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Storybook paragraphs containing word (109)
"कुछ बनबिलाव घरेलू बिल्लियों की तरह दिखते हैं।"
बनबिलाव! बनबिलाव!
"दौड़ दौड़ कर मोटा राजा भी कुत्ते की तरह पतला हो गया।"
एक था मोटा राजा
"वह बच्चों से कहती हैं, “गप्पू की तरह करो!”"
गप्पू नाच नहीं सकती
"लेकिन अर्जुन जानता था कि यह तो बस एक सपना है। ऑटो में हेलिकॉप्टर के पंख होना तो ठीक ऐसा था जैसे हाथी के पंख निकल आना, या फिर रॉकेट की तरह अंतरिक्ष में ढेर सारे डिब्बों वाली ट्रेन का होना।"
उड़ने वाला ऑटो
"शोरोगुल भरे रास्तों से कहीं ऊपर इस शांत माहौल में अर्जुन को याद
आ रही थी मोटर कारें, साइकिलें और बसों से पटी सड़कें। उसने नीचे देखा। काम में जुटे उसके परिवार के सदस्यों की छोटी-छोटी कैनोपी पीले बिन्दुओं की तरह चमक रही थीं।
अर्जुन को उन लोगों की भी याद आई जो हमेशा कहीं न कहीं जाने के लिए तैयार रहते थे।
एक नई मंज़िल, एक नई जगह... “फट, फट, टूका, टूका, टुक।”"
उड़ने वाला ऑटो
"बिलकुल मेरी तरह उन्हें भी इमारतें और मकान बनाना अच्छा लगता है।"
सबसे अच्छा घर
"सर्कस के जोकर की तरह लठ्ठों पर खड़े मकान नम, गीली ज़मीन से ऊपर..."
सबसे अच्छा घर
"टीपी: अमेरिका के मैदानी इलाकों के आदिवासी छड़ियों और जानवरों की खालों से बहुत हल्के घर बनाते हैं। खेमे की तरह इन्हें भी खोल कर कहीं और ले जा सकते हैं।"
सबसे अच्छा घर
"आटे में दो तरह के प्रोटीन होते हैं - ग्लाइडीन और ग्लोटेनिन। इन दोनों प्रोटीन के अणुओं को बहुत प्यास लगती है।"
पूरी क्यों फूलती है?
"कभी-कभी खेलते समय आप भी एक दूसरे का हाथ पकड़ कर एक क़तार बनाते हैं और फिर वह पूरी क़तार ही एक साथ चलती है। उसी तरह कण भी एक दूसरे के साथ चिपक कर एक नेटवर्क सा बना लेते हैं।"
पूरी क्यों फूलती है?
"अम्मा ने आटे को गूँध लिया है। वह अब अपनी हथेली में थोड़ा सा तेल लगा कर उसे अच्छी तरह गूँधने के लिये कह रही है। आटे को अच्छी तरह गूँधने के लिये मजबूत हाथ चाहिए। उनका कहना है कि अगर आटे को अच्छी तरह गूँधा नहीं जाता है तो पूरी नहीं फूलती है।"
पूरी क्यों फूलती है?
"जब हम आटे को गूँधते हैं तो एक दूसरे से चिपके कण, फैलने लगते हैं और फिर इस तरह फैलने के बाद एक नया प्रोटीन बन जाता है, जिसे कहते हैं ग्लूटेन। ग्लूटेन, रबर की तरह लचीला होता है, इसलिए गूँधे हुये आटे को हम कोई भी आकार दे सकते हैं।"
पूरी क्यों फूलती है?
"अब फिर इसे एक बड़े बर्तन में रख देते है अब बर्तन के अंदर रखे गूँधे आटे पर इतना पानी डालते है जिससे वो उसमे डूब जाए। पानी के अंदर डूबे आटे को गूँधते रहते है जब तक पानी का रंग सफ़ेद नहीं हो जाता। इस पानी को फैक कर बर्तन में थोड़ा और ताजा पानी लेते है इसे तब तक करते रहे जब तक गुँधे आटे को और गूंधने से पानी सफ़ेद नहीं होता। इसका मतलब यह है कि आटे का सारा स्टार्च खत्म हो गया है और उसमें बस ग्लूटेन ही बचा है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि स्टार्च पानी में घुल जाता है लेकिन ग्लूटेन नहीं घुलता। अब इस बचे हुए आटे यानि ग्लूटेन से थोड़ा सा आटा लेते है इसे हम एक रबड़बैंड कि तरह खीच सकते है। अगर इसे खीच कर छोड़ते है तो यह वापस पहले जैसा हो जाता है। इससे इसके लचीलेपन का पता चलता है आप इसे चोड़ाई में फैला सकते है इससे पता चलता है कि इसमें कितनी प्लाटीसिटी है।"
पूरी क्यों फूलती है?
