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Storybook paragraphs containing word (502)
"अगले दिन, मैं जल्दी उठा और रसोई में गया। अज्जी ने कहा, “तुम ये लड्डू खा सकते हो।”"
अभी नहीं, अभी नहीं!
"अज्जा ने कहा, “अब हम क्रिकेट खेल सकते हैं।”"
अभी नहीं, अभी नहीं!
"मम्मी ने कहा, “अब तुम ये कपड़े पहन सकते हो।”"
अभी नहीं, अभी नहीं!
"पापा ने कहा, “तुम ये डिब्बा खोल सकते हो!”
और उन सभी ने कहा, “जन्मदिन मुबारक हो!”"
अभी नहीं, अभी नहीं!
"मालू ने तोड़े लाल टमाटर, लम्बे बैंगन और हरी-भरी भिण्डी।"
आलू-मालू-कालू
"दादी ने कहा,“शाबाश मालू! जाओ थोड़े आलू भी ले आओ।”"
आलू-मालू-कालू
"मालू ने सारे पेड़, बेलें और पौधे देखे। आलू कहीं दिखाई नहीं दिये।"
आलू-मालू-कालू
"“दादी, आलू अभी उगे नहीं।” मालू ने खाली टोकरी रख दी।"
आलू-मालू-कालू
"“नहीं मालू, बहुत आलू उग रहे हैं, ध्यान से देखो।” दादी ने समझाया।"
आलू-मालू-कालू
"मालू ने देखा, कालू ने गड्ढा खोदा हुआ था। खुदी मिट्टी में थे मोटे-मोटे आलू!"
आलू-मालू-कालू
"बादल ने चिड़िया से कहा."
कहानी- बादल की सैर
"बादल ने मीनू से पूछा."
कहानी- बादल की सैर
"कुत्ते ने एक चिड़िया को देखा। वह कुत्ता उस चिड़िया के पीछे दौड़ा।"
एक था मोटा राजा
"आखिरकार राजा ने कुत्ते को पकड़ ही लिया।"
एक था मोटा राजा
"पापा ने चिन्टू के लिए फ़ैंसी चश्मे खरीदे। माँ ने मेरे लिए एक चमकती नीली टोपी खरीदी और मुन्नी को मिली टॉफ़ी।"
चाँद का तोहफ़ा
"चाँद ने मेरी टोपी पहनी और खुशी से मुस्कराया। मैं भी मुस्कराया।"
चाँद का तोहफ़ा
"अगले दिन, स्कूल के बाद, माँ ने मुझे एक नई चमकती लाल टोपी दी।"
चाँद का तोहफ़ा
"“चाँद ने भेजी है”, माँ ने कहा।"
चाँद का तोहफ़ा
"उस रात, चाँद और मैं, दोनों ने अपनी टोपियाँ पहनीं और मुस्कराए।"
चाँद का तोहफ़ा
"हम दोंनो ने खूब खेला |"
मैं और मेरी दोस्त टीना|
"“मुझे नींद नहीं आ रही अम्मा!” टिंकु फुसफुसाया। लेकिन अम्मा ने उसकी बात सुनी ही नहीं। वह गहरी नींद में थी।"
सो जाओ टिंकु!
"वह जानना चाहता था कि रात में उसे कौन मिल सकता है। ऊपर आसमान में टिंकु ने चाँद देखा। सफ़ेद, जगमग करता गोल चाँद जो मुस्कराता हुआ उसे देख रहा था। वह बहुत ख़ुश हुआ। रात बहुत सुंदर है, टिंकु ने सोचा।"
सो जाओ टिंकु!
"“मैं एक जुगनू हूँ,” जुगनू ने कहा। “मैं अँधेरे में चमकता हूँ!”"
सो जाओ टिंकु!
"“क्या तुम मेरे दोस्त बनोगे?” टिंकु ने पूछा।"
सो जाओ टिंकु!
"“तुम कौन हो भाई?” टिंकु ने पूछा।"
सो जाओ टिंकु!
"“क्या तुम मेरे दोस्त बनोगे? टिंकु ने पूछा।"
सो जाओ टिंकु!
"“रुको, रुको तुम कौन हो?” टिंकु ने पूछा।"
सो जाओ टिंकु!
"“मैं एक लोमड़ी हूँ।” लोमड़ी ने कहा। “मैं रात को टहलने निकलती हूँ।”"
सो जाओ टिंकु!
"“क्या तुम मेरी दोस्त बनोगी?” टिंकु ने पूछा।"
सो जाओ टिंकु!
"“तुम कौन हो?” टिंकु ने पूछा।
“मैं उल्लू हूँ।” जवाब आया।
“मैं रात को अपने भोजन की तलाश में निकलता हूँ।”"
सो जाओ टिंकु!
"“क्या तुम मेरे दोस्त बनोगे?” टिंकु ने पूछा।"
सो जाओ टिंकु!
"“क्या तुम मेरे दोस्त बनोगे?” टिंकु ने पूछा।"
सो जाओ टिंकु!
"हँसते हुए वह औरत बोली, “जादू!”
उस लड़के ने हामी भरते हुए उत्साह से सिर हिलाया। अर्जुन को लगा मानो उसका सिर बस अभी गिरा।"
उड़ने वाला ऑटो
"“हम सबको और क्या चाहिए? थोड़ा-सा ज़ादू,” उस औरत ने कहा। बच्चे को कुछ रुपये देकर उसने दो बोतलें खरीद लीं। उसने एक बोतल शिरीष जी को दे दी।"
उड़ने वाला ऑटो
"शिरीष जी खुश होकर मुस्कराने लगे। मुस्कराते ही पान से रंगे उनके दाँत दिखने लगे। उन्होंने जल्दी से पानी पिया, फिर भीड़ छटने लगी। “लो जादू तो अभी हो गया,” शिरीष जी ने मज़ाक में कहा।"
उड़ने वाला ऑटो
"उस औरत ने भी पानी पिया और पीते-पीते आगे बढ़ते अर्जुन पर भी
थोड़ा-सा पानी छलक कर गिर गया।"
उड़ने वाला ऑटो
"आगे बढ़ते ही अर्जुन को अचानक महसूस हुआ कि उसके पहिये पर दबाव कम होने लगा है, उसके सामने की भीड़ छँटने लगी है और वह बहुत आराम से आगे बढ़ गया है, “जाने दो अर्जुन भाई,” उसके चाचा ने कहा।"
उड़ने वाला ऑटो
"उसकी मदद के लिए हेलिकॉप्टर के पंखे भी नहीं थे। अर्जुन ने सोचा,"
उड़ने वाला ऑटो
"उसे सड़कों का बहुत बड़ा जाल दिखाई दिया मानो किसी शरारती मकड़े ने बनाया हो।
फटी आँखों से शिरीष जी खुशी में चीख रहे थे। न तो वह हैंडल बार को पकड़े हुए थे और न ही गाड़ियों से बचने की कोशिश कर रहे थे।"
उड़ने वाला ऑटो
"उस औरत ने अपनी सुन्दर साड़ी को ठीक किया। शीशे में देखते हुए वह बोली, “भाई, आपका चेहरा!”"
उड़ने वाला ऑटो
"शिरीष जी ने शीशे में खुद को देखा तो उन्हें एक हीरो जैसा चेहरा दिखाई दिया। उनके दाँत बिलकुल स़फेद और शरीर चमक रहा था। जोश में चिल्लाकर उन्होंने कहा, “हमें और पानी पीना चाहिए!”"
उड़ने वाला ऑटो
"“लेकिन हम क्या कर रहे हैं?” अर्जुन ने सोचा। “हम कहाँ जा रहे हैं? अगर मुझे चलाया नहीं गया तो मेरा क्या होगा?” अर्जुन ने अब से पहले कभी इतना आज़ाद महसूस नहीं किया था, और न ही इतना परेशान।"
उड़ने वाला ऑटो
"उस औरत ने नीचे देखते हुए वहाँ की ढेर सारी खुशियों के बारे में सोचा। साड़ी की चमक उसे याद नहीं रही।"
उड़ने वाला ऑटो
"शिरीष जी फिर से काम में जुट गए थे। उस शहर के जाने पहचाने जादू
के नशे में हर सिग्नल, हर साईन बोर्ड, हर मोड़ उनसे कुछ कह रहा था।
बहुत जल्द उनका पुराना जाना पहचाना चेहरा फिर शीशे में दिखने लगा था। वह जानते थे कि उन्हें कहाँ जाना है। वह तो वहाँ पहुँच ही गये थे।
उस औरत की साड़ी फिर से फीकी पड़ गई थी लेकिन उसका चेहरा चमक रहा था।
वे ज़मीन पर पहुँच गए थे। अर्जुन के पहियों ने गर्म सड़क को छुआ। इंजन ने राहत की साँस ली..."
उड़ने वाला ऑटो
"“ध्यान से जाना भाई,” सड़क के नुक्कड़ से उसके एक भाई ने कहा।"
उड़ने वाला ऑटो
"ऊपर की एक खिड़की से उस औरत के नाती-नातिन ने हाथ हिलाया। ऑटो से नीचे उतर कर उसने शिरीष जी को किराया दिया।"
उड़ने वाला ऑटो
"जब उसे एक बड़ा सा जहाज़ दिखाई दिया पिशि ने गोता लगाया। उसके दोस्त तितर बितर हो गए।"
पिशि फँसी तूफ़ान में
"पिशि ने अपने बड़े बड़े मीनपक्ष फड़फड़ाए ताकि वह सुरक्षित जगह पर पहुँच जाए।"
पिशि फँसी तूफ़ान में
"बादल गरजे और बिजली कड़की। पिशि ने सुध बुध खो दी। सागर बिलकुल काला पड़ गया। एक बड़ी सी लहर ने पिशि को जहाज़ के नीचे धकेल दिया। आह! उसके पेट पर घाव हो गया।"
पिशि फँसी तूफ़ान में
"उसे पता था उसे क्या करना चाहिए। पिशि ने होश सँभाले। वह अपने दोस्तों के बीच वापस जाना चाहती थी। पर उस से पहले घाव का ठीक होना ज़रूरी था। वह तेज़ी से तट की ओर तैरने लगी।"
पिशि फँसी तूफ़ान में
"क्लीनर फ़िश नाम की मछलियों ने फटी खाल के टुकड़े खा लिए। पिशि को आराम महसूस हुआ। हिन्द महासागर में रहने वाली ५००० किस्म की मछलियाँ उसे पहले से भी ज़्यादा अच्छी लगने लगीं।"
पिशि फँसी तूफ़ान में
"एक बड़े से बर्तन में अम्मा ने थोड़ा-सा आटा लिया। उन्होंने उसमें थोड़ा-सा तेल और नमक डाला और फिर थोड़ा-सा पानी मिलाया।"
पूरी क्यों फूलती है?
"अम्मा ने आटे को गूँध लिया है। वह अब अपनी हथेली में थोड़ा सा तेल लगा कर उसे अच्छी तरह गूँधने के लिये कह रही है। आटे को अच्छी तरह गूँधने के लिये मजबूत हाथ चाहिए। उनका कहना है कि अगर आटे को अच्छी तरह गूँधा नहीं जाता है तो पूरी नहीं फूलती है।"
पूरी क्यों फूलती है?
"अम्मा और बाबा दोनों तैयार हैं। अम्मा ने कढ़ाई चढ़ा (फ्राई पैन चढ़ा) कर उस में थोड़ा तेल डाल दिया है। वह गूँधे हुये आटे से थोड़ा सा आटा लेती हैं। अब वह एक पूरी बेल रही हैं। गर्म तेल में पूरी को डालते हैं। थोड़ी देर में पूरी फूल जाती है।"
पूरी क्यों फूलती है?
"विश्व के सबसे पहले एनसाइक्लोपीडिया, “अभिलाषितार्थ चिंतामणि” या मनासोललास जिसे राजा सोमेश्वर ने 12 सदी में लिखा था, के अनुसार उस समय में पूरी जैसी कोई चीज बनाई जाती थी जिसे पहालिका कहा जाता था तो पूरी कम से कम 800 साल पुरानी है।"
पूरी क्यों फूलती है?
""सुनो! तुम्हारा नाम क्या है? क्या तुम्हें बोर्ड पर ध्यान नहीं देना चाहिए?" कक्षा में पढ़ा रही नई अध्य्यापिका ने कहा।"
हवाई जहाज़ कैसे उड़ते हैं?
""अरे वाह! क्या तुम जानती हो कि भारत की पहली महिला विमान चालक (पायलॉट) का नाम भी सरला था? मेरा नाम हंसा है, मतलब 'हंस'। क्या तुम जानती हो कि हंस भी उड़ने वाले बड़े पक्षियों में से एक हैं? अध्यापिका ने कहा।"
हवाई जहाज़ कैसे उड़ते हैं?
"सरला ने सीखा कि मानव भी उड़ सकते हैं, पर पक्षियों की तरह नहीं। हम मनुष्य के एक महान आविष्कार, हवाई जहाज़ में बैठकर विश्व के किसी भी नगर से उड़ान भर सकते हैं।"
हवाई जहाज़ कैसे उड़ते हैं?
