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Storybook paragraphs containing word (63)
"लेकिन अर्जुन जानता था कि यह तो बस एक सपना है। ऑटो में हेलिकॉप्टर के पंख होना तो ठीक ऐसा था जैसे हाथी के पंख निकल आना, या फिर रॉकेट की तरह अंतरिक्ष में ढेर सारे डिब्बों वाली ट्रेन का होना।"
उड़ने वाला ऑटो
"बहुत सी मछलियों का एक समूह उसके आसपास तैरने लगा। जिन मछलियों को वह खाती थी, वे उसकी जान बचाने वाली नर्सें बन गयीं थीं। उन्होंने उसका घाव साफ़ कर दिया।"
पिशि फँसी तूफ़ान में
"क्लीनर फ़िश नाम की मछलियों ने फटी खाल के टुकड़े खा लिए। पिशि को आराम महसूस हुआ। हिन्द महासागर में रहने वाली ५००० किस्म की मछलियाँ उसे पहले से भी ज़्यादा अच्छी लगने लगीं।"
पिशि फँसी तूफ़ान में
"बहुत बारिश वाली गीली-सीली जगह पर,"
सबसे अच्छा घर
"भेल पूरी/ आलू दही पूरी में इस्तेमाल होने वाली पूरियाँ क्यों नहीं फूलतीं?"
पूरी क्यों फूलती है?
"आप ध्यान से देखें तो पता चलेगा कि भेल-पूरी और दही-पूरी में इस्तेमाल होने वाली पूरियाँ फूली नहीं होती है।"
पूरी क्यों फूलती है?
"1. मधुमक्खी नाच कर, छत्ते में रहने वाली बाकी मधुमक्खीयों को यह बताती है कि शहद कहाँ मिलेगा तो आप भी कोशिश कीजिये नाच कर कुछ बताने की और देखिये कि क्या आपके दोस्त आपकी बातों को समझ पाते है या नहीं!"
मधुमक्खियाँ क्यों भन-भन करती हैं?
"2. 'फ़्लाइ - डोंट फ़्लाइ' गेम: मित्रों का एक समूह बनाओ और एक -दूसरे को बिना छुए कमरे के चारों तरफ़ जहाज़ की तरह उड़ो। डेन (चोर) एक कोने में खड़ा होकर उड़ने वाली और ना उड़ने वाली चीज़ों के नाम कहेगा। जैसे ही वह किसी ना उड़ने वाली चीज़ (जैसे कि मेज़/टेबुल) कहे तो जहाज़ों को ज़मीन पर उतरना (बैठ जाना) होगा। जो ग़लती करेगा, वह अगला डेन होगा।"
हवाई जहाज़ कैसे उड़ते हैं?
""समझ गयी न पुट्टी!" पुट्टा फुसफुसाया, "बिजली वाली ट्रेन ही साफ रेलगाड़ी थी।""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
"”हाँ, वो तो हैं ही!“ बिन्दा की आँखों के आस-पास हँसी की लकीरें खिंच गईं, ”उन्होंने वायसरॉय को चिट्ठी भी लिखी है कि वे ऐसा करने जा रहे हैं! ब्रिटिश सरकार को तो पता ही नहीं कि उसकी क्या गत बनने वाली है!“"
स्वतंत्रता की ओर
"टूका और पोई सोनपंखी की तरह दिखने वाले चमकीले लाल बीज, कपड़ों में चिपक जाने वाले गोखरू और पीले गुलमोहर की बड़ी आकार वाली फलियाँ इकट्ठी करते हैं।"
आओ, बीज बटोरें!
"बनारस वाली शुभा मौसी ने मुझे कुछ सुंदर गीत सिखाए हैं। इन गीतों को कजरी कहते हैं। क्या आपको मालूम है कि सम्राट अकबर के दरबार में एक प्रसिद्ध गायक थे मियाँ तानसेन? कहा जाता है कि वो “मियाँ की मल्हार” नाम का एक राग गाते थे तो वर्षा आ जाती थी। मैं भी संगीत सीखूँगी-शास्त्रीय संगीत।"
गरजे बादल नाचे मोर
"माँ हमें पीने को गर्म दूध देती हैं। कल उन्होंने मसालेदार मुरमुरे बनाए थे। और माँ ने कहा है कि कल वे पूड़ियाँ बनाने वाली हैं!"
