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Revision #2 (2021-01-16 13:49)
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Storybook paragraphs containing word (181)

"रुक कर क्या करूंगा?""
कहानी- बादल की सैर

"आपका क्या ख्याल है? क्या सूरज को टोपी की ज़रूरत है?"
चाँद का तोहफ़ा

"जब मैं रोती तो वो भी मेरे साथ रोने लग जाती| मैं क्या करूँ?"
मैं और मेरी दोस्त टीना|

"मुझे बाहर कुछ काली बड़ी चीज दिख रही है ! वह क्या है ?"
मैं नहीं डरती !

"वह आवाज कैसी है! किड़ किड़ ! वह क्या है?"
मैं नहीं डरती !

"लेकिन कोमल मैम जानती हैं कि क्या करना है। "
गप्पू नाच नहीं सकती

"“हम सबको और क्या चाहिए? थोड़ा-सा ज़ादू,” उस औरत ने कहा। बच्चे को कुछ रुपये देकर उसने दो बोतलें खरीद लीं। उसने एक बोतल शिरीष जी को दे दी।"
उड़ने वाला ऑटो

"“लेकिन हम क्या कर रहे हैं?” अर्जुन ने सोचा। “हम कहाँ जा रहे हैं? अगर मुझे चलाया नहीं गया तो मेरा क्या होगा?” अर्जुन ने अब से पहले कभी इतना आज़ाद महसूस नहीं किया था, और न ही इतना परेशान।"
उड़ने वाला ऑटो

"उसे पता था उसे क्या करना चाहिए। पिशि ने होश सँभाले। वह अपने दोस्तों के बीच वापस जाना चाहती थी। पर उस से पहले घाव का ठीक होना ज़रूरी था। वह तेज़ी से तट की ओर तैरने लगी।"
पिशि फँसी तूफ़ान में

"प्रिय पाठक, क्या आपको मालूम है कि प्राचीन काल के संस्कृत साहित्य में हिन्द महासागर को ‘रत्नाकर’ कहा जाता था? रत्नाकर यानि हीरे जवाहरात की खान। मैंटा रे मछलियाँ अक्सर सफ़ाई के ठिकानों पर जाया करती हैं। सफ़ाई के ठिकानों को कुदरत का अस्पताल कहा जा सकता है। यहीं एंजेल फ़िश जैसी छोटी मछलियाँ मैंटा रे के गलफड़ों के अन्दर और खाल के ऊपर तैरती हैं। वे क्लीनर फ़िश कहलाती हैं क्योंकि वे मैंटा रे के ऊपर मौजूद परजीवियों व मृत खाल को खा कर उसकी सफ़ाई करती हैं। मैंटा रे मछलियाँ विशाल होने के बावजूद बहुत कोमल स्वभाव की होती हैं। बड़ी शार्क, व्हेल मछलियाँ व मनुष्य उनका शिकार करते हैं।"
पिशि फँसी तूफ़ान में

"मकान बनाने से पहले आपको पता होना चाहिए कि आप को उस में क्या खूबी चाहिए।"
सबसे अच्छा घर

"इग्लू: क्या आप सोच सकते हैं कि बर्फ़ की बड़ी-बड़ी ईंटों से बने इग्लू बाहर बर्फ़ जमी होने पर भी अंदर से गर्म रहते हैं? जब बाहर का तापमान -40 डिग्री सेंटिग्रेड होता है तो लोग इग्लू के अंदर आराम से रहते हैं। इन्हें आप कनाडा के ध्रुवीय इलाकों और ग्रीनलैंड के थूले द्वीप में देख सकते हैं।"
सबसे अच्छा घर

"इसकी वजह यह है कि इस आटे में कुछ है जिसे बहुत प्यास लगी है! आप को जब प्यास लगती है तो आप क्या करते हैं? आप पानी पीते हैं।"
पूरी क्यों फूलती है?

"क्या ज्वार, बाजरे या चावल के आटे से पूरियाँ बन सकती है, अगर नहीं तो क्यों? गेहूँ के आटे से पूरियों के अलावा हम और क्या चीज़ें बना सकते हैं? अगर आटे में ज़्यादा पानी डाल दिया जाये तो क्या होगा? अगर हम आटे को खाना पकाने के दूसरे तरीकों, जैसे तंदूर या तवा पर पकाते हैं तो क्या होता है?"
पूरी क्यों फूलती है?

"अरे, यह कैसा शोर है? क्या यह मधुमक्खियों का कोई कोड है, अपने दोस्तों को बुलाने के लिए? या फिर शहद दिख जाने का जश्न है?"
मधुमक्खियाँ क्यों भन-भन करती हैं?

"वैसे क्या तुम अपनी साँसे सुन सकते हो? नहीं ना! पर मधुमक्खियाँ सुन सकती हैं। भन-भन की आवाज़ मधुमक्खियों के साँस लेने से भी होती है। उनका शरीर छोटा व कई टुकड़ों में बँटा होता है। तो जब साँस लेने से हवा अंदर जाती है, तो उसे कई टेढ़े-मेढ़े व ऊँचे-नीचे रास्तों को पार कर के जाना पड़ता है। और इसी वजह से भन-भन की आवाज़ होती है।"
मधुमक्खियाँ क्यों भन-भन करती हैं?

"1. मधुमक्खी नाच कर, छत्ते में रहने वाली बाकी मधुमक्खीयों को यह बताती है कि शहद कहाँ मिलेगा तो आप भी कोशिश कीजिये नाच कर कुछ बताने की और देखिये कि क्या आपके दोस्त आपकी बातों को समझ पाते है या नहीं!"
मधुमक्खियाँ क्यों भन-भन करती हैं?

"2. मधुमक्खी की तरह भिनभिनाने कि कोशिश कीजिये अपनी बाहों को उपर और नीचे (फ्लेप) कीजिये और देखिये कि क्या भिनभिनाट होती है!"
मधुमक्खियाँ क्यों भन-भन करती हैं?

"3. छत्ता यानि मधुमखियों का घर जैसे इंजीनियरिंग की एक मिसाल होता है! आप को क्या लगता है! छाते की तरह बेहतरीन षट्कोन (हेक्सागोनस) बनाने कि मदद से इसके मॉडल्स बनाइये! 4. तब शायद आपको इसका जवाब मिल जाए और तब आप समझ जाएंगे की अलग अलग फूलों के रस से बने शहद का स्वाद भी एकदम अलग अलग होता है!"
मधुमक्खियाँ क्यों भन-भन करती हैं?

