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Storybook paragraphs containing word (42)
"मैं कई चीज़ें बना सकता हूँ।"
मैं बहुत कुछ बना सकता हूँ!
"मकान बनाने के लिए, कई सामान चाहिए होते हैं। जहाँ आप को मकान बनाना हो, वहीं उसे बनाने के सामान भी मिल जाते हैं।"
सबसे अच्छा घर
"लठ्ठों पर खड़े मकान: यह भला कैसा आकार है? किसी मकोड़े जैसा? लठ्ठों पर खड़े मकान नम, गीली ज़मीन से ऊपर रहने के कारण लोगों को सीलन से बचाते हैं। हमारे देश के उत्तर-पूर्वी राज्यों के अलावा दक्षिण-पूर्व एशिया के कई देशों में भी ऐसे मकान दिखते हैं।"
सबसे अच्छा घर
"इन छोटे भुरभुरे दानों से पौधे बीज बनाते हैं। मधुमक्खियाँ इन छोटे दानों को लाने-ले जाने के काम में बड़ी उस्ताद हैं। उन्हीं की वजह से कई नए पौधे फलते-फूलते रहते हैं।"
मधुमक्खियाँ क्यों भन-भन करती हैं?
"अपने परिवार से दूर उगने वाले कई नए पौधों के लिए तो मधुमक्खियाँ ही सब-कुछ होती हैं।"
मधुमक्खियाँ क्यों भन-भन करती हैं?
"वैसे क्या तुम अपनी साँसे सुन सकते हो? नहीं ना! पर मधुमक्खियाँ सुन सकती हैं। भन-भन की आवाज़ मधुमक्खियों के साँस लेने से भी होती है। उनका शरीर छोटा व कई टुकड़ों में बँटा होता है। तो जब साँस लेने से हवा अंदर जाती है, तो उसे कई टेढ़े-मेढ़े व ऊँचे-नीचे रास्तों को पार कर के जाना पड़ता है। और इसी वजह से भन-भन की आवाज़ होती है।"
मधुमक्खियाँ क्यों भन-भन करती हैं?
"5. बंबल बिज़, मधुमक्खी और दूसरी तरह कि बीज़ से ज्यादा बड़ी होती है! उन्हे छत्ते में रहना और मिलना जुलना अच्छा लगता है! कई बंबल बीज में डंक नहीं होता है! वो ज्यादा शहद तो नहीं बनाती लेकिन वो बेहतरीन पोल्लीनेटर होती है!"
मधुमक्खियाँ क्यों भन-भन करती हैं?
"बड़े दुख से मुत्तज्जी ने कहा, "हाँ, उस साल दशहरे के त्यौहार के समय, हमारे महाराजा ने एक बड़े बांध और उसके पास कई सुंदर बागों का उद्घाटन किया था। लेकिन मै वह सब नहीं देख सकी थी क्योंकि मैं बम्बई में थी।""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
"अज्जा सोचने लगे, "1911... यह तारीख़ इतनी जानी-पहचानी सी क्यो लग रही है? आह! हाँ, उसी साल तो बम्बई में गेटवे ऑफ़ इंडिया बनाया गया था। और वह तो भारत पर राज करने वाले ब्रिटिश राजा, जॉर्ज (पंचम) के स्वागत में बनवाया गया था। और तब एक नहीं, बल्कि कई बड़ी-बड़ी दावत हुई होंगी!" अज्जा ने ख़ुश होते हुए कहा।"
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
"महाराजा महारानी की शानदार दावत (1911) – 1911 में ब्रिटेन के महाराजा जॉर्ज (पंचम) और उनकी पत्नी क्वीन मैरी, भारत में पहली बार आए थे, तब उन्होने 400 से ज्यादा भारतीय महाराजा और महारानियों के लिए एक शाही दावत दी थी, जिसे कहा गया था दिल्ली दरबार। इसमे आए 200,000 मेहमानों की दावत के लिए कई बेकरियों में हर दिन 20000 से ज्यादा ब्रैड बनाई गयी थी और 1000 से ज़्यादा कैटल और बकरों को काटा गया था! बादशाह ने कई भारतीय राजाओं को सोने के मेडल (तमगे) भी दिये थे, जिनमे मैसूर के महाराजा कृष्णराजा वाडियार (चतुर्थ) भी शामिल थे!"