""अम्मा, क्या केक खाने को मिलेगा?" पुट्टी ने पूछा। "एक बड़ा सा नरम-मुलायम स्पंजी केक, गुलाबी आइसिंग वाला और जिसके ऊपर गुलाब बना हो?""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
""नहीं," पुट्टा ने कहा। "बुज़ुर्गों के जन्मदिन पर केक नहीं काटा जाता। और फिर 200 मोमबत्तियां लगाने के लिये तो बहुत बड़े केक की जरूरत होगी।""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
""मुत्तज्जी 200 साल की नहीं हैं, बुद्धू!" पुट्टी ने कहा, "अम्मा, मुत्तज्जी"
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
"मुत्तज्जी ने दोनों को गले लगाते हुए कहा, "मैं कितने साल की हूँ? कौन जाने? और इससे फर्क भी क्या पड़ता है?""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
"मुत्तज्जी ने कहा, "कुछ याद नहीं है, पुट्टा।""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
""हाँ!" मुत्तज्जी ने चहकते हुए कहा, "बम्बई में उसी साल उनकी शुरुआत हुई थी। उनमे सफर करते हुए कोई गंदा नहीं होता था। कपड़ों ओर चेहरे पर ज़रा सी भी कालिख, या मिट्टी, या गंदगी, कुछ भी नहीं लगती थी!""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
"दोनों ने हैरानी से उन्हें देखा। भला रेलगाड़ी में सफर करके कोई गंदा होता है क्या?"
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
""फिर कुछ साल बाद," मुत्तज्जी ने बात आगे बढ़ाते हुए कहा, "मेरी शादी हो गयी। उस समय कानून था कि शादी के लिए लड़की की उम्र कम से कम 15 साल होनी चाहिए, और मेरे पिता कानून कभी नहीं तोड़ते थे। तो उस समय मेरी उम्र करीब 16 साल की रही होगी। और मेरी शादी के बाद जल्द ही तुम्हारे मुत्तज्जा को बम्बई में नौकरी मिल गयी और हम मैसूर छोड़कर वहाँ चले गए।""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
""जिस साल आपकी शादी हुई थी, उस साल क्या कोई ख़ास बात हुई थी?" पुट्टा ने पूछा।"
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
"बड़े दुख से मुत्तज्जी ने कहा, "हाँ, उस साल दशहरे के त्यौहार के समय, हमारे महाराजा ने एक बड़े बांध और उसके पास कई सुंदर बागों का उद्घाटन किया था। लेकिन मै वह सब नहीं देख सकी थी क्योंकि मैं बम्बई में थी।""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
"अज्जी ने दरवाजे से अंदर झाँकते हुए कहा, "अम्मा, आप के आर एस की बात कर रही हैं क्या?""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
""हाँ, के आर एस।" मुत्तज्जी ने बड़े प्यार से अज्जी को देखा और कहा, "तुम्हारी अज्जी मेरी पाँचवी संतान थी, सबसे छोटी, लेकिन सबसे ज़्यादा समझदार। तुम जानते हो बच्चों, मेरे बच्चे ख़ास समय के अंतर पर हुए। हर दूसरे मानसून के बाद एक, और जिस दिन तुम्हारी अज्जी को पैदा होना था, उस दिन तुम्हारे मुत्तज्जा का कहीं अता-पता ही नहीं था। बाद मेँ उन्होंने बताया कि वो उस दिन ग्वालिया टैंक मैदान में गांधीजी का भाषण सुनने चले गए थे। और उस दिन उन्हें ऐसा जोश आ गया था कि वह सारे दिन बस "भारत छोड़ो” के नारे लगाते रहे। बुद्धू कहीं के... नन्हीं सी बच्ची को दिन भर परेशान करते रहे।""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
""अज्जी पैदा हुई थीं," पुट्टा ने कहा।"मुत्तज्जी नहीं।""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
""बात अभी शुरू हुई है," पुट्टी ने कहा। "अज्जी, आप किस साल में पैदा हुई थीं?""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
""इस साल मै 74 साल की हो जाऊँगी," अज्जी ने कहा। "तो मैं पैदा हुई थी...?""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
"पुट्टी ने जल्दी से हिसाब लगा कर कहा, "1942* में!" अज्जी ने सर हिलाकर हामी भरी।"
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
""अज्जी मुत्तज्जी की पाँचवी संतान हैं, और उनके सभी बच्चों के बीच 2 - 2 साल का अंतर है..." पुट्टा ने कहा "अगर अज्जी 1942 में पैदा हुईं...""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
""यानी मुत्तज्जी की शादी - 1932 में हुई थी, " पुट्टी ने कहा।"
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
""जरूरी तो नहीं," पुट्टा ने कहा, "क्योंकि मुत्तज्जी ने यह तो नहीं कहा कि उनका पहला बच्चा, उनकी शादी के 2 साल बाद पैदा हुआ था। उन्होंने तो बस यह कहा कि जिस साल उनकी शादी हुई उसी साल मैसूर में एक बांध बनाया गया था।""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
"दोनों ने सिर हिला कर कहा, "म्म्म्म्म.." पुट्टी बोली, "आप सबसे बढ़िया खीर बनाती हैं, अज्जी!""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
"अज्जी ने ज़रा सोच कर जवाब दिया, "पक्का तो नहीं, लेकिन तुम दोनों दोपहर के खाने के बाद अपने अज्जा के साथ लाइब्रेरी जाकर वहाँ पता कर सकते हो।""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
""मुत्तज्जी को लगता है की वह 16 साल की थीं जब उनकी शादी हुई थी," पुट्टी ने कहा,"लेकिन वह 15 या 17 या 18 साल की भी हो सकती थीं।""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
"पुट्टा ने कहा, "उन्होंने बताया था कि जब उनके बम्बई वाले अंकल ने उनको साफ रेलगाड़ी के बारे मे बताया था तब वह 9 -10 साल की थीं। अज्जा शायद इस बारे में जानते होंगें।”"
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
"अज्जा अपने रीडिंग रूम में थे। पुट्टी ने धीमे से कहा, "अज्जा, क्या पहले लोग रेल में सफर करते हुए गंदे हो जाते थे?""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
""पर वह गलत भी तो हो सकती हैं," पुट्टी ने सोचते हुए कहा।"
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
"अज्जा सोचने लगे, "1911... यह तारीख़ इतनी जानी-पहचानी सी क्यो लग रही है? आह! हाँ, उसी साल तो बम्बई में गेटवे ऑफ़ इंडिया बनाया गया था। और वह तो भारत पर राज करने वाले ब्रिटिश राजा, जॉर्ज (पंचम) के स्वागत में बनवाया गया था। और तब एक नहीं, बल्कि कई बड़ी-बड़ी दावत हुई होंगी!" अज्जा ने ख़ुश होते हुए कहा।"
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
""बिलकुल! बहुत अच्छी है।" दोनों ने ज़ोर से कहा, "धन्यवाद, अज्जा!" अब दोनों बच्चे जान गए थे कि मुत्तज्जी कितने साल की हैं।"
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
""मुत्तज्जी!" हाँफते -भागते दोनों सीधे मुत्तज्जी के कमरे मे घुस गए। "क्या मैसूर के महाराजा को ब्रिटेन के राजा जॉर्ज (पंचम) ने सोने का तमगा दिया था?""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
"याद है इस कहानी में मूताजी ने कितनी सारी महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाओ के बारे में बताया था? यह सारी घटनाए असल में हुईं थीं। तो चलो इनके बारे में थोड़ा और जानते हैं!"
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
"महाराजा महारानी की शानदार दावत (1911) – 1911 में ब्रिटेन के महाराजा जॉर्ज (पंचम) और उनकी पत्नी क्वीन मैरी, भारत में पहली बार आए थे, तब उन्होने 400 से ज्यादा भारतीय महाराजा और महारानियों के लिए एक शाही दावत दी थी, जिसे कहा गया था दिल्ली दरबार। इसमे आए 200,000 मेहमानों की दावत के लिए कई बेकरियों में हर दिन 20000 से ज्यादा ब्रैड बनाई गयी थी और 1000 से ज़्यादा कैटल और बकरों को काटा गया था! बादशाह ने कई भारतीय राजाओं को सोने के मेडल (तमगे) भी दिये थे, जिनमे मैसूर के महाराजा कृष्णराजा वाडियार (चतुर्थ) भी शामिल थे!"
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
"क्लीन ट्रेन (1925) – 3 फ़रवरी, 1925 के दिन भारत की पहली इलैक्ट्रिक ट्रेन ने बंबई के विक्टोरिया टर्मिनस से कुर्ला स्टेशन तक की यात्रा की। और इसी के साथ, भारत एशिया का तीसरा और दुनिया का 24बीसवाँ ऐसा देश बन गया जहां इलैक्ट्रिक ट्रेन की शुरुआत हुई।"
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
"गांधीजी का भाषण (1 942 ) - 8 अगस्त 1942 के दिन, बंबई के ग्वालिया टँक मैदान में गांधीजी ने 'भारत छोड़ो भाषण' दिया था। गांधीजी ने लोगों से कहा कि उन्हे अंग्रेज़ी शासन के ख़िलाफ लड़ना होगा। इसके लिए उन्हे हिंसा नहीं, बल्कि उनके साथ असहयोग करना होगा। इसके 5 साल बाद, 15 अगस्त, 1947 को अंग्रेज़ो का शासन खत्म हुआ और भारत आज़ाद हुआ। आज उसी शांत क्रांति की स्मृति में ग्वालिया टैंक मैदान को अगस्त क्रांति मैदान कहा जाता है !"
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
"बिन्नी ने घास चबाते हुए सर हिलाया, जैसे कि वह धनी की बात समझ रही थी। धनी को भूख लगी। कूदती-फाँदती बिन्नी को लेकर वह रसोईघर की तरफ़ चला। उसकी माँ चूल्हा फूँक रही थीं और कमरे में धुआँ भर रहा था।"
स्वतंत्रता की ओर
"”यात्रा? कहाँ जा रहे हैं?“ धनी ने सवाल किया।"
स्वतंत्रता की ओर
"बिन्दा ने सर हिला कर मना किया। उसके कुछ बोलने से पहले धनी ने उतावला होकर पूछा, ”कौन जा रहे हैं? कहाँ जा रहे हैं? क्या हो रहा है?“"
स्वतंत्रता की ओर
"बिन्दा ने खोदना रोक दिया और कहा, ”तुम्हारे सब सवालों के जवाब दूँगा पर पहले इस मुई बकरी को बाँधो! मेरा सारा पालक चबा रही है!“"
स्वतंत्रता की ओर
"धनी बिन्नी को खींच कर ले गया और पास के नीबू के पेड़ से बाँध दिया। फिर बिन्दा ने उसे यात्रा के बारे में बताया। गाँधी जी और उनके कुछ साथी गुजरात में पैदल चलते हुए, दाँडी नाम की जगह पर समुद्र के पास पहुँचेंगे। गाँवों और शहरों से होते हुए पूरा महीना चलेंगे। दाँडी पहुँच कर वे नमक बनायेंगे।"
स्वतंत्रता की ओर
"”नमक की ज़रूरत सभी को है...इसका मतलब है कि हर भारतवासी, गरीब से गरीब भी, यह कर देता है,“ बिन्दा चाचा ने आगे समझाया।"
स्वतंत्रता की ओर
"”हाँ, यह नाइंसाफ़ी है। यही नहीं, भारतीय लोगों को नमक बनाने की मनाही है। महात्मा जी ने ब्रिटिश सरकार को कर हटाने को कहा पर उन्होंने यह बात ठुकरा दी। इसलिये उन्होंने निश्चय किया है कि वे दाँडी चल कर जायेंगे और समुद्र के पानी से नमक बनायेंगे।“"
स्वतंत्रता की ओर
"”पिता जी, क्या आप और अम्मा दाँडी यात्रा पर जा रहे हैं?“ धनी ने सीधे काम की बात पूछी।"
स्वतंत्रता की ओर
"धनी के पिता ने चरखा रोक कर बड़े धीरज से समझाया, ”स़िर्फ वे लोग जायेंगे जिन्हें महात्मा जी ने खुद चुना है।”"
स्वतंत्रता की ओर
"”बहुत अच्छा!“ गाँधी जी ने हाथ हिलाकर कहा, ”अब यह बताओ धनी कि तुम और बिन्नी सुबह से मेरे पीछे क्यों घूम रहे हो?“"
स्वतंत्रता की ओर
"”मैं बहुत अच्छे से चलता हूँ,“ गाँधी जी ने कहा।"
स्वतंत्रता की ओर
"”हूँ... यह बात तो ठीक है, गाँधी जी! बिन्नी तभी खाती है, जब मैं उसे खिलाता हूँ,“ धनी ने प्यार से बिन्नी का सर सहलाया, ”और स़िर्फ मैं जानता हूँ कि इसे क्या पसन्द है।“"
स्वतंत्रता की ओर
"1. मार्च 1930 में महात्मा गाँधी ने ब्रिटिश सरकार द्वारा लगाये नमक कर के विरोध में दाँडी तक की यात्रा का नेतृत्व किया। गाँधी जी और उनके अनुयायी, गुजरात में 24 दिन तक पैदल चले। पूरे रास्ते उनका स्वागत फूलों और गीतों से हुआ। विश्व भर के अखबारों ने यात्रा पर खबरें छापीं।"
स्वतंत्रता की ओर
"2. दाँडी में गाँधी जी और उनके साथियों ने समुद्र तट से नमक उठाया और उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया। उनकी गिरफ़्तारी के बाद असहयोग आन्दोलन शुरू हुआ और पूरे भारत में लोगों ने स्कूल, कॉलेज व दफ़्तरों का बायकॉट किया।"
स्वतंत्रता की ओर
"3. इस यात्रा में गाँधी जी के साथ 78 स्वेच्छा कर्मियों (वालंटियरों) ने भाग लिया। उन्होंने 385 किलोमीटर की दूरी तय की।"
स्वतंत्रता की ओर
"साल 1870 का था। स्थान न्यू लंदन, कनेक्टिकट, यूनाइटेड स्टेट्स; सुबह सात बजे बच्चे बिस्तर से कूदे, उनकी माँओं ने उन्हें दाँत साफ़ करने की जल्दी मचाई, उनके हाथ में दातुन (टूथस्टिक) और टूथपेस्ट के मर्तबान दिए।"
टूथपेस्ट ट्यूब के अंदर कैसे आया?
