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Storybook paragraphs containing word (103)
"टिंकु और उसके दोस्त हँसे और उछले-कूदे। वे इधर से उधर लुढ़के, जब तक कि टिंकु को उबासी आने लगी। हा! वह बहुत थक गया था। “मुझे नींद आ रही है अब घर जाना है,” टिंकु बोला।"
सो जाओ टिंकु!
"अलग-अलग परिवारों को लाजपत नगर के बाज़ार ले जाना, अर्जुन को बहुत पसंद था। सैलानी जब चार पहियों की जगह तीन पहियों की सवारी चुनते तो उसका मन खुशी से झूम उठता। शिरीष जी के साथ कुतुब मीनार के पास पेड़ की छाँव में आराम करना उसे बहुत अच्छा लगता।"
उड़ने वाला ऑटो
"...घर वह तब बनता है जब उसमें परिवार रहता है।"
सबसे अच्छा घर
"खेमा: मंगोलिया के लोग लकड़ी के ढाँचे और मोटे ऊनी नमदे के कालीनों से ख़ूब गर्म और हल्के घर बनाते हैं। जब कहीं और जाना हो तो लोग लकड़ी की पट्टियों और नमदों को घोड़ों और याकों पर लाद कर मकान को भी साथ ले जाते हैं।"
सबसे अच्छा घर
"इग्लू: क्या आप सोच सकते हैं कि बर्फ़ की बड़ी-बड़ी ईंटों से बने इग्लू बाहर बर्फ़ जमी होने पर भी अंदर से गर्म रहते हैं? जब बाहर का तापमान -40 डिग्री सेंटिग्रेड होता है तो लोग इग्लू के अंदर आराम से रहते हैं। इन्हें आप कनाडा के ध्रुवीय इलाकों और ग्रीनलैंड के थूले द्वीप में देख सकते हैं।"
सबसे अच्छा घर
"तो चलो आज जब अम्मा पूरी तल रही होंगी तब हम इसी के बारे में देखेंगे, जानेंगे, पूछेंगे और पता लगायेंगे।"
पूरी क्यों फूलती है?
"इसकी वजह यह है कि इस आटे में कुछ है जिसे बहुत प्यास लगी है! आप को जब प्यास लगती है तो आप क्या करते हैं? आप पानी पीते हैं।"
पूरी क्यों फूलती है?
"दर असल पूरी के साथ यह होता है - गूँधे हुये आटे में ग्लूटेन होने की वजह से उसे बेला जा सकता है। जब इस आटे की एक छोटी सी लोई को बेला जाता है तो पूरी में ग्लूटेन की एक सतह बन जाती है।"
पूरी क्यों फूलती है?
"और जब पूरी को गर्म तेल में डालते हैं तो उसकी निचली सतह तेल की वजह से बहुत गर्म हो जाती है।"
पूरी क्यों फूलती है?
"अब फिर इसे एक बड़े बर्तन में रख देते है अब बर्तन के अंदर रखे गूँधे आटे पर इतना पानी डालते है जिससे वो उसमे डूब जाए। पानी के अंदर डूबे आटे को गूँधते रहते है जब तक पानी का रंग सफ़ेद नहीं हो जाता। इस पानी को फैक कर बर्तन में थोड़ा और ताजा पानी लेते है इसे तब तक करते रहे जब तक गुँधे आटे को और गूंधने से पानी सफ़ेद नहीं होता। इसका मतलब यह है कि आटे का सारा स्टार्च खत्म हो गया है और उसमें बस ग्लूटेन ही बचा है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि स्टार्च पानी में घुल जाता है लेकिन ग्लूटेन नहीं घुलता। अब इस बचे हुए आटे यानि ग्लूटेन से थोड़ा सा आटा लेते है इसे हम एक रबड़बैंड कि तरह खीच सकते है। अगर इसे खीच कर छोड़ते है तो यह वापस पहले जैसा हो जाता है। इससे इसके लचीलेपन का पता चलता है आप इसे चोड़ाई में फैला सकते है इससे पता चलता है कि इसमें कितनी प्लाटीसिटी है।"
पूरी क्यों फूलती है?
"फिर जब वही मधुमक्खियाँ किसी और फूल के पास जा कर भन-भन करते हुए ज़ोर-शोर से नाचती हैं, तो इस धमा-चौकड़ी में दाने दूसरे फूलों पर गिर जाते हैं। फिर मधुमक्खियाँ और फूलों तक उड़ती हुई जाती हैं, कुछ दाने उठाती हैं व कुछ गिराती चलती हैं। यह कार्यक्रम इसी तरह चलता रहता है।"
मधुमक्खियाँ क्यों भन-भन करती हैं?
"वैसे क्या तुम अपनी साँसे सुन सकते हो? नहीं ना! पर मधुमक्खियाँ सुन सकती हैं। भन-भन की आवाज़ मधुमक्खियों के साँस लेने से भी होती है। उनका शरीर छोटा व कई टुकड़ों में बँटा होता है। तो जब साँस लेने से हवा अंदर जाती है, तो उसे कई टेढ़े-मेढ़े व ऊँचे-नीचे रास्तों को पार कर के जाना पड़ता है। और इसी वजह से भन-भन की आवाज़ होती है।"
मधुमक्खियाँ क्यों भन-भन करती हैं?
"अधिकांश हवाई जहाज़ तभी उड़ पाते हैं जब वे बहुत ही तेज़ी से दौड़ते हैं। रनवे हवाई अड्डा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो हवाई जहाज़ों को अपनी गति बढ़ाने के लिए पर्याप्त समय देता है। और अंत में वे उड़ान भरते हैं।"
हवाई जहाज़ कैसे उड़ते हैं?
