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Revision #10 (2021-06-16 00:26)
Sajid Patel
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2021-06-29 11:36
Revision #9 (2021-05-11 17:56)
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Storybook paragraphs containing word (302)

"“अभी नहीं बेटा, कल खा लेना।”"
अभी नहीं, अभी नहीं!

"लेकिन मैं कल तक रुकना नहीं चाहता।"
अभी नहीं, अभी नहीं!

"“अभी नहीं बेटा, पहले सो लो।”"
अभी नहीं, अभी नहीं!

"लेकिन मैं अभी सोना नहीं चाहता।"
अभी नहीं, अभी नहीं!

"“अभी नहीं बेटा, कल पहन लेना।”"
अभी नहीं, अभी नहीं!

"लेकिन मैं कल तक रुकना नहीं चाहता।"
अभी नहीं, अभी नहीं!

"“अभी नहीं, अभी नहीं। तुम्हें थोड़ा रुकना पड़ेगा!” 
लेकिन मैं रुकना नहीं चाहता।"
अभी नहीं, अभी नहीं!

"मालू ने सारे पेड़, बेलें और पौधे देखे। आलू कहीं दिखाई नहीं दिये।"
आलू-मालू-कालू

""तुम जाओ! मैं तुम्हारे साथ नहीं उड़ सकती.""
कहानी- बादल की सैर

"मैं खूब रोया। और रात का खाना भी नहीं खाया।"
चाँद का तोहफ़ा

"मैं नाचती वो भी मेरे साथ नाचती| मैं खेलती वो भी खेलती| मैं हँसती तो वो भी मेरे साथ हँसती| पर मुझ से बात नहीं करती| कभी मेरे पास नहीँ आती|"
मैं और मेरी दोस्त टीना|

"टीना मुझे हमेशा आईने में ही दिखती है ऐसे नहीं दिखती|"
मैं और मेरी दोस्त टीना|

"अरे, यह तो बिल्ली है।  मैं नहीं डरती।"
मैं नहीं डरती !

"यह तो कुआँ है। मैं नहीं डरती।"
मैं नहीं डरती !

"अरे वह तो मेरी बहन कुएं से पानी निकाल रही है!  मैं नहीं डरती।"
मैं नहीं डरती !

"गप्पू अपना दाहिना हाथ उठाती है। गप्पू नाच नहीं सकती!"
गप्पू नाच नहीं सकती

"गप्पू नाच नहीं सकती!"
गप्पू नाच नहीं सकती

"गप्पू बैठ जाती है। गप्पू नाच नहीं सकती!"
गप्पू नाच नहीं सकती

"गप्पू अपना दाहिना पैर बाहर निकालती है! गप्पू नाच नहीं सकती!"
गप्पू नाच नहीं सकती

"“मुझे नींद नहीं आ रही अम्मा!” टिंकु फुसफुसाया। लेकिन अम्मा ने उसकी बात सुनी ही नहीं। वह गहरी नींद में थी।"
सो जाओ टिंकु!

"वह दाएँ मुड़ा फिर बाएँ मुड़ा। उसने कंबल ओढ़ा, फिर उतार फेंका। वह पेट के बल लेटा, फिर चित हुआ, इधर-उधर करवट बदली, पर नहीं! वह सो ही नहीं पाया!"
सो जाओ टिंकु!

"वह घर लौटते समय बहुत ख़ुश था कि उसने आज बहुत से नए दोस्त बनाए थे। वह अपनी अम्मा से कसकर लिपट गया। उसने फुसफुसाते हुए कहा, “रात अकेली नहीं होती अम्मा! रात में तो बहुत से अद्भुत जीव मिलते हैं।”"
सो जाओ टिंकु!

"वह कभी शिकायत नहीं करता। क्योंकि ऑटो वाले शिरीष जी भी बहुत मेहनत करते थे। शिरीष जी की बूढ़ी हड्डियों में बहुत दर्द रहता था फिर भी वह अर्जुन के डैशबोर्ड को प्लास्टिक के फूलों और हीरो-हेरोइन की तस्वीरों से सजाये रखते। कतार चाहे कितनी ही लंबी क्यों न हो वह अर्जुन में हमेशा साफ़ गैस ही भरवाते। और जैसे ही अर्जुन की कैनोपी फट जाती वह बिना समय गँवाए उसे झटपट ही ठीक कर लेते।"
उड़ने वाला ऑटो

"रात में कनॉट प्लेस की ख़ूबसूरती देखने से उसका मन कभी नहीं भरता। 
रेलवे स्टेशन की चहल-पहल और क्रिकेट मैच के बाद फ़िरोज़शाह कोटला 
मैदान से उमड़ती भीड़ उसे रोमांचित कर देती।"
उड़ने वाला ऑटो

"जीवन में सब कुछ ठीक-ठाक था, अर्जुन को इस से ज़्यादा कुछ नहीं चाहिए था।"
उड़ने वाला ऑटो

"उसकी मदद के लिए हेलिकॉप्टर के पंखे भी नहीं थे। अर्जुन ने सोचा,"
उड़ने वाला ऑटो

"“लेकिन हम क्या कर रहे हैं?” अर्जुन ने सोचा। “हम कहाँ जा रहे हैं? अगर मुझे चलाया नहीं गया तो मेरा क्या होगा?” अर्जुन ने अब से पहले कभी इतना आज़ाद महसूस नहीं किया था, और न ही इतना परेशान।"
उड़ने वाला ऑटो

"उस औरत ने नीचे देखते हुए वहाँ की ढेर सारी खुशियों के बारे में सोचा। साड़ी की चमक उसे याद नहीं रही।"
उड़ने वाला ऑटो

"मैं अपनी बहन की तस्वीर बनाता हूँ। वह बिना हिले नहीं बैठती।"
मैं बहुत कुछ बना सकता हूँ!

"मैं बहुत कुछ बना सकता हूँ ! मेरी बहन नहीं बना पाती!"
मैं बहुत कुछ बना सकता हूँ!

"उसका दिल ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था। काश कि वह इतनी बड़ी नहीं होती, १० मीटर लम्बी और ९०० किलो से ज़्यादा भारी! उसे जल्दी किसी अस्पताल पहुँचना था। आखिर जान का सवाल था।"
पिशि फँसी तूफ़ान में

"बर्फ़ से बने मकान इग्लू में बिलकुल ठंड नहीं लगती!"
सबसे अच्छा घर

"लेकिन माँ अपनी पूरी को फूलाने के लिये ऐसे किसी भी तरीके का इस्तेमाल नहीं करती है – कमाल की बात है!"
पूरी क्यों फूलती है?

"आटे में जैसे ही पानी डाला जाता है, यह अणु उसे पी लेते हैं। वे पानी पीने के बाद बड़े और मोटे हो जाते हैं। वे फैल जाते हैं। ज़ाहिर है कि उनके पास आराम से बैठने के लिये जगह नहीं होती है – इसलिए वह एक दूसरे को छूते हैं और धक्कामुक्की करते हैं। वे एक दूसरे से चिपक जाते हैं।"
पूरी क्यों फूलती है?

"अम्मा ने आटे को गूँध लिया है। वह अब अपनी हथेली में थोड़ा सा तेल लगा कर उसे अच्छी तरह गूँधने के लिये कह रही है। आटे को अच्छी तरह गूँधने के लिये मजबूत हाथ चाहिए। उनका कहना है कि अगर आटे को अच्छी तरह गूँधा नहीं जाता है तो पूरी नहीं फूलती है।"
पूरी क्यों फूलती है?

"अब एक कांटे की मदद से पूरी में एक छेद करते हैं। देखा, भाप कैसे बाहर निकल रही है। फूली हुई पूरी में हवा नहीं होती। उसमें भाप होती है, समझ गये!"
पूरी क्यों फूलती है?

"भेल पूरी/ आलू दही पूरी में इस्तेमाल होने वाली पूरियाँ क्यों नहीं फूलतीं?"
पूरी क्यों फूलती है?

"आप ध्यान से देखें तो पता चलेगा कि भेल-पूरी और दही-पूरी में इस्तेमाल होने वाली पूरियाँ फूली नहीं होती है।"
पूरी क्यों फूलती है?

"पूरी बहुत पतली बेली गई है, और उसमें सही मात्रा में पानी नहीं डाला गया है जिससे भाप और प्रेशर बन सके और पूरी फूल सके।"
पूरी क्यों फूलती है?

"कभी-कभी पूरी को बेलने के बाद उस में जानबूझ कर एक कांटे से छोटे-छोटे छेद किये जाते हैं ताकि तलते समय जो भाप बने वह छेद से बाहर निकल जाये। इसी वजह से पूरी फूल नहीं सकती।"
पूरी क्यों फूलती है?

"इसके अलावा अगर पूरियों को कम तापक्रम पर तला जाता है तो उनमें भाप बहुत धीरे-धीरे बनती है, प्रेशर ठीक से नहीं बनता और फिर पूरी फूल नहीं पाती।"
पूरी क्यों फूलती है?

"अब फिर इसे एक बड़े बर्तन में रख देते है अब बर्तन के अंदर रखे गूँधे आटे पर इतना पानी डालते है जिससे वो उसमे डूब जाए। पानी के अंदर डूबे आटे को गूँधते रहते है जब तक पानी का रंग सफ़ेद नहीं हो जाता। इस पानी को फैक कर बर्तन में थोड़ा और ताजा पानी लेते है इसे तब तक करते रहे जब तक गुँधे आटे को और गूंधने से पानी सफ़ेद नहीं होता। इसका मतलब यह है कि आटे का सारा स्टार्च खत्म हो गया है और उसमें बस ग्लूटेन ही बचा है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि स्टार्च पानी में घुल जाता है लेकिन ग्लूटेन नहीं घुलता। अब इस बचे हुए आटे यानि ग्लूटेन से थोड़ा सा आटा लेते है इसे हम एक रबड़बैंड कि तरह खीच सकते है। अगर इसे खीच कर छोड़ते है तो यह वापस पहले जैसा हो जाता है। इससे इसके लचीलेपन का पता चलता है आप इसे चोड़ाई में फैला सकते है इससे पता चलता है कि इसमें कितनी प्लाटीसिटी है।"
पूरी क्यों फूलती है?

"क्या ज्वार, बाजरे या चावल के आटे से पूरियाँ बन सकती है, अगर नहीं तो क्यों? गेहूँ के आटे से पूरियों के अलावा हम और क्या चीज़ें बना सकते हैं? अगर आटे में ज़्यादा पानी डाल दिया जाये तो क्या होगा? अगर हम आटे को खाना पकाने के दूसरे तरीकों, जैसे तंदूर या तवा पर पकाते हैं तो क्या होता है?"
पूरी क्यों फूलती है?