""सुनो! तुम्हारा नाम क्या है? क्या तुम्हें बोर्ड पर ध्यान नहीं देना चाहिए?" कक्षा में पढ़ा रही नई अध्य्यापिका ने कहा।"
हवाई जहाज़ कैसे उड़ते हैं?

""तुम्हारा नाम क्या है?""
हवाई जहाज़ कैसे उड़ते हैं?

""अरे वाह! क्या तुम जानती हो कि भारत की पहली महिला विमान चालक (पायलॉट) का नाम भी सरला था? मेरा नाम हंसा है, मतलब 'हंस'। क्या तुम जानती हो कि हंस भी उड़ने वाले बड़े पक्षियों में से एक हैं? अध्यापिका ने कहा।"
हवाई जहाज़ कैसे उड़ते हैं?

"1. दोस्तों के साथ इन खेलों के मज़े लें काग़ज़ के हवाई जहाज़ बनाओ और देखो कि किसका जहाज़ सबसे दूर जाता है। ज़रा सोचो, क्यों? क्या यह कमाल काग़ज़ का है या उसके बनाने के तरीक़े का? ग़ौर करो, क्या होता है जब कोई जहाज़ छोड़ा जाता है? जब तुम जहाज़ को छोड़ने के पहले उसके ऊपर फूँक मारते हो या उसके अंदर या कि उसके नीचे, तब क्या वहाँ कोई अंतर दिखता है?"
हवाई जहाज़ कैसे उड़ते हैं?

""अम्मा, क्या केक खाने को मिलेगा?" पुट्टी ने पूछा। "एक बड़ा सा नरम-मुलायम स्पंजी केक, गुलाबी आइसिंग वाला और जिसके ऊपर गुलाब बना हो?""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?

"मुत्तज्जी ने दोनों को गले लगाते हुए कहा, "मैं कितने साल की हूँ? कौन जाने? और इससे फर्क भी क्या पड़ता है?""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?

""जिस साल आपकी शादी हुई थी, उस साल क्या कोई ख़ास बात हुई थी?" पुट्टा ने पूछा।"
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?

""अज्जी, क्या आप जानती हैं कि के आर एस कब बनाया गया था?""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?

"अज्जा अपने रीडिंग रूम में थे। पुट्टी ने धीमे से कहा, "अज्जा, क्या पहले लोग रेल में सफर करते हुए गंदे हो जाते थे?""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?

""अज्जा, क्या 1911 के आस-पास कोई विदेशी राजा भारत आया था? ...और उसके लिए एक शाही दावत हुई थी?""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?

""मज़ा आ गया! वाह, क्या बात है! हुर्रे!""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?

"”अम्मा, क्या गाँधी जी कहीं जा रहे हैं?“ उसने पूछा। खाँसते हुए माँ बोलीं, ”वे सब यात्रा पर जा रहे हैं।“"
स्वतंत्रता की ओर

"बिन्दा ने सर हिला कर मना किया। उसके कुछ बोलने से पहले धनी ने उतावला होकर पूछा, ”कौन जा रहे हैं? कहाँ जा रहे हैं? क्या हो रहा है?“"
स्वतंत्रता की ओर

"”बिल्कुल बेवकूफ़ी नहीं है धनी! क्या तुम्हें पता है कि हमें नमक पर कर देना पड़ता है?“"
स्वतंत्रता की ओर

"”हाँ, वो तो हैं ही!“ बिन्दा की आँखों के आस-पास हँसी की लकीरें खिंच गईं, ”उन्होंने वायसरॉय को चिट्ठी भी लिखी है कि वे ऐसा करने जा रहे हैं! ब्रिटिश सरकार को तो पता ही नहीं कि उसकी क्या गत बनने वाली है!“"
स्वतंत्रता की ओर

"”पिता जी, क्या आप और अम्मा दाँडी यात्रा पर जा रहे हैं?“ धनी ने सीधे काम की बात पूछी।"
स्वतंत्रता की ओर

"”तुम्हारा क्या नाम है, बेटा?“
” धनी, गाँधी जी।“"
स्वतंत्रता की ओर

"”हूँ... यह बात तो ठीक है, गाँधी जी! बिन्नी तभी खाती है, जब मैं उसे खिलाता हूँ,“ धनी ने प्यार से बिन्नी का सर सहलाया, ”और स़िर्फ मैं जानता हूँ कि इसे क्या पसन्द है।“"
स्वतंत्रता की ओर

"”बिल्कुल सही। तो क्या तुम आश्रम में रह कर मेरे लिये बिन्नी की देखभाल करोगे?“ गाँधी जी प्यार से बोले।"
स्वतंत्रता की ओर

"और दूसरी चीज़ मैंने क्या कही थी? 'टूथपेस्ट के मर्तबान?' बिलकुल सही! टूथपेस्ट के लिए ट्यूब नहीं बना था। वे केवल मर्तबान में मिलते थे। और खुमारी भरी आँख लिए बच्चे अपने दिन की शुरुआत टूथपेस्ट से भरे चीनी मिट्टी के मर्तबान में दातुन डुबाकर करते थे।"
टूथपेस्ट ट्यूब के अंदर कैसे आया?

"● कारखाने में ब्रश तैयार होने के बावजूद बहुत से लोग नीम या बबूल की पतली टहनी से दातुन करते हैं। दातुन हमारे दाँतों और मसूड़ों को स्वस्थ रखते हैं, मगर क्या तुम जानते हो कि विश्व में सबसे अच्छा ब्रश कौन सा है? तुम्हारी उंगली! दंत-चिकित्सक मानते हैं कि यह दाँतों और मसूड़ों के लिए सबसे बेहतर है।"
टूथपेस्ट ट्यूब के अंदर कैसे आया?

"● क्या तुमने कभी दंत मंजन का उपयोग किया है? इसमें कितने तरह की खुशबू आ सकती है? क्या तुमने इसे खोजा है?"
टूथपेस्ट ट्यूब के अंदर कैसे आया?

"पच्चा ने पूछा,”वैसे, तुम दोनों आज यहां क्या कर रहे हो?” टूका और पोई ने कहा, ”हम चीज़ें इकट्ठी कर रहे हैं!”"
आओ, बीज बटोरें!

"कर उत्सुकता से भौंक रहा था जैसे मानो वह भी जानना चाहता हो कि पच्चा क्या कह रहा है।"
आओ, बीज बटोरें!