गरजे बादल नाचे मोर
"मलार आज एक बहुत-बड़ा सा घर बनाने वाली है!"
मलार का बड़ा सा घर
"इसे अंग्रेजी में कन्वेयर बेल्ट कहते हैं। वर्दी पहने हुई, एक बहुत कठोर दिखने वाली महिला, मशीन के पीछे रखी स्क्रीन में देख कर सामान की जाँच कर रही थी। राजू स्क्रीन को देखकर हैरान रह गया। स्क्रीन में तो अटैची के साथ-साथ उसमें रखा सामान भी दिख रहा था।"
राजू की पहली हवाई-यात्रा
""चेची कितनी किस्मत वाली है। वह कितने हवाई-जहाज़ों में घूम चुकी है। मुझसे बड़े होने तक का इंतज़ार नहीं होता, अम्मा।""
राजू की पहली हवाई-यात्रा
"मेरे जैसी दिखने वाली कई मिठाइयाँ।"
ग़ोलू एक ग़ोल कि कहानी
"“हाँ, मगर लगता है उसका गला खराब है! मैंने न, पहले कभी भी खराब गले वाली कोयल नहीं देखी। चलो, चलकर ढूँढते हैं उसे!” स्टेल्ला ने सुझाया।"
कोयल का गला हुआ खराब
"वे चारों ओर देखते हैं, मगर खिचखिच वाली चिड़िया नहीं मिलती।"
कोयल का गला हुआ खराब
"जल्दी ही सारे सहपाठी भी जुट जाते हैं गले में खिचखिच वाली कोयल को ढूँढने में।"
कोयल का गला हुआ खराब
"अब तो सबको देखनी है गले में खिचखिच वाली चिड़िया।"
कोयल का गला हुआ खराब
"“अरे नहीं, अब हम यह कैसे पता लगाएंगे कि खराब गले वाली कोयल कौन सी है?” ज़ेबा ने मुँह लटकाकर पूछा।"
कोयल का गला हुआ खराब
"“कू-ऊऊऊऊह-ऊऊऊऊह। परवेज़ दादी को उस गला खराब वाली कोयल के बारे में बताता है। दोनों चलकर सुकर्ण स्कूल पहुँचते हैं जहाँ बधिर बच्चे पढ़ते हैं।"
कोयल का गला हुआ खराब
"आज घूम-घूम बड़े जोश में थी। वह पहली बार तैरने जाने वाली थी।"
घूम-घूम घड़ियाल का अनोखा सफ़र
"‘‘कप वाली आइसक्रीम लेगी?’’"
एक सफ़र, एक खेल
"‘‘कोन वाली आइसक्रीम खाएगी?’’"
एक सफ़र, एक खेल
"‘‘डंडी वाली आइसक्रीम चाहिए?’’"
