APPROVED
Edit storybook
Chapter 1/23

editअर्जुन के तीन पहिये थे, एक हेड लाइट थी और एक हरे-पीले रंग🎨 का कोट भी था। दिल्ली के बहुत बड़े परिवार👪 का वह एक हिस्सा था। जहाँ-जहाँ अर्जुन जाता,🚶 उसको हर जगह मिलते उसके रिश्तेदार, भाई-बहन, चाचा-चाची, मौसा-मौसी, वे सभी हॉर्न बजा बजाकर कहते, “आराम से जाना।”🚶
Chapter 2/23

editअर्जुन दिन🌤️ रात🌃 बहुत मेहनत करता।
edit“फट फट टूका,💔 टूका💔 टुक”, वह चलता रहता, “फट फट टूका,💔 टूका💔 टुक।”
editवह कभी शिकायत नहीं करता। क्योंकि ऑटो वाले शिरीष जी भी बहुत मेहनत करते थे। शिरीष जी की बूढ़ी हड्डियों में बहुत दर्द रहता था फिर भी वह अर्जुन के डैशबोर्ड को प्लास्टिक के फूलों और हीरो-हेरोइन की तस्वीरों से सजाये रखते। कतार चाहे कितनी ही लंबी क्यों न हो वह अर्जुन में हमेशा साफ़ गैस ही भरवाते। और जैसे ही अर्जुन की कैनोपी फट जाती वह बिना समय📅 गँवाए उसे झटपट ही ठीक कर लेते।
Chapter 3/23

editअलग-अलग परिवारों को लाजपत नगर के बाज़ार ले जाना,🚶 अर्जुन को बहुत पसंद था। सैलानी जब चार पहियों की जगह तीन पहियों की सवारी चुनते तो उसका मन खुशी से झूम उठता। शिरीष जी के साथ कुतुब मीनार के पास पेड़🌲🌳 की छाँव में आराम करना उसे बहुत अच्छा लगता।
Chapter 4/23

editरात🌃 में कनॉट प्लेस की ख़ूबसूरती देखने से उसका मन कभी नहीं भरता। रेलवे स्टेशन की चहल-पहल और क्रिकेट🏏 मैच के बाद फ़िरोज़शाह कोटला मैदान से उमड़ती भीड़ उसे रोमांचित कर देती।
editजीवन में सब कुछ ठीक-ठाक था, अर्जुन को इस से ज़्यादा कुछ नहीं चाहिए था।
Chapter 5/23

editलेकिन कहीं न कहीं अर्जुन के मन में एक इच्छा दबी हुई थी। वह उड़ना चाहता था। वह सोचता था कि कितना अच्छा होता अगर उसके भी हेलिकॉप्टर जैसे पंख होते, वह उसकी कैनोपी के ऊपर की हवा🌬️🍃💨 को काट देते! शिरीष जी अपने सिर को एक अँगोछे से लपेट लेते जो हवा🌬️🍃💨 में लहर जाता।🚶 और “फट फट टूका,💔 टूका💔 टुक,” आसमान में वे उड़ने निकल पड़ते।
Chapter 6/23

editलेकिन अर्जुन जानता था कि यह तो बस🚌🚍🚏 एक सपना है। ऑटो में हेलिकॉप्टर के पंख होना तो ठीक ऐसा था जैसे हाथी🐘 के पंख निकल आना, या फिर रॉकेट की तरह अंतरिक्ष में ढेर सारे डिब्बों वाली ट्रेन का होना।
Chapter 7/23

editगर्मी के दिन🌤️ थे, भीड़-भाड़ वाले एक चौराहे पर अर्जुन खड़ा इंतज़ार कर रहा था। शिरीष जी के पीछे अधेड़ उम्र की सुरमई बालों वाली, पुरानी सी साड़ी पहने एक औरत बैठी थी।
Chapter 8/23

editएक बच्चा कार और ऑटो के बीच से बच-बचा कर आया। वह पानी🌊🌧️💦💧🚰 बेच रहा था। ठन्डे पानी🌊🌧️💦💧🚰 की एक बोतल निकालते समय📅 उसकी आँखें चमकीले पत्थरों जैसी जगमगा रही थीं।
edit“मैडम, बहुत ठंडा, बहुत बढ़िया, एकदम जादू!”
editहँसते हुए वह औरत बोली, “जादू!” उस लड़के ने हामी भरते हुए उत्साह से सिर हिलाया। अर्जुन को लगा मानो उसका सिर बस🚌🚍🚏 अभी गिरा।
Chapter 9/23

