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Storybook paragraphs containing word (31)
"उसे सड़कों का बहुत बड़ा जाल दिखाई दिया मानो किसी शरारती मकड़े ने बनाया हो।
फटी आँखों से शिरीष जी खुशी में चीख रहे थे। न तो वह हैंडल बार को पकड़े हुए थे और न ही गाड़ियों से बचने की कोशिश कर रहे थे।"
उड़ने वाला ऑटो
"हमारी थालियों और हमारे दिमाग में हलवा-पूरी, खीर-पूरी और श्रीखंड-पूरी की एक ख़ास जगह होती है। छुट्टियों में तो छोले-पूरी या आलू-पूरी सबसे ज़्यादा पसंद किये जाते हैं। पूरी तलने की ख़ुशबू सब को अपनी ओर खींचती है। कढ़ाई में तैरती पूरी को देखना भी बहुत दिलचस्प होता है। ज़रा उस सुनहरे रंग की करारी, गर्मागर्म फूली-फूली पूरी को तो देखिये। थाली में रखते ही सबसे गोल और सबसे फूली पूरी को लेने की हम कोशिश करते हैं।"
पूरी क्यों फूलती है?
"1. मधुमक्खी नाच कर, छत्ते में रहने वाली बाकी मधुमक्खीयों को यह बताती है कि शहद कहाँ मिलेगा तो आप भी कोशिश कीजिये नाच कर कुछ बताने की और देखिये कि क्या आपके दोस्त आपकी बातों को समझ पाते है या नहीं!"
मधुमक्खियाँ क्यों भन-भन करती हैं?
"2. मधुमक्खी की तरह भिनभिनाने कि कोशिश कीजिये अपनी बाहों को उपर और नीचे (फ्लेप) कीजिये और देखिये कि क्या भिनभिनाट होती है!"
मधुमक्खियाँ क्यों भन-भन करती हैं?
"“क्या सारे बीज इमली के पेड़ ही बनते हैं?“ पोई ने पूछा और याद करने की कोशिश की कि घर में उसके पास कितने तरीके के बीज थे।“अरे नहीं! बीजों से तो कई प्रकार की जीवंत चीज़ें विकसित होती हैं,“ पच्चा ने उत्तर देते हुए कहा।"
आओ, बीज बटोरें!
"उसने दोबारा कोशिश की।"
मलार का बड़ा सा घर
"वह उन्हें खुश करने और वो फिर से गाने लगें उसका तरीका ढूँढने की कोशिश करता है।"
बंटी और उसके गाते हुए पक्षी
"सत्यम ने अपनी बाँहें पँखों की तरह फैलाईं और उड़ने की कोशिश की।"
सत्यम, ज़रा संभल के!
"वह फुट्टे की सहायता से पैन तक पहुँचने की कोशिश करती है।"
जादुर्इ गुटका
"लेकिन नीना कुछ भी सुनने को तैयार ही नहीं है। रेलगाड़ी में माँ और बाबा ने उसे मनाने की बहुत कोशिश की।"
एक सफ़र, एक खेल
"काटो ठंड से काँपते हुए धूप में अपने को सुखाने की कोशिश कर रहा था। पास में विक्की चुपचाप बैठा हुआ था। जब काटो के बाल थोड़ा सूख गये और शरीर में थोड़ी गर्मी आ गयी, वह बोल उठा, “कितना मज़ा आया! जब मेरे साथी इस किस्से को सुनेंगे तो उन्हें विश्वास ही नहीं होगा।” काटो को लग रहा था मानो वह एक बहुत बड़ा हीरो और जहाज़ का जाँबाज़ कप्तान बन गया हो!"
नौका की सैर
"शोर मचने लगा। ट्रेन आ रही है! ट्रेन आ रही है!
सब ट्रेन में चढ़ने की कोशिश में थे। पर वह कहाँ हैं, जिनकी शादी में हम सब जा रहे हैं?"