"वैसे क्या तुम अपनी साँसे सुन सकते हो? नहीं ना! पर मधुमक्खियाँ सुन सकती हैं। भन-भन की आवाज़ मधुमक्खियों के साँस लेने से भी होती है। उनका शरीर छोटा व कई टुकड़ों में बँटा होता है। तो जब साँस लेने से हवा अंदर जाती है, तो उसे कई टेढ़े-मेढ़े व ऊँचे-नीचे रास्तों को पार कर के जाना पड़ता है। और इसी वजह से भन-भन की आवाज़ होती है।"
मधुमक्खियाँ क्यों भन-भन करती हैं?

"1. मधुमक्खी बहुत मेहनती होती है – सर्दी के मौसम में यह नो महीने तक ज़िंदा रह सकती है और गर्मियों में सिर्फ दो महीने तक! लगातार काम करने से इनको कोई फर्क नहीं पड़ता!"
मधुमक्खियाँ क्यों भन-भन करती हैं?

"2. मधुमक्खियों से जुड़ी एक मजेदार बात आपको बताते है, नन्ही मधुमक्खी के दिमाग की तरह काम करते समय इनका दिमाग बूढ़ा नहीं होता, वो बस किसी नन्ही मधुमक्खी के दिमाग की तरह काम करने लगता है अब आप भी चाहते है न एक मधुमक्खी बनना !"
मधुमक्खियाँ क्यों भन-भन करती हैं?

"5. बंबल बिज़, मधुमक्खी और दूसरी तरह कि बीज़ से ज्यादा बड़ी होती है! उन्हे छत्ते में रहना और मिलना जुलना अच्छा लगता है! कई बंबल बीज में डंक नहीं होता है! वो ज्यादा शहद तो नहीं बनाती लेकिन वो बेहतरीन पोल्लीनेटर होती है!"
मधुमक्खियाँ क्यों भन-भन करती हैं?

""सुनो! तुम्हारा नाम क्या है? क्या तुम्हें बोर्ड पर ध्यान नहीं देना चाहिए?" कक्षा में पढ़ा रही नई अध्य्यापिका ने कहा।"
हवाई जहाज़ कैसे उड़ते हैं?

"कुछ ही दिनों में वह पशु-पक्षियों के बारे में बहुत कुछ जान गई और यह भी कि हम हवाई जहाज़ की तरह क्यों नहीं उड़ सकते!"
हवाई जहाज़ कैसे उड़ते हैं?

"इस महान यंत्र की सहायता से हम हवा में उड़ने का मज़ा ले सकते हैं। पक्षी हवाई जीव होते हैं जिन्हें उड़ने के लिए बाहरी यंत्र की ज़रूरत नहीं होती। आमतौर पर, एक पक्षी के पंख उसके शरीर से बड़े होते हैं। पंख बड़े हल्के होते हैं और इसलिए वे उड़ पाते हैं।"
हवाई जहाज़ कैसे उड़ते हैं?

"पक्षी उड़ने के समय अपने पंख फड़फड़ाते हैं, लेकिन हमने हवाई जहाज़ के पंखों को फड़फड़ाते हुए कभी नहीं देखा! पक्षी अपने पंख फड़फड़ाते हैं ताकि वे अपने शरीर को ऊपर धकेलने में हवा का उपयोग कर सकें।"
हवाई जहाज़ कैसे उड़ते हैं?

"कार एवं अन्य वाहन भी इंजिन की सहायता से ही चलते हैं, मगर वे विमान की तरह आसमान में उड़ नहीं सकते। हवा विमान के उन पंखों के ऊपर और अंदर बहती है जो पक्षी के पंख जैसे होते है, इन्हीं के दबाव से विमान ऊपर उठते हैं और टिके रहते हैं। विमान की भी पूँछ होती हैं - बिलकुल चिड़िया की तरह, जो उन्हें हवा में टिकने और दिशा बदलने में मदद करती है।"
हवाई जहाज़ कैसे उड़ते हैं?

"मुत्तज्जी इन जुड़वां भाई-बहन की माँ की माँ की माँ थीं! ओर वह मैसूर में अज्जी के साथ रहती थीं, जो इन दोनों की माँ की माँ, यानी नानी, थीं। किसी को पता नहीं था कि मुत्तज्जी का जन्मदिन असल में कब होता है, लेकिन अज्जी हमेशा से मकर सक्रांति की छुट्टी के दिन उनका जन्मदिन मनाती थीं।"
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?

""नहीं," पुट्टा ने कहा। "बुज़ुर्गों के जन्मदिन पर केक नहीं काटा जाता। और फिर 200 मोमबत्तियां लगाने के लिये तो बहुत बड़े केक की जरूरत होगी।""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?

""मुत्तज्जी 200 साल की नहीं हैं, बुद्धू!" पुट्टी ने कहा, "अम्मा, मुत्तज्जी"
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?

"मुत्तज्जी ने कहा, "कुछ याद नहीं है, पुट्टा।""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?

""रुको," मुत्तज्जी बोलीं, "जरा कुछ और याद करने दो। ओह! जब मैं तुम्हारे बराबर की, यानि 9 या 10 साल की थी, तब मेरे काका बम्बई से हमसे मिलने आए थे और उन्होंने हमें ऐसी साफ़ रेलगाड़ी के बारे में बताया था जिसमें सफ़र करने से कपड़े गंदे नहीं होते थे।""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?

""हाँ!" मुत्तज्जी ने चहकते हुए कहा, "बम्बई में उसी साल उनकी शुरुआत हुई थी। उनमे सफर करते हुए कोई गंदा नहीं होता था। कपड़ों ओर चेहरे पर ज़रा सी भी कालिख, या मिट्टी, या गंदगी, कुछ भी नहीं लगती थी!""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?

""फिर कुछ साल बाद," मुत्तज्जी ने बात आगे बढ़ाते हुए कहा, "मेरी शादी हो गयी। उस समय कानून था कि शादी के लिए लड़की की उम्र कम से कम 15 साल होनी चाहिए, और मेरे पिता कानून कभी नहीं तोड़ते थे। तो उस समय मेरी उम्र करीब 16 साल की रही होगी। और मेरी शादी के बाद जल्द ही तुम्हारे मुत्तज्जा को बम्बई में नौकरी मिल गयी और हम मैसूर छोड़कर वहाँ चले गए।""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?

"बड़े दुख से मुत्तज्जी ने कहा, "हाँ, उस साल दशहरे के त्यौहार के समय, हमारे महाराजा ने एक बड़े बांध और उसके पास कई सुंदर बागों का उद्घाटन किया था। लेकिन मै वह सब नहीं देख सकी थी क्योंकि मैं बम्बई में थी।""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?

"डटा है। उसी बांध में कावेरी का पानी इकठ्ठा होता है। बांध की बदौलत, अब बरसात के दिनों मेँ बाढ़ नहीं आती, और गर्मी मेँ खेतों के लिए पानी की भी कमी नहीं पड़ती।""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?

""हाँ, के आर एस।" मुत्तज्जी ने बड़े प्यार से अज्जी को देखा और कहा, "तुम्हारी अज्जी मेरी पाँचवी संतान थी, सबसे छोटी, लेकिन सबसे ज़्यादा समझदार। तुम जानते हो बच्चों, मेरे बच्चे ख़ास समय के अंतर पर हुए। हर दूसरे मानसून के बाद एक, और जिस दिन तुम्हारी अज्जी को पैदा होना था, उस दिन तुम्हारे मुत्तज्जा का कहीं अता-पता ही नहीं था। बाद मेँ उन्होंने बताया कि वो उस दिन ग्वालिया टैंक मैदान में गांधीजी का भाषण सुनने चले गए थे। और उस दिन उन्हें ऐसा जोश आ गया था कि वह सारे दिन बस "भारत छोड़ो” के नारे लगाते रहे। बुद्धू कहीं के... नन्हीं सी बच्ची को दिन भर परेशान करते रहे।""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?

""जरूरी तो नहीं," पुट्टा ने कहा, "क्योंकि मुत्तज्जी ने यह तो नहीं कहा कि उनका पहला बच्चा, उनकी शादी के 2 साल बाद पैदा हुआ था। उन्होंने तो बस यह कहा कि जिस साल उनकी शादी हुई उसी साल मैसूर में एक बांध बनाया गया था।""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?

"धनी को पता था कि आश्रम में कोई बड़ी योजना बन रही है, पर उसे कोई कुछ न बताता। “वे सब समझते हैं कि मैं नौ साल का हूँ इसलिए मैं बुद्धू हूँ। पर मैं बुद्धू नहीं हूँ!” धनी मन-ही-मन बड़बड़ाया।"
स्वतंत्रता की ओर

"”बिल्कुल बेवकूफ़ी नहीं है धनी! क्या तुम्हें पता है कि हमें नमक पर कर देना पड़ता है?“"
स्वतंत्रता की ओर

"”गाँधी जी तो थक जायेंगे। वे दाँडी बस या ट्रेन से क्यों नहीं जा सकते?“"
स्वतंत्रता की ओर

"”हाँ, वो तो हैं ही!“ बिन्दा की आँखों के आस-पास हँसी की लकीरें खिंच गईं, ”उन्होंने वायसरॉय को चिट्ठी भी लिखी है कि वे ऐसा करने जा रहे हैं! ब्रिटिश सरकार को तो पता ही नहीं कि उसकी क्या गत बनने वाली है!“"
स्वतंत्रता की ओर

"”बेकार की बात मत करो धनी! तुम इतना लम्बा नहीं चल पाओगे। आश्रम के नौजवान ही जा रहे हैं।“"
स्वतंत्रता की ओर

"”मैं नौ साल का हूँ और आपसे तेज़ दौड़ सकता हूँ!“
 धनी ने हठ पकड़ ली, ”आप मुझे साथ आने से रोक नहीं सकते।“"
स्वतंत्रता की ओर

"गाँधी जी बड़े व्यस्त रहते थे। उन्हें अकेले पकड़ पाना आसान नहीं था। पर धनी को वह समय मालूम था जब उन्हें बात सुनने का समय होगा-रोज़ सुबह, वह आश्रम में पैदल घूमते थे।"
स्वतंत्रता की ओर

"”पर आप तो नौजवान नहीं हैं,“ धनी बोला, ”आप नहीं थक जायेंगे?“"
स्वतंत्रता की ओर

"और दूसरी चीज़ मैंने क्या कही थी? 'टूथपेस्ट के मर्तबान?' बिलकुल सही! टूथपेस्ट के लिए ट्यूब नहीं बना था। वे केवल मर्तबान में मिलते थे। और खुमारी भरी आँख लिए बच्चे अपने दिन की शुरुआत टूथपेस्ट से भरे चीनी मिट्टी के मर्तबान में दातुन डुबाकर करते थे।"
टूथपेस्ट ट्यूब के अंदर कैसे आया?

