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Storybook paragraphs containing word (67)
"वो दोनों दौड़े - भागे और बहुत दिनों तक दौड़ते भागते रहे।"
एक था मोटा राजा
"उस रात, चाँद और मैं, दोनों ने अपनी टोपियाँ पहनीं और मुस्कराए।"
चाँद का तोहफ़ा
"मैं और मेरी दोस्त टीना दोनों साथ-साथ रहतीं| मैं खिड़की से देखती और वो भी मेरे साथ-साथ देखती| जहाँ जातीं हरदम साथ रहतीं|"
मैं और मेरी दोस्त टीना|
"आटे में दो तरह के प्रोटीन होते हैं - ग्लाइडीन और ग्लोटेनिन। इन दोनों प्रोटीन के अणुओं को बहुत प्यास लगती है।"
पूरी क्यों फूलती है?
"ओह, लेकिन यह दोनों बातें भला कैसे जुड़ी हुई हैं?"
पूरी क्यों फूलती है?
"अम्मा और बाबा दोनों तैयार हैं। अम्मा ने कढ़ाई चढ़ा (फ्राई पैन चढ़ा) कर उस में थोड़ा तेल डाल दिया है। वह गूँधे हुये आटे से थोड़ा सा आटा लेती हैं। अब वह एक पूरी बेल रही हैं। गर्म तेल में पूरी को डालते हैं। थोड़ी देर में पूरी फूल जाती है।"
पूरी क्यों फूलती है?
"हवाई जहाज़ बहुत बड़े और बहुत भारी होते हैं। उसके दोनों किनारे पर पक्षी की तरह ही पंख बने होते हैं, जो उन्हें उड़ने में मदद करते हैं। इन जहाजों के पंखों की बनावट ठीक पक्षियों के पंखों जैसी होती हैं। नीचे से सपाट और ऊपर से मुड़े हुए, जो उन्हें आसमान में बहुत ऊँचे तक उड़ने में मदद करते हैं।"
हवाई जहाज़ कैसे उड़ते हैं?
"वह आज बहुत खुश थे! आज तो मुत्तज्जी जी का जन्मदिन था और उन दोनों को रेलगाड़ी से उनसे मिलने जाना था।"
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
"मुत्तज्जी इन जुड़वां भाई-बहन की माँ की माँ की माँ थीं! ओर वह मैसूर में अज्जी के साथ रहती थीं, जो इन दोनों की माँ की माँ, यानी नानी, थीं। किसी को पता नहीं था कि मुत्तज्जी का जन्मदिन असल में कब होता है, लेकिन अज्जी हमेशा से मकर सक्रांति की छुट्टी के दिन उनका जन्मदिन मनाती थीं।"
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
"मैसूर में हरे रंग के उस पुराने मकान में पहुँचते ही दोनों दौड़ते हुए सीधे मुत्तज्जी के कमरे मे घुस गए!"
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
"मुत्तज्जी ने दोनों को गले लगाते हुए कहा, "मैं कितने साल की हूँ? कौन जाने? और इससे फर्क भी क्या पड़ता है?""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
"अज्जी ने ज़रा सोच कर जवाब दिया, "पक्का तो नहीं, लेकिन तुम दोनों दोपहर के खाने के बाद अपने अज्जा के साथ लाइब्रेरी जाकर वहाँ पता कर सकते हो।""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
""बिलकुल! बहुत अच्छी है।" दोनों ने ज़ोर से कहा, "धन्यवाद, अज्जा!" अब दोनों बच्चे जान गए थे कि मुत्तज्जी कितने साल की हैं।"
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
"पांच मिनट बाद, दोनों अपने घर की तरफ भागे जा रहे थे।"
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
""मुत्तज्जी!" हाँफते -भागते दोनों सीधे मुत्तज्जी के कमरे मे घुस गए। "क्या मैसूर के महाराजा को ब्रिटेन के राजा जॉर्ज (पंचम) ने सोने का तमगा दिया था?""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
""आ..." मुत्तज्जी ख़ुश होकर बोलीं। "बिलकुल सही! जॉर्ज! तुम दोनों कितने होशियार हो!""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
""तुम दोनों तो बहुत बड़े जासूस हो गए हो!" अम्मा मुस्कायीं। "और मुझे लगता है तुम दोनों और मुत्तज्जी की ख़ास दावत होनी चाहिए - यानि एक बड़ा सा केक, गुलाबी आइसिंग और जिसके ऊपर लगा हो एक गुलाब!""
मुत्तज्जी की उम्र क्या है?
