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Storybook paragraphs containing word (76)
"वह कभी शिकायत नहीं करता। क्योंकि ऑटो वाले शिरीष जी भी बहुत मेहनत करते थे। शिरीष जी की बूढ़ी हड्डियों में बहुत दर्द रहता था फिर भी वह अर्जुन के डैशबोर्ड को प्लास्टिक के फूलों और हीरो-हेरोइन की तस्वीरों से सजाये रखते। कतार चाहे कितनी ही लंबी क्यों न हो वह अर्जुन में हमेशा साफ़ गैस ही भरवाते। और जैसे ही अर्जुन की कैनोपी फट जाती वह बिना समय गँवाए उसे झटपट ही ठीक कर लेते।"
उड़ने वाला ऑटो
"लेकिन कहीं न कहीं अर्जुन के मन में एक इच्छा दबी हुई थी। वह उड़ना चाहता था।
वह सोचता था कि कितना अच्छा होता अगर उसके भी हेलिकॉप्टर जैसे पंख होते, वह उसकी कैनोपी के ऊपर की हवा को काट देते!
शिरीष जी अपने सिर को एक अँगोछे से लपेट लेते जो हवा में लहर जाता। और “फट फट टूका, टूका टुक,” आसमान में वे उड़ने निकल पड़ते।"
उड़ने वाला ऑटो
"लेकिन अर्जुन जानता था कि यह तो बस एक सपना है। ऑटो में हेलिकॉप्टर के पंख होना तो ठीक ऐसा था जैसे हाथी के पंख निकल आना, या फिर रॉकेट की तरह अंतरिक्ष में ढेर सारे डिब्बों वाली ट्रेन का होना।"
उड़ने वाला ऑटो
"केक जैसे गोल मंगोलिया के खेमे यर्ट।"
सबसे अच्छा घर
"आधी गेंद जैसे इग्लू।"
सबसे अच्छा घर
"और किले जैसे बड़े-बड़े..."
सबसे अच्छा घर
"या मेरे घर जैसे अटपटे-चटपटे।"
सबसे अच्छा घर
"टोडा डोगल: नीलगिरि के टोडा लोग बाँस और घास से ढोल जैसे घर बनाते हैं। डोगल का दरवाज़ा बहुत छोटा होता है। लोग घुटनों के बल घर के अंदर जाते हैं।"
सबसे अच्छा घर
"आटे में जैसे ही पानी डाला जाता है, यह अणु उसे पी लेते हैं। वे पानी पीने के बाद बड़े और मोटे हो जाते हैं। वे फैल जाते हैं। ज़ाहिर है कि उनके पास आराम से बैठने के लिये जगह नहीं होती है – इसलिए वह एक दूसरे को छूते हैं और धक्कामुक्की करते हैं। वे एक दूसरे से चिपक जाते हैं।"
पूरी क्यों फूलती है?
"इस गूँधे हुये आटे को अम्मा थोड़ी देर के लिये एक तरफ़ रख देती हैं। अब वह खीर बना रही हैं जैसे ही वह पूरियाँ बेलना शुरू करेंगी, हम वापिस आ जायेंगे।"
पूरी क्यों फूलती है?
"क्या ज्वार, बाजरे या चावल के आटे से पूरियाँ बन सकती है, अगर नहीं तो क्यों? गेहूँ के आटे से पूरियों के अलावा हम और क्या चीज़ें बना सकते हैं? अगर आटे में ज़्यादा पानी डाल दिया जाये तो क्या होगा? अगर हम आटे को खाना पकाने के दूसरे तरीकों, जैसे तंदूर या तवा पर पकाते हैं तो क्या होता है?"
पूरी क्यों फूलती है?
"मधुमक्खियाँ एक बहुत फायदे के काम के लिए भी भन-भन करती हैं; वे पराग यानि छोटे-छोटे भुरभुरे दानों को एक फूल से दूसरे तक ले जाती हैं, जैसे कोई डाकिया चिट्ठियाँ पहुँचा रहा हो।"
मधुमक्खियाँ क्यों भन-भन करती हैं?