"यह उतना गंदा नहीं था, जितना तुम सोच रहे हो! डॉ. शेफील्ड और उनकी टीम ने बिना ढक्कन खोले इसे... भरा!"
टूथपेस्ट ट्यूब के अंदर कैसे आया?

"बर्तन के निचले हिस्से में लगे नल से घूमते कन्वेयर बेल्ट के साथ हरएक खाली ट्यूब भरता जाता है। लेकिन पेस्ट उनके सिरे तक नहीं भरा जाता, इन्हें आधा इंच खाली रखा जाता है ताकि अच्छी तरह बंद किया जा सके। अब ट्यूब दबाकर निकालने के लिए तैयार है।"
टूथपेस्ट ट्यूब के अंदर कैसे आया?

"ठीक 5 बजते ही, इंजी, स्कूल की किसी पुरानी बस की तरह दौड़ता-हाँफता चला आता है। इंजी, चॉकलेटी रंग की आंखों वाला उनका प्यारा पिल्ला है, जिसकी पूँछ हमेशा हिलने के बावजूद कभी नहीं थकती।"
आओ, बीज बटोरें!

"टूका और पोई ने एक-दूसरे को हैरानी से देखा। उन्हें आस-पास कोई नहीं दिखाई दे रहा था। तभी उन्हें दुबारा वह आवाज सुनाई दी, "यहां ऊपर देखो, ऊपर.....।” टूका और पोई ने ऊपर-नीचे, अपने आस-पास, चारों ओर देखा, लेकिन उन्हें कोई भी नहीं दिखा।"
आओ, बीज बटोरें!

"तभी पच्चा ने कहा, “इंजी, हैलो.. इन दिनों तुम नज़र नहीं आते हो!”"
आओ, बीज बटोरें!

"यह कहकर पोई इमली के पेड़ से गले लग गई। पच्चा खिलखिलाया, ”आज से पहले मुझे कभी किसी छोटी लड़की ने गले नहीं लगाया है।  मुझे गुदगुदी हो रही है!”"
आओ, बीज बटोरें!

"”और हम भी इससे पहले कभी किसी बोलने वाले पेड़ से नहीं मिले!” टूका ने चहकते हुए कहा। ”इसलिए, हम सभी के लिए कुछ न कुछ नया है।” इतना सुनकर, पच्चा जोर से हँसा, और उसके हँसते ही, उसके डालों की सारी पत्तियाँ सुर्ख़ हरी हो गई।"
आओ, बीज बटोरें!

"टूका ने कहा, “पच्चा, तुम्हारी बात मुझे समझ नहीं आई, ठीक से समझाओ।“"
आओ, बीज बटोरें!

"बैरीज़, सेब, केला, तरबूज और कटहल - इन सभी फलों में बीज होता है। कुछ बीजों को हम खा नहीं सकते हैं जैसे कि आम की गुठली। लेकिन कई बीज; जैसे कटहल के बीज; इन्हें पानी में भिगोने के बाद सब्ज़ी बनाकर खाए जा सकते हैं।"
आओ, बीज बटोरें!

"सामान्य नाम: चॉकलेट। वैज्ञानिक मुझे कहते हैं: थियोब्रोमा ककाओ (जिसका अर्थ होता है - देवताओं का भोजन) इसमें कोई संदेह नहीं है कि चावल सबसे लोकप्रिय अनाज है लेकिन ककाओ भी लोगों की खास पसंद है – खासकर टूका और पोई की। चॉकलेट ककाओ के बीजों से बनती है। हर ककाओ फल में 30-50 बीज होते हैं जिन्हें भूना जाता है और फिर पीसकर, चीनी व दूध में मिलाकर स्वादिष्ट चॉकलेट बार बनाया जाता है।"
आओ, बीज बटोरें!

"स्कूल से घर लौटते हुए रास्ते में, मैं वर्षा से भीग गई, पर बड़ा मज़ा आया। हमारे घर के पास वाले खेत में मोर नाच रहे थे। लेकिन वो 
तो भीग नहीं रहे थे!"
गरजे बादल नाचे मोर

"हम सभी वर्षा की प्रतीक्षा करते हैं पर किसान तो वर्षा के देवताओं की पूजा करते हैं।
 मानसून में मेरा आम का पौधा काफी लम्बा हो गया है। अब मुझे उसे सींचने की ज़रूरत नहीं पड़ती! पिछले महीने जब बड़ी तेज़ आँधी चली थी, मेरा पौधा मज़बूती से खड़ा रहा। क्या मेरा आम का पेड़ इस पेड़ के जितना बड़ा हो जायेगा?"
गरजे बादल नाचे मोर

"लेकिन पेड़ से उतरना मैं जानती ही नहीं थी।”"
तारा की गगनचुंबी यात्रा

"ढश टश ढश... मेरे नगाड़े की छड़ें इतनी तेज़ी से चल रही हैं कि आप इन्हें देख भी नहीं सकते!"
आज, मैं हूँ...

"इस बार गिलास नहीं गिरे। ऊँचे...और ऊँचे। वे बढ़ते गए!"
मलार का बड़ा सा घर

"स्कूल के लिए जागना उ़फ... मुझे नहीं भाता।"
क्या होता अगर?

"मैं जितना भी सोऊँ, नींद पूरी नहीं होती।"
क्या होता अगर?

"ब्रश करते हुए भी मेरी आँखें नहीं खुल रहीं।"
क्या होता अगर?

"आधा बिस्तर पर और आधा कक्षा में... फिर मुझसे सुबह की प्रार्थना कभी नहीं छूटती!"
क्या होता अगर?

"ज़रा सोचिए, मैं क्या कुछ नहीं चबा लूँ!"
क्या होता अगर?

"जंगल में कुछ भी व्यर्थ नहीं जाता।"
अरे, यह सब कौन खा गया?

"जब तेंदुए अपना खाना खत्म नहीं करते,"
अरे, यह सब कौन खा गया?

"वह हमारे जैसा नहीं है।"
हमारे मित्र कौन है?

"मैं अपने दांतों को ब्रश नहीं कर सकता हूँ।"
हमारे मित्र कौन है?

"मैं अपना सिर खुजला नहीं सकता हूँ।"
हमारे मित्र कौन है?

"मैं दूर की वस्तुएं नहीं देख सकता हूँ।"
हमारे मित्र कौन है?

"पक्षी (चिड़िया) अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन यह कोई समस्या नहीं है..."
हमारे मित्र कौन है?

"हमें कोई समस्या नहीं होती है, जब पक्षी गाते हैं।"
हमारे मित्र कौन है?

"एक दिन, बंटी उठता है और देखता है कि उसका कोई भी पक्षी नहीं गा रहा है।"
बंटी और उसके गाते हुए पक्षी

"अलार्म की आवाज़ से राजू की नींद टूटी। "ओह, मेरा इतना बढ़िया सपना टूट गया!" पर आज सपना टूटने पर राजू उदास नहीं हुआ।"
राजू की पहली हवाई-यात्रा

""वह महिला अफ़सर सुरक्षा जाँच टीम की सदस्य है। उन्हें इस बात का ध्यान रखना होता है कि कोई भी यात्री अपने सामान में विस्फोटक या चाक़ू जैसी ख़तरनाक चीज़ें न ले जा पाए। हमें उनके काम में बाधा नहीं डालनी चाहिए।""
राजू की पहली हवाई-यात्रा

""चेची कितनी किस्मत वाली है। वह कितने हवाई-जहाज़ों में घूम चुकी है। मुझसे बड़े होने तक का इंतज़ार नहीं होता, अम्मा।""
राजू की पहली हवाई-यात्रा

"समझ नहीं आ रही है।"
कितनी मज़ेदार है बांग्ला संख्याएं

"पर कुछ समझ नहीं आ रहा है,"
कितनी मज़ेदार है बांग्ला संख्याएं

"अपने ट्रक, हवाई जहाज़, कार, चक्र, चल नहीं पाएंगे... अगर मैं नहीं होता।"
ग़ोलू एक ग़ोल कि कहानी

"और फिर भी एक जगह है जहां मुझे स्वागत नहीं है।"
ग़ोलू एक ग़ोल कि कहानी

"“नहीं मनु, आज नहीं। आज बरसाती मत पहनना नहीं तो तुम अजीब लगोगे,” माँ बोलीं।"
लाल बरसाती

"“आज नहीं बेटा! आज तो आसमान मे स़िर्फ एक नन्हा सफ़ेद बादल है,” माँ बोलीं।"
लाल बरसाती

"“माँ, बारिश क्यों नहीं हो रही?” मनु ने पूछा।"
लाल बरसाती

"“नहीं, प्यारे बेटे! आज बारिश नहीं होगी। नन्हे सफ़ेद बादल आसमान में बहुत ऊँचाई पर हैं,” माँ बोलीं।"
लाल बरसाती

"“हाँ, मगर लगता है उसका गला खराब है! मैंने न, पहले कभी भी खराब गले वाली कोयल नहीं देखी। चलो, चलकर ढूँढते हैं उसे!” स्टेल्ला ने सुझाया।"
कोयल का गला हुआ खराब

"“ये तो बड़ी गहरी खाई है! मुझसे नहीं पार होने वाली!” स्टेल्ला बोली।"
कोयल का गला हुआ खराब

"वे चारों ओर देखते हैं, मगर खिचखिच वाली चिड़िया नहीं मिलती।"
कोयल का गला हुआ खराब

"“नहीं, नहीं यहाँ है!” ज़ेबा ने धीरे से कहा।"
कोयल का गला हुआ खराब

"“परवेज़, तुमने आज सुनने की मशीन नहीं लगायी है! तुम जानते हो ठीक से सुनने के लिए तुम्हें उसकी ज़रूरत पड़ती है न,”"
कोयल का गला हुआ खराब

"“ये म्मम्मुझे प्प्प्पसंद नहीं है,” वो बुदबुदाया।"
कोयल का गला हुआ खराब

"“और मुझे यह मोटा-सा चश्मा नहीं पसंद, मगर मैं तो पहनती हूँ न इन्हें, कि नहीं?” दादी ने पूछा।"
कोयल का गला हुआ खराब

