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Nya Ξlimu
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Nya Ξlimu
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Storybook paragraphs containing word (105)

"वह कभी शिकायत हीं करता। क्योंकि ऑटो वाले शिरीष जी भी बहुत मेहत करते थे। शिरीष जी की बूढ़ी हड्डियों में बहुत दर्द रहता था फिर भी वह अर्जु के डैशबोर्ड को प्लास्टिक के फूलों और हीरो-हेरोइ की तस्वीरों से सजाये रखते। कतार चाहे किती ही लंबी क्यों हो वह अर्जु में हमेशा साफ़ गैस ही भरवाते। और जैसे ही अर्जु की कैोपी फट जाती वह बिा समय गँवाए उसे झटपट ही ठीक कर लेते।"
उड़ने वाला ऑटो

"लेकि कहीं कहीं अर्जु के म में एक इच्छा दबी हुई थी। वह उड़ा चाहता था।
 वह सोचता था कि किता अच्छा होता अगर उसके भी हेलिकॉप्टर जैसे पंख होते, वह उसकी कैोपी के ऊपर की हवा को काट देते!
 शिरीष जी अपे सिर को एक अँगोछे से लपेट लेते जो हवा में लहर जाता। और “फट फट टूका, टूका टुक,” आसमा में वे उड़िकल पड़ते।"
उड़ने वाला ऑटो

"उसे सड़कों का बहुत बड़ा जाल दिखाई दिया माो किसी शरारती मकड़े े बाया हो।
 फटी आँखों से शिरीष जी खुशी में चीख रहे थे। तो वह हैंडल बार को पकड़े हुए थे और ही गाड़ियों से बचे की कोशिश कर रहे थे।"
उड़ने वाला ऑटो

"“लेकि हम क्या कर रहे हैं?” अर्जु े सोचा। “हम कहाँ जा रहे हैं? अगर मुझे चलाया हीं गया तो मेरा क्या होगा?” अर्जु े अब से पहले कभी इता आज़ाद महसूस हीं किया था, और ही इता परेशा।"
उड़ने वाला ऑटो

"शोरोगुल भरे रास्तों से कहीं ऊपर इस शांत माहौल में अर्जु को याद 
आ रही थी मोटर कारें, साइकिलें और बसों से पटी सड़कें। उसीचे देखा। काम में जुटे उसके परिवार के सदस्यों की छोटी-छोटी कैोपी पीले बि्दुओं की तरह चमक रही थीं।
 अर्जु को उ लोगों की भी याद आई जो हमेशा कहीं कहीं जाे के लिए तैयार रहते थे।
 एक ई मंज़िल, एक ई जगह... “फट, फट, टूका, टूका, टुक।”"
उड़ने वाला ऑटो

"हर सफ़र एक या सफ़र, कभी खत्म होे वाले एक लम्बे सफ़र का अोखा हिस्सा।"
उड़ने वाला ऑटो

"याद है कि आटे को गूँधे के लिये इस में पाी मिलाया गया था? ज़्यादा तापक्रम की वजह से पूरी के अंदर का पाी भाप ब कर उड़ जाता है। यह भाप बहुत ताकतवर होती है और इससे ग्लूटे की सतह ऊपर चली जाती है। इसी वजह से पूरी फूलती है।"
पूरी क्यों फूलती है?

"पाी की मदद से आटा गूँध लेते है। आटे को गूँधते समय बस इता ही पाी डाले कि आटा बहुत कड़ा हो और ा ही बहुत मुलायम। हथेली के िचले हिस्से की मदद से कुछ मिट तक इसे थोड़ा और गूँधते है। चाहें तो, थोड़ा सा तेल भी इस्तेमाल कर सकते है जिससे गुँधा आटा आपके हाथ में चिपके हीं। गुँधे आटे को करीब 10 मिट तक ढ़क कर रख देते है। अब इस गुँधे आटे को, कुछ मिट के लिए दोबारा गूँधते है।"
पूरी क्यों फूलती है?

"2. मधुमक्खियों से जुड़ी एक मजेदार बात आपको बताते है, ्ही मधुमक्खी के दिमाग की तरह काम करते समय इका दिमाग बूढ़ा हीं होता, वो बस किसी ्ही मधुमक्खी के दिमाग की तरह काम करे लगता है अब आप भी चाहते है एक मधुमक्खी बा !"
मधुमक्खियाँ क्यों भन-भन करती हैं?

"विमा वास्तव में एक विशाल पक्षी है! सिर्फ़ इसका आकार पक्षी की तरह है, बल्कि ये उड़ते भी हैं, हालाँकि पक्षियों की तरह हीं। सरला बड़ी होकर विमा चालक बा चाहती है और हवाई जहाज़ उड़ाा चाहती है।"
हवाई जहाज़ कैसे उड़ते हैं?

