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Chapter 1/17

editपंजाब के किसी गाँव में गेहूँ के खेतों के पास एक गुलमोहर के पेड़🌲🌳 पर मुन्नी गौरैया अपने घोंसले के पास बैठी थी। अपने तीन अनमोल छोटे-छोटे अंडों की निगरानी करती वह उनसे चूज़ों के निकलने का इंतज़ार कर रही थी। मुन्नी सुर्ख लाल🔴 फूलों को देखती खुश हो रही थी कि तभी ऊपर की डाल पर एक काला साया दिखा। वह गाँव का लफंगा, काका कौवा था। मुन्नी घबराकर चीं-चीं करने लगी।
Chapter 2/17

edit“ए मुन्नी! परे हट, मैं तेरे अंडे खाने🍴 आया हूँ,” वह चहक कर बोला। मुन्नी समझदार गौरैया थी। वह झटपट बोली, “काका किसी की क्या मजाल कि तुम्हारी बात👄 न माने? लेकिन मेरी एक विनती है। मेरे अंडों को खाने🍴 से पहले तुम ज़रा अपनी चोंच धो आओ। यह तो बहुत गन्दी लग रही है।”
Chapter 3/17

editकाका खुद को बहुत बाँका समझता था। उसे यह बात👄 अच्छी नहीं लगी कि वह सा़फ -सुथरा नहीं दिख रहा। वह झटपट पानी🌊🌧️💦💧🚰 की धारा के पास पहुँचा। वह धारा में अपनी चोंच डुबो ही रहा था कि धारा ज़ोर से चिल्लाई, “काका! रुको! अगर तुमने अपनी गन्दी चोंच मुझ में डुबोई तो मेरा सारा पानी🌊🌧️💦💧🚰 गन्दा हो जायेगा। तुम एक कसोरा ले आओ। उस में पानी🌊🌧️💦💧🚰 भरकर अपनी चोंच उसी में धो लो।”
Chapter 4/17

editधारा की बात👄 सुनकर काका गाँव के कुम्हार के पास गया और बोला,
edit“अजी ओ कुम्हार प्यारे, काका आया पास तुम्हारे एक कसोरा तुम बनाओ जिसमें मैं पानी🌊🌧️💦💧🚰 भर लाऊँ अपनी गन्दी चोंच धुलाऊँ फिर खा लूँ मुन्नी के अंडे और काँव-काँव चिल्लाऊँ ताकि सभी सुनें और जान जायें मैं हूँ सबसे बाँका सबसे छैला कौवा!”
editकुम्हार बोला, “मैं तो बड़ी खुशी से तुम्हारे लिए कसोरा बनाऊँ, लेकिन मुझे उसके लिए मिट्टी की ज़रूरत है। तुम ज़रा फटाफट मिट्टी ले आओ।”
Chapter 5/17

editअब काका उड़कर पास के खेत पर गया और खेत से बोला,
edit“अजी ओ खेत प्यारे
editजिसमें मैं पानी🌊🌧️💦💧🚰 भर लाऊँ
edit“बरसात अभी हुई नहीं है। मैं अभी सूखा सख्त हूँ, मुझे खोदने के लिए फ़ौरन कोई नुकीली चीज़ ले आओ,” खेत बोला।
Chapter 6/17

editकाका जंगल में जा पहुँचा। उसे नुकीले सींगो वाला एक हिरन दिखा तो वह उससे बोला,
editजिससे थोड़ी मिट्टी खोदूँ
editजिसमें मैं पानी🌊🌧️💦💧🚰 भर लाऊँ
editहिरन चिढ़ कर बोला “अरे अकलमन्द की पूँछ, ज़रा यह बता तो सही कि जब तक मैं ज़िन्दा हूँ तू मेरा सींग कैसे ले सकता है?”
Chapter 7/17

editकाका को ज़ोरों की भूख लगी थी, वह तेज़ी से मँडराया तभी...
editउसे दो ख़तरनाक से कुत्ते🐕🐩🐶 दिखे। काका फ़ौरन उनके पास जा पहुँचा और उनकी खुशामद करने लगा,
edit“अजी ओ भैया कुत्ते🐕🐩🐶 प्यारे, काका आया पास तुम्हारे आज तुम्हें दावत खिलवाऊँ मोटा-ताज़ा हिरन दिखाऊँ, बस🚌🚍🚏 सींग उसका मैं ले लूँगा उससे थोड़ी मिट्टी खोदूँगा मिट्टी कुम्हार को दे दूँगा जिससे बनाये वो एक कसोरा जिसमें मैं पानी🌊🌧️💦💧🚰 भर लाऊँ अपनी गन्दी चोंच धुलाऊँ फिर खा लूँ मुन्नी के अंडे और काँव-काँव चिल्लाऊँ ताकि सभी सुनें और जान जायें मैं हूँ सबसे बाँका सबसे छैला कौवा!”
Chapter 8/17

edit“इतनी गर्मी में तो यह बहुत कड़ा काम है,”
editकुत्ते🐕🐩🐶 बड़बड़ाए, “हिरन मारने के लिए हमें ताकत चाहिए। जाओ थोड़ा दूध ले आओ, फिर सोचते हैं।”
Chapter 9/17