"3. छत्ता यानि मधुमखियों का घर जैसे इंजीनियरिंग की एक मिसाल होता है! आप को क्या लगता है! छाते की तरह बेहतरीन षट्कोन (हेक्सागोनस) बनाने कि मदद से इसके मॉडल्स बनाइये! 4. तब शायद आपको इसका जवाब मिल जाए और तब आप समझ जाएंगे की अलग अलग फूलों के रस से बने शहद का स्वाद भी एकदम अलग अलग होता है!"
मधुमक्खियाँ क्यों भन-भन करती हैं?
""सरला! तुम्हें कुछ समय पुस्तकालय में बिताना चाहिए। वहाँ पक्षियों और विमानों के बारे में बहुत -सी किताबें हैं, और यंत्रों के बारे में भी, जैसे कि हवाई जहाज़।"
हवाई जहाज़ कैसे उड़ते हैं?
"कार एवं अन्य वाहन भी इंजिन की सहायता से ही चलते हैं, मगर वे विमान की तरह आसमान में उड़ नहीं सकते। हवा विमान के उन पंखों के ऊपर और अंदर बहती है जो पक्षी के पंख जैसे होते है, इन्हीं के दबाव से विमान ऊपर उठते हैं और टिके रहते हैं। विमान की भी पूँछ होती हैं - बिलकुल चिड़िया की तरह, जो उन्हें हवा में टिकने और दिशा बदलने में मदद करती है।"
हवाई जहाज़ कैसे उड़ते हैं?
"2. 'फ़्लाइ - डोंट फ़्लाइ' गेम: मित्रों का एक समूह बनाओ और एक -दूसरे को बिना छुए कमरे के चारों तरफ़ जहाज़ की तरह उड़ो। डेन (चोर) एक कोने में खड़ा होकर उड़ने वाली और ना उड़ने वाली चीज़ों के नाम कहेगा। जैसे ही वह किसी ना उड़ने वाली चीज़ (जैसे कि मेज़/टेबुल) कहे तो जहाज़ों को ज़मीन पर उतरना (बैठ जाना) होगा। जो ग़लती करेगा, वह अगला डेन होगा।"
हवाई जहाज़ कैसे उड़ते हैं?
"बिन्नी ने घास चबाते हुए सर हिलाया, जैसे कि वह धनी की बात समझ रही थी। धनी को भूख लगी। कूदती-फाँदती बिन्नी को लेकर वह रसोईघर की तरफ़ चला। उसकी माँ चूल्हा फूँक रही थीं और कमरे में धुआँ भर रहा था।"
स्वतंत्रता की ओर
"अगले दिन जैसे सूरज निकला, धनी बिस्तर छोड़ कर गाँधी जी को ढूँढने निकला। वे गौशाला में गायों को देख रहे थे। फिर वह सब्ज़ी के बगीचे में मटर और बन्दगोभी देखते हुए बिन्दा से बात करने लगे। धनी और बिन्नी लगातार उनके पीछे-पीछे चल रहे थे।"
स्वतंत्रता की ओर
"”मैं आपसे कुछ पूछना चाहता था,“ धनी थोड़ा घबराया। ”क्या मैं आपके साथ दाँडी आ सकता हूँ?“ हिम्मत करके उसने कह डाला। गाँधी जी मुस्कराये, ”तुम अभी छोटे हो बेटा! दाँडी तो 385 किलोमीटर दूर है! स़िर्फ तुम्हारे पिता जैसे नौजवान ही मेरे साथ चल पायेंगे।“"
स्वतंत्रता की ओर
"हाँ, बिलकुल सही! उन्होंने ढक्कन को पेंच से कसा और ट्यूब के दूसरे हिस्से को पूरी तरह खुला छोड़ा। ट्यूब के बड़े पिछले हिस्से को भरना सचमुच आसान था! ख़ासकर जब तुम्हारे पास पेस्ट के साथ पंप के लिए कुछ हो, जैसे कि पिचकारी। इसके बाद यही करना बाकी रहा कि ट्यूब के उस खुले सिरे को कसकर बंद किया जाए ताकि पेस्ट बाहर न निकले।"
टूथपेस्ट ट्यूब के अंदर कैसे आया?