चाचा की शादी
"एक खिलाड़ी की आँखों पर पट्टी बाँधिए। उसे दानों को छू कर पहचानना पड़ेगा। देखिये वह कितने दाने सही पहचान पाता है। यह खेल एक और तरह से भी खेला जा सकता है। सभी खिलाड़ी आँखें बंद करके दानों को अलग करने की कोशिश करें और देखें कि इसमें कितने सफल हो पाते हैं।"
दाल का दाना
""पेड़ पर चढ़ कर थोड़ा आराम कर लूँ," सोचते हुए वह पेड़ पर चढ़ने की कोशिश करने लगी।"
चुलबुल की पूँछ
"लेकिन यह क्या? वह तो एक इंच भी पेड़ पर नहीं चढ़ पाई। कई बार उसने कोशिश की, हर बार वह गिर जाती। आखिर थक कर वह बैठ गई।"
चुलबुल की पूँछ
""नहीं, यह पूँछ ठीक नहीं है। इसे बदलना पड़ेगा," यह कहते हुए उसने अपनी लम्बी पूँछ को हाथ से उठाने की कोशिश की। किसी तरह लड़खड़ाते हुए वह दोबारा डॉक्टर बोम्बो के अस्पताल में पहुँची।"
चुलबुल की पूँछ
"चीकू ने एक झाड़ू लेकर बादल को हटाने की कोशिश की,"
कचरे का बादल
"चीकू ने भरपूर कोशिश की!"
कचरे का बादल
"स्कूल से घर लौटते हुए अली, गौरव, सुमी और रानी, मुझसे बार-बार मेरी इस नई ज़िम्मेदारी के बारे में पूछते रहे। मैंने बात टालने की कोशिश की, लेकिन मुझे तो मालूम था कि मुझे क्या काम सौंपा गया है। मैंने उनसे कहा कि पता नहीं तुम लोग किस चीज़ के बारे में बात कर रहे हो। लेकिन यह बात सच नहीं थी। मुझे अच्छी तरह पता था कि वे किस के बारे में पूछ रहे हैं?"
थोड़ी सी मदद
"सच बताऊँ? घर जाकर मैंने एक हाथ से जूते के फीते बाँधने की कोशिश की थी। लेकिन मेरे लिए यह कर पाना असम्भव है। तुम ऐसा कैसे कर पाती हो? शायद मैं यह बात कल तुमसे पूछूँ।"
थोड़ी सी मदद
"तुम्हारी बात सुनने के बाद, मैंने एक हाथ से बहुत सी चीजें करने की कोशिश की। लेकिन यह बहुत ही मुश्किल है! मुझे अभी तक यह समझ नहीं आया कि तुम नहाना, कपड़े पहनना, बैग संभालना जैसे काम ख़ुद ही कैसे कर लेती हो। उस दिन खाने की छुट्टी के बाद की बातचीत के बाद से मैंने महसूस किया कि तुम भले ही कुछ कामों को थोड़ा अलग ढँग से करती हो, लेकिन तुम भी वह सारे काम कर लेती हो जो बाकी सब लोग करते हैं।"
थोड़ी सी मदद
"सुनो, हमारे साथ खेलने के बारे में मैने पहले जो कुछ भी कहा है उसके लिए मैं क्षमा माँगता हूँ। मुझे लगता है कि तुम सिर्फ़ शर्माती हो। और मैंने एक ही हाथ का इस्तेमाल करते हुए झूला झूलने की भी कोशिश की। और यह काम बहुत ही मुश्किल है, झूले को दोनों हाथों से पकड़ कर न रखा जाए तो शरीर का संतुलन नहीं बन पाता। लेकिन तुम जैसे जँगल जिम की उस्ताद हो। भले ही तुम बार पर लटक नहीं पातीं लेकिन तुम सचमुच बहुत तेज दौड़ती हो, अली से भी तेज, जिसे खेल दिवस पर पहला इनाम मिला था।"
थोड़ी सी मदद
"यह प्रश्नोत्तरी हल करके पता लगाएँ कि नए लोगों के बीच जगह बनाने की कोशिश कर रहे लोगों की मदद करने में आप कितने कारगर साबित हो सकते हैं!"