"कठोर भूरे रंग के नारियल का हर हिस्सा हमारे लिए उपयोगी होता है। उसके बाहर वाले बालों के हिस्से से रस्सी बनाई जाती है, वहीं अंदर का नरम सफेद हिस्सा कई प्रकार के भोजन में इस्तेमाल किया जाता है और नारियल पानी मज़ेदार पेय होता है, विशेषरूप से उस समय, जब बाहर बहुत गर्मी होती है। क्या आपको मालूम है कि आप अपने बालों में जो तेल लगाते हैं, वो कहां से आता है? वह तेल भी नारियल से ही निकाला जाता है।"
आओ, बीज बटोरें!

"बनारस वाली शुभा मौसी ने मुझे कुछ सुंदर गीत सिखाए हैं। इन गीतों को कजरी कहते हैं। क्या आपको मालूम है कि सम्राट अकबर के दरबार में एक प्रसिद्ध गायक थे मियाँ तानसेन? कहा जाता है कि वो “मियाँ की मल्हार” नाम का एक राग गाते थे तो वर्षा आ जाती थी। मैं भी संगीत सीखूँगी-शास्त्रीय संगीत।"
गरजे बादल नाचे मोर

"हम सभी वर्षा की प्रतीक्षा करते हैं पर किसान तो वर्षा के देवताओं की पूजा करते हैं।
 मानसून में मेरा आम का पौधा काफी लम्बा हो गया है। अब मुझे उसे सींचने की ज़रूरत नहीं पड़ती! पिछले महीने जब बड़ी तेज़ आँधी चली थी, मेरा पौधा मज़बूती से खड़ा रहा। क्या मेरा आम का पेड़ इस पेड़ के जितना बड़ा हो जायेगा?"
गरजे बादल नाचे मोर

"कूदा कोई कपास में, तो क्या बोलें एक साँस में ?"
बोलो एक साँस में

"कल... अब कल मैं क्या बनूँ?"
आज, मैं हूँ...

"“पापा, क्या आप मुझे आधा नारियल देंगे? मुझे मेरे घर के लिए छत बनानी है।”"
मलार का बड़ा सा घर

"मलार अब आगे क्या बनाएगी?"
मलार का बड़ा सा घर

"ज़रा सोचिए, मैं क्या कुछ नहीं चबा लूँ!"
क्या होता अगर?

""श्याम! देर हो जाएगी, क्या सोच रहे हो?""
क्या होता अगर?

"लेकिन क्या आप जानते हैं कि पूरी दुनिया के जीव-जंतुओं और हममें क्या समानता है?"
जीव-जन्तुओं के घर

"वह उनसे पूछता है, "मेरे पक्षियों, क्या हुआ?""
बंटी और उसके गाते हुए पक्षी

"अचानक कॉकपिट से *टीटीटी* जैसी आवाज़ आई। यह क्या आवाज़ थी? कहीं जेट शत्रु देश की सीमा में तो नहीं? या इंजन में कोई तकनीकी गड़बड़ी?"
राजू की पहली हवाई-यात्रा

"अब क्या होगा?"
कितनी मज़ेदार है बांग्ला संख्याएं

"तितलियाँ! मुझे दिख रही हैं तितलियाँ! मुझे दिख रहीं हैं चार तितलियाँ! क्या आप को भी दिख रही हैं?"
तितलियां

""माँ, वह क्या है?""
टुमी के पार्क का दिन

"“माँ, क्या मैं इसे अभी पहन सकता हूँ?”"
लाल बरसाती

"“माँ, क्या आज बारिश होगी?” मनु ने पूछा।"
लाल बरसाती

"“माँ, अगर बारिश हुई तो? क्या मैं अपने साथ बरसाती ले जाऊँ?” मनु ने पूछा।"
लाल बरसाती

"“माँ, क्या यह बिजली के कड़कने की आवाज़ है, क्या अभी बारिश होगी?” मनु ने पूछा।"
लाल बरसाती

"एक ऊदबिलाव पास से गुज़रा। घूम-घूम ने उससे पूछा - "ऊद भाई, क्या आपने मेरे परिवार को देखा है?""
घूम-घूम घड़ियाल का अनोखा सफ़र

"घूम-घूम ने पूछा "डाॅल्फ़िन दीदी, क्या आपको पता है मेरा परिवार कहाँ है?""
घूम-घूम घड़ियाल का अनोखा सफ़र

"डाॅल्फ़िन बोली, "नहीं, लेकिन मुझे यह मालूम है कि सबसे मज़ेदार मछलियाँ कहाँ मिल सकती हैं। क्या तुम खाना चाहोगी?""
घूम-घूम घड़ियाल का अनोखा सफ़र

""दादू, दादू! क्या आपने मेरे परिवार को देखा है?" घूम-घूम ने पूछा।"
घूम-घूम घड़ियाल का अनोखा सफ़र

"लेकिन सत्यम बेचारा क्या करे,"
सत्यम, ज़रा संभल के!

"सूँस यानि डाॅल्फ़िन पानी से बाहर छलाँग लगाने के लिए जानी जाती हैं। क्या आप छलाँग लगा सकते हैं?"
सत्यम, ज़रा संभल के!

"ज़मीन पर रहने वाले जीवों में चीते सबसे ज़्यादा तेज़ी से दौड़ते हैं। वह फर्राटे भी लगाते हैं। क्या आप फर्राटे लगा सकते हैं?"
सत्यम, ज़रा संभल के!

"केकड़े सामने सीधे चलने के बजाय बाएँ या दाएँ चल सकते हैं। क्या आप बिना बाएँ या दाएँ मुड़े ऐसी आड़ी चाल चल सकते हैं?"
सत्यम, ज़रा संभल के!

"टिड्डे अपने आकार की तुलना में कई ज़्यादा ऊँची कुदान मार सकते हैं। ख़ासतौर से तब, जब वह किसी शिकार करने वाले जीव की पकड़ में आने से बचना चाहते हों। क्या आप इतनी ऊँची कुदान मार सकते हैं?"
सत्यम, ज़रा संभल के!

"घोंघे बहुत धीरे-धीरे घिसटते हैं। बहुत ही धीरे-धीरे। क्या आप इतनी धीमी चाल चल सकते हैं?"
सत्यम, ज़रा संभल के!

