Peer-review: PENDING

Edit word

ठ ी क

Add letter-sound correspondence launch
Delete
Peer-review 🕵🏽‍♀📖️️️️

Do you approve the quality of this word?



Contributions 👩🏽‍💻
Revision #2 (2024-08-22 05:36)
0xfcf3...1da7
Revision #0 (2020-07-06 10:01)
Nya Ξlimu
Resources
Hindi resources:
  1. Forvo
  2. Google Translate
Labeled content
Emojis
None

Images
None

Videos
// TODO

Storybook paragraphs containing word (42)

"वह कभी शिकायत नहीं करता। क्योंकि ऑटो वाले शिरीष जी भी बहुत मेहनत करते थे। शिरीष जी की बूढ़ी हड्डियों में बहुत दर्द रहता था फिर भी वह अर्जुन के डैशबोर्ड को प्लास्टिक के फूलों और हीरो-हेरोइन की तस्वीरों से सजाये रखते। कतार चाहे कितनी ही लंबी क्यों न हो वह अर्जुन में हमेशा साफ़ गैस ही भरवाते। और जैसे ही अर्जुन की कैनोपी फट जाती वह बिना समय गँवाए उसे झटपट ही ठीक कर लेते।"
उड़ने वाला ऑटो

"लेकिन अर्जुन जानता था कि यह तो बस एक सपना है। ऑटो में हेलिकॉप्टर के पंख होना तो ठीक ऐसा था जैसे हाथी के पंख निकल आना, या फिर रॉकेट की तरह अंतरिक्ष में ढेर सारे डिब्बों वाली ट्रेन का होना।"
उड़ने वाला ऑटो

"उस औरत ने अपनी सुन्दर साड़ी को ठीक किया। शीशे में देखते हुए वह बोली, “भाई, आपका चेहरा!”"
उड़ने वाला ऑटो

"उसे पता था उसे क्या करना चाहिए। पिशि ने होश सँभाले। वह अपने दोस्तों के बीच वापस जाना चाहती थी। पर उस से पहले घाव का ठीक होना ज़रूरी था। वह तेज़ी से तट की ओर तैरने लगी।"
पिशि फँसी तूफ़ान में

"इसके अलावा अगर पूरियों को कम तापक्रम पर तला जाता है तो उनमें भाप बहुत धीरे-धीरे बनती है, प्रेशर ठीक से नहीं बनता और फिर पूरी फूल नहीं पाती।"
पूरी क्यों फूलती है?

"हवाई जहाज़ बहुत बड़े और बहुत भारी होते हैं। उसके दोनों किनारे पर पक्षी की तरह ही पंख बने होते हैं, जो उन्हें उड़ने में मदद करते हैं। इन जहाजों के पंखों की बनावट ठीक पक्षियों के पंखों जैसी होती हैं। नीचे से सपाट और ऊपर से मुड़े हुए, जो उन्हें आसमान में बहुत ऊँचे तक उड़ने में मदद करते हैं।"
हवाई जहाज़ कैसे उड़ते हैं?

""और मुत्तज्जी का कहना है कि वह तब करीब 9 साल की थीं। अगर वह ठीक कह रही हैं, तो मुत्तज्जी 1916* मे पैदा हुई थीं!""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?

"”हाँ, ठीक बात है,“ कुछ सोचकर गाँधी जी बोले, ”मगर एक समस्या है। अगर तुम मेरे साथ जाओगे तो बिन्नी को कौन देखेगा? इतना चलने के बाद, मैं तो कमज़ोर हो जाऊँगा। इसलिये, जब मैं वापस आऊँगा तो मुझे खूब सारा दूध पीना पड़ेगा, जिससे कि मेरी ताकत लौट आये।“"
स्वतंत्रता की ओर

"”हूँ... यह बात तो ठीक है, गाँधी जी! बिन्नी तभी खाती है, जब मैं उसे खिलाता हूँ,“ धनी ने प्यार से बिन्नी का सर सहलाया, ”और स़िर्फ मैं जानता हूँ कि इसे क्या पसन्द है।“"
स्वतंत्रता की ओर

"टूका ने कहा, “पच्चा, तुम्हारी बात मुझे समझ नहीं आई, ठीक से समझाओ।“"
आओ, बीज बटोरें!