"फिर जब वही मधुमक्खियाँ किसी और फूल के पास जा कर भन-भन करते हुए ज़ोर-शोर से नाचती हैं, तो इस धमा-चौकड़ी में दाने दूसरे फूलों पर गिर जाते हैं। फिर मधुमक्खियाँ और फूलों तक उड़ती हुई जाती हैं, कुछ दाने उठाती हैं व कुछ गिराती चलती हैं। यह कार्यक्रम इसी तरह चलता रहता है।"
मधुमक्खियाँ क्यों भन-भन करती हैं?
"2. मधुमक्खियों से जुड़ी एक मजेदार बात आपको बताते है, नन्ही मधुमक्खी के दिमाग की तरह काम करते समय इनका दिमाग बूढ़ा नहीं होता, वो बस किसी नन्ही मधुमक्खी के दिमाग की तरह काम करने लगता है अब आप भी चाहते है न एक मधुमक्खी बनना !"
मधुमक्खियाँ क्यों भन-भन करती हैं?
"3. इन्सानो की तरह मधुमक्खियाँ भी चेहरे पहचानती है! चेहरे के हर हिस्से को वो पहले ध्यान से देखती है फिर उसे जोड़ कर चेहरा याद कर लेती है! तो याद रखे कि किसी भी मधुमक्खी को कभी छेड़े नहीं!"
मधुमक्खियाँ क्यों भन-भन करती हैं?
"4. केफीन – नाम के केमिकल को इस्तेमाल करते हुये पोंधे हानिकारक कीड़े मकोड़ों को दूर रखते है और इसी की मदद से यह जान जाती है कि कोई फूल कहाँ पर है और इसी तरह से वो बार बार वहाँ पहुचती है!"
मधुमक्खियाँ क्यों भन-भन करती हैं?
"5. बंबल बिज़, मधुमक्खी और दूसरी तरह कि बीज़ से ज्यादा बड़ी होती है! उन्हे छत्ते में रहना और मिलना जुलना अच्छा लगता है! कई बंबल बीज में डंक नहीं होता है! वो ज्यादा शहद तो नहीं बनाती लेकिन वो बेहतरीन पोल्लीनेटर होती है!"
मधुमक्खियाँ क्यों भन-भन करती हैं?
"2. मधुमक्खी की तरह भिनभिनाने कि कोशिश कीजिये अपनी बाहों को उपर और नीचे (फ्लेप) कीजिये और देखिये कि क्या भिनभिनाट होती है!"
मधुमक्खियाँ क्यों भन-भन करती हैं?
"3. छत्ता यानि मधुमखियों का घर जैसे इंजीनियरिंग की एक मिसाल होता है! आप को क्या लगता है! छाते की तरह बेहतरीन षट्कोन (हेक्सागोनस) बनाने कि मदद से इसके मॉडल्स बनाइये! 4. तब शायद आपको इसका जवाब मिल जाए और तब आप समझ जाएंगे की अलग अलग फूलों के रस से बने शहद का स्वाद भी एकदम अलग अलग होता है!"
मधुमक्खियाँ क्यों भन-भन करती हैं?
"सरला हड़बड़ा कर खड़ी हुई और बोली, "सॉरी मैडम!" मैं चील को देख रही थी। काश! हम भी चिड़िया की तरह उड़ पाते या फिर एक हवाई जहाज़ की तरह..."
हवाई जहाज़ कैसे उड़ते हैं?
"कुछ ही दिनों में वह पशु-पक्षियों के बारे में बहुत कुछ जान गई और यह भी कि हम हवाई जहाज़ की तरह क्यों नहीं उड़ सकते!"
हवाई जहाज़ कैसे उड़ते हैं?
"सरला ने सीखा कि मानव भी उड़ सकते हैं, पर पक्षियों की तरह नहीं। हम मनुष्य के एक महान आविष्कार, हवाई जहाज़ में बैठकर विश्व के किसी भी नगर से उड़ान भर सकते हैं।"
हवाई जहाज़ कैसे उड़ते हैं?
"हवाई जहाज़ बहुत बड़े और बहुत भारी होते हैं। उसके दोनों किनारे पर पक्षी की तरह ही पंख बने होते हैं, जो उन्हें उड़ने में मदद करते हैं। इन जहाजों के पंखों की बनावट ठीक पक्षियों के पंखों जैसी होती हैं। नीचे से सपाट और ऊपर से मुड़े हुए, जो उन्हें आसमान में बहुत ऊँचे तक उड़ने में मदद करते हैं।"
हवाई जहाज़ कैसे उड़ते हैं?
"इंजिन बहुत ही मज़बूत यंत्र है जो हवाई जहाज़ के दिमाग की तरह (तेज़) काम करती है। जिस तरह पक्षी अपना दिमाग लगाते हैं और सीखते हैं कि कैसे उड़ा जाय,वैसे ही इंजिन विमान को ज़मीन से ऊपर की ओर धकेलती है और उन्हें आगे बढ़ने में मदद करती है।"
हवाई जहाज़ कैसे उड़ते हैं?