"यह उतना गंदा नहीं था, जितना तुम सोच रहे हो! डॉ. शेफील्ड और उनकी टीम ने बिना ढक्कन खोले इसे... भरा!"
टूथपेस्ट ट्यूब के अंदर कैसे आया?
"टूका और पोई ने एक-दूसरे को हैरानी से देखा। उन्हें आस-पास कोई नहीं दिखाई दे रहा था। तभी उन्हें दुबारा वह आवाज सुनाई दी, "यहां ऊपर देखो, ऊपर.....।” टूका और पोई ने ऊपर-नीचे, अपने आस-पास, चारों ओर देखा, लेकिन उन्हें कोई भी नहीं दिखा।"
आओ, बीज बटोरें!
"तभी पच्चा ने कहा, “इंजी, हैलो.. इन दिनों तुम नज़र नहीं आते हो!”"
आओ, बीज बटोरें!
"यह कहकर पोई इमली के पेड़ से गले लग गई। पच्चा खिलखिलाया, ”आज से पहले मुझे कभी किसी छोटी लड़की ने गले नहीं लगाया है। मुझे गुदगुदी हो रही है!”"
आओ, बीज बटोरें!
"”और हम भी इससे पहले कभी किसी बोलने वाले पेड़ से नहीं मिले!” टूका ने चहकते हुए कहा। ”इसलिए, हम सभी के लिए कुछ न कुछ नया है।” इतना सुनकर, पच्चा जोर से हँसा, और उसके हँसते ही, उसके डालों की सारी पत्तियाँ सुर्ख़ हरी हो गई।"
आओ, बीज बटोरें!
"पच्चा ने पूछा,”वैसे, तुम दोनों आज यहां क्या कर रहे हो?” टूका और पोई ने कहा, ”हम चीज़ें इकट्ठी कर रहे हैं!”"
आओ, बीज बटोरें!
"टूका और पोई ने पच्चा को फूलों, चिकने पत्थरों और पकी हुई इमली से भरा अपना बैग दिखाया।"
आओ, बीज बटोरें!
"“अरे वाह, तुम लोगों ने तो बहुत सारे बीज इकट्ठे कर लिए हैं", बैग देखकर पच्चा ने कहा। "वैसे क्या तुम लोग यह जानते हो कि ऐसे ही इमली के एक छोटे बीज से मैं बना हूँ? और अब मुझे देखो, कितना बड़ा हो गया हूँ। मेरी ढेर सारी शाखाएँ हैं जिन पर बहुत सारी गौरेया, गिलहरियाँ और कौए रहते हैं।“"
आओ, बीज बटोरें!
"पच्चा ने सभी को समझाया कि,“तुम लोगों ने जिन बीजों को इक्ट्ठा किया है, ये सभी पेड़ों के बच्चे हैं।“"
आओ, बीज बटोरें!
"“वाकई में...?“ पोई ने अपनी भवें सिकोड़ते हुए आश्चर्य से पूछा।"
आओ, बीज बटोरें!
"“क्या सारे बीज इमली के पेड़ ही बनते हैं?“ पोई ने पूछा और याद करने की कोशिश की कि घर में उसके पास कितने तरीके के बीज थे।“अरे नहीं! बीजों से तो कई प्रकार की जीवंत चीज़ें विकसित होती हैं,“ पच्चा ने उत्तर देते हुए कहा।"
आओ, बीज बटोरें!
"“क्या तुम्हारे पास बैग में कोई फल है?“ पच्चा ने पूछा। टूका ने अपने बैग से एक छोटा, लाल सेब और एक नरम केला निकाला।"
आओ, बीज बटोरें!
"“ये बीज, छोटे चमकदार कीड़ों की तरह हैं!“ पोई ने कहा।"
आओ, बीज बटोरें!
"पच्चा ने समझाते हुए बताया, “बीज सभी आकृति और आकार के होते हैं।“ इंजी सेब का बचा हुआ हिस्सा खाने में जुटा था। “क्या ये सभी पेड़ों के बच्चे हैं?" पोई ने पूछा।"
आओ, बीज बटोरें!
"“हां! और हर बीज में अंदर एक नन्हा पौधा होता है जो बाहर आने का इंतजार करता रहता है और दुनिया देखना चाहता है,“ पच्चा ने कहा।"
आओ, बीज बटोरें!
"बारिश से ज़मीन पर तरह-तरह के नमूने बन जाते हैं। मेरे चाचा ने वर्षा का पानी एकत्रित करने के लिए कई जगह बालटियाँ और ड्रम रखे हैं। परनालों से छत का पानी इन ड्रमों में गिरता है। मैं इन्हें झरना कहती हूँ!"
गरजे बादल नाचे मोर
"बनारस वाली शुभा मौसी ने मुझे कुछ सुंदर गीत सिखाए हैं। इन गीतों को कजरी कहते हैं। क्या आपको मालूम है कि सम्राट अकबर के दरबार में एक प्रसिद्ध गायक थे मियाँ तानसेन? कहा जाता है कि वो “मियाँ की मल्हार” नाम का एक राग गाते थे तो वर्षा आ जाती थी। मैं भी संगीत सीखूँगी-शास्त्रीय संगीत।"
गरजे बादल नाचे मोर
"मनु ने बड़े वाले पेड़ से एक झूला बाँधा है और मैं अभी झूलना चाहती हूँ। झूलते हुए बारिश की ठंडी फुहार मेरे मुँह पर पड़ेगी।"
गरजे बादल नाचे मोर
"माँ हमें पीने को गर्म दूध देती हैं। कल उन्होंने मसालेदार मुरमुरे बनाए थे। और माँ ने कहा है कि कल वे पूड़ियाँ बनाने वाली हैं!"
गरजे बादल नाचे मोर
"सभी पेड़-पौधे हरे-भरे हो जाएँगे और खुश दिखाई देंगे। ठीक उस हरे दुपट्टे की तरह जिसे हरी भैया ने जयपुर से भेजा है। वो बता रहे थे कि उसे धानी चुनरिया कहते हैं। धानी जैसे धान के नन्हे पौधों का रंग। दादा कह रहे थे कि अच्छी बारिश होने से किसानों को अच्छी फसल मिलेगी।"
गरजे बादल नाचे मोर
"माँ ने गुस्से से पूछा।"
तारा की गगनचुंबी यात्रा
"तारा ने जवाब दिया, "
तारा की गगनचुंबी यात्रा
"“बड़ी गिलहरियों ने मुझे ढेर सारी गिरियाँ खाने को दीं और "
तारा की गगनचुंबी यात्रा
"क्या तुम विश्वास करोगी कि उस विमान के चालक ने गिलहरियों की पुकार सुनी?”"
तारा की गगनचुंबी यात्रा
"“तब उस विमान-चालक ने विमान को थोड़ा नीचे उतारा, "
तारा की गगनचुंबी यात्रा
"“तारा! बातें बनाना बंद करो,” माँ ने कहा।"
तारा की गगनचुंबी यात्रा
"मलार ने कहा, “मेरा घर इतना ऊँचा और इतना बड़ा होगा!”"
मलार का बड़ा सा घर
"मलार ने गिलासों को एक के ऊपर एक रखना शुरू किया।"
मलार का बड़ा सा घर
"मलार ने गिलासों को उठाया और फिर से एक के ऊपर एक रखना शुरू किया।"
मलार का बड़ा सा घर
"मलार ने अच्छे से सोचा।"
मलार का बड़ा सा घर
"पापा ने पूछा, “तुम्हें कुछ चाहिए मलार बेटा?”"
मलार का बड़ा सा घर
"“हाँ ज़रूर, ले लो,” पापा ने कहा।"
मलार का बड़ा सा घर
"क्या होता अगर... तभी अम्मा ने डाँटा,"
क्या होता अगर?
"चंदा से तारों ने की दोस्ती"
सूरज का दोस्त कौन ?
"कप्तान राजू ने अपने जेट विमान को तेज़ी से बाईं ओर मोड़कर, एक क्षण मात्र से उसे आइफल टॉवर से टकराने से बचा लिया।"
राजू की पहली हवाई-यात्रा
"राजू ने उस महिला अफ़सर से कुछ पूछने के लिए अपना मुँह खोला पर अम्मा ने उसे रोक दिया।"
राजू की पहली हवाई-यात्रा
"तभी राजू ने देखा कि लोग गेट नंबर 8 के पास एक कतार में खड़े हो रहे हैं। "वह हमारा गेट है अम्मा। जहाज़ पर चढ़ने का समय हो गया।""
राजू की पहली हवाई-यात्रा
""मैं दस बार तुम्हारे पास से गुजर चुकी हूँ!" टुमी ने कहा।"
टुमी के पार्क का दिन
""हाँ!" लड़के ने कहा।"
टुमी के पार्क का दिन
"टुमी ने रेत का किला देखा।"
टुमी के पार्क का दिन
""चलो एक नया रेत का किला बनाते हैं" टुमी ने कहा।"
टुमी के पार्क का दिन
""मैं गोगो के लिए एक फोटो लेती हूँ" माँ ने कहा."
टुमी के पार्क का दिन
""अलविदा, टुमी!" ज़खे ने कहा। "फिर मिलेंगे!""
टुमी के पार्क का दिन
"टुमी ने कहा ।"
टुमी के पार्क का दिन
"रविवार के दिन, माँ-बाबा ने मनु को एक लाल रंग की बरसाती ख़रीद कर दी।"
लाल बरसाती
"“माँ, क्या आज बारिश होगी?” मनु ने पूछा।"
लाल बरसाती
"“माँ, कब होगी पूरी मेरे मन की बात?” मनु ने पूछा।"
लाल बरसाती
"“माँ, बारिश क्यों नहीं हो रही?” मनु ने पूछा।"
लाल बरसाती
"“माँ, अगर बारिश हुई तो? क्या मैं अपने साथ बरसाती ले जाऊँ?” मनु ने पूछा।"
लाल बरसाती
"“माँ, क्या यह बिजली के कड़कने की आवाज़ है, क्या अभी बारिश होगी?” मनु ने पूछा।"
लाल बरसाती
"“अरे! बारिश हो रही है, बारिश हो रही है,” मनु ने गाना गाया और बाहर भागा।"
लाल बरसाती
"“कोयल?” चमकती आँखों से परवेज़ ने पूछा।"
कोयल का गला हुआ खराब
"“हाँ, मगर लगता है उसका गला खराब है! मैंने न, पहले कभी भी खराब गले वाली कोयल नहीं देखी। चलो, चलकर ढूँढते हैं उसे!” स्टेल्ला ने सुझाया।"
कोयल का गला हुआ खराब
"परवेज़ ने उसका हाथ पकड़ा और दोनों ने एक साथ छलांग लगा कर पार कर लिया।"
कोयल का गला हुआ खराब
"“नहीं, नहीं यहाँ है!” ज़ेबा ने धीरे से कहा।"
कोयल का गला हुआ खराब
"“मुझे तो एक कोयल उस डाल पर बैठी दिख रही है!” उमा ने इशारा किया।"
कोयल का गला हुआ खराब
"“परवेज़, जल्दी ऊपर देखो... उस पेड़ पर!” करन ने कहा।"
कोयल का गला हुआ खराब
"“अरे नहीं, अब हम यह कैसे पता लगाएंगे कि खराब गले वाली कोयल कौन सी है?” ज़ेबा ने मुँह लटकाकर पूछा।"
कोयल का गला हुआ खराब
"“यह आवाज़ कैसी है!” स्टेल्ला ने हंसकर पूछा।"
कोयल का गला हुआ खराब
"“म्मम्म... पपाआ... ठ... ठा!” बड़ा सा कौर मुँह में भरकर परवेज़ ने बोला।"
कोयल का गला हुआ खराब
"“और मुझे यह मोटा-सा चश्मा नहीं पसंद, मगर मैं तो पहनती हूँ न इन्हें, कि नहीं?” दादी ने पूछा।"
कोयल का गला हुआ खराब
"“कू-ऊऊह-ऊऊह!” परवेज़ ने हँसते हुए दोहराया।"
कोयल का गला हुआ खराब
"स्टेल्ला ने अपने दोनों हाथ हवा में हिलाए। इसका मतलब हुआ कि वो ताली बजा रही थी। परवेज़ ने संकेत भाषा के कई शब्द उसे सिखा दिए थे जो उसकी शीला मिस ने सुकर्ण स्कूल में सिखाये थे।"
कोयल का गला हुआ खराब
"“पकड़ो मुझे।” परवेज़ ने भागते हुए आवाज़ दी। अब खेलने का समय जो था।"
कोयल का गला हुआ खराब
"- परवेज़ जब सिर्फ पांच महीने का था तब उसके माता-पिता ने देखा कि वो ज़ोर की आवाजें बिलकुल भी नहीं सुन पाता था। वे उसे डॉक्टर के पास ले गए जिन्होंने बताया कि परवेज़ ने सुनने की शक्ति खो दी है। डॉक्टर ने समझाया कि परवेज़ की मदद कैसे की जा सकती है ताकि वो हर वो चीज़ सीख सके जो आम बच्चा सुन सकता है।"
कोयल का गला हुआ खराब
"ब्राआआआप... घ्रूऊऊऊऊंब की आवाज़ें निकालते हुए उसके परिवार के दूसरे घड़ियालों ने ख़ुशी जताई।"
घूम-घूम घड़ियाल का अनोखा सफ़र
"घूम-घूम ने छलाँग लगाई तो पहले उसकी नाक पानी से टकराई! और..."