"“ओ मेरी नन्ही दोस्त! तुम्हें क्या हुआ,"
एक सौ सैंतीसवाँ पैर

"कि तुम्हारे बिना मैं क्या करती!”"
एक सौ सैंतीसवाँ पैर

"लेकिन यह क्या है?"
जादुर्इ गुटका

"कुनुंक, टुक! ज़रा सोचो गुटके में क्या फंसा होगा?"
जादुर्इ गुटका

"आप के विचार से इन में से क्या चुंबक से चिपकेगा?"
जादुर्इ गुटका

"जब हम इनको जोड़ते हैं तब क्या होता है?"
एक, तीन, पाँच, मदद! मदद!

"“कम्पोस्ट!, वो क्या होता है?,” अप्पा ने सिर खुजाया।"
रोज़ और रॉकी चले कम्पोस्ट बनाने

"“पर कम्पोस्ट होता क्या है?,” अप्पा ने कान खुजाया।"
रोज़ और रॉकी चले कम्पोस्ट बनाने

"“रॉकी! पता है न हमें कम्पोस्ट बनाने के लिए क्या चाहिए?”"
रोज़ और रॉकी चले कम्पोस्ट बनाने

"माँ और बाबा को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह और क्या कर सकते हैं। फिर बाबा मुस्कराए।"
एक सफ़र, एक खेल

"एक दिन, मुनिया ने बाहर खुले में आने की हिम्मत बटोरी। अपना सिर घुमाये बिना उस विशालकाय ने पहले तो अपनी आँखें घुमाकर मुनिया को देखा और फिर उन्हे बंद कर उसने मुनिया के आगे बढ़ने की कोई परवाह नहीं की। उसके सिर पर भनभनातीं मक्खियों से ज़्यादा ध्यान न खींच पाने के चलते मुनिया धम्म से अपने पैर पटक उसकी ओर बढ़ी। अचानक उस विशालकाय ने अपना एक पंजा उठाया। मुनिया चीखी और झील के उथले पानी में सिर के बल गिर पड़ी। पानी में भीगी-भीगी जब वह झील से बाहर आयी तो क्या देखती है कि गजपक्षी का समूचा बदन हिलडुल रहा है। वह समझ गयी कि वह हँस रहा था!"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"सब लोगों ने सहमति में हुंकारा। मुनिया यह सारी कार्यवाही चुपचाप देखे जा रही थी। वह बोलना चाहती थी, लेकिन जिसकी अनुमति नहीं थी उसकी सज़ा क्या होगी? और अगर वह बोलती भी तो कौन उसकी बात पर यकीन करता?"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"“तुम्हारी इस बात का क्या मतलब है?” मुखिया गरजकर बोला।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"मुनिया के पास सिर्फ एक रात थी। सवाल ये था कि वह उसकी बेगुनाही भला कैसे साबित करे? “सोचो मुनिया, सोचो!” फुसफुसाकर उसने खुद से कहा। “दूधवाले ने नटखट को झील की ओर जाने वाली सड़क पर तेज़ी से भागते हुए देखा था...लेकिन झील तक पहुँचने से पहले वह सड़क एक मोड़ लेती है और चन्देसरा की ओर जाती है। क्या पता नटखट अगर वहीं गया हो तो?”"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"मुखिया ने हैरत भरी नज़र से पूछा, “सारथी, तुम यहाँ क्या कर रहे हो? और यह नटखट तुम्हारे साथ क्यों है?”"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"“जैसा कि आप जानते हैं, कुछ साल पहले मैंने नटखट को बेच दिया था। कल मैं नटखट के भाइयों - बाँका और बलवान के द्वारा खींची जाने वाली बग्घी में सवार आपके गाँव से गुज़र रहा था। मुझे नहीं मालूम कि किस तरह से नटखट अपने आपको छुड़ा हमारे पीछे-पीछे भागकर चन्देसरा चला आया। मैं उसे पहचान न सका और यह समझ न पाया कि इसका करूँ तो करूँ क्या। फिर आज सुबह मैंने इस नन्ही-सी बच्ची को एक झोंपड़ी से दूसरी झोंपड़ी जाते और एक गुमशुदा घोड़े के बारे में पूछते हुए देखा। लेकिन या इलाही ये माजरा क्या है?” तीसरी बार उसने अपना वही सवाल किया।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

"लेकिन गाँव वाले सारथी को क्या जवाब देते? उनके सिर शर्म से झुके हुए थे। मुनिया के पिताजी अपनी बेटी के पास गये, और उसे अपनी गोद में उठाकर उसे वापस गाँव ले आये। बस फिर क्या था, उस दिन के बाद से कोई भी बच्चा मुनिया के लँगड़ाने पर नहीं हँसा। वे सब अब उसके दोस्त होना चाहते थे। लेकिन केवल भीमकाय ही मुनिया का अकेला सच्चा मित्र बना रहा। मुनिया की कहानी तमाम गाँवों में फैली, और दूरदराज़ के ग्रामीण फुसफुसाकर एक-दूसरे से कहते, “देखा, मुनिया जानती थी कि उस विशालकाय एक-पंख गजपक्षी ने घोड़े को नहीं डकारा!”"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी

""देखो यह मुझे पार्क में क्या मिला?"
खोया पाया

"अब, हम क्या करें?"
क्यों भई क्यों?

"“यह क्या सोना?” माँ और परेशान हो गईं।"
सोना बड़ी सयानी

"बोला, क्या करती है तंग?"
सबरंग

"हय हय बेटा क्या हुआ?"
सबरंग

"मिंकू बंदर ने पूछा, “यह क्या है?”"
जंगल का स्कूल

"“देखो, यहाँ क्या है?”"
जंगल का स्कूल

"बारिश में आपको क्या क्या करना अच्छा"
बारिश में क्या गाएँ ?

"बारिश के दिनों में आपको क्या क्या खाना"
बारिश में क्या गाएँ ?

"लेकिन क्या आप जानते हैं कि अनु को अपने पापा की कौन सी चीज़ सबसे ज़्यादा अच्छी लगती है?"
पापा की मूँछें

"डॉक्टर बोम्बो ने अपने चश्मे के ऊपर से देखते हुए पूछा, "तुम्हारी अपनी पूँछ को क्या हुआ?""
चुलबुल की पूँछ

""अब क्या हुआ?" डॉक्टर बोम्बो ने पूछा।"
चुलबुल की पूँछ

"मैं क्या करूँगी?"
चुप! मेरी नाक कुछ कह रही है...