"1. दोस्तों के साथ इन खेलों के मज़े लें काग़ज़ के हवाई जहाज़ बनाओ और देखो कि किसका जहाज़ सबसे दूर जाता है। ज़रा सोचो, क्यों? क्या यह कमाल काग़ज़ का है या उसके बनाने के तरीक़े का? ग़ौर करो, क्या होता है जब कोई जहाज़ छोड़ा जाता है? जब तुम जहाज़ को छोड़ने के पहले उसके ऊपर फूँक मारते हो या उसके अंदर या कि उसके नीचे, तब क्या वहाँ कोई अंतर दिखता है?"
हवाई जहाज़ कैसे उड़ते हैं?
""रुको," मुत्तज्जी बोलीं, "जरा कुछ और याद करने दो। ओह! जब मैं तुम्हारे बराबर की, यानि 9 या 10 साल की थी, तब मेरे काका बम्बई से हमसे मिलने आए थे और उन्होंने हमें ऐसी साफ़ रेलगाड़ी के बारे में बताया था जिसमें सफ़र करने से कपड़े गंदे नहीं होते थे।""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
""मुत्तज्जी को लगता है की वह 16 साल की थीं जब उनकी शादी हुई थी," पुट्टी ने कहा,"लेकिन वह 15 या 17 या 18 साल की भी हो सकती थीं।""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
"पुट्टा ने कहा, "उन्होंने बताया था कि जब उनके बम्बई वाले अंकल ने उनको साफ रेलगाड़ी के बारे मे बताया था तब वह 9 -10 साल की थीं। अज्जा शायद इस बारे में जानते होंगें।”"
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
"धनी और उसके माता-पिता, बड़ी ख़ास जगह में रहते थे। अहमदाबाद के पास, महात्मा गाँधी के साबरमति आश्रम में-जहाँ पूरे भारत से लोग रहने आते थे। गाँधी जी की तरह, वे सब भी भारत की स्वतंत्रता के लिए लड़ रहे थे। जब वे आश्रम में ठहरते तो चरखों पर खादी का सूत कातते, भजन गाते और गाँधी जी के व्याख्यान सुनते।"
स्वतंत्रता की ओर
"दोपहर को जब आश्रम में थोड़ी शान्ति छाई, धनी अपने पिता को ढूँढने निकला। वह बैठ कर चरखा चला रहे थे।"
स्वतंत्रता की ओर
"गाँधी जी बड़े व्यस्त रहते थे। उन्हें अकेले पकड़ पाना आसान नहीं था। पर धनी को वह समय मालूम था जब उन्हें बात सुनने का समय होगा-रोज़ सुबह, वह आश्रम में पैदल घूमते थे।"
स्वतंत्रता की ओर
"”हाँ, ठीक बात है,“ कुछ सोचकर गाँधी जी बोले, ”मगर एक समस्या है। अगर तुम मेरे साथ जाओगे तो बिन्नी को कौन देखेगा? इतना चलने के बाद, मैं तो कमज़ोर हो जाऊँगा। इसलिये, जब मैं वापस आऊँगा तो मुझे खूब सारा दूध पीना पड़ेगा, जिससे कि मेरी ताकत लौट आये।“"
स्वतंत्रता की ओर
"”हूँ... यह बात तो ठीक है, गाँधी जी! बिन्नी तभी खाती है, जब मैं उसे खिलाता हूँ,“ धनी ने प्यार से बिन्नी का सर सहलाया, ”और स़िर्फ मैं जानता हूँ कि इसे क्या पसन्द है।“"
स्वतंत्रता की ओर
"क्या तुमने कभी बुरी सुबह बिताई है, जब तुमने आधी नींद में बहुत सारा पेस्ट फैला दिया हो और अचानक से जगे, क्योंकि पूरा सिंक पेस्ट से भरा था और माँ याद दिला रही थी कि 20 मिनट में स्कूल बस दरवाज़े पर आ जाएगी। उस समय तुम यही चाह रहे होगे कि माँ वह सब साफ़ कर दे जो तुमने गंदा किया।"
टूथपेस्ट ट्यूब के अंदर कैसे आया?
"हाँ, बिलकुल सही! उन्होंने ढक्कन को पेंच से कसा और ट्यूब के दूसरे हिस्से को पूरी तरह खुला छोड़ा। ट्यूब के बड़े पिछले हिस्से को भरना सचमुच आसान था! ख़ासकर जब तुम्हारे पास पेस्ट के साथ पंप के लिए कुछ हो, जैसे कि पिचकारी। इसके बाद यही करना बाकी रहा कि ट्यूब के उस खुले सिरे को कसकर बंद किया जाए ताकि पेस्ट बाहर न निकले।"
टूथपेस्ट ट्यूब के अंदर कैसे आया?
"पच्चा ने समझाया, “तुम इस सेब को खाना शुरू करो जब तक कि इसके बीच वाले हिस्से तक न पहुँच जाओ। सेब के बीच में तुम्हे छोटे-छोटे भूरे रंग के बीज दिखेंगे।“"
आओ, बीज बटोरें!
"मिर्च हर आकार, रूप और रंग की होती हैं और पूरे विश्व में इनका उत्पादन होता है। इसके बीज छोटे, गोल और चपटे होते हैं और इनका इस्तेमाल दाल या भाजी में चटपटापन लाने के लिए किया जाता है। जब आप इन्हें छुएं तो सावधान रहें, ये आपकी उंगलियों में जलन पैदा कर सकतीं हैं।"
आओ, बीज बटोरें!
"कठोर भूरे रंग के नारियल का हर हिस्सा हमारे लिए उपयोगी होता है। उसके बाहर वाले बालों के हिस्से से रस्सी बनाई जाती है, वहीं अंदर का नरम सफेद हिस्सा कई प्रकार के भोजन में इस्तेमाल किया जाता है और नारियल पानी मज़ेदार पेय होता है, विशेषरूप से उस समय, जब बाहर बहुत गर्मी होती है। क्या आपको मालूम है कि आप अपने बालों में जो तेल लगाते हैं, वो कहां से आता है? वह तेल भी नारियल से ही निकाला जाता है।"
आओ, बीज बटोरें!