""समझ गयी पुट्टी!" पुट्टा फुसफुसाया, "बिजली वाली ट्रे ही साफ रेलगाड़ी थी।""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?

"धी को पता था कि आश्रम में कोई बड़ी योजा ब रही है, पर उसे कोई कुछ बताता। “वे सब समझते हैं कि मैं ौ साल का हूँ इसलिए मैं बुद्धू हूँ। पर मैं बुद्धू हीं हूँ!” धी म-ही-म बड़बड़ाया।"
स्वतंत्रता की ओर

"साबरमति में सबको कोई कोई काम करा होता-खाा पकाा, बर्त धोा, कपड़े धोा, कुएँ से पाी लाा, गाय और बकरियों का दूध दुहा और सब्ज़ी उगाा। धी का काम था-बिी की देखभाल करा। बिी, आश्रम की एक बकरी थी। धी को अपा काम पस्द था क्योंकि बिी उसकी सबसे अच्छी दोस्त थी। धी को उससे बातें करा अच्छा लगता था।"
स्वतंत्रता की ओर

"कुछ साल बाद, ल्यूसियस दंत विज्ञा की पढ़ाई के लिए पेरिस गया। वहाँ उ्होे कलाकार (पेंटर) को धातु की ट्यूब दबाकर उससे पेंट की थोड़ी मात्रा िकाल, पेंट-ब्रश पर लगाते देखा। क्यों हम इसी तरह के ट्यूब का उपयोग टूथपेस्ट रखे के लिए करें! वह घर आया और अपा सुझाव पिता के सामे रखा। उ्हें भी यह सुझाव बहुत पसंद आया।"
टूथपेस्ट ट्यूब के अंदर कैसे आया?

"हाँ, बिलकुल सही! उ्होंे ढक्क को पेंच से कसा और ट्यूब के दूसरे हिस्से को पूरी तरह खुला छोड़ा। ट्यूब के बड़े पिछले हिस्से को भरा सचमुच आसा था! ख़ासकर जब तुम्हारे पास पेस्ट के साथ पंप के लिए कुछ हो, जैसे कि पिचकारी। इसके बाद यही करा बाकी रहा कि ट्यूब के उस खुले सिरे को कसकर बंद किया जाए ताकि पेस्ट बाहर िकले।"
टूथपेस्ट ट्यूब के अंदर कैसे आया?

"”और हम भी इससे पहले कभी किसी बोले वाले पेड़ से हीं मिले!” टूका े चहकते हुए कहा। ”इसलिए, हम सभी के लिए कुछ कुछ या है।” इता सुकर, पच्चा जोर से हँसा, और उसके हँसते ही, उसके डालों की सारी पत्तियाँ सुर्ख़ हरी हो गई।"
आओ, बीज बटोरें!

"पच्चा े समझाया, “तुम इस सेब को खाा शुरू करो जब तक कि इसके बीच वाले हिस्से तक पहुँच जाओ। सेब के बीच में तुम्हे छोटे-छोटे भूरे रंग के बीज दिखेंगे।“"
आओ, बीज बटोरें!

"“हैं प्यारे? वैसे ये बीज ही बड़े होकर सेब का पेड़ बते हैं,“ पच्चा बोला।"
आओ, बीज बटोरें!

"मेरा म जाे कहाँ भटके लगा है।"
क्या होता अगर?

""वह महिला अफ़सर सुरक्षा जाँच टीम की सदस्य है। उ्हें इस बात का ध्या रखा होता है कि कोई भी यात्री अपे सामा में विस्फोटक या चाक़ू जैसी ख़तराक चीज़ें ले जा पाए। हमें उके काम में बाधा हीं डाली चाहिए।""
राजू की पहली हवाई-यात्रा

"“और मुझे यह मोटा-सा चश्मा हीं पसंद, मगर मैं तो पहती हूँ ्हें, कि हीं?” दादी े पूछा।"
कोयल का गला हुआ खराब

"कुछ कुछ देते हैं पेड़,"
हर पेड़ ज़रूरी है!