"कार एवं अन्य वाहन भी इंजिन की सहायता से ही चलते हैं, मगर वे विमान की तरह आसमान में उड़ नहीं सकते। हवा विमान के उन पंखों के ऊपर और अंदर बहती है जो पक्षी के पंख जैसे होते है, इन्हीं के दबाव से विमान ऊपर उठते हैं और टिके रहते हैं। विमान की भी पूँछ होती हैं - बिलकुल चिड़िया की तरह, जो उन्हें हवा में टिकने और दिशा बदलने में मदद करती है।"
हवाई जहाज़ कैसे उड़ते हैं?
"विमान जानते हैं कि उन्हें कहाँ जाना है, क्योंकि विमानचालक उन्हें चलाते हैं। ये चालक विमान के अंदर, सामने की एक जगह, जिसे चालक स्थल (कॉकपिट) कहते हैं, से उन्हें नियंत्रित (कंट्रोल) करते हैं। वे बहुत ही सटीक और आधुनिक डिवाइसों के द्वारा हवाई अड्डों (एक जगह जहाँ हवाई जहाज़ उड़ान भरते और उतरते हैं) के संपर्क में रहते हैं। जिस तरह हमारी मदद के लिए सड़क पर सिग्नल और पुलिस होती है, वैसे ही वायु यातायात नियंत्रक (एयर ट्रैफिक कंट्रोलर) होते हैं जो विमान चालक को बताते हैं कि कब और किस ओर उड़ान भरनी है और कब उड़ान भरना या उतरना सुरक्षित रहेगा।"
हवाई जहाज़ कैसे उड़ते हैं?
"विमान वास्तव में एक विशाल पक्षी है! न सिर्फ़ इसका आकार पक्षी की तरह है, बल्कि ये उड़ते भी हैं, हालाँकि पक्षियों की तरह नहीं। सरला बड़ी होकर विमान चालक बनना चाहती है और हवाई जहाज़ उड़ाना चाहती है।"
हवाई जहाज़ कैसे उड़ते हैं?
"2. 'फ़्लाइ - डोंट फ़्लाइ' गेम: मित्रों का एक समूह बनाओ और एक -दूसरे को बिना छुए कमरे के चारों तरफ़ जहाज़ की तरह उड़ो। डेन (चोर) एक कोने में खड़ा होकर उड़ने वाली और ना उड़ने वाली चीज़ों के नाम कहेगा। जैसे ही वह किसी ना उड़ने वाली चीज़ (जैसे कि मेज़/टेबुल) कहे तो जहाज़ों को ज़मीन पर उतरना (बैठ जाना) होगा। जो ग़लती करेगा, वह अगला डेन होगा।"
हवाई जहाज़ कैसे उड़ते हैं?
"मुत्तज्जी ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगीं। "बिलकुल है! एकदम चट्टान की तरह मज़बूती से"
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
"कुछ साल बाद, ल्यूसियस दंत विज्ञान की पढ़ाई के लिए पेरिस गया। वहाँ उन्होने कलाकार (पेंटर) को धातु की ट्यूब दबाकर उससे पेंट की थोड़ी मात्रा निकाल, पेंट-ब्रश पर लगाते देखा। क्यों न हम इसी तरह के ट्यूब का उपयोग टूथपेस्ट रखने के लिए करें! वह घर आया और अपना सुझाव पिता के सामने रखा। उन्हें भी यह सुझाव बहुत पसंद आया।"
टूथपेस्ट ट्यूब के अंदर कैसे आया?
"हाँ, बिलकुल सही! उन्होंने ढक्कन को पेंच से कसा और ट्यूब के दूसरे हिस्से को पूरी तरह खुला छोड़ा। ट्यूब के बड़े पिछले हिस्से को भरना सचमुच आसान था! ख़ासकर जब तुम्हारे पास पेस्ट के साथ पंप के लिए कुछ हो, जैसे कि पिचकारी। इसके बाद यही करना बाकी रहा कि ट्यूब के उस खुले सिरे को कसकर बंद किया जाए ताकि पेस्ट बाहर न निकले।"
टूथपेस्ट ट्यूब के अंदर कैसे आया?
"बर्तन के निचले हिस्से में लगे नल से घूमते कन्वेयर बेल्ट के साथ हरएक खाली ट्यूब भरता जाता है। लेकिन पेस्ट उनके सिरे तक नहीं भरा जाता, इन्हें आधा इंच खाली रखा जाता है ताकि अच्छी तरह बंद किया जा सके। अब ट्यूब दबाकर निकालने के लिए तैयार है।"
टूथपेस्ट ट्यूब के अंदर कैसे आया?