"सभी के कान एक जैसे नहीं होते"
कोयल का गला हुआ खराब

"- परवेज़ जब सिर्फ पांच महीने का था तब उसके माता-पिता ने देखा कि वो ज़ोर की आवाजें बिलकुल भी नहीं सुन पाता था। वे उसे डॉक्टर के पास ले गए जिन्होंने बताया कि परवेज़ ने सुनने की शक्ति खो दी है। डॉक्टर ने समझाया कि परवेज़ की मदद कैसे की जा सकती है ताकि वो हर वो चीज़ सीख सके जो आम बच्चा सुन सकता है।"
कोयल का गला हुआ खराब

"- जब आप ठीक से सुन सकते हैं तो, बोलना आसानी से सीख सकते हैं। ज़्यादातर बधिर लोग ठीक से नहीं बोल पाते क्योंकि वो दूसरों का बोलना नहीं सुन सकते हैं।"
कोयल का गला हुआ खराब

"- जो लोग पूरी तरह से बधिर होते है, वो कुछ भी नहीं सुन सकते। परवेज़ आँशिक रूप से नहीं सुन सकता है। इसलिए उसे शीला मिस जैसी एक विशेष शिक्षक की ज़रूरत है जो उसे संकेत की भाषा, होंठों को पढ़ने और संवाद करने के अन्य तरीके सीखने में मदद कर सके।"
कोयल का गला हुआ खराब

"- जो लोग परवेज़ से धीरे से बात करते हैं, वह उन्हें बेहतर समझ पाता है, और ख़ास तौर से जब वे उसकी तरफ देखकर बात कर रहे हों। परवेज़ ठीक से सुन नहीं सकता है, पर वो देख, सूँघ, समझ और सीख सकता है, वह महसूस कर सकता है, और पकड़म-पकड़ाई खेल सकता है।"
कोयल का गला हुआ खराब

"उसे अपना परिवार मिल गया था। वह लोग ज़्यादा दूर नहीं थे! घूम-घूम खिलखिला उठी, आवाज़ों की ओर तैरने लगी।"
घूम-घूम घड़ियाल का अनोखा सफ़र

"चुलबुला सत्यम चैन से नहीं बैठ सकता!"
सत्यम, ज़रा संभल के!

"“इतनी सुबह! नहीं मैडम, मुझे माफ़ करें!"
एक सौ सैंतीसवाँ पैर

"“उहूँ! उहूँ! कोई मेरी मदद करना नहीं चाहता!"
एक सौ सैंतीसवाँ पैर

"“धन्यवाद, प्रिय मकड़े! मैं नहीं जानती"
एक सौ सैंतीसवाँ पैर

"भैया घर में नहीं हैं, रिंकी उसका पैन खोज रही है।"
जादुर्इ गुटका

"नहीं, बिल्ली तो इससे नहीं चिपकती।"
जादुर्इ गुटका

"नहीं, यह नहीं चिपका।"
जादुर्इ गुटका

"ओ! नहीं... वह पैन तक पहुँच नहीं पा रही।"
जादुर्इ गुटका

"चुंबक सभी चीज़ों से नहीं चिपकता। यह सिर्फ उन कुछ चीज़ों से चिपकता है जिनमें कुछ ख़ास तत्व होते हैं। किसी वस्तु को चुंबक से चिपकाने वाले यह ख़ास तत्व हैं लोहा, निकिल, स्टील और कोबाल्ट।"
जादुर्इ गुटका

"गुबरैला ने ज़ोर से धक्का दिया, और ज़ोर से, बहुत ज़ोर से! लेकिन वह उस नारियल के पेड़ वाले हट्टे-कट्टे भँवरे को पलट नहीं सकी।"
एक, तीन, पाँच, मदद! मदद!

"लेकिन वह सब मिलकर भी नारियल वाले भँवरे को पलट नहीं सके!"
एक, तीन, पाँच, मदद! मदद!

"लेकिन फिर भी वो उस भँवरे को पलट नहीं पाए!"
एक, तीन, पाँच, मदद! मदद!

"लेकिन वो भी मुटल्ले भँवरे को पलट नहीं सके!"
एक, तीन, पाँच, मदद! मदद!

"कोई पकड़ में ही नहीं आता।"
मेंढक की तरकीब

"“हमें चाहिए ढेरों छिलके फलों के, सब्जियों के! देखा, अब हम कुछ भी बर्बाद नहीं किया करेंगे।”"
रोज़ और रॉकी चले कम्पोस्ट बनाने

"मैं हर वक्त इतनी छोटी नहीं रहती।"
अरे...नहीं!

"मैं किसी से नहीं डरता। शेर से भी नहीं।"
अरे...नहीं!

"इसलिए मेरे सामने इना-मीना-डीका, बिलकुल नहीं गाना।"
अरे...नहीं!

"मुझे शांत रहना है। मुझे याद नहीं क्यों।"
अरे...नहीं!

"वह आसमान में घिर आए बादलों को नहीं देखती।"
द्रुवी की छतरी

"मगर वह अपने पंख गीले नहीं करना चाहती।"
द्रुवी की छतरी

"‘ये पत्ते बहुत अधिक छोटे हैं, चींटी को भी ढँक नहीं पाएंगे,’ द्रुवी सोचती है।"
द्रुवी की छतरी

"बहुत तेज़ हवा चल रही है लेकिन द्रुवी को अब तक अपने लिए छतरी नहीं मिली है।"
द्रुवी की छतरी

"लेकिन कोई भी पत्ता छतरी बनने लायक नहीं है।"
द्रुवी की छतरी

"इसके पत्ते तारे के आकार के या काँटेदार नहीं हैं।"
द्रुवी की छतरी

"व्याध पतंगे बहुत अधिक ठंड या बहुत अधिक गर्मी में उड़ नहीं पाते।"
द्रुवी की छतरी

"“अरे सुनो! तुम कुत्ते के अंडों से नहीं निकले। तुम मेरे बच्चे हो!” टिटहरी ने कहा।"
कुत्ते के अंडे

"उन्नी अंकल तब तक नहीं मानते जब तक मैं कचरे का प्रत्येक अंश इकट्ठा न कर लूँ।"
आनंद

"वे बच्चे स्कूल नहीं जाते थे। पूरा दिन मैदान में घूमते थे।"
दीदी का रंग बिरंगा खज़ाना

"एक दिन दीदी नहीं आई। अगले दिन भी नहीं आई। परेशान बच्चे इंतज़ार करते रहे।"
दीदी का रंग बिरंगा खज़ाना

"एक दिन उन्हें दीदी का पता किताब में मिल गया। बच्चे तुरंत दीदी की खोज में निकल पड़े। साथ में किताबों का थैला उठाना नहीं भूले। खोजते खोजते बच्चों ने एक बस का नंबर पढ़ लिया। चलते चलते उस सड़क का नाम समझ लिया। क्योंकि दीदी ने उन्हें सब सिखाया था।"
दीदी का रंग बिरंगा खज़ाना

"पर दीदी ठीक नहीं हो रही थी।"
दीदी का रंग बिरंगा खज़ाना

"लेकिन वह ज़रा भी ख़ुश नहीं है। उसका परिवार कोलकाता से दिल्ली जा रहा है, क्योंकि उन्हें अब वहीं रहना है।"
एक सफ़र, एक खेल

"आप कोलकाता में ही कोई दूसरी नौकरी क्यों नहीं ढूँढ लेते?’’"
एक सफ़र, एक खेल

"लेकिन नीना कुछ भी सुनने को तैयार ही नहीं है। रेलगाड़ी में माँ और बाबा ने उसे मनाने की बहुत कोशिश की।"
एक सफ़र, एक खेल

"माँ और बाबा को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह और क्या कर सकते हैं। फिर बाबा मुस्कराए।"
एक सफ़र, एक खेल

"नीना खिड़की से बाहर देखते हुए चिल्लायी, ‘‘भारत में जिराफ़ नहीं होते! आप हमें बेवकूफ़ बना रहे हैं, बाबा!’’"
एक सफ़र, एक खेल