"सभी पेड़-पौधे हरे-भरे हो जाएँगे और खुश दिखाई देंगे। ठीक उस हरे दुपट्टे की तरह जिसे हरी भैया ने जयपुर से भेजा है। वो बता रहे थे कि उसे धानी चुनरिया कहते हैं। धानी जैसे धान के नन्हे पौधों का रंग। दादा कह रहे थे कि अच्छी बारिश होने से किसानों को अच्छी फसल मिलेगी।"
गरजे बादल नाचे मोर

"दस मिनट बाद वह अपनी सीट पर ठीक तरह से कुर्सी की पेटी बाँध कर बैठ गए। जहाज़ चलने पर राजू खिड़की से बाहर देखने लगा। जहाज़ पहले धीरे-धीरे आगे बढ़ा फिर देखते ही देखते उसकी रफ़्तार काफ़ी तेज़ हो गई। राजू को लगा कि उसकी कुर्सी थरथरा रही है।"
राजू की पहली हवाई-यात्रा

"“परवेज़, तुमने आज सुनने की मशीन नहीं लगायी है! तुम जानते हो ठीक से सुनने के लिए तुम्हें उसकी ज़रूरत पड़ती है न,”"
कोयल का गला हुआ खराब

"“मममुझे लललगता... उस्ससकी... खखखिचखिच ठीक हहहहो रही है!” उसने बताया।"
कोयल का गला हुआ खराब

"शीला मिस कहतीं हैं कि उसकी आवाज़ भी ठीक हो जाएगी। समय लग सकता है, मगर ठीक ज़रूर होगी।"
कोयल का गला हुआ खराब

"- जब आप ठीक से सुन सकते हैं तो, बोलना आसानी से सीख सकते हैं। ज़्यादातर बधिर लोग ठीक से नहीं बोल पाते क्योंकि वो दूसरों का बोलना नहीं सुन सकते हैं।"
कोयल का गला हुआ खराब

"- कुछ बच्चे चश्मा लगाते हैं ताकि वे अच्छी तरह से देख सकें, ठीक वैसे ही परवेज़ सुनने की मशीन लगाता है ताकि उसे सुनने में आसानी हो। उसे अपनी मशीन को लेकर थोड़ा सचेत रहने की ज़रूरत है।"
कोयल का गला हुआ खराब

"- जो लोग परवेज़ से धीरे से बात करते हैं, वह उन्हें बेहतर समझ पाता है, और ख़ास तौर से जब वे उसकी तरफ देखकर बात कर रहे हों। परवेज़ ठीक से सुन नहीं सकता है, पर वो देख, सूँघ, समझ और सीख सकता है, वह महसूस कर सकता है, और पकड़म-पकड़ाई खेल सकता है।"
कोयल का गला हुआ खराब

"इसलिए अचानक से कोई हरक़त मत करना। ठीक है?"
अरे...नहीं!

"पर दीदी ठीक नहीं हो रही थी।"
दीदी का रंग बिरंगा खज़ाना

"“नटखट का कहीं कोई नामोनिशान नहीं। हो सकता है बाड़े का दरवाज़ा ठीक से बंद न किया गया हो और वह भाग निकला हो।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

""वाह सोना, यह भी ठीक है।" चाचा ने दूसरा पतीला उठाया।"
सोना की नाक बड़ी तेज

"सो अनु भी तन जाती है, “लो, हो गया पापा! अब आप इसे बिगाड़ेंगे नहीं, ठीक है?”"
पापा की मूँछें

""अरे भाई, बन्दर की पूँछ तुम्हारे लिए ठीक नहीं है," डॉक्टर बोम्बो ने उसे समझाया।"
चुलबुल की पूँछ

""नहीं, यह पूँछ ठीक नहीं है। इसे बदलना पड़ेगा," यह कहते हुए उसने अपनी लम्बी पूँछ को हाथ से उठाने की कोशिश की। किसी तरह लड़खड़ाते हुए वह दोबारा डॉक्टर बोम्बो के अस्पताल में पहुँची।"
चुलबुल की पूँछ