"● क्या तुमने कभी दंत मंजन का उपयोग किया है? इसमें कितने तरह की खुशबू आ सकती है? क्या तुमने इसे खोजा है?"
टूथपेस्ट ट्यूब के अंदर कैसे आया?
"ठीक 5 बजते ही, इंजी, स्कूल की किसी पुरानी बस की तरह दौड़ता-हाँफता चला आता है। इंजी, चॉकलेटी रंग की आंखों वाला उनका प्यारा पिल्ला है, जिसकी पूँछ हमेशा हिलने के बावजूद कभी नहीं थकती।"
आओ, बीज बटोरें!
"“ये बीज, छोटे चमकदार कीड़ों की तरह हैं!“ पोई ने कहा।"
आओ, बीज बटोरें!
"“मुझे केले के बीज दिखाई दे रहे हैं! ये तो सोते हुए गोजर, वो कई पैरों वाले कीड़े, की तरह दिख रहे हैं,“ टूका उत्साहित होकर बोला।"
आओ, बीज बटोरें!
"चावल सामान्य नाम: राइस या चावल। वैज्ञानिक मुझे कहते हैं: ऑरिज़ा सटाईवा। चावल, सबसे लोकप्रिय अनाजों में से एक है। जहां तक मुझे मालूम है, भारतीय घरों में अन्य अनाजों की तुलना में चावल सबसे ज़्यादा खाया जाता है। जब चावल पौधे पर लगा होता है तो उसके दानों पर जैकेट की तरह एक खुरदुरा, भूरे रंग का छिलका होता है जिसके कारण इसके दाने अंदर सुरक्षित और साबुत बने रहते हैं।"
आओ, बीज बटोरें!
"सभी पेड़-पौधे हरे-भरे हो जाएँगे और खुश दिखाई देंगे। ठीक उस हरे दुपट्टे की तरह जिसे हरी भैया ने जयपुर से भेजा है। वो बता रहे थे कि उसे धानी चुनरिया कहते हैं। धानी जैसे धान के नन्हे पौधों का रंग। दादा कह रहे थे कि अच्छी बारिश होने से किसानों को अच्छी फसल मिलेगी।"
गरजे बादल नाचे मोर
"दस मिनट बाद वह अपनी सीट पर ठीक तरह से कुर्सी की पेटी बाँध कर बैठ गए। जहाज़ चलने पर राजू खिड़की से बाहर देखने लगा। जहाज़ पहले धीरे-धीरे आगे बढ़ा फिर देखते ही देखते उसकी रफ़्तार काफ़ी तेज़ हो गई। राजू को लगा कि उसकी कुर्सी थरथरा रही है।"
राजू की पहली हवाई-यात्रा
""देखो माँ, मैं बंदर की तरह झूल रही हूँ।""
टुमी के पार्क का दिन
"परवेज़ अपना बैग उठाकर अमीना दादी की ओर भागा। वो रोज़ की तरह आज भी स्कूल के फाटक के पास खड़ी उसका इंतज़ार कर रही थीं।"
कोयल का गला हुआ खराब
"- जो लोग पूरी तरह से बधिर होते है, वो कुछ भी नहीं सुन सकते। परवेज़ आँशिक रूप से नहीं सुन सकता है। इसलिए उसे शीला मिस जैसी एक विशेष शिक्षक की ज़रूरत है जो उसे संकेत की भाषा, होंठों को पढ़ने और संवाद करने के अन्य तरीके सीखने में मदद कर सके।"
कोयल का गला हुआ खराब
"- कुछ बच्चे चश्मा लगाते हैं ताकि वे अच्छी तरह से देख सकें, ठीक वैसे ही परवेज़ सुनने की मशीन लगाता है ताकि उसे सुनने में आसानी हो। उसे अपनी मशीन को लेकर थोड़ा सचेत रहने की ज़रूरत है।"
कोयल का गला हुआ खराब
"सत्यम ख़रगोश की तरह फुदका, उसने हिरण की तरह कुलाँचें भरीं... "अरे! संभल कर! कीचड़ में फिसल मत जाना," माँ ने कहा।"
सत्यम, ज़रा संभल के!
"वह कनखजूरे की तरह सरका और साँप की तरह रेंगा।"
सत्यम, ज़रा संभल के!
"वह मकड़े की तरह झूला और लँगूर की तरह कूदा।"
सत्यम, ज़रा संभल के!
"उसने बतख़ की तरह पैरों से चप्पू चलाया और मेंढक की तरह तैरा।"
सत्यम, ज़रा संभल के!
"वह छिपकली की तरह ऊपर चढ़ा और बकरी की तरह कूदा।"
सत्यम, ज़रा संभल के!
"सत्यम ने अपनी बाँहें पँखों की तरह फैलाईं और उड़ने की कोशिश की।"
सत्यम, ज़रा संभल के!