"पर कुछ हाथ लगा।"
मेंढक की तरकीब

"“रॉकी! पता है हमें कम्पोस्ट बे के लिए क्या चाहिए?”"
रोज़ और रॉकी चले कम्पोस्ट बनाने

"ये पत्ते तो बहुत बड़े हैं और ही बहुत छोटे।"
द्रुवी की छतरी

"उी अंकल तब तक हीं माते जब तक मैं कचरे का प्रत्येक अंश इकट्ठा कर लूँ।"
आनंद

"कभी ख़त्म होती"
छुट्टी

"चेहरे पर कोई मुस्का, कोई चमक थी। डॉक्टर े दवाई दी थी।"
दीदी का रंग बिरंगा खज़ाना

"‘‘हीं! मैंे मा किया !’’ में सिर हिलाते हुए कहा।"
एक सफ़र, एक खेल

"मुिया जाती थी कि एक पंख वाले उस विशालकाय गजपक्षी े घोड़े को हीं िगला है। हाँ, वह इता बड़ा तो था कि एक घोड़े को िगल जाता, लेकि इसका मतलब यह भी हीं कि उसे उसे िगल ही लिया था! टखट झील के पास वाले उस जंगल से ग़ायब हुआ था जहाँ वह गजपक्षी रहता था। अधिया गाँव में दो घोड़ों - टखट और सरपट द्वारा खींचे जाे वाली केवल एक ही घोड़ागाड़ी थी। जंगल के अंदर बसे इस छोटे से गाँव में पीढ़ियों से लोगों को इस विशालकाय एक-पंख गजपक्षी के बारे में मालूम था। चूँकि वह किसी के भी मामले में अपी टाँग हीं अड़ाता था, इसलिए गाँव का कोई भी बंदा उसे छेड़ता था।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"दि के समय वह गजपक्षी झील के पास आया करता या तो धूप तापे या फिर झील में पाी छपछपाते हुए अकेला खुद से ही खेले। कभी-कभी वह पाी में आधा-डूब बैठा रहता और बाकी समय उसका कोई सुराग़ ही मिलता। तब शायद वह घे जंगल के किसी बीहड़ कोे में बैठा आराम कर रहा होता। विशालकाय एक-पंख गजपक्षी एक पेड़ जिता ऊँचा था। उसकी एक लम्बी और मज़बूत गर्द थी, पंजों वाली हाथी समा लम्बी टाँगें थीं और भाले जैसा एक भारी-भरकम भाल था। उसके लम्बे-लम्बे पंजे और ाखू डरावे लगते थे।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"पर मुिया जल्द ही यह जा गयी कि वह शर्मीला और घासफूस खाे वाला एक शा्त पक्षी है। वह बस झील के किारे लगे पौधे और पत्तियाँ चबाता रहता। मुिया को महसूस हुआ कि उसमें और उस गजपक्षी में कुछ समाता है। सही तो है, विशालकाय एक-पंख गजपक्षी उड़ हीं सकता था और मुिया दौड़ हीं सकती थी! गाँव के बाकी सारे बच्चे उसके लँगड़ाे का मज़ाक उड़ाते और अपे खेलों में उसे शामिल करते। इसलिए उसे अकेले रहा ही अच्छा लगता।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"मुिया को यह अहसास हमेशा सताता रहता कि गजपक्षी को पता है कि मुिया कहीं आसपास है, क्योंकि वह अक्सर उस पेड़ की दिशा में देखता जिसके पीछे वह छुपी होती। हर सुबह मुिया गाँव के कुएँ से ती मटके पाी भर लाती और लकड़ियाँ ले आती ताकि उसकी अम्मा चूल्हा फूँक सकें। इसके बाद वह हँसते-खेलते अपी झोंपड़ी से बाहर चली जाती। अम्मा समझतीं कि वह गाँव के बच्चों के साथ खेले जा रही है। उ्हें यह पता था कि मुिया जंगल में उस झील पर जाती है जहाँ वह विशालकाय एक-पंख गजपक्षी रहता था।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"एक दि, मुिया े बाहर खुले में आे की हिम्मत बटोरी। अपा सिर घुमाये बिा उस विशालकाय े पहले तो अपी आँखें घुमाकर मुिया को देखा और फिर उ्हे बंद कर उसे मुिया के आगे बढ़े की कोई परवाह हीं की। उसके सिर पर भातीं मक्खियों से ज़्यादा ध्या खींच पाे के चलते मुिया धम्म से अपे पैर पटक उसकी ओर बढ़ी। अचाक उस विशालकाय े अपा एक पंजा उठाया। मुिया चीखी और झील के उथले पाी में सिर के बल गिर पड़ी। पाी में भीगी-भीगी जब वह झील से बाहर आयी तो क्या देखती है कि गजपक्षी का समूचा बद हिलडुल रहा है। वह समझ गयी कि वह हँस रहा था!"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"अधिया एक छोटा, अलग-थलग गाँव था जिसमें हर कोई हर किसी को जाता था। गाँव में तो कोई चोर हो हीं सकता था। दूधवाले े कसम खाकर कहा था कि उसटखट को झील की ओर चौकड़ी भरकर जाते हुए देखा है। लेकि वह इस बात का खुलासा कर पाया कि आखिर टखट बाड़े से कैसे छूट कर िकल भागा था। दि में बारिश होे के चलते टखट के खुरों के सारे िशा भी मिट चले थे और उ्हें देख पाा मुमकि था।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"“टखट का कहीं कोई ामोिशा हीं। हो सकता है बाड़े का दरवाज़ा ठीक से बंद किया गया हो और वह भाग िकला हो।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"मुिया एक पल को तो ठिठकी पर अगले ही पल उसे जंगल में आराम से सोते उस महाकाय का ख़याल आया। वह अगर हीं गयी तो वह शायद अगली रात भी देख पाये। एक गहरी साँस लेकर उस आधी रात को ही जंगल से होकर च्देसरा जाे वाले रास्ते पर लँगड़ाते-लँगड़ाते चल पड़ी।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"“जैसा कि आप जाते हैं, कुछ साल पहले मैंटखट को बेच दिया था। कल मैं टखट के भाइयों - बाँका और बलवा के द्वारा खींची जाे वाली बग्घी में सवार आपके गाँव से गुज़र रहा था। मुझे हीं मालूम कि किस तरह से टखट अपे आपको छुड़ा हमारे पीछे-पीछे भागकर च्देसरा चला आया। मैं उसे पहचा सका और यह समझ पाया कि इसका करूँ तो करूँ क्या। फिर आज सुबह मैंे इस ्ही-सी बच्ची को एक झोंपड़ी से दूसरी झोंपड़ी जाते और एक गुमशुदा घोड़े के बारे में पूछते हुए देखा। लेकि या इलाही ये माजरा क्या है?” तीसरी बार उसे अपा वही सवाल किया।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"सब फटाफट कुछ कुछ ले आये।"
सैर सपाटा