घूम-घूम घड़ियाल का अनोखा सफ़र
"घूम-घूम ने इधर-उधर पैर चलाए और पूँछ हिलाई।"
घूम-घूम घड़ियाल का अनोखा सफ़र
"घूम-घूम ने आगे देखा और पीछे देखा। दाएँ देखा-बाएँ देखा। "पापा?""
घूम-घूम घड़ियाल का अनोखा सफ़र
"एक ऊदबिलाव पास से गुज़रा। घूम-घूम ने उससे पूछा - "ऊद भाई, क्या आपने मेरे परिवार को देखा है?""
घूम-घूम घड़ियाल का अनोखा सफ़र
"अचानक एक डाॅल्फ़िन ने उसके आगे पानी से बाहर छलाँग लगाई।"
घूम-घूम घड़ियाल का अनोखा सफ़र
"घूम-घूम ने पूछा "डाॅल्फ़िन दीदी, क्या आपको पता है मेरा परिवार कहाँ है?""
घूम-घूम घड़ियाल का अनोखा सफ़र
""धन्यवाद दीदी! अभी नहीं, अगली बार सही!" घूम-घूम ने कहा।"
घूम-घूम घड़ियाल का अनोखा सफ़र
""क्या आप मेरे परिवार को ढूँढने में मदद कर सकते हैं घोंघा मामा?" घूम-घूम ने पूछा।"
घूम-घूम घड़ियाल का अनोखा सफ़र
""माफ़ करना, पर आराम करने के लिए सपाट चट्टान चाहिए तो मैं बता दूँ!" घोंघे ने कहा।"
घूम-घूम घड़ियाल का अनोखा सफ़र
""धन्यवाद मामा! अभी नहीं, फिर कभी!" घूम-घूम ने कहा।"
घूम-घूम घड़ियाल का अनोखा सफ़र
""दादू, दादू! क्या आपने मेरे परिवार को देखा है?" घूम-घूम ने पूछा।"
घूम-घूम घड़ियाल का अनोखा सफ़र
""हाँ, हाँ! मैं ही हूँ घूम-घूम!" घूम-घूम ने चहक कर कहा।"
घूम-घूम घड़ियाल का अनोखा सफ़र
"घूम-घूम ने ध्यान से सुना। बाकी नन्हें घड़ियालों ने भी कान लगाकर सुना।"
घूम-घूम घड़ियाल का अनोखा सफ़र
"घूम-घूम ने ख़ुश हो कर पुकारा, "पापा!""
घूम-घूम घड़ियाल का अनोखा सफ़र
"पापा ने झुक कर घूम-घूम को प्यार किया।"
घूम-घूम घड़ियाल का अनोखा सफ़र
""मैं एक अनोखे और मज़ेदार सफ़र पर गई थी, पापा!" घूम-घूम ने खिलखिलाकर कहा और बोली - "और कल फिर मुझे जाना है!""
घूम-घूम घड़ियाल का अनोखा सफ़र
"सत्यम ख़रगोश की तरह फुदका, उसने हिरण की तरह कुलाँचें भरीं... "अरे! संभल कर! कीचड़ में फिसल मत जाना," माँ ने कहा।"
सत्यम, ज़रा संभल के!
""ज़रा काँटों से बचना," माँ ने ज़ोर से कहा।"
सत्यम, ज़रा संभल के!
""अरे बंदर, ज़रा मज़बूत डाल पकड़," माँ ने डर कर कहा।"
सत्यम, ज़रा संभल के!
""गहरे पानी में मत जाना बेटा," माँ ने होशियार किया।"
सत्यम, ज़रा संभल के!
""ज़रा पैर जमा कर!" माँ ने घबरा कर कहा।"
सत्यम, ज़रा संभल के!
"सत्यम ने अपनी बाँहें पँखों की तरह फैलाईं और उड़ने की कोशिश की।"
सत्यम, ज़रा संभल के!
"सूरज डूबने के बाद देर शाम को जब झींगुरों ने अपना राग अलापना शुरू किया, तब घर जाने का समय हो गया।"
सत्यम, ज़रा संभल के!
"दादा ने उसे नहलाया।"
सत्यम, ज़रा संभल के!
"बाबा ने बढ़िया खाना पकाया।"
सत्यम, ज़रा संभल के!
"दीदी ने मनपसंद कहानी सुना कर सुलाया।"
सत्यम, ज़रा संभल के!
"चिड़ियों की चहचहाहट ने उसे जगा दिया।"
एक सौ सैंतीसवाँ पैर
"“क्या तुम मेरी मदद कर सकोगी?” गोजर ने पूछा।"
एक सौ सैंतीसवाँ पैर
"गोजर ने मधुमक्खियों से मदद माँगी।"
एक सौ सैंतीसवाँ पैर
"घोंघे ने सलाह दी, “तुम बहुत लापरवाह हो!"
एक सौ सैंतीसवाँ पैर
"क्या तुम मेरी मदद कर सकोगे?” गोजर ने पूछा।"
एक सौ सैंतीसवाँ पैर
"बड़ी चीज़ से टकराना मत। टाटा!” मकड़े ने कहा।"
एक सौ सैंतीसवाँ पैर
"गिरे-कुचले फलों ने दिया बैंगनी रंग पसार।"
हर पेड़ ज़रूरी है!
"रिंकी ने खींच कर कलम और गुटके को अलग किया।"
जादुर्इ गुटका
"रिंकी ने दराज़ अंदर खिसका कर बंद कर दिया।"
जादुर्इ गुटका
"“रिंकी,” भैया ने पूछा, “फ़र्श पर यह नारियल क्यों रखा है?”"
जादुर्इ गुटका
"गुबरैला ने ज़ोर से धक्का दिया, और ज़ोर से, बहुत ज़ोर से! लेकिन वह उस नारियल के पेड़ वाले हट्टे-कट्टे भँवरे को पलट नहीं सकी।"
एक, तीन, पाँच, मदद! मदद!
"गुबरैला ने चिल्ला कर कहा, “झींगुरों आओ!”"
एक, तीन, पाँच, मदद! मदद!
"तीन झींगुर उसकी मदद करने के लिए आगे बढ़े। फिर नारियल वाले मोटू भँवरे ने अपने दोस्तों को गिनना शुरू किया, “एक, दो, तीन, चार! चार तो एक सम संख्या है!”"
एक, तीन, पाँच, मदद! मदद!
"चार-चार कीड़ों ने पूरी ताक़त लगाकर धक्का दिया।"
एक, तीन, पाँच, मदद! मदद!
"फिर गुबरैला ने ज़ोर से चिल्लाकर कहा, “ओ रंग-बिरंगे पतंगे, इधर आओ!”"
एक, तीन, पाँच, मदद! मदद!
"पाँच रंग-बिरंगे लिली पतंगे मदद के लिए आगे आए। नारियल वाले मोटे भँवरे ने अपने दोस्तों की गिनती की।"
एक, तीन, पाँच, मदद! मदद!
"नौ कीड़ों ने पूरी ताक़त लगाकर धक्का दिया।"
एक, तीन, पाँच, मदद! मदद!
"नारियल पेड़ वाले गोलू भँवरे ने अपने सारे दोस्तों को गिना।"
एक, तीन, पाँच, मदद! मदद!
"सोलह कीड़ों ने पूरी ताक़त लगाकर धक्का दिया।"
एक, तीन, पाँच, मदद! मदद!
"“अरे कोई उन जालीदार पंखों वाले पतंगों को बुलाओ,” गुबरैला ने ज़ोर से कहा। नौ जालीदार पंखों वाले पतंगे मदद के लिए आगे आए।"
एक, तीन, पाँच, मदद! मदद!
"“ओहो, यह तो कुल मिलाकर पूरे पच्चीस हो गये! थके-हारे नारियल वाले भँवरे ने कहा कि पच्चीस होती है...”"
एक, तीन, पाँच, मदद! मदद!
"इसके बाद पच्चीस कीड़ों ने पूरी ताक़त लगाकर ज़ोर से धक्का दिया, और फिर!"
एक, तीन, पाँच, मदद! मदद!
"आख़िरकार, उन सब ने मिलकर उस मुटल्ले नारियल पेड़ के भँवरे को पलट ही दिया!"
एक, तीन, पाँच, मदद! मदद!
"“कम्पोस्ट!, वो क्या होता है?,” अप्पा ने सिर खुजाया।"
रोज़ और रॉकी चले कम्पोस्ट बनाने
"“पिछवाड़े की बगिया में बना लूँ, अप्पा?” रोज़ ने रॉकी का कान खींचते हुए पूछा।"
रोज़ और रॉकी चले कम्पोस्ट बनाने
"“पर कम्पोस्ट होता क्या है?,” अप्पा ने कान खुजाया।"
रोज़ और रॉकी चले कम्पोस्ट बनाने
"व्याध पतंगे द्रुवी ने अभी अभी उड़ना सीखा है।"
द्रुवी की छतरी
"एक टिटहरी ने चार अंडे दिए।"
कुत्ते के अंडे
"कुत्ते ने देखा बच्चे उसे माँ-माँ कह रहे हैं।"
कुत्ते के अंडे
"“अरे सुनो! तुम कुत्ते के अंडों से नहीं निकले। तुम मेरे बच्चे हो!” टिटहरी ने कहा।"
कुत्ते के अंडे
"एक दिन उन्हें दीदी का पता किताब में मिल गया। बच्चे तुरंत दीदी की खोज में निकल पड़े। साथ में किताबों का थैला उठाना नहीं भूले। खोजते खोजते बच्चों ने एक बस का नंबर पढ़ लिया। चलते चलते उस सड़क का नाम समझ लिया। क्योंकि दीदी ने उन्हें सब सिखाया था।"
दीदी का रंग बिरंगा खज़ाना
"खोज खोज कर बच्चे परेशान हो गए। थक कर वापस जा ही रहे थे कि किसी ने एक लाल दुपट्टा देखा।"
दीदी का रंग बिरंगा खज़ाना
"चेहरे पर न कोई मुस्कान, न कोई चमक थी। डॉक्टर ने दवाई दी थी।"
दीदी का रंग बिरंगा खज़ाना
"किताबों का थैला उन्हें दिखाया। बच्चो ने कुछ पढ़ कर सुनाया।"
दीदी का रंग बिरंगा खज़ाना
"‘‘क्या हमें सचमुच यहाँ से जाना ही पड़ेगा?’’ नीना ने पूछा।"
एक सफ़र, एक खेल
"लेकिन नीना कुछ भी सुनने को तैयार ही नहीं है। रेलगाड़ी में माँ और बाबा ने उसे मनाने की बहुत कोशिश की।"
एक सफ़र, एक खेल
"‘‘नहीं! मैंने मना किया न!’’ नीना ने न में सिर हिलाते हुए कहा।"
एक सफ़र, एक खेल
"‘‘मैं देख रहा हूँ...’’ बाबा ने कहना शुरू किया।"
एक सफ़र, एक खेल
"‘‘मुझे कुछ दिखाई दे रहा है जिसका रंग भूरा है,’’ बाबा ने कहा।"
एक सफ़र, एक खेल
"‘‘मेरे जूते? पहाड़ियाँ? सूटकेस?’’ माँ ने पूछा।"
एक सफ़र, एक खेल
"‘‘सही जवाब है सूटकेस!’’ बाबा तालियाँ बजाते हुए बोले। नीना ने किताब नीचे रख दी और उनकी बातें सुनने लगी।"
एक सफ़र, एक खेल
"‘‘अब मेरी बारी है,’’ माँ ने कहा।"
एक सफ़र, एक खेल
"‘‘सरसों का खेत!’’ बाबा ने जवाब दिया।"
एक सफ़र, एक खेल
"‘‘ठीक बताया,’’ माँ ने नीना के लिए तालियाँ बजायीं।"
एक सफ़र, एक खेल
"‘‘आसमान!” माँ ने कहा।"
एक सफ़र, एक खेल
"‘‘कुछ भूरे रंग का देख रही हूँ मैं,’’ माँ ने कहा।"
एक सफ़र, एक खेल
"‘‘वह पहाड़ी!’’ बाबा ने जवाब दिया।"
एक सफ़र, एक खेल
"‘‘गाय!’’ नीना ने कहा।"
एक सफ़र, एक खेल
"‘‘मुझे कुछ काले रंग का दिखाई दे रहा है,’’ माँ ने कहा।"
एक सफ़र, एक खेल
"‘‘मुझे एक लम्बा सा जानवर दिख रहा है जिस पर भूरे रंग के धब्बे हैं,’’ बाबा ने कहा।"
एक सफ़र, एक खेल
"‘‘क्या तुम्हें तेंदुआ दिखाई दिया?’’ माँ ने पूछा।"
एक सफ़र, एक खेल
"‘‘नहीं, जिराफ़!’’ बाबा ने कहा।"
एक सफ़र, एक खेल
"बाबा और माँ ने एक कंबल सीट पर बिछाया। फिर हवा वाले एक तकिये को फूंक कर फुलाया।"
एक सफ़र, एक खेल
"‘‘क्या यह खेल हम दिल्ली पहुँच कर भी खेल सकते हैं?’’ नीना ने मुस्कुराते हुए पूछा।"
एक सफ़र, एक खेल
"मुनिया जानती थी कि एक पंख वाले उस विशालकाय गजपक्षी ने घोड़े को नहीं निगला है। हाँ, वह इतना बड़ा तो था कि एक घोड़े को निगल जाता, लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं कि उसने उसे निगल ही लिया था! नटखट झील के पास वाले उस जंगल से ग़ायब हुआ था जहाँ वह गजपक्षी रहता था। अधनिया गाँव में दो घोड़ों - नटखट और सरपट द्वारा खींचे जाने वाली केवल एक ही घोड़ागाड़ी थी। जंगल के अंदर बसे इस छोटे से गाँव में पीढ़ियों से लोगों को इस विशालकाय एक-पंख गजपक्षी के बारे में मालूम था। चूँकि वह किसी के भी मामले में अपनी टाँग नहीं अड़ाता था, इसलिए गाँव का कोई भी बंदा उसे छेड़ता न था।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी
