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Storybook paragraphs containing word (38)
""अम्मा, क्या केक खाने को मिलेगा?" पुट्टी ने पूछा। "एक बड़ा सा नरम-मुलायम स्पंजी केक, गुलाबी आइसिंग वाला और जिसके ऊपर गुलाब बना हो?""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
"अज्जी ने ज़रा सोच कर जवाब दिया, "पक्का तो नहीं, लेकिन तुम दोनों दोपहर के खाने के बाद अपने अज्जा के साथ लाइब्रेरी जाकर वहाँ पता कर सकते हो।""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
"● रेशे वाले फल और सब्जियाँ खाने से दाँत मज़बूत होते हैं, जैसे कि सेब, गाजर, दाँत साफ़ रखने में सहायक हैं।"
टूथपेस्ट ट्यूब के अंदर कैसे आया?
"पच्चा ने समझाते हुए बताया, “बीज सभी आकृति और आकार के होते हैं।“ इंजी सेब का बचा हुआ हिस्सा खाने में जुटा था। “क्या ये सभी पेड़ों के बच्चे हैं?" पोई ने पूछा।"
आओ, बीज बटोरें!
"सभी पौधों को मिट्टी से बहुत प्रेम होता है, लेकिन मूंगफली को धरती से ज्यादा ही प्यार है, इसी कारण ये जमीन के अंदर ही बढ़ती हैं। इसके छोटे-छोटे दाने खाने में बेहद पौष्टिक और स्वादिष्ट होते हैं। इन दानों को कच्चा, उबालकर और भूनकर खाया जाता है।"
आओ, बीज बटोरें!
"“बड़ी गिलहरियों ने मुझे ढेर सारी गिरियाँ खाने को दीं और "
तारा की गगनचुंबी यात्रा
"वे दौड़कर अन्दर गए और अपने खाने के डब्बे खोल लिए। स्टेल्ला ख़ुशी से चिल्लाई, “वाह, इडली!”"
कोयल का गला हुआ खराब
"घूम-घूम गंगा नदी में अपने बड़े से घड़ियाल परिवार के साथ रहती है जो दिन भर पानी में छपाके मार-मार कर शोर मचाता रहता है। वह रोज़ खाने के लिए मछलियों और कीड़े-मकोड़ों की तलाश में निकल जाती है। रोज़ ही घूम-घूम की मुलाकात तरह-तरह के जीवों से होती है। घोंघे, ऊदबिलाव, डॉल्फ़िन, मछुआरे, माँझी, बगुले, सारस, भैंस, साँप और कई दूसरे जीव उसे मिलते हैं।"
घूम-घूम घड़ियाल का अनोखा सफ़र
"हमारी ही तरह वह भी ज़्यादातर बढ़िया खाने और रहने की आरामदेह जगह या प्यार करने वाले परिवार की तलाश में एक से दूसरी जगह घूमते-फिरते हैं। कभी-कभी वे अपने उन दुश्मनों से बचने के लिए भी घूमते-फिरते हैं जो उन्हें पकड़ कर खा सकते हैं।"
सत्यम, ज़रा संभल के!