"बंदर े पैर सहलाया। वह चुप हुआ।"
वह हँस दिया

"भालू दादा े गोद उठाया। वह चुप हुआ।"
वह हँस दिया

"क्या भर दी चूा हल्दी?"
सबरंग

"मेरे पास ा अब फिर।"
सबरंग

"ज़रा लाई गई दवाई?"
सबरंग

"घर वालों के काम आए"
सबरंग

"दादी े जो ज़र घुमाई तो दिया महाराज दिखाई।"
सबरंग

"एक भी चीज़ ीचे गिरती।"
निराली दादी

"माँ कहती हैं, “ज़रा रुको अभी तो हम ट्रे में बैठे भी हीं।
 भूख लगी है, तो मेरे पास मिठाइयाँ हैं।
 प्यास लगी है, तो मेरे पास पाी है।
 लेकि जब तक ट्रे आये, तब तक इ्तज़ार करो।”"
चाचा की शादी

"बादल कैसे सुते?"
बारिश में क्या गाएँ ?

""क्या किया जाए," चुलबुल सोच में पड़ गई। बहुत सोच-विचार के बाद उसके दिमाग में एक बात आई। क्यों डॉक्टर बोम्बो भालू के पास चला जाये।"
चुलबुल की पूँछ

""ओह, परेशा हों दादाजी, मैं अभी जाता हूँ और अपा बक्सा लेकर आता हूँ।""
गुल्ली का गज़ब पिटारा

""चिंता करें चाचा, मैं बस यूँ गया और यूँ आया।" गुल्ली बोला।"
गुल्ली का गज़ब पिटारा

"लेकि वह डरती कि कहीं कचरे का बादल फिर आ जाए।"
कचरे का बादल

"- कूड़ा-कचरा बिल्कुल बिखेरें। हमेशा, कूड़ेदा में ही डालें।"
कचरे का बादल

"तो उसका छिलका सड़क पर फेंके।"
कचरे का बादल

"- कूड़ेदा को ढक दीजिये जिससे उस में मक्खियाँ बिलकुल पहुँच पाएँ।"
कचरे का बादल

"“ए मुी! परे हट, मैं तेरे अंडे खाे आया हूँ,” वह चहक कर बोला। मुी समझदार गौरैया थी। वह झटपट बोली, “काका किसी की क्या मजाल कि तुम्हारी बात माे? लेकि मेरी एक विती है। मेरे अंडों को खाे से पहले तुम ज़रा अपी चोंच धो आओ। यह तो बहुत ग्दी लग रही है।”"
काका और मुन्नी