"एक दिन, मुनिया ने बाहर खुले में आने की हिम्मत बटोरी। अपना सिर घुमाये बिना उस विशालकाय ने पहले तो अपनी आँखें घुमाकर मुनिया को देखा और फिर उन्हे बंद कर उसने मुनिया के आगे बढ़ने की कोई परवाह नहीं की। उसके सिर पर भनभनातीं मक्खियों से ज़्यादा ध्यान न खींच पाने के चलते मुनिया धम्म से अपने पैर पटक उसकी ओर बढ़ी। अचानक उस विशालकाय ने अपना एक पंजा उठाया। मुनिया चीखी और झील के उथले पानी में सिर के बल गिर पड़ी। पानी में भीगी-भीगी जब वह झील से बाहर आयी तो क्या देखती है कि गजपक्षी का समूचा बदन हिलडुल रहा है। वह समझ गयी कि वह हँस रहा था!"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी
"अधनिया एक छोटा, अलग-थलग गाँव था जिसमें हर कोई हर किसी को जानता था। गाँव में तो कोई चोर हो नहीं सकता था। दूधवाले ने कसम खाकर कहा था कि उसने नटखट को झील की ओर चौकड़ी भरकर जाते हुए देखा है। लेकिन वह इस बात का खुलासा न कर पाया कि आखिर नटखट बाड़े से कैसे छूट कर निकल भागा था। दिन में बारिश होने के चलते नटखट के खुरों के सारे निशान भी मिट चले थे और उन्हें देख पाना मुमकिन न था।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी
"“तो... फिर जंगल ही में किसी ने उसे खा लिया होगा,” गाँव के मुखिया को सम्बोधित करते हुए एक हट्टा-कट्टा नौजवान बोला।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी
"“उस विशालकाय एक-पंख गजपक्षी के अलावा और कौन हो सकता है भला? उसे तो ख़त्म कर देना चाहिए!” दूधवाले ने कहा, “बरसों से यूँ चुपचाप पड़े-पड़े वह दुष्ट अपनी योजनाएँ बनाता रहा है!”"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी
"सब लोगों ने सहमति में हुंकारा। मुनिया यह सारी कार्यवाही चुपचाप देखे जा रही थी। वह बोलना चाहती थी, लेकिन जिसकी अनुमति नहीं थी उसकी सज़ा क्या होगी? और अगर वह बोलती भी तो कौन उसकी बात पर यकीन करता?"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी
"“सही है, इधर बरसों की आराम की ज़िन्दगी ने उसे ख़तरनाक बना दिया है,” मुनिया के पिताजी ज़ोर देकर बोले। “आज एक घोड़ा गया है, कल को हमारे बच्चों की बारी हो सकती है...”"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी
"“लेकिन उस विशालकाय एक-पंख गजपक्षी ने घोड़ा नहीं खाया,” मुनिया ने लँगड़ाते हुए आगे बढ़कर बहुत धीमे स्वर में कहा। “जिस वक्त घोड़ा ग़ायब हुआ, उस वक्त मैं उसके साथ वहीं पर थी!” समूची सभा में एक गहरा सन्नाटा सा छा गया।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी
"“यही कि वह राक्षस मेरा दोस्त है, यह काम उसका नहीं है!” “इस लड़की का तो दिमाग़ फिर गया है!” पीछे से कोई आदमी चिल्लाया। बाकी सारे बच्चों ने मुँह बिचका दिये। “वह तो सिर्फ पत्तियाँ खाता है! तो फिर वह घोड़ा कैसे खा सकता है?” अपनी जगह से हिले-डुले बिना ही मुनिया चिल्लाकर बोली।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी
"“एक वही राक्षस तो बस मेरा दोस्त है।” उसके पिताजी ने उसकी तरफ़ गुस्से से देखा। लेकिन वह रोयी नहीं और वहीं पर गाँव वालों के सामने खड़ी रही। “अरे लड़की को छोड़ो, हम लोग उस राक्षस को सवेरे-सवेरे धर लेंगे,” एक हट्टा-कट्टा आदमी बोला। “तो फिर कल सुबह की बात पक्की,” मुखिया ने कहा और सभा विसर्जित हो गयी।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी
"मुनिया के पास सिर्फ एक रात थी। सवाल ये था कि वह उसकी बेगुनाही भला कैसे साबित करे? “सोचो मुनिया, सोचो!” फुसफुसाकर उसने खुद से कहा। “दूधवाले ने नटखट को झील की ओर जाने वाली सड़क पर तेज़ी से भागते हुए देखा था...लेकिन झील तक पहुँचने से पहले वह सड़क एक मोड़ लेती है और चन्देसरा की ओर जाती है। क्या पता नटखट अगर वहीं गया हो तो?”"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी
"मुखिया ने हैरत भरी नज़र से पूछा, “सारथी, तुम यहाँ क्या कर रहे हो? और यह नटखट तुम्हारे साथ क्यों है?”"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी
"लेकिन गाँव वाले सारथी को क्या जवाब देते? उनके सिर शर्म से झुके हुए थे। मुनिया के पिताजी अपनी बेटी के पास गये, और उसे अपनी गोद में उठाकर उसे वापस गाँव ले आये। बस फिर क्या था, उस दिन के बाद से कोई भी बच्चा मुनिया के लँगड़ाने पर नहीं हँसा। वे सब अब उसके दोस्त होना चाहते थे। लेकिन केवल भीमकाय ही मुनिया का अकेला सच्चा मित्र बना रहा। मुनिया की कहानी तमाम गाँवों में फैली, और दूरदराज़ के ग्रामीण फुसफुसाकर एक-दूसरे से कहते, “देखा, मुनिया जानती थी कि उस विशालकाय एक-पंख गजपक्षी ने घोड़े को नहीं डकारा!”"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी
"यह कहानी एक वास्तविक गजपक्षी से प्रेरित है। इस विशाल पक्षी, एलिफेंट बर्ड, को वैज्ञानिकों ने एपियोरनिस मेक्सिमस का नाम दिया। यह दुनिया का सबसे बड़ा पक्षी था और मेडागास्कर के द्वीपों में पाया जाता था। वनों के नष्ट होने और आबादी बढ़ने से ये विशाल पक्षी 1700 ई. के आस-पास लुप्त हो गए।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी
"बिल्ली के बच्चों ने खाना खाया,"
और चीकू भी
"कुत्ते के पिल्लों ने खूब खेला,"
और चीकू भी
"और चीकू ने भी।"
और चीकू भी
"चिड़ियों ने स्नान किया,"
और चीकू भी
"और चीकू ने भी।"
और चीकू भी
"माँ ने मेरा हाथ कसकर पकड़ा हुआ है।"
स्कूल का पहला दिन
"माँ ने मेरा हाथ कसकर पकड़ा हुआ है।"
स्कूल का पहला दिन
"“मैं भी बनाऊँगी,” सोना ने कहा।"
सोना सयानी
"“मैं भी चलाऊँगी,” सोना ने हाथ बढ़ाया।"
सोना सयानी
"पापा ने पहिए लगाने शुरू किए।"
सोना सयानी
"“मैं भी कील ठोकूँगी,” सोना ने हथौड़ी उठाई।"
सोना सयानी
"“हाँ-हाँ, पहले ध्यान से देखो,” पापा ने समझाया।"
सोना सयानी
"सोना ने पापा के एक कान के पीछे से पेन्सिल निकाली, और दूसरे कान के पीछे से रील।"
सोना सयानी
"“मैं आपको बहुत ध्यान से देख रही थी,” सोना ने कहा।"
सोना सयानी
"“सच सोना! तुमने मेरी बहुत मदद की,” पापा ने सोना को प्यार से कहा।"
सोना सयानी
"एक दिन पड़ोस की गाय गौरी ने पूछा, “भीमा तू उदास क्यों है?”"
भीमा गधा
"शाम को भीमा ने कालू कौए को काँव-काँव करते देखा।"
भीमा गधा
"नन्ही ने सलेट और चॉक उठाई। वह एक लम्बी रेलगाड़ी बनाना चाहती थी।"
छुक-छुक-छक
"लम्बी रेलगाड़ी के लिए नन्ही ने बनाया, एक बड़ा-सा धुआँ उगलता इंजन।"
छुक-छुक-छक
"नन्ही ने सलेट फ़र्श पर रखी और सोचने लगी।"
छुक-छुक-छक
"बैठे-बैठे नन्ही ने फ़र्श पर एक डिब्बा बनाया। डिब्बे के साथ एक और डिब्बा, फिर एक डिब्बा, फिर एक और... नन्ही बनाती गई।"
छुक-छुक-छक
"नन्ही ने उठ कर देखा। वाह!"
छुक-छुक-छक
"सैर से लौटने के बाद नानी ने कहा,"
खोया पाया
"सैर से लौटने के बाद नानी ने कहा,"
खोया पाया
"सैर से लौटने के बाद नानी ने कहा,"
खोया पाया
"चूहे ने कहा, “यह चाट है।”"
सैर सपाटा
"खरगोश ने कहा, “पँचरंगा है।”"
सैर सपाटा
"बंदर ने कहा, “इसे कहते हैं सलाद।"
सैर सपाटा
"बंदर ने पैर सहलाया। वह चुप न हुआ।"
वह हँस दिया
"भालू दादा ने गोद उठाया। वह चुप न हुआ।"
वह हँस दिया
"बंदर ने पैर सहलाया। वह चुप न हुआ।"
वह हँस दिया
"भालू दादा ने गोद उठाया। वह चुप न हुआ।"
वह हँस दिया
"“क्या हम आपकी कुछ मदद कर सकते हैं?” वीना और विनय ने पूछा।"
नन्हे मददगार
"पुताई वाले भैया ने उनके हाथ में ब्रश थमाए।"
नन्हे मददगार
"वीना और विनय ने रंग के दो डिब्बे उठाए और हो गए काम के लिए तैयार।"
नन्हे मददगार
"वीना ने फाटक को एक तरफ़ से रंगना शुरू किया। विनय ने दूसरी तरफ़ से।"
नन्हे मददगार
"“ओहो! तुमने तो फाटक को दो रंगों में रंग डाला!” पुताई वाला भैया भन्नाया। “चलो अब इसे ऐसे ही रहने देते हैं!” माँ ने कहा।"
नन्हे मददगार
"एक दिन गप्पू ने कहा,"
पहलवान जी और केला
"‘‘आज तुम्हें नाच करवाता हूँ!’’ गप्पू ने एक छिलका फेंक दिया।"
पहलवान जी और केला
" गप्पू ने दो छिलके फेंक दिये।"
पहलवान जी और केला
"गप्पू ने अब की बार सारे छिलके फेंक दिये।"
पहलवान जी और केला
"गजानन ने कहा, " गुरूजी! मेरे बाल उड़ गए हैं. उन्हें उगाने का उपाए बताइए.""
कहानी- गजानन गंजे
"गजानन ने जिद कीं."
कहानी- गजानन गंजे
""तो सुनिए," गुरूजी ने कहा."
कहानी- गजानन गंजे
""मेरी तरह बालों वाली टोपी (विग) लगा लीजिए," कहते हुए गुरूजी ने अपने माथे का विग हटा दिया."
कहानी- गजानन गंजे
"माँ ने सोना को कपड़ा और रंग दिए। सोना ने तीन चार ठप्पे उठा लिए।"
सोना बड़ी सयानी
"माँ ने कहा, “सोना तुम बाहर बैठ कर छपाई कर लो। मेरी छपाई की आवाज़ ध्यान से सुनना।”"
सोना बड़ी सयानी
"थोड़ी देर बाद माँ ने आवाज़ दी, “सोना तुमने मेरी चाभियाँ देखी हैं? मुझे कहीं मिल ही नहीं रहीं।”"
सोना बड़ी सयानी
"सोना ने माँ की कमर में दबा ओढ़नी का सिरा निकाला।"
सोना बड़ी सयानी
"सोना ने कहा, "चाचा मैं भी रस पकाऊँगी।""
सोना की नाक बड़ी तेज
"चाचा बोले, "नहीं, सोना, तुम बस ध्यान से देखो।" चाचा ने एक पतीले में रंग और खुशबू डाली।"
सोना की नाक बड़ी तेज
"सोना ने सूँघ कर कहा, "गले में खट से लगने वाली गंध। चाचा यह ‘काली खट्टी’ चुस्की का रसा है।""
सोना की नाक बड़ी तेज
""ठीक सोना!" चाचा ने पतीला हटाया।"
सोना की नाक बड़ी तेज
""मगर कुछ और गंध भी है।" सोना ने नाक सिकोड़ी, "अच्छी गंध नहीं चाचा।""
सोना की नाक बड़ी तेज
"चाचा ने दूसरे पतीले में मसाला डाला। हाँ! यह है भीनी-मीठी खुशबू!"
सोना की नाक बड़ी तेज
"सोना ने गहरी साँस ली, "यह है अनारी मीठी चुस्की!""