"पच्चा ने पूछा,”वैसे, तुम दोनों आज यहां क्या कर रहे हो?” टूका और पोई ने कहा, ”हम चीज़ें इकट्ठी कर रहे हैं!”"
आओ, बीज बटोरें!
"परवेज़ ने उसका हाथ पकड़ा और दोनों ने एक साथ छलांग लगा कर पार कर लिया।"
कोयल का गला हुआ खराब
"“कू-ऊऊऊऊह-ऊऊऊऊह। परवेज़ दादी को उस गला खराब वाली कोयल के बारे में बताता है। दोनों चलकर सुकर्ण स्कूल पहुँचते हैं जहाँ बधिर बच्चे पढ़ते हैं।"
कोयल का गला हुआ खराब
"स्टेल्ला ने अपने दोनों हाथ हवा में हिलाए। इसका मतलब हुआ कि वो ताली बजा रही थी। परवेज़ ने संकेत भाषा के कई शब्द उसे सिखा दिए थे जो उसकी शीला मिस ने सुकर्ण स्कूल में सिखाये थे।"
कोयल का गला हुआ खराब
"थक कर सत्यम माँ की पीठ पर लद गया। दोनों ऊँची-नीची पगडंडियों पर चढ़ते उतरते, खेत-जंगल-झरने पार करते घर लौटे।"
सत्यम, ज़रा संभल के!
"“ठहरो!” सारे शोर-शराबे को चीर कर मुनिया की पतली सी आवाज़ आयी। भीड़ और उस महाकाय के बीच से लँगड़ाती हुई वह आगे बढ़ी। “मुनिया! तुरन्त वापस आ जाओ!” मुनिया के बाबूजी का आदेश था। “उसे पकड़ो तो!” मुनिया के बाबूजी और एक ग्रामीण उसकी ओर दौड़ पड़े। महाकाय को दो कदम आगे बढ़ता देख वे लोग रुक गये। “कोई बात नहीं... अगर तुम लोग यही चाहते हो तो हम लोग तुम दोनों से इकट्ठे ही निपटेंगे!” अपने हाथ में भाला उठाये वह हट्टा-कट्टा आदमी चीखा।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी
"कुछ रंग ज़मीन पर छलका। कुछ रंग दीवार पर गिरा। और बहुत सारा उन दोनों पर!"
नन्हे मददगार
"जल्दी-जल्दी क़दम बढ़ाये ये कह दोनों बाहर आये।"
सबरंग
"किनारे पर एक नाव बाँस से बँधी हुई थी। वे दोनों उसकी रस्सी खोलने भागे। नौका पर सवार होकर, वे सैर का मज़ा ले रहे थे।"
नौका की सैर
"तुम्हें तो पता ही है कि वह कितनी गप्पी है! हम दोनों ने कई बार चाय पी और वे सारे लड्डू खा गई जो तुम्हारी माँ ने बनाए थे।" नानी बोलीं।"
नानी की ऐनक
"उनका सूटकेस कपड़ों से भरा है।
दोनों को अच्छे कपड़ों का बहुत शौक है।"
चाचा की शादी
"सुखिया काका और दीनू दोनों गा रहे थे, साथ में ठुमका भी लगा रहे थे।"
बारिश में क्या गाएँ ?
"अब दोनों पकोड़े खाने झलौरा गाँव की तरफ़ चल पड़े हैं।"
बारिश में क्या गाएँ ?
"कभी फुदक कर पेड़ के ऊपर तो कभी पेड़ के नीचे। कभी दोनों पैरों पर खड़ी होकर छलाँगें लगाती तो कभी चिड़ियों के पीछे दौड़ लगाती।"
चुलबुल की पूँछ
"हम दोनों बहुत खुश हुए।"
चलो किताबें खरीदने
"हम दोनों को पढ़ना बहुत अच्छा लगता है।"
चलो किताबें खरीदने
"हमने तय किया कि केवल हम दोनों छोटी दुकान में जायेंगे।"
चलो किताबें खरीदने
"और हम दोनों पढ़ते गये, पढ़ते गये और पढ़ते गये।"
चलो किताबें खरीदने
"चीनू कूद कर ठेले पर जा बैठा और उसने अपने पैर लटका लिये। पिता जी ने ठेले को धक्का दिया और ज़ोर से पुकार लगाई, “पेपरवाला...कबाड़ी!” चीनू ने भी पुकार लगाई। वाह! दोनों की क्या ज़ोरदार आवाज़ निकली!"