"● रेशे वाले फल और सब्जियाँ खाने से दाँत मज़बूत होते हैं, जैसे कि सेब, गाजर, दाँत साफ़ रखने में सहायक हैं।"
टूथपेस्ट ट्यूब के अंदर कैसे आया?
"कर उत्सुकता से भौंक रहा था जैसे मानो वह भी जानना चाहता हो कि पच्चा क्या कह रहा है।"
आओ, बीज बटोरें!
"बैरीज़, सेब, केला, तरबूज और कटहल - इन सभी फलों में बीज होता है। कुछ बीजों को हम खा नहीं सकते हैं जैसे कि आम की गुठली। लेकिन कई बीज; जैसे कटहल के बीज; इन्हें पानी में भिगोने के बाद सब्ज़ी बनाकर खाए जा सकते हैं।"
आओ, बीज बटोरें!
"सभी पेड़-पौधे हरे-भरे हो जाएँगे और खुश दिखाई देंगे। ठीक उस हरे दुपट्टे की तरह जिसे हरी भैया ने जयपुर से भेजा है। वो बता रहे थे कि उसे धानी चुनरिया कहते हैं। धानी जैसे धान के नन्हे पौधों का रंग। दादा कह रहे थे कि अच्छी बारिश होने से किसानों को अच्छी फसल मिलेगी।"
गरजे बादल नाचे मोर
""बिलकुल, वैसे ही जैसे बस चालक या समुद्री जहाज़ के कप्तान का। इन पर भी इतने सारे यात्रियों की सुरक्षित यात्रा की ज़िम्मेदारी होती है।""
राजू की पहली हवाई-यात्रा
"गुड़हल (जवाकुसुम) के फूल में तंतु होते हैं, जो संख्या एक जैसे होते हैं।"
कितनी मज़ेदार है बांग्ला संख्याएं
"यहां तक कि छोटे नींबू - मेरे जैसे सभी लग रहे हैं - और मिठाई भी!"
ग़ोलू एक ग़ोल कि कहानी
"सभी के कान एक जैसे नहीं होते"
कोयल का गला हुआ खराब
"अक्तूबर में शुरू करते हैं और विदेशों में, जैसे कि तंज़ानिया"
द्रुवी की छतरी
"जनवरी में पहुँचते हैं। वे रास्ते के द्वीपों पर, जैसे कि मालदीव और"
द्रुवी की छतरी
"‘‘यहाँ जैसे बढ़िया पुचके मुझे कहाँ मिलेंगे? बाबा,"
एक सफ़र, एक खेल
"व्हूऊऊऊ... जंगल की फ़िज़ा में उल्लू की आवाज़ गूँज रही थी। दूर से एक सियार के गुर्राने की आवाज़ आयी। यूँ लगता था जैसे पेड़ों की छायाएँ अपनी काली-काली उँगलियाँ लहरा रही हों।"
विशालकाय एक-पंख गजपक्षी
"जब नौका किनारे पर पहुँची, काटो जल्दी से जल्दी सबको अपने कारनामे के बारे में बता देना चाहता था। दिन की सारी घटनाओं के बाद, काटो का सिर नौका की तरह चक्कर खा रहा था। खाने की मेज़ पर जैसे ही उसने सिर रखा, उसकी आँखें बंद होने लगीं और वह गहरी नींद में डूब गया।"
नौका की सैर
"क्या दादी के जैसे किसी भी चीज़ के साथ बाज़ीगरी करी जा सकती है?"
निराली दादी
"हर सुबह, जैसे ही उसके पापा दाढ़ी बनाना शुरू करते हैं, अनु भी उनके पास आकर बैठ जाती है। बड़े ध्यान से उन्हें दाढ़ी बनाते हुए देखती है। उसके पापा अपनी दो उँगलियों में एक छुटकू-सी कैंची पकड़े, कच-कच-कच... अपनी मूँछों को तराशने में जुट जाते हैं।
और अनु है कि कहती जाती है, “थोड़ा बाएँ... अब थोड़ा-सा दाएँ... पापा नहीं ना! आप अपनी मूँछों को और छोटा मत कीजिए!