"क्या हम अभी जायें?
 क्या हम बाद में जायें?"
चलो किताबें खरीदने

"क्या हम आज चलें?
 क्या हम कल जायें?"
चलो किताबें खरीदने

"क्या हमें बड़े बाज़ार जाना चाहिए?
 क्या हमें छोटी दुकान में जाना चाहिए?"
चलो किताबें खरीदने

"क्या हमें किसी के साथ जाना चाहिए?
 क्या हमें अकेले जाना चाहिए?"
चलो किताबें खरीदने

"दादी सोफ़े से नीचे उतरी और बोलीं,"मैं जानती हूँ कि क्या करना है!""
चूहा सिकंदर, घर के अंदर

"दादी ने चूहे को देखा और बिस्तर के नीचे जा छुपीं। पापा ने धीमे से कहा,"अब क्या करूँ?""
चूहा सिकंदर, घर के अंदर

"अरे उसके तकिये पर वो क्या था?"
चूहा सिकंदर, घर के अंदर

"अरे! यह क्या निकला गुल्ली के गज़ब पिटारे से!"
गुल्ली का गज़ब पिटारा

"आओ देखें, क्या निकलता है गुल्ली के गज़ब पिटारे से!"
गुल्ली का गज़ब पिटारा

""आप क्या ढूंढ रही हैं दादी माँ?" गुल्ली ने पूछा।"
गुल्ली का गज़ब पिटारा

"इस बार गुल्ली को क्या मिला?"
गुल्ली का गज़ब पिटारा

"“चीनू क्या हो रहा है?” टीचर ने कहा"
कबाड़ी वाला

"“वो क्या है कि...”"
कबाड़ी वाला

"चीनू कूद कर ठेले पर जा बैठा और उसने अपने पैर लटका लिये। पिता जी ने ठेले को धक्का दिया और ज़ोर से पुकार लगाई, “पेपरवाला...कबाड़ी!” चीनू ने भी पुकार लगाई। वाह! दोनों की क्या ज़ोरदार आवाज़ निकली!"
कबाड़ी वाला

"चीकू को गुस्सा आ गया। क्या बाला को मेरे सिर पर कचरे का बादल नहीं दिख रहा?"
कचरे का बादल

"रीमा आंटी थैलियाँ उठाकर वहाँ से चली गई! अगले दिन जब चीकू सो कर उठी, तो बादल और भी छोटा हो गया था।चीकू मुस्कराई, वह समझ गई थी कि उसे क्या करना है।"
कचरे का बादल

"कभी सोचा है कि जो कचरा हम कूड़ेदान में फेंक देते है उसका क्या होता होगा? नहीं, वह हमारे सिर पर बादल बन कर नहीं मँडराता लेकिन जो भी कचरा हम फेंकते है वो हमारे घर के पास बने बड़े से कचराघर में जमा हो जाता है। सब कुछ एक साथ, सड़ती सब्जियाँ, टॉफ़ी के रैपर, किताबों-कापियों के फटे पन्ने।"
कचरे का बादल

"“ए मुन्नी! परे हट, मैं तेरे अंडे खाने आया हूँ,” वह चहक कर बोला। मुन्नी समझदार गौरैया थी। वह झटपट बोली, “काका किसी की क्या मजाल कि तुम्हारी बात न माने? लेकिन मेरी एक विनती है। मेरे अंडों को खाने से पहले तुम ज़रा अपनी चोंच धो आओ। यह तो बहुत गन्दी लग रही है।”"
काका और मुन्नी

"कोलाज क्या होता है?"
काका और मुन्नी

"रेखा खींच खड़े कर सकती घर-आँगन, लगती क्या देर?"
ऊँट चला, भई! ऊँट चला

"मेंढक और कछुए भी बहुत डर गए। क्या करें कुछ समझ में नहीं आ रहा था। सब निराश होकर बैठ गये। रोज़ की तरह दादा से रेडियो छीनने कोई नहीं आया। आगे की चिन्ता सभी को सता रही थी।"
मछली ने समाचार सुने

"मीठी ईद क्या आई कि लखनऊ में एक मेला-सा लग गया था।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने

"बच्चे गोमती के किनारे वाले मेले पहुँच चुके थे। क्या मज़े-मज़े की चीज़े थीं वहाँ! रंगबिरंगी काँच की चूड़ियाँ, रिबन, हार, मिट्टी के बने पशु-पक्षी, सिपाही और गुड़िया-सब के लिए कुछ न कुछ! मेले की चकाचौंध में बच्चे अपनी बहन के बारे में सब भूल-भुला गए।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने

"कढ़ाई कर रहे थे लेकिन उसका मन दूर अपने घर हरदोई में था जहाँ उसकी अम्मी और दो बहनें रहती थीं। क्या उनको भी उसकी उतनी ही याद आती थी जितनी उनकी उसे?"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने

"ईद के दिन भी दोनों दोस्त अपने पंछियों की उछल-कूद देख रहे थे। मुन्नु को लगा मुमताज़ आज बहुत उदास है, इतनी उदास कि कहीं वह रो ही न दे। “क्या बात है, आपा, आज इतनी गुमसुम क्यों हो? क्या हरदोई की याद आ रही है? क्या वहाँ तुम्हारे और भी पालतू पंछी हैं?”"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने

"“अरे, तो क्या वह कभी भी घर से बाहर नहीं जाती थीं?” मुन्नु हैरान था।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने

"कमरु ने कोना पकड़ तो लिया लेकिन वह कुछ पशोपेश में भी थी। आखिर मुमताज़ कह क्या रही थी! उसे तो वहाँ नाचती मुनिया और गुटरगूँ करते, खेलते हुए लक्का-लोटन के इलावा और कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने

"रज़ा ने देखा कि अब्बा के माथे पर परेशानी झलक रही थी। हाय, अगर बादशाह सलामत को पटके पसन्द नहीं आये तो क्या वे सारे कपड़े लौटा देंगे, मुझे फ़ौरन कुछ करना होगा, उसने सोचा।"
रज़ा और बादशाह

"उसने यहाँ-वहाँ नज़र दौड़ाई और अनायास बोल पड़ा,”हुज़ूर क्या आप चटख़ लाल पर स़फेद और पीली बुंदकियों वाला देखना पसन्द करेंगे?“"
रज़ा और बादशाह