"चावल सामान्य नाम: राइस या चावल। वैज्ञानिक मुझे कहते हैं: ऑरिज़ा सटाईवा। चावल, सबसे लोकप्रिय अनाजों में से एक है। जहां तक मुझे मालूम है, भारतीय घरों में अन्य अनाजों की तुलना में चावल सबसे ज़्यादा खाया जाता है। जब चावल पौधे पर लगा होता है तो उसके दानों पर जैकेट की तरह एक खुरदुरा, भूरे रंग का छिलका होता है जिसके कारण इसके दाने अंदर सुरक्षित और साबुत बने रहते हैं।"
आओ, बीज बटोरें!
"हम सभी वर्षा की प्रतीक्षा करते हैं पर किसान तो वर्षा के देवताओं की पूजा करते हैं।
मानसून में मेरा आम का पौधा काफी लम्बा हो गया है। अब मुझे उसे सींचने की ज़रूरत नहीं पड़ती! पिछले महीने जब बड़ी तेज़ आँधी चली थी, मेरा पौधा मज़बूती से खड़ा रहा। क्या मेरा आम का पेड़ इस पेड़ के जितना बड़ा हो जायेगा?"
गरजे बादल नाचे मोर
"और जब ऊपर देखा तो वहाँ हँसती हुई पत्तियाँ थीं।”"
तारा की गगनचुंबी यात्रा
"हमें कोई समस्या नहीं होती है, जब पक्षी गाते हैं।"
हमारे मित्र कौन है?
"“नहीं, बेटे! केवल तभी, जब बारिश होगी। और अभी तो आसमान साफ़ है।”"
लाल बरसाती
"- परवेज़ जब सिर्फ पांच महीने का था तब उसके माता-पिता ने देखा कि वो ज़ोर की आवाजें बिलकुल भी नहीं सुन पाता था। वे उसे डॉक्टर के पास ले गए जिन्होंने बताया कि परवेज़ ने सुनने की शक्ति खो दी है। डॉक्टर ने समझाया कि परवेज़ की मदद कैसे की जा सकती है ताकि वो हर वो चीज़ सीख सके जो आम बच्चा सुन सकता है।"
कोयल का गला हुआ खराब
"- जब आप ठीक से सुन सकते हैं तो, बोलना आसानी से सीख सकते हैं। ज़्यादातर बधिर लोग ठीक से नहीं बोल पाते क्योंकि वो दूसरों का बोलना नहीं सुन सकते हैं।"
कोयल का गला हुआ खराब
"- जो लोग परवेज़ से धीरे से बात करते हैं, वह उन्हें बेहतर समझ पाता है, और ख़ास तौर से जब वे उसकी तरफ देखकर बात कर रहे हों। परवेज़ ठीक से सुन नहीं सकता है, पर वो देख, सूँघ, समझ और सीख सकता है, वह महसूस कर सकता है, और पकड़म-पकड़ाई खेल सकता है।"
कोयल का गला हुआ खराब
"सूरज डूबने के बाद देर शाम को जब झींगुरों ने अपना राग अलापना शुरू किया, तब घर जाने का समय हो गया।"
सत्यम, ज़रा संभल के!
"टिड्डे अपने आकार की तुलना में कई ज़्यादा ऊँची कुदान मार सकते हैं। ख़ासतौर से तब, जब वह किसी शिकार करने वाले जीव की पकड़ में आने से बचना चाहते हों। क्या आप इतनी ऊँची कुदान मार सकते हैं?"
सत्यम, ज़रा संभल के!
"उन्नी अंकल तब तक नहीं मानते जब तक मैं कचरे का प्रत्येक अंश इकट्ठा न कर लूँ।"
आनंद
"एक दिन, मुनिया ने बाहर खुले में आने की हिम्मत बटोरी। अपना सिर घुमाये बिना उस विशालकाय ने पहले तो अपनी आँखें घुमाकर मुनिया को देखा और फिर उन्हे बंद कर उसने मुनिया के आगे बढ़ने की कोई परवाह नहीं की। उसके सिर पर भनभनातीं मक्खियों से ज़्यादा ध्यान न खींच पाने के चलते मुनिया धम्म से अपने पैर पटक उसकी ओर बढ़ी। अचानक उस विशालकाय ने अपना एक पंजा उठाया। मुनिया चीखी और झील के उथले पानी में सिर के बल गिर पड़ी। पानी में भीगी-भीगी जब वह झील से बाहर आयी तो क्या देखती है कि गजपक्षी का समूचा बदन हिलडुल रहा है। वह समझ गयी कि वह हँस रहा था!"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी
"इस प्रकार मुनिया की दोस्ती गजपक्षी से हो गई। अन्ततः जब उसे एक दोस्त मिला भी तो नटखट घोड़ा ग़ायब हो गया!"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी
"अगली सुबह सारे गाँव वाले लाठियाँ, भाले, नुकीले पत्थर, और बड़े-बड़े चाकू लेकर जंगल झील पर इकट्ठे हुए। विशालकाय एक-पंख गजपक्षी उस वक्त झील के समीप आराम फ़रमा रहा था जब गाँव वालों की भीड़ उसकी ओर बढ़ी। पक्षी की पंखहीन पीठ धूप में चमक रही थी। वह धीरे से उठा और अपनी तरफ़ आती भीड़ को ताकने लगा। उसके विराट आकार को देख गाँव वाले थोड़ी दूर पर आकर रुक गये और आगे बढ़ने को लेकर दुविधा में पड़ गये। पल भर की ठिठक के बाद मुखिया चिल्लाया, “तैयार हो जाओ!” भीड़ गरजी, अपने-अपने हथियारों पर उनके हाथों की पकड़ और मज़बूत हुई और वे तैयार हो चले उस भीमकाय को रौंदने के लिए।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी
"माँ कहती हैं, “रानी जब तुम बाहर आओगी मैं यहीं मिलूँगी।”"
स्कूल का पहला दिन
"जब माँ के कमरे से चुप्पी हो, तो सोना जान जाती माँ ठप्पे पर अच्छे से रंग लगा रही होंगी। तब वह भी रंग लगाती। जब आवाज़ आती ठप्प तो सोना भी अपना ठप्पा कपड़े पर दबा देती।"
सोना बड़ी सयानी
"शाम पड़ी जब आई माता"
सबरंग
"रात को जब झींगुर गुंजाएँ"
सबरंग
"काटो ठंड से काँपते हुए धूप में अपने को सुखाने की कोशिश कर रहा था। पास में विक्की चुपचाप बैठा हुआ था। जब काटो के बाल थोड़ा सूख गये और शरीर में थोड़ी गर्मी आ गयी, वह बोल उठा, “कितना मज़ा आया! जब मेरे साथी इस किस्से को सुनेंगे तो उन्हें विश्वास ही नहीं होगा।” काटो को लग रहा था मानो वह एक बहुत बड़ा हीरो और जहाज़ का जाँबाज़ कप्तान बन गया हो!"