आप ऐसा करेंगे तो मैं आपसे कट्टी हो जाऊँगी!”"
पापा की मूँछें
"सच बात तो यह है कि अनु को सारे मूँछ वाले आदमी अच्छे लगते हैं। जैसे कि उसकी दोस्त तुती यानि स्मृति के पापा।"
पापा की मूँछें
"इस पुस्तक में चींटी को एक हरा अंकुरित मूँग का दाना मिला। अंकुरित दालें स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छी होती हैं। हम किसी भी दाल को भिगो कर अंकुरित बना सकते हैं जैसे राजमा, सफ़ेद चना, काला चना, मटर आदि।"
दाल का दाना
"इस पृष्ठ में चार तत्वों वायु, जल, पृथ्वी और दहकते हुए सूर्य को दर्शाया गया है। जैसे इस किताब में कागज़ के टुकड़ों का इस्तेमाल हुआ है वैसे ही तुम कागज़ के टुकड़े"
काका और मुन्नी
"जब मुमताज़ इस विस्मय-नगरी से लौटी तो उसने एक बड़ा सफ़ेद कपड़ा लिया और उस पर सफ़ेद धागे से फूल काढ़ने बैठ गई। उसने हरदोई के आमों और कश्मीर के बादाम के जैसे पत्ते काढ़े और फूलों के गुच्छों से लदी झाड़ियों के बीचोंबीच एक बहुत ही खूबसूरत मोर भी! वह किसी जादुई चादर से कम नहीं लगती थी।"
मुमताज़ ने काढ़े अपने सपने
"रज़ा ने झुक कर सलाम किया और फिर अपने बादशाह की तरफ़ देखा। एक खिदमतगार हाथ में डिब्बा लिये खड़ा था और अकबर उसमें से गहने चुन रहे थे। कद में बहुत लम्बे नहीं थे पर उनके एक तलवारबाज़ के जैसे चौड़े कन्धे थे। बड़ी बड़ी, थोड़ी तिरछी आँखें, नीचे की ओर मुड़ी मूँछें और ओठों के ऊपर एक छोटा सा तिल था।"
रज़ा और बादशाह
"”अच्छा! राजपूत! जैसे हमारी महारानी जोधा बाई!“अकबर मुस्कराये।"
रज़ा और बादशाह
"सच कहूँ तो ख़ुद मैं भी यह बात जानना चाहता हूँ और मेरे मन में भी वही सवाल हैं जो लोग तुम्हारे बारे में मुझसे पूछते हैं। हाँ, मैंने पहले दिन ही, जब तुम कक्षा में आई थीं, गौर किया था कि तुम एक ही हाथ से सारे काम करती हो और तुम्हारा बायाँ हाथ कभी हिलता भी नहीं। पहले-पहल मुझे समझ में नहीं आया कि इसकी वजह क्या है। फिर, जब मैं और नजदीक आया, तब देखा कि कुछ है जो ठीक सा नहीं है। वह अजीब लग रहा था, जैसे तुम्हारे हाथ पर प्लास्टिक की परत चढ़ी हो। मैं समझा कि यह किसी किस्म का खिलौना हाथ होगा। मुझे बात समझने में कुछ समय लगा। इसके अलावा, खाने की छुट्टी के दौरान जो हुआ वह मुझसे छुपा नहीं था।"
थोड़ी सी मदद
"तुम जानती हो न कि सँयोग क्या होता है? यह ऐसी बात है कि जैसे तुम कुछ कहो और थोड़ी देर में वही बात कुछ अलग तरीके से सच हो जाए। पिछले पत्र में मैंने तुम्हें सुमी और जूतों के फीतों के बारे में बताया था। और उसके बाद, आज, मैंने तुम्हें जूतों के फीते बाँधते हुए देखा। वाह, यह अद्भुत था! मैं सोचता हूँ कि तुमने यह काम मुझसे ज़्यादा जल्दी किया जबकि मैं दोनों हाथों से काम करता हूँ। अगर तुम मेरी दोस्त न होतीं तो मैं तुम्हारे साथ जूते के फीते बाँधने की रेस लगाता। नहीं, नहीं, शायद मैं तुम्हें कहता कि मुझे भी एक हाथ से फीते बाँधना सिखाओ।"