एक सफ़र, एक खेल
"मुनिया जानती थी कि एक पंख वाले उस विशालकाय गजपक्षी ने घोड़े को नहीं निगला है। हाँ, वह इतना बड़ा तो था कि एक घोड़े को निगल जाता, लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं कि उसने उसे निगल ही लिया था! नटखट झील के पास वाले उस जंगल से ग़ायब हुआ था जहाँ वह गजपक्षी रहता था। अधनिया गाँव में दो घोड़ों - नटखट और सरपट द्वारा खींचे जाने वाली केवल एक ही घोड़ागाड़ी थी। जंगल के अंदर बसे इस छोटे से गाँव में पीढ़ियों से लोगों को इस विशालकाय एक-पंख गजपक्षी के बारे में मालूम था। चूँकि वह किसी के भी मामले में अपनी टाँग नहीं अड़ाता था, इसलिए गाँव का कोई भी बंदा उसे छेड़ता न था।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी
"दिन के समय वह गजपक्षी झील के पास आया करता या तो धूप तापने या फिर झील में पानी छपछपाते हुए अकेला खुद से ही खेलने। कभी-कभी वह पानी में आधा-डूब बैठा रहता और बाकी समय उसका कोई सुराग़ ही न मिलता। तब शायद वह घने जंगल के किसी बीहड़ कोने में बैठा आराम कर रहा होता। विशालकाय एक-पंख गजपक्षी एक पेड़ जितना ऊँचा था। उसकी एक लम्बी और मज़बूत गर्दन थी, पंजों वाली हाथी समान लम्बी टाँगें थीं और भाले जैसा एक भारी-भरकम भाल था। उसके लम्बे-लम्बे पंजे और नाखून डरावने लगते थे।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी
"मुनिया के पास सिर्फ एक रात थी। सवाल ये था कि वह उसकी बेगुनाही भला कैसे साबित करे? “सोचो मुनिया, सोचो!” फुसफुसाकर उसने खुद से कहा। “दूधवाले ने नटखट को झील की ओर जाने वाली सड़क पर तेज़ी से भागते हुए देखा था...लेकिन झील तक पहुँचने से पहले वह सड़क एक मोड़ लेती है और चन्देसरा की ओर जाती है। क्या पता नटखट अगर वहीं गया हो तो?”"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी
"“जैसा कि आप जानते हैं, कुछ साल पहले मैंने नटखट को बेच दिया था। कल मैं नटखट के भाइयों - बाँका और बलवान के द्वारा खींची जाने वाली बग्घी में सवार आपके गाँव से गुज़र रहा था। मुझे नहीं मालूम कि किस तरह से नटखट अपने आपको छुड़ा हमारे पीछे-पीछे भागकर चन्देसरा चला आया। मैं उसे पहचान न सका और यह समझ न पाया कि इसका करूँ तो करूँ क्या। फिर आज सुबह मैंने इस नन्ही-सी बच्ची को एक झोंपड़ी से दूसरी झोंपड़ी जाते और एक गुमशुदा घोड़े के बारे में पूछते हुए देखा। लेकिन या इलाही ये माजरा क्या है?” तीसरी बार उसने अपना वही सवाल किया।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी
""मेरी तरह बालों वाली टोपी (विग) लगा लीजिए," कहते हुए गुरूजी ने अपने माथे का विग हटा दिया."
कहानी- गजानन गंजे
"सोना ने सूँघ कर कहा, "गले में खट से लगने वाली गंध। चाचा यह ‘काली खट्टी’ चुस्की का रसा है।""
सोना की नाक बड़ी तेज
"अनु को अपने पापा की बहुत सी चीज़ें अच्छी लगती हैं। उनकी लटकने वाली चमचम चमकतीं लालटेनें, उनके तले प्याज़ के करारे-करारे पकौड़े, काग़ज़ से जो प्यारे-प्यारे कछुए वे बनाते हैं, अनु को सब अच्छे लगते हैं। यही नहीं, सीढ़ियाँ भी वे उचक-उचक कर चढ़ते हैं। और फिर मामा से उनकी वे कुश्तियाँ, जो वे मज़े लेने के लिए आपस में लड़ते हैं। मेहमानों के आने पर, वे हमेशा उन्हें हँसाते रहते हैं!"