"सच कहूँ तो ख़ुद मैं भी यह बात जानना चाहता हूँ और मेरे मन में भी वही सवाल हैं जो लोग तुम्हारे बारे में मुझसे पूछते हैं। हाँ, मैंने पहले दिन ही, जब तुम कक्षा में आई थीं, गौर किया था कि तुम एक ही हाथ से सारे काम करती हो और तुम्हारा बायाँ हाथ कभी हिलता भी नहीं। पहले-पहल मुझे समझ में नहीं आया कि इसकी वजह क्या है। फिर, जब मैं और नजदीक आया, तब देखा कि कुछ है जो ठीक सा नहीं है। वह अजीब लग रहा था, जैसे तुम्हारे हाथ पर प्लास्टिक की परत चढ़ी हो। मैं समझा कि यह किसी किस्म का खिलौना हाथ होगा। मुझे बात समझने में कुछ समय लगा। इसके अलावा, खाने की छुट्टी के दौरान जो हुआ वह मुझसे छुपा नहीं था।"
थोड़ी सी मदद

"सुनो, मैं तुम्हें एक सलाह देना चाहता हूँ। यह ठीक है कि तुम हमारे स्कूल में नई हो। लेकिन अगर तुम चाहती हो कि कोई तुम्हें घूर-घूर कर न देखे, और तुम्हारे बारे में बातें न करें, तो तुम्हें भी हर समय सबसे अलग-थलग खड़े रहना बंद करना होगा। तुम हमारे साथ खेलती क्यों नहीं? तुम झूला झूलने क्यों नहीं आतीं? झूला झूलना तो सब को अच्छा लगता है। तुम्हें स्कूल में दो हफ्ते हो चुके हैं, अब तो तुम खुद भी आ सकती हो। मैं हमेशा तो तुम्हारा ध्यान नहीं रख सकता न।"
थोड़ी सी मदद

"अपने छोटे भाई की ओर देख के हाँफते हुए बोला, “शब्बो, सच तू कितना भाग्यवान है। पूरे महीने स्कूल से छुट्टी!”
 खिड़की के पास बैठा शब्बो अपने पलस्तर चढ़े पैर को देख के चिहुँका, “हाँ, बिल्कुल ठीक कहा भाईजान। पैर तोड़ने में बहुत ही मज़ा आता है। सारे दिन यहाँ बैठ के इतना बोर हो जाता हूँ सोचता हूँ अपने बाल नोच डालूँ जब आप दामू के साथ फ़ुटबॉल खेलते हो। ज़रूर, बहुत ही भाग्यवान हूँ मैं?”"
कल्लू कहानीबाज़

"“अच्छा ठीक है,” मास्टर जी थोड़े पसीज गये, “इस बार जाने दे रहा हूँ पर एक बार भी और देर से आये तो तुम शो से बाहर। समझ रहे हो?”"
कल्लू कहानीबाज़

"फिर उन्होंने पूछा कि पॉलिथीन से और क्या होता है। तब हमने उन्हें बताया कि पॉलिथीन अगर उपजाऊ जगह पर प्रयोग किया जाए तो वह खराब हो सकती है, जैसे गेहूँ के पौधे के ऊपर यदि पॉलिथीन रखते हैं तो पौधा ठीक से नहीं उगेगा।"
पॉलिथीन बंद करो

"लेकिन वे सिर्फ़ हॉकी स्टिक के अपने कौशल के सहारे की ध्यान चंद नहीं बने। हॉकी, जो कि एक टीम का खेल है, उसमें ध्यान चंद एक प्रभावी टीम साथी के रूप में उभरे। जब वे मैदान में दौड़ रहे होते, उनका मस्तिष्क एक शतरंज की बाज़ी के रूप में सोचता। जैसे अपको पता होता है कि आपकी कक्षा में आपके मित्र कौन कौन से स्थान पर बैठते हैं और आप बिना देखे यह बता सकते हैं कि “काव्या यहाँ बैठती है, रोमिल यहाँ बैठता है” ध्यान चंद के लिए हॉकी ठीक वैसा ही था। बिना देखे उनको पता होता था कि उनके टीम के साथी कहाँ खड़े हैं, और वे किसको गेंद पास कर सकते हैं।"
ध्यान सिंह  'चंद'  : हॉकी के जादूगर