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
"धनी उस झोंपड़ी के पास पहुँचा जहाँ गाँधी जी ठहरे थे। उसने खिड़की से झाँक कर देखा। आश्रम के कई लोग गाँधी जी से बात कर रहे थे। धनी को सुनाई दिया कि वे दाँडी पहुँचने का रास्ता तय कर रहे थे, जिस पर वे पैदल चलेंगे। अपने पिता को भी इनके बीच देखकर धनी खुश हो गया।"
स्वतंत्रता की ओर
"हैलो! मेरा नाम पच्चा है, मैं एक इमली का पेड़ हूँ। लेकिन मेरे और भी कई नाम हैं। हिंदी में मुझे इमली, तमिल में पुली और बंगाली में तेंतुल कहा जाता है। वैज्ञानिक मुझे, टैमरिंडस इंडिका कहते हैं। चलिए मैं आपको अपने कुछ अन्य बीज मित्रों से मिलवाता हूँ। शायद उनमें से कईयों को आपने अपने भोजन की थाली में ज़रूर देखा होगा।"
आओ, बीज बटोरें!
"बैरीज़, सेब, केला, तरबूज और कटहल - इन सभी फलों में बीज होता है। कुछ बीजों को हम खा नहीं सकते हैं जैसे कि आम की गुठली। लेकिन कई बीज; जैसे कटहल के बीज; इन्हें पानी में भिगोने के बाद सब्ज़ी बनाकर खाए जा सकते हैं।"
आओ, बीज बटोरें!
"कठोर भूरे रंग के नारियल का हर हिस्सा हमारे लिए उपयोगी होता है। उसके बाहर वाले बालों के हिस्से से रस्सी बनाई जाती है, वहीं अंदर का नरम सफेद हिस्सा कई प्रकार के भोजन में इस्तेमाल किया जाता है और नारियल पानी मज़ेदार पेय होता है, विशेषरूप से उस समय, जब बाहर बहुत गर्मी होती है। क्या आपको मालूम है कि आप अपने बालों में जो तेल लगाते हैं, वो कहां से आता है? वह तेल भी नारियल से ही निकाला जाता है।"
आओ, बीज बटोरें!
"बारिश से ज़मीन पर तरह-तरह के नमूने बन जाते हैं। मेरे चाचा ने वर्षा का पानी एकत्रित करने के लिए कई जगह बालटियाँ और ड्रम रखे हैं। परनालों से छत का पानी इन ड्रमों में गिरता है। मैं इन्हें झरना कहती हूँ!"
गरजे बादल नाचे मोर
"मेरे जैसी दिखने वाली कई मिठाइयाँ।"
ग़ोलू एक ग़ोल कि कहानी
"खेलों के मैदान में, मैं एक गेंद के रूप में हूं, और कई और खेल मैं भी!"