editअब काका भूसा खा कर जुगाली कर रही भैंस के पास पहुँचा और बोला,
edit“नमस्ते भैंस दीदी👧 प्यारी,
editकाका आया शरण तुम्हारी
editथोड़ी मिट्टी खोद लूँगा
editमिट्टी कुम्हार को दे दूँगा
Chapter 10/17

edit“सूखा पुआल खा कर दूध कहाँ से दूँ? हाँ थोड़ी रसीली घास खाने🍴 को मिल🏭 जाए तो मैं ज़रूर तुम्हें दूध दे दूँ,” भैंस ने रम्भा कर जवाब दिया।
Chapter 11/17

editयह सुनकर काका उगी घास के ऊपर मँडराया और बोला,
editकाका आया शरण तुम्हारी
editथोड़ी मिट्टी खोद लूँगा
editमिट्टी कुम्हार को दे दूँगा
editजिसमें मैं पानी🌊🌧️💦💧🚰 भर लाऊँ
editफिर खा लूँ मुन्नी के अंडे और काँव-काँव चिल्लाऊँ
editताकि सभी सुनें और जान जायें मैं हूँ सबसे बाँका सबसे छैला कौवा!”
Chapter 12/17
editChapter 13/17

editवह झपटता हुआ लुहार के पास पहुँचा और बोला,
edit“सलाम चचा लुहार प्यारे,
editघास काट सकूँ जिससे
editजिसमें मैं पानी🌊🌧️💦💧🚰 भर लाऊँ
Chapter 14/17

editबाकी सभी की तरह लुहार भी मुन्नी के अंडों को बचाना चाहता था। उसने कहा, “अभी बनाता हूँ हँसिया। तुम ज़रा पीछे जाकर भट्ठी का दरवाज़ा खोलो और इस लोहे के टुकड़े को उसमें रख दो”
Chapter 15/17

editकाका ने खुशी-खुशी भट्ठी का दरवाज़ा खोला। तभी हवा🌬️🍃💨 का तेज़ झोंका आया और काका भट्ठी के कोयलों पर उलटा जा गिरा। उसकी पूँछ जल गयी। पूँछ की आग बुझाता काका चीखा,
edit“हाय हाय! मेरा पुंजा सड़या!
Chapter 16/17

editघमंडी काका नहीं चाहता था कि लोग जान जाएँ कि उस की पूँछ जल गई है।
editवह उस गाँव से बहुत दूर उ़ड गया और फिर कभी वापस नहीं आया।
Chapter 17/17

editइस किताब में आपने जितने भी चित्र देखे वह कोलाज
edit(Collage) हैं। कोलाज, अलग-अलग चीज़ों के टुकड़ों को जोड़कर एक नयी तस्वीर को बनाने का एक तरीका होता है। यह चीज़ें हाथों से बनी या इस किताब की तरह छपा हुआ काग़ज, अखबार और मैगज़ीन की कतरनें, पुराने कार्ड, छायाचित्र, कपड़ा, रिबन, सूखे फूल या पत्ते, या आसानी से मिल🏭 जानेवाली कोई भी चीज़ हो सकती है!
editकोलाज शब्द फ़्रेंच शब्द कोले से बना है जिसका अर्थ है- चिपकाना। एक कोलाज बनाने के लिए अलग-अलग चीज़ों, उन्हें काटने के लिए कैंची और फिर उन्हें चिपकाने के लिए ढेर सारे गोंद की ज़रूरत होती है।
editइस पृष्ठ में चार तत्वों वायु, जल, पृथ्वी और दहकते हुए सूर्य को दर्शाया गया है। जैसे इस किताब में कागज़ के टुकड़ों का इस्तेमाल हुआ है वैसे ही तुम कागज़ के टुकड़े
Peer-review 🕵🏽♀📖️️️️
Contributions 👩🏽💻
Word frequency
Letter frequency
Letter | Frequency |
---|---|
ा | 487 |
क | 315 |
े | 271 |
र | 207 |
ी | 197 |
स | 192 |
न | 168 |
ल | 158 |
ो | 155 |
ह | 151 |
म | 147 |
ं | 139 |
ु | 127 |
ि | 124 |
त | 122 |
ँ | 108 |
् | 108 |
प | 88 |
ब | 85 |
द | 78 |
ग | 72 |
च | 69 |
ज | 67 |
य | 67 |
ू | 67 |
ै | 66 |
व | 58 |
ख | 56 |
अ | 48 |
ए | 46 |
ट | 44 |
भ | 41 |
उ | 29 |
औ | 29 |
ऊ | 28 |
ज़ | 27 |
थ | 26 |
आ | 24 |
ड़ | 23 |
झ | 19 |
ड | 19 |
ध | 19 |
फ | 19 |
छ | 18 |
- | 16 |
ओ | 15 |
ौ | 12 |
श | 10 |
इ | 9 |
ई | 8 |
घ | 8 |
ठ | 5 |
ढ | 3 |
़ | 3 |
| 2 |
| 2 |
ण | 2 |
ृ | 2 |
फ़ | 2 |
l | 2 |
| 1 |
ष | 1 |
C | 1 |
ख़ | 1 |
ग़ | 1 |
ढ़ | 1 |
a | 1 |
e | 1 |
g | 1 |
o | 1 |