थोड़ी सी मदद
"तुम्हारी बात सुनने के बाद, मैंने एक हाथ से बहुत सी चीजें करने की कोशिश की। लेकिन यह बहुत ही मुश्किल है! मुझे अभी तक यह समझ नहीं आया कि तुम नहाना, कपड़े पहनना, बैग संभालना जैसे काम ख़ुद ही कैसे कर लेती हो। उस दिन खाने की छुट्टी के बाद की बातचीत के बाद से मैंने महसूस किया कि तुम भले ही कुछ कामों को थोड़ा अलग ढँग से करती हो, लेकिन तुम भी वह सारे काम कर लेती हो जो बाकी सब लोग करते हैं।"
थोड़ी सी मदद
"सुनो, हमारे साथ खेलने के बारे में मैने पहले जो कुछ भी कहा है उसके लिए मैं क्षमा माँगता हूँ। मुझे लगता है कि तुम सिर्फ़ शर्माती हो। और मैंने एक ही हाथ का इस्तेमाल करते हुए झूला झूलने की भी कोशिश की। और यह काम बहुत ही मुश्किल है, झूले को दोनों हाथों से पकड़ कर न रखा जाए तो शरीर का संतुलन नहीं बन पाता। लेकिन तुम जैसे जँगल जिम की उस्ताद हो। भले ही तुम बार पर लटक नहीं पातीं लेकिन तुम सचमुच बहुत तेज दौड़ती हो, अली से भी तेज, जिसे खेल दिवस पर पहला इनाम मिला था।"
थोड़ी सी मदद
"पता नहीं इसका क्या मतलब है, लेकिन वे बहुत परेशान दिखते हैं। तुमने उनके बाल देखे हैं? वह ऐसे लगते हैं जैसे उन्होंने बिजली का नँगा तार छू लिया हो और उन्हें करारा झटका लगा हो! वैसे, मुझे लगता है कि रानी ने उनकी कुर्सी पर मेंढक रख कर अच्छा नहीं किया।"
थोड़ी सी मदद
"स. सहपाठियों से कहेंगे कि उसके जैसे होने की कल्पना करें।"
थोड़ी सी मदद
"हर सुबह के जैसे आज भी कल्लू बिजली की सी फुर्ती से इधर-उधर भाग के तैयार होने लगा। पानी की बाल्टी से बर्फीले पानी के कुछ छींटे आँखों पर डाल के उसने खुद को जगाया।
नहाने का तो सवाल ही नहीं था। शुक्र है कि सर्दियों का मौसम था नहीं तो अम्मी कहाँ मानने वाली थीं। कमीज़, पतलून और स्वेटर आनन फानन में पहन के, चप्पलों में पैर घुसाये।"
कल्लू कहानीबाज़
"हम फिर उस औरत के घर गए और कहा कि पॉलिथीन के प्रयोग से हमारी जान भी जा सकती है क्योंकि जब हम उसे जलाते हैं तो उससे ज़हरीली गैस निकलती है जो टी बी और साँस लेने में तकलीफ़ जैसे अन्य रोग पैदा करती है।"
पॉलिथीन बंद करो
"फिर उन्होंने पूछा कि पॉलिथीन से और क्या होता है। तब हमने उन्हें बताया कि पॉलिथीन अगर उपजाऊ जगह पर प्रयोग किया जाए तो वह खराब हो सकती है, जैसे गेहूँ के पौधे के ऊपर यदि पॉलिथीन रखते हैं तो पौधा ठीक से नहीं उगेगा।"
पॉलिथीन बंद करो
"लेकिन जो चीज़ उनकी ख़ास बात बनकर उभरी थी वो था हॉकी स्टिक चलाने का उनका असाधारण कौशल, हॉकी स्टिक के साथ गेंद को इस प्रकार नियंत्रित करने की क्षमता, मानो मैदान में और कोर्इ खिलाड़ी है ही नहीं। मानो जैसे वे दोबारा रात को अकेले अपने खेल के मैदान में अभ्यास कर रहे हों।"