"मुखिया घबराया बोला, “हाय, ऐसा क्या?” थोड़ी देर सोचे के बाद उसे कहा, “आप बिल्कुल चिंता कीजिए।”"
मछली ने समाचार सुने

"“आपको कोई तकलीफ़ हो इसकी व्यवस्था मैं करूँगा।” सभी की माो जा में जा आई। कॉफ़ी पीकर मुखिया उको िश्‍चित रहे का ढाँढस बँधा कर घर गया।"
मछली ने समाचार सुने

"सभी को लगा कि दादा मछली े अगर उस दि वह समाचार सुा होता तो यह दुर्घटा घट ही जाती।"
मछली ने समाचार सुने

"बच्चे गोमती के किारे वाले मेले पहुँच चुके थे। क्या मज़े-मज़े की चीज़े थीं वहाँ! रंगबिरंगी काँच की चूड़ियाँ, रिब, हार, मिट्टी के बे पशु-पक्षी, सिपाही और गुड़िया-सब के लिए कुछ कुछ! मेले की चकाचौंध में बच्चे अपी बह के बारे में सब भूल-भुला गए।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने

"ईद के दि भी दोों दोस्त अपे पंछियों की उछल-कूद देख रहे थे। मुु को लगा मुमताज़ आज बहुत उदास है, इती उदास कि कहीं वह रो ही दे। “क्या बात है, आपा, आज इती गुमसुम क्यों हो? क्या हरदोई की याद आ रही है? क्या वहाँ तुम्हारे और भी पालतू पंछी हैं?”"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने

"“देखती हूँ ! देखती हूँ कि मैं भी लोट और लक्का की तरह ीले आसमा में उड़ रही हूँ और जाे कहाँ-कहाँ जाती हूँ सपों में,” मुमताज़ बोली, “शायद उड़ते-उड़ते किसी रोज़ कहीं ी से मुलाकात ही हो जाए...।”"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने

"“आखिर मुमताज़ े यह सब कहाँ से सीखा? वह कहीं बाहर आती-जाती है, कोई ई चीज़ ही देखती है-तो फिर इते सुंदर रंगों में ऐसी बढ़िया कढ़ाई वह कैसे बा लेती है,” मेहरु तुक कर बोली।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने

"“उदास हो, आपा,” मुु बोला, “ी की चादर कब काम आएगी! जाओ, उसे ले आओ और खूब ध्या लगाकर सोचो। कौ जाे आज तुम किस जादुई गरी में पहुँच जाओ!”"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने

"अब तो कमरु और मेहरु की जल का ठिकाा ही हीं रहा। मुमताज़ का कहीं और ाम हो जाए, इसके लिए उ्होंे एक और योजा बाई। काढ़े से पहले कपड़े पर कच्चे रंग से मूे की छपाई होती थी। कढ़ाई होे के बाद कपड़े को धोया जाता था जिससे वे सब रंग िकल जाते थे।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने

"रज़ा और उसके अब्बा े, एक के बाद एक कई पटके बाँध कर दिखाये-हरा और पीला, ारंगी और जामी, पर अकबर को कोई भी सुहाया।"
रज़ा और बादशाह

"सुो, मैं तुम्हें एक सलाह देा चाहता हूँ। यह ठीक है कि तुम हमारे स्कूल में ई हो। लेकि अगर तुम चाहती हो कि कोई तुम्हें घूर-घूर कर देखे, और तुम्हारे बारे में बातें करें, तो तुम्हें भी हर समय सबसे अलग-थलग खड़े रहा बंद करा होगा। तुम हमारे साथ खेलती क्यों हीं? तुम झूला झूले क्यों हीं आतीं? झूला झूला तो सब को अच्छा लगता है। तुम्हें स्कूल में दो हफ्ते हो चुके हैं, अब तो तुम खुद भी आ सकती हो। मैं हमेशा तो तुम्हारा ध्या हीं रख सकता ।"
थोड़ी सी मदद

"तुम जाती हो कि सँयोग क्या होता है? यह ऐसी बात है कि जैसे तुम कुछ कहो और थोड़ी देर में वही बात कुछ अलग तरीके से सच हो जाए। पिछले पत्र में मैंे तुम्हें सुमी और जूतों के फीतों के बारे में बताया था। और उसके बाद, आज, मैंे तुम्हें जूतों के फीते बाँधते हुए देखा। वाह, यह अद्भुत था! मैं सोचता हूँ कि तुमे यह काम मुझसे ज़्यादा जल्दी किया जबकि मैं दोों हाथों से काम करता हूँ। अगर तुम मेरी दोस्त होतीं तो मैं तुम्हारे साथ जूते के फीते बाँधे की रेस लगाता। हीं, हीं, शायद मैं तुम्हें कहता कि मुझे भी एक हाथ से फीते बाँधा सिखाओ।"
थोड़ी सी मदद