नौका की सैर
"माँ कहती हैं, “ज़रा रुको अभी तो हम ट्रेन में बैठे भी नहीं।
भूख लगी है, तो मेरे पास मिठाइयाँ हैं।
प्यास लगी है, तो मेरे पास पानी है।
लेकिन जब तक ट्रेन न आये, तब तक इन्तज़ार करो।”"
चाचा की शादी
"पापा जब नहा कर बाहर निकलते हैं तो अनु एक छोटी कंघी से बड़ी सफ़ाई से उनकी मूँछों के बाल काढ़ती है।"
पापा की मूँछें
"उनके अस्पताल में विभिन्न जानवरों की पूँछ, टाँग, कान अलमारी में सजे हुए थे। जब तक डॉक्टर बोम्बो भालू आते हैं तब तक मैं अपने लिए एक पूँछ ही चुन लेती हूँ।"
चुलबुल की पूँछ
"अगले दिन जब चीकू सो कर उठी तो चारों तरफ मक्खियाँ भिनभिना रही थी, हर तरफ बदबू ही बदबू थी।"
कचरे का बादल
"रीमा आंटी थैलियाँ उठाकर वहाँ से चली गई! अगले दिन जब चीकू सो कर उठी, तो बादल और भी छोटा हो गया था।चीकू मुस्कराई, वह समझ गई थी कि उसे क्या करना है।"
कचरे का बादल
"फिर जब भी कोई बिस्कुट का पैकेट/लिफ़ाफ़ा या पेंसिल की छीलन फेंकता चीकू उसे रोक देती।"
कचरे का बादल
"हिरन चिढ़ कर बोला “अरे अकलमन्द की पूँछ, ज़रा यह बता तो सही कि जब तक मैं ज़िन्दा हूँ तू मेरा सींग कैसे ले सकता है?”"
काका और मुन्नी
"बादल जब छाते घनघोर"
ऊँट चला, भई! ऊँट चला
"कई तरह से बच्चों को पटा कर, मिन्नतें कर, जब वह बच्चों से रेडियो लेती तब तक समाचार खतम ही हो जाते थे। “अब समाचार समाप्त हुए,” बस कभी कभार यही सुनने को मिलता।"
मछली ने समाचार सुने
"“नहीं, जाती थीं लेकिन कभी-कभी, सब्ज़ी-भाजी लेने या रिश्ते वालों के यहाँ। रेहाना और सलमा भी घर से बहुत कम ही निकलती हैं, और जब जाती हैं तो हमेशा सिर पर ओढ़नी लेकर। मेरी अम्मी बुरका पहनती हैं। मेरी बहनें तो कभी भी पढ़ने नहीं गईं लेकिन मैं आठवीं जमात तक पढ़ी हूँ। उसके बाद फिर मैं भी घर पर रह कर अम्मी और अपनी बहनों से कशीदाकारी सीखती रही हूँ,” मुमताज़ ने अपनी कहानी मुन्नु को सुनाई।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"दोनों बहनों ने एक तरकीब सोच ली। एक शाम जब मुमताज़ लक्का-लोटन के लिए दाने का इंतज़ाम करने निकली तो मेहरु ने काम करने के लिए मुमताज़ को दिया गया सारा रंगीन कपड़ा और धागे कहीं छिपा दिए। सिर्फ़ सफ़ेद कपड़ा ही बचा रहा, “तो अब देखते हैं,” मेहरु उँगलियाँ नचाती बोली, “हमारी प्यारी बहन की तारीफ़ कौन करता है!”"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"फिर जब औरतों ने चिकन के कुरते पहनना शुरु किए तो यह काम रंगीन कपड़े पर भी होने लगा। लेकिन चिकन की बेहतरीन कढ़ाई सफ़ेद मलमल पर सफ़ेद धागे से ही होती है। यही इस काम का सार है, उसकी रूह है...और एक काबिल कशीदाकारिन का सबसे बड़ा इम्तिहान भी।”"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"जलसे के बाद जब सब घर लौटे तो कमरु ने मुमताज़ से पूछा, “ऐसे सुंदर, एक से एक बढ़िया नमूने तुम कहाँ से लाईं?”"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"रज़ा ने लपक कर धनी सिंह की पगड़ी थामी। उसके लपेटे सीधे करके अकबर की कमर पर बाँध दी। जब तक अकबर आड़े-टेढ़े होकर अपने आप को आईने में निहार रहे थे,"
रज़ा और बादशाह
"6. मुग़लों के महलों में कई रसोईघर थे। हर रसोईघर से बादशाह के लिये खाना भेजा जाता। ज़ाहिर है कि जब बादशाह सलामत खाने बैठते तो वे तीस किस्म की लज़ीज़ चीज़ों में से अपनी पसन्द की चीज़ खाते। ओहो! मुँह में पानी भर आता है मुग़लई खाने का नाम आने पर- बिरयानी, पुलाओ, कलिया, कोर्मा-यह सब पकवान मुग़लई रसोईघरों से ही निकल कर आये हैं।"