"वह खाने की तलाश में था।"
मेंढक की तरकीब
"वह मजे से खाना खाने लगा।"
मेंढक की तरकीब
"सिर्फ कुछ खाने के लिए ही जाती।"
कुत्ते के अंडे
"फिर खाने की तलाश में निकल पड़ी।"
कुत्ते के अंडे
"पर मुनिया जल्द ही यह जान गयी कि वह शर्मीला और घासफूस खाने वाला एक शान्त पक्षी है। वह बस झील के किनारे लगे पौधे और पत्तियाँ चबाता रहता। मुनिया को महसूस हुआ कि उसमें और उस गजपक्षी में कुछ समानता है। सही तो है, विशालकाय एक-पंख गजपक्षी उड़ नहीं सकता था और मुनिया दौड़ नहीं सकती थी! गाँव के बाकी सारे बच्चे उसके लँगड़ाने का मज़ाक उड़ाते और अपने खेलों में उसे शामिल न करते। इसलिए उसे अकेले रहना ही अच्छा लगता।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी
"फिर खाने की बारी आयी।"
सैर सपाटा
"जब नौका किनारे पर पहुँची, काटो जल्दी से जल्दी सबको अपने कारनामे के बारे में बता देना चाहता था। दिन की सारी घटनाओं के बाद, काटो का सिर नौका की तरह चक्कर खा रहा था। खाने की मेज़ पर जैसे ही उसने सिर रखा, उसकी आँखें बंद होने लगीं और वह गहरी नींद में डूब गया।"
नौका की सैर
"उनके माथे पर, बाथरूम में, उनकी अलमारी में, पूजा की जगह उनकी पसंदीदा कुर्सी के नीचे और खाने की मेज़ पर।"
नानी की ऐनक
"दादीजी का बैग बड़ा है।
शायद उसमें खाने की बहुत सी अच्छी अच्छी चीज़ें हैं।"
चाचा की शादी
"अब दोनों पकोड़े खाने झलौरा गाँव की तरफ़ चल पड़े हैं।"
बारिश में क्या गाएँ ?
"एक चींटी खाने की खोज में घूम रही थी।"
दाल का दाना
"“शुक्रिया पिता जी!” चीनू बोला उसके बाद, रात को खाने के लिए उन्हें उसे तीन बार बुलाना पड़ा!"
कबाड़ी वाला
"“ए मुन्नी! परे हट, मैं तेरे अंडे खाने आया हूँ,” वह चहक कर बोला। मुन्नी समझदार गौरैया थी। वह झटपट बोली, “काका किसी की क्या मजाल कि तुम्हारी बात न माने? लेकिन मेरी एक विनती है। मेरे अंडों को खाने से पहले तुम ज़रा अपनी चोंच धो आओ। यह तो बहुत गन्दी लग रही है।”"
काका और मुन्नी
"“सूखा पुआल खा कर दूध कहाँ से दूँ? हाँ थोड़ी रसीली घास खाने को मिल जाए तो मैं ज़रूर तुम्हें दूध दे दूँ,” भैंस ने रम्भा कर जवाब दिया।"
काका और मुन्नी
"बाज़ार में यहाँ से वहाँ, वहाँ से यहाँ आते-जाते लोग नए-नए जोड़े पहने इतराते घूमते थे। दुकानों में मिठाइयों के ढेर मुँह में पानी भरते-इमरती, लड्डू, दिलबहार और चमचम, ज़ायकेदार गुनगुने बड़े कबाब, गर्मागर्म छुनछुन करती आलू की टिक्कियाँ...हर तरह का खाने का सामान, कपड़ा-लत्ता, चमचम करते चाँदी के ज़ेवरात-बाज़ार के चौक की दुकानें दुल्हन जैसी सजी थीं।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"इतिहास के कुछ रोचक तथ्य 1. रज़ा, बादशाह अकबर के शासनकाल में अब से 400 साल पहले रहता था। अकबर मुग़ल राजवंश का सबसे महान राजा था। वह एक प्रसिद्ध योद्धा भी था। उसे नये नमूनों के कपड़े पहनने का बहुत शौक़ था। वह पतंगबाज़ी और आम खाने का भी शौकीन था। 2. बाबर, मुग़ल राजवंश का संस्थापक, काबुल का राजा था। उसने 1526 में भारत पर आक्रमण किया और दिल्ली के सुल्तान इब्राहीम लोदी को पानीपत की लड़ाई में हरा दिया। अकबर, बाबर का पोता था। वह भी एक बड़ा कामयाब सेनापति था और अपने 49 साल के शासन काल में एक भी लड़ाई नहीं हारा।"
