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Nya Ξlimu
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Storybook paragraphs containing word (54)

"ढेर सारी बातें भी की | मुझे अच्छा लगा और मजा भी आया |"
मैं और मेरी दोस्त टीना|

"हँसते हुए वह औरत बोली, “जादू!”
 उस लड़के ने हामी भरते हुए उत्साह से सिर हिलाया। अर्जुन को लगा मानो उसका सिर बस अभी गिरा।"
उड़ने वाला ऑटो

"आगे बढ़ते ही अर्जुन को अचानक महसूस हुआ कि उसके पहिये पर दबाव कम होने लगा है, उसके सामने की भीड़ छँटने लगी है और वह बहुत आराम से आगे बढ़ गया है, “जाने दो अर्जुन भाई,” उसके चाचा ने कहा।"
उड़ने वाला ऑटो

"शिरीष जी फिर से काम में जुट गए थे। उस शहर के जाने पहचाने जादू 
के नशे में हर सिग्नल, हर साईन बोर्ड, हर मोड़ उनसे कुछ कह रहा था। 
बहुत जल्द उनका पुराना जाना पहचाना चेहरा फिर शीशे में दिखने लगा था। वह जानते थे कि उन्हें कहाँ जाना है। वह तो वहाँ पहुँच ही गये थे।
 उस औरत की साड़ी फिर से फीकी पड़ गई थी लेकिन उसका चेहरा चमक रहा था।
 वे ज़मीन पर पहुँच गए थे। अर्जुन के पहियों ने गर्म सड़क को छुआ। इंजन ने राहत की साँस ली..."
उड़ने वाला ऑटो

"अम्मा ने आटे को गूँध लिया है। वह अब अपनी हथेली में थोड़ा सा तेल लगा कर उसे अच्छी तरह गूँधने के लिये कह रही है। आटे को अच्छी तरह गूँधने के लिये मजबूत हाथ चाहिए। उनका कहना है कि अगर आटे को अच्छी तरह गूँधा नहीं जाता है तो पूरी नहीं फूलती है।"
पूरी क्यों फूलती है?

"पुट्टी ने जल्दी से हिसाब लगा कर कहा, "1942* में!" अज्जी ने सर हिलाकर हामी भरी।"
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?

""तुम दोनों तो बहुत बड़े जासूस हो गए हो!" अम्मा मुस्कायीं। "और मुझे लगता है तुम दोनों और मुत्तज्जी की ख़ास दावत होनी चाहिए - यानि एक बड़ा सा केक, गुलाबी आइसिंग और जिसके ऊपर लगा हो एक गुलाब!""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?

"आज टूथपेस्ट मशीन से भरी जाती है। सभी ढक्कन लगे खाली ट्यूब नीचे सिरे से क़तार में कन्वेयर बेल्ट से लगे आगे बढ़ते हैं जिनका दूसरा सिरा ऊपर की तरफ़ खुला होता है। एक बड़े बर्तन में टूथपेस्ट भरा होता है जो कन्वेयर बेल्ट के साथ लगा होता है।"
टूथपेस्ट ट्यूब के अंदर कैसे आया?

"“मैं बोल रहा हूँ, पच्चा, इमली का पेड़।“ इंजी, ज़ोर से भौंकने लगा और अपनी पूँछ को और भी ज़्यादा तेज़ी से हिलाने लगा। उसकी पूँछ से"
आओ, बीज बटोरें!

"चावल सामान्य नाम: राइस या चावल। वैज्ञानिक मुझे कहते हैं: ऑरिज़ा सटाईवा। चावल, सबसे लोकप्रिय अनाजों में से एक है। जहां तक मुझे मालूम है, भारतीय घरों में अन्य अनाजों की तुलना में चावल सबसे ज़्यादा खाया जाता है। जब चावल पौधे पर लगा होता है तो उसके दानों पर जैकेट की तरह एक खुरदुरा, भूरे रंग का छिलका होता है जिसके कारण इसके दाने अंदर सुरक्षित और साबुत बने रहते हैं।"
आओ, बीज बटोरें!

"देखो देखो, मैं चन्द्रमा पर कितनी ऊँची छलांग लगा सकती हूँ!"
आज, मैं हूँ...

"मेरा मन न जाने कहाँ भटकने लगा है।"
क्या होता अगर?

"क्या आप अनुमान लगा सकते हो कि हमारा सबसे अच्छा मित्र कौन है?"
हमारे मित्र कौन है?