रज़ा और बादशाह
"सच कहूँ तो ख़ुद मैं भी यह बात जानना चाहता हूँ और मेरे मन में भी वही सवाल हैं जो लोग तुम्हारे बारे में मुझसे पूछते हैं। हाँ, मैंने पहले दिन ही, जब तुम कक्षा में आई थीं, गौर किया था कि तुम एक ही हाथ से सारे काम करती हो और तुम्हारा बायाँ हाथ कभी हिलता भी नहीं। पहले-पहल मुझे समझ में नहीं आया कि इसकी वजह क्या है। फिर, जब मैं और नजदीक आया, तब देखा कि कुछ है जो ठीक सा नहीं है। वह अजीब लग रहा था, जैसे तुम्हारे हाथ पर प्लास्टिक की परत चढ़ी हो। मैं समझा कि यह किसी किस्म का खिलौना हाथ होगा। मुझे बात समझने में कुछ समय लगा। इसके अलावा, खाने की छुट्टी के दौरान जो हुआ वह मुझसे छुपा नहीं था।"
थोड़ी सी मदद
"आज जब सुमी, गौरव और मैं स्कूल आ रहे थे तो वे एक खेल खेल रहे थे, जो उन्होंने ही बनाया था। इस खेल को वे एक हाथ की चुनौती कह रहे थे। इस का नियम यह था कि तुम्हें एक हाथ से ही सब काम करने हैं- जैसेकि अपना बस्ता समेटना या फिर अपनी कमीज़ के बटन लगाना।"
थोड़ी सी मदद
"सुमी अपने जूते के फीते नहीं बाँध सकी। और खेलने के बाद भी उसे जूते के फीते बाँधने का ध्यान नहीं रहा, और वह उलझ कर गिर पड़ी। उसकी ठोड़ी में चोट लग गई। जब मैडम ने उसकी ठोड़ी की चोट देखी तो उस पर ऐंटीसेप्टिक क्रीम तो लगा दी, लेकिन उसे लापरवाही बरतने के लिए डाँट भी पड़ी। “जूतों के फीते बाँधे बिना पहाड़ों में दौड़ लगाई जाती है? घर जाते समय गिर पड़तीं या और कुछ हो जाता तो क्या होता?“"
थोड़ी सी मदद
"फ़िल्म सच में बहुत ही बढ़िया थी, है न? मैं इतना हँसा कि मेरा पेट दुखने लगा और मेरे आँसू निकल आए। जब भी स्कूल में फ़िल्म दिखाई जाती है मुझे बहुत अच्छा लगता है। क्योंकि उस दिन पढ़ाई की छुट्टी।"
थोड़ी सी मदद
"पता है जब मैंने तुम्हें बस में देखा तो मैं बहुत हैरान हुआ था। मुझे इस बात का अंदाज़ा नहीं था कि मेरे पिता और तुम्हारे पिता एक ही जगह काम करते हैं! लेकिन मैं बहुत खुश हूँ कि तुम दफ़्तर की पिकनिक में आईं, क्योंकि पिछले साल जब हम दफ़्तर की पिकनिक पर गए थे तब उसमें मेरी उम्र का कोई भी बच्चा नहीं था और बड़ों के बीच अकेले-अकेले मुझे ज़रा भी अच्छा नहीं लगा था। मैं बहुत ऊब गया था।"
थोड़ी सी मदद
"मुझे लगता है कि मुझे यह बात पहले ही तुम्हें बता देनी चाहिए थी- जब भी वार्षिकोत्सव आने वाला होता है, प्रिंसिपल साहब कुछ सनक से जाते हैं। वे तुम पर चिल्ला सकते हैं - वे किसी को भी फटकार सकते हैं। अगर ऐसा हो, तो बुरा न मानना। मेरी माँ कहती है कि वे बहुत ज़्यादा तनाव में आ जाते हैं, क्योंकि वार्षिकोत्सव कैसा रहा इससे पता चलता है कि उन्होंने काम कैसा किया है।"
थोड़ी सी मदद
"अ. कक्षा की सबसे होशियार छात्रा से कहेंगे कि वह अपने नोट्स उसे पढ़ने के लिए दे दे। ब. अध्यापिका से कहेंगे कि उसकी मदद करना उनका काम है। स. उससे पूछेंगे कि क्या उसे आपकी मदद चाहिए। 4. आपकी कक्षा की नई छात्रा जरा शर्मीली है। वह किसी के साथ नहीं खेलती। आप क्या करेंगे? अ. उससे कुछ नहीं कहेंगे। जब उसकी झिझक मिट जाएगी तब खेलने लगेगी। ब. उसे बुला कर खेल में शामिल होने को कहेंगे। स. उस के पास जा बैठेंगे। शायद वह बातें करने लगे।"
थोड़ी सी मदद
"अपने छोटे भाई की ओर देख के हाँफते हुए बोला, “शब्बो, सच तू कितना भाग्यवान है। पूरे महीने स्कूल से छुट्टी!”