"मुनिया जानती थी कि एक पंख वाले उस विशालकाय गजपक्षी ने घोड़े को नहीं निगला है। हाँ, वह इतना बड़ा तो था कि एक घोड़े को निगल जाता, लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं कि उसने उसे निगल ही लिया था! नटखट झील के पास वाले उस जंगल से ग़ायब हुआ था जहाँ वह गजपक्षी रहता था। अधनिया गाँव में दो घोड़ों - नटखट और सरपट द्वारा खींचे जाने वाली केवल एक ही घोड़ागाड़ी थी। जंगल के अंदर बसे इस छोटे से गाँव में पीढ़ियों से लोगों को इस विशालकाय एक-पंख गजपक्षी के बारे में मालूम था। चूँकि वह किसी के भी मामले में अपनी टाँग नहीं अड़ाता था, इसलिए गाँव का कोई भी बंदा उसे छेड़ता न था।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"अपनी प्रजाति का वह आखिरी जीव था और सैकड़ों वर्षों से यह प्रजाति विलुप्त मान ली गयी थी। लोग नहीं जानते थे कि उस प्रजाति का जीवित अवशेष, जो एक को छोड़ अपने बाकी सारे पंख गँवा चुका था, अब भी अधनिया के जंगलों में विचरता था। गजपक्षी और गाँव वाले एक दूसरे से एक सुरक्षित दूरी बनाये रखते थे। पर मुनिया नहीं। हालाँकि चलते समय वह लँगड़ाती थी, लेकिन थी बड़ी हिम्मत वाली। अक्सर वह जंगल में घुस जाती और एक पंख वाले उस विशालकाय गजपक्षी को देखने के लिए झील पर जाया करती थी।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"पर मुनिया जल्द ही यह जान गयी कि वह शर्मीला और घासफूस खाने वाला एक शान्त पक्षी है। वह बस झील के किनारे लगे पौधे और पत्तियाँ चबाता रहता। मुनिया को महसूस हुआ कि उसमें और उस गजपक्षी में कुछ समानता है। सही तो है, विशालकाय एक-पंख गजपक्षी उड़ नहीं सकता था और मुनिया दौड़ नहीं सकती थी! गाँव के बाकी सारे बच्चे उसके लँगड़ाने का मज़ाक उड़ाते और अपने खेलों में उसे शामिल न करते। इसलिए उसे अकेले रहना ही अच्छा लगता।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"एक दिन, मुनिया ने बाहर खुले में आने की हिम्मत बटोरी। अपना सिर घुमाये बिना उस विशालकाय ने पहले तो अपनी आँखें घुमाकर मुनिया को देखा और फिर उन्हे बंद कर उसने मुनिया के आगे बढ़ने की कोई परवाह नहीं की। उसके सिर पर भनभनातीं मक्खियों से ज़्यादा ध्यान न खींच पाने के चलते मुनिया धम्म से अपने पैर पटक उसकी ओर बढ़ी। अचानक उस विशालकाय ने अपना एक पंजा उठाया। मुनिया चीखी और झील के उथले पानी में सिर के बल गिर पड़ी। पानी में भीगी-भीगी जब वह झील से बाहर आयी तो क्या देखती है कि गजपक्षी का समूचा बदन हिलडुल रहा है। वह समझ गयी कि वह हँस रहा था!"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"अधनिया एक छोटा, अलग-थलग गाँव था जिसमें हर कोई हर किसी को जानता था। गाँव में तो कोई चोर हो नहीं सकता था। दूधवाले ने कसम खाकर कहा था कि उसने नटखट को झील की ओर चौकड़ी भरकर जाते हुए देखा है। लेकिन वह इस बात का खुलासा न कर पाया कि आखिर नटखट बाड़े से कैसे छूट कर निकल भागा था। दिन में बारिश होने के चलते नटखट के खुरों के सारे निशान भी मिट चले थे और उन्हें देख पाना मुमकिन न था।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"सब लोगों ने सहमति में हुंकारा। मुनिया यह सारी कार्यवाही चुपचाप देखे जा रही थी। वह बोलना चाहती थी, लेकिन जिसकी अनुमति नहीं थी उसकी सज़ा क्या होगी? और अगर वह बोलती भी तो कौन उसकी बात पर यकीन करता?"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"“लेकिन उस विशालकाय एक-पंख गजपक्षी ने घोड़ा नहीं खाया,” मुनिया ने लँगड़ाते हुए आगे बढ़कर बहुत धीमे स्वर में कहा। “जिस वक्त घोड़ा ग़ायब हुआ, उस वक्त मैं उसके साथ वहीं पर थी!” समूची सभा में एक गहरा सन्नाटा सा छा गया।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"“यही कि वह राक्षस मेरा दोस्त है, यह काम उसका नहीं है!” “इस लड़की का तो दिमाग़ फिर गया है!” पीछे से कोई आदमी चिल्लाया। बाकी सारे बच्चों ने मुँह बिचका दिये। “वह तो सिर्फ पत्तियाँ खाता है! तो फिर वह घोड़ा कैसे खा सकता है?” अपनी जगह से हिले-डुले बिना ही मुनिया चिल्लाकर बोली।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"“अपनी चुटिया तो बना नहीं सकती और चली हो हमें सलाह देने?” मुनिया के बाबूजी आँखें तरेरते हुए उसकी तरफ़ बढ़े। “जाओ, जाकर अपने दोस्तों के साथ खेलो!”"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"“एक वही राक्षस तो बस मेरा दोस्त है।” उसके पिताजी ने उसकी तरफ़ गुस्से से देखा। लेकिन वह रोयी नहीं और वहीं पर गाँव वालों के सामने खड़ी रही। “अरे लड़की को छोड़ो, हम लोग उस राक्षस को सवेरे-सवेरे धर लेंगे,” एक हट्टा-कट्टा आदमी बोला। “तो फिर कल सुबह की बात पक्की,” मुखिया ने कहा और सभा विसर्जित हो गयी।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"चन्देसरा कुछ ही दूर एक गाँव था। मुनिया इस सम्भावना को लेकर आशान्वित थी, लेकिन यह बात वह अपने पिताजी को नहीं कह सकती थी। उसके माँ-बाप उससे बहुत नाराज़ थे और रात को सोने के पहले भी वे उससे कुछ नहीं बोले थे। उनके सोते ही वह अपने बिस्तर से बाहर निकली, और दरवाज़े पर लटकी लालटेन लेकर वह घर के बाहर हो ली। गाँव पार करने के बाद वह चन्देसरा जाने वाले जंगल के रास्ते पर चल दी।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"मुनिया एक पल को तो ठिठकी पर अगले ही पल उसे जंगल में आराम से सोते उस महाकाय का ख़याल आया। वह अगर नहीं गयी तो वह शायद अगली रात भी न देख पाये। एक गहरी साँस लेकर उस आधी रात को ही जंगल से होकर चन्देसरा जाने वाले रास्ते पर लँगड़ाते-लँगड़ाते चल पड़ी।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"“जैसा कि आप जानते हैं, कुछ साल पहले मैंने नटखट को बेच दिया था। कल मैं नटखट के भाइयों - बाँका और बलवान के द्वारा खींची जाने वाली बग्घी में सवार आपके गाँव से गुज़र रहा था। मुझे नहीं मालूम कि किस तरह से नटखट अपने आपको छुड़ा हमारे पीछे-पीछे भागकर चन्देसरा चला आया। मैं उसे पहचान न सका और यह समझ न पाया कि इसका करूँ तो करूँ क्या। फिर आज सुबह मैंने इस नन्ही-सी बच्ची को एक झोंपड़ी से दूसरी झोंपड़ी जाते और एक गुमशुदा घोड़े के बारे में पूछते हुए देखा। लेकिन या इलाही ये माजरा क्या है?” तीसरी बार उसने अपना वही सवाल किया।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"लेकिन गाँव वाले सारथी को क्या जवाब देते? उनके सिर शर्म से झुके हुए थे। मुनिया के पिताजी अपनी बेटी के पास गये, और उसे अपनी गोद में उठाकर उसे वापस गाँव ले आये। बस फिर क्या था, उस दिन के बाद से कोई भी बच्चा मुनिया के लँगड़ाने पर नहीं हँसा। वे सब अब उसके दोस्त होना चाहते थे। लेकिन केवल भीमकाय ही मुनिया का अकेला सच्चा मित्र बना रहा। मुनिया की कहानी तमाम गाँवों में फैली, और दूरदराज़ के ग्रामीण फुसफुसाकर एक-दूसरे से कहते, “देखा, मुनिया जानती थी कि उस विशालकाय एक-पंख गजपक्षी ने घोड़े को नहीं डकारा!”"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"मुझे नहीं लगता कि मैं बड़ी हो चुकी हूँ। मैं उनका हाथ पकड़ती हूँ और कहती हूँ, “मत जाओ!”"
स्कूल का पहला दिन

"मुझे नहीं लगता कि मैं बड़ी हो चुकी हूँ। मैं उनका हाथ पकड़ती हूँ और कहती हूँ, "मत जाओ!""
स्कूल का पहला दिन

"मैं उसे कहती हूँ, “मैं तुम से अच्छी हूँ।” उसे यह अच्छा नहीं लगता।"
टिमी और पेपे

"उसकी परेशानी यह है कि उसकी नींद नहीं खुलती।"
भीमा गधा

"भीमा बोला, “मेरी नींद नहीं खुलती। तू मुझे जगा देगी?”"
भीमा गधा

"दूसरे दिन गौरी “माँ...माँ...” रंभाती रही पर भीमा नहीं जागा।"
भीमा गधा

"“मोती, मेरी नींद नहीं खुलती। तू मुझे जगा देगा?”"
भीमा गधा

"“हाँ... हाँ...” मोती बोला। अगले दिन मोती “भौं... भौं...” भौंकता रहा पर भीमा की नींद नहीं खुली।"
भीमा गधा

"“हाँ... हाँ... जरूर।” कालू बोला। अगले दिन कालू
 “काँव... काँव” करता रहा पर भीमा नहीं जागा।"
भीमा गधा

"“मगर अब डिब्बे कहाँ बनाऊँ?” सलेट पर तो जगह ही नहीं थी।"
छुक-छुक-छक

"पहलवान अब छिलके नहीं फेंकता है।"
पहलवान जी और केला

"मैं उसे कहती हूँ, “मैं तुम से अच्छी हूँ।” उसे यह अच्छा नहीं लगता।"
टिमी और पेपे

"पास में पानी भी नहीं है!"
क्यों भई क्यों?

"थोड़ी देर बाद माँ ने आवाज़ दी, “सोना तुमने मेरी चाभियाँ देखी हैं? मुझे कहीं मिल ही नहीं रहीं।”"
सोना बड़ी सयानी

""मगर कुछ और गंध भी है।" सोना ने नाक सिकोड़ी, "अच्छी गंध नहीं चाचा।""
सोना की नाक बड़ी तेज

"परन्तु नाई ने कहा,
 “माफ़ करना, इतने लम्बे बाल काटने के लिए आज बिलकुल समय नहीं है!”"
सालाना बाल-कटाई दिवस

"परन्तु बीवी ने कहा,
 “इतने लम्बे बाल काटने के लिए आज मेरे पास बिलकुल वक़्त नहीं है!”"
सालाना बाल-कटाई दिवस

"परन्तु बढ़ई ने भी वही कहा,
 “भई, इतने लम्बे बाल काटने के लिए आज मेरे पास समय नहीं है!”"
सालाना बाल-कटाई दिवस

"बेचारा सृंगेरी श्रीनिवास। लगता है इस सालाना बाल-कटाई दिवस पर कोई उसके बाल नहीं काटेगा।"
सालाना बाल-कटाई दिवस

"अब तो सृंगेरी श्रीनिवास को बहुत लम्बे समय तक बाल नहीं काटने पड़ेंगे।"
सालाना बाल-कटाई दिवस

"हाथ नहीं पर कुछ भी आया।"
सबरंग

"नहीं बना, कुछ नहीं बना"
सबरंग

"नहीं बना, कुछ नहीं बना"
सबरंग

"नहीं बना, कुछ नहीं बना"
सबरंग

"कोई नहीं बचाने वाला"
सबरंग

""डब्बा नहीं यह हार्मोनियम है कहलाता,"
संगीत की दुनिया

"फुसफुसाया, “ल...ल... लेकिन मुझे तो पानी से डर लगता है। मुझे तो तैरना भी नहीं आता।”"
नौका की सैर

"विक्की को कुछ भी नहीं सूझ रहा था। वह नौका के एक छोर से दूसरे छोर तक कूदता रहा और"
नौका की सैर

"काटो ठंड से काँपते हुए धूप में अपने को सुखाने की कोशिश कर रहा था। पास में विक्की चुपचाप बैठा हुआ था। जब काटो के बाल थोड़ा सूख गये और शरीर में थोड़ी गर्मी आ गयी, वह बोल उठा, “कितना मज़ा आया! जब मेरे साथी इस किस्से को सुनेंगे तो उन्हें विश्‍वास ही नहीं होगा।” काटो को लग रहा था मानो वह एक बहुत बड़ा हीरो और जहाज़ का जाँबाज़ कप्तान बन गया हो!"
नौका की सैर