सोना की नाक बड़ी तेज
""वाह सोना, यह भी ठीक है।" चाचा ने दूसरा पतीला उठाया।"
सोना की नाक बड़ी तेज
""मगर कुछ और बेकार सी गंध भी है चाचा," सोना ने नाक सिकोड़ी।"
सोना की नाक बड़ी तेज
""अब मैं डाल रहा हूँ ‘गुलाबी शीरे’ की चुस्की का मसाला," चाचा ने तीसरे पतीले में करछी चलाई।"
सोना की नाक बड़ी तेज
"सोना ने ज़ोर से बोला।"
सोना की नाक बड़ी तेज
"चाचा ने पलट कर झाँका।"
सोना की नाक बड़ी तेज
""शाबाश सोना!" चाचा ने रबड़ी"
सोना की नाक बड़ी तेज
"चाचा ने सोना को प्यार से थपथपाया!"
सोना की नाक बड़ी तेज
"चूहे ने कहा, “यह चाट है।”"
सैर सपाटा
"खरगोश ने कहा, “पँचरंगा है।”"
सैर सपाटा
"बंदर ने कहा, “इसे कहते हैं सलाद।"
सैर सपाटा
"परन्तु नाई ने कहा,
“माफ़ करना, इतने लम्बे बाल काटने के लिए आज बिलकुल समय नहीं है!”"
सालाना बाल-कटाई दिवस
"परन्तु बीवी ने कहा,
“इतने लम्बे बाल काटने के लिए आज मेरे पास बिलकुल वक़्त नहीं है!”"
सालाना बाल-कटाई दिवस
"परन्तु दर्ज़ी ने कहा,
“इतने लम्बे बाल काटने के लिए आज मुझे फुर्सत नहीं!”"
सालाना बाल-कटाई दिवस
"परन्तु बढ़ई ने भी वही कहा,
“भई, इतने लम्बे बाल काटने के लिए आज मेरे पास समय नहीं है!”"
सालाना बाल-कटाई दिवस
"एक बुड्ढी ने बोया दाना"
सबरंग
"मुन्नी ने जो झिड़की खाई"
सबरंग
"दादी ने जो नज़र घुमाई तो न दिया महाराज दिखाई।"
सबरंग
"उसने एक सुन्दर नीला कुर्ता पहना। माँ ने भी नीले रंग की साड़ी पहनी।"
संगीत की दुनिया
"माँ ने मौसी को एक फूलों का गुलदस्ता दिया।"
संगीत की दुनिया
"विवान बोला "नमस्ते मौसी"। मौसी ने कहा "नमस्ते विवान, कैसे हो?"
संगीत की दुनिया
"मौसी ने कहा, "विवान, यह हैं विभिन्न प्रकार के वाद्य-यंत्र।""
संगीत की दुनिया
"विवान ने हैरान होकर पूछा, "वाद्य-यंत्र क्या होता है?"मौसी ने विवान को समझाया, "वाद्य-यंत्रों से बजता है संगीत। आओ, तुम्हें इनसे परिचित करवाती हूँ।""
संगीत की दुनिया
"माँ ने मौसी से कहा, "सच, बहुत मज़ा आयेगा!""
संगीत की दुनिया
"मौसी ने मुस्कुरा कर गाते हुए कहा..."
संगीत की दुनिया
"मौसी ने विवान से कहा, "चलो अब कार्यक्रम शुरू होने वाला है। तुम माँ के साथ हाल में जाकर बैठो।""
संगीत की दुनिया
"मंच पर सभी संगीतकारों ने अपने-अपने वाद्य-यंत्र बजाये।"
संगीत की दुनिया
"राधिका मौसी ने हार्मोनियम बजाया।"
संगीत की दुनिया
"विवान ने ज़ोर से ताली बजायी।"
संगीत की दुनिया
"“आज हम एक बड़ी नौका में घूमने जायेंगे,” विक्की ने काटो से कहा। काटो घबराया और"
नौका की सैर
"कुछ ही देर में, नौका नदी में हिचकोले खाती, पेड़ों के बगल से हिलती डुलती आगे बढ़ी। काटो ने बहुत सारी बत्तखों को तैरते हुए देखा। मछलियाँ भी पानी से सिर निकालकर होंठ गोल करके “हैलो” बोलतीं। हंसों का एक जोड़ा भी अपनी लम्बी ख़ूबसूरत गर्दन मटकाते हुए पास से गुज़रा।"
नौका की सैर
"काटो का मन हुआ, वह उचककर उन्हें छू ले। और इस चक्कर में वह पानी में जा गिरा। गिरते-गिरते काटो ने कुछ मछलियों को उसका रास्ता काटते हुए देखा। “मुझे बचाओ, बचाओ मुझे,” पानी की लम्बी घूँटें लेते हुए उसने उन्हें पुकारा।"
नौका की सैर
"हंस ने उसकी पुकार सुनते ही पानी में अपना सिर डुबोया और बड़ी आसानी से काटो को अपनी चोंच में
उठाकर नौका में डाल दिया।"
नौका की सैर
"कुछ लोगों ने अब भौंवें तानी।"
निराली दादी
"मैंने जानना चाहा कि नानी ने दिन भर में क्या-क्या किया?"
नानी की ऐनक
"तुम्हें तो पता ही है कि वह कितनी गप्पी है! हम दोनों ने कई बार चाय पी और वे सारे लड्डू खा गई जो तुम्हारी माँ ने बनाए थे।" नानी बोलीं।"
नानी की ऐनक
"राजू ने कहा,"नानी आज बहुत व्यस्त रहीं। वह अपनी पेन्शन के लिए मुख्यमंत्री को पत्र भी लिख रही थीं।""
नानी की ऐनक
"“क्या तुमने सुना है?” तोतू तोते ने पूछा।"
जंगल का स्कूल
"हिरनी ने कहा, “हाँ।”"
जंगल का स्कूल
"“क्या? क्या? क्या?” डरपोक ख़रगोश ने पूछा।"
जंगल का स्कूल
"धीमे घोंघे ने ज़ोर से कहा, “चलो जल्दी,"
जंगल का स्कूल
"उल्टा झूलते हुए मिंकू ने कहा,"
जंगल का स्कूल
"पुराखा ने लम्बी साँस ली, “हिस.. स.. स"
जंगल का स्कूल
"लम्बू ने पेड़ के ऊपर देखा। “यहाँ कोई नहीं है।”"
जंगल का स्कूल
"तोतू ने कहा, “ध्यान से देखो। खोजो, खोजो।”"
जंगल का स्कूल
"छोटा भालू ने ऐलान किया,"
जंगल का स्कूल
"धीमे ने कहा, “मुझे एक झूला मिला है।”"
जंगल का स्कूल
"डरपोक खरगोश ने पूछा,"
जंगल का स्कूल
"मिंकू बंदर ने पूछा, “यह क्या है?”"
जंगल का स्कूल
"पुराखा ने समझाया, “शायद यह पेन्सिल है।”"
जंगल का स्कूल
"सुखिया काका ने मूँछें उमेठीं और निकल पड़े।"
बारिश में क्या गाएँ ?
"सुखिया काका और दीनू ने नन्ही सी छतरी तानी।"
बारिश में क्या गाएँ ?
"चींटी ने किसी तरह उस नदी को पार किया।"
दाल का दाना
"दोनों ने एक दूसरे का मुँह छुआ। बात की।"
दाल का दाना
"कुत्ते ने एक आँख खोलकर चींटी को देखा।"
दाल का दाना
"चूज़े ने फिर चोंच मारी। चींटी ने सोचा, अब तो दाना गया।"
दाल का दाना
"चुलबुल ने मन में सोचा और तरह-तरह की पूँछ देखने लगी।"
चुलबुल की पूँछ
"डॉक्टर बोम्बो ने अपने चश्मे के ऊपर से देखते हुए पूछा, "तुम्हारी अपनी पूँछ को क्या हुआ?""
चुलबुल की पूँछ
""अरे भाई, बन्दर की पूँछ तुम्हारे लिए ठीक नहीं है," डॉक्टर बोम्बो ने उसे समझाया।"
चुलबुल की पूँछ
""मुझे कुछ नहीं सुनना है। बस आप मेरी पूँछ बदल दो," चुलबुल ने ज़िद की।"
चुलबुल की पूँछ
""ठीक है, अगर तुम नहीं मानती हो तो मैं तुम्हारी पूँछ बदल देता हूँ," डॉक्टर बोम्बो ने नाक पर चश्मा ऊपर खिसकाया।"
चुलबुल की पूँछ
"चुलबुल खुश हो गई। डॉक्टर बोम्बो ने उसकी पूँछ निकाल कर उसकी जगह बन्दर की पूँछ लगा दी।"
चुलबुल की पूँछ
""डॉक्टर दादा, डॉक्टर दादा, यह पूँछ तो बहुत भारी है। कोई हल्की पूँछ लगा दो," चुलबुल ने थकी आवाज़ में कहा।"
चुलबुल की पूँछ
""गलती हो गई डॉक्टर दादा। आप मुझे बिल्ली की पूँछ लगा दो," चुलबुल ने अपनी गलती मानते हुए सलाह दी।"
चुलबुल की पूँछ
"डॉक्टर बोम्बो ने बन्दर की पूँछ हटा कर बिल्ली की पूँछ लगा दी। "यह पूँछ बन्दर की पूँछ से तो हल्की है," सोचते हुए चुलबुल चल पड़ी। पूँछ की अदला-बदली में वह अब तक बहुत थक गई थी। वह पास के एक पेड़ के पीछे लेट कर आराम करने लगी।"
चुलबुल की पूँछ
""अब क्या हुआ?" डॉक्टर बोम्बो ने पूछा।"
चुलबुल की पूँछ
""वह कुत्ता मेरे पीछे पड़ गया है। मुझे किसी की पूँछ नहीं चाहिए। आप बस मेरी पूँछ लगा दो!" चुलबुल ने ज़ोर से सिर हिलाते हुए कहा।"
चुलबुल की पूँछ
"बिल्ली की पूँछ निकाल कर उन्होंने चुलबुल की पूँछ दोबारा लगा दी। अपनी पूँछ पाते ही चुलबुल ने चैन की साँस ली और खुश होकर घर की ओर चल दी।"
चुलबुल की पूँछ
"एक दिन दादाजी ने मेरे भाई और मुझे कुछ पैसे दिये।"
चलो किताबें खरीदने
"मैंने कुछ किताबें उठायीं।
मेरे भाई ने कुछ किताबें उठायीं।"
चलो किताबें खरीदने
"मेरे भाई ने एक बड़ी किताब खरीदी जिसमें बहुत सी तसवीरें थीं।"
चलो किताबें खरीदने
"चिड़ियों की चहचहाट ने उसे जगा दिया।"
एक सौ सैंतीसवाँ पैर
"“क्या तुम मेरी मदद कर सकोगी?” गोजर ने पूछा।"
एक सौ सैंतीसवाँ पैर
"गोजर ने मधुमक्खियों से मदद माँगी।"
एक सौ सैंतीसवाँ पैर
"घोंघे ने सलाह दी, “तुम बहुत लापरवाह हो!"
एक सौ सैंतीसवाँ पैर
"क्या तुम मेरी मदद कर सकोगे?” गोजर ने पूछा।"
एक सौ सैंतीसवाँ पैर
"बड़ी चीज़ से टकराना मत। टाटा!” मकड़े ने कहा।"
एक सौ सैंतीसवाँ पैर
"सबसे पहले उसे दादीमाँ ने देखा। वह ज़ोर से सोफे पर कूदी और चिल्लाईं,"चूहा!""
चूहा सिकंदर, घर के अंदर
"लपक कर खिड़की पर चढ़ते हुए पापा ने पूछा,"कहाँ?""
चूहा सिकंदर, घर के अंदर
"माँ ने ज़ोर से कहा,"वहाँ!"और मेज़ पर चढ़ गईं।"
चूहा सिकंदर, घर के अंदर
"मिथुन ने पालतू बिल्ली से कहा,"पकड़ो उसे।""
चूहा सिकंदर, घर के अंदर
"बिल्ली ने चूहे को देखा और बिस्तर के नीचे दुबक गई!"
चूहा सिकंदर, घर के अंदर
""मैं भगाती हूँ इसे," माँ ने बहादुरी दिखाते हुए कहा।"
चूहा सिकंदर, घर के अंदर
"दादी ने चूहे को देखा और बिस्तर के नीचे जा छुपीं। पापा ने धीमे से कहा,"अब क्या करूँ?""
चूहा सिकंदर, घर के अंदर
""चूहा!" ख़ुशी से ताली बजाते हुए छोटी ने कहा।"
चूहा सिकंदर, घर के अंदर
"छोटी ने चूहे को देखा और चूहा भागने लगा। छोटी उसके पीछे लपकी!"
चूहा सिकंदर, घर के अंदर
""क्या हुआ दादाजी, आज आप अख़बार क्यों नहीं पढ़ रहे हैं?" एक सुबह गुल्ली ने दादाजी से पूछा।"
गुल्ली का गज़ब पिटारा
""क्या हुआ मंगल चाचा?" गुल्ली ने पूछा। वे परेशान लग रहे थे।"
गुल्ली का गज़ब पिटारा
""मुझे इस पैकेट से तेल निकाल कर बोतल में डालना है, और देखो ना, बोतल का मुंह कितना छोटा है!मुझे यकीन है कि आज मेरी रसोई ज़रूर गंदी हो जाएगी।" मंगल चाचा ने कहा।"
गुल्ली का गज़ब पिटारा
""आप क्या ढूंढ रही हैं दादी माँ?" गुल्ली ने पूछा।"
गुल्ली का गज़ब पिटारा
"“चीनू क्या हो रहा है?” टीचर ने कहा"
कबाड़ी वाला
"तभी, “पेपरवाला, पेपर! पुराने अखबार, कबाड़ी!” चीनू के पिता, कबाड़ी वाले ने गाकर पुकारा। चीनू की मुस्कराहट बाहर तक चमक रही थी।"
कबाड़ी वाला
"चीनू कूद कर ठेले पर जा बैठा और उसने अपने पैर लटका लिये। पिता जी ने ठेले को धक्का दिया और ज़ोर से पुकार लगाई, “पेपरवाला...कबाड़ी!” चीनू ने भी पुकार लगाई। वाह! दोनों की क्या ज़ोरदार आवाज़ निकली!"