"उसने मन ही मन सोचा कि मैं चील की तरह आसमान में उड़ रहा हूँ - बादलों पर तैर रहा हूँ, बिना पँख फड़फड़ाए!"
सत्यम, ज़रा संभल के!
"वे कितनी तरह की चालें चलते हैं?"
सत्यम, ज़रा संभल के!
"उफ़! कैसी-कैसी चाल चलता है सत्यम! जानते हो, जानवर, पंछी और कीड़े-मकोड़े भी अलग-अलग कारणों से अलग-अलग तरह की चाल चलते हैं।"
सत्यम, ज़रा संभल के!
"हमारी ही तरह वह भी ज़्यादातर बढ़िया खाने और रहने की आरामदेह जगह या प्यार करने वाले परिवार की तलाश में एक से दूसरी जगह घूमते-फिरते हैं। कभी-कभी वे अपने उन दुश्मनों से बचने के लिए भी घूमते-फिरते हैं जो उन्हें पकड़ कर खा सकते हैं।"
सत्यम, ज़रा संभल के!
"पता कीजिये कि जीव कितनी तरह से चलते-फिरते हैं।"
सत्यम, ज़रा संभल के!
"तुम्हें इस तरह चलना चाहिए - धी... रे... धी... रे...।”"
एक सौ सैंतीसवाँ पैर
"मैं फिर से पहले की तरह चलना चाहती हूँ।”"
एक सौ सैंतीसवाँ पैर
"बस किसी तरह कलम को पास लाने का कोर्इ तरीका मिल जाए।"
जादुर्इ गुटका
"‘अरे नहीं! इससे तो बारिश का पानी पूरी तरह अंदर आ रहा है।’"
द्रुवी की छतरी
"इस तरह काफ़ी दिन बीत गए।"
कुत्ते के अंडे
"“जैसा कि आप जानते हैं, कुछ साल पहले मैंने नटखट को बेच दिया था। कल मैं नटखट के भाइयों - बाँका और बलवान के द्वारा खींची जाने वाली बग्घी में सवार आपके गाँव से गुज़र रहा था। मुझे नहीं मालूम कि किस तरह से नटखट अपने आपको छुड़ा हमारे पीछे-पीछे भागकर चन्देसरा चला आया। मैं उसे पहचान न सका और यह समझ न पाया कि इसका करूँ तो करूँ क्या। फिर आज सुबह मैंने इस नन्ही-सी बच्ची को एक झोंपड़ी से दूसरी झोंपड़ी जाते और एक गुमशुदा घोड़े के बारे में पूछते हुए देखा। लेकिन या इलाही ये माजरा क्या है?” तीसरी बार उसने अपना वही सवाल किया।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी
"स़फेद रंग और लाल रंग, हरा रंग और पीला रंग, और नीला रंग। सभी तरह के रंग थे वहाँ।"
नन्हे मददगार
""मेरी तरह बालों वाली टोपी (विग) लगा लीजिए," कहते हुए गुरूजी ने अपने माथे का विग हटा दिया."
कहानी- गजानन गंजे
"किसी तरह दिन काटा सारा।"
सबरंग
"जब नौका किनारे पर पहुँची, काटो जल्दी से जल्दी सबको अपने कारनामे के बारे में बता देना चाहता था। दिन की सारी घटनाओं के बाद, काटो का सिर नौका की तरह चक्कर खा रहा था। खाने की मेज़ पर जैसे ही उसने सिर रखा, उसकी आँखें बंद होने लगीं और वह गहरी नींद में डूब गया।"
नौका की सैर
"अगर वे एक काला टोप और एक लम्बा काला ओवरकोट पहन लें... अपनी आँखों पर एक काला चश्मा लगा लें, तो वे एकदम उस टीवी वाले जासूस की तरह लगेंगे जो सब चोरों को पकड़ लेता है!"