खिड़की के पास बैठा शब्बो अपने पलस्तर चढ़े पैर को देख के चिहुँका, “हाँ, बिल्कुल ठीक कहा भाईजान। पैर तोड़ने में बहुत ही मज़ा आता है। सारे दिन यहाँ बैठ के इतना बोर हो जाता हूँ सोचता हूँ अपने बाल नोच डालूँ जब आप दामू के साथ फ़ुटबॉल खेलते हो। ज़रूर, बहुत ही भाग्यवान हूँ मैं?”"
कल्लू कहानीबाज़
"मुश्किल यह थी कि अब मामला गम्भीर होता जा रहा था। अब मास्टर जी ने अगर उसे कक्षा नौ में नहीं चढ़ाया तो कल्लू को लेने के देने पड़ जाने वाले थे क्योंकि अब्बू स्कूल छुड़ा के उसे खेतों में काम पर लगा देंगे। अब कौन पालक तोड़ेगा और गाजर और मटर बटोरेगा जब कि वह स्कूल जा सकता है।"
कल्लू कहानीबाज़
"हाँ, सबसे बुरा तो तब हुआ था जब वह परसों देर से पहुँचा था। 26 जनवरी के कार्यक्रम का रिहर्सल था और जब वह स्कूल के अहाते में पहुँचा तो राष्ट्रगान की “जय जय जय जय हे” वाली पंक्ति गाई जा रही थी। और कल्लू को वहाँ सामने होना चाहिये था। दामू, मुनिया, और सरू के साथ गाने की अगुआई करते हुए।"
कल्लू कहानीबाज़
"पीछे खड़े हो के उसने जोश के साथ “जय हे” गाया और चुपचाप कक्षा की तरफ़ सरक रहा था जब किसी ने उसे कॉलर पकड़ के पीछे झटका दिया। मास्टर जी के तमतमाये चेहरे को देख के तो उसके दिल की मानो धड़कन ही रुक गई।"
कल्लू कहानीबाज़
"“नहीं मास्टर जी,” कल्लू की आँखों में आँसू छलक आये और ये सचमुच के आँसू थे। जब चाहो निकाल दो वाले मगरमच्छी आँसू नहीं। वह सच में शो में भाग लेना चाहता था। “मास्टर जी!” उसकी आवाज़ में घबराहट और बेचारगी दोनों थी
“मैं वादा करता हूँ मैं फिर कभी देर नहीं करुँगा। एक मौका...”"
कल्लू कहानीबाज़
"एक बार की बात है, जब हम शहर जा रहे थे, तब हमने देखा कि शहर और देहात में पॉलिथीन बहुत उपयोग किया जाता है। तब हमने सोचा कि क्यों न हम सब मिलकर कुछ करें।"
पॉलिथीन बंद करो
"हम फिर उस औरत के घर गए और कहा कि पॉलिथीन के प्रयोग से हमारी जान भी जा सकती है क्योंकि जब हम उसे जलाते हैं तो उससे ज़हरीली गैस निकलती है जो टी बी और साँस लेने में तकलीफ़ जैसे अन्य रोग पैदा करती है।"
पॉलिथीन बंद करो
"बहुत कम लोगों को यह पता है कि वे सेना में भर्ती होने के पहले से ही सेना के लिए हॉकी खेलने लग गए थे। १४ साल की उम्र में वे अपने पिताजी के साथ सेना की दो टीमों के बीच मैच देखने गए थे। जब एक टीम हारने लगी जो ध्यान चंद ने अपने पिताजी से कहा कि अगर उनके पास हॉकी स्टिक होती तो वे उस टीम को जिता देते।"
ध्यान सिंह 'चंद' : हॉकी के जादूगर
"प्रचलित कहानियों के अनुसार ध्यान चंद सैनिक के अपने कार्य को पूरा करने के बाद हॉकी का अभ्यास किया करते थे। लेकिन तब तक रात हो जाया करती थी, और उस ज़माने में फ़्लड लार्इट्स नहीं थीं। इसलिए ध्यान चंद अभ्यास करने के लिए चाँद उगने का इंतज़ार किया करते थे। चाँदनी रातों में पेड़ दूधिया रोशनी में नहाए होते, जब कुत्ते हर जगह रो रहे होते, तब ये दुबला पतला नौजवान अपनी तेज़ गति से चलने वाली हॉकी स्टिक के साथ मैदान में दिखार्इ पड़ता जहाँ वो गेंद को गोल पोस्ट में डाल रहा होता।"
ध्यान सिंह 'चंद' : हॉकी के जादूगर
"खेल के दौरान कर्इ अवसरों पर वे पूरे मैदान को दौड़ कर पार कर लिया करते थे और इस दौरान गेंद उनकी स्टिक से ऐसे चिपकी रहती थी मानो उसे गोंद से चिपका दिया गया हो, और गेंद तभी उनकी स्टिक से अलग होती जब वो गेंद को गोल पोस्ट के अंदर दाग दिया करते। पूरे समय के दौरान सभी खिलाड़ी और गोलकीपर असहाय नज़र आते।"
ध्यान सिंह 'चंद' : हॉकी के जादूगर
"लेकिन वे सिर्फ़ हॉकी स्टिक के अपने कौशल के सहारे की ध्यान चंद नहीं बने। हॉकी, जो कि एक टीम का खेल है, उसमें ध्यान चंद एक प्रभावी टीम साथी के रूप में उभरे। जब वे मैदान में दौड़ रहे होते, उनका मस्तिष्क एक शतरंज की बाज़ी के रूप में सोचता। जैसे अपको पता होता है कि आपकी कक्षा में आपके मित्र कौन कौन से स्थान पर बैठते हैं और आप बिना देखे यह बता सकते हैं कि “काव्या यहाँ बैठती है, रोमिल यहाँ बैठता है” ध्यान चंद के लिए हॉकी ठीक वैसा ही था। बिना देखे उनको पता होता था कि उनके टीम के साथी कहाँ खड़े हैं, और वे किसको गेंद पास कर सकते हैं।"