"स्कूल से घर लौटते हुए अली, गौरव, सुमी और रानी, मुझसे बार-बार मेरी इस नई ज़िम्मेदारी के बारे में पूछते रहे। मैंने बात टालने की कोशिश की, लेकिन मुझे तो मालूम था कि मुझे क्या काम सौंपा गया है। मैंने उनसे कहा कि पता नहीं तुम लोग किस चीज़ के बारे में बात कर रहे हो। लेकिन यह बात सच नहीं थी। मुझे अच्छी तरह पता था कि वे किस के बारे में पूछ रहे हैं?"
थोड़ी सी मदद

"जानती हो कल क्या हुआ? गौरव, अली और सातवीं कक्षा के उनके दो और दोस्त स्कूल की छुट्टी के बाद मेरे पीछे पड़ गए। तुम समझ ही गई होगी कि वह क्या जानना चाहते होंगे! उन्होंने मेरा बस्ता छीन लिया और वापस नहीं दे रहे थे। बाद में उन्होंने उसे सड़क किनारे झाड़ियों में फेंक दिया। उसे लाने के लिए मुझे घिसटते हुए ढलान पर जाना पड़ा। मेरी कमीज़ फट गई और माँ ने मुझे डाँटा।"
थोड़ी सी मदद

"मैं सबसे कहता हूँ कि वे जो कुछ भी जानना चाहते हैं ख़ुद तुमसे ही पूछ लें। मुझसे पूछने का क्या मतलब? मुझे कैसे पता हो सकता है कि तुम्हारे पास वह चीज क्यों है और वह कैसे काम करती है?"
थोड़ी सी मदद

"सच कहूँ तो ख़ुद मैं भी यह बात जानना चाहता हूँ और मेरे मन में भी वही सवाल हैं जो लोग तुम्हारे बारे में मुझसे पूछते हैं। हाँ, मैंने पहले दिन ही, जब तुम कक्षा में आई थीं, गौर किया था कि तुम एक ही हाथ से सारे काम करती हो और तुम्हारा बायाँ हाथ कभी हिलता भी नहीं। पहले-पहल मुझे समझ में नहीं आया कि इसकी वजह क्या है। फिर, जब मैं और नजदीक आया, तब देखा कि कुछ है जो ठीक सा नहीं है। वह अजीब लग रहा था, जैसे तुम्हारे हाथ पर प्लास्टिक की परत चढ़ी हो। मैं समझा कि यह किसी किस्म का खिलौना हाथ होगा। मुझे बात समझने में कुछ समय लगा। इसके अलावा, खाने की छुट्टी के दौरान जो हुआ वह मुझसे छुपा नहीं था।"
थोड़ी सी मदद

"उस दिन खाने की छुट्टी के दौरान जो कुछ हुआ, मैं देख रहा था। आख़िर मैं भी सब कुछ जानना चाहता हूँ। क्या किसी का एक ही हाथ होना कोई अजीब बात है? सिर्फ़ तुम्हारा हाथ ही ऐसा है या फिर तुम्हारी पूरी बाँह ही नकली... माफ़ करना, प्रॉस्थेटिक है?"
थोड़ी सी मदद

"सुमी अपने जूते के फीते नहीं बाँध सकी। और खेलने के बाद भी उसे जूते के फीते बाँधने का ध्यान नहीं रहा, और वह उलझ कर गिर पड़ी। उसकी ठोड़ी में चोट लग गई। जब मैडम ने उसकी ठोड़ी की चोट देखी तो उस पर ऐंटीसेप्टिक क्रीम तो लगा दी, लेकिन उसे लापरवाही बरतने के लिए डाँट भी पड़ी। “जूतों के फीते बाँधे बिना पहाड़ों में दौड़ लगाई जाती है? घर जाते समय गिर पड़तीं या और कुछ हो जाता तो क्या होता?“"
थोड़ी सी मदद

"तुम जानती हो न कि सँयोग क्या होता है? यह ऐसी बात है कि जैसे तुम कुछ कहो और थोड़ी देर में वही बात कुछ अलग तरीके से सच हो जाए। पिछले पत्र में मैंने तुम्हें सुमी और जूतों के फीतों के बारे में बताया था। और उसके बाद, आज, मैंने तुम्हें जूतों के फीते बाँधते हुए देखा। वाह, यह अद्भुत था! मैं सोचता हूँ कि तुमने यह काम मुझसे ज़्यादा जल्दी किया जबकि मैं दोनों हाथों से काम करता हूँ। अगर तुम मेरी दोस्त न होतीं तो मैं तुम्हारे साथ जूते के फीते बाँधने की रेस लगाता। नहीं, नहीं, शायद मैं तुम्हें कहता कि मुझे भी एक हाथ से फीते बाँधना सिखाओ।"
थोड़ी सी मदद

"पता नहीं इसका क्या मतलब है, लेकिन वे बहुत परेशान दिखते हैं। तुमने उनके बाल देखे हैं? वह ऐसे लगते हैं जैसे उन्होंने बिजली का नँगा तार छू लिया हो और उन्हें करारा झटका लगा हो! वैसे, मुझे लगता है कि रानी ने उनकी कुर्सी पर मेंढक रख कर अच्छा नहीं किया।"
थोड़ी सी मदद

"तुम्हारा नया हाथ तो बहुत ही बढ़िया है! बुरा न मानना, लेकिन पुराना वाला हाथ कुछ उबाऊ था। बस था... नाम को। जबकि नया वाला तो बिल्कुल जादू जैसा है, और तुम उँगलियाँ भी चला सकती हो और उनसे चीजें भी पकड़ सकती हो! मुझे उम्मीद है कि अगर मैं तुमसे हाथ मिलाने के लिए कहूँ तो तुम बुरा नहीं मानोगी। अरे यह बात बस मेरे मुँह से यूँ ही निकल गई। कल देखेंगे कि क्या तुम इस से कुछ सामान भी उठा सकती हो।"
थोड़ी सी मदद

"1. आपकी अध्यापिका ने कक्षा में नए आए साथी को पूरा स्कूल दिखाने को कहा है। आप क्या सोचेंगे?"
थोड़ी सी मदद

"2. आपकी कक्षा की एक लड़की लँगड़ाते हुए चलती है। बाकी बच्चे उस पर हँसते हैं। आप क्या करेंगे?"
थोड़ी सी मदद

"3. आपके नए सहपाठी को पहले पढ़ाए गये पाठ समझने में दिक्कत हो रही है। आप क्या करेंगे?"
थोड़ी सी मदद