पापा की मूँछें
"चींटी ने किसी तरह उस नदी को पार किया।"
दाल का दाना
"एक खिलाड़ी की आँखों पर पट्टी बाँधिए। उसे दानों को छू कर पहचानना पड़ेगा। देखिये वह कितने दाने सही पहचान पाता है। यह खेल एक और तरह से भी खेला जा सकता है। सभी खिलाड़ी आँखें बंद करके दानों को अलग करने की कोशिश करें और देखें कि इसमें कितने सफल हो पाते हैं।"
दाल का दाना
""मैं भी बंदर भैया की तरह पेड़ की ऊँची डाल पर अपनी लम्बी पूँछ लटका कर बैठूँगी," यूँ सोचते हुए चुलबुल चल पड़ी।"
चुलबुल की पूँछ
"अपनी भारी पूँछ के साथ चलना उसे बहुत मुश्किल लग रहा था। किसी तरह पूँछ खींच-खींच कर वह पेड़ के पास पहुँची।"
चुलबुल की पूँछ
""नहीं, यह पूँछ ठीक नहीं है। इसे बदलना पड़ेगा," यह कहते हुए उसने अपनी लम्बी पूँछ को हाथ से उठाने की कोशिश की। किसी तरह लड़खड़ाते हुए वह दोबारा डॉक्टर बोम्बो के अस्पताल में पहुँची।"
चुलबुल की पूँछ
""ओफ़! इस पूँछ के साथ तो मैं भाग भी नहीं पा रही हूँ। मेरी अपनी पूँछ कितनी हल्की थी। मैं कितने आराम से भाग सकती थी," चुलबुल अपनी गलती पर पछताने लगी। किसी तरह गिरते पड़ते वह फिर से डॉक्टर बोम्बो के अस्पताल पहुँची।"
चुलबुल की पूँछ
"- केले वाले लिफ़ाफ़े की तरह कई चीज़ें आपको बेकार लगती होंगी, लेकिन सब चीज़ें बेकार नहीं होतीं। छिलके के साथ लिफ़ाफ़े को बिल्कुल नहीं फेंकना, उसे वापस घर ले जाकर दोबारा इस्तेमाल कीजिये।"
कचरे का बादल
"बाकी सभी की तरह लुहार भी मुन्नी के अंडों को बचाना चाहता था। उसने कहा, “अभी बनाता हूँ हँसिया। तुम ज़रा पीछे जाकर भट्ठी का दरवाज़ा खोलो और इस लोहे के टुकड़े को उसमें रख दो”"
काका और मुन्नी
"(Collage) हैं। कोलाज, अलग-अलग चीज़ों के टुकड़ों को जोड़कर एक नयी तस्वीर को बनाने का एक तरीका होता है। यह चीज़ें हाथों से बनी या इस किताब की तरह छपा हुआ काग़ज, अखबार और मैगज़ीन की कतरनें, पुराने कार्ड, छायाचित्र, कपड़ा, रिबन, सूखे फूल या पत्ते, या आसानी से मिल जानेवाली कोई भी चीज़ हो सकती है!"
काका और मुन्नी
"जब देखा गया तो चावल की पूरी बोरी उसी तरह थी। फिर मुखिया ने फ़ैसला सुनाया – “मेहनत करने से ही कार्य सफ़ल होता है। केवल ईश्वर के ऊपर आश्रित होकर प्रार्थना करने से कोई भी काम पूरा नहीं होता। अतः ओम ने ज़्यादा मेहनत की है। अतः उसे ज़्यादा रुपया मिलेगा।”"
मेहनत का फल
"कई तरह से बच्चों को पटा कर, मिन्नतें कर, जब वह बच्चों से रेडियो लेती तब तक समाचार खतम ही हो जाते थे। “अब समाचार समाप्त हुए,” बस कभी कभार यही सुनने को मिलता।"
मछली ने समाचार सुने
"मेंढक और कछुए भी बहुत डर गए। क्या करें कुछ समझ में नहीं आ रहा था। सब निराश होकर बैठ गये। रोज़ की तरह दादा से रेडियो छीनने कोई नहीं आया। आगे की चिन्ता सभी को सता रही थी।"
मछली ने समाचार सुने
"बाज़ार में यहाँ से वहाँ, वहाँ से यहाँ आते-जाते लोग नए-नए जोड़े पहने इतराते घूमते थे। दुकानों में मिठाइयों के ढेर मुँह में पानी भरते-इमरती, लड्डू, दिलबहार और चमचम, ज़ायकेदार गुनगुने बड़े कबाब, गर्मागर्म छुनछुन करती आलू की टिक्कियाँ...हर तरह का खाने का सामान, कपड़ा-लत्ता, चमचम करते चाँदी के ज़ेवरात-बाज़ार के चौक की दुकानें दुल्हन जैसी सजी थीं।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"“देखती हूँ न! देखती हूँ कि मैं भी लोटन और लक्का की तरह नीले आसमान में उड़ रही हूँ और न जाने कहाँ-कहाँ जाती हूँ सपनों में,” मुमताज़ बोली, “शायद उड़ते-उड़ते किसी रोज़ कहीं नानी से मुलाकात ही हो जाए...।”"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"“अच्छा, अब अपनी आँखें बंद करो और चादर का एक कोना थाम लो। दूसरा कोना मैं पकड़ लेता हूँ। अब एक लंबी साँस लो और खूब अच्छी तरह सोचो कि ऐसी कौन सी चीज़ है जो तुम्हें सबसे ज़्यादा चाहिए,” मुन्नु बोला।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"मुमताज़ सोचने लगी। सोचने लगी वह बादलों के ऊपर उड़ रही है, नई-नई जगह देख रही है, नए-नए लोगों से मिल रही है। उसे लगा कि बखिया की तरह वह भी दूर"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"खुरशीद ने मुमताज़ को वह दुशाला दिखाया जो वे काढ़ रहे थे, “देखो बेटी, मैंने कश्मीर के पंछी और फूल अपने शॉल में उतार लिए हैं। यह है गुलिस्तान, फूलों से भरा बग़ीचा और ये रहीं बुलबुल। यह जो देख रही हो, इसे हम चश्म-ए-बुलबुल कहते हैं यानि बुलबुल की आँख। जिस तरह बुलबुल अपने चारों ओर देख सकती है, वैसे ही यह टाँका हर तरफ़ से एक जैसा दिखाई देता है!” कह कर खुरशीद ने मुमताज़ को वह टाँका काढ़ना सिखाया।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"स्कूल से घर लौटते हुए अली, गौरव, सुमी और रानी, मुझसे बार-बार मेरी इस नई ज़िम्मेदारी के बारे में पूछते रहे। मैंने बात टालने की कोशिश की, लेकिन मुझे तो मालूम था कि मुझे क्या काम सौंपा गया है। मैंने उनसे कहा कि पता नहीं तुम लोग किस चीज़ के बारे में बात कर रहे हो। लेकिन यह बात सच नहीं थी। मुझे अच्छी तरह पता था कि वे किस के बारे में पूछ रहे हैं?"