edit“हम सबको और क्या चाहिए? थोड़ा-सा ज़ादू,” उस औरत ने कहा। बच्चे🚸 को कुछ रुपये देकर उसने दो बोतलें खरीद लीं। उसने एक बोतल शिरीष जी को दे दी।💗
Chapter 10/23

editशिरीष जी खुश होकर मुस्कराने लगे। मुस्कराते ही पान से रंगे उनके दाँत दिखने लगे। उन्होंने जल्दी से पानी🌊🌧️💦💧🚰 पिया, फिर भीड़ छटने लगी। “लो जादू तो अभी हो गया,” शिरीष जी ने मज़ाक में कहा।
editउस औरत ने भी पानी🌊🌧️💦💧🚰 पिया और पीते-पीते आगे बढ़ते अर्जुन पर भी थोड़ा-सा पानी🌊🌧️💦💧🚰 छलक कर गिर गया।
edit“फट फट टूका,💔 टूका💔 टुक” करते हुए वह आगे बढ़ा और अपने एक भाई को मुस्करा कर कहा, “हेलो!”
Chapter 11/23

editआगे बढ़ते ही अर्जुन को अचानक महसूस हुआ कि उसके पहिये पर दबाव कम होने लगा है, उसके सामने की भीड़ छँटने लगी है और वह बहुत आराम से आगे बढ़ गया है, “जाने दो अर्जुन भाई,” उसके चाचा ने कहा।
Chapter 12/23

editखुली साफ़ सड़क को देख कर शिरीष जी हैरान रह गए। शीशे में देखते हुए पीछे बैठी औरत से उन्होंने कहा, “हाँ बहन👧 जी, बिलकुल जादू!”
editअब उस औरत की साड़ी चमक रही थी, जिस पर सोने के धागों से कढ़ाई की गई थी। उसने हँस कर कहा, “जादू!”
Chapter 13/23

editअर्जुन के पहिये सड़क से ऊपर थे, ऊपर और ऊपर वह उड़ता जा रहा था।
edit“फट, फट, टूका,💔 टूका,💔 टुक”... ऊपर, ऊपर और ऊपर!
editउसकी मदद के लिए हेलिकॉप्टर के पंखे भी नहीं थे। अर्जुन ने सोचा,
Chapter 14/23
editChapter 15/23

editअर्जुन जवाहर लाल🔴 नेहरू स्टेडियम और इंडिया गेट के ऊपर से उड़ रहा था। उसे नीचे दिखाई दिए हुमायूँ का मकबरा, यमुना नदी और अक्षरधाम का भव्य मंदिर।
editउसे सड़कों का बहुत बड़ा जाल दिखाई दिया मानो किसी शरारती मकड़े ने बनाया हो। फटी आँखों से शिरीष जी खुशी में चीख रहे थे। न तो वह हैंडल बार को पकड़े हुए थे और न ही गाड़ियों से बचने की कोशिश कर रहे थे।
Chapter 16/23

editउस औरत ने अपनी सुन्दर साड़ी को ठीक किया। शीशे में देखते हुए वह बोली, “भाई, आपका चेहरा!”
editशिरीष जी ने शीशे में खुद को देखा तो उन्हें एक हीरो जैसा चेहरा दिखाई दिया। उनके दाँत बिलकुल स़फेद और शरीर चमक रहा था। जोश में चिल्लाकर उन्होंने कहा, “हमें और पानी🌊🌧️💦💧🚰 पीना चाहिए!”
Chapter 17/23

edit“लेकिन हम क्या कर रहे हैं?” अर्जुन ने सोचा। “हम कहाँ जा रहे हैं? अगर मुझे चलाया नहीं गया तो मेरा क्या होगा?” अर्जुन ने अब से पहले कभी इतना आज़ाद महसूस नहीं किया था, और न ही इतना परेशान।
editउसकी जानी-पहचानी दुनिया में हर सफ़र का एक मक़सद था, हर मंज़िल के आगे एक नई मंज़िल थी।
Chapter 18/23

editशोरोगुल भरे रास्तों से कहीं ऊपर इस शांत माहौल में अर्जुन को याद आ रही थी मोटर कारें, साइकिलें और बसों से पटी सड़कें। उसने नीचे देखा। काम में जुटे उसके परिवार👪 के सदस्यों की छोटी-छोटी कैनोपी पीले बिन्दुओं की तरह चमक रही थीं। अर्जुन को उन लोगों की भी याद आई जो हमेशा कहीं न कहीं जाने के लिए तैयार रहते थे। एक नई मंज़िल, एक नई जगह... “फट, फट, टूका,💔 टूका,💔 टुक।”
Chapter 19/23