रज़ा और बादशाह
"6. मुग़लों के महलों में कई रसोईघर थे। हर रसोईघर से बादशाह के लिये खाना भेजा जाता। ज़ाहिर है कि जब बादशाह सलामत खाने बैठते तो वे तीस किस्म की लज़ीज़ चीज़ों में से अपनी पसन्द की चीज़ खाते। ओहो! मुँह में पानी भर आता है मुग़लई खाने का नाम आने पर- बिरयानी, पुलाओ, कलिया, कोर्मा-यह सब पकवान मुग़लई रसोईघरों से ही निकल कर आये हैं।"
रज़ा और बादशाह
"सच कहूँ तो ख़ुद मैं भी यह बात जानना चाहता हूँ और मेरे मन में भी वही सवाल हैं जो लोग तुम्हारे बारे में मुझसे पूछते हैं। हाँ, मैंने पहले दिन ही, जब तुम कक्षा में आई थीं, गौर किया था कि तुम एक ही हाथ से सारे काम करती हो और तुम्हारा बायाँ हाथ कभी हिलता भी नहीं। पहले-पहल मुझे समझ में नहीं आया कि इसकी वजह क्या है। फिर, जब मैं और नजदीक आया, तब देखा कि कुछ है जो ठीक सा नहीं है। वह अजीब लग रहा था, जैसे तुम्हारे हाथ पर प्लास्टिक की परत चढ़ी हो। मैं समझा कि यह किसी किस्म का खिलौना हाथ होगा। मुझे बात समझने में कुछ समय लगा। इसके अलावा, खाने की छुट्टी के दौरान जो हुआ वह मुझसे छुपा नहीं था।"
थोड़ी सी मदद
"उस दिन खाने की छुट्टी के दौरान जो कुछ हुआ, मैं देख रहा था। आख़िर मैं भी सब कुछ जानना चाहता हूँ। क्या किसी का एक ही हाथ होना कोई अजीब बात है? सिर्फ़ तुम्हारा हाथ ही ऐसा है या फिर तुम्हारी पूरी बाँह ही नकली... माफ़ करना, प्रॉस्थेटिक है?"
थोड़ी सी मदद
"तुम्हारी बात सुनने के बाद, मैंने एक हाथ से बहुत सी चीजें करने की कोशिश की। लेकिन यह बहुत ही मुश्किल है! मुझे अभी तक यह समझ नहीं आया कि तुम नहाना, कपड़े पहनना, बैग संभालना जैसे काम ख़ुद ही कैसे कर लेती हो। उस दिन खाने की छुट्टी के बाद की बातचीत के बाद से मैंने महसूस किया कि तुम भले ही कुछ कामों को थोड़ा अलग ढँग से करती हो, लेकिन तुम भी वह सारे काम कर लेती हो जो बाकी सब लोग करते हैं।"
थोड़ी सी मदद
"जब वे बस में लौट रहे थे तो दामू और उसने मिल के एक कमाल की योजना बनाई थी। नया राजमार्ग खजूरिया गाँव के बगल से निकलता था। दामू और कल्लन मिल के वहाँ एक ढाबा, एस टी डी फ़ोन बूथ, कमप्यूटर सेन्टर खोल सकते थे। दामू, जिसे सपने में भी खाने के ख़याल आते थे, ढाबा चला सकता था और कल्लू एस टी डी बूथ। बूथ से लोग घर को फ़ोन लगायेंगे और आस-पास के सभी गाँवों के लोग मण्डी में सब्ज़ी, गेहूँ और गन्ना भेजने से पहले इन्टरनेट पर आज के भाव देख सकते थे।"