पापा की मूँछें
"दुकानदार हमें देखकर मुस्कराया।
“बच्चों, आओ मेरे साथ,” उसने कहा।
“यह किताबें जानवरों के बारे में हैं। वे परियों के बारे में हैं।
ऊपर वाली लड़ाइयों के बारे में हैं। तुम्हें जो चाहिए, ले लो।”"
चलो किताबें खरीदने
"अरे, यह क्या! एक बड़ी, चौड़े मुंह वाली कीप।"
गुल्ली का गज़ब पिटारा
"उनके अब्बू ठेकेदारी करते थे। चौक के थोक का सामान रखने वाले दुकानदार उन्हें कपड़ा देते थे और अब्बू घर पर ही कढ़ाई का काम करने वाली औरतों से उस कपड़े पर चिकनकारी करवाते थे। दुकानदार हर औरत को कढ़ाई के हर कपड़े का पैसा देता था। अब्बू भी कपड़े के हिसाब से आढ़त पाते थे।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"अब्बू अच्छा-ख़ासा कमा लेते थे। इसलिए अम्मी को कढ़ाई का काम नहीं करना पड़ता था। कमरु और मेहरु पढ़ने के लिए मस्ज़िद के मदरसे जाती थीं जबकि अज़हर लड़कों के स्कूल जाते थे। कमरु और मेहरु थोड़ी-बहुत कढ़ाई कर लेती थीं लेकिन उनके काम की तारीफ़ कुछ ज़्यादा ही होती थी। उनके अब्बू ठेकेदार जो थे। आसपास रहने वाली सभी औरतों को काम मिलता रहे, उनके चार पैसे बन जाएँ-यह सब अब्बू ही तो करते थे।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"कमरु और मेहरु ने तय किया कि वे मुमताज़ के लिए छपाई भी नहीं कराएँगी। लेकिन मुमताज़ भी अब ऐसी छोटी-मोटी रुकावटों से घबराने वाली कहाँ थी। सपनों ने उसकी कल्पना को पंख दे दिए थे और उसे कढ़ाई के नमूनों की कोई कमी नहीं थी।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"ईनाम के जलसे में कमरु और मेहरु ने देखा कि सब मुमताज़ को कितनी इज़्जत दे रहे थे। कुछ-एक ने तो उन्हें भी ऐसी हुनर वाली लड़की की बहनें होने की बधाई दी।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"आज का दिन बड़ा ख़ास था। रज़ा ने अपने सबसे बढ़िया कपड़े पहने हुए थे। आज उसकी मुलाकात एक बड़ी आला हस्ती से होने वाली थी-बादशाह जलालुद्दीन अकबर से! मुग़ल सल्तनत के महान सम्राट!"
रज़ा और बादशाह
"”हुज़ूर,“रज़ा सँभल कर बोला,”धनी जी को पगड़ी की ज़रूरत पड़ेगी। हमने उनकी वाली तो ले ली है।“"
रज़ा और बादशाह
"“एक बहुत ही बढ़िया, सनसनीखेज़, बिल्कुल सच्ची लगने वाली कहानी...”"
कल्लू कहानीबाज़
"हर सुबह के जैसे आज भी कल्लू बिजली की सी फुर्ती से इधर-उधर भाग के तैयार होने लगा। पानी की बाल्टी से बर्फीले पानी के कुछ छींटे आँखों पर डाल के उसने खुद को जगाया।
नहाने का तो सवाल ही नहीं था। शुक्र है कि सर्दियों का मौसम था नहीं तो अम्मी कहाँ मानने वाली थीं। कमीज़, पतलून और स्वेटर आनन फानन में पहन के, चप्पलों में पैर घुसाये।"
कल्लू कहानीबाज़
"भागते कल्लू के पास जवाब देने की फुर्सत कहाँ थी? धरमपाल चाचा को मज़ाक सूझता रहता है, बड़बड़ाते कल्लू ने कदम ताल न तोड़ी। यहाँ कल्लू की जान पर बन आई थी और उन्हें अपने पकोड़ों से फुर्सत नहीं। और कल्लू की स्कूल की देरी में हँसने वाली कौन सी बात थी? वह तो हर हफ़्ते की कहानी थी!"
