Edit storybook
Chapter 1/18

editदीदी,👧 दीदी,👧 कभी-कभी मैं सोचता हूँ...
editक्या सोचते हो मुन्ने राजा,👑🤴 तुम क्या सोचते हो?
editकभी-कभी मैं सोचता हूँ कि बादल क्यों गरजते हैं?
editतो, तुम इस सोच में डूबे रहते हो?
editक्या लगता है तुम्हें? बादल क्यों गरजते हैं?
Chapter 2/18

editमुझे लगता है कि आकाश में एक बड़ा दानव, शायद कुंभकर्ण, सोया हुआ है,
editबारिश🌧️ की मूसलाधार बूँदें जब उस पर ज़ोर-ज़ोर से पड़ती हैं,
editऔर उसे गहरी नींद से झकझोर कर उठा देती हैं,
Chapter 3/18

edit(दीदी,👧 क्या उसकी अम्मी उसकी पिटाई नहीं करतीं? अगर घर🏠 पर मैंने कभी ऐसे गुस्सा दिखाया तो अम्मी तो मेरी कस कर पिटाई करतीं!)
editमेरे हिसाब से तो बादल तभी गरजते हैं,
editवही कुंभकर्ण जो स़िर्फ सोना😴 चाहता है,
Chapter 4/18

editपर मैंने तो अपनी किताबों में कुछ और ही पढ़ा है...।
editबताओ न दीदी,👧 क्या पढ़ा है आपने,
Chapter 5/18

editमैं सोचता हूँ, मैं सोचता हूँ...
editबोलो न मुन्ना क्या सोचा तुमने?
editदीदी,👧 ऐसा भी तो हो सकता है कि
editआकाश में मोटर साइकिल चालकों का एक गुट है।
editवह काले जैकट, स्टील से सजे जूते,
Chapter 6/18

editजब वह अपनी मोटर साइकिल पर चढ़ कर
editअपनी मोटर को झटके से शुरू करते हैं,
Chapter 7/18

editन तो कुंभकर्ण, न तो हवाई✈️🌬️💨🛩️🛫🛬🦅 जहाज़🚢🛳️ है,
editयह तो बारिश🌧️ में होड़ लगाने वाले
Chapter 8/18

editअरे हाँ, समझदार तो तुम हो ही
editपर किताबों से तो मैंने कुछ और ही सीखा है।
Chapter 9/18
Chapter 10/18

editतब वह चौपड़ और बड़ा-सा पासा निकालती है।
editबच्चे🚸 उतावले होकर ज़ोर-ज़ोर से ताली बजाते हैं,
editभूल जाते हैं कि वह कभी ऊबे भी थे।
editमुझे लगता है कि जब वह बड़ा-सा पासा
editआसमान में ज़ोरों से लुढ़कता है,
Chapter 11/18

editमुन्ने राजा,👑🤴 क्या कहने तुम्हारी बातों के,
editपर मेरी किताबों में तो कुछ और ही लिखा है।
editदीदी,👧 बता दो क्या कहती हैं
Chapter 12/18

editमेरी किताबों में लिखा है कि
editबिजली के चमकने के बाद ही होता है।
Chapter 13/18

editहमारे घर🏠 की बिजली की तरह ही है,
editवही बिजली जो हमारे पानी🌊🌧️💦💧🚰 की मोटर चलाती है,
editहमारे घरों में रोशनी करती है,
editऔर हमारे टी.वी. में, एक ही बटन दबाने पर,
editसचिन और सौरभ को दिखाती है।
editपर दादी,👵 तुम तो बिजली के बारे में बता रही हो,
Chapter 14/18
Chapter 15/18