ग़ोलू एक ग़ोल कि कहानी
"स्टेल्ला ने अपने दोनों हाथ हवा में हिलाए। इसका मतलब हुआ कि वो ताली बजा रही थी। परवेज़ ने संकेत भाषा के कई शब्द उसे सिखा दिए थे जो उसकी शीला मिस ने सुकर्ण स्कूल में सिखाये थे।"
कोयल का गला हुआ खराब
"उनके आसपास कई नन्हें घड़ियाल तैर रहे थे।"
घूम-घूम घड़ियाल का अनोखा सफ़र
"घूम-घूम गंगा नदी में अपने बड़े से घड़ियाल परिवार के साथ रहती है जो दिन भर पानी में छपाके मार-मार कर शोर मचाता रहता है। वह रोज़ खाने के लिए मछलियों और कीड़े-मकोड़ों की तलाश में निकल जाती है। रोज़ ही घूम-घूम की मुलाकात तरह-तरह के जीवों से होती है। घोंघे, ऊदबिलाव, डॉल्फ़िन, मछुआरे, माँझी, बगुले, सारस, भैंस, साँप और कई दूसरे जीव उसे मिलते हैं।"
घूम-घूम घड़ियाल का अनोखा सफ़र
"टिड्डे अपने आकार की तुलना में कई ज़्यादा ऊँची कुदान मार सकते हैं। ख़ासतौर से तब, जब वह किसी शिकार करने वाले जीव की पकड़ में आने से बचना चाहते हों। क्या आप इतनी ऊँची कुदान मार सकते हैं?"
सत्यम, ज़रा संभल के!
"तुम्हें तो पता ही है कि वह कितनी गप्पी है! हम दोनों ने कई बार चाय पी और वे सारे लड्डू खा गई जो तुम्हारी माँ ने बनाए थे।" नानी बोलीं।"
नानी की ऐनक
"अम्मा बोली,"वह बहुत देर तक तुम्हारी मौसी से बात भी करती रही थीं। उन्होंने उस स्वेटर को भी पूरा किया, जो वह राजू के लिए बुन रही थीं। फिर वह टहलने निकल गई थीं।"अब मुझे खोज के लिए कई सूत्र मिल गए। मैंने घर में तुरंत ही नई जगहों पर ढूँढ़ना शुरू किया।"
नानी की ऐनक
"मेरे कई दोस्त बूढ़े भी हैं।"
मेरे दोस्त
"लेकिन यह क्या? वह तो एक इंच भी पेड़ पर नहीं चढ़ पाई। कई बार उसने कोशिश की, हर बार वह गिर जाती। आखिर थक कर वह बैठ गई।"
चुलबुल की पूँछ
"- केले वाले लिफ़ाफ़े की तरह कई चीज़ें आपको बेकार लगती होंगी, लेकिन सब चीज़ें बेकार नहीं होतीं। छिलके के साथ लिफ़ाफ़े को बिल्कुल नहीं फेंकना, उसे वापस घर ले जाकर दोबारा इस्तेमाल कीजिये।"
कचरे का बादल
"पेंसिल मेरी दिखला सकती है कई कमाल"
ऊँट चला, भई! ऊँट चला
"लिख सकती है सुंदर अक्षर, हल कर सकती कई सवाल।"
ऊँट चला, भई! ऊँट चला
"कुछ देर बाद खुरशीद ने मुमताज़ को कहवा-कश्मीरी चाय और ताज़े सिके गर्मागर्म नान पेश किए। उसने बताया कि कई साल पहले कश्मीर के कशीदाकारों ने लखनऊ के नवाब के यहाँ जाकर वहाँ के चिकनकारों के साथ काम किया था।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"रहमत ने कई पटके उठाये और अकबर की कमर पर एक आसमानी रंग का पटका ऐसे बाँधा कि झालरदार सिरे आगे की तरफ़ लटकें।"
रज़ा और बादशाह
"रज़ा और उसके अब्बा ने, एक के बाद एक कई पटके बाँध कर दिखाये-हरा और पीला, नारंगी और जामनी, पर अकबर को कोई भी न सुहाया।"
रज़ा और बादशाह
"5. कई मुग़ल राजकुमारियाँ बहुत पढ़ी लिखी थीं। गुलबदन बेग़म ने अपने पिता, बाबर की जीवनी लिखी। शाहजहाँ की बेटी, जहाँआरा, शायर थीं।"