"सुो, हमारे साथ खेले के बारे में मैे पहले जो कुछ भी कहा है उसके लिए मैं क्षमा माँगता हूँ। मुझे लगता है कि तुम सिर्फ़ शर्माती हो। और मैंे एक ही हाथ का इस्तेमाल करते हुए झूला झूले की भी कोशिश की। और यह काम बहुत ही मुश्किल है, झूले को दोों हाथों से पकड़ कर रखा जाए तो शरीर का संतुल हीं ब पाता। लेकि तुम जैसे जँगल जिम की उस्ताद हो। भले ही तुम बार पर लटक हीं पातीं लेकि तुम सचमुच बहुत तेज दौड़ती हो, अली से भी तेज, जिसे खेल दिवस पर पहला इाम मिला था।"
थोड़ी सी मदद

"मुझे लगता है कि मुझे यह बात पहले ही तुम्हें बता देी चाहिए थी- जब भी वार्षिकोत्सव आे वाला होता है, प्रिंसिपल साहब कुछ सक से जाते हैं। वे तुम पर चिल्ला सकते हैं - वे किसी को भी फटकार सकते हैं। अगर ऐसा हो, तो बुरा माा। मेरी माँ कहती है कि वे बहुत ज़्यादा ताव में आ जाते हैं, क्योंकि वार्षिकोत्सव कैसा रहा इससे पता चलता है कि उ्होंे काम कैसा किया है।"
थोड़ी सी मदद

"तुम्हारा या हाथ तो बहुत ही बढ़िया है! बुरा माा, लेकि पुराा वाला हाथ कुछ उबाऊ था। बस था... ाम को। जबकि या वाला तो बिल्कुल जादू जैसा है, और तुम उँगलियाँ भी चला सकती हो और उसे चीजें भी पकड़ सकती हो! मुझे उम्मीद है कि अगर मैं तुमसे हाथ मिलाे के लिए कहूँ तो तुम बुरा हीं माोगी। अरे यह बात बस मेरे मुँह से यूँ ही िकल गई। कल देखेंगे कि क्या तुम इस से कुछ सामा भी उठा सकती हो।"
थोड़ी सी मदद

"ओह! मुझे अभी अहसास हुआ है कि मैंे तुम्हें जो दो आखीरी पत्र लिखे हैं, उमें मैंे तुम्हारे प्रॉस्थेटिक हाथ के बारे में बात ही हीं की। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि मैं इसके बारे में बिल्कुल ही भूल गया था और मेरे पास तुम्हें बताे के लिए और भी बातें थीं। मज़ेदार बात यह है कि तुम्हारे हाथ को लेकर अब मेरे म में कोई सवाल हीं उठते। जाे क्यों!"
थोड़ी सी मदद

"ब. उससे कहेंगे कि उकी परवाह करे। वह बदतमीज़ हैं।"
थोड़ी सी मदद

"भागते कल्लू के पास जवाब देे की फुर्सत कहाँ थी? धरमपाल चाचा को मज़ाक सूझता रहता है, बड़बड़ाते कल्लू े कदम ताल तोड़ी। यहाँ कल्लू की जा पर ब आई थी और उ्हें अपे पकोड़ों से फुर्सत हीं। और कल्लू की स्कूल की देरी में हँसे वाली कौ सी बात थी? वह तो हर हफ़्ते की कहाी थी!"
कल्लू कहानीबाज़

"कल्लू ाक पोंछ के सिर हिलाया। तब तक वे दोों कक्षा में पहुँच चुके थे और कल्लू अपी जगह की तरफ़ बढ़ा। मास्टर जी तुर्त बोले, “कहाँ जा रहे हो? कोे में खड़े हो जाओ। का पकड़ो।”
 उसके सहपाठी हँसे लगे और मास्टर जी े आखिरी धमकी फेंकी, “शायद मैं तुम्हें अगली कक्षा में चढ़ाऊँ। कल्ल-आठवीं फेल देर से आे से अंक कटे की वजह से।”
 और आज वह फिर देर से जा रहा था।"
कल्लू कहानीबाज़

"कल्लू े पैरों पर ब्रेक लगाया और जल्दी-जल्दी बोले लगा, “मास्टर जी, माफ़ कर दीजिये मुझे देरी हो गयी। पर आज बिल्कुल भी मेरी गलती हीं थी! मुझे शब्बो को हलाे के लिये मदद करी थी। आप जाते हैं उसकी टाँग टूट गई है और।“अचाक से कल्लू चुप हो गया। उसे कुछ ऐसा देखा जिससे कि उसकी ज़बा पर ताला पड़ गया। मास्टर जी, दुिया के सबसे डरावे इ्सा, ठहाका मार के हँस रहे थे।"
कल्लू कहानीबाज़