कबाड़ी वाला
"एक गाँव में दो दोस्त घनश्याम और ओम रहते थे। घनश्याम बहुत पूजा-पाठ करता था और भगवान को बहुत मानता था, जबकि ओम अपने काम पर ध्यान देता था। एक बार दोनों ने मिलकर एक बीघा खेत खरीदा और सोचा कि मिलकर खेती करेंगे। जो फ़सल तैयार होगी, उसको बेचकर जो रुपए मिलेंगे, उसमें घर बनवाया जाएगा। ओम खेत में दिन-रात खूब मेहनत करता, जबकि घनश्याम भगवान की पूजा प्रार्थना में व्यस्त रहता।"
मेहनत का फल
"यह झगड़ा बढ़ गया तो दोनों मुखिया के पास गए। मुखिया ने दोनों की बात सुनकर दोनों को एक-एक बोरी कंकड़ मिला चावल दिया और बोला, “कल साफ़ करके ले आना। फिर मैं फ़ैसला सुनाऊँगा।""
मेहनत का फल
"सुबह मुखिया ने दोनों को चावल दिखाने को कहा। ओम ने आधे से ज़्यादा चावल साफ़ कर दिए थे। घनश्याम से बोला गया तो उसने कहा, “मैंने भगवान से प्रार्थना की है, चावल साफ़ हो गए होंगे।""
मेहनत का फल
"लखनऊ आकर मुमताज़ को एक और दोस्त मिला-पड़ोस के सब्ज़ी वाले का आठ साल का बेटा, मुन्नु! मुन्नु हर रोज़ अपने पिता के साथ सब्ज़ी-भाजी लिए जगह-जगह फेरी लगाता और अपने ख़ास अंदाज़ में गुहार लगाता, “सब्ज़ी ले लो...ओ...ओ।” हाल ही में उसकी दोस्ती मुमताज़ के साथ हुई थी। हर रोज़ मुमताज़ अपना नाश्ता उसके साथ बाँटती और खाते-खाते दोनों बच्चे लक्का और लोटन के खेल देखा करते।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"ईद के दिन भी दोनों दोस्त अपने पंछियों की उछल-कूद देख रहे थे। मुन्नु को लगा मुमताज़ आज बहुत उदास है, इतनी उदास कि कहीं वह रो ही न दे। “क्या बात है, आपा, आज इतनी गुमसुम क्यों हो? क्या हरदोई की याद आ रही है? क्या वहाँ तुम्हारे और भी पालतू पंछी हैं?”"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"मुमताज़ इतनी खुश थी कि पूछो मत! और वह चाहती थी कि उसकी इस खुशी में उसकी दोनों बहनें भी शरीक हों। उसने कमरु और मेहरु से कहा कि वे भी उसके साथ उस आयोजन में चलें। मुमताज़ की सच्ची खुशी देखकर और अपनी ईर्ष्या सोचकर दोनों को बहुत मलाल हुआ।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"कबूतरों की गुटरगूँ सुनते हुए, दोनों फ़तेहपुर सीकरी के महल पर पहुँचे। भाले लिये दो पहरेदार, फाटक पर तैनात थे।"
रज़ा और बादशाह
"तुम जानती हो न कि सँयोग क्या होता है? यह ऐसी बात है कि जैसे तुम कुछ कहो और थोड़ी देर में वही बात कुछ अलग तरीके से सच हो जाए। पिछले पत्र में मैंने तुम्हें सुमी और जूतों के फीतों के बारे में बताया था। और उसके बाद, आज, मैंने तुम्हें जूतों के फीते बाँधते हुए देखा। वाह, यह अद्भुत था! मैं सोचता हूँ कि तुमने यह काम मुझसे ज़्यादा जल्दी किया जबकि मैं दोनों हाथों से काम करता हूँ। अगर तुम मेरी दोस्त न होतीं तो मैं तुम्हारे साथ जूते के फीते बाँधने की रेस लगाता। नहीं, नहीं, शायद मैं तुम्हें कहता कि मुझे भी एक हाथ से फीते बाँधना सिखाओ।"
थोड़ी सी मदद