कल्लू कहानीबाज़
"हाँ, सबसे बुरा तो तब हुआ था जब वह परसों देर से पहुँचा था। 26 जनवरी के कार्यक्रम का रिहर्सल था और जब वह स्कूल के अहाते में पहुँचा तो राष्ट्रगान की “जय जय जय जय हे” वाली पंक्ति गाई जा रही थी। और कल्लू को वहाँ सामने होना चाहिये था। दामू, मुनिया, और सरू के साथ गाने की अगुआई करते हुए।"
कल्लू कहानीबाज़
"प्रचलित कहानियों के अनुसार ध्यान चंद सैनिक के अपने कार्य को पूरा करने के बाद हॉकी का अभ्यास किया करते थे। लेकिन तब तक रात हो जाया करती थी, और उस ज़माने में फ़्लड लार्इट्स नहीं थीं। इसलिए ध्यान चंद अभ्यास करने के लिए चाँद उगने का इंतज़ार किया करते थे। चाँदनी रातों में पेड़ दूधिया रोशनी में नहाए होते, जब कुत्ते हर जगह रो रहे होते, तब ये दुबला पतला नौजवान अपनी तेज़ गति से चलने वाली हॉकी स्टिक के साथ मैदान में दिखार्इ पड़ता जहाँ वो गेंद को गोल पोस्ट में डाल रहा होता।"
ध्यान सिंह 'चंद' : हॉकी के जादूगर
"लेकिन ममता रखने वाली प्रत्येक माँ की तरह ही वो अपने बेटे को बड़े प्रेम से खिलाया पिलाया करती थीं, बिना यह सोचे कि आगे चलकर वो क्या बनेंगे।"
ध्यान सिंह 'चंद' : हॉकी के जादूगर
"१९२० के दशक के मध्य में वे एक उभरते हुए हॉकी खिलाड़ी थे। उस दौरान उन्होंने सेना की टीम के साथ न्यूज़ीलैंड का दौरा भी किया, और अपनी टीम को २१ में से १८ मैच जीतने में सहयोग किया। स्वाभाविक रूप से उन्हें १९२८ में भारतीय टीम में चुन लिया गया जो एम्सटर्डम ओलंपिक जाने वाली थी।"
ध्यान सिंह 'चंद' : हॉकी के जादूगर
"पेड़ों पर चढ़कर कच्चे आम तोड़ना
मोरू को अच्छा लगता था। वह टहनियों
पर रेंगते हुए ऐसी कल्पना करता मानो किसी घने जंगल में चीता हो। उसे कीड़े पकड़ना भी पसंद था। चमकदार पन्नी सी चमचमाते सर वाली हरी-नीली घोड़ा मक्खी, पतला और चरचरा सा टिड्डा, पीली तितली जिसका रंग पीले गुलाल सा उसकी उंगलियों पर उतर आता था। मोरू को पतंग उड़ाना भी अच्छा लगता था। जितनी ऊँची उड़ सके उतना अच्छा। सबसे ऊँची छतों पर चढ़ कर वह अपनी पतंग बादलों से कहीं ऊपर तक उड़ाता जैसे वह एक चमकता हुआ पक्षी हो जो सूरज तक पहुँचने की कोशिश कर रहा हो।"
मोरू एक पहेली
"मोरू को अंक अच्छे लगते थे। 1 का अंक उसे दुबला और अकेला सा लगता था तो 100 मोटा और अमीर सा। 9 कितना इकहरा और आकर्षक लगता खास तौर पर वह जब 1 के बगल में खड़ा हो कर 19 बन जाता। अंक उसे कभी न ख़त्म होने वाली सीढ़ी जैसे लगते। मोरू कल्पना करता कि वह एक-एक कर के सीढ़ी चढ़ रहा है।"
मोरू एक पहेली
"उसकी स्लेट टूट गई थी और उसकी माँ के पास नई स्लेट खरीदने के पैसे नहीं थे। मोरू ने दीवार पर चढ़ने वाली सैकड़ों चींटियाँ गिनना शुरू किया। उसने बाहर पेड़ को देखा और उसे उसकी पत्तियाँ बिलकुल सही लगीं। सही पत्तियों की परछाईं भी सही होती है। मन ही मन मोरू ने स्कूल के अहाते की दीवार में टूटी ईंटों की संख्या गिनी। उसने हिसाब लगाया कि अगर हर ईंट की कीमत पाँच रुपये है तो सारे छेद भरने में एक हज़ार से ज़्यादा रुपये लगेंगे।"
मोरू एक पहेली
"मोरू ज़मीन पर बैठ गया। किताबें उसके चारों तरफ़ फैली थीं। इतनी सारी कहानी की किताबें थीं। उसने जानवरों की कहानियों वाली एक साथ रखीं। तेंदुए की कहानी हाथी और ऊँटों वाली कहानी के साथ ज़्यादा अच्छी रहेगी। परी कथाएँ देवी-देवताओं की कहानियों के साथ रह सकती हैं। रहस्य कथाएँ अकेली रहेंगी। या शायद उन्हें नायकों और मशहूर व्यक्तियों की कहानियों के साथ रखना चाहिये?"