"एक बार की बात है, जब हम शहर जा रहे थे, तब हमे देखा कि शहर और देहात में पॉलिथी बहुत उपयोग किया जाता है। तब हमे सोचा कि क्यों हम सब मिलकर कुछ करें।"
पॉलिथीन बंद करो

"यह सब मैंे अपे गाँव में सीखा था। आज मेरे गाँव में किसी को टी बी है ही साँस लेे में दिक्कत क्योंकि मेरा गाँव एक पॉलिथी मुक्त गाँव है। हम सब अ्य गाँव में उ्हें भी पॉलिथी मुक्त बे के लिए एक ही ारा लगाते हैं – "पॉलिथी बंद करो जीव की शुरुआत करो।""
पॉलिथीन बंद करो

"मोरू को देख कर लगता था कि गंगा के इस पार या उस पार वाला मुहावरा उसी के लिये लिखा गया था। उसकी पसंद या ापसंदगी बड़ी ज़बरदस्त थी। जो काम वह हीं करा चाहता वह कोई भी उससे करवा हीं सकता था और ही कोई उसे अपे म का काम करे से रोक सकता था। मोरू एक पहेली जैसा था।"
मोरू एक पहेली

"मोरू को अंक अच्छे लगते थे। 1 का अंक उसे दुबला और अकेला सा लगता था तो 100 मोटा और अमीर सा। 9 किता इकहरा और आकर्षक लगता खास तौर पर वह जब 1 के बगल में खड़ा हो कर 19 ब जाता। अंक उसे कभी ख़त्म होे वाली सीढ़ी जैसे लगते। मोरू कल्पा करता कि वह एक-एक कर के सीढ़ी चढ़ रहा है।"
मोरू एक पहेली

"जब वह थक जाता तो खुद को सीढ़ियों के जंगले पर फिसलते हुए देखता और सब अंक उसकी ओर हाथ हिला रहे होते। दोपहर के खाे में अक्सर सबके आधे पेट रह जाे पर ख़त्म हो जाे वाले चावल से हीं, उ दोस्तों से हीं जि्हें खेल जमते ही घर जाा होता, अंक हमेशा मोरू के पास रहते। कभी ख़त्म होे वाले अंक कि जब चाहे उके साथ बाज़ीगरी करो, छाँटो, मिलाओ, बाँटो, एक पंक्ति में लगाओ, फेंको, एक साथ मिलाओ या अलग कर दो।"
मोरू एक पहेली

"एक दि मोरू दीवार पर बैठा बच्चों को स्कूल जाते देख रहा था। अब उससे कोई हीं पूछता था कि वह उके साथ क्यों हीं आता। बल्कि अब तो बच्चे उससे बचते थे क्योंकि वह डरते थे कि मोरू उ्हें परेशा करेगा। शिक्षक भी वहाँ से गुज़र रहे थे। मोरू े उ्हें देखा। उ्होंे मोरू को देखा। कोई मुस्कराया और किसी े भवें सिकोड़ीं।"
मोरू एक पहेली

"बताओ भी मुे राजा, क्या लगता है तुम्हें?"
दीदी, दीदी, बादल क्यों गरजते हैं?

"कहो दीदी, ठीक कहा मैंे?"
दीदी, दीदी, बादल क्यों गरजते हैं?

"बताओ दीदी, क्या पढ़ा है आपे,"
दीदी, दीदी, बादल क्यों गरजते हैं?

"बोलो मुा क्या सोचा तुमे?"
दीदी, दीदी, बादल क्यों गरजते हैं?

" तो कुंभकर्ण, तो हवाई जहाज़ है,"
दीदी, दीदी, बादल क्यों गरजते हैं?

"कहो दीदी, हूँ मैं समझदार?"
दीदी, दीदी, बादल क्यों गरजते हैं?

"कैसा लगा, दीदी? ठीक कहा मैंे?"
दीदी, दीदी, बादल क्यों गरजते हैं?

