर्ण पदक। ध्यान चंद के लिए कर्इ और गोल। अब वो एक ‘सुपरस्टार’ बन चुके थे, अपने ज़माने के रोजर फेडरर अथवा राहुल द्रविड। उनका भारत एवं उन अन्य सभी जगह असाधारण सम्मान होता जहाँ हॉकी खेली जाती।"
ध्यान सिंह 'चंद' : हॉकी के जादूगर
"वह बाज़ार तक गईं पर सभी सब्ज़ीवाले आराम से अपनी सब्ज़ियाँ बेच रहे थे। आज उन्हें सताने वाला लड़कों का गुट कहीं नहीं था। अन्त में वह गली पार कर रही थीं तो उनकी नज़र अनायास ही स्कूल की खिड़की पर टिक गई।"
मोरू एक पहेली
"दोबारा संगीत शुरू हुआ। मगर एक के बाद एक, सभी उनिंदा कलाकार स्वर से हटते गए और गलत धुन बजाते रहे। बेसुरों की भरमार थी। निद्रा देवी उन्हें सुनते ही वहाँ से भाग निकलीं! और राजा फिर पूरी तरह जागे हुए, बहुत नाराज़ हुए।"
कोट्टवी राजा और उनींदा देश
"और फिर, अंत में, वो रात के भोजन के बाद ही सो गए। प्रायः हर सुबह वो चुस्ती से जागते! उनकी चाल में उचक आ गई और वो सभी की ओर देखकर मुस्कुराने लगे।"
कोट्टवी राजा और उनींदा देश
"राजा अपनी निद्राहीन प्रजा के लिए बहुत ही चिंतित हो उठे। अपने इस विस्तृत कार्यक्रम की सलाह तो हर किसी को वो दे नहीं सकते थे। उन्होंने अपने राजपुरोहित से सुझाव माँगा। उस बुद्दिमान इंसान को पता था कि यह एक जटिल समस्या है। “सभी से कहिए आज से पंद्रह दिन बाद नगर सभा में एकत्रित हों। सभी लोग गरम पानी से नहा कर, भोजन करके, सूर्यास्त पर हाज़िर हों। मैं सभी को आशीर्वाद देने के लिए निद्रा देवी को वहाँ बुलाऊँगा।”"
कोट्टवी राजा और उनींदा देश
"सारा शहर एक जुट हुआ। सभी को बहुत ख़ुशी थी"
कोट्टवी राजा और उनींदा देश
"निद्रा देवी इतनी सारी जम्हाइयों की पुकार को कैसे अनसुना कर देतीं? वो शहर में भागी भागी आईं, और सभी को नींद के एक ठंड़े झोंके से छू गईं।"
कोट्टवी राजा और उनींदा देश
"और उस दिन के बाद से, वो हर रात कोट्टवी राजा के देश में हर एक को अपना आशीर्वाद देती रहीं। सभी लोग चैन से रात में सोते रहे।"
कोट्टवी राजा और उनींदा देश
"इनमें से कुछ फल खाने आएँगे, कुछ पेड़ का रस पीने आएँगे, कुछ इसके फूलों का रस पीने आएँगे और कुछ जीव इस पेड़ पर जमघट लगाये जीवों को चट करने के चक्कर में होंगे! सभी पेट भरने के चक्कर में रहेंगे, ऐसा भी नहीं है। कुछ ऐसे भी जीव होंगे जो आपके पेड़ की छाँव में आराम करने, उसकी डालों में कुछ देर चैन की नींद लेने आएँगे। आपका पेड़ अलग-अलग जीवों के लिए अलग काम का होगा!"
जादव का जँगल
"कछुए और खरगोश की दौड़ तो याद है न? उस दौड़ के बाद जानवरों के पूरे राज्य में सभी कछुए और खरगोश के बारे में चर्चा करने लगे। जहाँ देखो, उन्हीं की बात होती थी।"
कछुआ और खरगोश
"बड़े भाइयों ने क्रिकेट खेलना बंद कर दिया। छोटी बहनें रस्सी कूदना भूल गयीं। सभी कहानियाँ सुन रहे थे, और सुना रहे थे!"
कहानियों का शहर
"भारी भरकम मंत्रियों के बीच घिरी हुई दीदी भी छोटी सी लग रही थीं। कोई मुस्कराया तक नहीं। सभी लोग उन दोनों को भवें सिकोड़े, गुस्से भरी आँखों से देख रहे थे।"
कहानियों का शहर
""हां। सभी ऐसे जीव जो दो जीवों की संतान होते है, उनमें माता और पिता दोनों की विशेषताएं होती हैं," अप्पा ने समझाया।"
कहाँ गये गालों के गड्ढे?
""हां, वह दूसरी विशेषता है। तुम्हारी आंखों का रंग, कानों का आकार, हाथ और पैर की अंगुलियों की लंबाई और तुम्हारी नाक की बनावट, सभी कुछ तुम्हारी विशेषताएं हैं, " इम्मा ने समझाया।"
कहाँ गये गालों के गड्ढे?
"एक चित्र बनाइये और सभी को बेझिझक दिखाइए!"
कहाँ गये गालों के गड्ढे?
"टीचर की बात लड़के की माँ को समझ में आ गई और उन्होंने अपनी बेटी को रोज़ स्कूल भेजना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे उनको देखकर गाँव के सभी लोग अपने बच्चों को रोज़ स्कूल भेजने लगे और फिर उनका गाँव बदलने लगा।"
और दीदी स्कूल जाने लगी