"दस मिनट बाद वह अपनी सीट पर ठीक तरह से कुर्सी की पेटी बाँध कर बैठ गए। जहाज़ चलने पर राजू खिड़की से बाहर देखने लगा। जहाज़ पहले धीरे-धीरे आगे बढ़ा फिर देखते ही देखते उसकी रफ़्तार काफ़ी तेज़ हो गई। राजू को लगा कि उसकी कुर्सी थरथरा रही है।"
राजू की पहली हवाई-यात्रा

"परवेज़ ने उसका हाथ पकड़ा और दोनों ने एक साथ छलांग लगा कर पार कर लिया।"
कोयल का गला हुआ खराब

"परवेज़ के पेट में भूख नाम का भूत शोर मचाने लगा था।"
कोयल का गला हुआ खराब

"उन्होंने छोटी सी मशीन परवेज़ की कमीज़ की जेब से निकालकर उसके कान में लगा दी।"
कोयल का गला हुआ खराब

"यह उसके परिवार वालों की आवाज़ें थीं। उसे लगा सब वहीं आसपास हैं। घूम-घूम खिलखिला उठी! और तैरती हुई उसी ओर बढ़ चली।"
घूम-घूम घड़ियाल का अनोखा सफ़र

"सूँस यानि डाॅल्फ़िन पानी से बाहर छलाँग लगाने के लिए जानी जाती हैं। क्या आप छलाँग लगा सकते हैं?"
सत्यम, ज़रा संभल के!

"ज़मीन पर रहने वाले जीवों में चीते सबसे ज़्यादा तेज़ी से दौड़ते हैं। वह फर्राटे भी लगाते हैं। क्या आप फर्राटे लगा सकते हैं?"
सत्यम, ज़रा संभल के!

""मेरी तरह बालों वाली टोपी (विग) लगा लीजिए," कहते हुए गुरूजी ने अपने माथे का विग हटा दिया."
कहानी- गजानन गंजे

"जब माँ के कमरे से चुप्पी हो, तो सोना जान जाती माँ ठप्पे पर अच्छे से रंग लगा रही होंगी। तब वह भी रंग लगाती। जब आवाज़ आती ठप्प तो सोना भी अपना ठप्पा कपड़े पर दबा देती।"
सोना बड़ी सयानी

" "कुछ लगने लगा है पतीले में! चाचा!!""
सोना की नाक बड़ी तेज

"सुखिया काका और दीनू दोनों गा रहे थे, साथ में ठुमका भी लगा रहे थे।"
बारिश में क्या गाएँ ?

"अगर वे एक काला टोप और एक लम्बा काला ओवरकोट पहन लें... अपनी आँखों पर एक काला चश्मा लगा लें, तो वे एकदम उस टीवी वाले जासूस की तरह लगेंगे जो सब चोरों को पकड़ लेता है!"
पापा की मूँछें

"रास्ते में एक औरत झाड़ू लगा रही थी।"
दाल का दाना

""डॉक्टर दादा, मुझे बन्दर की पूँछ लगा दो," उसने चहक कर कहा।"
चुलबुल की पूँछ

"चुलबुल खुश हो गई। डॉक्टर बोम्बो ने उसकी पूँछ निकाल कर उसकी जगह बन्दर की पूँछ लगा दी।"
चुलबुल की पूँछ

""डॉक्टर दादा, डॉक्टर दादा, यह पूँछ तो बहुत भारी है। कोई हल्की पूँछ लगा दो," चुलबुल ने थकी आवाज़ में कहा।"
चुलबुल की पूँछ

""गलती हो गई डॉक्टर दादा। आप मुझे बिल्ली की पूँछ लगा दो," चुलबुल ने अपनी गलती मानते हुए सलाह दी।"
चुलबुल की पूँछ

"डॉक्टर बोम्बो ने बन्दर की पूँछ हटा कर बिल्ली की पूँछ लगा दी। "यह पूँछ बन्दर की पूँछ से तो हल्की है," सोचते हुए चुलबुल चल पड़ी। पूँछ की अदला-बदली में वह अब तक बहुत थक गई थी। वह पास के एक पेड़ के पीछे लेट कर आराम करने लगी।"
चुलबुल की पूँछ

""वह कुत्ता मेरे पीछे पड़ गया है। मुझे किसी की पूँछ नहीं चाहिए। आप बस मेरी पूँछ लगा दो!" चुलबुल ने ज़ोर से सिर हिलाते हुए कहा।"
चुलबुल की पूँछ