"कल रात उ्हें ींद हीं आई थी और उसकी पिछली रात। ही उससे पहले कुछ तीस रात। उ्होंे ध्या लगाे की कोशिश की। मगर वाक्य अस्पष्ट हो रहे थे!"
कोट्टवी राजा और उनींदा देश

"राज विदूषक े और जोड़़ा, “अगर और किसी से काम े महाराज, तो एक अच्छी कहाी तो िश्चित रूप से आपको सुला देगी।”"
कोट्टवी राजा और उनींदा देश

"बिस्तर पर करवट बदलते बदलते वो परेशा हो गए और मुख्य मंत्री पर उ्हें बड़़ा ही गुस्सा आया। िद्रा देवी अब भी लापता थीं! उ्हें लगा, शायद उ्होंे भरपेट खाया हो।"
कोट्टवी राजा और उनींदा देश

"इस 'ट्रम्पेटफ़िश’ े ख़ुद को दूसरों की ज़र से बचाे के लिए,... 'येलो टैंग’ के झुंड में अलग ज़र े के लिए, अपा रंग ही बदल डाला। फिर भी क्या तुमे इसे आसाी से हीं ढूंढ िकाला?"
गहरे सागर के अंदर!

"चींटी कुछ दूर रहती थी पर और कोई उपाय होे की वजह से गौरैया उसके पास गई।"
गौरैया और अमरूद

"यह साँप सामा्य, स्वस्थ साँपों की तरह सरसरा और लहरा हीं रहे थे। जादव उके बीच पहुँचे तो भी तो उ्होंे फुफकारा, वहां से भागे और ही उ्हें काटे की कोशिश की। वह तो बस रस्सियों की तरह थके-हारे, अलसाये से पड़े रहे।"
जादव का जँगल

"लेकि जहाँ बहुत सारे पेड़ हों, वहाँ पेड़ों पर रहे वाले जीव-जंतु हों, ऐसा कैसे हो सकता था? एक जीव से शुरू हुआ यह सिलसिला आगे बढ़ता चला गया।"
जादव का जँगल

"जादव की कई-पेड़ों-वाली-जगह अब जँगल में बदल चुकी थी! और जादव की ख़ुशी का ठिका था!"
जादव का जँगल

"सबसे पहले अपे घर के पास एक अच्छी सी ख़ाली जगह ढूँढें। आम खाे के बाद जो गुठली बचा कर रखी है, उसे बोे के लिए ऐसी जगह चुे जहाँ ज़मी ज़्यादा सख़्त हो और धूप ख़ूब आती हो। अपे दोस्त, भाई-बह या किसी बड़े की मदद से आठ-दस इँच गहरा गड्ढा खोद कर बीज को उसमें डालें और मिट्टी से ढक दें।"
जादव का जँगल

"फिर दो जग पाी डाल कर सींचें। आपको कई हफ़्ते तक मिट्टी सूखे पर सिंचाई करी पड़ेगी, और इंतज़ार करा पड़ेगा तब कहीं गुठली में से पौधा िकलेगा! पौधे को बड़ा होे में बहुत समय लगता है। इसलिए फिक्र करें, और जल्दबाज़ी तो बिलकुल भी हीं!"
जादव का जँगल

"आपकी बोई हुई गुठली में से अंकुर फूटे के बाद वह आम के स्वस्थ पौधे के रूप में पप जाए, तो तैयार रहें उसकी सिंचाई, देखभाल और पहले से भी ज़्यादा इंतज़ार के लिए! ध्या रखें कि कहीं आपके पोधे को कीड़े-मकोड़े या कोई जावर खा जाएँ या फिर कोई उसे अपे पैरों तले रौंद जाएँ। अगर इंतज़ार करते-करते आप ऊबे लगें तो कुछ किताबें पढ़ डालें, कुछ गीत गुगुा लें, और कुछ और पौधे लगा दें!"
जादव का जँगल

"अपी जीत पर कछुआ इतराया हीं। अपी हार पर खरगोश े अपमाित महसूस हीं किया, ही कछुए के प्रति जल महसूस की।"
कछुआ और खरगोश

"तब खरगोश और कछुए े एक साथ बैठकर बहुत सोचा। हम दोों में से किसी एक से यह काम होगा इसीलिए दोों साथ मिलकर चलेंगे। जंगल के रास्ते पर खरगोश अपी पीठ पर कछुए को बिठाकर दौड़ लगाएगा। दी पार करते समय खरगोश कछुए की पीठ पर चढ़ जायेगा। यह तय करके दोों को तसल्ली हुई।"
कछुआ और खरगोश

""लेकि! लांगले े आश्चर्यचकित होते हुए पूछा, " तो मेरी दादी और ही ी की ठुड्डी में गड्ढा है। आपको यह विशेषता कहां से मिली?""
कहाँ गये गालों के गड्‌ढे?

"कहीं गोगो पाी के ीचे दम साध के छुपा हो।"
कहाँ गया गोगो?