"सुनो, हमारे साथ खेलने के बारे में मैने पहले जो कुछ भी कहा है उसके लिए मैं क्षमा माँगता हूँ। मुझे लगता है कि तुम सिर्फ़ शर्माती हो। और मैंने एक ही हाथ का इस्तेमाल करते हुए झूला झूलने की भी कोशिश की। और यह काम बहुत ही मुश्किल है, झूले को दोनों हाथों से पकड़ कर न रखा जाए तो शरीर का संतुलन नहीं बन पाता। लेकिन तुम जैसे जँगल जिम की उस्ताद हो। भले ही तुम बार पर लटक नहीं पातीं लेकिन तुम सचमुच बहुत तेज दौड़ती हो, अली से भी तेज, जिसे खेल दिवस पर पहला इनाम मिला था।"
थोड़ी सी मदद
"उसकी बहन मुनिया एक अल्मारी के पीछे से प्रकट हुई। उसके चेहरे पर भी चौड़ी मुस्कान खेल रही थी। दोनों इतनी ज़ोर से हँसे कि मुनिया को हिचकियाँ आ गईं।
निकलते हुए कल्लू ने रसोई से एक सूखी रोटी उठा ली थी। उसे चबाते हुए वह खुद से बात करते हुए चला जा रहा था।"कहानी कल्लन मियाँ। एक नई, मानने लायक कहानी नहीं तो फिर कोने में खड़े पाये जाओगे।”"
कल्लू कहानीबाज़
"“नहीं मास्टर जी,” कल्लू की आँखों में आँसू छलक आये और ये सचमुच के आँसू थे। जब चाहो निकाल दो वाले मगरमच्छी आँसू नहीं। वह सच में शो में भाग लेना चाहता था। “मास्टर जी!” उसकी आवाज़ में घबराहट और बेचारगी दोनों थी
“मैं वादा करता हूँ मैं फिर कभी देर नहीं करुँगा। एक मौका...”"
कल्लू कहानीबाज़
"कल्लू ने नाक पोंछ के सिर हिलाया। तब तक वे दोनों कक्षा में पहुँच चुके थे और कल्लू अपनी जगह की तरफ़ बढ़ा। मास्टर जी तुरन्त बोले, “कहाँ जा रहे हो? कोने में खड़े हो जाओ। कान पकड़ो।”
उसके सहपाठी हँसने लगे और मास्टर जी ने आखिरी धमकी फेंकी, “शायद मैं तुम्हें अगली कक्षा में न चढ़ाऊँ। कल्लन-आठवीं फेल देर से आने से अंक कटने की वजह से।”
और आज वह फिर देर से जा रहा था।"
कल्लू कहानीबाज़
"और इन सटीक पासों की वजह से वे जादूगर के रूप में जाने जाते थे। उनके अवकाश प्राप्ति के कर्इ सालों बाद उन्होंने अपने सुंदर खेल के बारे में इस प्रकार से समझाया, “रहस्य मेरे दोनों हाथों, दिमाग और नियमित प्रशिक्षण में है।”"
ध्यान सिंह 'चंद' : हॉकी के जादूगर
"में हिस्सा लिया। भारत ने अमेरिका और जापान दोनों को"
ध्यान सिंह 'चंद' : हॉकी के जादूगर
"तब तक ध्यान चंद के छोटे भार्इ रूप भी टीम में आ चुके थे और दोनों भार्इयों ने मिल कर ३५ में से २५ गोल किये थे। एक अमेरिकी पत्रकार ने लिखा कि यह भारतीय टीम “पूर्व का एक तूफ़ान है।” और यह तूफ़ान अभी शुरु ही हो रहा था। १९३२ के अपने विजयी दौरे में भारतीय टीम ने ३७ मैचे खेले और इनमें ३३८ गोल किये। इनमें से १३३ ध्यान ने किये थे। १९३४ में ४८ मैचों में भारतीय टीम ने ५८४ गोल किये, जिसमें से ध्यान चंद ने २०१ गोल किये।"
ध्यान सिंह 'चंद' : हॉकी के जादूगर
"कुछ दिनों बाद शिक्षक फिर वहाँ से जा रहे थे। वह एक बहुत बड़ा थैला उठाये हुए थे। थैला बहुत भारी था। शिक्षक काफ़ी मुश्किल में थे। मोरू ने सर खुजलाया। शिक्षक धीरे-धीरे वहाँ से निकले। मोरू ने कुछ सोचा और फिर शिक्षक के पीछे भागा। बिना कुछ बोले उसने थैले को एक तरफ़ से थामा। शिक्षक को कुछ राहत मिली और दोनों मिल कर उस भारी बोझ को स्कूल तक ले गये।"
मोरू एक पहेली
"गुब्बारे पर ऊन रगड़ने से, दोनों के बीच में इलेक्ट्रॉनों का आदान-प्रदान हो जाता है। गुब्बारे
में इलेक्ट्रॉनों की मात्रा अधिक होने से उसमें
ॠण आवेश हो जाता है। अब जब तुम इस
गुब्बारे को दीवार पर लगाते हो, तो गुब्बारे के"
दीदी, दीदी, बादल क्यों गरजते हैं?