ध्यान सिंह 'चंद' : हॉकी के जादूगर
"लेकिन वे सिर्फ़ हॉकी स्टिक के अपने कौशल के सहारे की ध्यान चंद नहीं बने। हॉकी, जो कि एक टीम का खेल है, उसमें ध्यान चंद एक प्रभावी टीम साथी के रूप में उभरे। जब वे मैदान में दौड़ रहे होते, उनका मस्तिष्क एक शतरंज की बाज़ी के रूप में सोचता। जैसे अपको पता होता है कि आपकी कक्षा में आपके मित्र कौन कौन से स्थान पर बैठते हैं और आप बिना देखे यह बता सकते हैं कि “काव्या यहाँ बैठती है, रोमिल यहाँ बैठता है” ध्यान चंद के लिए हॉकी ठीक वैसा ही था। बिना देखे उनको पता होता था कि उनके टीम के साथी कहाँ खड़े हैं, और वे किसको गेंद पास कर सकते हैं।"
ध्यान सिंह 'चंद' : हॉकी के जादूगर
"पेड़ों पर चढ़कर कच्चे आम तोड़ना
मोरू को अच्छा लगता था। वह टहनियों
पर रेंगते हुए ऐसी कल्पना करता मानो किसी घने जंगल में चीता हो। उसे कीड़े पकड़ना भी पसंद था। चमकदार पन्नी सी चमचमाते सर वाली हरी-नीली घोड़ा मक्खी, पतला और चरचरा सा टिड्डा, पीली तितली जिसका रंग पीले गुलाल सा उसकी उंगलियों पर उतर आता था। मोरू को पतंग उड़ाना भी अच्छा लगता था। जितनी ऊँची उड़ सके उतना अच्छा। सबसे ऊँची छतों पर चढ़ कर वह अपनी पतंग बादलों से कहीं ऊपर तक उड़ाता जैसे वह एक चमकता हुआ पक्षी हो जो सूरज तक पहुँचने की कोशिश कर रहा हो।"
मोरू एक पहेली
"मोरू को अंक अच्छे लगते थे। 1 का अंक उसे दुबला और अकेला सा लगता था तो 100 मोटा और अमीर सा। 9 कितना इकहरा और आकर्षक लगता खास तौर पर वह जब 1 के बगल में खड़ा हो कर 19 बन जाता। अंक उसे कभी न ख़त्म होने वाली सीढ़ी जैसे लगते। मोरू कल्पना करता कि वह एक-एक कर के सीढ़ी चढ़ रहा है।"
मोरू एक पहेली
"उसके जैसे और बच्चे जिन्होंने स्कूल छोड़ दिया था, उनके साथ उसने मिलकर गुट बना लिया जो कि स्कूल जाने वाले बच्चों को चिढ़ाता और सताता था। अपने दोस्तों की स्कूल की कॉपियों से पन्ने फाड़कर वह हवाई जहाज़ बनाता। अपनी छत पर जा कर वह राह चलते लोगों पर गुलेल से ढेले मारता।"
मोरू एक पहेली
"फिर आई अंकों वाली किताबें। मोरू की आँखें और उंगलियों की तेज़ी कुछ ढीली पड़ी। मोटे अंक पतले अंकों के साथ नाच रहे थे। दो अंक एक के ऊपर एक ऐसे बैठ गये जैसे कोई ढुलमुल इमारत हो जो अपनी नींव भरने का इन्तज़ार कर रही हो। गुणा के सवालों में जैसे संख्या बढ़ती जाती थी, वो कुछ नाटे और नीचे की तरफ़ चौड़ाते लग रहे थे। भाग इसका ठीक उलटा था। शुरूआत में बड़ी संख्या और अगर ध्यान से करते जाओ तो अन्त में लम्बी पतली आकर्षक पूँछ बन जाती थी। अगर भाग्यशाली हो तो अन्त में कुछ नहीं बचेगा। एक-एक कर के सारे अंक और उनके करतब मोरू के पास लौट आये।"