""मैं कहाँ ढूँढू, मैंने उसे कहाँ रख दिया?" वह हमेशा कहती रहतीं। अपनी ऐनक के बिना, वह ऐनक नहीं ढूँढ़ सकतीं। इसलिए उन्हें मेरी ज़रूरत है, उनकी आँखें बनकर उनकी आँखें ढूँढ़ने के लिए!"
नानी की ऐनक

"मगर, इस बार नानी की ऐनक मुझे नहीं मिली...अब तक तो नहीं!"
नानी की ऐनक

"नहीं... कहीं नहीं मिली। कहाँ गई वह ऐनक?"
नानी की ऐनक

""मैंने आज कुछ ख़ास नहीं किया, सिवाय वीणा की सास से बातें करने के।"
नानी की ऐनक

"और कुछ ऐसे जिनके... पैर ही नहीं हैं।"
मेरे दोस्त

"यहाँ किसी को पढ़ना नहीं आता।”"
जंगल का स्कूल

"लम्बू ने पेड़ के ऊपर देखा। “यहाँ कोई नहीं है।”"
जंगल का स्कूल

"मिंकू बोला, “यहाँ कोई नहीं है।”"
जंगल का स्कूल

"किसी को भी पता नहीं था।"
जंगल का स्कूल

"जब टीचर फिर घूमे तो कक्षा में कोई भी नहीं था।"
जंगल का स्कूल

"अभी ट्रेन आयी नहीं है।
 बहुत से लोग आ रहे हैं।"
चाचा की शादी

"ऐसा बड़ा सुनने वाला रोज़ तो नहीं मिलता!"
बारिश में क्या गाएँ ?

"हर सुबह, जैसे ही उसके पापा दाढ़ी बनाना शुरू करते हैं, अनु भी उनके पास आकर बैठ जाती है। बड़े ध्यान से उन्हें दाढ़ी बनाते हुए देखती है। उसके पापा अपनी दो उँगलियों में एक छुटकू-सी कैंची पकड़े, कच-कच-कच... अपनी मूँछों को तराशने में जुट जाते हैं।
 और अनु है कि कहती जाती है, “थोड़ा बाएँ... अब थोड़ा-सा दाएँ... पापा नहीं ना! आप अपनी मूँछों को और छोटा मत कीजिए!
 आप ऐसा करेंगे तो मैं आपसे कट्टी हो जाऊँगी!”"
पापा की मूँछें

"अनु सोचती है कि उसकी नाक के नीचे क्यों कोई मूँछ नहीं उगती?"
पापा की मूँछें

""ओह, यह भी कोई पूँछ है। इतनी हल्की कि पता ही नहीं चलता कि पीछे कोई पूँछ भी लगी है," उसने सोचा।"
चुलबुल की पूँछ

""अरे भाई, बन्दर की पूँछ तुम्हारे लिए ठीक नहीं है," डॉक्टर बोम्बो ने उसे समझाया।"
चुलबुल की पूँछ

""मुझे कुछ नहीं सुनना है। बस आप मेरी पूँछ बदल दो," चुलबुल ने ज़िद की।"
चुलबुल की पूँछ

""ठीक है, अगर तुम नहीं मानती हो तो मैं तुम्हारी पूँछ बदल देता हूँ," डॉक्टर बोम्बो ने नाक पर चश्मा ऊपर खिसकाया।"
चुलबुल की पूँछ

"लेकिन यह क्या, चला क्यों नहीं जा रहा है, शरीर इतना भारी क्यों लग रहा है? चुलबुल थोड़ी सी परेशान हो गई।बड़ी मुश्किल से दरवाज़े के बाहर निकली।"
चुलबुल की पूँछ

"लेकिन यह क्या? वह तो एक इंच भी पेड़ पर नहीं चढ़ पाई। कई बार उसने कोशिश की, हर बार वह गिर जाती। आखिर थक कर वह बैठ गई।"
चुलबुल की पूँछ

""नहीं, यह पूँछ ठीक नहीं है। इसे बदलना पड़ेगा," यह कहते हुए उसने अपनी लम्बी पूँछ को हाथ से उठाने की कोशिश की। किसी तरह लड़खड़ाते हुए वह दोबारा डॉक्टर बोम्बो के अस्पताल में पहुँची।"
चुलबुल की पूँछ

""ओफ़! इस पूँछ के साथ तो मैं भाग भी नहीं पा रही हूँ। मेरी अपनी पूँछ कितनी हल्की थी। मैं कितने आराम से भाग सकती थी," चुलबुल अपनी गलती पर पछताने लगी। किसी तरह गिरते पड़ते वह फिर से डॉक्टर बोम्बो के अस्पताल पहुँची।"
चुलबुल की पूँछ

""वह कुत्ता मेरे पीछे पड़ गया है। मुझे किसी की पूँछ नहीं चाहिए। आप बस मेरी पूँछ लगा दो!" चुलबुल ने ज़ोर से सिर हिलाते हुए कहा।"
चुलबुल की पूँछ

"अब उसे कोई परेशानी नहीं थी।"
चुलबुल की पूँछ

"लगती नहीं यह मुझको भारी।""
चुलबुल की पूँछ

"आज मैं स्कूल नहीं जाऊँगी
।"
चुप! मेरी नाक कुछ कह रही है...

"आज मैं टीवी नहीं देखूँगी
।"
चुप! मेरी नाक कुछ कह रही है...

"वैसे भी बिजली नहीं है
।"
चुप! मेरी नाक कुछ कह रही है...

"हम तय नहीं कर पाये।"
चलो किताबें खरीदने

"“इतनी सुबह! नहीं मैडम, मुझे मा़फ़ करें!"
एक सौ सैंतीसवाँ पैर

"“उहूँ! उहूँ! कोई मेरी मदद करना नहीं चाहता!"
एक सौ सैंतीसवाँ पैर

"“धन्यवाद, प्रिय मकड़े! मैं नहीं जानती"
एक सौ सैंतीसवाँ पैर

"वो खिड़की पर और ऊपर नहीं चढ़ सकते थे। वो ख़िड़की से नीचे उतरे और इससे पहले कि चूहा उनको देखता, वह बिस्तर के नीचे घुस गये।"
चूहा सिकंदर, घर के अंदर

""क्या हुआ दादाजी, आज आप अख़बार क्यों नहीं पढ़ रहे हैं?" एक सुबह गुल्ली ने दादाजी से पूछा।"
गुल्ली का गज़ब पिटारा

""क्या बताऊँ बेटा!मेरा चश्मा टूट गया है, और उसके बिना मैं पढ़ नहीं सकता," दादाजी बोले।"
गुल्ली का गज़ब पिटारा

"स्कूल की छुट्टी होने में पाँच मिनट रह गये थे पर चीनू और इन्तज़ार नहीं कर सकता था। उसने बाहर देखा। वहाँ कोई नहीं था। तभी कहीं पास से घंटी की टनटनाहट सुनाई दी।"
कबाड़ी वाला

"दोस्त? चीकू का अब कोई दोस्त नहीं था।"
कचरे का बादल

"चीकू के साथ कोई खेलना नहीं चाहता था।"
कचरे का बादल

"कोई भी बच्चा ऐसी लड़की के साथ नहीं खेलना चाहता था जिसके सिर पर हमेशा कचरे का बादल मँडराता हो।"
कचरे का बादल

"चीकू तो छुपम-छुपाई तक भी नहीं खेल सकती थी।"
कचरे का बादल

"लेकिन चीकू ने उनकी बात नहीं मानी। वह हँसती रही और कूड़ा फैलाती रही।"
कचरे का बादल

"लेकिन वह उसे हटा नहीं सकी।"
कचरे का बादल

"चीकू को गुस्सा आ गया। क्या बाला को मेरे सिर पर कचरे का बादल नहीं दिख रहा?"
कचरे का बादल

"उसके बाद चीकू ने कूड़ा नहीं फैलाया।"
कचरे का बादल

"कभी सोचा है कि जो कचरा हम कूड़ेदान में फेंक देते है उसका क्या होता होगा? नहीं, वह हमारे सिर पर बादल बन कर नहीं मँडराता लेकिन जो भी कचरा हम फेंकते है वो हमारे घर के पास बने बड़े से कचराघर में जमा हो जाता है। सब कुछ एक साथ, सड़ती सब्जियाँ, टॉफ़ी के रैपर, किताबों-कापियों के फटे पन्ने।"
कचरे का बादल

"जब भी हम केले के छिलके या पेंसिल की छीलन सड़क पर फेंकते है, तो यह कचरा सड़क के किनारे इकठ्ठा हो जाता है। कुछ उन नालियों के अंदर चला जाता है और उन में जमा हो जाता है। रूकी हुई नालियों में मक्खी-मच्छर पैदा होते हैं जो बीमारियाँ फैलाते हैं! इससे हमारा पर्यावरण गन्दा होता है और अपने आसपास कूड़ा- कचरा तो किसी को भी अच्छा नहीं लगता। चीकू के दिल से पूछिये।"
कचरे का बादल

"- केले वाले लिफ़ाफ़े की तरह कई चीज़ें आपको बेकार लगती होंगी, लेकिन सब चीज़ें बेकार नहीं होतीं। छिलके के साथ लिफ़ाफ़े को बिल्कुल नहीं फेंकना, उसे वापस घर ले जाकर दोबारा इस्तेमाल कीजिये।"
कचरे का बादल

"काका खुद को बहुत बाँका समझता था। उसे यह बात अच्छी नहीं लगी कि वह सा़फ -सुथरा नहीं दिख रहा। वह झटपट पानी की धारा के पास पहुँचा। वह धारा में अपनी चोंच डुबो ही रहा था कि धारा ज़ोर से चिल्लाई, “काका! रुको! अगर तुमने अपनी गन्दी चोंच मुझ में डुबोई तो मेरा सारा पानी गन्दा हो जायेगा। तुम एक कसोरा ले आओ। उस में पानी भरकर अपनी चोंच उसी में धो लो।”"
काका और मुन्नी

"“बरसात अभी हुई नहीं है। मैं अभी सूखा सख्त हूँ, मुझे खोदने के लिए फ़ौरन कोई नुकीली चीज़ ले आओ,” खेत बोला।"
काका और मुन्नी

"घमंडी काका नहीं चाहता था कि लोग जान जाएँ कि उस की पूँछ जल गई है।"
काका और मुन्नी