"जब हम अपनी 'बोट’ पर लौटने के लिए ऊपर जाने लगे, तब उड़ान भरने के अंदाज़ में तैरती मैंटा रे ने दर्शन देकर हमें रोमांचित कर दिया। दो रिमोरा मछलियां इसके दोनों ओर साथ - साथ तैर रही थीं।"
गहरे सागर के अंदर!
"प्रवाल ऐसे जीव हैं जिन्हें वनस्पति और जंतु दोनों माना गया है। बहुत छोटे - छोटे हज़ारों काई जैसे हरे - नीले ऐल्गी यानी शैवाल इनके अंदर रहते हैं, और इन्हें पनपने में मदद करते हैं। प्रवाल का कंकाल शरीर के अंदर नहीं, बाहर होता है!... और इनके रंग - रूप होते हैं अनेक!"
गहरे सागर के अंदर!
"दौड़ में कुछ आलस के कारण खरगोश हार गया। अपनी मंज़िल की ओर लगातार चलकर कछुआ विजयी हुआ, लेकिन जंगल की प्रजा में दोनों के लिए कोई भेदभाव नहीं था। दोनों की ही बहुत इज्ज़त होती।"
कछुआ और खरगोश
""तुम दोनों में से किसी एक को पड़ोसी राज्य जाना पड़ेगा। मेरा संदेश उन्हें देकर उनका जवाब लेकर एक दिन के अन्दर वापस आना होगा।""
कछुआ और खरगोश
"तब खरगोश और कछुए ने एक साथ बैठकर बहुत सोचा। हम दोनों में से किसी एक से यह काम न होगा इसीलिए दोनों साथ मिलकर चलेंगे। जंगल के रास्ते पर खरगोश अपनी पीठ पर कछुए को बिठाकर दौड़ लगाएगा। नदी पार करते समय खरगोश कछुए की पीठ पर चढ़ जायेगा। यह तय करके दोनों को तसल्ली हुई।"
कछुआ और खरगोश
"अगले दिन तड़के दोनों तैयार हो गये। राजा का संदेश लेकर दोनों निकल पड़े। खरगोश अपनी पीठ पर कछुए को बिठाकर तेज़ी से दौड़ा।"
कछुआ और खरगोश
"इस तरह दोनों साथ मिलकर बहुत जल्दी अपनी मंज़िल तक पहुँच गये। उस राजा से बातचीत करके वापस लौटे।"
कछुआ और खरगोश
"जितना समय उनके राजा ने दिया था उससे पहले ही दोनों ने अपना काम कर दिखाया।"
कछुआ और खरगोश
"तब अंत में दीदी और मीमी को खोज कर, समुद्र के किनारे, मेयर के निवास पर हाज़िर होने का हुक्म मिला। मंत्रियों को बताया गया था कि इन दोनों से शहर में कहानियों की बाढ़ आई है जिसमें सारा शहर गोते लगा रहा है।"
कहानियों का शहर
"भारी भरकम मंत्रियों के बीच घिरी हुई दीदी भी छोटी सी लग रही थीं। कोई मुस्कराया तक नहीं। सभी लोग उन दोनों को भवें सिकोड़े, गुस्से भरी आँखों से देख रहे थे।"
कहानियों का शहर
""तुम थोड़ी-थोड़ी हम दोनों जैसी लगती हो, क्योंकि तुम हमारी प्यारी लांगलेन हो," इम्मा बोली और उसे बाहों में भींच कर गले से लगा लिया।"
कहाँ गये गालों के गड्ढे?
""हां। सभी ऐसे जीव जो दो जीवों की संतान होते है, उनमें माता और पिता दोनों की विशेषताएं होती हैं," अप्पा ने समझाया।"
कहाँ गये गालों के गड्ढे?
"इम्मा दोनों की ओर देख कर हंस पड़ीं। औरतों के कानों में बाल नहीं होते, लेकिन लगता है कि ऐसे बेवकूफ़ी भरे मज़ाक करने की विशेषता तुम्हें अपने पिताजी से मिली है!""
कहाँ गये गालों के गड्ढे?
"एक गाँव में एक लड़का और उसका परिवार रहता था। उसके परिवार में दादा, दादी, माँ और दीदी थे। भाई-बहन दोनों साथ-साथ स्कूल में पढ़ते थे।"
और दीदी स्कूल जाने लगी