editऔर, इस तरह जब आसमान के बादल गरजते हैं
editअपनी अम्मी की साड़ी के आँचल
editपर तुम्हारी तरह कुछ बहादुर बच्चे🚸
Chapter 16/18
editप्रकृति में हर वस्तु छोटे-छोटे परमाणुओं से बनी है। हर एक परमाणु के बीच में एक नाभिक होता है, जिसमें दो प्रकार के कण होते हैं-प्रोटोन एवम् न्यूट्रॉन। नाभिक के चारों ओर इलेक्ट्रॉन घूमते हैं, ठीक वैसे ही जैसे हमारी धरती सूर्य के चक्कर काटती है।
editप्रोटोन और इलेक्ट्रॉन में आवेश होता है-प्रोटोन में घनात्मक और इलेक्ट्रॉन में ॠणात्मक। अब क्योंकि हर परमाणु में प्रोटोनों की संख्या और इलेक्ट्रॉनों की संख्या बराबर होती है, परमाणु अनाविष्ट होता है।
editपरन्तु जब दो परमाणु आपस में टकराते हैं तो कभी-कभी इलेक्ट्रॉनों का आदान-प्रदान हो जाता🚶 है। अब जिस परमाणु से इलेक्ट्रॉन निकल गए उसमें प्रोटोनों की मात्रा इलेक्ट्रॉनों से अधिक हो जाती है। अतः उस परमाणु में धन आवेश हो जाता🚶 है। इसी तरह, जिस परमाणु में इलेक्ट्रॉनों की संख्या प्रोटोनों से अधिक हो जाती है, उसमें ॠण आवेश हो जाता🚶 है। इन आवेश वाले परमाणुओं को आयन कहते हैं।
Chapter 17/18
editअब गरजते बादलों में, वायु ब़र्फ के टुकड़े और पानी🌊🌧️💦💧🚰 की बूँदों को ऊपर की ओर ले जाती है। यह जब आपस में टकराते हैं तो इनके परमाणु आयन बन जाते हैं। अब धन आवेश वाले आयन हल्के होने की वजह से ऊपर उठते हैं और ॠण आवेश वाले आयन धरती की ओर, बादल के निचले हिस्से की ओर जाते हैं।
editप्रकृति का यह नियम है कि विपरीत आवेश एक दूसरे की ओर आकर्षित होते हैं। बादल के निचले हिस्से वाले ॠण आयन धरती की सतह के धन आयनों को आकर्षित करते हैं। यह आयन एक दूसरे की ओर आते हैं ओर इसी से बिजली पैदा होती है-वही डरावनी बिजली, जो वर्षा🌧️💦 के मौसम में अम्बर पर चमकती है।
editयह बिजली, अपने चारों ओर की वायु को बेहद गर्म कर देती है-सूरज जितना गर्म! अब यह गर्म वायु, बहुत तेज़ी से फैलती है, बिल्कुल बम के धमाके की तरह और जब बिजली की चमक समाप्त हो जाती है, तो उतनी ही रफ्तार से सिकुड़ती है। इसी वायु के धमाके को हम बादलों के गर्जन के नाम से जानते हैं।
Chapter 18/18
editआओ एक चुम्बकीय गुब्बारा बनाएँ
editहमें चाहिये-
editगुब्बारे को फुलाएँ और ऊन या रेशम को गुब्बारे पर रगड़ें। अब गुब्बारे को दीवार पर रखें ओर देखें कि गुब्बारा दीवार पर चिपक जाता🚶 है! ठीक वैसे ही जैसे चुम्बक के साथ लोहे का टुकड़ा।
editगुब्बारे पर ऊन रगड़ने से, दोनों के बीच में इलेक्ट्रॉनों का आदान-प्रदान हो जाता🚶 है। गुब्बारे में इलेक्ट्रॉनों की मात्रा अधिक होने से उसमें ॠण आवेश हो जाता🚶 है। अब जब तुम इस गुब्बारे को दीवार पर लगाते हो, तो गुब्बारे के
editॠण आयन दीवार के धन आयनों की ओर आकर्षित होते हैं और गुब्बारा दीवार पर चिपक जाता🚶 है।
Peer-review 🕵🏽♀📖️️️️
Contributions 👩🏽💻
Word frequency
Letter frequency
Letter | Frequency |
---|---|
ा | 342 |
े | 281 |
क | 272 |
र | 268 |
ह | 260 |
ी | 232 |
त | 216 |
ो | 181 |
म | 169 |
ं | 152 |
ब | 143 |
न | 142 |
् | 132 |
ै | 126 |
स | 124 |
ल | 103 |
द | 95 |
ु | 95 |
ि | 88 |
प | 81 |
ज | 77 |
ग | 62 |
य | 60 |
व | 54 |
ट | 51 |
आ | 45 |
च | 45 |
अ | 28 |
ू | 28 |
औ | 27 |
भ | 26 |
ड़ | 26 |
इ | 25 |
श | 24 |
उ | 22 |
ओ | 22 |
ण | 22 |
ध | 21 |
ए | 19 |
- | 19 |
ँ | 18 |
ख | 15 |
ज़ | 15 |
छ | 13 |
झ | 13 |
ॉ | 11 |
ठ | 10 |
घ | 8 |
फ | 8 |
ढ़ | 8 |
ऊ | 6 |
ॠ | 6 |
5 | |
ष | 5 |
ई | 4 |
थ | 4 |
ौ | 4 |
ऐ | 3 |
ड | 3 |
ढ | 2 |
़ | 2 |
ृ | 2 |
ः | 1 |
फ़ | 1 |