रज़ा और बादशाह
"6. मुग़लों के महलों में कई रसोईघर थे। हर रसोईघर से बादशाह के लिये खाना भेजा जाता। ज़ाहिर है कि जब बादशाह सलामत खाने बैठते तो वे तीस किस्म की लज़ीज़ चीज़ों में से अपनी पसन्द की चीज़ खाते। ओहो! मुँह में पानी भर आता है मुग़लई खाने का नाम आने पर- बिरयानी, पुलाओ, कलिया, कोर्मा-यह सब पकवान मुग़लई रसोईघरों से ही निकल कर आये हैं।"
रज़ा और बादशाह
"मोरू को स्कूल जाना अच्छा लगता क्योंकि उसके कई दोस्त भी स्कूल जाते थे। सवेरे उठ कर बाहर जाना उसे अच्छा लगता था। स्कूल के अहाते के अन्दर खेल का मैदान उसे अच्छा लगता था। पर उसे कक्षा में जाना अच्छा नहीं लगता था।"
मोरू एक पहेली
"उसे शिक्षक अच्छे नहीं लगते थे। कक्षा में वह अपने को कैद महसूस करता था। वहाँ कई चीज़ें करने की मनाही थी। बच्चे सवाल नहीं पूछ सकते थे, वे इधर-उधर घूम नहीं सकते थे और बोल भी नहीं सकते थे। शिक्षक के तेवर चढ़े रहते थे।"
मोरू एक पहेली
"प्लैंक्टन अनेक समुद्री जीवों के लिए भोजन का मुख्य स्रोत है। कई किस्म की काई जैसी वनस्पतियां, जीवाणु, दूसरे सूक्ष्म जीव और बड़े समुद्री जीवों के अंडे - लार्वे जो पानी की धाराओं में बहते रहते हैं, उन्हें ही प्लैंक्टन कहते हैं।"
गहरे सागर के अंदर!
"बाँस के अँखुए लेकर जादव उस बँजर रेतीली जगह पर पहुँचे और उन्हें जगह-जगह रोपने लगे। गर्म मौसम में यह बहुत कठिन काम था और उन्हें इसमें कई बरस लग गये।"
जादव का जँगल
"उन्हें पौधे लगाते-लगाते कई बरस बीत गये।"
जादव का जँगल
"लेकिन कितना अच्छा हो कई कई-पेड़ों-वाली-जगहें हों!”"
जादव का जँगल
"अगले तीन दशकों में जादव ने पेड़ लगा-लगा कर बंजर ज़मीन की सूरत और सीरत बदल डाली। नदी की धारा में साढ़े पाँच सौ हैक्टेयर का रेतीला टापू अब घने जँगल में बदल चुका है जिसमें किस्म-किस्म के पेड़-पौधे और जीव-जंतु पाए जाते हैं। इनमें हाथी, बाघ, कपि, हिरन और कई किस्म के स्थानीय और प्रवासी पक्षी शामिल हैं। जादव ने हर रोज़ ख़ुद जाकर अपने जँगल की देखरेख का सिलसिला जारी रखा है। आज भी उन्हें जहाँ कहीं थोड़ी सी ख़ाली जगह दिखाई देती है, वह वहाँ पेड़-पौधे लगा देते हैं।"
जादव का जँगल
"फिर दो जग पानी डाल कर सींचें। आपको कई हफ़्ते तक मिट्टी सूखने पर सिंचाई करनी पड़ेगी, और इंतज़ार करना पड़ेगा तब कहीं गुठली में से पौधा निकलेगा! पौधे को बड़ा होने में बहुत समय लगता है। इसलिए फिक्र न करें, और जल्दबाज़ी तो बिलकुल भी नहीं!"
जादव का जँगल
"हंसते हुए इम्मा बोली, "गालों में गड्ढे पड़ने वाली विशेषता मुझे अपनी मां से मिली थी। लेकिन, हरेक विशेषता के पीछे कई वजह होती हैं। और किसी वजह से कोई विशेषता सामने आती है, तो किसी दूसरी वजह से गायब भी हो सकती है!""
कहाँ गये गालों के गड्ढे?