"वह उस गाँव से बहुत दूर उ़ड गया और फिर कभी वापस नहीं आया।"
काका और मुन्नी

"यह तो नहीं बताता हाथी"
ऊँट चला, भई! ऊँट चला

"कुछ भी नहीं गिराना।"
ऊँट चला, भई! ऊँट चला

"जब देखा गया तो चावल की पूरी बोरी उसी तरह थी। फिर मुखिया ने फ़ैसला सुनाया – “मेहनत करने से ही कार्य सफ़ल होता है। केवल ईश्वर के ऊपर आश्रित होकर प्रार्थना करने से कोई भी काम पूरा नहीं होता। अतः ओम ने ज़्यादा मेहनत की है। अतः उसे ज़्यादा रुपया मिलेगा।”"
मेहनत का फल

"लेकिन कोई भी उसे रेडियो सुनने का मौका नहीं देता था।"
मछली ने समाचार सुने

"लेकिन वह समाचार तो खुश करने वाला नहीं था, "नदी में दवाई छिड़क कर मछलियों को पकड़ने वाले आ रहे हैं। अनेकों नदियों से ऐसे ही वे लोग मछलियाँ पकड़ कर ले गये हैं।" यह सुनकर उसे गहरा धक्का लगा। बाकी मछलियों को भी यह समाचार पता चला।"
मछली ने समाचार सुने

"मेंढक और कछुए भी बहुत डर गए। क्या करें कुछ समझ में नहीं आ रहा था। सब निराश होकर बैठ गये। रोज़ की तरह दादा से रेडियो छीनने कोई नहीं आया। आगे की चिन्ता सभी को सता रही थी।"
मछली ने समाचार सुने

"अब्बू अच्छा-ख़ासा कमा लेते थे। इसलिए अम्मी को कढ़ाई का काम नहीं करना पड़ता था। कमरु और मेहरु पढ़ने के लिए मस्ज़िद के मदरसे जाती थीं जबकि अज़हर लड़कों के स्कूल जाते थे। कमरु और मेहरु थोड़ी-बहुत कढ़ाई कर लेती थीं लेकिन उनके काम की तारीफ़ कुछ ज़्यादा ही होती थी। उनके अब्बू ठेकेदार जो थे। आसपास रहने वाली सभी औरतों को काम मिलता रहे, उनके चार पैसे बन जाएँ-यह सब अब्बू ही तो करते थे।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने

"एकाएक अज़हर मियाँ रुक गए, “घर पर बैठी हमारी एक और बहन भी तो है जिसने आज नए कपड़े नहीं पहने हैं। हम में से किसी ने भी उसके बारे में सोचा तक नहीं।”"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने

"“मुमताज़ हमारी मौसेरी बहन ही तो है। और वह घर पर इसलिए है क्योंकि वह चल नहीं सकती,” कमरु और मेहरु इकट्ठा चिहुंकीं, “लेकिन हाँ, हमें उसके लिए भी कुछ मिठाई-पकवान तो ले ही लेना चाहिए।”"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने

"तीनों पंछी बहुत ही प्रतिभाशाली थे। लक्का कितनी ऊँची उड़ान भर लेता था। और लोटन मियाँ डाल-डाल, पात-पात, कभी कलैया तो कभी कलाबाज़ी, और कभी तो नाचने लग जाते! मुनिया भी कम निराली नहीं थी। किसी भी इंसान की बोली बोलना उसके बाएँ पंख का खेल था। मुमताज़ हमेशा मुनिया से उसकी नक्ल उतारने को कहती रहती। जब"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने

"“नहीं, नहीं, पंछी तो नहीं लेकिन हाँ मेरी अम्मी और मेरी बहनें, रेहाना और सलमा वहीं रहते हैं,” कह कर मुमताज़ कढ़ाई शुरू करने लगी।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने

"“अरे, तो क्या वह कभी भी घर से बाहर नहीं जाती थीं?” मुन्नु हैरान था।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने

"“नहीं, जाती थीं लेकिन कभी-कभी, सब्ज़ी-भाजी लेने या रिश्ते वालों के यहाँ। रेहाना और सलमा भी घर से बहुत कम ही निकलती हैं, और जब जाती हैं तो हमेशा सिर पर ओढ़नी लेकर। मेरी अम्मी बुरका पहनती हैं। मेरी बहनें तो कभी भी पढ़ने नहीं गईं लेकिन मैं आठवीं जमात तक पढ़ी हूँ। उसके बाद फिर मैं भी घर पर रह कर अम्मी और अपनी बहनों से कशीदाकारी सीखती रही हूँ,” मुमताज़ ने अपनी कहानी मुन्नु को सुनाई।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने

"“अरे वाह, तो तुम पाठशाला भी गई हो!” मुन्नु चहका। मुन्नु भी छुटपन से अपने पिता के काम में हाथ बँटाता आया था। इसलिए उसे कभी पाठशाला जाने का मौका नहीं मिला।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने

"अम्मी को पढ़ना-लिखना नहीं आता। वह तो यह भी नहीं जानती थीं कि व्यापारी को उनके काम का मेहनताना कितना देना चाहिए। पहले तो मैंने उन्हें थोड़ा हिसाब करना, गिनना सिखाया। लेकिन फिर हमें रुपयों की ज़रूरत पड़ने लगी। तब मैंने भी यही काम पकड़ लिया।” मुमताज़ बहुत हौले से, कुछ रुक कर बोली, “कभी-कभी तो अम्मी की इतनी याद आती है कि मैं रात-रात भर रोया करती हूँ।”"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने

"और जानते हो इस बार मुमताज़ उड़ कर कहाँ पहुँची? वह पहुँची एक बहुत ही प्राचीन नगरी में-जहाँ कोई रंग नहीं था! वहाँ उसने कितने ही लोग देखे-कुछ पैदल थे और कुछ बहुत ही बढ़िया, चमकदार गाड़ियों पर सवार थे। लेकिन हैरत की बात यह थी कि सब लोगों ने सफ़ेद कपड़े पहन रखे थे-सुंदर, महीन कढ़ाई वाले चाँदनी से रौशन, चमकते सफ़ेद कपड़े!"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने

"नानी ने मुमताज़ के माथे को बड़े प्यार से चूमा और बोली, “क्यों मेरी बच्ची, तू इतनी उदास क्यों है? तुझे शायद पता नहीं कि असली चिकनकारी रंगीन कपड़े पर तो होती ही नहीं। उसे तो सदियों से सफ़ेद मलमल पर ही काढ़ते थे क्योंकि यह कुरते आदमी ही पहना करते थे।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने

"जब मुमताज़ इस विस्मय-नगरी से लौटी तो उसने एक बड़ा सफ़ेद कपड़ा लिया और उस पर सफ़ेद धागे से फूल काढ़ने बैठ गई। उसने हरदोई के आमों और कश्मीर के बादाम के जैसे पत्ते काढ़े और फूलों के गुच्छों से लदी झाड़ियों के बीचोंबीच एक बहुत ही खूबसूरत मोर भी! वह किसी जादुई चादर से कम नहीं लगती थी।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने

"अब तो कमरु और मेहरु की जलन का ठिकाना ही नहीं रहा। मुमताज़ का कहीं और नाम न हो जाए, इसके लिए उन्होंने एक और योजना बनाई। काढ़ने से पहले कपड़े पर कच्चे रंग से नमूने की छपाई होती थी। कढ़ाई होने के बाद कपड़े को धोया जाता था जिससे वे सब रंग निकल जाते थे।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने

"कमरु और मेहरु ने तय किया कि वे मुमताज़ के लिए छपाई भी नहीं कराएँगी। लेकिन मुमताज़ भी अब ऐसी छोटी-मोटी रुकावटों से घबराने वाली कहाँ थी। सपनों ने उसकी कल्पना को पंख दे दिए थे और उसे कढ़ाई के नमूनों की कोई कमी नहीं थी।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने

"कमरु ने कोना पकड़ तो लिया लेकिन वह कुछ पशोपेश में भी थी। आखिर मुमताज़ कह क्या रही थी! उसे तो वहाँ नाचती मुनिया और गुटरगूँ करते, खेलते हुए लक्का-लोटन के इलावा और कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने

"रज़ा के अब्बा, रहमत खान, भी कोई छोटे-मोटे आदमी नहीं थे। वह बादशाह के शाही दर्ज़ी थे। बादशाह उन्हीं के हाथ के अंगरखे पहनना पसंद करते थे-जी हाँ, चुस्त चूड़ीदार पायजामा और ढीला कोटनुमा कुरता-जिसे अंगरखा कहते हैं। यही थी बादशाह की पसंद की पोशाक।"
रज़ा और बादशाह

"रज़ा ने झुक कर सलाम किया और फिर अपने बादशाह की तरफ़ देखा। एक खिदमतगार हाथ में डिब्बा लिये खड़ा था और अकबर उसमें से गहने चुन रहे थे। कद में बहुत लम्बे नहीं थे पर उनके एक तलवारबाज़ के जैसे चौड़े कन्धे थे। बड़ी बड़ी, थोड़ी तिरछी आँखें, नीचे की ओर मुड़ी मूँछें और ओठों के ऊपर एक छोटा सा तिल था।"
रज़ा और बादशाह

"”हमें ये रंग जँच नहीं रहे, रहमत!“अकबर ज़रा तुनक कर बोले।"
रज़ा और बादशाह

"रज़ा ने देखा कि अब्बा के माथे पर परेशानी झलक रही थी। हाय, अगर बादशाह सलामत को पटके पसन्द नहीं आये तो क्या वे सारे कपड़े लौटा देंगे, मुझे फ़ौरन कुछ करना होगा, उसने सोचा।"
रज़ा और बादशाह

"इतिहास के कुछ रोचक तथ्य 1. रज़ा, बादशाह अकबर के शासनकाल में अब से 400 साल पहले रहता था। अकबर मुग़ल राजवंश का सबसे महान राजा था। वह एक प्रसिद्ध योद्धा भी था। उसे नये नमूनों के कपड़े पहनने का बहुत शौक़ था। वह पतंगबाज़ी और आम खाने का भी शौकीन था। 2. बाबर, मुग़ल राजवंश का संस्थापक, काबुल का राजा था। उसने 1526 में भारत पर आक्रमण किया और दिल्ली के सुल्तान इब्राहीम लोदी को पानीपत की लड़ाई में हरा दिया। अकबर, बाबर का पोता था। वह भी एक बड़ा कामयाब सेनापति था और अपने 49 साल के शासन काल में एक भी लड़ाई नहीं हारा।"
रज़ा और बादशाह