मोरू एक पहेली
"उन्होंने मोरू को छोटे बच्चों के साथ लगाया। कुछ किताबें थीं जिनमें बच्चों को लिखना था। वे बोले, “इन अंकों को आरोही और अवरोही क्रम में लगाने के लिये इन बच्चों की मदद करो।” छोटे बच्चे मोरू के आसपास जमघट लगाने लगे। उन्हें आश्चर्य हो रहा था कि मोरू जैसे अक्खड़ को इतना कुछ आता था।"
मोरू एक पहेली
"मोरू ने उन्हें कतार में खड़ा करवाया - सबसे छोटे बच्चे एक छोर पर और लम्बे वाले दूसरे छोर पर। उसने उन्हें हाथों में अंक पकड़ाए। अब सब आसान हो गया। जैसे छोटे और लम्बे बच्चों के साथ हुआ कि किसे कहाँ खड़ा होना था वैसे ही अंकों के साथ करना था।"
मोरू एक पहेली
"प्रकृति में हर वस्तु छोटे-छोटे परमाणुओं से बनी है। हर एक परमाणु के बीच में एक नाभिक होता है, जिसमें दो प्रकार के कण होते हैं-प्रोटोन एवम् न्यूट्रॉन। नाभिक के चारों ओर इलेक्ट्रॉन घूमते हैं, ठीक वैसे ही जैसे हमारी धरती सूर्य के चक्कर काटती है।"
दीदी, दीदी, बादल क्यों गरजते हैं?
"गुब्बारे को फुलाएँ और ऊन या रेशम को गुब्बारे पर रगड़ें। अब गुब्बारे को दीवार पर रखें ओर देखें कि गुब्बारा दीवार पर चिपक जाता है! ठीक वैसे ही
जैसे चुम्बक के साथ लोहे का टुकड़ा।"
दीदी, दीदी, बादल क्यों गरजते हैं?
"जहां हमें लगाना था गहराई में गोता, वहां पहुँच फिर से जांचा - परखा सारा साज - सामान। पैरों में पहने बतख के पैरों जैसे 'फ़िन’, और चेहरे पर मुखौटे जैसा गोताखोरी वाला 'मास्क’ चढ़ाया।"
गहरे सागर के अंदर!
"हम जैसे ही पहुंचे पानी के अंदर, 'येलोबैक फ़्यूज़िलीअर’ मछलियों के एक झुंड ने स्वागत किया पास आकर।"
गहरे सागर के अंदर!
"प्रवाल ऐसे जीव हैं जिन्हें वनस्पति और जंतु दोनों माना गया है। बहुत छोटे - छोटे हज़ारों काई जैसे हरे - नीले ऐल्गी यानी शैवाल इनके अंदर रहते हैं, और इन्हें पनपने में मदद करते हैं। प्रवाल का कंकाल शरीर के अंदर नहीं, बाहर होता है!... और इनके रंग - रूप होते हैं अनेक!"
गहरे सागर के अंदर!
"फ़ेदर स्टार भले ही देखने में पौधों जैसे हों, लेकिन यह वास्तव में एक किस्म के जंतु यानी जानवर ही होते हैं। यह अपनी पंख जैसी दिखने वाली बाजुओं से पानी में बहते प्लैंक्टन को पकड़ - पकड़ कर चट कर जाते हैं।"
गहरे सागर के अंदर!
"पैरेटफ़िश के दांत तोते की चोंच जैसे नज़र आते हैं। अपने बड़े और मज़बूत दांतों से ये मछलियां सख़्त प्रवाल पर जमी काई खुरच कर खाती हैं। कुछ किस्म की पैरेटफ़िश तो हरियाली के साथ थोड़ा बहुत प्रवाल भी खुरंच कर खा जाती हैं। खुरंच कर खाया हुआ प्रवाल इनकी आंतों से बाहर आते-आते बारीक पिस चुका होता है, और लहरों के साथ किनारे आकर ख़ूबसूरत 'बीच’ यानी समुद्रतट की सफ़ेद रेत का हिस्सा बन जाता है।"
गहरे सागर के अंदर!