कबाड़ी वाला
"जब एक चौकीदार ने उन्हें रोका, चीनू नीचे कूदा। एक खाली बोरी लेकर वह अपने पिता जी के साथ गया। आज उन्हें जो भी सामान मिलेगा वह इस बोरी में भरा जायेगा।"
कबाड़ी वाला
"जब तक उसके पिता जी उस महिला से बात कर रहे थे, चीनू ने सब सामान ऐसे समेटा कि किताबें सबसे ऊपर थीं।"
कबाड़ी वाला
"घर पर सब सामान सहेज कर रखने के बाद चीनू के पिता जी ने उसे बुलाया।"
कबाड़ी वाला
"तितली ने पूछा, “क्यूँ भाई कैसा लग रहा है?”"
उड़ते उड़ते
"चन्दू ने कहा, “मज़ा आ रहा है।”"
उड़ते उड़ते
"गौरैया ने पूछा, “क्यूँ बड़े भाई, कैसा लग रहा है?”"
उड़ते उड़ते
"चन्दू ने कहा, “मज़ा आ रहा है।”"
उड़ते उड़ते
"गरूड़ ने पूछा, “क्यूँ सेठ, कैसा लग रहा है?”"
उड़ते उड़ते
"हवाई जहाज़ ने पूछा, “क्यूँ साहब, कैसा लग रहा है?”"
उड़ते उड़ते
"रॉकेट ने पूछा, “क्यूँ सर, कैसा लग रहा है?”"
उड़ते उड़ते
"चन्दू ने कहा, “मज़ा आ रहा है।”"
उड़ते उड़ते
"मगर चन्दू ने अपने आप उन्हें बता दिया, “अब तो बहुत ही अच्छा लग रहा है।”"
उड़ते उड़ते
"माँ ने चन्दू को जगाया और कहा, “जागो, बेटा!”"
उड़ते उड़ते
"चन्दू ने माँ को प्यार किया और बोला, “सबसे अच्छा तो अब लग रहा है।”"
उड़ते उड़ते
"लेकिन चीकू ने उनकी बात नहीं मानी। वह हँसती रही और कूड़ा फैलाती रही।"
कचरे का बादल
"चीकू ने भागना चाहा।"
कचरे का बादल
"चीकू ने एक झाड़ू लेकर बादल को हटाने की कोशिश की,"
कचरे का बादल
"चीकू ने भरपूर कोशिश की!"
कचरे का बादल
"इसके बाद चीकू ने बाला को देखा सड़क पर केले का छिलका फेंकते हुए।"
कचरे का बादल
"चीकू ने सोचा, "अरे ऐसा कैसे हुआ?""
कचरे का बादल
"फिर चीकू ने देखा, कि रमा आंटी, प्लास्टिक की थैलियों को फेंक रहीं थीं।"
कचरे का बादल
"चीकू ने कहा, "आंटी, थैलियों को उठाकर दोबारा इस्तेमाल कीजिए।""
कचरे का बादल
"उसके बाद चीकू ने कूड़ा नहीं फैलाया।"
कचरे का बादल
"“सूखा पुआल खा कर दूध कहाँ से दूँ? हाँ थोड़ी रसीली घास खाने को मिल जाए तो मैं ज़रूर तुम्हें दूध दे दूँ,” भैंस ने रम्भा कर जवाब दिया।"
काका और मुन्नी
"काका ने खुशी-खुशी भट्ठी का दरवाज़ा खोला। तभी हवा का तेज़ झोंका आया और काका भट्ठी के कोयलों पर उलटा जा गिरा। उसकी पूँछ जल गयी। पूँछ की आग बुझाता काका चीखा,"
काका और मुन्नी
"धनिए ने भी दौड़ लगाई।"
ऊँट चला, भई! ऊँट चला
"एक गाँव में दो दोस्त घनश्याम और ओम रहते थे। घनश्याम बहुत पूजा-पाठ करता था और भगवान को बहुत मानता था, जबकि ओम अपने काम पर ध्यान देता था। एक बार दोनों ने मिलकर एक बीघा खेत खरीदा और सोचा कि मिलकर खेती करेंगे। जो फ़सल तैयार होगी, उसको बेचकर जो रुपए मिलेंगे, उसमें घर बनवाया जाएगा। ओम खेत में दिन-रात खूब मेहनत करता, जबकि घनश्याम भगवान की पूजा प्रार्थना में व्यस्त रहता।"
मेहनत का फल
"फ़सल तैयार हो गई और उसे बेचा गया। ओम ने कहा, “मुझे धनराशि का ज़्यादा भाग मिलना चाहिए क्योंकि मैंने खेत में ज़्यादा मेहनत की है।” दूसरी ओर घनश्याम ने कहा, “मैंने भी दिन-रात भगवान की पूजा की जिससे अच्छी फ़सल तैयार हुई है।”"
मेहनत का फल
"यह झगड़ा बढ़ गया तो दोनों मुखिया के पास गए। मुखिया ने दोनों की बात सुनकर दोनों को एक-एक बोरी कंकड़ मिला चावल दिया और बोला, “कल साफ़ करके ले आना। फिर मैं फ़ैसला सुनाऊँगा।""
मेहनत का फल
"ओम पूरी मेहनत से चावल साफ़ करने लगा। रात भर वह जितना चावल साफ़ कर सकता था, उतना उसने किया। घनश्याम ने केवल भगवान की प्रार्थना की।"
मेहनत का फल
"सुबह मुखिया ने दोनों को चावल दिखाने को कहा। ओम ने आधे से ज़्यादा चावल साफ़ कर दिए थे। घनश्याम से बोला गया तो उसने कहा, “मैंने भगवान से प्रार्थना की है, चावल साफ़ हो गए होंगे।""
मेहनत का फल
"जब देखा गया तो चावल की पूरी बोरी उसी तरह थी। फिर मुखिया ने फ़ैसला सुनाया – “मेहनत करने से ही कार्य सफ़ल होता है। केवल ईश्वर के ऊपर आश्रित होकर प्रार्थना करने से कोई भी काम पूरा नहीं होता। अतः ओम ने ज़्यादा मेहनत की है। अतः उसे ज़्यादा रुपया मिलेगा।”"
मेहनत का फल
"मुखिया और दादा मछली अच्छे दोस्त थे। दादा ने उस लड़की से मुखिया को वहाँ आने का सन्देश भिजवाया।"
मछली ने समाचार सुने
"मुखिया तुरंत नदी की ओर चल पड़ा। उसके आते ही दादा ने मुखिया का स्वागत कर उसे बिठाया। घर के भीतर की ओर पुकार कर कॉफ़ी बनाने के लिए कहा। फिर रेडियो पर सुनी बात बताई।"
मछली ने समाचार सुने
"सभी को लगा कि दादा मछली ने अगर उस दिन वह समाचार न सुना होता तो यह दुर्घटना घट ही जाती।"
मछली ने समाचार सुने
"एकाएक अज़हर मियाँ रुक गए, “घर पर बैठी हमारी एक और बहन भी तो है जिसने आज नए कपड़े नहीं पहने हैं। हम में से किसी ने भी उसके बारे में सोचा तक नहीं।”"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"“तुम्हें यह कढ़ाई किसने सिखाई?” मुन्नु ने पूछा।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"“चिकनकारी तो हम पिछली तीन पुश्तों से करते आ रहे हैं। मैंने अपनी अम्मी से और अम्मी ने नानी से यह हुनर सीखा,” मुमताज़ बोली, “मेरी नानी लखनऊ के फ़तेहगंज इलाके की थीं। लखनऊ कटाव के काम और चिकनकारी के लिए मशहूर था। वे मुझे नवाबों और बेग़मों के किस्से, बारादरी (बारह दरवाज़ों वाला महल) की कहानियाँ, ग़ज़ल और शायरी की महफ़िलों के बारे में कितनी ही बातें सुनाया करतीं। और नानी के हाथ की बिरयानी, कबाब और सेवैंयाँ इतनी लज़ीज़ होती थीं कि सोचते ही मुँह में पानी आता है! मैंने उन्हें हमेशा चिकन की स़फेद चादर ओढ़े हुए देखा, और जानते हो, वह चादर अब भी मेरे पास है।” नानी के बारे में बात करते-करते मुमताज़ की आँखों में अजीब-सी चमक आ गई, “मैंने अपनी माँ को भी सबुह-शाम कढ़ाई करते ही देखा है, दिन भर सुई-तागे से कपड़ों पर तरह-तरह की कशीदाकारी बनाते।”"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"“नहीं, जाती थीं लेकिन कभी-कभी, सब्ज़ी-भाजी लेने या रिश्ते वालों के यहाँ। रेहाना और सलमा भी घर से बहुत कम ही निकलती हैं, और जब जाती हैं तो हमेशा सिर पर ओढ़नी लेकर। मेरी अम्मी बुरका पहनती हैं। मेरी बहनें तो कभी भी पढ़ने नहीं गईं लेकिन मैं आठवीं जमात तक पढ़ी हूँ। उसके बाद फिर मैं भी घर पर रह कर अम्मी और अपनी बहनों से कशीदाकारी सीखती रही हूँ,” मुमताज़ ने अपनी कहानी मुन्नु को सुनाई।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"“अच्छा आपा, रात में सपने देखती हो?” मुन्नु ने अपने दोस्त को बहलाने के लिए एकदम बात बदली।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"मुमताज़ अंदर से चादर ले आई। यह चादर नानी ने अपने हाथों से काढ़ी थी, उनका अपनी दोहती के लिए आखिरी तोहफा। इतना सुंदर काम था-किनारी की बखिया भी, एक-एक टाँका मोती जैसा पिरोया हुआ।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"भागती जा रही है, तेज़, तेज़...और तेज़। लोटन ने अपनी चोंच में चादर का तीसरा कोना और लक्का ने चौथा कोना पकड़ा और वे सब उड़ने लगे, ज़मीन नीचे छूटती जा रही थी और आसमान नज़दीक आ रहा था।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"उनमें सबसे बुज़ुर्ग कशीदाकार, खुरशीद ने मुमताज़ को सलाम कहा और पूछा कि वह कहाँ से आई है। “जी, मैं लखनऊ से हूँ,” मुमताज़ ने भी बड़े मियाँ को सलाम किया, “मैं चिकनकार हूँ।”"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"खुरशीद ने मुमताज़ को वह दुशाला दिखाया जो वे काढ़ रहे थे, “देखो बेटी, मैंने कश्मीर के पंछी और फूल अपने शॉल में उतार लिए हैं। यह है गुलिस्तान, फूलों से भरा बग़ीचा और ये रहीं बुलबुल। यह जो देख रही हो, इसे हम चश्म-ए-बुलबुल कहते हैं यानि बुलबुल की आँख। जिस तरह बुलबुल अपने चारों ओर देख सकती है, वैसे ही यह टाँका हर तरफ़ से एक जैसा दिखाई देता है!” कह कर खुरशीद ने मुमताज़ को वह टाँका काढ़ना सिखाया।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"कुछ देर बाद खुरशीद ने मुमताज़ को कहवा-कश्मीरी चाय और ताज़े सिके गर्मागर्म नान पेश किए। उसने बताया कि कई साल पहले कश्मीर के कशीदाकारों ने लखनऊ के नवाब के यहाँ जाकर वहाँ के चिकनकारों के साथ काम किया था।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"कुछ देर बाद लोटन और लक्का ज़मीन पर लौटे। मुमताज़ अपने नए दोस्तों को अलविदा कह कर लखनऊ की तरफ़ उड़ने लगी और चुटकी बजाते ही उसने देखा कि वह आबिदा ख़ाला के घर पर थी। वहाँ मुन्नु वैसे ही बैठा था जहाँ वह उसे छोड़ आई थी। मुमताज़ ने उसे अपनी कश्मीर-यात्रा के बारे में बताना शुरू ही किया था कि मुन्नु अपने पिता की आवाज़ सुनकर घर भागा।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"मुमताज़ अपनी कढ़ाई में जुट गई। उसके दिमाग में अपनी यात्रा के दौरान देखे कितने ही नए-नए नमूने घूम रहे थे। कुछ ही दिनों में मुमताज़ ने फूल-पत्तियों-पंछियों से भरा एक बड़ा ही खूबसूरत कुरता तैयार कर लिया। हर नमूने के बीचोंबीच चश्म-ए-बुलबुल कढ़ी थी।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"“आखिर मुमताज़ ने यह सब कहाँ से सीखा? न वह कहीं बाहर आती-जाती है, न कोई नई चीज़ ही देखती है-तो फिर इतने सुंदर रंगों में ऐसी बढ़िया कढ़ाई वह कैसे बना लेती है,” मेहरु तुनक कर बोली।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"“हाँ, लेकिन हमें जल्दी ही कुछ करना होगा वरना सब के सब उसी की तारीफ़ के पुल बाँधते नज़र आएँगे,” कमरु ने कहा।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"दोनों बहनों ने एक तरकीब सोच ली। एक शाम जब मुमताज़ लक्का-लोटन के लिए दाने का इंतज़ाम करने निकली तो मेहरु ने काम करने के लिए मुमताज़ को दिया गया सारा रंगीन कपड़ा और धागे कहीं छिपा दिए। सिर्फ़ सफ़ेद कपड़ा ही बचा रहा, “तो अब देखते हैं,” मेहरु उँगलियाँ नचाती बोली, “हमारी प्यारी बहन की तारीफ़ कौन करता है!”"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"अगले रोज़ मुन्नु ने देखा कि मुमताज़ अपने कबूतरों के पास उदास बैठी है। पूछने पर वह बोली “सफ़ेद कपड़े पर कढ़ाई करना बहुत मुश्किल होता है क्योंकि वह बहुत जल्दी गंदा हो जाता है। और अपने रंगीन धागों के बिना मैं काढ़ूँगी भी कैसे?” मुमताज़ मायूस थी।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"और जानते हो इस बार मुमताज़ उड़ कर कहाँ पहुँची? वह पहुँची एक बहुत ही प्राचीन नगरी में-जहाँ कोई रंग नहीं था! वहाँ उसने कितने ही लोग देखे-कुछ पैदल थे और कुछ बहुत ही बढ़िया, चमकदार गाड़ियों पर सवार थे। लेकिन हैरत की बात यह थी कि सब लोगों ने सफ़ेद कपड़े पहन रखे थे-सुंदर, महीन कढ़ाई वाले चाँदनी से रौशन, चमकते सफ़ेद कपड़े!"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"और फिर मुमताज़ ने अपनी नानी को देखा! एक चौड़ी सड़क के किनारे नीम के पेड़ तले बैठी थीं! मुमताज़ खुशी के मारे चिल्लाई और “नानी, नानी” करती उनके गले से लग गई।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"नानी ने मुमताज़ के माथे को बड़े प्यार से चूमा और बोली, “क्यों मेरी बच्ची, तू इतनी उदास क्यों है? तुझे शायद पता नहीं कि असली चिकनकारी रंगीन कपड़े पर तो होती ही नहीं। उसे तो सदियों से सफ़ेद मलमल पर ही काढ़ते थे क्योंकि यह कुरते आदमी ही पहना करते थे।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"फिर जब औरतों ने चिकन के कुरते पहनना शुरु किए तो यह काम रंगीन कपड़े पर भी होने लगा। लेकिन चिकन की बेहतरीन कढ़ाई सफ़ेद मलमल पर सफ़ेद धागे से ही होती है। यही इस काम का सार है, उसकी रूह है...और एक काबिल कशीदाकारिन का सबसे बड़ा इम्तिहान भी।”"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"मुमताज़ के काम ने तो सभी का मन मोह लिया था। थोक के व्यापारी और चिकनदार-सबकी ज़ुबाँ पर हरदोई से आई एक छोटी-सी चिकनकारिन का ही नाम था! अपनी नुमाइशों में दिखाने के लिए कुछ आला, अमीर औरतें आबिदा खाला से मुमताज़ का काम माँगने आईं।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"कमरु और मेहरु ने तय किया कि वे मुमताज़ के लिए छपाई भी नहीं कराएँगी। लेकिन मुमताज़ भी अब ऐसी छोटी-मोटी रुकावटों से घबराने वाली कहाँ थी। सपनों ने उसकी कल्पना को पंख दे दिए थे और उसे कढ़ाई के नमूनों की कोई कमी नहीं थी।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"ईनाम के जलसे में कमरु और मेहरु ने देखा कि सब मुमताज़ को कितनी इज़्जत दे रहे थे। कुछ-एक ने तो उन्हें भी ऐसी हुनर वाली लड़की की बहनें होने की बधाई दी।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"जलसे के बाद जब सब घर लौटे तो कमरु ने मुमताज़ से पूछा, “ऐसे सुंदर, एक से एक बढ़िया नमूने तुम कहाँ से लाईं?”"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"कमरु ने कोना पकड़ तो लिया लेकिन वह कुछ पशोपेश में भी थी। आखिर मुमताज़ कह क्या रही थी! उसे तो वहाँ नाचती मुनिया और गुटरगूँ करते, खेलते हुए लक्का-लोटन के इलावा और कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"आज का दिन बड़ा ख़ास था। रज़ा ने अपने सबसे बढ़िया कपड़े पहने हुए थे। आज उसकी मुलाकात एक बड़ी आला हस्ती से होने वाली थी-बादशाह जलालुद्दीन अकबर से! मुग़ल सल्तनत के महान सम्राट!"