"फिर आई अंकों वाली किताबें। मोरू की आँखें और उंगलियों की तेज़ी कुछ ढीली पड़ी। मोटे अंक पतले अंकों के साथ नाच रहे थे। दो अंक एक के ऊपर एक ऐसे बैठ गये जैसे कोई ढुलमुल इमारत हो जो अपनी नींव भरने का इन्तज़ार कर रही हो। गुणा के सवालों में जैसे संख्या बढ़ती जाती थी, वो कुछ नाटे और नीचे की तरफ़ चौड़ाते लग रहे थे। भाग इसका ठीक उलटा था। शुरूआत में बड़ी संख्या और अगर ध्यान से करते जाओ तो अन्त में लम्बी पतली आकर्षक पूँछ बन जाती थी। अगर भाग्यशाली हो तो अन्त में कुछ नहीं बचेगा। एक-एक कर के सारे अंक और उनके करतब मोरू के पास लौट आये।"
मोरू एक पहेली

"कहो दीदी, ठीक कहा न मैंने?"
दीदी, दीदी, बादल क्यों गरजते हैं?

"शायद तुमने ठीक ही कहा,"
दीदी, दीदी, बादल क्यों गरजते हैं?

"और शायद ठीक भी,"
दीदी, दीदी, बादल क्यों गरजते हैं?

"कैसा लगा, दीदी? ठीक कहा न मैंने?"
दीदी, दीदी, बादल क्यों गरजते हैं?

"प्रकृति में हर वस्तु छोटे-छोटे परमाणुओं से बनी है। हर एक परमाणु के बीच में एक नाभिक होता है, जिसमें दो प्रकार के कण होते हैं-प्रोटोन एवम् न्यूट्रॉन। नाभिक के चारों ओर इलेक्ट्रॉन घूमते हैं, ठीक वैसे ही जैसे हमारी धरती सूर्य के चक्कर काटती है।"
दीदी, दीदी, बादल क्यों गरजते हैं?

"गुब्बारे को फुलाएँ और ऊन या रेशम को गुब्बारे पर रगड़ें। अब गुब्बारे को दीवार पर रखें ओर देखें कि गुब्बारा दीवार पर चिपक जाता है! ठीक वैसे ही
 जैसे चुम्बक के साथ लोहे का टुकड़ा।"
दीदी, दीदी, बादल क्यों गरजते हैं?

"विदूषक ने एक लम्बी, उब्काऊ सी कहानी शुरू की, इस उम्मीद से कि राजा उसे सुनते ही सो जायेंगे। आह, मगर हमारे राजा को चैन कहाँ था। बेचैन होकर पूछते रहे, “हाँ हाँ, वो तो ठीक है, मगर कहानी ख़तम कैसे होती है?”"
कोट्टवी राजा और उनींदा देश

"“बस, मोगरे के बगीचे तक ही, ठीक है? उसके बाद हम लौटकर सो जायेंगे!”"
कोट्टवी राजा और उनींदा देश

"समुद्र की तली में हमें व्हाइटटिप रीफ़ शार्क का जोड़ा भी आराम करते हुए मिला। ये मछलियां बड़ी ज़रूर होती हैं, लेकिन ख़तरनाक नहीं, इसलिए हम उन्हें ठीक से देखने के लिए उनके काफ़ी पास तक जा पहुंचे।"
गहरे सागर के अंदर!

"लांगलेन सोच रही थी, उसके पापा ने बोलना जारी रखा, "भूरी धारियों वाले बच्चे का रंग पापा के जैसा है, ठीक वैसे ही जैसे लांगलेन के घुंघराले बाल उसके अप्पा जैसे हैं!""
कहाँ गये गालों के गड्‌ढे?