"हमेशा साथ रहते हैं - जैसे बने हों एक दूजे के लिए! क्लाउनफ़िश सी अनैमॉनी के लहराते हुए डंक साफ़ रखने का काम करने के साथ दूसरी मछलियों को उनकी ओर खदेड़ने की कोशिश करती रहती हैं, ताकि अनैमॉनी उन मछलियों का शिकार कर सकें। सी अनैमॉनी भी क्लाउनफ़िश से बख़ूबी दोस्ती निभाते हैं... उन्हें डंक नहीं मारते, और छुपने की जगह देकर दुश्मन से बचाते हैं।"
गहरे सागर के अंदर!
"क्लीनर रास छोटी-छोटी मछलियां होती हैं जो बड़ी-बड़ी मछलियों के शरीर से उधड़ी हुई खाल के टुकड़े और उन पर चिपके ख़ून चूसने वाले परजीवियों को चट कर जाती हैं। बड़ी मछलियां इनकी रंगत और नाचने जैसे लहराती चाल से इन्हें पहचान लेती हैं और इन्हें नुकसान नहीं पहुँचातीं।"
गहरे सागर के अंदर!
"मैंटा रे बड़ी विशाल मछलियां होती हैं, जिनके पंख पक्षियों के डैनों जैसे फैले हुए होते हैं। इनकी मदद से यह पानी के अंदर बिलकुल बाज़ और गिद्ध वाले अंदाज़ में धीरे - धीरे पंख चलाते हुए आगे बढ़ती हैं। कुछ मैंटा रे के डैने तो इतने बड़े होते हैं कि एक पंख के सिरे से दूसरी तरफ़ वाले पंख के सिरे तक की दूरी 23 फ़ीट तक हो सकती है!"
गहरे सागर के अंदर!
"ड्यूगॉन्ग समुद्र में पाये जाने वाले सील, वॉलरस और व्हेल जैसे स्तनधारी जीव होते हैं। इनका पसंदीदा भोजन है समुद्री घास। ख़ास बनावट वाले अपने थूथन - नुमा मुंह से समुद्री घास चरते रहते हैं। इन्हें समुद्री गाय भी कहा जाता है।"
गहरे सागर के अंदर!
"उन्होंने जाना कैसे कहानियाँ गढ़ें, कहानियाँ कैसे बुनें। कहानियों को मिलाकर कैसे नयी कहानियाँ बनायें और नीले आसमान में जैसे पतंग उड़ाते हैं, वैसे कल्पना की डोर पर कैसे कहानियाँ उड़ाएँ।"
कहानियों का शहर
"इतना बड़ा शहर। सब कुछ ठप्प। जैसे सब कुछ ठहर गया था।"
कहानियों का शहर
"सबने जैसे चैन की साँस ली हो। तब से आज तक उस शहर में हर जगह एक कहानी सुबह और दूसरी रात को सुनाई जाती है!"
कहानियों का शहर
"लांगलेन सोच रही थी, उसके पापा ने बोलना जारी रखा, "भूरी धारियों वाले बच्चे का रंग पापा के जैसा है, ठीक वैसे ही जैसे लांगलेन के घुंघराले बाल उसके अप्पा जैसे हैं!""
कहाँ गये गालों के गड्ढे?
""लेकिन सब कहते हैं कि मैं बिल्कुल इम्मा के जैसी दिखती हूं। देखो, यहां तक कि हमारी ठुड्डी में गड्ढे भी एक जैसे हैं जिससे हमारी ठुड्डी दो हिस्सों में बंटी हुई सी नज़र आती है।""
कहाँ गये गालों के गड्ढे?
"लक्षणः ख़ूबियां, जैसे घुंघराले बाल, ठुड्डी का गड्ढा या डिंपल"
कहाँ गये गालों के गड्ढे?
"घर जाकर उन्होंने उसकी माँ को समझाया कि जैसे लड़कों का पढ़ना ज़रूरी है, वैसे ही लड़कियों का भी पढ़ना ज़रूरी है। एक लड़की पढ़ लिख कर पूरे घर को अच्छे से संभाल सकती है।"
और दीदी स्कूल जाने लगी