कल्लू कहानीबाज़
"“ठीक है। स्कूल में मिलते हैं” दामू ने कंधे उचका दिये और खाना खाने लगा।"
कल्लू कहानीबाज़
"जब वह थक जाता तो खुद को सीढ़ियों के जंगले पर फिसलते हुए देखता और सब अंक उसकी ओर हाथ हिला रहे होते। दोपहर के खाने में अक्सर सबके आधे पेट रह जाने पर ख़त्म हो जाने वाले चावल से नहीं, उन दोस्तों से नहीं जिन्हें खेल जमते ही घर जाना होता, अंक हमेशा मोरू के पास रहते। कभी न ख़त्म होने वाले अंक कि जब चाहे उनके साथ बाज़ीगरी करो, छाँटो, मिलाओ, बाँटो, एक पंक्ति में लगाओ, फेंको, एक साथ मिलाओ या अलग कर दो।"
मोरू एक पहेली
"“मेरी माँ कहा करती थीं देवी भरे पेट को इंकार नहीं कर सकती। सो मैं अपने रसोइए से कहता हूँ कि मुझे शानदार भोजन बनाकर दे, गरम, मीठे पकवानों से भरा। बस, खाने के दो मिनट के अंदर, मैं पूरी नींद में होता हूँ।”"
कोट्टवी राजा और उनींदा देश
"राज संगीतकार को यह खाने की कहानियाँ बिलकुल नहीं भा रही थीं। भरा पेट हो, तो वो गा ही नहीं सकते! मगर वो भी कुछ मदद करना चाहते थे। सो उन्होंने कहा, “हमारे वंश में, महाराज, हम निद्रा देवी का स्वागत हमेशा संगीत से ही करते हैं। नीलाम्बरी राग में गाई हुई कोई सुन्दर रचना, वीणा की संगत में... आ हा, परमानन्द!”"
कोट्टवी राजा और उनींदा देश
"झटपट अमरूद खाने के इरादे से एक जगह जाकर बैठ गई। अमरूद पर एक चोंच ही मारी थी कि उसे सिर पर भारी चोट महसूस हुई। आँखों के आगे अँधेरा छा गया और वह गिर पड़ी। यह कैसे हुआ? जब उसने अमरूद खाना शुरू कि या था उसी समय एक कौआ एक लकड़ी के टुकड़े करे चोंच में दबाकर उड़ रहा था। वह लकड़ी का टुकड़ा उसकी चोंच से निकलकर गौरैया की खोपड़ी पर गिर पड़ा। बस, यहीं पर कहानी खतम!"
गौरैया और अमरूद
"आम खाया? मज़ा आया? एक और खाने का मन है? बेशक, आप दुकान पर जाकर ख़रीद सकते हैं। लेकिन इससे कहीं ज़्यादा मज़ा आएगा तब, वह भी मुफ़्त में, जब आप अपने खाए आम की गुठली से और आम तैयार करेंगे! बस इसके लिए आपको चाहिए ढेर सारा समय और धैर्य!"
जादव का जँगल
"सबसे पहले अपने घर के पास एक अच्छी सी ख़ाली जगह ढूँढें। आम खाने के बाद जो गुठली बचा कर रखी है, उसे बोने के लिए ऐसी जगह चुने जहाँ ज़मीन ज़्यादा सख़्त न हो और धूप ख़ूब आती हो। अपने दोस्त, भाई-बहन या किसी बड़े की मदद से आठ-दस इँच गहरा गड्ढा खोद कर बीज को उसमें डालें और मिट्टी से ढक दें।"
जादव का जँगल
"इनमें से कुछ फल खाने आएँगे, कुछ पेड़ का रस पीने आएँगे, कुछ इसके फूलों का रस पीने आएँगे और कुछ जीव इस पेड़ पर जमघट लगाये जीवों को चट करने के चक्कर में होंगे! सभी पेट भरने के चक्कर में रहेंगे, ऐसा भी नहीं है। कुछ ऐसे भी जीव होंगे जो आपके पेड़ की छाँव में आराम करने, उसकी डालों में कुछ देर चैन की नींद लेने आएँगे। आपका पेड़ अलग-अलग जीवों के लिए अलग काम का होगा!"
जादव का जँगल