"प्रिय... जो भी हो, तुम जानती ही हो कि तुम कौन हो। और यूँ भी तुम यह पत्र कभी नहीं देख पाओगी।"
थोड़ी सी मदद

"मैडम ने कहा था कि मुझे तुम्हारी मदद करनी है और तुम्हें यह दिखाना है कि स्कूल में कौन सी जगह कहाँ है, क्योंकि तुम स्कूल में नई आई हो। लेकिन उन्होंने मुझे इस बारे में और कुछ नहीं बताया था।"
थोड़ी सी मदद

"स्कूल से घर लौटते हुए अली, गौरव, सुमी और रानी, मुझसे बार-बार मेरी इस नई ज़िम्मेदारी के बारे में पूछते रहे। मैंने बात टालने की कोशिश की, लेकिन मुझे तो मालूम था कि मुझे क्या काम सौंपा गया है। मैंने उनसे कहा कि पता नहीं तुम लोग किस चीज़ के बारे में बात कर रहे हो। लेकिन यह बात सच नहीं थी। मुझे अच्छी तरह पता था कि वे किस के बारे में पूछ रहे हैं?"
थोड़ी सी मदद

"माँ कहती है कि लोगों को घूरना अच्छी बात नहीं है। लेकिन मैं तो देखता हूँ कि सभी तुम्हें घूरते हैं। वे मुझे भी घूरते हैं क्योंकि मुझे तुम्हारे साथ रहना होता है, तुम्हारा ध्यान रखने के लिए। तुम हमारे स्कूल में क्यों आइं? तुमने अपनी पढ़ाई उसी स्कूल में जारी क्यों नहीं रखी जहाँ तुम पहले पढ़ती थीं?"
थोड़ी सी मदद

"जानती हो कल क्या हुआ? गौरव, अली और सातवीं कक्षा के उनके दो और दोस्त स्कूल की छुट्टी के बाद मेरे पीछे पड़ गए। तुम समझ ही गई होगी कि वह क्या जानना चाहते होंगे! उन्होंने मेरा बस्ता छीन लिया और वापस नहीं दे रहे थे। बाद में उन्होंने उसे सड़क किनारे झाड़ियों में फेंक दिया। उसे लाने के लिए मुझे घिसटते हुए ढलान पर जाना पड़ा। मेरी कमीज़ फट गई और माँ ने मुझे डाँटा।"
थोड़ी सी मदद

"सच कहूँ तो ख़ुद मैं भी यह बात जानना चाहता हूँ और मेरे मन में भी वही सवाल हैं जो लोग तुम्हारे बारे में मुझसे पूछते हैं। हाँ, मैंने पहले दिन ही, जब तुम कक्षा में आई थीं, गौर किया था कि तुम एक ही हाथ से सारे काम करती हो और तुम्हारा बायाँ हाथ कभी हिलता भी नहीं। पहले-पहल मुझे समझ में नहीं आया कि इसकी वजह क्या है। फिर, जब मैं और नजदीक आया, तब देखा कि कुछ है जो ठीक सा नहीं है। वह अजीब लग रहा था, जैसे तुम्हारे हाथ पर प्लास्टिक की परत चढ़ी हो। मैं समझा कि यह किसी किस्म का खिलौना हाथ होगा। मुझे बात समझने में कुछ समय लगा। इसके अलावा, खाने की छुट्टी के दौरान जो हुआ वह मुझसे छुपा नहीं था।"
थोड़ी सी मदद

"सुनो, मैं तुम्हें एक सलाह देना चाहता हूँ। यह ठीक है कि तुम हमारे स्कूल में नई हो। लेकिन अगर तुम चाहती हो कि कोई तुम्हें घूर-घूर कर न देखे, और तुम्हारे बारे में बातें न करें, तो तुम्हें भी हर समय सबसे अलग-थलग खड़े रहना बंद करना होगा। तुम हमारे साथ खेलती क्यों नहीं? तुम झूला झूलने क्यों नहीं आतीं? झूला झूलना तो सब को अच्छा लगता है। तुम्हें स्कूल में दो हफ्ते हो चुके हैं, अब तो तुम खुद भी आ सकती हो। मैं हमेशा तो तुम्हारा ध्यान नहीं रख सकता न।"
थोड़ी सी मदद

"कभी-कभी, मेरी समझ में नहीं आता कि तुम्हें कैसे समझाऊँ। मैं"
थोड़ी सी मदद

"सुमी अपने जूते के फीते नहीं बाँध सकी। और खेलने के बाद भी उसे जूते के फीते बाँधने का ध्यान नहीं रहा, और वह उलझ कर गिर पड़ी। उसकी ठोड़ी में चोट लग गई। जब मैडम ने उसकी ठोड़ी की चोट देखी तो उस पर ऐंटीसेप्टिक क्रीम तो लगा दी, लेकिन उसे लापरवाही बरतने के लिए डाँट भी पड़ी। “जूतों के फीते बाँधे बिना पहाड़ों में दौड़ लगाई जाती है? घर जाते समय गिर पड़तीं या और कुछ हो जाता तो क्या होता?“"
थोड़ी सी मदद

"तुम्हारी बात सुनने के बाद, मैंने एक हाथ से बहुत सी चीजें करने की कोशिश की। लेकिन यह बहुत ही मुश्किल है! मुझे अभी तक यह समझ नहीं आया कि तुम नहाना, कपड़े पहनना, बैग संभालना जैसे काम ख़ुद ही कैसे कर लेती हो। उस दिन खाने की छुट्टी के बाद की बातचीत के बाद से मैंने महसूस किया कि तुम भले ही कुछ कामों को थोड़ा अलग ढँग से करती हो, लेकिन तुम भी वह सारे काम कर लेती हो जो बाकी सब लोग करते हैं।"
थोड़ी सी मदद

"सुनो, हमारे साथ खेलने के बारे में मैने पहले जो कुछ भी कहा है उसके लिए मैं क्षमा माँगता हूँ। मुझे लगता है कि तुम सिर्फ़ शर्माती हो। और मैंने एक ही हाथ का इस्तेमाल करते हुए झूला झूलने की भी कोशिश की। और यह काम बहुत ही मुश्किल है, झूले को दोनों हाथों से पकड़ कर न रखा जाए तो शरीर का संतुलन नहीं बन पाता। लेकिन तुम जैसे जँगल जिम की उस्ताद हो। भले ही तुम बार पर लटक नहीं पातीं लेकिन तुम सचमुच बहुत तेज दौड़ती हो, अली से भी तेज, जिसे खेल दिवस पर पहला इनाम मिला था।"
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"पिछले बरस, हमारे घर के पास एक पिल्ला रहता था। वह भी बहुत प्यारा था, लेकिन फिर वह बड़ा हो गया और पहले जैसा प्यारा नहीं रह गया। अच्छा, अब चलता हूँ! मैं"
थोड़ी सी मदद

"पता है जब मैंने तुम्हें बस में देखा तो मैं बहुत हैरान हुआ था। मुझे इस बात का अंदाज़ा नहीं था कि मेरे पिता और तुम्हारे पिता एक ही जगह काम करते हैं! लेकिन मैं बहुत खुश हूँ कि तुम दफ़्तर की पिकनिक में आईं, क्योंकि पिछले साल जब हम दफ़्तर की पिकनिक पर गए थे तब उसमें मेरी उम्र का कोई भी बच्चा नहीं था और बड़ों के बीच अकेले-अकेले मुझे ज़रा भी अच्छा नहीं लगा था। मैं बहुत ऊब गया था।"
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"पता नहीं इसका क्या मतलब है, लेकिन वे बहुत परेशान दिखते हैं। तुमने उनके बाल देखे हैं? वह ऐसे लगते हैं जैसे उन्होंने बिजली का नँगा तार छू लिया हो और उन्हें करारा झटका लगा हो! वैसे, मुझे लगता है कि रानी ने उनकी कुर्सी पर मेंढक रख कर अच्छा नहीं किया।"
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"तुम्हारा नया हाथ तो बहुत ही बढ़िया है! बुरा न मानना, लेकिन पुराना वाला हाथ कुछ उबाऊ था। बस था... नाम को। जबकि नया वाला तो बिल्कुल जादू जैसा है, और तुम उँगलियाँ भी चला सकती हो और उनसे चीजें भी पकड़ सकती हो! मुझे उम्मीद है कि अगर मैं तुमसे हाथ मिलाने के लिए कहूँ तो तुम बुरा नहीं मानोगी। अरे यह बात बस मेरे मुँह से यूँ ही निकल गई। कल देखेंगे कि क्या तुम इस से कुछ सामान भी उठा सकती हो।"
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"ओह! मुझे अभी अहसास हुआ है कि मैंने तुम्हें जो दो आखीरी पत्र लिखे हैं, उनमें मैंने तुम्हारे प्रॉस्थेटिक हाथ के बारे में बात ही नहीं की। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि मैं इसके बारे में बिल्कुल ही भूल गया था और मेरे पास तुम्हें बताने के लिए और भी बातें थीं। मज़ेदार बात यह है कि तुम्हारे हाथ को लेकर अब मेरे मन में कोई सवाल नहीं उठते। न जाने क्यों!"
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"ब. नए बच्चे स्कूल में ख़ुद क्यों नहीं घूम लेते"
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"अ. कक्षा की सबसे होशियार छात्रा से कहेंगे कि वह अपने नोट्स उसे पढ़ने के लिए दे दे। ब. अध्यापिका से कहेंगे कि उसकी मदद करना उनका काम है। स. उससे पूछेंगे कि क्या उसे आपकी मदद चाहिए। 4. आपकी कक्षा की नई छात्रा जरा शर्मीली है। वह किसी के साथ नहीं खेलती। आप क्या करेंगे? अ. उससे कुछ नहीं कहेंगे। जब उसकी झिझक मिट जाएगी तब खेलने लगेगी। ब. उसे बुला कर खेल में शामिल होने को कहेंगे। स. उस के पास जा बैठेंगे। शायद वह बातें करने लगे।"
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"आप दोस्ती करने के लिए ही बने हैं। सदा दूसरों की मदद को तैयार! आप इस बात का इन्तज़ार नहीं करते कि लोग मदद माँगें। लोगों के मदद माँगने से पहले ही आप मदद देने के लिए हाज़िर रहते हैं।"
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"आप स्वतन्त्र किस्म के व्यक्ति हैं और मानते हैं कि सभी को ऐसा ही होना चाहिए। लेकिन इसका यह मतलब बिल्कुल नहीं है कि आप को किसी की चिन्ता नहीं होती। बस आप दूसरों पर दबाव नहीं बनाना चाहते।"
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