ध्यान सिंह 'चंद' : हॉकी के जादूगर
"सेना में अपनी सेवा के दौरान समे वर का हमेशा स्थानांतरण होता रहा, इसलिए समे वर दत्त कभी भी अपने बच्चों के लिए निर्बाध शिक्षा को सुनिश्चत नहीं कर सके। अंत में जब सरकार ने उन्हें झाँसी में अपना मकान बनाने के लिए कुछ ज़मीन दी, तभी उनके जीवन में कुछ ठहराव आया। लेकिन तब तक ध्यान छह साल तक पढ़ कर स्कूल छोड़ चुके थे।"
ध्यान सिंह 'चंद' : हॉकी के जादूगर
"के खेल को पूरे जोश के साथ अपनाया। १६ साल की उम्र में जब वे सेना में भर्ती"
ध्यान सिंह 'चंद' : हॉकी के जादूगर
"टीम यूरोप रवाना होने से पहले अपने अभ्यास मैच में हार गर्इ - ध्यान ने टीम की ओर से दो गोल किये, लेकिन उनकी विरोधी बॉम्बे टीम ने तीन गोल कर दिये। इस हार ने टीम को जोश दिला दिया। उन्होंने इंग्लैंड व यूरोप में अभ्यास मैचों को इतने बड़े अंतर से जीता कि, मर्इ के महिने में जब टूर्नामेंट शुरु हुआ, बाकी टीमों के मन में ज़रूर भारत की इस तूफ़ानी टीम का डर बैठ गया होगा।"
ध्यान सिंह 'चंद' : हॉकी के जादूगर
"दुर्भाग्य से तब तक भारत हॉकी की एक शक्ति से पतन की ओर अग्रसर था। वो विश् व कप शायद अंतिम महत्वपूर्ण टूर्नामेंट था जिसे भारत जीत पाया था। रिटायर्ड मेजर, जिसके पास इस खेल में विजय की इतनी गौरवशाली यादें थीं कभी इस बात को स्वीकार नहीं कर पाए कि जो खेल उनके दिल के इतने करीब था, उसमें उनकी टीम इतना संघर्ष कर रही थी। जब १९७६ के मांट्रियल ओलंपिक में भारतीय टीम छठे स्थान पर रही तब ध्यान चंद ने दर्द बयान करते हुए कहा, “कभी नहीं सोचा था कि ऐसा दिन भी देखना पड़ेगा।”"
ध्यान सिंह 'चंद' : हॉकी के जादूगर
"मोरू को अंक अच्छे लगते थे। 1 का अंक उसे दुबला और अकेला सा लगता था तो 100 मोटा और अमीर सा। 9 कितना इकहरा और आकर्षक लगता खास तौर पर वह जब 1 के बगल में खड़ा हो कर 19 बन जाता। अंक उसे कभी न ख़त्म होने वाली सीढ़ी जैसे लगते। मोरू कल्पना करता कि वह एक-एक कर के सीढ़ी चढ़ रहा है।"
मोरू एक पहेली
"जब वह थक जाता तो खुद को सीढ़ियों के जंगले पर फिसलते हुए देखता और सब अंक उसकी ओर हाथ हिला रहे होते। दोपहर के खाने में अक्सर सबके आधे पेट रह जाने पर ख़त्म हो जाने वाले चावल से नहीं, उन दोस्तों से नहीं जिन्हें खेल जमते ही घर जाना होता, अंक हमेशा मोरू के पास रहते। कभी न ख़त्म होने वाले अंक कि जब चाहे उनके साथ बाज़ीगरी करो, छाँटो, मिलाओ, बाँटो, एक पंक्ति में लगाओ, फेंको, एक साथ मिलाओ या अलग कर दो।"
मोरू एक पहेली
"रोज़ सुबह शिक्षक बोर्ड पर कुछ लिख देते थे। उसके बाद ऊँची आवाज़ में सब बच्चों को अपनी स्लेटों पर उसे उतारने का आदेश देते। फिर वह बाहर चले जाते। अगर लड़के बोर्ड पर लिखी चीज़ों की नकल अच्छे से करते तो वह उन पर नज़र डाल लेते। अगर वह ऐसा नहीं कर पाते तो वह नाराज़ हो जाते। जब वह गुस्से में होते तो बच्चों को बुरा भला कहते। और जब गुस्सा और बढ़ जाता तो वह उन्हें मारते थे।"
मोरू एक पहेली
"अगले दिन मोरू ने स्कूल छूटने का इन्तज़ार किया। जब सब बच्चे जा चुके थे और शिक्षक अकेले थे, मोरू चुपचाप अन्दर आया और दरवाज़े पर आ कर खड़ा हो गया। शोरोगुल और हँसी मज़ाक के बगैर स्कूल कुछ भुतहा सा लग रहा था। शिक्षक ने नज़र उठाई और बोले, “अच्छा हुआ जो तुम आ गये। मुझे तुम्हारी मदद चाहिये।” मोरू को अचरज हुआ। शिक्षक क्या मदद चाहते होंगे? उनके पास तो मदद के लिये स्कूल में बहुत से बच्चे थे। वे धीरे से बोले, “क्या तुम किताबों को छाँटने में मेरी मदद कर सकते हो?”"
मोरू एक पहेली
"अँधेरा हो चला था और स्कूल में बिजली नहीं थी। “अब तुम्हें घर जाना चाहिये मोरू, पर कल फिर आ सकते हो?” शिक्षक ने पूछा, “पर क्या उस समय आओगे जब बच्चे यहाँ हों?” अगले दिन स्कूल शुरू होने के कुछ देर बाद मोरू आया। बच्चे उसे देख कर हैरान थे और कुछ डरे भी। अब तक मोरू का मौहल्ले के अकड़ू दादाओं में शुमार होने लगा था। “अब मेरी मदद करने वाला कोई है,” शिक्षक ने कहा।"
मोरू एक पहेली
"बारिश की मूसलाधार बूँदें जब उस पर ज़ोर-ज़ोर से पड़ती हैं,"
दीदी, दीदी, बादल क्यों गरजते हैं?