थोड़ी सी मदद
"“कहानी? कौन सी कहानी?” कल्लू ने गंभीर चेहरा बना के अचरज दिखाने की कोशिश की, “मैं कहानियाँ नहीं सुनाता... मतलब... कि” यह सब क्या हो रहा है, कल्लू ने सोचा, “एक-एक शब्द सौ प्रतिशत सच मास्टर जी।” “आज तो समय से पन्द्रह मिनट पहले आ गये कल्लन,” मास्टर जी की मुस्कान खिली।"
कल्लू कहानीबाज़
"पेड़ों पर चढ़कर कच्चे आम तोड़ना
मोरू को अच्छा लगता था। वह टहनियों
पर रेंगते हुए ऐसी कल्पना करता मानो किसी घने जंगल में चीता हो। उसे कीड़े पकड़ना भी पसंद था। चमकदार पन्नी सी चमचमाते सर वाली हरी-नीली घोड़ा मक्खी, पतला और चरचरा सा टिड्डा, पीली तितली जिसका रंग पीले गुलाल सा उसकी उंगलियों पर उतर आता था। मोरू को पतंग उड़ाना भी अच्छा लगता था। जितनी ऊँची उड़ सके उतना अच्छा। सबसे ऊँची छतों पर चढ़ कर वह अपनी पतंग बादलों से कहीं ऊपर तक उड़ाता जैसे वह एक चमकता हुआ पक्षी हो जो सूरज तक पहुँचने की कोशिश कर रहा हो।"
मोरू एक पहेली
"कभी-कभी घंटों तक वह फल-सब्ज़ी के बाज़ार में गायब रहता। छत पर जा कर वह अपनी पतंग उड़ाने की कोशिश करता पर आसमान खाली होता तो इसमें ज़रा भी मज़ा नहीं आता।"
मोरू एक पहेली
"कल रात उन्हें नींद नहीं आई थी और न उसकी पिछली रात। न ही उससे पहले कुछ तीस रात। उन्होंने ध्यान लगाने की कोशिश की। मगर वाक्य अस्पष्ट हो रहे थे!"
कोट्टवी राजा और उनींदा देश
"हमेशा साथ रहते हैं - जैसे बने हों एक दूजे के लिए! क्लाउनफ़िश सी अनैमॉनी के लहराते हुए डंक साफ़ रखने का काम करने के साथ दूसरी मछलियों को उनकी ओर खदेड़ने की कोशिश करती रहती हैं, ताकि अनैमॉनी उन मछलियों का शिकार कर सकें। सी अनैमॉनी भी क्लाउनफ़िश से बख़ूबी दोस्ती निभाते हैं... उन्हें डंक नहीं मारते, और छुपने की जगह देकर दुश्मन से बचाते हैं।"
गहरे सागर के अंदर!
"यह साँप सामान्य, स्वस्थ साँपों की तरह सरसरा और लहरा नहीं रहे थे। जादव उनके बीच पहुँचे तो भी न तो उन्होंने फुफकारा, न वहां से भागे और न ही उन्हें काटने की कोशिश की। वह तो बस रस्सियों की तरह थके-हारे, अलसाये से पड़े रहे।"
जादव का जँगल
"लेकिन जल्दी ही उनकी बुद्धि काम करने लगी। “अब और रोना नहीं है। अब से सिर्फ़ कोशिश करनी है!”"
जादव का जँगल
"बड़े होने पर उनके बीज बिखरने लगे। नए बीज से निकले पौधे जड़ें फैलाने लगे। नाज़ुक पौधे मोटे-मज़बूत तने वाले हो गये। तनों से और डालियाँ निकलीं, और डालियों आसमान को छूने की कोशिश करने लगीं।"
जादव का जँगल