"बिल्ली की पूँछ निकाल कर उन्होंने चुलबुल की पूँछ दोबारा लगा दी। अपनी पूँछ पाते ही चुलबुल ने चैन की साँस ली और खुश होकर घर की ओर चल दी।"
चुलबुल की पूँछ

"सभी को लगा कि दादा मछली ने अगर उस दिन वह समाचार न सुना होता तो यह दुर्घटना घट ही जाती।"
मछली ने समाचार सुने

"ईद के दिन भी दोनों दोस्त अपने पंछियों की उछल-कूद देख रहे थे। मुन्नु को लगा मुमताज़ आज बहुत उदास है, इतनी उदास कि कहीं वह रो ही न दे। “क्या बात है, आपा, आज इतनी गुमसुम क्यों हो? क्या हरदोई की याद आ रही है? क्या वहाँ तुम्हारे और भी पालतू पंछी हैं?”"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने

"मुमताज़ सोचने लगी। सोचने लगी वह बादलों के ऊपर उड़ रही है, नई-नई जगह देख रही है, नए-नए लोगों से मिल रही है। उसे लगा कि बखिया की तरह वह भी दूर"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने

"मुमताज़ कुछ पल तो ख़ामोश रही। फिर उसने अपना जादू अपनी बहनों को बताने का फ़ैसला कर लिया। मुस्करा कर, वह कमरु से बोली, “चलो, तुम भी मेरी नानी की चादर का एक कोना पकड़ो और ख़ूब ध्यान लगा कर सोचो।”"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने

"सुमी अपने जूते के फीते नहीं बाँध सकी। और खेलने के बाद भी उसे जूते के फीते बाँधने का ध्यान नहीं रहा, और वह उलझ कर गिर पड़ी। उसकी ठोड़ी में चोट लग गई। जब मैडम ने उसकी ठोड़ी की चोट देखी तो उस पर ऐंटीसेप्टिक क्रीम तो लगा दी, लेकिन उसे लापरवाही बरतने के लिए डाँट भी पड़ी। “जूतों के फीते बाँधे बिना पहाड़ों में दौड़ लगाई जाती है? घर जाते समय गिर पड़तीं या और कुछ हो जाता तो क्या होता?“"
थोड़ी सी मदद

"फ़िल्म सच में बहुत ही बढ़िया थी, है न? मैं इतना हँसा कि मेरा पेट दुखने लगा और मेरे आँसू निकल आए। जब भी स्कूल में फ़िल्म दिखाई जाती है मुझे बहुत अच्छा लगता है। क्योंकि उस दिन पढ़ाई की छुट्टी।"
थोड़ी सी मदद

"पता है जब मैंने तुम्हें बस में देखा तो मैं बहुत हैरान हुआ था। मुझे इस बात का अंदाज़ा नहीं था कि मेरे पिता और तुम्हारे पिता एक ही जगह काम करते हैं! लेकिन मैं बहुत खुश हूँ कि तुम दफ़्तर की पिकनिक में आईं, क्योंकि पिछले साल जब हम दफ़्तर की पिकनिक पर गए थे तब उसमें मेरी उम्र का कोई भी बच्चा नहीं था और बड़ों के बीच अकेले-अकेले मुझे ज़रा भी अच्छा नहीं लगा था। मैं बहुत ऊब गया था।"
थोड़ी सी मदद

"पता नहीं इसका क्या मतलब है, लेकिन वे बहुत परेशान दिखते हैं। तुमने उनके बाल देखे हैं? वह ऐसे लगते हैं जैसे उन्होंने बिजली का नँगा तार छू लिया हो और उन्हें करारा झटका लगा हो! वैसे, मुझे लगता है कि रानी ने उनकी कुर्सी पर मेंढक रख कर अच्छा नहीं किया।"
थोड़ी सी मदद

"मुश्किल यह थी कि अब मामला गम्भीर होता जा रहा था। अब मास्टर जी ने अगर उसे कक्षा नौ में नहीं चढ़ाया तो कल्लू को लेने के देने पड़ जाने वाले थे क्योंकि अब्बू स्कूल छुड़ा के उसे खेतों में काम पर लगा देंगे। अब कौन पालक तोड़ेगा और गाजर और मटर बटोरेगा जब कि वह स्कूल जा सकता है।"
कल्लू कहानीबाज़

"अँधेरा हो चला था और स्कूल में बिजली नहीं थी। “अब तुम्हें घर जाना चाहिये मोरू, पर कल फिर आ सकते हो?” शिक्षक ने पूछा, “पर क्या उस समय आओगे जब बच्चे यहाँ हों?” अगले दिन स्कूल शुरू होने के कुछ देर बाद मोरू आया। बच्चे उसे देख कर हैरान थे और कुछ डरे भी। अब तक मोरू का मौहल्ले के अकड़ू दादाओं में शुमार होने लगा था। “अब मेरी मदद करने वाला कोई है,” शिक्षक ने कहा।"
मोरू एक पहेली