"और, जब यही चालक अपनी मोटर
साइकिल"
दीदी, दीदी, बादल क्यों गरजते हैं?
"मुझे लगता है कि जब वह बड़ा-सा पासा"
दीदी, दीदी, बादल क्यों गरजते हैं?
"और, इस तरह जब आसमान के बादल गरजते हैं"
दीदी, दीदी, बादल क्यों गरजते हैं?
"परन्तु जब दो परमाणु आपस में टकराते हैं तो कभी-कभी इलेक्ट्रॉनों का आदान-प्रदान हो जाता है। अब जिस परमाणु से इलेक्ट्रॉन निकल गए उसमें प्रोटोनों की मात्रा इलेक्ट्रॉनों से अधिक हो जाती है। अतः उस परमाणु में धन आवेश हो जाता है। इसी तरह, जिस परमाणु में इलेक्ट्रॉनों की संख्या प्रोटोनों से अधिक हो जाती है, उसमें ॠण आवेश हो जाता है। इन आवेश वाले परमाणुओं को आयन कहते हैं।"
दीदी, दीदी, बादल क्यों गरजते हैं?
"अब गरजते बादलों में, वायु ब़र्फ के टुकड़े और पानी की बूँदों को ऊपर की ओर ले जाती है। यह जब आपस में टकराते हैं तो इनके परमाणु आयन बन जाते हैं। अब धन आवेश वाले आयन हल्के होने की वजह से ऊपर उठते हैं और ॠण आवेश वाले आयन धरती की ओर, बादल के निचले हिस्से की ओर जाते हैं।"
दीदी, दीदी, बादल क्यों गरजते हैं?
"यह बिजली, अपने चारों ओर की वायु को बेहद गर्म कर देती है-सूरज जितना गर्म! अब यह गर्म वायु, बहुत तेज़ी से फैलती है, बिल्कुल बम के धमाके की तरह और जब बिजली की चमक समाप्त हो जाती है, तो उतनी ही रफ्तार से सिकुड़ती है। इसी वायु के धमाके को हम बादलों के गर्जन के नाम से जानते हैं।"
दीदी, दीदी, बादल क्यों गरजते हैं?
"गुब्बारे पर ऊन रगड़ने से, दोनों के बीच में इलेक्ट्रॉनों का आदान-प्रदान हो जाता है। गुब्बारे
में इलेक्ट्रॉनों की मात्रा अधिक होने से उसमें
ॠण आवेश हो जाता है। अब जब तुम इस
गुब्बारे को दीवार पर लगाते हो, तो गुब्बारे के"
दीदी, दीदी, बादल क्यों गरजते हैं?
"अगले दिन सभा में, कोट्टवी राजा ने पूछा, “मुख्य मंत्रीजी, आप क्या करते हैं जब आपको रात में नींद नहीं आती?”"
कोट्टवी राजा और उनींदा देश
"और जब समुद्र के अंदर सैर करते - करते हमारा मन गया भर, तभी हमें यह ड्यूगॉन्ग समुद्री घास चरती आयी नज़र।"
गहरे सागर के अंदर!
"झटपट अमरूद खाने के इरादे से एक जगह जाकर बैठ गई। अमरूद पर एक चोंच ही मारी थी कि उसे सिर पर भारी चोट महसूस हुई। आँखों के आगे अँधेरा छा गया और वह गिर पड़ी। यह कैसे हुआ? जब उसने अमरूद खाना शुरू कि या था उसी समय एक कौआ एक लकड़ी के टुकड़े करे चोंच में दबाकर उड़ रहा था। वह लकड़ी का टुकड़ा उसकी चोंच से निकलकर गौरैया की खोपड़ी पर गिर पड़ा। बस, यहीं पर कहानी खतम!"
गौरैया और अमरूद
"जादव तब तक पेड़ लगाते रहेंगे जब तक कि सारी दुनिया,"
जादव का जँगल
"आम खाया? मज़ा आया? एक और खाने का मन है? बेशक, आप दुकान पर जाकर ख़रीद सकते हैं। लेकिन इससे कहीं ज़्यादा मज़ा आएगा तब, वह भी मुफ़्त में, जब आप अपने खाए आम की गुठली से और आम तैयार करेंगे! बस इसके लिए आपको चाहिए ढेर सारा समय और धैर्य!"
जादव का जँगल
"कुछ साल में, जब आप पहले से लंबे हो जाएँगे, तब आपका आम का पेड़ भी आपके साथ बढ़ रहा होगा। बढ़ते-बढ़ते वह एक बड़े पेड़ में बदल जाएगा जिस पर आप चाहें तो चढ़ सकेंगे, या फिर उसके साये में पिकनिक कर सकेंगे। तब शुरू होगा असली मज़ा! तब आपका पेड़ आम देने लगेगा, जिन्हें आप और आपके दोस्त खा सकेंगे। इससे भी ज़्यादा बढ़िया बात यह होगी कि आम खाना पसंद करने वाले तमाम दूसरे जीव भी आपके पेड़ की ओर खिंचे चले आएंगे - पक्षी, चींटियाँ, गिलहरियाँ, चमगादड़, बन्दर और मकड़ियाँ।"
जादव का जँगल
"“पर मीरा जब मैं शिक्षकों के कमरे में गयी, मुझे तो वहाँ कोई नहीं दिखा!”"
अम्मा जब स्कूल गयीं