थोड़ी सी मदद
"आप ज़रा शर्मीले लेकिन दयालु हैं। आप दूसरों की मदद करने और उन्हें सहज अनुभव करवाने के लिए जो भी कर सकते हैं जरूर करेंगे। लेकिन बिना किसी तरह का दिखावा किए।"
थोड़ी सी मदद
"पिछले महीने वे पास के शहर में कल्लू की कक्षा को कमप्यूटर की प्रदर्शनी में ले गये थे। क्या मशीनें थीं! वाह! वहाँ के दुकानदार ने उन्हें सही तरह से "माउस" का इस्तेमाल सिखाया था और इन्टरनेट पर जाने का तरीका भी। वह तो बिल्कुल जादू के जैसा था। अब कल्लू और दामू भी माउस की जादूगरी सीखना चाहते थे कि वे भी कमप्यूटर की स्क्रीन पर "ज़िप-ज़ैप" दौड़ सकें।"
कल्लू कहानीबाज़
"चाय की दुकान के पास तीर की तरह उड़ते कल्लू ने पुकारा, “सलाम, धरम चाचा।”"
कल्लू कहानीबाज़
"हाय मेरी किस्मत, अपने पर कुढ़ता हुआ रंभाती भैसों से बच के निकला। यहाँ जान के लाले पड़े हैं और मैं पहुँचा भी तो कहाँ? बदरी और उसकी मोटी भैसों के पास घास चरने। हाँफता, मिट्टी में फिसलता वह किसी तरह से वहाँ से भागा। बदरी, भैसों का अजीबोग़रीब मालिक अपनी मन भर की पगड़ी पहने डंडा लहरा रहा था और मोटी मूछों के पीछे मुस्करा रहा था।"
कल्लू कहानीबाज़
"ध्यान जो कहना चाहते थे, वो यह है कि प्रतिभा एक चीज़ है। वो जानते थे कि उनके हाथ हॉकी के लिए एकदम अनुकूल थे, लेकिन खेल के अन्य महान सितारों की तरह प्रतिभा को प्रभावी बनाने के लिए जिस चीज़ की आवश्यकता होती है, वह है मेहनत। इतने लंबे समय तक जितने सर्वश्रेष्ठ तरीके से वे खेले, वैसा खेलने के लिए उनको अपने शरीर को दुरुस्त व दिमाग को चुस्त रखने की आवश्यकता थी।"
ध्यान सिंह 'चंद' : हॉकी के जादूगर
"लेकिन ममता रखने वाली प्रत्येक माँ की तरह ही वो अपने बेटे को बड़े प्रेम से खिलाया पिलाया करती थीं, बिना यह सोचे कि आगे चलकर वो क्या बनेंगे।"
ध्यान सिंह 'चंद' : हॉकी के जादूगर
"और सिनेमा के हीरो की तरह काले चश्मे पहने,"
दीदी, दीदी, बादल क्यों गरजते हैं?
"हमारे घर की बिजली की तरह ही है,"
दीदी, दीदी, बादल क्यों गरजते हैं?
"और, इस तरह जब आसमान के बादल गरजते हैं"
दीदी, दीदी, बादल क्यों गरजते हैं?
"पर तुम्हारी तरह कुछ बहादुर बच्चे"
दीदी, दीदी, बादल क्यों गरजते हैं?