"रोज़ मोरू कुछ देर के लिये आता और शिक्षक उसे कुछ काम और फिर उससे बड़ा काम दे देते। रोज़ मोरू को लगने लगा कि उसका अंकों से लगाव बढ़ता ही जा रहा है और उसकी योग्यता और रोमांच छोटे बच्चों में भी समाते जा रहे हैं।"
मोरू एक पहेली

"वहाँ मोरू नज़र आ रहा था। वह सर झुकाये ध्यान से अपनी कॉपी में कुछ देख रहा था। उसके माथे पर सोच की रेखाएँ दिख रही थीं और उसकी आँखों में गहरी तल्लीनता थी। वह अपनी उम्र के बाकी लड़कों के साथ गणित के मुश्किल सवाल हल करने में लगा हुआ था। शिक्षक की नज़र भी बाहर गई और वह मोरू की माँ की तरफ़ देख कर हल्के से मुस्कराये।"
मोरू एक पहेली

"अगले तीन दशकों में जादव ने पेड़ लगा-लगा कर बंजर ज़मीन की सूरत और सीरत बदल डाली। नदी की धारा में साढ़े पाँच सौ हैक्टेयर का रेतीला टापू अब घने जँगल में बदल चुका है जिसमें किस्म-किस्म के पेड़-पौधे और जीव-जंतु पाए जाते हैं। इनमें हाथी, बाघ, कपि, हिरन और कई किस्म के स्थानीय और प्रवासी पक्षी शामिल हैं। जादव ने हर रोज़ ख़ुद जाकर अपने जँगल की देखरेख का सिलसिला जारी रखा है। आज भी उन्हें जहाँ कहीं थोड़ी सी ख़ाली जगह दिखाई देती है, वह वहाँ पेड़-पौधे लगा देते हैं।"
जादव का जँगल

"आपकी बोई हुई गुठली में से अंकुर फूटने के बाद वह आम के स्वस्थ पौधे के रूप में पनप जाए, तो तैयार रहें उसकी सिंचाई, देखभाल और पहले से भी ज़्यादा इंतज़ार के लिए! ध्यान रखें कि कहीं आपके पोधे को कीड़े-मकोड़े या कोई जानवर न खा जाएँ या फिर कोई उसे अपने पैरों तले न रौंद जाएँ। अगर इंतज़ार करते-करते आप ऊबने लगें तो कुछ किताबें पढ़ डालें, कुछ गीत गुनगुना लें, और कुछ और पौधे लगा दें!"
जादव का जँगल

"मीमी चुपचाप सुन रही थी। उसे सिर्फ़ दीदी की आवाज़ सुनाई दे रही थी। उसे लगा जंगल के विशाल पेड़ों की टहनियाँ हवा में हिल रही हैं। ऊँची-ऊँची घास सरसरा रही है। नन्हे शेर के बाल मुलायम थे।"
कहानियों का शहर

"तब अंत में दीदी और मीमी को खोज कर, समुद्र के किनारे, मेयर के निवास पर हाज़िर होने का हुक्म मिला। मंत्रियों को बताया गया था कि इन दोनों से शहर में कहानियों की बाढ़ आई है जिसमें सारा शहर गोते लगा रहा है।"
कहानियों का शहर

""तुम थोड़ी-थोड़ी हम दोनों जैसी लगती हो, क्योंकि तुम हमारी प्यारी लांगलेन हो," इम्मा बोली और उसे बाहों में भींच कर गले से लगा लिया।"
कहाँ गये गालों के गड्‌ढे?

""इस वजह से मैं आप सब की विशेषताओं का एक पुलिंदा हूं, बस " लांगलेन थोड़ी दुःखी होते हुए बोली। इम्मा ने उसे फुर्ती से गले लगा लिया। "नहीं लांगलेन, माता-पिता से बच्चों"
कहाँ गये गालों के गड्‌ढे?

"“क्योंकि रोहन ज़ोर से रोने लगा था।""
अम्मा जब स्कूल गयीं

"“क्योंकि रोहन का साँप हमारे पीछे लगा हुआ था!”"
अम्मा जब स्कूल गयीं

"अब की बार तोतो ने नदी में छलाँग लगा दी।"
कहाँ गया गोगो?