"अ. कक्षा की सबसे होशियार छात्रा से कहेंगे कि वह अपने नोट्स उसे पढ़ने के लिए दे दे। ब. अध्यापिका से कहेंगे कि उसकी मदद करना उनका काम है। स. उससे पूछेंगे कि क्या उसे आपकी मदद चाहिए। 4. आपकी कक्षा की नई छात्रा जरा शर्मीली है। वह किसी के साथ नहीं खेलती। आप क्या करेंगे? अ. उससे कुछ नहीं कहेंगे। जब उसकी झिझक मिट जाएगी तब खेलने लगेगी। ब. उसे बुला कर खेल में शामिल होने को कहेंगे। स. उस के पास जा बैठेंगे। शायद वह बातें करने लगे।"
थोड़ी सी मदद

"अब देखें कि आप ने कितने अँक पाए और इसका क्या मतलब है..."
थोड़ी सी मदद

"“अरे कल्लन कोहरा है तो क्या करें? तुझे सूरज कहाँ से दिखाएँ? अब्बू कब से खेत पर चले गये हैं और मोहल्ले के सब बच्चे कब के स्कूल चले गये,” शब्बो ने कड़क के कहा।"
कल्लू कहानीबाज़

"पिछले महीने वे पास के शहर में कल्लू की कक्षा को कमप्यूटर की प्रदर्शनी में ले गये थे। क्या मशीनें थीं! वाह! वहाँ के दुकानदार ने उन्हें सही तरह से "‘माउस"’ का इस्तेमाल सिखाया था और इन्टरनेट पर जाने का तरीका भी। वह तो बिल्कुल जादू के जैसा था। अब कल्लू और दामू भी माउस की जादूगरी सीखना चाहते थे कि वे भी कमप्यूटर की स्क्रीन पर ’ "ज़िप-ज़ैप’" दौड़ सकें।"
कल्लू कहानीबाज़

"“कहानी? कौन सी कहानी?” कल्लू ने गंभीर चेहरा बना के अचरज दिखाने की कोशिश की, “मैं कहानियाँ नहीं सुनाता... मतलब... कि” यह सब क्या हो रहा है, कल्लू ने सोचा, “एक-एक शब्द सौ प्रतिशत सच मास्टर जी।” “आज तो समय से पन्द्रह मिनट पहले आ गये कल्लन,” मास्टर जी की मुस्कान खिली।"
कल्लू कहानीबाज़

"फिर उन्होंने पूछा कि पॉलिथीन से और क्या होता है। तब हमने उन्हें बताया कि पॉलिथीन अगर उपजाऊ जगह पर प्रयोग किया जाए तो वह खराब हो सकती है, जैसे गेहूँ के पौधे के ऊपर यदि पॉलिथीन रखते हैं तो पौधा ठीक से नहीं उगेगा।"
पॉलिथीन बंद करो

"लोग कहा करते थे कि उनको छोटी उम्र से ही रबड़ी बहुत पसंद थी। उनकी माँ उनके लिए अक्सर रबड़ी बनाया करती थीं। क्या यही कारण था कि उनकी कलार्इयाँ लचकदार व जाँघें मज़बूत स्टील की स्प्रिंग जैसी थीं जो हॉकी खेलने में सहायता करती थीं?"
ध्यान सिंह  'चंद'  : हॉकी के जादूगर

"लेकिन ममता रखने वाली प्रत्येक माँ की तरह ही वो अपने बेटे को बड़े प्रेम से खिलाया पिलाया करती थीं, बिना यह सोचे कि आगे चलकर वो क्या बनेंगे।"
ध्यान सिंह  'चंद'  : हॉकी के जादूगर

"एक स्थानीय अखबार ने इसके बारे में कुछ इस प्रकार से लिखा, “यह हॉकी का खेल नहीं है, यह जादू है, ध्यान चंद वास्तव में हॉकी के जादूगर हैं।” जिसने भी ध्यान चंद की स्टिक से गेंद को चिपके हुए देखा है, उसको वास्तव में यह पता है कि इन शब्दों का क्या अर्थ है।"
ध्यान सिंह  'चंद'  : हॉकी के जादूगर

"समस्या यह थी कि भारत की टीम ने ८ गोल कर दिये थे। एडोल्फ़ हिटलर ने क्या सोचा होगा? जर्मनों के सर्वश्रेष्ठ होने की धारणा को इस पराजय से कितनी ठेस पहुँची होगी?"
ध्यान सिंह  'चंद'  : हॉकी के जादूगर

"अगले दिन मोरू ने स्कूल छूटने का इन्तज़ार किया। जब सब बच्चे जा चुके थे और शिक्षक अकेले थे, मोरू चुपचाप अन्दर आया और दरवाज़े पर आ कर खड़ा हो गया। शोरोगुल और हँसी मज़ाक के बगैर स्कूल कुछ भुतहा सा लग रहा था। शिक्षक ने नज़र उठाई और बोले, “अच्छा हुआ जो तुम आ गये। मुझे तुम्हारी मदद चाहिये।” मोरू को अचरज हुआ। शिक्षक क्या मदद चाहते होंगे? उनके पास तो मदद के लिये स्कूल में बहुत से बच्चे थे। वे धीरे से बोले, “क्या तुम किताबों को छाँटने में मेरी मदद कर सकते हो?”"
मोरू एक पहेली

"अँधेरा हो चला था और स्कूल में बिजली नहीं थी। “अब तुम्हें घर जाना चाहिये मोरू, पर कल फिर आ सकते हो?” शिक्षक ने पूछा, “पर क्या उस समय आओगे जब बच्चे यहाँ हों?” अगले दिन स्कूल शुरू होने के कुछ देर बाद मोरू आया। बच्चे उसे देख कर हैरान थे और कुछ डरे भी। अब तक मोरू का मौहल्ले के अकड़ू दादाओं में शुमार होने लगा था। “अब मेरी मदद करने वाला कोई है,” शिक्षक ने कहा।"
मोरू एक पहेली

"क्या सोचते हो मुन्ने राजा, तुम क्या सोचते हो?"
दीदी, दीदी, बादल क्यों गरजते हैं?

"बताओ भी न मुन्ने राजा, क्या लगता है तुम्हें?"
दीदी, दीदी, बादल क्यों गरजते हैं?

"(दीदी, क्या उसकी अम्मी उसकी पिटाई नहीं करतीं? अगर घर पर मैंने कभी ऐसे गुस्सा दिखाया तो अम्मी तो मेरी कस कर पिटाई करतीं!)"
दीदी, दीदी, बादल क्यों गरजते हैं?