रज़ा और बादशाह
"आज सुबह रज़ा और उसके अब्बा, फ़तेहपुर सीकरी के महल जा रहे थे। बादशाह के गर्मी के मौसम के अंगरखे उन्हें दिखलाने थे। कपड़ों के मामले में राजा साहब काफ़ी नखरैले थे। रहमत खान ने बड़ी मेहनत से अंगरखे बनाये थे-देर रात तक कटाई और सिलाई करी थी। रज़ा ने भी उनका हाथ बँटाया था-सबसे बारीक सुईं और बेहतरीन रेशम के धागे से महीन टाँके लगाये थे।"
रज़ा और बादशाह
"”मैं हूँ रहमत खान, जहाँपनाह का दर्ज़ी। उनके अंगरखों के नये जोड़े लाया हूँ,“रज़ा के अब्बा ने कहा।"
रज़ा और बादशाह
"बड़ी मूँछों वाले पहरेदार ने भँवें सिकोड़ीं,”क्या बादशाह को मालूम है कि तुम आने वाले हो?“"
रज़ा और बादशाह
"”यहीं ठहरो। मैं शाही खिदमतगार को बुलाता हूँ,“पहरेदार ने अन्दर का रुख किया।"
रज़ा और बादशाह
"पहरेदार एक और आदमी को लेकर आया जिसे देखकर रहमत ने झुक कर सलाम किया, “गर्मी के कपड़े लाया हूँ, धनी जी।”"
रज़ा और बादशाह
"काफ़ी लम्बा रास्ता था। रज़ा ने चारों तरफ़ देखा तो उसकी आँखें आश्चर्य से खुली की खुली रह गईं। मुग़लों के महल कितने सुन्दर थे! पतले नक्काशीदार खम्भे और मेहराब-सब लाल रंग के बालुकाश्म से बने हुए। कहीं कहीं फुलवारी वाले बग़ीचे, जिनमें कमलों से सजे तालाब और झिलमिलाते फव्वारे नज़र आ रहे थे। रज़ा ने मन से सोचा कि जन्नत ऐसी ही होती होगी।"
रज़ा और बादशाह
"बादशाह के कमरे के दरवाज़े पर इन्तज़ार करते हुए रज़ा ने धनी सिंह को ध्यान से देखा। दर्ज़ी का बेटा होने के नाते सबसे पहले कपड़ों पर नज़र टिकी। लाल और स़फेद, फूलदार सूती अंगरखा और स़फेद चूड़ीदार। धनी सिंह की नागरा की जूतियों की नोक अन्दर की तरफ़ उमेठी हुई थी। उनकी कमर पर कपड़े की पट्टी बँधी हुई थी जिसे पटका कहा जाता है। पर रज़ा को सबसे ज़्यादा पसन्द उनकी चटख़ लाल रंग की पगड़ी आई, जिस पर स़फेद और पीले चौरस और बुंदकियों का नमूना था।"
रज़ा और बादशाह
"रज़ा ने झुक कर सलाम किया और फिर अपने बादशाह की तरफ़ देखा। एक खिदमतगार हाथ में डिब्बा लिये खड़ा था और अकबर उसमें से गहने चुन रहे थे। कद में बहुत लम्बे नहीं थे पर उनके एक तलवारबाज़ के जैसे चौड़े कन्धे थे। बड़ी बड़ी, थोड़ी तिरछी आँखें, नीचे की ओर मुड़ी मूँछें और ओठों के ऊपर एक छोटा सा तिल था।"
रज़ा और बादशाह
"”सीख रहा हूँ, हुज़ूर,“रज़ा ने घबराया-सा जवाब दिया,”पर कपड़ा काटने में अभी भी गलती हो जाती हैं।“"
रज़ा और बादशाह
"रहमत ने पोटली खोली और अंगरखे पलंग पर सजा दिये। बेहतरीन मलमल से बने हुए थे और बड़ी बारीक कढ़ाई थी। सभी गर्मी के हल्के रंगों में थे, नींबुई, आसमानी, धानी, हल्का जामनी और झकाझक स़फेद। रज़ा जानता था कि बादशाह का पसंदीदा रंग स़फेद था।"
रज़ा और बादशाह
"रहमत ने अकबर को एक स़फेद अंगरखा पहनने में मदद करी। धनी सिंह एक बड़ा-सा आईना ले आये और राजा के सामने लेकर खड़े हो गये।"
रज़ा और बादशाह
"रहमत ने कई पटके उठाये और अकबर की कमर पर एक आसमानी रंग का पटका ऐसे बाँधा कि झालरदार सिरे आगे की तरफ़ लटकें।"
रज़ा और बादशाह
"रज़ा ने देखा कि अब्बा के माथे पर परेशानी झलक रही थी। हाय, अगर बादशाह सलामत को पटके पसन्द नहीं आये तो क्या वे सारे कपड़े लौटा देंगे, मुझे फ़ौरन कुछ करना होगा, उसने सोचा।"
रज़ा और बादशाह
"रज़ा ने धनी सिंह की पगड़ी की ओर इशारा किया,”वैसा लाल?“"
रज़ा और बादशाह
"”हूँ...“अकबर ने धनी सिंह के मूछों वाले चेहरे को घूर कर देखा और कहा,”ठीक है, देखते हैं।“"
रज़ा और बादशाह
"रज़ा ने लपक कर धनी सिंह की पगड़ी थामी। उसके लपेटे सीधे करके अकबर की कमर पर बाँध दी। जब तक अकबर आड़े-टेढ़े होकर अपने आप को आईने में निहार रहे थे,"
रज़ा और बादशाह
"वह साँस रोके खड़ा रहा। उसने देखा कि धनी सिंह मुस्करा रहे हैं-शायद उन्हें यह देख कर हँसी आ रही थी कि राजा साहब ने उनकी पगड़ी का पटका बना दिया था!"
रज़ा और बादशाह
"”यह रंग हमें पसंद आया...और नमूना भी बिल्कुल अलग है,“आखिरकार अकबर ने फ़रमाया।"
रज़ा और बादशाह
"3. दो मुग़ल बादशाहों ने नये शहर बनवाये। अकबर ने आगरा के पास, फ़तेहपुर सीकरी बनवाया और शाहजहाँ ने दिल्ली में, शाहजहाँनाबाद। फ़तेहपुर सीकरी, आज वीरान पड़ा है पर शाहजहाँनाबाद (आज पुरानी दिल्ली कहलाता है) में आज भी लोग रहते हैं और वहाँ ज़िन्दगी की चहल-पहल बरक़रार है।"
रज़ा और बादशाह
"5. कई मुग़ल राजकुमारियाँ बहुत पढ़ी लिखी थीं। गुलबदन बेग़म ने अपने पिता, बाबर की जीवनी लिखी। शाहजहाँ की बेटी, जहाँआरा, शायर थीं।"
रज़ा और बादशाह
"मैडम ने कहा था कि मुझे तुम्हारी मदद करनी है और तुम्हें यह दिखाना है कि स्कूल में कौन सी जगह कहाँ है, क्योंकि तुम स्कूल में नई आई हो। लेकिन उन्होंने मुझे इस बारे में और कुछ नहीं बताया था।"
थोड़ी सी मदद
"जानती हो कल क्या हुआ? गौरव, अली और सातवीं कक्षा के उनके दो और दोस्त स्कूल की छुट्टी के बाद मेरे पीछे पड़ गए। तुम समझ ही गई होगी कि वह क्या जानना चाहते होंगे! उन्होंने मेरा बस्ता छीन लिया और वापस नहीं दे रहे थे। बाद में उन्होंने उसे सड़क किनारे झाड़ियों में फेंक दिया। उसे लाने के लिए मुझे घिसटते हुए ढलान पर जाना पड़ा। मेरी कमीज़ फट गई और माँ ने मुझे डाँटा।"
थोड़ी सी मदद
"आज मेरी बड़ी दीदी का फोन आया। वह दिल्ली में इँजीनियरिंग की पढ़ाई कर रही हैं। मैंने उन्हें बताया कि हमारी कक्षा में एक लड़की है और उसका एक हाथ नकली है। दीदी ने बताया कि उसे 'प्रॉस्थेटिक हैंड’ कहते हैं।"
थोड़ी सी मदद
"सुमी अपने जूते के फीते नहीं बाँध सकी। और खेलने के बाद भी उसे जूते के फीते बाँधने का ध्यान नहीं रहा, और वह उलझ कर गिर पड़ी। उसकी ठोड़ी में चोट लग गई। जब मैडम ने उसकी ठोड़ी की चोट देखी तो उस पर ऐंटीसेप्टिक क्रीम तो लगा दी, लेकिन उसे लापरवाही बरतने के लिए डाँट भी पड़ी। “जूतों के फीते बाँधे बिना पहाड़ों में दौड़ लगाई जाती है? घर जाते समय गिर पड़तीं या और कुछ हो जाता तो क्या होता?“"
थोड़ी सी मदद
"पता नहीं इसका क्या मतलब है, लेकिन वे बहुत परेशान दिखते हैं। तुमने उनके बाल देखे हैं? वह ऐसे लगते हैं जैसे उन्होंने बिजली का नँगा तार छू लिया हो और उन्हें करारा झटका लगा हो! वैसे, मुझे लगता है कि रानी ने उनकी कुर्सी पर मेंढक रख कर अच्छा नहीं किया।"
थोड़ी सी मदद
"1. आपकी अध्यापिका ने कक्षा में नए आए साथी को पूरा स्कूल दिखाने को कहा है। आप क्या सोचेंगे?"
थोड़ी सी मदद
"अब देखें कि आप ने कितने अँक पाए और इसका क्या मतलब है..."
थोड़ी सी मदद