editउस औरत ने नीचे देखते हुए वहाँ की ढेर सारी खुशियों के बारे में सोचा। साड़ी की चमक उसे याद नहीं रही।
edit“मैं तो अपनी बेटी और उसके बच्चों से मिलने जा रही थी,” उसने सोचा।
editवे तो मेरा इंतज़ार कर रहे होंगे। यही तो है मेरे जीवन का असली जादू!”
Chapter 20/23

editअब तक शिरीष जी भी अपने हीरोनुमा चेहरे से थक चुके थे।
edit“क्या फ़ायदा इसका?,” वह सोचने लगे। जीवन में ऐसा कुछ बहुत पहले कभी उन्होंने चाहा था। लेकिन अब वह जान गए थे कि जो सच है वह सच ही रहेगा। शिरीष जी को अब अपना ही चेहरा चाहिए था।
Chapter 21/23

editअर्जुन की हेड लाइट मद्धिम पड़ रही थी। उसे अब सब कुछ बेकार लग रहा था। वह शिरीष जी की बातें भाँप रहा था। अब वह उस औरत के भावों को भी समझ सकता था।
editवह नीचे और नीचे आया, उसे शहर की गर्माहट महसूस होने लगी थी। जितना करीब वह पहुँच रहा था उतनी ही ऊर्जा उसे मिल🏭 रही थी।
Chapter 22/23

editशिरीष जी फिर से काम में जुट गए थे। उस शहर के जाने पहचाने जादू के नशे में हर सिग्नल, हर साईन बोर्ड, हर मोड़ उनसे कुछ कह रहा था। बहुत जल्द उनका पुराना जाना🚶 पहचाना चेहरा फिर शीशे में दिखने लगा था। वह जानते थे कि उन्हें कहाँ जाना🚶 है। वह तो वहाँ पहुँच ही गये थे। उस औरत की साड़ी फिर से फीकी पड़ गई थी लेकिन उसका चेहरा चमक रहा था। वे ज़मीन पर पहुँच गए थे। अर्जुन के पहियों ने गर्म सड़क को छुआ। इंजन ने राहत की साँस ली...
edit“फट, फट, टूका,💔 टूका,💔 टुक।”
edit“ध्यान से जाना🚶 भाई,” सड़क के नुक्कड़ से उसके एक भाई ने कहा।
Chapter 23/23

editऊपर की एक खिड़की से उस औरत के नाती-नातिन ने हाथ हिलाया। ऑटो से नीचे उतर कर उसने शिरीष जी को किराया दिया।
edit“ऑटो, ऑटो, ऑटो”, ये आवाज़ें अर्जुन को बहुत अच्छी लगीं।
editहर सफ़र एक नया सफ़र, कभी न खत्म होने वाले एक लम्बे सफ़र का अनोखा हिस्सा।
Peer-review 🕵🏽♀📖️️️️
Contributions 👩🏽💻
Word frequency
Letter frequency
Letter | Frequency |
---|---|
ा | 385 |
े | 337 |
क | 302 |
र | 274 |
ह | 245 |
ी | 245 |
न | 209 |
स | 177 |
ो | 132 |
त | 126 |
ि | 122 |
म | 110 |
ज | 106 |
ं | 105 |
ल | 99 |
ु | 97 |
् | 97 |
प | 87 |
ब | 82 |
ट | 80 |
च | 74 |
द | 69 |
उ | 65 |
थ | 62 |
य | 62 |
ग | 60 |
व | 57 |
अ | 56 |
श | 46 |
ए | 41 |
ड़ | 39 |
भ | 37 |
ू | 37 |
औ | 32 |
ख | 32 |
ै | 30 |
फ | 27 |
ँ | 23 |
आ | 21 |
छ | 21 |
ई | 19 |
- | 18 |
ष | 18 |
ड | 16 |
16 | |
इ | 15 |
ज़ | 14 |
ठ | 12 |
ऊ | 11 |
ऑ | 8 |
फ़ | 8 |
ॉ | 7 |
ढ़ | 7 |
झ | 5 |
ध | 5 |
ौ | 4 |
ऐ | 2 |
ढ | 2 |
ओ | 1 |
ण | 1 |
़ | 1 |
क़ | 1 |
ख़ | 1 |