"बताओ न दीदी, क्या पढ़ा है आपने,"
दीदी, दीदी, बादल क्यों गरजते हैं?

"तुम क्या सोचते हो?"
दीदी, दीदी, बादल क्यों गरजते हैं?

"बोलो न मुन्ना क्या सोचा तुमने?"
दीदी, दीदी, बादल क्यों गरजते हैं?

"मुन्ना पहले तुम बताओ। तुम क्या सोचते हो?"
दीदी, दीदी, बादल क्यों गरजते हैं?

"मुन्ने राजा, क्या कहने तुम्हारी बातों के,"
दीदी, दीदी, बादल क्यों गरजते हैं?

"दीदी, बता दो क्या कहती हैं"
दीदी, दीदी, बादल क्यों गरजते हैं?

"अगले दिन सभा में, कोट्टवी राजा ने पूछा, “मुख्य मंत्रीजी, आप क्या करते हैं जब आपको रात में नींद नहीं आती?”"
कोट्टवी राजा और उनींदा देश

"रात की शान्ति में उस मधुर धुन को सुनने में क्या आनंद आ रहा था। कोट्टवी राजा को चैन मिला। आहा परमानंद!"
कोट्टवी राजा और उनींदा देश

"मगर इधर रसोईए, संगीतकार, विदूषक, मालिश वाले और रानी का क्या हाल हुआ? वो रात भर सेवा में तत्पर रहे, उन्हें कभी यह नहीं पता होता था कि कब राजा जाग जाएँ और उन्हें बुला बैठें। और अब ये सब लोग दिन भर थके और चिड़़चिड़़े रहने लगे। वही हाल उनका भी था जो उनका इंतज़ार करते थे- रसोइए की बीवी, संगीतकार का बेटा, विदूषक का भाई, मालिश वाले के पिताजी, रानी की परिचारिका, परिचारिका का पति, पति का भाई, भाई का दोस्त, दोस्त के माँ - बाप... सारा शहर।"
कोट्टवी राजा और उनींदा देश

"इस 'ट्रम्पेटफ़िश’ ने ख़ुद को दूसरों की नज़र से बचाने के लिए,... 'येलो टैंग’ के झुंड में अलग नज़र न आने के लिए, अपना रंग ही बदल डाला। फिर भी क्या तुमने इसे आसानी से नहीं ढूंढ निकाला?"
गहरे सागर के अंदर!

"उसने उससे पूछा कि क्या वह उस बिल्ली को काटेगी। चींटी तुरंत मान गई।"
गौरैया और अमरूद

"तब आप रोज़ाना कुछ समय यह देखने में बिता सकते हैं कि आपके आम के पेड़ पर कौन आता है, कब आता है, और क्या करता है। आप जो कुछ देखें उसे एक जगह लिख कर रखें। इसके अलावा, आप जो कुछ देखें उसके चित्र भी बना कर रखें।"
जादव का जँगल

"एक दिन शर्माते हुए वह दीदी के पास गई और बोली, "क्या आपके पास थोड़ा सा समय है? क्या आप मुझे कहानी सुनायेंगी?""
कहानियों का शहर

"मीमी के दोस्त आस-पास खेल रहे थे। दीदी क्या कह रही हैं?"
कहानियों का शहर

"शहर के मेयर को चिंता होने लगी, "अब क्या किया जाये?" समुद्र के किनारे अपने घर में चहलकदमी करते हुए उन्होंने अपने मंत्रियों से बात की।"
कहानियों का शहर

""विशेषताएं? रुको मुझे सोचने दो। क्या मेरे घुंघराले बालों को मेरी विशेषता कहा जायेगा?""
कहाँ गये गालों के गड्‌ढे?

"विशेषता यानी ख़ूबी ही तो है! क्या तुम सोच कर बता सकती हो कि तुम्हारी दूसरी विशेषताएं क्या हैं?" इम्मा ने पूछा।"
कहाँ गये गालों के गड्‌ढे?

""मेरे घुंघराले बाल अप्पा से मिली एक विशेषता है और ठुड्डी के बीच का गड्ढा आप से मिली हुई विशेषता है। क्या आपको यह विशेषताएं आपके अभिभावकों से मिली है?" "हां! तुमने"
कहाँ गये गालों के गड्‌ढे?

""मेरी ओर देखो लांगलेन," अप्पा बोले। "मैं बिल्कुल विशिष्ट हूं। मेरा क़द ख़ूब लंबा है, मेरे सिर, चेहरे और कानों पे बड़े-बड़े घुंघराले बाल हैं। और मैं दुनिया में सबसे चौड़े पैरों वाला व्यक्ति हूं। अगर तुम्हारे कानों पर बहुत बड़े-बड़े और घुंघराले बाल हों तो तुम क्या करोगी?""
कहाँ गये गालों के गड्‌ढे?

"अपना पारिवारिक पेड़ बनाना जैसा कि आपको अब तक जान ही गए होंगे की लांगलेन की इम्मा (मम्मी) मणिपुर से हैं और अप्पा (पापा) तमिलनाडु से। क्या आप भी लांगलेन की तरह (पेज 7 और पेज 8) अपना पारिवारिक पेड़ बनाना चाहेंगे? एक कागज़ और पेन उठाइये और इसे तुरंत ही बनाइये। यदि आप कहीं भी अटक जाएं, तो अपने परिवार वालों की मदद लें।"
कहाँ गये गालों के गड्‌ढे?

"एक दिन फिर उस लड़के ने माँ से पूछा, "माँ, दीदी स्कूल क्यों नहीं जाती?" तब माँ ने कहा, "बेटा, तुम स्कूल जाओ, दीदी पढ़ कर क्या करेगी?" लड़का दुखी होकर स्कूल चला गया।"
और दीदी स्कूल जाने लगी

"एक दिन स्कूल में उसकी टीचर बोली, "बेटा, तुम रोज़ स्कूल आते हो लेकिन तुम्हारी दीदी क्यों नहीं आती?" उस लड़के ने टीचर को बताया कि माँ बोलती है कि दीदी पढ़ कर क्या करेगी? यह सुनकर उसकी टीचर बोली, “बेटा, अपनी माँ से कहना कि वह कल आकर मुझसे बात करें।”"
और दीदी स्कूल जाने लगी

"तोतो की समझ में नहीं आया कि वह क्या कहे!"
कहाँ गया गोगो?