"यह बिजली, अपने चारों ओर की वायु को बेहद गर्म कर देती है-सूरज जितना गर्म! अब यह गर्म वायु, बहुत तेज़ी से फैलती है, बिल्कुल बम के धमाके की तरह और जब बिजली की चमक समाप्त हो जाती है, तो उतनी ही रफ्तार से सिकुड़ती है। इसी वायु के धमाके को हम बादलों के गर्जन के नाम से जानते हैं।"
दीदी, दीदी, बादल क्यों गरजते हैं?
"दोबारा संगीत शुरू हुआ। मगर एक के बाद एक, सभी उनिंदा कलाकार स्वर से हटते गए और गलत धुन बजाते रहे। बेसुरों की भरमार थी। निद्रा देवी उन्हें सुनते ही वहाँ से भाग निकलीं! और राजा फिर पूरी तरह जागे हुए, बहुत नाराज़ हुए।"
कोट्टवी राजा और उनींदा देश
"हर दिन इसी तरह कार्यक्रम चलता रहा। वक़्त के साथ, कोट्टवी राजा थोड़़ा और जल्दी सोने लगे। दो हफ्ते में, उन्होंने देखा कि दूसरे गिलास दूध के साथ ही उन्हें नींद आ जाती थी। उसके कुछ हफ्ते बाद, सैर के तुरंत बाद सोने लगे वो। एक महीने बाद, विदूषक की कहानी ने सुला दिया राजा को।"
कोट्टवी राजा और उनींदा देश
"घोस्ट पाइपफ़िश आमतौर पर जोड़े बना कर घूमती हैं। यह सिर के बल धीरे - धीरे तैरती हैं और ज़्यादातर समय समुद्री घास, प्रवाल या फ़ेदर स्टार के बीच छुपी रहती हैं। रीफ़ ऑक्टोपस की तरह यह भी आसपास के माहौल को देखते हुए अपना रंग बदल सकती हैं।"
गहरे सागर के अंदर!
"यह साँप सामान्य, स्वस्थ साँपों की तरह सरसरा और लहरा नहीं रहे थे। जादव उनके बीच पहुँचे तो भी न तो उन्होंने फुफकारा, न वहां से भागे और न ही उन्हें काटने की कोशिश की। वह तो बस रस्सियों की तरह थके-हारे, अलसाये से पड़े रहे।"
जादव का जँगल
"जादव से साँपों को इस तरह धूप में झुलस कर मरते नहीं देखा जा रहा था। यह नज़ारा देख कर वह इतने दुःखी हुए कि वहीं बैठ कर रोने लगे।"
जादव का जँगल
"अब जादव को कोई ग़म नहीं था, लेकिन वह पूरी तरह ख़ुश भी नहीं थे।"
जादव का जँगल
"ख़ूब सारे पौधे और बीज लेकर जादव एक कुछ-पेड़ों-वाली-जगह जा पहुँचे, और इस तरह वह खाली जगह देख कर वहाँ पौधे रोपने लगे और बीज बोने लगे।"
जादव का जँगल
"लेकिन जादव अब पहले की तरह बैठकर रोने नहीं वाले।"
जादव का जँगल
"इस तरह दोनों साथ मिलकर बहुत जल्दी अपनी मंज़िल तक पहुँच गये। उस राजा से बातचीत करके वापस लौटे।"
कछुआ और खरगोश
"उनकी आवाज़ साफ़ सुनाई दी, "ठीक है! एक शर्त है। आप ऐलान कर दीजिए कि इस शहर में हर सुबह और हर शाम को एक कहानी सुनाई जाएगी। इस तरह सबके पास कहानियाँ होंगी और वे अपना काम भी कर सकेंगे।""
कहानियों का शहर
""तो वह अपनी मां की तरह नारंगी क्यों नहीं है?""
कहाँ गये गालों के गड्ढे?
"विशिष्ट: अलग हट कर, अपनी तरह का अनोखा"
कहाँ गये गालों के गड्ढे?
"अपना पारिवारिक पेड़ बनाना जैसा कि आपको अब तक जान ही गए होंगे की लांगलेन की इम्मा (मम्मी) मणिपुर से हैं और अप्पा (पापा) तमिलनाडु से। क्या आप भी लांगलेन की तरह (पेज 7 और पेज 8) अपना पारिवारिक पेड़ बनाना चाहेंगे? एक कागज़ और पेन उठाइये और इसे तुरंत ही बनाइये। यदि आप कहीं भी अटक जाएं, तो अपने परिवार वालों की मदद लें।"
कहाँ गये गालों के गड्ढे?
"एक दिन उसकी माँ ने काम के बीच उसकी बहन को घर पर रुकने के लिए बोला। तब लड़का बोला, "माँ, आज दीदी स्कूल क्यों नहीं जा रही है?" माँ ने जवाब दिया, "आज घर पर बहुत काम है इसलिए दीदी स्कूल नहीं जाएगी।" इस तरह कुछ दिन बीत गए।"
और दीदी स्कूल जाने लगी