मोरू एक पहेली
"फिर आई अंकों वाली किताबें। मोरू की आँखें और उंगलियों की तेज़ी कुछ ढीली पड़ी। मोटे अंक पतले अंकों के साथ नाच रहे थे। दो अंक एक के ऊपर एक ऐसे बैठ गये जैसे कोई ढुलमुल इमारत हो जो अपनी नींव भरने का इन्तज़ार कर रही हो। गुणा के सवालों में जैसे संख्या बढ़ती जाती थी, वो कुछ नाटे और नीचे की तरफ़ चौड़ाते लग रहे थे। भाग इसका ठीक उलटा था। शुरूआत में बड़ी संख्या और अगर ध्यान से करते जाओ तो अन्त में लम्बी पतली आकर्षक पूँछ बन जाती थी। अगर भाग्यशाली हो तो अन्त में कुछ नहीं बचेगा। एक-एक कर के सारे अंक और उनके करतब मोरू के पास लौट आये।"
मोरू एक पहेली
"तो उसको छूने वाली हवा"
दीदी, दीदी, बादल क्यों गरजते हैं?
"एक बड़े से 'टेबल कोरल’ नाम के मूंगे के आसपास देखे किस्म - किस्म के जीव अनेक। 'ओरिएंटल स्वीटलिप्स,’ ' पैरेटफ़िश,’ 'बैटफ़िश’ जैसी मछलियां देखीं आती - जाती, एक ख़ूबसूरत रंग - रूप वाली 'न्यूडीब्रैंक’ रही आसपास मंडराती।"
गहरे सागर के अंदर!
"फ़ेदर स्टार भले ही देखने में पौधों जैसे हों, लेकिन यह वास्तव में एक किस्म के जंतु यानी जानवर ही होते हैं। यह अपनी पंख जैसी दिखने वाली बाजुओं से पानी में बहते प्लैंक्टन को पकड़ - पकड़ कर चट कर जाते हैं।"
गहरे सागर के अंदर!
"कीड़े-मकोड़े ज़मीन के अंदर घुस कर अपनी सुरँगें बनाने लगे। बाँस के साये में ज़मीन का हुलिया बदलने लगा। भुरभुरी सफ़ेद रेत की जगह अब भूरी मिट्टी जमने लगी। बेजान रेत जड़ों में जान फूँकने वाली मिट्टी में बदल गयी।"
जादव का जँगल
"शाम होने वाली थी और वह परेशान था।"
कहानियों का शहर
"जब दुख हो तब आँसू पोंछने वाली कहानियाँ।"
कहानियों का शहर
""इम्मा..." लांगलेन कुछ कहने वाली थी कि इम्मा ने उसे चुप कर दिया - "श...! धीरे, " इम्मा बोलीं।"
कहाँ गये गालों के गड्ढे?
""कभी-कभी ये विशेषताएं पिछली या उससे पहले वाली किसी पीढ़ी से आ जाती हैं।"
कहाँ गये गालों के गड्ढे?
"हंसते हुए इम्मा बोली, "गालों में गड्ढे पड़ने वाली विशेषता मुझे अपनी मां से मिली थी। लेकिन, हरेक विशेषता के पीछे कई वजह होती हैं। और किसी वजह से कोई विशेषता सामने आती है, तो किसी दूसरी वजह से गायब भी हो सकती है!""
कहाँ गये गालों के गड्ढे?